लेखक बनने में कोई स्कोप नहीं है.. क्या राइटिंग करके फैमिली मैनेज कर सकते हैं। अगर बैकग्राउंड अच्छा नहीं तो राइटिंग में सस्टेन करना मुश्किल है। आम धारणा है कि लेखन रईसों का पेशा है, जबकि सच्चाई यह नहीं है।
एक दशक तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कार्य करने के बाद लेखन की ओर मुड़े अनिल अनंतस्वामी का कहना है, ‘लेखक होने का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे आपकी एकाग्रता में विकास होता है। यदि आप दुनिया के बारे में कौतुहल रखते हैं तो लेखन आपको अपनी प्रतिक्रियाओं को सटीक तरीके से सामने रखने में मदद करता है।’ इसलिए यदि आप लेखन का प्रयास कर रहे हैं तो इसके लक्षण आपके जीवन की शुरुआत से ही दिख जाते हैं।
संभावित विकल्प
पत्रकारिता: एक पत्रकार के तौर पर कई स्तरों पर कार्य किया जा सकता है, जिनमें एक स्तंभकार, फ्रीलांस जर्नलिस्ट, एडिटर और सब एडिटर आदि प्रमुख होते हैं। इसके अलावा, एक रिपोर्टर या फोटोजर्नलिस्ट का कार्य भी होता है।
स्क्रिप्ट राइटिंग: लेखन का यह विकल्प उन लोगों के लिए आदर्श है, जो कौतुहल से जीवन के प्रत्येक पक्ष को देखते हैं। हालांकि, अपने लिखे हुए कार्य के व्यावसायिक पक्ष को हमेशा ध्यान में रखना होता है। इस कार्य में फिल्म लेखन आदि भी शामिल होते हैं।
स्क्रिप्ट राइटिंग: लेखन का यह विकल्प उन लोगों के लिए आदर्श है, जो कौतुहल से जीवन के प्रत्येक पक्ष को देखते हैं। हालांकि, अपने लिखे हुए कार्य के व्यावसायिक पक्ष को हमेशा ध्यान में रखना होता है। इस कार्य में फिल्म लेखन आदि भी शामिल होते हैं।
कॉपीराइटिंग: एडवर्टाइजर्स को उत्पाद की मार्केटिंग के लिए चुटीली टैगलाइन्स चाहिए होती हैं। यदि आपके अंदर अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर है और आप चुटीले संवाद भी खोज लेते हैं तो कॉपीराइटिंग आपके लिए एक आदर्श पेशा है। इस कार्य के लिए पैसा भी अच्छा मिलता है, लेकिन काम का दबाव भी अधिक होता है।
कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस: पर्सनल रिलेशंस इंडस्ट्री या कॉरपोरेट कम्युनिकेशन फर्म्स जैसे अपेक्षाकृत नए क्षेत्रों में लेखकों के लिए जगह है। कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस में मूलत: क्लाइंट्स या कस्टमर्स के लिए जरूरी डेटा को व्यवस्थित करना होता है। इसमें हैंडआउट्स, ब्रोशर्स, प्रेस रिलीज, नोटिफिकेशंस आदि लिखने होते हैं। कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का प्रमुख फोकस छवि निर्माण होता है, इसलिए यह जॉब खास है।
वेब कंटेंट: इंटरनेट की शुरुआत और प्रसिद्धि के साथ ही वेबसाइट कंटेंट के कार्य में भी लेखकों की भारी मांग उठी है। हालांकि, वेबसाइट कंटेंट लेखन में पाठकों को समझना होता है, चूंकि मॉनीटर पर लंबे और जटिल वाक्य पढ़ना और समझना कठिन होता है, इसलिए कंटेंट को चुस्त बनाना होता है। चूंकि अधिकांश पाठक कंटेंट को जल्दी समझना चाहते हैं, लिहाजा लेख को सबहेडिंग्स, बुलेट्स और सही पैराग्राफ्स में बांटना जरूरी होता है।
टेक्निकल/साइंटिफिक राइटिंग: गैजेट्स और उनकी तकनीकी विशेषताओं को सर्वसाधारण भाषा में समझाने वाले और तकनीकी सोच-समझ रखने वाले लेखकों की भी बहुत मांग है। वैज्ञानिक लेखन में शोधकर्ताओं से उनके आकलन को लिखने संबंधी सहयोग भी करना होता है। यह खासा चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के तथ्य एक दूसरे से विरोधाभासी नहीं लगने चाहिए।
घोस्ट राइटिंग: घोस्ट राइटर अन्य लोगों के लिए लेखन करके अपने हुनर को चमकाता है। इसका मतलब कि घोस्ट राइटर अन्य किसी व्यक्ति द्वारा बताए गए तथ्यों को करीने से लिखता है। इस कार्य में सिलेब्रिटीज की जीवनियां, संस्मरण, पुस्तकें, पत्रिकाओं के आलेख आदि शामिल हैं।
लेखन क्षेत्र में अंग्रेजी या जर्नलिज्म/मास कम्युनिकेशन में डिग्री की मदद से भी इस पेशे में नौकरी मिल जाती है। इसके अलावा, क्रिएटिव राइटिंग में पत्रचार कोर्स करके भी लेखन के पेशे में कदम रखा जा सकता है। उपरोक्त सभी विकल्पों के आधार पर इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन भी 10 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह मिल सकता है। अनुभव और मेहनत से कार्य करने पर वेतन कहीं अधिक हो सकता है।
यह भी ध्यान देना जरूरी है कि लेखन में एक कोर्स करने के बाद ही कार्य समाप्त नहीं हो जाता। अपने हुनर को चमकाने का कार्य हमेशा चलता रहता है। भाषा के बारे में कौतुहल बनाए रखना, संप्रेषण के नए तरीके और नए शब्द सीखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आम लेखन पढ़ना ही जरूरी नहीं, बल्कि विचार प्रधान लेखन पढ़ना अधिक जरूरी होता है। सामाजिक गतिविधियों के बारे में जानना भी जरूरी है।
यदि आप लेखन क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो इसके लिए प्रतिबद्धता और धैर्य की बहुत जरूरत होती है। इन गुणों को अपनाने के बाद आप देखेंगे कि आप अपने करियर के शीर्ष पर पहुंच चुके हैं।
क्रिएटिव राइटिंग
इग्नू (मास कम्युनिकेशन/जर्नलिज्म)
इग्नू (मास कम्युनिकेशन/जर्नलिज्म)
संस्थान
सेंट जेवियर्स, मुंबई
आईआईएमसी, दिल्ली
आईपी कॉलेज ऑफ गल्र्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी (जर्नलिज्म-ऑनर्स)
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
आईपी यूनिवर्सिटी, दिल्ली
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बंगलौर
सिम्बॉयसिस सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज, पुणे
सेंट्रल यूनिवर्सिटी
जय हिंद कॉलेज, मुंबई
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
आईआईएमसी, दिल्ली
आईपी कॉलेज ऑफ गल्र्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी (जर्नलिज्म-ऑनर्स)
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
आईपी यूनिवर्सिटी, दिल्ली
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बंगलौर
सिम्बॉयसिस सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज, पुणे
सेंट्रल यूनिवर्सिटी
जय हिंद कॉलेज, मुंबई
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
इंग्लिश/हिन्दी ऑनर्स
दिल्ली यूनिवर्सिटी
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (फॉरेन लैंग्वेज)
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
केंद्रीय हिन्दी संस्थान
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (फॉरेन लैंग्वेज)
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
केंद्रीय हिन्दी संस्थान
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