पर्यावरण को हो रही क्षति चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। यह क्षति इस सीमा तक पहुंच गई है कि हम प्रतिदिन कम के कम एक बार तो अवश्य भूमंडलीय तापन, जलवायु परिवर्तन, हिम पिघलने, अम्ल बारिश या प्रदूषण जैसे शब्द सुनने को मिलता है। पर्यावरणीय मामलों पर जानकारी बढ़ने से भूमंडल की सुरक्षा प्रत्येक राष्ट्र, उद्योग, गैर सरकारी संगठन, बुद्धिजीवी और आम व्यक्ति का सामान्य उद्देश्य एवं जिम्मेदारी बन गई है। इस परिदृश्य में पर्यावरण इंजीनियरी या विज्ञान उन व्यक्तियों के लिए करियर का श्रेष्ठ विकल्प है जो पर्यावरण की सुरक्षा तथा धारणीय विकास का दायित्व उठाना चाहते हैं।पर्यावरण विज्ञान पर्यावरण का अध्ययन है। इसमें मानव पर्यावरण संबंध तथा उसके प्रभाव सहित पर्यावरण के विभिन्न घटक तथा पहलू शामिल है। इस क्षेत्र में व्यवसायी, प्राकृतिक पर्यावरण के संकट की चुनौतियों का सामाना करने के प्रयत्न करते हैं। वे सभी व्यक्ति पर्यावरण विज्ञानी होते हैं जिनका अभियान पर्यावरण-प्रकृति पर्यावरण के विभिन्न स्तरों पर परिरक्षा, बहाली और सुधार करना होता है।शैक्षिक विषय के रूप में पर्यावरण विज्ञानी एक ऐसा अंतरविषयीय शैक्षिक क्षेत्र है जो भौतिकीय तथा जैविकीय विज्ञानों को जोड़ता है। इसमें परिस्थितिकी, भौतिकी रसायनविज्ञान, जीवविज्ञान तथा भू विज्ञान शामिल है। पर्यावरण इंजीनियरी पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित है। यह पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए विज्ञान तथा इंजीनियरी के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण विज्ञान कई क्षेत्रों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संबंधित है। इस विषय के स्नातक तथा स्नातकोत्तर कई उद्योगों जैसे निर्माण, रसायनिक, विनिर्माण एवं ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।दुनिया भर के बड़े औद्योगिक संगठनों ने पर्यावरण को हो रही क्षति से बचाने के लिए सीएसआर कार्य शुरू किए हैं। पर्यावरण के परीक्षण से संबंधित सीएसआर अपनाने वाली कंपनियां पर्यावरण विज्ञान स्नातकों तथा इंजीनियरों को रोजगार उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त गैर लाभभोगी संगठन इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर
रहे हैं।
सरकारी संगठनों में अवसरों की बात करें तो प्राकृतिक संसाधनों के कार्यों से जुड़े विभाग इन व्यवसायियों को रोजगार दे सकते हैं। चाहे वे प्रदूषण नियंत्रण की नीति तैयार करने, वन एवं वन्य जीन की सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों की परिरक्षा या ऊराजा के वैकल्पिक स्रोतों के विकास से संबंध हों, उनके प्रयासों की स्पष्ट रूप से उपेक्षा नहीं की जा सकती। अनुसंधान, परामर्श और शिक्षा शास्त्र के भी इस क्षेत्र में अवसर हैं।
पर्यावरण विज्ञानी
इनका कार्य पर्यावरण पर मानव के कार्यकलापों के प्रभाव को समझना तथा परिस्थितिक प्रणाली को क्षति पहुंचाने वाली चुनौतियों का समाधान खोजना है। वे प्रौद्योगिकी विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया अपनाने का परामर्श देते हैं।
पर्यावरण इंजीनियर
वे कूड़ा प्रबंधन, लीन मैन्युफैक्चर, पुनः शोधन, उत्सर्जन नियंत्रण, पर्यावरण धारणीय जैसे इंजीनियरी पहलुओं एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य मामलों से जुड़े कार्य करते हैं। वहीं दूसरी ओर पर्यावरण समर्थक पर्यावरण मामलों तथा नीतियों पर सरकारी कार्मिकों, विधिकर्ताओं एवं संबंधित गैर सरकारी संगठनों को परामर्श देते हैं।
पर्यावरण शिक्षाविद्
ये वे शिक्षाविद् होते हैं जो पर्यावरण विज्ञान या परिस्थितिकी या जल विज्ञान आदि जैसे समवर्गी विषय पढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त पर्यावरण जीवन विज्ञानी, पर्यावरण माडलर, पर्यावरण पत्रकार एवं पर्यावरण से जुड़े प्रौद्योगिकीविद् आदि कुछ अन्य भूमिकाएं भी है।
क्रेडेंशियल्स
