Friday, February 25, 2022

ऑफथल्मिक टेक्निशन में करियर

एक ऑफथल्मिक असिस्टेंट का काम आंखों की जांच के साथ-साथ ट्रीटमेंट व बचाव का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा क्लिनिकल डेटा इकट्ठा करना, मरीज के रिकॉर्ड को संभालने का जिम्मा भी असिस्टेंट का होता है। इसके तहत कई तरह के आंखों से संबंधित क्लिनिकल फंक्शन किए जाते हैं। ऑफथल्मिक असिस्टेंट, आंखों के डॉक्टर को मरीज की हिस्ट्री, विभिन्न तरह की टेक्निकल जांच करने में मदद करता है।

संभावनाएं
दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उसी हिसाब से लोगों में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। साथ ही नई टेक्नॉलजी ने भी लोगों में आंख से जुड़ीं समस्याएं पैदा की हैं। मौजूदा समय में लोगों का स्क्रीन से ज्यादा वास्ता पड़ता है जिससे आंख में दिक्कत होती है। 

क्या होनी चाहिए योग्यता
ऑफथल्मिक टेक्निशन बनने के लिए आपको डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना जरूरी है। डिप्लोमा कोर्स 2 साल का होता है। इस कोर्स को करने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 12वीं पास होना चाहिए और उसने फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायॉलजी जैसे विषयों को पढ़ा हो। दरअसल, साइंस के स्टूडेंट्स के लिए यह फील्ड बहुत मुफीद है।

इस फील्ड में कांट्रैक्ट और रिफ्रैक्टिव सर्जरी, ग्लूकोमा ट्रीटमेंट, मेडिकल रेटिना ऑपथैलमॉलजी और न्यूरो ऑपथैमॉलजी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस कोर्स के तहत ऑक्यूलर फार्माकॉलजी, केराटोमेटरी, आई मसल्स, रेफ्राक्टोमेटरी, विजुअल एक्युटी वगैरह पढ़ाया जाता है। डिप्लोमा इन ऑफथलमॉलजी दो वर्ष का कोर्स है। पहले सेमिस्टर में एक वर्ष तक थिअरी और प्रैक्टिकल कराया जाता है, फिर 6 महीने तक मोबाइल यूनिट के जरिए प्रशिक्षण दिया जाता है और अगले 6 महीने प्राइमरी हेल्थ क्लिनिक में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें 17 से 35 वर्ष तक की उम्र के अभ्यार्थी ऐडमिशन ले सकते हैं।

कोर्स डीटेल्स
इस फील्ड में डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और डॉक्टोरल कोर्स कर सकते हैं जिसकी डीटेल नीचे दी गई है।
डिप्लोमा कोर्सेज
* ऑफथलमॉलजी में डिप्लोमा 
* ऑफथलमिक टेक्नॉलजी में डिप्लोमा 

बैचलर कोर्स
* एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी)

मास्टर कोर्स 
* ऑफथलमॉलजी सर्जरी में मास्टर
* ऑफथलमॉलजी मेडिसिन में डॉक्टर
* ऑफथलमॉलजी में पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा 
* क्लिनिकल ऑफथलमॉलजी में पोस्टग्रैजुएट सर्टिफिकेट प्रोग्राम

डॉक्टोरल कोर्स
* मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन ऑफथलमॉलजी
* डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी प्रोग्राम इन ऑफथलमॉलजी 

प्रमुख संस्थान
* ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली 
* शिवालिक इंस्टिट्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नॉलजी, चंडीगढ़ 
* पैरामेडिकल कॉलेज, दुर्गापुर
भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज, पुणे
* अमृता स्कूल ऑफ मेडिसिन, कोयंबटूर
* आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे 
* क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लुरु
* डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, नवी मुंबई
* इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट 
* भारती विद्यापीठ कॉमन एंट्रेंस टेस्ट

जॉब प्रोफाइल 
* ऑफथलमॉलजिस्ट
* ऑफथलमॉलजी सर्जन 
* प्रफेसर/लेक्चरर
* ईएनटी स्पेशलिस्ट
* क्लिनिकल असिस्टेंट
* मेडिकल कंसल्टेंट

रिक्रूटर 
* एसआईएमएस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड
* श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल, देहरादून
* वायलटरेज, बेंगलुरु 
* चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय
* फॉर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड

* ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जोधपुर 

Tuesday, February 22, 2022

आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन में करियर

आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन में सवारें अपना करियर: आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन जिसे हम अंग्रेजी में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन कहते हैं, एक चिकित्सा निदेशक चिकित्सक की देखरेख में सेटिंग्स की एक किस्म में काम करते हैं। इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन हॉस्पिटल या हॉस्पिटल के बाहर आपातकालीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित प्रदाता होते हैं। इमरजेंसी चिकित्सकों को आपात स्थितियों में जैसे कोई दुर्घटना का क्षेत्र, या आपदा क्षेत्र में जल्द से जल्द प्रतिक्रिया लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। ये तकनीशियन ज्यादातर एम्बुलेंस में ही पाए जाते हैं क्योंकि आपातकालीन स्तिथियों में एम्बुलेंस  ही सबसे पहले पहुँचती है और ये तकनीशियन इसी स्तिथि के लिए प्रशिक्षित किये जाते हैं। एम्बुलेंस, सरकारी और अस्पतालों में सेवाओं के अलावा ये दमकल विभागों और पुलिस विभाग में भी काम करते हैं। तकनीशियन अभ्यास के एक सीमित दायरे के तहत कार्य करते हैं। ये चिकित्सा निदेशक की निगरानी में काम करते हैं।

