अर्थसाइंस
एक तरह से जियोलॉजी की ही अगली कड़ी है। इस कोर्स को बाजार की आवश्यकताओं
को ध्यान में रख कर ही तैयार किया गया है, इसलिए इसमें जॉब के विभिन्न
स्तरों पर अनेक संभावनाएं हैं। पृथ्वी के उद्गम, विकास और इसके अंदर और
बाहर चलने वाली हलचलों को जानना खासा रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई
जीवन है? चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और अन्य ग्रहों पर क्या संसाधन उपलब्ध
हैं? इनमें क्या बदलाव आ रहे हैं? सिकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों और
जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इस तरह की तमाम बातें और अनसुलझी
पहेलियों के बारे में डाटा एकत्र करने का काम भूवैज्ञानिक करते हैं, उसका
विश्लेषण करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करते हैं। आज जब
पूरे विश्व की धरती को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं, इसे समझने और उसकी
तह तक जाने के लिए ऐसे विशेषज्ञों की अच्छी-खासी जरूरत पड़ रही है। दिल्ली
विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में कुशल वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की मांग को
ध्यान में रखते हुए अर्थसाइंस का पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू किया
है। खास बात यह कि एमएससी इन अर्थसाइंस नाम से प्रचारित इस कोर्स में
प्रवेश का दरवाजा बारहवीं कक्षा के बाद ही खोला गया है। पांच साल के इस
कोर्स को पूरा करने के बाद सीधे करियर अपनाने या चुनने का मौका मिलता है।
इस कोर्स में पहले तीन साल स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है। इसके बाद सीधे एमएससी में दाखिला मिलता है। कुल 10 सेमेस्टर हैं। इसमें अर्थसाइंस के विविध पहलुओं जैसे भूभौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वातावरणीय विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और मृदा विज्ञान को व्यापक तौर पर पढ़ने व समझने का मौका मिलता है। महाद्वीपों के खिसकने, पर्वतों के बनने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं, वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है, पृथ्वी प्रणाली कैसे काम करती है, हमें औद्योगिक कूड़े का निपटान कैसे और कहां करना चाहिए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है, जिस तरह विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, ये सब चीजें अर्थसाइंस के अध्ययन क्षेत्र में है।
भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन, पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए सरकारी नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना या डाटाबेस उपलब्ध कराते हैं। कोर्स के दौरान खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भूजल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस व रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों को जानने और समझने का अवसर दिया जाता है। इनसे जुड़े क्षेत्रों में से एक क्षेत्र में छात्रों को आगे चल कर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। यह काम एमएससी स्तर पर होता है। एमएससी में चार पेपर थ्योरी के हैं। इसके अलावा कई पेपर वैकल्पिक हैं, जिसमें से छात्र किसी एक को चुन कर अपना करियर बना सकता है। कोर्स के दौरान छात्रों को दो तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। पहले स्तर पर हर साल छात्रों को फील्ड ट्रिप पर भेजा जाता है। एमएससी स्तर पर समर ट्रेनिंग और समर इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के अलावा डिजर्टेशन का काम पूरा करना होता है। यहां फील्ड वर्क के बहुत विकल्प हैं।
अर्थसाइंस की कई शाखाएं हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, जियोटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमॉसफेरिक साइंस, जियोहैजर्डस, क्लाइमेट चेंज, ओशनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लायड हाइड्रोजियोलॉजी, काटरेग्राफी और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम आदि प्रमुख हैं।
कोर्स के छात्र के लिए राज्य और केन्द्र सरकार में जियोलॉजिस्ट बनने के कई अवसर हैं। एमएससी पास छात्रों के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर जियोलॉजिस्ट की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड भी इस कोर्स के छात्रों को काम करने का अवसर मुहैया कराता है। इसमें हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के रूप में उसी स्केल पर नियुक्ति होती है, जिस स्केल पर जियोलॉजिस्ट की। इनके अलावा पीएचडी करने के बाद साइंटिस्ट पद पर भर्ती होती है। ये सभी पद ग्रेड ए स्तर के अधिकारी के हैं। रिसर्च संस्थाओं के अलावा आजकल निजी कंपनियों में एग्जिक्यूटिव के रूप में भी क्लास वन पद पर इसके विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं। ओएनजीसी, वेदांता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, ईएसएसआर, केर्न इंडिया जैसी कई कंपनियां हैं, जहां इनकी मांग है। पीएचडी करने वालों के लिए रिसर्च एसोसिएट और अध्यापन के भी मौके हैं। इसके अलावा इनकी मांग देश में जहां पेयजल के लिए काम हो रहा है या फिर सीमेंट, माइनिंग आदि के कामों में इस कोर्स के छात्रों की मांग है।
इसमें बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है। हंसराज कॉलेज इस कोर्स की कट ऑफ लिस्ट निकाल कर मेरिट के हिसाब से दाखिला देता है। आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले को कट ऑफ में 5 फीसदी की छूट दी जाती है। ओबीसी वर्ग के लिए कट ऑफ में दस फीसदी तक रियायत है।
इस कोर्स की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में होती है। हालांकि दाखिला हंसराज कॉलेज में हो रहा है। वहां छात्रों को मुख्य पेपर के लिए नहीं, बल्कि उसके साथ पढ़ाए जाने वाले स्पेशलाइजेशन पेपरों के लिए जाना होता है। मुख्य कोर्स की पढ़ाई और क्लास जियोलॉजी विभाग में होती है। कुल 25 सीटें हैं। विश्वविद्यालय में इसके अलावा जियोलॉजी ऑनर्स का कोर्स रामलाल आनंद कॉलेज में चलाया जा रहा है, लेकिन अर्थसाइंस का सिलेबस इससे थोड़ा भिन्न है। यह कोर्स इसके अलावा देश में आईआईटी खड़गपुर और रुड़की में चलाया जा रहा है।
• दिल्ली विश्वविद्यालय, हंसराज कॉलेज
• आईआईटी, खड़गपुर और रुड़की
• पांडिचेरी यूनिवसिटी, पुड्डुचेरी
• इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
क्या है कोर्स में?
