प्रोफेशनल और ऑफबीट कोर्सों की भरमार के बीच कई ऐसे परंपरागत
क्षेत्र भी हैं, जो न सिर्फ अपनी चमक बरकरार रखे हुए हैं, बल्कि समय के
अनुरूप अपने सिलेबस व कोर्स स्ट्रक्चर में बदलाव लाकर छात्रों के आकर्षण का
केंद्र बने हुए हैं। रोजगार देने के मामले में भी इनका कोई सानी नहीं है।
उन्हीं प्रचलित क्षेत्रों में से एक मैथमेटिक्स (गणित) भी है। देश में
मैथमेटिक्स की पुरानी परम्परा रही है। सबसे पुराने लिखित रिकॉर्डों से भी
ऐसे चित्र मिले हैं, जो मूल गणित के ज्ञान की ओर इशारा करते हैं। तारों के
आधार पर समय के मापन की बात को स्पष्ट करते हैं। यह एक ऐसा विषय क्षेत्र
है, जिसकी जरूरत पढ़ाई के शुरुआती दिनों से ही पड़ती है।
सही मायने में देखा जाए तो मैथमेटिक्स दैनिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं में इसका बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। आने वाले समय में भी इसकी जरूरत कम न होकर बढ़ती ही जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी तीन वर्षों में अधिक संख्या में मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी।
कब रख सकते हैं कदम
आमतौर पर इससे संबंधित कोर्स बारहवीं (मैथ्स) के पश्चात ही किए जा सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक डिमांड बैचलर कोर्स के बाद किए जाने वाले कोर्सों की है। बारहवीं के पश्चात जहां बीए/बीएससी (मैथ्स) अथवा बी मैथ में प्रवेश मिलता है, वहीं बैचलर के पश्चात एमए/एमएससी ( मैथ्स) अथवा एममैथ में दाखिला ले सकते हैं। मास्टर के पश्चात पीएचडी की राह आसान हो जाती है। इससे संबंधित बीटेक और इंट्रिग्रेटेड कोर्स भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। ये बारहवीं के पश्चात किए जाते हैं।
प्रवेश पाने का आधार
कई ऐसे नामी-गिरामी संस्थान हैं, जो विभिन्न कोर्सो के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन करते हैं। यह परीक्षा हर साल आयोजित की जाती है, जबकि कई संस्थान मेरिट के आधार पर प्रवेश दे देते हैं। कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश देने से पहले बारहवीं में उच्च प्रतिशत अंकों की डिमांड करते हैं।
प्रमुख कोर्स एवं अवधि
बीए/बीएससी (मैथ) तीन वर्षीय
बीमैथ तीन वर्षीय
बीटेक चार वर्षीय
एमए/एमएससी (मैथ) दो वर्षीय
एममैथ दो वर्षीय
एमटेक दो वर्षीय
पीएचडी तीन वर्षीय
आवश्यक स्किल्स
क्रिटिकल थिंकिंग
प्रॉब्लम सॉल्विंग
एनालिटिकल थिंकिंग
क्वांटिटेटिव रीजनिंग
कम्युनिकेशन स्किल्स
टाइम मैनेजमेंट
रोजगार की संभावनाएं
बैचलर अथवा मास्टर के पश्चात रोजगार के कई अवसर सामने आते हैं। कई सरकारी व प्राइवेट विभाग अपने यहां मैथमेटिक्स का कोर्स करने वाले लोगों को रोजगार देते हैं। टेलीविजन नेटवर्क फर्म, फाइनेंस या इंश्योरेंस कंपनी, फार्मास्यूटिकल एजेंसी, केमिकल इंडस्ट्रियल यूनिट आदि जगहों पर डिजाइन, एनालिसिस, सर्वे आदि काम के लिए मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स को रखा जाता है। मार्केट रिसर्च, फाइनेंशियल एनालिसिस, कैपिटल मार्केट्स, एक्चूरियल सर्विस में भी संभावनाएं हैं। देश के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में टीचिंग व रिसर्च के रूप में विकल्प सामने आता है। कुछ लोग विदेश (अमेरिका, यूके व चीन आदि) जाकर सेवा देते हैं तो कुछ खुद का कोचिंग अथवा संस्थान खोलकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सेलरी