नेचर ऑफ़ वर्क 

इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन का काम भावनात्मक रूप के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी मांग में है। इन्हें सप्ताहांत, इमरजेंसी केयर असिस्टेंट्स, पैरामैडिक, पुलिस और अग्निशमन के साथ संयोजन के रूप में काम करना पड़ता है। इन तकनीशियन को आम तौर पर अस्पताल परिवहन सेवाओंएम्बुलेंस सेवाओंबचाव और आग विभागोंऔर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए कार्यरत किया जाता है। कई बार आपात स्थिति के दौरान तकनीशियन के कंधो  पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ जाता है और काम काफी तनावपूर्ण भी हो जाता है। इस पेशे में काम करने की वजह से ये चोटों और संक्रामक रोगों के संपर्क में भी आ जाते है लेकिन यह करियर लोगों की जान बचाने के बाद एक मानसिक संतुष्टि भी देता है।

कर्तव्य और उत्तरदायित्व

आपदा क्षेत्र में पहुंचकर पीड़ितो को हॉस्पिटल पहुँचाने से पहले उनका प्राथमिक उपचार करते हैं, पीड़ित की हालात का मूल्यांकन करके उनके उपचार का निर्धारण करते हैं, पीड़ित की हालत को स्थिर करने के लिए उनके घाव में पट्टी बांधते हैं, बहते हुए खून को नियंत्रित करते हैं, इस्तेमाल हो रहे चिकित्सा उपकरणों का ध्यान रखना और ख़राब होने पर उन्हें समय पर बदलना, हॉस्पिटल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पीड़ित को जल्द से जल्द पहुँचाना, पीड़ित की ट्रीटमेंट और उसको दी जाने वाली दवाइयों की रिपोर्ट तैयार करना, किसी संक्रमित पीड़ित को लाने के बाद एम्बुलेंस की सफाई करना और उसे जीवाणु रहित बनाना, एम्बुलेंस में इस्तेमाल हुए कम्बल और कपड़ो को हटाकर साफ़ कपड़े लगाना, पीड़ित के परिवार वालो को सहानुभूति देते हुए उन्हें शांत रखना, मेडिकल एजेंसीज द्वारा आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में हिस्सा लेना और चिकित्सा से सम्बंधित नयी चीजो को सीखना एक इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन का काम होता है।

कोर्स एवं योग्यता 

डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह के मुताबिक इस कोर्स में डिप्लोमा के लिए अभ्यर्थी का किसी भी संकाय वा किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। कोर्स के दौरान उन्हें आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध करना है, उनकी तीमारदारी और सेवा कैसे की जाती है उसकी सीख दी जाती है। वे आपदा या महामारी फैलने की स्थिति में कैसे और किस हद तक तत्पर रहें। उन्हें महामारी या आपदा पर नियंत्रण करने, जख्मी होने, या उनका उपचार कैसे किया जाए व उससे कैसे निपटा जाए उसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इस फील्ड में आप एसएससी के द्वारा भी परीक्षा देकर किसी भी सरकारी पद के लिए आवेदन कर सकते है।

अवसर 

इस कोर्स के बाद अभ्यर्थी के लिए सरकारी और गैरसरकारी विभागों में कई अवसर खुल जाते हैं। आपदा स्तिथि में सबसे ज्यादा जरुरत मेडिकल सहयोगियों की होती है जिसमे यही तकनीशियन मेडिकल सुविधाएँ प्रदान कराने में काम आते हैं। इस कोर्स के बाद सरकारी एम्बुलेंस सेवाओं में, सरकारी अस्पतालो के आपातकालीन विभागों में, गैर सरकारी संस्थाओं में अभ्यर्थी रोजगार प्राप्त कर सकता है।

Sunday, February 20, 2022

जीएनएम कोर्स

 जीएनएम एक ऐसा कोर्स है, जिसके माध्यम से आप चिकिसा के फील्ड में सुनहरा कैरियर बना सकते हैं। चूंकि Nurse मेडिकल फील्ड का एक बहुत ही अहम और महत्वपूर्ण पद होता है, इसलिए इसमे कैरियर के अवसरों की कमी नही होती है। अगर किसी कैंडिडेट का सपना मेडिकल फील्ड में कैरियर बनाकर मरीजो की सेवा करना है, तो ऐसे लोगों के लिए GNM Career के लिए बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।

जीएनएम कोर्स की फुल फॉर्म जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी होती है। जीएनएम Nursing का डिप्लोमा कोर्स होता है। नृसिंग के फील्ड में Career बनाने की चाहत रखने वाले कैंडिडेट्स के लिए ये काफी अच्छा कोर्स होता है। जीएनएम के पाठ्यक्रम विवरण रोगी की देखभाल और नैदानिक उपचार से संबंधित अध्ययन कराया जाता है। इसको पैरामेडिकल कोर्स भी कहा जाता है। कोर्स के दौरान और कोर्स कंप्लीट करने के बाद 6 महीने की इंटर्नशिप भी करनी होती है

इस कोर्स को करने के लिए कैंडिडेट को फिजीक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी और इंग्लिश सब्जेक्ट से 12th पास होना चाहिए। इसके बाद GNM Course में एडमिशन लिया जा सकता है।

