Saturday, February 12, 2022

डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर

मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर (एमपीएचडब्लू) का काम आपातकालीन या आपदा की स्थिति में पैदा होने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से निपटना होता है और जिन जगहों पर हॉस्पिटल नहीं होते वहां ईलाज के लिए पहुंचाना होता है। मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर का अस्तित्व 1974 में हिन्‍दुस्‍तान में आया। उप स्वास्थ्य केन्द्रों के स्तर पर निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य देखभाल या सेवाओं का वितरण करना ही इनका अहम मकसद होता है। ये बतौर सीनियर डॉक्‍टरों व चिकित्‍सकों के असिस्‍टेंट काम किया करते थेा उस समय मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के कार्यकर्ता की देख रेख में मलेरिया, टीबी, कुष्ठ रोग, जलजनित जैसी बीमारियों या महामारी सहित हर तरह के संक्रामक रोगों का नियंत्रण करते थे, आज यह कोर्स फिर प्रचलन में आया है, उत्‍तराखंड आपदा, कश्‍मीर व चेन्नई में आई आपदा के समय मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर के कार्यकर्ता ने बढचढ कर सेवा भाव से लोगों की तीमारदारी की, अगर आपमें भी सेवाभाव का जज्‍बा है तो मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर के रूप में करियर को चुन सकते हैं!

नेचर ऑफ वर्क

करतार सिंह समिति, 1973 की सिफारिश के बाद मलेरिया कार्यकर्ताओं, परिवार नियोजन कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर (एमपीएचडब्लू) के रूप से नामित किया गया। इनका काम करने का तरीका बहुत अलग होता है यह उन क्षेत्रों में जाते है जहां अस्पताल या डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते। जैसे पहाड़ी और आदिवासी इलाको में जाकर टेंट लगाकर उनका ईलाज करते है। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी जरुरी चीज की आवश्यकता हो तो वह वो भी पूरा करते है। मरीजों के ईलाज के साथ-साथ यह आस-पास यह भी ध्‍यान रखते हैं कि वहां का पर्यावरण दूषित तो नहीं है, ऐसे में उस एरिया की साफ सफाई कैसे हो उसका भी ध्‍यान रखते हैं, ताकि वह इलाका रोग मुक्त हो जाए। महामारी में नियंत्रण करना,  लोगों को भोजन सामग्री पहुंचाना और किसी भी तरह की आपदा प्राकृतिक व गैर प्राकृतिक आपदा में घायलों के ईलाज की व्यवस्था करना और आपातकालीन स्थिति में उन्हें सकुशल बाहर निकालने की व्यवस्था करना उनके जिम्मे होता है।

कोर्स एंड एलिजिबिल्टी

डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह के मुताबिक डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के लिए अभ्यर्थी का किसी भी संकाय वा किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। कोर्स के दौरान उन्हें आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध करना है, उनकी तीमारदारी और सेवा कैसे की जाती है उसकी सीख दी जाती है। वे आपदा या महामारी फैलने की स्थिति में कैसे और किस हद तक तत्पर रहें। उन्हें महामारी या आपदा पर नियंत्रण करने, भोजन सामग्री पहुंचाने, जख्मी होने, या उनका उपचार कैसे किया जाए व उससे कैसे निपटा जाए उसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इस फील्ड में आप एसएससी के द्वारा भी परीक्षा देकर किसी भी सरकारी पद के लिए आवेदन कर सकते है।

फ्यूचर प्रोस्पेक्टस

यूं तो इस कोर्स में डिप्लोमा लेने के बाद हर राज्य में सरकारी व गैर सरकारी विभाग में नौकरी के कई नए अवसर खुल जायेंगे। लेकिन हरियाणा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इन दिनों मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर की खासी डिमांड है। इनमें लड्के व  लड़कियों दोनों के लिए सामान अवसर उपलब्ध है। डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर कोर्स करने के बाद बतौर स्वास्थ्य विभाग, परिवार नियोजन मंत्रालय, पर्यावरण विभाग के अलावा सरकारी व गैर सरकारी एनजीओ में तो नौकरी के ढेरों विकल्प हैं ही प्राइवेट आर्गेनाइजेषन में भी नौकरी के विकल्प मौजूद हैं। उन्हें प्रत्येक महीने हर एक परिवार में जाकर उनका चेकअप करना, महामारी फैलने पर नियंत्रण करना, पर्यावरण स्वछता पर ध्यान रखना, आपात स्थिति में किसी भी दुर्घटना की प्राथमिक चिकित्सा करना  होता है ऐसा कहना है डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह का।

सैलरी

डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर का कोर्स करने के बाद आप बतौर सुपरवाइजर व डेवल्पमेंट ऑफिसर के तौर पर काम कर सकते हैं। इन्हें शुरूआती वेतन के तौर पर 10 हजार से लेकर 15 हजार तक मिल सकता है। लेकिन तजुर्बे के आधार पर उनके वेतन में इजाफा होता चला जाता है। साथ ही खुद का क्‍लीनिक शुरू कर या किसी प्राइवेट क्लिनिक में भी वे उचित वेतन पर काम कर अपना करियर संवार सकते हैं

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