शुरुआती दौर में प्रोफेशनल्स को 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह की सेलरी मिलती है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, सेलरी में भी इजाफा होता जाता है। आज ऐसे कई प्रोफेशनल्स हैं, जो इस क्षेत्र में चार-पांच साल के अनुभव के पश्चात 80-90 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रहे हैं। यदि टीचिंग के प्रोफेशन में हैं तो भी उन्हें हर माह 60-70 हजार रुपए आसानी से मिल रहे हैं। खुद का सेटअप लगाने, विदेशों में काम करने के दौरान अथवा रिसर्चर की भूमिका में सेलरी की कोई निश्चित सीमा नहीं होती।
इस रूप में अवसर
चार्टर्ड एकाउंटेंट- चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम एकाउंटिंग, ऑडिटिंग व टैक्सेशन से जुडम होता है। अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि के चलते फाइनेंस एवं एकाउंट से जुड़े क्षेत्रों में बहार आ गई है। मैथ्स सब्जेक्ट इसमें काफी मददगार साबित होता है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर- सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का काम सॉफ्टवेयर डिजाइन करना व उसे डेवलप करना होता है। इस काम में वे कम्यूटर साइंस व मैथ्स की थ्योरी व उनके सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए अगले 10 वर्षों में काफी संभावनाएं आने वाली हैं।
ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट- ऑपरेशन रिसर्च को एप्लाइड मैथ्स और फॉर्मल साइंस की एक शाखा के रूप में ही समझा जा सकता है। इसमें आधुनिक तार्किक विधियों (मैथमेटिकल मॉडलिंग, स्टैटिस्टिकल एनालिसिस एवं मैथमेटिकल ऑप्टिमाइजेशन) का प्रयोग किया जाता है। ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट इन्हीं आधुनिक विधियों के जरिए मैनेजर को सही निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव देते हैं।
बैंकिंग- बैंकिंग सेक्टर में भी मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। कोर्स के पश्चात वे एकाउंटेंट, कस्टमर सर्विस, फ्रंट डेस्क, कैश हैंडलिंग, एकाउंट ओपनिंग, करंट एकाउंट, सेविंग एकाउंट, लोन प्रोसेसिंग ऑफिसर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, रिकवरी ऑफिसर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। इन सभी में मैथमेटिकल स्किल्स का होना जरूरी है।
मैथमेटिशियन- मैथमेटिशियन का संबंध ऐसे प्रोफेशनल्स से है, जो मैथ्स के आधारभूत क्षेत्रों का अध्ययन या शोध संबंधी कार्य करते हैं। इसके अलावा ये लॉजिक, स्पेस, ट्रांसफार्मेशन, नंबर आदि समस्याओं का निर्धारण करते हैं।
टीचर- यदि आपके पास संबंधित विषय क्षेत्र की अच्छी समझ है तो टीचिंग का क्षेत्र बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। स्कूलों में भी मैथ्स टीचरों की डिमांड हमेशा रहती है। ऐसे कई मैथ्स टीचर हैं, जो कोचिंग व टय़ूशन के रूप में अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
कम्प्यूटर सिस्टम एनालिस्ट- इससे संबंधित प्रोफेशनल्स आईटी टूल्स का उपयोग करते हुए किसी भी एंटरप्राइजेज को लक्ष्य साधने में मदद पहुंचाते हैं। ज्यादातर सिस्टम एनालिस्ट अपना काम एक विशेष कम्प्यूटर अथवा सॉफ्टवेयर के जरिए करते हैं। इसका सीधा फायदा संस्थान को पहुंचता है।
एजुकेशन लोन
पैसे की कमी छात्रों के आड़े न आए, इसके लिए एजुकेशन लोन का प्रावधान है। कई राष्ट्रीयकृत बैंक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लोन देते हैं। देश व विदेश के लिए यह राशि अलग होती है। छात्रों को इसके लिए ऑफर लेटर, फीस व हॉस्टल के खर्च का ब्योरा व गारंटर के साथ बैंक में संपर्क करना होता है।
एक्सपर्ट व्यू