GNM Course Duration

इस कोर्स की अवधि 3 बर्ष होती है। जिसमे 6 महीने कोर्स के बाद में इंटर्नशिप करना अनिवार्य होता है। इस तरह से ये कोर्स इंटर्नशिप सहित 3 बर्ष 6 महीने का होता है।

GNM Nursing Course Qualification

इस कोर्स को करने के लिए अभ्यार्थी की उम्र कम से कम 17 बर्ष होनी चाहिए और कैंडिडेट ने 12वीं PCB ग्रुप से किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड की हो और साथ ही 12th में इंग्लिश सब्जेक्ट भी रहा हो। इस कोर्स में एडमिशन के लिए कैंडिडेट के 12th में कम से कम 45% मार्क्स होने चाहिए।

इस कोर्स की औसतन फीस 30 हजार से लेकर 4 लाख के बीच पूरे कोर्स की होती है। इसकी फीस इस बात पर निर्भर करती है, कि आप किस तरह के Nursing College से GNM कर रहे हैं। अलग-अलग कॉलेजों में फीस का क्राइटेरिया भिन्न-भिन्न होता है। अगर आप सरकारी संस्थानों से इस कोर्स को करते हैं तो वंहा पर सालाना फीस 10 से 15 हजार के आसपास होती है। अच्छे प्राइवेट संस्थानो में 70 हजार से लेकर 1 लाख प्रतिबर्ष के बीच फीस होती है। कुछ कॉलेज ऐसे भी होते हैं, जोकीं अच्छे होने का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में अच्छे नही होते है और फीस काफी ज्यादा होती है। इसलिए एडमिशन लेते समय कॉलेज का चुनाव बहुत ही होशियारी से करें।

GNM Nursing Admission Prosess

जीएनएम कोर्स में एडमिशन डायरेक्ट भी मिल जाता है और एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से भी एडमिशन मिल जाता है। Government College में तो एंट्रेंस एग्जाम पास करने में बाद मेरिट के आधार पर एडमिशन होता है। प्राइवेट संस्थानो में तो डायरेक्ट ही एडमिशन मिल जाता है।

GNM Course Entrance Exam

चलिये अब हम आपको जीएनएम Course के एंट्रेंस एग्जाम के बारे में भी बता देते हैं। जिनके माध्यम से आप सरकारी Nursing College से Course को कर सकते हैं।

केजीएमयू नृसिंग एंट्रेंस एग्जाम

Monday, February 14, 2022

एक्स रे टेक्निशियन

एक्स रे टेक्नीशियन बनने के लिए X Ray Technology से रीलेटेड कोर्स करने की आवश्यकता होती है। इस फील्ड में कैरियर बनाने के लिए आप डिप्लोमा इन एक्स रे टेक्नीशियन, सर्टिफिकेट कोर्स इन एक्स रे टेक्नीशियन, डिप्लोमा इन रेडियोग्राफी, बैचलर इन रेडियोग्राफी जैसे कोर्स कर आप इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं। 

मेडिकल फील्ड का दायरा सिर्फ डॉक्टर और नर्स तक ही सीमित नही है। इस इंडस्ट्री से अन्य कई लोग जुड़े होते हैं। जिनमे से X Ray Technician या radiographer भी अहम व्यक्ति होता है। वर्तमान समय मे X Ray Technician course काफी प्रचलित course है। इसके बिना हेल्थ सेक्टर की कल्पना भी नही की जा सकती है। आज के समय मे X Ray Technology में कैरियर की काफी बेहतरीन संभावनाएं हैं। इस कोर्स को पूरा करने के बाद आप  सरकरीं और प्राइवेट दोनो सेक्टर में कैरियर बना सकते हैं। समय- समय पर सरकरीं विभागों में X Ray Technician की वैकेंसी निकलती रहती हैं। इसके अलावा आप प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक, शिक्षण संस्थान और लैबोरेटरी में जॉब कर सकते हैं। 

वर्तमान समय में शहर से लेकर महानगरों में हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की कमी नही है। इन हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में लैब की सुविधाएं भी होती हैं। इन लैब में काम करने के लिए लैब टेक्नीशियन की जरूरत होती है। इसके अलावा डायगनेस्टीक सेंटर की आज के समय मे बाढ़ सी आ गई है। आप इन डायग्नेस्टिक सेंटर में X Ray Technician के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस फील्ड में रोजगार की कमी नही है। 8 से 10 हजार की नौकरी आपको आसांनी से अपने शहर में ही मिल जाएगी।

किसी भी बीमारीं की इलाज के लिए उसकी पहचान करना जरूरी है। X Ray Technician का मुख्य काम एक्स रे करना होता है। जैसे कोई व्यक्ति को हांथ या पैर में या शरीर के किसी अन्य हिस्से में जब चोट लगती है, तो डॉक्टर उस व्यक्ति को एक्स रे करवाने को बोलता है। जिससे डॉक्टर एक्स रे को देखकर जान पाता है कि हांथ या पैर टूटा तो नही है।

एक X Ray Technician का मुख्य कार्य एक्स रे आदि करते समय रेडियोएक्टिव किरणों से मरीज और आसपास के लोगों का बचाव करना होता है। अन्य कार्य है रेडियोग्राफिक उपकरणों एवं मशीनों की देखभाल करना। इसके अलावा X Ray Technician के पास मरीज को समझने की क्षमता, हार्डवर्किंग, सतर्कता और धैर्य का होना भी आवश्यक है