इस कोर्स में पहले तीन साल स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है। इसके बाद सीधे एमएससी में दाखिला मिलता है। कुल 10 सेमेस्टर हैं। इसमें अर्थसाइंस के विविध पहलुओं जैसे भूभौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वातावरणीय विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और मृदा विज्ञान को व्यापक तौर पर पढ़ने व समझने का मौका मिलता है। महाद्वीपों के खिसकने, पर्वतों के बनने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं, वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है, पृथ्वी प्रणाली कैसे काम करती है, हमें औद्योगिक कूड़े का निपटान कैसे और कहां करना चाहिए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है, जिस तरह विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, ये सब चीजें अर्थसाइंस के अध्ययन क्षेत्र में है।
भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन, पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए सरकारी नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना या डाटाबेस उपलब्ध कराते हैं। कोर्स के दौरान खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भूजल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस व रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों को जानने और समझने का अवसर दिया जाता है। इनसे जुड़े क्षेत्रों में से एक क्षेत्र में छात्रों को आगे चल कर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। यह काम एमएससी स्तर पर होता है। एमएससी में चार पेपर थ्योरी के हैं। इसके अलावा कई पेपर वैकल्पिक हैं, जिसमें से छात्र किसी एक को चुन कर अपना करियर बना सकता है। कोर्स के दौरान छात्रों को दो तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। पहले स्तर पर हर साल छात्रों को फील्ड ट्रिप पर भेजा जाता है। एमएससी स्तर पर समर ट्रेनिंग और समर इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के अलावा डिजर्टेशन का काम पूरा करना होता है। यहां फील्ड वर्क के बहुत विकल्प हैं।
शाखाएं
अर्थसाइंस की कई शाखाएं हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, जियोटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमॉसफेरिक साइंस, जियोहैजर्डस, क्लाइमेट चेंज, ओशनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लायड हाइड्रोजियोलॉजी, काटरेग्राफी और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम आदि प्रमुख हैं।
अवसर हैं कहां
कोर्स के छात्र के लिए राज्य और केन्द्र सरकार में जियोलॉजिस्ट बनने के कई अवसर हैं। एमएससी पास छात्रों के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर जियोलॉजिस्ट की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड भी इस कोर्स के छात्रों को काम करने का अवसर मुहैया कराता है। इसमें हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के रूप में उसी स्केल पर नियुक्ति होती है, जिस स्केल पर जियोलॉजिस्ट की। इनके अलावा पीएचडी करने के बाद साइंटिस्ट पद पर भर्ती होती है। ये सभी पद ग्रेड ए स्तर के अधिकारी के हैं। रिसर्च संस्थाओं के अलावा आजकल निजी कंपनियों में एग्जिक्यूटिव के रूप में भी क्लास वन पद पर इसके विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं। ओएनजीसी, वेदांता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, ईएसएसआर, केर्न इंडिया जैसी कई कंपनियां हैं, जहां इनकी मांग है। पीएचडी करने वालों के लिए रिसर्च एसोसिएट और अध्यापन के भी मौके हैं। इसके अलावा इनकी मांग देश में जहां पेयजल के लिए काम हो रहा है या फिर सीमेंट, माइनिंग आदि के कामों में इस कोर्स के छात्रों की मांग है।
दाखिला कैसे
इसमें बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है। हंसराज कॉलेज इस कोर्स की कट ऑफ लिस्ट निकाल कर मेरिट के हिसाब से दाखिला देता है। आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले को कट ऑफ में 5 फीसदी की छूट दी जाती है। ओबीसी वर्ग के लिए कट ऑफ में दस फीसदी तक रियायत है।
फैक्ट फाइल
कोर्स कराने वाले संस्थान
इस कोर्स की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में होती है। हालांकि दाखिला हंसराज कॉलेज में हो रहा है। वहां छात्रों को मुख्य पेपर के लिए नहीं, बल्कि उसके साथ पढ़ाए जाने वाले स्पेशलाइजेशन पेपरों के लिए जाना होता है। मुख्य कोर्स की पढ़ाई और क्लास जियोलॉजी विभाग में होती है। कुल 25 सीटें हैं। विश्वविद्यालय में इसके अलावा जियोलॉजी ऑनर्स का कोर्स रामलाल आनंद कॉलेज में चलाया जा रहा है, लेकिन अर्थसाइंस का सिलेबस इससे थोड़ा भिन्न है। यह कोर्स इसके अलावा देश में आईआईटी खड़गपुर और रुड़की में चलाया जा रहा है।
• दिल्ली विश्वविद्यालय, हंसराज कॉलेज
• आईआईटी, खड़गपुर और रुड़की
• पांडिचेरी यूनिवसिटी, पुड्डुचेरी
• इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
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