अपना कांसेप्ट क्लीयर रखना होगा
मैथमेटिक्स एक ऐसा विषय है, जिसका हर जगह इस्तेमाल होता है। यह सब्जेक्ट जितना आसान दिखता है, वास्तव में उतना आसान है नहीं। इसमें तभी आनंद आता है, जब छात्र अपना कांसेप्ट क्लीयर रखें। ये सारी चीजें मेहनत के बाद ही हासिल हो पाती हैं। पहले की अपेक्षा छात्रों का रुझान मैथमेटिक्स की ओर बढ़ा है। खासकर लड़कियों की बड़ी जमात इस सब्जेक्ट की ओर आकर्षित हुई है। आज लड़कों की तुलना में उनकी संख्या बराबर है। अक्सर लोग सांख्यिकी और मैथ्स को एक ही मान बैठते हैं, जबकि दोनों में काफी अंतर है। सांख्यिकी पूरी तरह से मैथ्स पर आधारित है। बिना मैथ्स के सांख्यिकी का कोई वजूद नहीं है। जो भी छात्र इस क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं, उन्हें मन में इस बात की गांठ बांध लेनी होगी कि इसमें जी तोडम् मेहनत के बल पर ही आगे की राह आसान होगी। एक बार सही तरीके से कोर्स कर लिया तो फिर उन्हें बुलंदी तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता।
प्रो. राधेश्याम श्रीवास्तव
पूर्व हेड, मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट, डीडीयू गोरखपुर
फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीटय़ूट, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.isid.ac.in
(कोलकाता, बेंगलुरू, चेन्नई व तेजपुर आदि कई जगहों पर सेंटर मौजूद)
चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीटय़ूट, चेन्नई
वेबसाइट- www.cmi.ac.in
द इंस्टीटय़ूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेज, चेन्नई
वेबसाइट- www.imsc.res.in
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बेंगलुरू
वेबसाइट- www.tifr.res.in
हरीशचन्द्र रिसर्च इंस्टीटय़ूट, इलाहाबाद
वेबसाइट- www.hri.res.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू
वेबसाइट- www.iisc.ernet.in
इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद
वेबसाइट- www.ismdhanbad.ac.in
सेंट स्टीफन्स कॉलेज, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.ststephens.edu
सही मायने में देखा जाए तो मैथमेटिक्स दैनिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं में इसका बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। आने वाले समय में भी इसकी जरूरत कम न होकर बढ़ती ही जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी तीन वर्षों में अधिक संख्या में मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी।
कब रख सकते हैं कदम
आमतौर पर इससे संबंधित कोर्स बारहवीं (मैथ्स) के पश्चात ही किए जा सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक डिमांड बैचलर कोर्स के बाद किए जाने वाले कोर्सों की है। बारहवीं के पश्चात जहां बीए/बीएससी (मैथ्स) अथवा बी मैथ में प्रवेश मिलता है, वहीं बैचलर के पश्चात एमए/एमएससी ( मैथ्स) अथवा एममैथ में दाखिला ले सकते हैं। मास्टर के पश्चात पीएचडी की राह आसान हो जाती है। इससे संबंधित बीटेक और इंट्रिग्रेटेड कोर्स भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। ये बारहवीं के पश्चात किए जाते हैं।
प्रवेश पाने का आधार
कई ऐसे नामी-गिरामी संस्थान हैं, जो विभिन्न कोर्सो के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन करते हैं। यह परीक्षा हर साल आयोजित की जाती है, जबकि कई संस्थान मेरिट के आधार पर प्रवेश दे देते हैं। कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश देने से पहले बारहवीं में उच्च प्रतिशत अंकों की डिमांड करते हैं।