डिप्लोमा इन एक्स रे टेक्नोलॉजी कोर्स 2 बर्ष का होता है। इस कोर्स के लिए आवश्यक योग्यता पीसीएम या पीसीबी सब्जेक्ट से 12वीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की फीस 30 से 50 हजार रुपये प्रतिबर्ष होती है

एक्स रे टेकनीशियन को शुरुआती समय मे सैलेरी 8 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह मिल जाती है। अनुभव होने के बाद 30 से 40 हजार रुपये तक आसानी से सैलेरी मिल सकती है। यदि आप जॉब नही करना नही चाहते हैं, तो आप खुद का डायग्नोस्टिक सेंटर खोल सकते है। जिससे आप मनमाना पैसा कमा सकते हैं।

आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, दिल्ली
ओम साई पैरामेडिकल कॉलेज, हरियाणा
SVS मेडिकल कॉलेज, महबूबनगर
रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड पैरामेडिकल साइंस, सोनीपत
दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, गढ़वाल
आदेश पैरामेडिकल कॉलेज, मोहाली
रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज, बरेली
श्रीराममूर्ति मेडिकल कॉलेज, बरेली
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद
ARC पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट, हरियाणा
बेलगाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, कर्नाटक
बीदर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, कर्नाटक
कॉलेज ऑफ लाइफसाइंस, मध्यप्रदेश
Dr. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज, राजस्थान
हस्सान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, कर्नाटक
एरा मेडिकल कॉलेज, लखनऊ
बरेली इंटरनॅशनल यूनिवर्सिटी, बरेली
हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ
इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट, गाजियाबाद
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, राजस्थान
मेट्रो हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुजरात
प्रव इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, जयपुर
राजीव गांधी पैरामेडिकल ट्रेनिंग, तमिलनाडु
रमा यूनिवर्सिटी, कानपुर
SVN कॉलेज ऑफ एजुकेशन, आगरा

Saturday, February 12, 2022

डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर

मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर (एमपीएचडब्लू) का काम आपातकालीन या आपदा की स्थिति में पैदा होने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से निपटना होता है और जिन जगहों पर हॉस्पिटल नहीं होते वहां ईलाज के लिए पहुंचाना होता है। मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर का अस्तित्व 1974 में हिन्‍दुस्‍तान में आया। उप स्वास्थ्य केन्द्रों के स्तर पर निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य देखभाल या सेवाओं का वितरण करना ही इनका अहम मकसद होता है। ये बतौर सीनियर डॉक्‍टरों व चिकित्‍सकों के असिस्‍टेंट काम किया करते थेा उस समय मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के कार्यकर्ता की देख रेख में मलेरिया, टीबी, कुष्ठ रोग, जलजनित जैसी बीमारियों या महामारी सहित हर तरह के संक्रामक रोगों का नियंत्रण करते थे, आज यह कोर्स फिर प्रचलन में आया है, उत्‍तराखंड आपदा, कश्‍मीर व चेन्नई में आई आपदा के समय मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर के कार्यकर्ता ने बढचढ कर सेवा भाव से लोगों की तीमारदारी की, अगर आपमें भी सेवाभाव का जज्‍बा है तो मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर के रूप में करियर को चुन सकते हैं!

नेचर ऑफ वर्क

करतार सिंह समिति, 1973 की सिफारिश के बाद मलेरिया कार्यकर्ताओं, परिवार नियोजन कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर (एमपीएचडब्लू) के रूप से नामित किया गया। इनका काम करने का तरीका बहुत अलग होता है यह उन क्षेत्रों में जाते है जहां अस्पताल या डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते। जैसे पहाड़ी और आदिवासी इलाको में जाकर टेंट लगाकर उनका ईलाज करते है। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी जरुरी चीज की आवश्यकता हो तो वह वो भी पूरा करते है। मरीजों के ईलाज के साथ-साथ यह आस-पास यह भी ध्‍यान रखते हैं कि वहां का पर्यावरण दूषित तो नहीं है, ऐसे में उस एरिया की साफ सफाई कैसे हो उसका भी ध्‍यान रखते हैं, ताकि वह इलाका रोग मुक्त हो जाए। महामारी में नियंत्रण करना,  लोगों को भोजन सामग्री पहुंचाना और किसी भी तरह की आपदा प्राकृतिक व गैर प्राकृतिक आपदा में घायलों के ईलाज की व्यवस्था करना और आपातकालीन स्थिति में उन्हें सकुशल बाहर निकालने की व्यवस्था करना उनके जिम्मे होता है।

कोर्स एंड एलिजिबिल्टी

डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह के मुताबिक डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के लिए अभ्यर्थी का किसी भी संकाय वा किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। कोर्स के दौरान उन्हें आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध करना है, उनकी तीमारदारी और सेवा कैसे की जाती है उसकी सीख दी जाती है। वे आपदा या महामारी फैलने की स्थिति में कैसे और किस हद तक तत्पर रहें। उन्हें महामारी या आपदा पर नियंत्रण करने, भोजन सामग्री पहुंचाने, जख्मी होने, या उनका उपचार कैसे किया जाए व उससे कैसे निपटा जाए उसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इस फील्ड में आप एसएससी के द्वारा भी परीक्षा देकर किसी भी सरकारी पद के लिए आवेदन कर सकते है।

