वह
छात्र जिसे धरती के बारे में जानने की ललक हो, जमीनी सतह की खोजबीन करना
उसे अच्छा लगता हो और तरह-तरह की मिट्टियों व चट्टानों को तलाशकर उनकी
खूबियों में रुचि लेता हो तो उसके लिए भूगोल विषय को लेकर करिअर की राह पर
आगे बढऩा अपनी रुचियों के साथ न्याय करना होगा।
भूगोल के अंतर्गत धरती से जुड़े सभी भौतिक तत्वों और संरचनाओं का अध्ययन किया जाता है। पूरी दुनिया में भूगोल पर पिछली कई सदियों से शोध होते आ रहे हैं और आने वाले समय में भी भूगोल धरती को जानने समझने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहेगा। साहस और खोज से भरे इस क्षेत्र में करिअर बनाने का अर्थ है ऐसी जानकारियों से दो चार होना जो सामान्य लोगों को चौंका सकती हैं। इस क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए साहस होना जरूरी है; क्योंकि इससे संबंधित सभी कार्य किसी इमारत या कमरे के भीतर बैठकर नहीं हो सकते। भूगोल को जानने-समझने के लिए बाहरी दुनिया को तलाशना होगा। भूगोल को प्रोफेशन के रूप में अपनाने वाले इसे रुचियों से भरा क्षेत्र मानते हैं।
तीन शताब्दियों पुराना हो चुका यह विषय अभी भी ज्यादातर लोगों को भ्रमित करता है। लोग इसे विज्ञान की एक शाखा मानते हैं; लेकिन सच्चाई तो यह है कि भूगोल अपने आप में संपूर्ण विषय है। इसकी खुद की इतनी शाखाएं हैं जिनके बारे में जानने के लिए पूरी आयु भी कम पड़ सकती है। जानकारों के अनुसार भूगोल को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति इसलिए है क्योंकि अभी भी यह विषय गिनती के ही कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। आठवीं कक्षा तक तो छात्र इस विषय से थोड़े बहुत परिचित रहते हैं लेकिन इसके बाद विषयों से अलग-अलग शाखाओं में बंट जाने के कारण भूगोल सिर्फ विज्ञान के एक चैप्टर का हिस्सा बन जाता है।
भूगोल (जियोग्राफी) की मुख्य शाखाओं में इंजीनियरिंग जियोग्राफी, हिस्टोरिकल जियोग्राफी, हाइड्रो जियोग्राफी व पेट्रो जियोग्राफी मुख्य हैं। भूगोल की इन सभी शाखाओं में करिअर बनाने का अर्थ है धरती के गर्भ में व सतह पर छिपे रहस्यों को उजागर करना। इंजीनियरिंग जियोग्राफी के अंतर्गत वह सभी इंजीनियरिंग ऑपरेशन दिखाए जाते हैं जो धरती को परखने के लिए जरूरी हैं। हिस्टोरिकल जियोग्राफी में धरती के इतिहास को समझाया जाता है साथ ही धरती की सतह में होने वाले बदलाव और इसके निर्माण के इतिहास की भी जानकारी दी जाती है। हाइड्रो जियोग्राफी में ग्राउंड वॉटर से संबंधित अध्ययन कराया जाता है। पेट्रो जियोग्राफी में चट्टानों के निर्माण से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इन सभी जानकारियों के आधार पर धरती को समझने का प्रयास करते हुए इस क्षेत्र में करिअर बनाना रोजगार के साथ नाम व शोहरत भी दिलाता है।
एक समय तक जियोलॉजिस्ट की मांग सिर्फ सरकारी विभागों में ही रहती थी। प्राइवेट सेक्टर का इससे कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे माइनिंग सेक्टर व वातावरण से जुड़े शोधकार्यों में प्राइवेट सेक्टर का प्रवेश होने के कारण अब जियोलॉजिस्ट की मांग काफी ज्यादा है। जियोलॉजिस्ट की डिमांड इस समय सप्लाई से कहीं ज्यादा है। जिसका मतलब है श्योर और सुरक्षित करिअर। बतौर जियोलॉजिस्ट आप माइनिंग, ऑयल एक्स्प्लोरेशन, सेरेमिक्स, सीमेंट, कंस्ट्रक्शन, इको टूरिज्म, इन्वायरमेंटल मॉनिटरिंग, लैंड सर्वेग, ग्राउंड वॉटर एक्स्प्लोरेशन, वॉटरशेड मैनेजमेंट आदि कार्यों में करिअर बना सकते हैं। इस समय ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं जहां धरती से जुड़ा कार्य न हो रहा हो। ग्लोबल वार्मिंग के प्रकोप ने धरती को सुरक्षित करने के कई तरीके ईजाद कर दिये हैं। इन सभी तरीकों में जियोलॉजिस्ट की विशेष भूमिका रहती है।
जियोलॉजिस्ट के करिअर में ज्यादातर फील्डवर्क ही होता है। इनमें मैपिंग से जुड़े असाइनमेंट शामिल रहते हैं। कभी-कभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भारत का जियोलॉजिकल सर्वे कराती हैं। इस सर्वे में जियोलॉजिस्ट की पूरी टीम लगाई जाती है। साल में 6 से 8 महीने तक यह टीम पूरे देश का भ्रमण करती है और हर राज्य का अलग-अलग भौगोलिक नक्शा तैयार करती है। फील्ड जॉब से जुड़े कामों में प्राकृतिक तेल की खोज और इसे धरती के गर्भ से निकालने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करने की जिम्मेदारी भी जियोलॉजिस्ट की ही होती है।
इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए छात्रों की फिजिकल फिटनेस अच्छी होनी चाहिए। जो छात्र इस क्षेत्र में करिअर बनाने के इच्छुक हैं उन्हें दिमागी रूप से इस बात के लिए तैयार रहना चािहए कि उन्हें ज्यादातर समय घर से बाहर ही बिताना है। इन सभी के साथ भौतिक, रसायन व गणित विषय की जानकारी भी इस क्षेत्र में लाभदायक हो सकती है। हालांकि इस क्षेत्र में भूगोल विषय से डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करने वालों को वरीयता दी जाती है। लेकिन फिर भी यदि विज्ञान के इन विषयों की थोड़ी बहुत समझ है तो यह सोने पर सुहागा जैसा होता है। योग्यता : फुल टाइम रिसर्च से जुडऩे के लिए एमएससी की डिग्री होनी चाहिए। स्नातक में भूगोल विषय होना एमएससी के लिए लाभदायक होता है। इस विषय से पीएचडी करने वाले सीधे नामी शोध संस्थानों का हिस्सा बनते हैं। पीजी डिग्री के बाद रोजगार मिलने पर जियोलॉजिस्ट की शुरुआती आय 40-50 हजार रुपये महीने हो सकती है। इंडस्ट्री में स्थापित होने के बाद आय की कोई सीमा नहीं है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने की विशेष योग्यता, विषय में रुचि होना है। भूगोल को सिर्फ विषय के रूप में न लेकर इसकी जमीन से जुड़कर इसे जानें और फिर यह विषय आपको इतना रोचक लगने लगेगा कि इसके अलावा किसी अन्य विषय के बारे में आपको विचार आने बंद हो जाएंगे।
प्रमुख संस्थान
• वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालया जियोलॉजी
• नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टीच्यूट, हैदराबाद
• फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, अहमदाबाद
• नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओशोनोग्राफी, गोआ
• आईआईटी खडग़पुर
• आईआईटी रुड़की
• आईआईटी बॉम्बे
• दिल्ली यूनिवर्सिटी
• मुंबई यूनिवर्सिटी
• एमएस यूनिवर्सिटी, बड़ौदाह्न
भूगोल के अंतर्गत धरती से जुड़े सभी भौतिक तत्वों और संरचनाओं का अध्ययन किया जाता है। पूरी दुनिया में भूगोल पर पिछली कई सदियों से शोध होते आ रहे हैं और आने वाले समय में भी भूगोल धरती को जानने समझने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहेगा। साहस और खोज से भरे इस क्षेत्र में करिअर बनाने का अर्थ है ऐसी जानकारियों से दो चार होना जो सामान्य लोगों को चौंका सकती हैं। इस क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए साहस होना जरूरी है; क्योंकि इससे संबंधित सभी कार्य किसी इमारत या कमरे के भीतर बैठकर नहीं हो सकते। भूगोल को जानने-समझने के लिए बाहरी दुनिया को तलाशना होगा। भूगोल को प्रोफेशन के रूप में अपनाने वाले इसे रुचियों से भरा क्षेत्र मानते हैं।
तीन शताब्दियों पुराना हो चुका यह विषय अभी भी ज्यादातर लोगों को भ्रमित करता है। लोग इसे विज्ञान की एक शाखा मानते हैं; लेकिन सच्चाई तो यह है कि भूगोल अपने आप में संपूर्ण विषय है। इसकी खुद की इतनी शाखाएं हैं जिनके बारे में जानने के लिए पूरी आयु भी कम पड़ सकती है। जानकारों के अनुसार भूगोल को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति इसलिए है क्योंकि अभी भी यह विषय गिनती के ही कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। आठवीं कक्षा तक तो छात्र इस विषय से थोड़े बहुत परिचित रहते हैं लेकिन इसके बाद विषयों से अलग-अलग शाखाओं में बंट जाने के कारण भूगोल सिर्फ विज्ञान के एक चैप्टर का हिस्सा बन जाता है।