प्रमुख कोर्स एवं अवधि
बीए/बीएससी (मैथ) तीन वर्षीय
बीमैथ तीन वर्षीय
बीटेक चार वर्षीय
एमए/एमएससी (मैथ) दो वर्षीय
एममैथ दो वर्षीय
एमटेक दो वर्षीय
पीएचडी तीन वर्षीय
आवश्यक स्किल्स
क्रिटिकल थिंकिंग
प्रॉब्लम सॉल्विंग
एनालिटिकल थिंकिंग
क्वांटिटेटिव रीजनिंग
कम्युनिकेशन स्किल्स
टाइम मैनेजमेंट
रोजगार की संभावनाएं
बैचलर अथवा मास्टर के पश्चात रोजगार के कई अवसर सामने आते हैं। कई सरकारी व प्राइवेट विभाग अपने यहां मैथमेटिक्स का कोर्स करने वाले लोगों को रोजगार देते हैं। टेलीविजन नेटवर्क फर्म, फाइनेंस या इंश्योरेंस कंपनी, फार्मास्यूटिकल एजेंसी, केमिकल इंडस्ट्रियल यूनिट आदि जगहों पर डिजाइन, एनालिसिस, सर्वे आदि काम के लिए मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स को रखा जाता है। मार्केट रिसर्च, फाइनेंशियल एनालिसिस, कैपिटल मार्केट्स, एक्चूरियल सर्विस में भी संभावनाएं हैं। देश के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में टीचिंग व रिसर्च के रूप में विकल्प सामने आता है। कुछ लोग विदेश (अमेरिका, यूके व चीन आदि) जाकर सेवा देते हैं तो कुछ खुद का कोचिंग अथवा संस्थान खोलकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सेलरी
शुरुआती दौर में प्रोफेशनल्स को 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह की सेलरी मिलती है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, सेलरी में भी इजाफा होता जाता है। आज ऐसे कई प्रोफेशनल्स हैं, जो इस क्षेत्र में चार-पांच साल के अनुभव के पश्चात 80-90 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रहे हैं। यदि टीचिंग के प्रोफेशन में हैं तो भी उन्हें हर माह 60-70 हजार रुपए आसानी से मिल रहे हैं। खुद का सेटअप लगाने, विदेशों में काम करने के दौरान अथवा रिसर्चर की भूमिका में सेलरी की कोई निश्चित सीमा नहीं होती।
इस रूप में अवसर
चार्टर्ड एकाउंटेंट- चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम एकाउंटिंग, ऑडिटिंग व टैक्सेशन से जुडम होता है। अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि के चलते फाइनेंस एवं एकाउंट से जुड़े क्षेत्रों में बहार आ गई है। मैथ्स सब्जेक्ट इसमें काफी मददगार साबित होता है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर- सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का काम सॉफ्टवेयर डिजाइन करना व उसे डेवलप करना होता है। इस काम में वे कम्यूटर साइंस व मैथ्स की थ्योरी व उनके सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए अगले 10 वर्षों में काफी संभावनाएं आने वाली हैं।
ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट- ऑपरेशन रिसर्च को एप्लाइड मैथ्स और फॉर्मल साइंस की एक शाखा के रूप में ही समझा जा सकता है। इसमें आधुनिक तार्किक विधियों (मैथमेटिकल मॉडलिंग, स्टैटिस्टिकल एनालिसिस एवं मैथमेटिकल ऑप्टिमाइजेशन) का प्रयोग किया जाता है। ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट इन्हीं आधुनिक विधियों के जरिए मैनेजर को सही निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव देते हैं।
बैंकिंग- बैंकिंग सेक्टर में भी मैथमेटिक्स प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। कोर्स के पश्चात वे एकाउंटेंट, कस्टमर सर्विस, फ्रंट डेस्क, कैश हैंडलिंग, एकाउंट ओपनिंग, करंट एकाउंट, सेविंग एकाउंट, लोन प्रोसेसिंग ऑफिसर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, रिकवरी ऑफिसर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। इन सभी में मैथमेटिकल स्किल्स का होना जरूरी है।