पर्यावरण विज्ञान विषय स्नातक (बीएससी), मास्टर (एमएससी) एवं पीएचडी स्तर पर पढ़ाया जाता है। इस विषय पर कुछ एमएससी कार्यक्रमों में पर्यावरण अध्ययन, आपदा प्रबंधन, परिस्थितिकी एवं पर्यावरण तथा धारणीय विकास जैसी विशेषताएं शामिल हैं। पर्यावरण इंजीनियरी विषय बीई/बीटेक तथा एमई/एमटेक कार्यक्रमों के रूप में पढ़ाया जाता है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पर्यावरण ज्योमेटिक्स एवं जल तथा पर्यावरण प्रौद्योगिकी जैसी विशेषज्ञताओं के साथ चलाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त सिविल इंजीनियरी, यांत्रिकी इंजीनियरी, रासायनिक इंजीनियरी, वास्ताकला, भू भौतिकी, महासागर विज्ञान, वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान, वन्य जीवड वायुमंडल विज्ञान तथा विधि जैसी शैक्षिक पृष्ट भूमि वाले स्नातक भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं। यह क्षेत्र सामाजिक विज्ञान, मानविकी, जनसंख्या अद्ययन एवं प्रबंधन के स्नातकों के लिए भी खुला है।
आकर्षक वेतन
कार्य की भूमिका के आधार पर एक स्नातक डिग्री धारी उम्मीदवार 15 हजार से 30 हजार तक वेतन पा सकता है। स्नातकोत्तर व्यक्ति को करीब 35 हजार से 50 हजार रुपए तक का वेतन दिया जाता है। वैज्ञानिक या सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले पीएचडी उम्मीदवार 50 हजार से 75 हजार तक वेतन पा सकता है।
कौशल
इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए विवरण पर ध्यान देना जरूरी है। सबसे खास बात यह है कि इस क्षेत्र में सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए उद्देश्य के बारे में निश्चिंतता, फोकस और दूर दृष्टि होना जरूरी है। सशक्त तकनीक कौशल के अतिरिक्त अच्छा संचार एवं अंतर वैयक्तिक कौशल होना आवश्यक है। समाधान निकालने के लिए तार्किक कौशल एवं संकल्पनात्मक तथा ज्ञान को प्रयोग में लाने की क्षमता होना अनिवार्य है। इस क्षेत्र में आने वाली सामान्य बाधाओं तथा असफलता के बावजूद धैर्य तथा दृढ़ता बनाए रखने की जरूरत होती है।
चुनौतियां
किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह पर्यावरण व्यवसासियों को भी अपने दायित्वों के निर्वहन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों एवं उनके निदान से संबंधित सूचना एवं अनुसंधान का अपर्याप्त होना ऐसी ही एक चुनौती है, इसके अतिरिक्त पर्यावरण मामलों की जानकारी होने के बावजूद सरकारों, निगमों एवं व्यक्तियों की प्रतिक्रिया, इन चुनौतियों का निदान करने के लिए वांछित स्तर से कहीं पीछे हैं। उन्हें समझाना तथा उनमें परिवर्तन लाना सहज नहीं है। आधारिक संरचनाओं की अपर्याप्पता तथा निधि का अभाव अन्य महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
पर्यावरण अध्ययन एक उद्गामी, प्रभावनीय और शानदार क्षेत्र है। पर्यावरण का सामाना करने वाली आज की चुनौतियों को पूरा करने के लिए नव प्रवर्तित सोच रखने वाले प्रशिक्षत व्यवसायियों तथा पर्यावरण से जुड़े मामलों के प्रति अति संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता है। इसलिए जो प्राकृतिक पर्यावरण में सुधार लाकर मानव जीवन स्तर में वृद्धि लाना चाहते हैं। उनके लिए यह क्षेत्र करिअर का उपयुक्त विकल्प है।
रहे हैं।
सरकारी संगठनों में अवसरों की बात करें तो प्राकृतिक संसाधनों के कार्यों से जुड़े विभाग इन व्यवसायियों को रोजगार दे सकते हैं। चाहे वे प्रदूषण नियंत्रण की नीति तैयार करने, वन एवं वन्य जीन की सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों की परिरक्षा या ऊराजा के वैकल्पिक स्रोतों के विकास से संबंध हों, उनके प्रयासों की स्पष्ट रूप से उपेक्षा नहीं की जा सकती। अनुसंधान, परामर्श और शिक्षा शास्त्र के भी इस क्षेत्र में अवसर हैं।
पर्यावरण विज्ञानी
इनका कार्य पर्यावरण पर मानव के कार्यकलापों के प्रभाव को समझना तथा परिस्थितिक प्रणाली को क्षति पहुंचाने वाली चुनौतियों का समाधान खोजना है। वे प्रौद्योगिकी विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया अपनाने का परामर्श देते हैं।
पर्यावरण इंजीनियर