फ्यूचर प्रोस्पेक्टस

यूं तो इस कोर्स में डिप्लोमा लेने के बाद हर राज्य में सरकारी व गैर सरकारी विभाग में नौकरी के कई नए अवसर खुल जायेंगे। लेकिन हरियाणा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इन दिनों मल्‍टीपर्पस हेल्‍थ वर्कर की खासी डिमांड है। इनमें लड्के व  लड़कियों दोनों के लिए सामान अवसर उपलब्ध है। डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर कोर्स करने के बाद बतौर स्वास्थ्य विभाग, परिवार नियोजन मंत्रालय, पर्यावरण विभाग के अलावा सरकारी व गैर सरकारी एनजीओ में तो नौकरी के ढेरों विकल्प हैं ही प्राइवेट आर्गेनाइजेषन में भी नौकरी के विकल्प मौजूद हैं। उन्हें प्रत्येक महीने हर एक परिवार में जाकर उनका चेकअप करना, महामारी फैलने पर नियंत्रण करना, पर्यावरण स्वछता पर ध्यान रखना, आपात स्थिति में किसी भी दुर्घटना की प्राथमिक चिकित्सा करना  होता है ऐसा कहना है डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह का।

सैलरी

डिप्लोमा इन मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर का कोर्स करने के बाद आप बतौर सुपरवाइजर व डेवल्पमेंट ऑफिसर के तौर पर काम कर सकते हैं। इन्हें शुरूआती वेतन के तौर पर 10 हजार से लेकर 15 हजार तक मिल सकता है। लेकिन तजुर्बे के आधार पर उनके वेतन में इजाफा होता चला जाता है। साथ ही खुद का क्‍लीनिक शुरू कर या किसी प्राइवेट क्लिनिक में भी वे उचित वेतन पर काम कर अपना करियर संवार सकते हैं

Wednesday, February 9, 2022

लॉजिस्टिक्स में करियर

 अगर आप भारत में लॉजिस्टिक्स में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं तो आपको इस फील्ड की अच्छी जानकारी जरुर होनी चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक, अगले कुछ वर्षों में इस फील्ड का बड़ी तेज़ी से विकास होगा. यह आर्टिकल पढ़कर इस बारे में हासिल करें अधिक जानकारी.

विश्व भर में लॉजिस्टिक्स व्यापक स्तर पर नेशनल और इंटरनेशनल कारोबार का प्रमुख आधार है. ‘लॉजिस्टिक्स’ दरअसल, किसी मुश्किल बिजनेस ऑपरेशन की समुचित व्यवस्था और कार्यान्वयन है. किसी भी कारोबार के दौरान, कस्टमर्स या कॉर्पोरेशन्स की विभिन्न कारोबारी जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘प्वाइंट ऑफ़ ओरिजिन’ से ’प्वाइंट ऑफ़ कंजम्पशन’ तक  हरेक किस्म के सामान या वस्तुओं के फ्लो का मैनेजमेंट को ही ‘लॉजिस्टिक्स’ में शामिल किया जाता है. असल में, लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट सप्लाई चेन मैनेजमेंट का ही एक हिस्सा है जो कस्टमर्स की सभी तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्वाइंट ऑफ़ ओरिजिन’ से ’प्वाइंट ऑफ़ कंजम्पशन’ तक गुड्स एंड सर्विसेज तथा उनसे संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान करती है. अगर आप भारत में लॉजिस्टिक्स में अपना करियर शुरू करना चाहिते हैं तो इस आर्टिकल में हमने आपके लिए भारत में लॉजिस्टिक्स से सभी महत्त्वपूर्ण पहलूओं की जानकारी प्रस्तुत की है. इसलिए आप इस आर्टिकल को बड़े गौर से पढ़ें:

भारत में लॉजिस्टिक्स में उपलब्ध हैं विकास की कई नई संभावनाएं

एक इकनोमिक सर्वे के मुताबिक वर्ष 2017-18 में भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर ने लगभग 22 मिलियन से अधिक लोगों को जॉब्स उपलब्ध करवाई हैं. इससे इन-डायरेक्ट लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में 10% की कमी आई और 5 – 8% एक्सपोर्ट ग्रोथ हुई. इस समय हमारे देश में लॉजिस्टिक्स मार्केट लगभग 160 बिलियन यूएस डॉलर है जो अगले 2 वर्षों में बढ़कर 215 यूएस डॉलर तक होने की उम्मीद जताई जा रही है. भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने पर कुछ वर्षों में इस फील्ड के कारोबार में काफी तेज़ गति से विकास होने की भी काफी संभावना है.

आजकल पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और कारोबार में दिनोंदिन विकास हो रहा है. अब दुनिया को एक ग्लोबल विलेज माना जाता है अर्थात पूरी दुनिया के सभी देश अपने देश के विभिन्न स्थानों में ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी कारोबार करते हैं और यहीं लॉजिस्टिक्स की फील्ड की संभावनाओं का महत्व पता चलता है. हमारे देश सहित दुनिया के सभी देशों की हर छोटी और बड़ी कंपनी में लॉजिस्टिक्स की फील्ड से जुड़े विभिन्न करियर ऑप्शन्स के लिए काफी बेहतरीन संभावनाएं हैं क्योंकि हरेक कंपनी या बिजेनस संगठन में किसी न किसी रूप में गुड्स एंड सर्विसेज का आदान-प्रदान होता ही है. लॉजिस्टिक्स की फील्ड में ड्राईवर, हेल्पर, फ्रंट डेस्क, डाटा एंट्री स्टाफ, क्लर्क, अकाउंटेंट, सेल्स एग्जीक्यूटिव, बिजनेस मैनेजर, ऑपरेशन मैनेजर, वेयरहाउस मैनेजर सहित कई करियर ऑप्शन्स उपलब्ध हैं और आने वाले वर्षों में इस फील्ड का बड़ी तेज़ गति से विकास होने की उम्मीद जताई जा रही है.

