Sunday, May 15, 2022

इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करियर

आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ समय में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छी तेजी देखने को मिली है। डिजिटल तकनीक के प्रसार में तेजी आने के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के नए मौके बने हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस, इंजीनियरिंग की प्रमुख शाखाओं में शामिल है। जानकारों की मानें तो इस क्षेत्र में रोजगार की कभी कमी नहीं देखी गई। इस कोर्स की अच्छी बात यह है कि युवा टेलीकॉम इंडस्ट्रीज और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज, दोनों में काम तलाश सकते हैं। वैसे, यह क्षेत्र काफी बड़ा है। इसके तहत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्यूनिकेशन, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्यूनिकेशन, एडवांस्ड कम्यूनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।

सरल शब्दों में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस विधा के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क, इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक फील्ड, कंप्यूटर फंडामेंटल आदि के सिद्धांतों का व्यावहारिक प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, टेबलेट्स, प्रोसेसर, स्मार्ट रिस्ट वॉच, स्मार्ट एलईडी टेलीविजन, लैपटॉप, कंप्यूटर सहित अन्य कम्यूनिकेशन उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के विकास, टेस्टिंग तथा प्रोडक्शन के काम के दौरान किया जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आज के दौर में इंजीनियरिंग की इस की विधा की ‘कटिंग एज टेक्नोलोजी’ के तौर पर पहचान बन चुकी है।

इंडस्ट्री में क्या हैं संभावनाएं  
जून 2021 के मॉन्स्टर एम्पलॉयमेंट इंडेक्स की मानें, तो टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सेक्टर में बीते साल की तुलना में 39 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही, इस अवधि में टेलीकॉम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा नियुक्तियां हुई हैं। अनुमान है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में इस साल कार्यबल में दस फीसदी की वृद्धि होगी और इसके लिए भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड जैसी तकनीकों में माहिर लोगों की ज्यादा मांग होगी। वहीं दुनिया की सबसे तेज विकास करने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन इंडस्ट्री जल्द ही दो खरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगी, जिसमें भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस इंडस्ट्री के 2025 तक 6.5 गुना बढ़ जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भारत की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लाएंसेज इंडस्ट्री 2025 तक विश्व में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएगी। 
 
क्या होगा शिक्षा का रास्ता
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग बहुत महत्त्वपूर्ण इंजीनियरिंग है और भारत के विभिन्न संस्थानों में प्रतिवर्ष हजारों छात्र इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं। यह कोर्स छात्रों को टेलीकॉम इंडस्ट्री और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से सम्बद्ध दो विभिन्न सेक्टरों में भी आकर्षक जॉब ऑफर उपलब्ध करवाता है।

डिप्लोमा कोर्स: यह तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स देश भर में स्थित सरकारी और निजी पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों से किया जा सकता है। एडमिशन के लिए जरूरी है कि 12वीं में मैथ्स-फिजिक्स सहित विज्ञान के अन्य विषय हों। नामी संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले दिए जाते हैं, जबकि अन्य संस्थान 12वीं की मेरिट के आधार पर कोर्स में एडमिशन देते हैं। इस डिप्लोमा के बाद बैचलर्स इंजीनियरिंग डिग्री भी लैटरल एंट्री के माध्यम से की जा सकती है। बाद में मास्टर्स और पीएचडी सरीखे कोर्स के विकल्प भी हैं।

बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक. एक चार-वर्षीय  अंडरग्रेजुएट लेवल डिग्री कोर्स है। इस कोर्स में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन के विषय को एक साथ पढ़ाया जाता है। इस कोर्स को पढ़ने वाले छात्र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्किट्स, ट्रांसमीटर, रिसीवर, इंटीग्रेटेड सर्किट्स जैसे कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट के बारे में सीखते और जानकारी प्राप्त करते हैं।
 
किसी भी अंडरग्रेजुएट लेवल के इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता है- फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में से कोई एक विषय मुख्य विषय के तौर पर लेकर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना। पात्रता के लिएन्यूनतम अंक विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अलग-अलग हो सकते हैं।

उम्मीदवार को इंजीनियरिंग के लिए जेईई मेन्स एंट्रेंस एग्जाम और अन्य उपयुक्त प्रतियोगी परीक्षाएं देनी होंगी। इंजीनियरिंग के डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए अन्य कई कॉलेजों की अपनी प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाएं हैं, जैसे वीआईटीईई, बीआईटीएसएटी। 

किस तरह के होंगे अवसर 
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग  में ट्रेनिंग हासिल करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्यूनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग, डेटा कम्यूनिकेशंस, इंटरटेनमेंट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, सिस्टम सपोर्ट, मॉडर्न मल्टी मीडिया सर्विस, एविएशन एंड एवियोनिक्स, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडियो एंड टेलीविजन, डायग्नोस्टिक इक्विपमेंट आदि इंडस्ट्री में कई प्रकार की नौकरियों के अवसर मिल सकते हैं।