भूगोल (जियोग्राफी) की मुख्य शाखाओं में इंजीनियरिंग जियोग्राफी, हिस्टोरिकल जियोग्राफी, हाइड्रो जियोग्राफी व पेट्रो जियोग्राफी मुख्य हैं। भूगोल की इन सभी शाखाओं में करिअर बनाने का अर्थ है धरती के गर्भ में व सतह पर छिपे रहस्यों को उजागर करना। इंजीनियरिंग जियोग्राफी के अंतर्गत वह सभी इंजीनियरिंग ऑपरेशन दिखाए जाते हैं जो धरती को परखने के लिए जरूरी हैं। हिस्टोरिकल जियोग्राफी में धरती के इतिहास को समझाया जाता है साथ ही धरती की सतह में होने वाले बदलाव और इसके निर्माण के इतिहास की भी जानकारी दी जाती है। हाइड्रो जियोग्राफी में ग्राउंड वॉटर से संबंधित अध्ययन कराया जाता है। पेट्रो जियोग्राफी में चट्टानों के निर्माण से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इन सभी जानकारियों के आधार पर धरती को समझने का प्रयास करते हुए इस क्षेत्र में करिअर बनाना रोजगार के साथ नाम व शोहरत भी दिलाता है।
एक समय तक जियोलॉजिस्ट की मांग सिर्फ सरकारी विभागों में ही रहती थी। प्राइवेट सेक्टर का इससे कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे माइनिंग सेक्टर व वातावरण से जुड़े शोधकार्यों में प्राइवेट सेक्टर का प्रवेश होने के कारण अब जियोलॉजिस्ट की मांग काफी ज्यादा है। जियोलॉजिस्ट की डिमांड इस समय सप्लाई से कहीं ज्यादा है। जिसका मतलब है श्योर और सुरक्षित करिअर। बतौर जियोलॉजिस्ट आप माइनिंग, ऑयल एक्स्प्लोरेशन, सेरेमिक्स, सीमेंट, कंस्ट्रक्शन, इको टूरिज्म, इन्वायरमेंटल मॉनिटरिंग, लैंड सर्वेग, ग्राउंड वॉटर एक्स्प्लोरेशन, वॉटरशेड मैनेजमेंट आदि कार्यों में करिअर बना सकते हैं। इस समय ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं जहां धरती से जुड़ा कार्य न हो रहा हो। ग्लोबल वार्मिंग के प्रकोप ने धरती को सुरक्षित करने के कई तरीके ईजाद कर दिये हैं। इन सभी तरीकों में जियोलॉजिस्ट की विशेष भूमिका रहती है।
जियोलॉजिस्ट के करिअर में ज्यादातर फील्डवर्क ही होता है। इनमें मैपिंग से जुड़े असाइनमेंट शामिल रहते हैं। कभी-कभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भारत का जियोलॉजिकल सर्वे कराती हैं। इस सर्वे में जियोलॉजिस्ट की पूरी टीम लगाई जाती है। साल में 6 से 8 महीने तक यह टीम पूरे देश का भ्रमण करती है और हर राज्य का अलग-अलग भौगोलिक नक्शा तैयार करती है। फील्ड जॉब से जुड़े कामों में प्राकृतिक तेल की खोज और इसे धरती के गर्भ से निकालने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करने की जिम्मेदारी भी जियोलॉजिस्ट की ही होती है।
इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए छात्रों की फिजिकल फिटनेस अच्छी होनी चाहिए। जो छात्र इस क्षेत्र में करिअर बनाने के इच्छुक हैं उन्हें दिमागी रूप से इस बात के लिए तैयार रहना चािहए कि उन्हें ज्यादातर समय घर से बाहर ही बिताना है। इन सभी के साथ भौतिक, रसायन व गणित विषय की जानकारी भी इस क्षेत्र में लाभदायक हो सकती है। हालांकि इस क्षेत्र में भूगोल विषय से डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करने वालों को वरीयता दी जाती है। लेकिन फिर भी यदि विज्ञान के इन विषयों की थोड़ी बहुत समझ है तो यह सोने पर सुहागा जैसा होता है। योग्यता : फुल टाइम रिसर्च से जुडऩे के लिए एमएससी की डिग्री होनी चाहिए। स्नातक में भूगोल विषय होना एमएससी के लिए लाभदायक होता है। इस विषय से पीएचडी करने वाले सीधे नामी शोध संस्थानों का हिस्सा बनते हैं। पीजी डिग्री के बाद रोजगार मिलने पर जियोलॉजिस्ट की शुरुआती आय 40-50 हजार रुपये महीने हो सकती है। इंडस्ट्री में स्थापित होने के बाद आय की कोई सीमा नहीं है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने की विशेष योग्यता, विषय में रुचि होना है। भूगोल को सिर्फ विषय के रूप में न लेकर इसकी जमीन से जुड़कर इसे जानें और फिर यह विषय आपको इतना रोचक लगने लगेगा कि इसके अलावा किसी अन्य विषय के बारे में आपको विचार आने बंद हो जाएंगे।
प्रमुख संस्थान
• वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालया जियोलॉजी
• नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टीच्यूट, हैदराबाद
• फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, अहमदाबाद
• नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओशोनोग्राफी, गोआ
• आईआईटी खडग़पुर
• आईआईटी रुड़की
• आईआईटी बॉम्बे
• दिल्ली यूनिवर्सिटी
• मुंबई यूनिवर्सिटी
• एमएस यूनिवर्सिटी, बड़ौदाह्न
No comments:
Post a Comment