भारत में लॉजिस्टिक्स के कोर्सेज करने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 

•    किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से 12 वीं पास कैंडिडेट्स इस फील्ड में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट या अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं.
•    लॉजिस्टिक्स में पीजी डिप्लोमा, पोस्टग्रेजुएट कोर्स या एमबीए प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो.

भारत में लॉजिस्टिक्स के प्रमुख कोर्सेज

हमारे देश में लॉजिस्टिक्स की फील्ड में यूजीसी से मान्यताप्राप्त विभिन्न कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूट्स में रेगुलर और पार्टटाइम ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, पीजी डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सेज उपलब्ध हैं. इस फील्ड में स्टूडेंट्स एमबीए भी कर सकते हैं. हमारे देश में इस फील्ड में उपलब्ध कुछ प्रमुख कोर्सेज निम्नलिखित हैं:

डिप्लोमा कोर्सेज:
•    लॉजिस्टिक्स एंड शिपिंग में एडवांस्ड डिप्लोमा
•    लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट में एडवांस्ड डिप्लोमा
•    सप्लाई चेन मैनेजमेंट में एडवांस्ड डिप्लोमा
•    लॉजिस्टिक्स एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा
•    मटीरियल्स एंड लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा
अंडरग्रेजुएट कोर्सेज:
•    बैचलर – सप्लाई चेन मैनेजमेंट
•    बैचलर ऑफ़ कॉमर्स (बीकॉम) – सप्लाई चेन मैनेजमेंट
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज:
•    एमबीए - लॉजिस्टिक्स एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट
•    एमबीए - मटीरियल्स एंड लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट

भारत में लॉजिस्टिक्स कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम्स

हमारे देश में सुप्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज या कॉलेजों द्वारा आयोजित एंट्रेंस एग्जाम्स में स्टूडेंट्स द्वारा प्राप्त किये गए मार्क्स के मुताबिक विभिन्न अंडरग्रेजुएट/ पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज में स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाता है. किसी सुप्रसिद्ध इंस्टीट्यूट या यूनिवर्सिटी के एमबीए प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को CAT, MAT, CMAT, XAT और ATMA जैसे एंट्रेंस टेस्ट पास करने पड़ते हैं.

भारत में लॉजिस्टिक्स कोर्सेज करवाने वाले प्रमुख एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स

•    इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ मैनेजमेंट, कलकत्ता
•    मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
•    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मटीरियल्स मैनेजमेंट, मुंबई
•    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिटेल एंड मैनेजमेंट, मुंबई
•    इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, नागपुर

भारत में लॉजिस्टिक्स के प्रमुख करियर्स 

•    डिमांड प्लानर
•    मास्टर प्रोडक्शन शेड्यूलर
•    सोर्सिंग मैनेजर
•    एनालिस्ट
•    कंसलटेंट
•    कस्टमर सर्विस मैनेजर
•    इन्वेंटरी कंट्रोल मैनेजर
•    मटीरियल मैनेजर
•    परचेजिंग मैनेजर
•    सप्लाई चेन मैनेजर
•    लॉजिस्टिक्स इंजीनियर
•    लॉजिस्टिक्स मैनेजर
•    इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स मैनेजर
•    फुलफिल्मेंट सुपरवाइज़र
•    सप्लाई चेन एनालिस्ट
•    सप्लाई चेन सॉफ्टवेयर मैनेजर
•    ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर
•    वेयरहाउस ऑपरेशन्स मैनेजर
•    शिपिंग कोऑर्डिनेटर
•    एक्सपोर्ट एग्जीक्यूटिव

भारत में लॉजिस्टिक्स के टॉप जॉब प्रोवाइडर्स 

•    मेन्युफेक्चरिंग कंपनीज़
•    होलसेल
•    सप्लाईचेन
•    आर्म्ड फोर्सेज
•    रिटेल मैनेजमेंट
•    फ्रेट एंड कार्गो कंपनीज़
•    कूरियर कंपनीज़
•    पैकर्स एंड मूवर्स
•    एयरलाइन्स
•    ऑटोमोबाइल्स
•    गारमेंट कंपनीज़
•    फ़ूड एंड ग्रोसरी 
•    लार्सेन एंड टुब्रो लि.
•    एंकर इलेक्ट्रिकल्स
•    बायोमैक्स फ्यूल्स लि.
•    एक्सेंचर
•    नोकिया
•    टोयोटा
•    प्रॉक्टर एंड गैम्बल

भारत में लॉजिस्टिक्स में मिलता है यह सैलरी पैकेज

हमारे देश में भी दुनिया के अन्य देशों की तरह इस फील्ड में योग्य पेशेवरों को काफी बढ़िया सैलरी पैकेज मिलता है. इस फील्ड में मैनेजर को एवरेज 5.5 लाख रुपये सालाना मिलते हैं जो इस फील्ड में बढ़ते हुए कार्य अनुभव के साथ बढ़ते रहते हैं. इन पेशेवरों की सैलरी उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, जॉब प्रोफाइल, वर्किंग एरिया के साथ ही एम्पलॉयर कंपनी के मुताबिक निर्धारित की जाती है.