वे कूड़ा प्रबंधन, लीन मैन्युफैक्चर, पुनः शोधन, उत्सर्जन नियंत्रण, पर्यावरण धारणीय जैसे इंजीनियरी पहलुओं एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य मामलों से जुड़े कार्य करते हैं। वहीं दूसरी ओर पर्यावरण समर्थक पर्यावरण मामलों तथा नीतियों पर सरकारी कार्मिकों, विधिकर्ताओं एवं संबंधित गैर सरकारी संगठनों को परामर्श देते हैं।
पर्यावरण शिक्षाविद्
ये वे शिक्षाविद् होते हैं जो पर्यावरण विज्ञान या परिस्थितिकी या जल विज्ञान आदि जैसे समवर्गी विषय पढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त पर्यावरण जीवन विज्ञानी, पर्यावरण माडलर, पर्यावरण पत्रकार एवं पर्यावरण से जुड़े प्रौद्योगिकीविद् आदि कुछ अन्य भूमिकाएं भी है।
क्रेडेंशियल्स
पर्यावरण विज्ञान विषय स्नातक (बीएससी), मास्टर (एमएससी) एवं पीएचडी स्तर पर पढ़ाया जाता है। इस विषय पर कुछ एमएससी कार्यक्रमों में पर्यावरण अध्ययन, आपदा प्रबंधन, परिस्थितिकी एवं पर्यावरण तथा धारणीय विकास जैसी विशेषताएं शामिल हैं। पर्यावरण इंजीनियरी विषय बीई/बीटेक तथा एमई/एमटेक कार्यक्रमों के रूप में पढ़ाया जाता है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पर्यावरण ज्योमेटिक्स एवं जल तथा पर्यावरण प्रौद्योगिकी जैसी विशेषज्ञताओं के साथ चलाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त सिविल इंजीनियरी, यांत्रिकी इंजीनियरी, रासायनिक इंजीनियरी, वास्ताकला, भू भौतिकी, महासागर विज्ञान, वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान, वन्य जीवड वायुमंडल विज्ञान तथा विधि जैसी शैक्षिक पृष्ट भूमि वाले स्नातक भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं। यह क्षेत्र सामाजिक विज्ञान, मानविकी, जनसंख्या अद्ययन एवं प्रबंधन के स्नातकों के लिए भी खुला है।
आकर्षक वेतन
कार्य की भूमिका के आधार पर एक स्नातक डिग्री धारी उम्मीदवार 15 हजार से 30 हजार तक वेतन पा सकता है। स्नातकोत्तर व्यक्ति को करीब 35 हजार से 50 हजार रुपए तक का वेतन दिया जाता है। वैज्ञानिक या सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले पीएचडी उम्मीदवार 50 हजार से 75 हजार तक वेतन पा सकता है।
कौशल
इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए विवरण पर ध्यान देना जरूरी है। सबसे खास बात यह है कि इस क्षेत्र में सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए उद्देश्य के बारे में निश्चिंतता, फोकस और दूर दृष्टि होना जरूरी है। सशक्त तकनीक कौशल के अतिरिक्त अच्छा संचार एवं अंतर वैयक्तिक कौशल होना आवश्यक है। समाधान निकालने के लिए तार्किक कौशल एवं संकल्पनात्मक तथा ज्ञान को प्रयोग में लाने की क्षमता होना अनिवार्य है। इस क्षेत्र में आने वाली सामान्य बाधाओं तथा असफलता के बावजूद धैर्य तथा दृढ़ता बनाए रखने की जरूरत होती है।
चुनौतियां
किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह पर्यावरण व्यवसासियों को भी अपने दायित्वों के निर्वहन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों एवं उनके निदान से संबंधित सूचना एवं अनुसंधान का अपर्याप्त होना ऐसी ही एक चुनौती है, इसके अतिरिक्त पर्यावरण मामलों की जानकारी होने के बावजूद सरकारों, निगमों एवं व्यक्तियों की प्रतिक्रिया, इन चुनौतियों का निदान करने के लिए वांछित स्तर से कहीं पीछे हैं। उन्हें समझाना तथा उनमें परिवर्तन लाना सहज नहीं है। आधारिक संरचनाओं की अपर्याप्पता तथा निधि का अभाव अन्य महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
पर्यावरण अध्ययन एक उद्गामी, प्रभावनीय और शानदार क्षेत्र है। पर्यावरण का सामाना करने वाली आज की चुनौतियों को पूरा करने के लिए नव प्रवर्तित सोच रखने वाले प्रशिक्षत व्यवसायियों तथा पर्यावरण से जुड़े मामलों के प्रति अति संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता है। इसलिए जो प्राकृतिक पर्यावरण में सुधार लाकर मानव जीवन स्तर में वृद्धि लाना चाहते हैं। उनके लिए यह क्षेत्र करिअर का उपयुक्त विकल्प है।
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