मैथमेटिशियन- मैथमेटिशियन का संबंध ऐसे प्रोफेशनल्स से है, जो मैथ्स के आधारभूत क्षेत्रों का अध्ययन या शोध संबंधी कार्य करते हैं। इसके अलावा ये लॉजिक, स्पेस, ट्रांसफार्मेशन, नंबर आदि समस्याओं का निर्धारण करते हैं।
टीचर- यदि आपके पास संबंधित विषय क्षेत्र की अच्छी समझ है तो टीचिंग का क्षेत्र बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। स्कूलों में भी मैथ्स टीचरों की डिमांड हमेशा रहती है। ऐसे कई मैथ्स टीचर हैं, जो कोचिंग व टय़ूशन के रूप में अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
कम्प्यूटर सिस्टम एनालिस्ट- इससे संबंधित प्रोफेशनल्स आईटी टूल्स का उपयोग करते हुए किसी भी एंटरप्राइजेज को लक्ष्य साधने में मदद पहुंचाते हैं। ज्यादातर सिस्टम एनालिस्ट अपना काम एक विशेष कम्प्यूटर अथवा सॉफ्टवेयर के जरिए करते हैं। इसका सीधा फायदा संस्थान को पहुंचता है।
एजुकेशन लोन
पैसे की कमी छात्रों के आड़े न आए, इसके लिए एजुकेशन लोन का प्रावधान है। कई राष्ट्रीयकृत बैंक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लोन देते हैं। देश व विदेश के लिए यह राशि अलग होती है। छात्रों को इसके लिए ऑफर लेटर, फीस व हॉस्टल के खर्च का ब्योरा व गारंटर के साथ बैंक में संपर्क करना होता है।
एक्सपर्ट व्यू
अपना कांसेप्ट क्लीयर रखना होगा
मैथमेटिक्स एक ऐसा विषय है, जिसका हर जगह इस्तेमाल होता है। यह सब्जेक्ट जितना आसान दिखता है, वास्तव में उतना आसान है नहीं। इसमें तभी आनंद आता है, जब छात्र अपना कांसेप्ट क्लीयर रखें। ये सारी चीजें मेहनत के बाद ही हासिल हो पाती हैं। पहले की अपेक्षा छात्रों का रुझान मैथमेटिक्स की ओर बढ़ा है। खासकर लड़कियों की बड़ी जमात इस सब्जेक्ट की ओर आकर्षित हुई है। आज लड़कों की तुलना में उनकी संख्या बराबर है। अक्सर लोग सांख्यिकी और मैथ्स को एक ही मान बैठते हैं, जबकि दोनों में काफी अंतर है। सांख्यिकी पूरी तरह से मैथ्स पर आधारित है। बिना मैथ्स के सांख्यिकी का कोई वजूद नहीं है। जो भी छात्र इस क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं, उन्हें मन में इस बात की गांठ बांध लेनी होगी कि इसमें जी तोडम् मेहनत के बल पर ही आगे की राह आसान होगी। एक बार सही तरीके से कोर्स कर लिया तो फिर उन्हें बुलंदी तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता।
प्रो. राधेश्याम श्रीवास्तव
पूर्व हेड, मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट, डीडीयू गोरखपुर
फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीटय़ूट, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.isid.ac.in
(कोलकाता, बेंगलुरू, चेन्नई व तेजपुर आदि कई जगहों पर सेंटर मौजूद)
चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीटय़ूट, चेन्नई
वेबसाइट- www.cmi.ac.in
द इंस्टीटय़ूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेज, चेन्नई
वेबसाइट- www.imsc.res.in
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बेंगलुरू
वेबसाइट- www.tifr.res.in
हरीशचन्द्र रिसर्च इंस्टीटय़ूट, इलाहाबाद
वेबसाइट- www.hri.res.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू
वेबसाइट- www.iisc.ernet.in
इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद
वेबसाइट- www.ismdhanbad.ac.in
सेंट स्टीफन्स कॉलेज, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.ststephens.edu
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