Saturday, February 5, 2022

कार्टोग्राफी में करियर

कार्टोग्राफी मैप्स और उनसे संबद्ध हरेक चीज़ का अध्ययन है. आजकल, मैप्स को तैयार करने और इस्तेमाल करने के तरीकों में काफी बदलाव आये हैं. पुराने जमाने में भौतिक और पेपर-बेस्ड मैप्स होते थे लेकिन आजकल सभी मैप्स, चाहे वे लोकल मैप्स हों या फिर ग्लोबल मैप्स, डिजिटल मैप्स होते हैं और हमारे मोबाइल ऐप्स पर उपलब्ध हैं. जब भी आप किसी नये शहर या फिर, अपने शहर की किसी अपरिचित जगह जाना चाहते हैं तो आप अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल एप पर निर्भर करते हैं. मैप्स डिजिटल होने के साथ ही अब इस कोर्स द्वारा कार्टोग्राफर्स के लिए मैप तैयार करने का बिलकुल नया तरीका प्रस्तुत किया है. हालिया बदलावों को ध्यान में रखकर कार्टोग्राफी और मैप-मेकिंग के कोर्सेज में भी काफी बदलाव आया है. आइये भारत में उपलब्ध टॉप कार्टोग्राफी कोर्सेज के बारे में विस्तार से चर्चा करें:

कार्टोग्राफी क्या है?      

कार्टोग्राफी शब्द दो फ्रेंच शब्दों अर्थात ‘कार्टे’ और ‘ग्राफी’ से मिलकर बना है. ‘कार्टे’ शब्द का अर्थ ‘मैप’ या ‘एक कार्ड’ है और ‘ग्राफी’ शब्द ‘डिस्क्रिप्टिव साइंस’ का एक रूप है. इसलिये, कार्टोग्राफी के तहत जनरल यूजर्स के लिए मैप्स बनाने की स्टडी और प्रैक्टिस को शामिल किया जाता है. एक स्टडी फील्ड के तौर पर, कार्टोग्राफी में साइंटिफिक और आर्टिस्टिक तत्वों के मिश्रित रूप को शामिल किया जाता है. इस फील्ड में इमेज प्रोसेसिंग की स्टडी और एप्लीकेशन, डाटा का विजूअल डिस्प्ले, डाटा कैप्चर और डाटा मैनिपुलेशन को शामिल किया जाता है.

आप कार्टोग्राफी में कोर्स क्यों करें?  

जो मैप्स पुराने जमाने में केवल सेलर्स और नेविगेटर्स के द्वारा इस्तेमाल किये जाते थे, वे आजकल हरेक व्यक्ति के लिए जरुरी साधन हो गए हैं. मैप्स की मदद से कोई स्थान ढूंढने वाले लोगों के अलावा, आजकल मैप्स का इस्तेमाल टूरिस्ट्स, मौसम की रिपोर्ट तैयार करने के लिए, रेलवे लाइन्स बिछाने के लिए, फ्लाइट्स-पाथ्स के निर्धारण के लिए और समुद्री-व्यापार के रुट्स निर्धारित करने के लिए भी काफी ज्यादा किया जाता है. सरल शब्दों में, कार्टोग्राफी अभी भी काफी महत्वपूर्ण विषय है और स्टूडेंट्स को करियर के काफी अवसर उपलब्ध करवाता है. 

कार्टोग्राफी में कौन से कोर्सेज उपलब्ध हैं?

जो स्टूडेंट्स जियोग्राफी में इंटरेस्टेड हैं, उनके लिए कार्टोग्राफी एक बहुत लोकप्रिय कोर्स विकल्प है. अधिकांश मामलों में, कार्टोग्राफी को जियोग्राफी के उप विषय के तौर पर अंडरग्रेजुएट और डिप्लोमा लेवल पर शामिल किया जाता है लेकिन, कुछ कॉलेज डिप्लोमा, ग्रेजुएट और मास्टर्स लेवल पर कार्टोग्राफी में स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी ऑफर करते हैं. जो स्टूडेंट्स कार्टोग्राफी में अध्ययन करना चाहते हैं, उनके लिए कुछ बेहतरीन कोर्सेज निम्नलिखित हैं:

कार्टोग्राफी में सर्टिफिकेट लेवल कोर्सेज

• कार्टोग्राफी में सर्टिफिकेट कोर्स

  • योग्यता: जियोग्राफी विषय के साथ 10 + 2
  • कोर्स की अवधि: 3 महीने से 1 वर्ष

कार्टोग्राफी में डिप्लोमा लेवल कोर्सेज

• जियोइनफॉर्मेटिक्स में डिप्लोमा

  • योग्यता: जियोग्राफी विषय के साथ 10 + 2
  • कोर्स अवधि: 2-3 साल

कार्टोग्राफी में ग्रेजुएट लेवल कोर्सेज

• बीई जियोइनफॉर्मेटिक्स

  • योग्यता: जियोग्राफी के साथ 10 + 2
  • कोर्स अवधि: 4 साल

• बीटेक जियोइनफॉर्मैटिक्स फॉर्मेटिक्स

  • योग्यता: जियोग्राफी के साथ 10 + 2
  • कोर्स अवधि: 4 साल

• बीएससी जियोग्राफी

  • योग्यता: जियोग्राफी के साथ 10 + 2
  • कोर्स अवधि: 3 साल

• बीए जियोग्राफी

  • योग्यता: जियोग्राफी के साथ 10 + 2
  • कोर्स अवधि: 3 साल

कार्टोग्राफी में मास्टर्स लेवल कोर्सेज

• जियोग्राफिकल कार्टोग्राफी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

• एमए जियोग्राफी

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

• एमई जियोइनफॉर्मेटिक्स

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

• एमएससी जियोग्राफी

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

• एमएससी जियोइनफॉर्मेटिक्स

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

• एमटेक: रिमोट सेंसिंग और जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस)

  • योग्यता: ग्रेजुएशन की डिग्री
  • कोर्स अवधि: 2 साल

कौन से स्टूडेंट्स कार्टोग्राफी का कोर्स कर सकते हैं?

