पिछले कुछ दशक में वैश्विक स्तर पर पर्यावरण काफी प्रदूषित हुआ है। प्रदूषण की यह रफ्तार बढ़ती ही जा रही है, लेकिन अब इसके दुष्प्रभाव की वजह से लोग पर्यावरण के प्रति काफी सजग होने लगे हैं। वैज्ञानिक और रिसर्च इंस्टीट्यूट पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को रोकने और इसके दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग पर्यावरण के इन्हीं बदलावों और सुधारों पर केंद्रित पाठ्यक्रम है।
विषय की प्रकृति
इंजीनियरिंग की इस शाखा में पर्यावरण और उससे जुड़े मुद्दों पर काम किया जाता है। यह विज्ञान और इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। एनवॉयरमेंटल इंजीनियर पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मददगार हैं। एनवॉयरमेंटल इंजीनियर मुख्यत: ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत, अम्लीय वर्षा आदि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नई खोजों में जुटे रहते हैं और नई तकनीकों को अमल में लाकर स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण में सहयोग करते हैं। ग्रीन बिल्डिंग, रूफ टॉप गार्डन और सिंचाई, वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट, रिफाइनरियों से निकलने वाली हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने का प्रयास आदि कार्य भी ऐसे प्रोफेशनल करते हैं।
पाठ्यक्रम कैसे-कैसे
एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए इससे संबंधित बैचलर और मास्टर डिग्री कर सकते हैं। देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग संस्थानों में इससे संबंधित बैचलर और मास्टर डिग्री उपलब्ध हैं, जैसे बीएससी इन एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग, बीई/टेक इन एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग, एमटेक इन एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग, एमई/एमटेक इन एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग आदि। इस क्षेत्र में पब्लिक हेल्थ, इंडस्ट्रियल हाइजीन, रेडिएशन प्रोटेक्शन, एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, वेस्टवाटर मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल, टॉक्सिक मैटेरियल्स कंट्रोल, जियो-एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग आदि में विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है।
शैक्षणिक योग्यता
एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग के बैचलर कोर्स में दाखिले के लिए विज्ञान विषयों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है, जबकि मास्टर कोर्स में दाखिले के लिए न्यूनतम योग्यता है एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री आदि।
प्रवेश प्रक्रिया
इस क्षेत्र में कोर्स कराने वाले विश्वविद्यालय और संस्थान प्रवेश परीक्षा के जरिए नामांकन करते हैं। प्रवेश परीक्षा में आम तौर पर 12वीं के विज्ञान विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं।
अवसर कहां-कहां
पर्यावरणीय सक्रियता के कारण पर्यावरण संबंधी शोध कार्यों में तेजी आई है। ऐसे में जिस तरह से पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जोर-शोर से काम किया जा रहा है, यह क्षेत्र युवाओं के लिए नौकरी की असीम संभावनाएं उपलब्ध करा रहा है। चूंकि यह इंजीनियरिंग की परंपरागत शाखाओं से अलग है, इस वजह से इस क्षेत्र में अब भी कुशल पेशेवरों की काफी कमी है।
प्रमुख संस्थान
गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी (यूपी टेक्निकल यूनिवर्सिटी), लखनऊ
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास, चेन्नई
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर
दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, पुणे
गुजरात यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल
No comments:
Post a Comment