इसके अतिरिक्त इस विषय में हुनरमंद युवाओं को डिफेंस के क्षेत्र में, जैसे- कम्युनिकेशन सैटेलाइट, मिसाइल आदि में निर्माण या शोध आदि कार्यों में भी नौकरियां मिल सकती हैं।
समुचित ट्रेनिंग और कुछ वर्षों तक सम्बंधित इंडस्ट्री में जॉब अनुभव हासिल करने के बाद इच्छुक युवा स्टार्टअप के बारे में भी सोच सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन से जुड़ी कंपनियों को खास तरह के उपकरण तैयार कर सप्लाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में कुछ पद इस प्रकार केहोते हैं

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर : ये इंजीनियर अलग-अलग क्षेत्रों से सम्बंधित सिस्टम, मशीनरी को नियंत्रित करने वाले उपकरणों, रोजमर्रा के उपकरणों की डिजाइनिंग और निर्माण से जुड़े होते हैं। जैसेकि मोबाइल फोन, कंप्यूटर, म्यूजिक सिस्टम आदि। 
 
इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन इंजीनियर : ये इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की डिजाइन और डेवलपमेंट के लिए तकनीकी सपोर्ट उपलब्ध कराते हैं।   

डेस्कटॉप सपोर्ट इंजीनियर : कंप्यूटर सिस्टम्स में आने वाली समस्याओं को सही करने की जिम्मेदारी इन पर होती है। ये सिक्योरिटी और सर्वर से सम्बंधित गंभीर समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभाते हैं।   

सर्विस इंजीनियर : खासकर उत्पाद की खरीद के बाद ये ऑफसाइट मेंटेनेंस और टेक्निकल सपोर्ट सम्बंधी सेवाएं देते हैं। वे उपभोक्ता के संपर्क में रहते हैं। 

कम्यूनिकेशंस इंजीनियर : कम्यूनिकेशंस इंजीनियर के काम का अहम हिस्सा होता है डिजाइन और प्लानिंग टीम के काम का प्रबंधन करते हुए इलेक्ट्रिकल कम्यूनिकेशन सिस्टमको डिजाइन करना और उनमें बेहतरी के लिए बदलाव करना। वे तात्कालिक नेटवर्क को बेहतर तरीके सेविकसित करने में भी योगदान देते हैं। 

नेटवर्क प्लानिंग इंजीनियर : किसी कंपनी के नेटवर्क की योजना बनाने और उसकी देखरेख का कार्य करते हैं। किसी नए प्रोजेक्ट के आने पर नेटवर्क में उस प्रकार से बदलाव आदि करना और नए मानक बनाना उनकी काय र्िजम्मेदारियों का हिस्सा होता है।  

इसके अलावा फील्ड टेस्ट इंजीनियर,  इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन्स कंसल्टेंट, कस्टमर सपोर्ट इंजीनियर,  इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्निशियन, एसोसिएट फर्स्टलाइन टेक्निशियन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सीनियर सेल्स मैनेजर, टेक्निकल डायरेक्टर आदि के पद भी होते हैं। 

वेतन
यह कई क्षेत्रों को मिलाकर बना जॉब क्षेत्र है, इसलिए उसी के मुताबिक सैलरी पैकेज मिलता है। इसके अलावा, आपके कार्य कौशल, शैक्षिक और निजी योग्यताओं, कार्यक्षेत्र, अनुभव सहित अन्य तथ्य अहम भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में शुरुआत कर रहे ग्रेजुएट के तौर पर, आप 2-3 लाख प्रतिवर्ष सैलरी आसानी से पा सकते हैं और 5-7 वर्ष के अनुभव के बाद आपको प्रति वर्ष 8-9 लाख रुपए की आय हो सकती है। 

और बढ़ेंगे मौके
‘ब्यूरो लेबर ऑफ स्टैटिस्टिक्स’ की रिपोर्ट की मानें, तो उनका कहना है कि इंजीनियरों के लिए 2026 तक हर साल नौकरियों में 7 प्रतिशत का इजाफा होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग की काफी मांग रहेगी। बीते साल के अनुभव को देखते हुए अनुमान है कि इस क्षेत्र में पेशेवरों के लिए रोजगार की अधिक संभावनाएं बनी रहेंगी।

चुनौतियां
-   इस क्षेत्र की तकनीक बहुत तेजी से बदलती है, इसलिए खुद को अपडेट करते रहना बेहद जरूरी है।  
-  इस कार्य की प्रवृत्ति इनडोर ज्यादा है। ऐसे में किसी प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान सामाजिकता के अवसर नहीं बचते। 
-    कई बार काम कई दिनों तक लगातार चलते रह सकता है। 
-   टेक्नोलॉजी अपडेशन के लिए बजट भी एक चुनौती साबित हो सकता है।
-   फिजिक्स और मैथ्स जैसे विषयों पर अगर अच्छी पकड़ नहीं है, तो इस कोर्स की पढ़ाई के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन मुश्किल होगा। 
-  नेटवर्क सिक्योरिटी बड़ी चुनौती है। 
-   तकनीक के साथ प्रोजेक्ट की जरूरत के अनुसार नया करने की चुनौती हमेशा रहेगी।

प्रमुख संस्थान 
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर, उत्तर प्रदेश
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की, उत्तराखंड
-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी, असम
-  अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई, तमिलनाडु
-  जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद, तेलंगाना

No comments:

Post a Comment