जैसेकि ऊपर चर्चा की गई है, भारत में कार्टोग्राफी के विभिन्न कोर्सेज उपलब्ध हैं. इन कोर्सेज हेतु  योग्यता संबंधी शर्ते, प्रत्येक कोर्स की आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग हैं. लेकिन, आमतौर पर, अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए, स्टूडेंट्स ने 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम या संबद्ध क्वालीफाइंग एग्जाम आवश्यक विषयों सहित पास किया हो. सीमित सीट्स के साथ महत्वपूर्ण विषय होने के कारण, स्टूडेंट्स को कार्टोग्राफी के विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स भी पास करने होते हैं. 

कार्टोग्राफी का कोर्स कहां से करें?

जहां तक भारत का संबंध है, यहां कई अलग-अलग कॉलेज और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स हैं जो कार्टोग्राफी और मैप बनाने में स्पेशलाइज्ड कोर्सेज ऑफर करते हैं. कार्टोग्राफी में विभिन्न कोर्सेज ऑफर करने वाले टॉप कॉलेजेज और इंस्टीट्यूट्स हैं:

यूनिवर्सिटी/ इंस्टीट्यूट

कोर्सेज

अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, चेन्नई

मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) जियोइनफॉर्मेटिक्स साइंस

बर्धवान यूनिवर्सिटी - बर्धमान

मास्टर ऑफ साइंस- रिमोट सेंसिंग एंड जियोग्राफिक इनफॉर्मेशन सिस्टम

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सर्वेइंग एंड मैपिंग, हैदराबाद

एमटेक (जियोमैटिक्स) / एमएससी (जियोस्पेशियल साइंस)

इंडियन इंस्टीट्यूट, बॉम्बे

विभिन्न कोर्सेज

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली

कार्टोग्राफी में डिप्लोमा

एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा

कार्टोग्राफी में डिप्लोमा

नॉर्थ उड़ीसा यूनिवर्सिटी, बरिपदा

रिमोट सेंसिंग एंड जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम में मास्टर ऑफ साइंस

उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद

जियोग्राफिकल कार्टोग्राफी में डिप्लोमा

पंडित रवि शंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी, रायपुर

रिमोट सेंसिंग एंड जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम में पोस्टग्रेजुएट  डिप्लोमा

सैम हिगिनबोटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर, इलाहाबाद

रिमोट सेंसिंग एंड जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम में पोस्टग्रेजुएट  डिप्लोमा

कार्टोग्राफी कोर्स के लिए विदेशी इंस्टीट्यूट्स

भारतीय कॉलेजेज के अलावा, कई अंतर्राष्ट्रीय लेवल के प्रसिद्ध विदेशी इंस्टीट्यूशन्स हैं जो कार्टोग्राफी में बेहतरीन कोर्सेज ऑफर करते हैं. कुछ टॉप इंस्टीट्यूट्स और कोर्सेज का विवरण आपकी सहूलियत के लिए नीचे दिया जा रहा है.

कॉलेज/ इंस्टीट्यूट

कोर्सेज

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी – यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका

कार्टोग्राफी में बैचलर डिग्री

फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी - यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका

  कार्टोग्राफी में मास्टर डिग्री

मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ जियोडेसी एंड कार्टोग्राफी (एमआईआईजीएआईके)

  विभिन्न कोर्सेज

टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी - यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका

  कार्टोग्राफी में बैचलर डिग्री

विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी – मेडिसन - यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका

 कार्टोग्राफी में बैचलर डिग्री और कार्टोग्राफी में मास्टर डिग्री

कार्टोग्राफी कोर्सेज में कैसे लें एडमिशन?

आमतौर पर, प्रत्येक यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट जो कार्टोग्राफी में कोर्स ऑफर करता है, अपने इंस्टीट्यूट में एडमिशन देने के लिए उसका अपना सिलेक्शन प्रोसीजर होता है. कई इंस्टीट्यूट्स कैंडिडेट्स की स्क्रीनिंग और सिलेक्शन के लिए अपने एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित करते हैं या कैंडिडेट्स को एडमिशन देने के लिए अन्य पॉपुलर एंट्रेंस एग्जाम्स के स्कोर्स एक्सेप्ट करते हैं.

भारत में कई बेहतरीन कार्टोग्राफी कोर्सेज उपलब्ध होने के साथ-साथ विदेशों में इंडियन स्टूडेंट्स के पसंदीदा पॉपुलर स्टडी इंस्टीट्यूट्स होने के कारण, अपने लिए सही कोर्स चुनना अब उतना मुश्किल नहीं रहा जितना कि आप सोचते हैं. अगर आपको मैप्स में रूचि है और आपके पास बढ़िया क्रिएटिव एवं मैथमेटिकल स्किल्स हैं तो कार्टोग्राफी में कोई कोर्स करने पर, आपको अपने लिए एक शानदार करियर बनाने में काफी मदद मिल सकती है