Monday, September 6, 2021

फाइन आर्ट बेहतरीन करियर

फाइन आर्ट एक बेहतरीन करियर फील्ड है। इसमें सफलता के लिए क्रिएटिव माइंड के साथ परिश्रमी होना भी जरूरी है। 

देश में कला को सदैव सर्वोपरि रखा गया है। कलाओं ने ही तो देश को एक नई पहचान दी है। आईटी एवं कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन अनिवार्य होता जा रहा है। इसी के साथ हाथ की कारीगरी भी धीरे-धीरे तकनीकी रूप अख्तियार करती जा रही है। तकनीकी दखल के बावजूद कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जो लगातार अपनी परंपरा एवं पहचान बनाए हुए हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र है ‘फाइन आर्ट’ यानी ललित कला। आमतौर पर लोगों का मानना है कि ललित कला की उपयोगिता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि आज भी यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। अच्छी पेंटिंग्स लाखों-करोड़ों में बिक रही हैं तथा कलाकारों को उसका पूरा फायदा भी मिल रहा है। इस तरह अच्छे कलाकार को पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही बेशुमार शोहरत भी मिलती है। पर विदेशों की अपेक्षा अभी भी भारत काफी पीछे है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पर आर्ट एग्जिबिशन एवं गैलरी कम ही देखने को मिलती हैं, जिससे लोगों को जागरूकता तथा इस कोर्स की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती। 

 बारहवीं के बाद खुलेंगे दरवाजे

फाइन आर्ट से संबंधित कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद हैं।  इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं तय की गई है। अधिकांश संस्थान 10वीं के बाद ही कई तरह के डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं, पर वह अधिक कारगर नहीं होते। बारहवीं के बाद जब छात्र के अंदर कला को समझने का कौशल विकसित हो जाता है तो उसे इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) में एडमिशन 12वीं के पश्चात मिलता है। यह चार वर्ष का पाठ्यक्रम होता है। बैचलर कोर्स में प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला मिलता है। कई संस्थान मेरिट के आधार पर दाखिला देते हैं। बीएफए के बाद मास्टर डिग्री के रूप में 2 वर्षीय मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) किया जाता है। यदि मास्टर कोर्स में 50 प्रतिशत अंक हैं तो पीएचडी का रास्ता भी खुल जाता है।

कई तरह के गुण आवश्यक
यह क्षेत्र ऐसा है, जो परिश्रम एवं समय मांगता है। अचानक कोई अचानक ही अच्छा कलाकार नहीं बन सकता। इसमें यह देखा जाता है कि छात्र अपनी भावनाओं एवं कल्पनाओं को किस हद तक कैनवस एवं कागज पर उकेर पा रहा है। इसके लिए कल्पनाशील व अपनी सोच से कुछ नया गढ़ने का गुण होना आवश्यक है। इसमें महारथ हासिल करने के लिए क्रिएटिव माइंड होना चाहिए, ताकि आप अपने आर्ट में वह रंग भर दें कि लोगों को वह आकर्षित कर सके।

काफी लंबा-चौड़ा क्षेत्र है यह
फाइन आर्ट कोई नया पाठय़क्रम नहीं है। लंबे समय से भारत में इसकी उपयोगिता देखी जा रही है। आजकल इस क्षेत्र में काफी प्रयोग देखने को मिल रहे हैं, जिसका सकारात्मक फायदा इस क्षेत्र में कदम रखने वाले लोगों को मिल रहा है। यही कारण है कि इसमें रोजगार की संभावना सदैव बनी रहती है। पाठ्यक्रम के पश्चात कई तरह के विकल्प जैसे पत्र-पत्रिकाओं व विज्ञापन एजेंसियों में विजुअलाइजर, स्कूल-कॉलेज में आर्ट टीचर, बोर्ड डायरेक्टर आदि सामने आते हैं।

कमाई बहुत है इस क्षेत्र में
कमाई का सारा दारोमदार अनुभव एवं कलाकृति की अपील पर टिका होता है। इस क्षेत्र में बढ़ती भीड़ में उन्हीं लोगों को सफलता मिल रही है, जिनके हाथ सधे हुए हैं। यदि छात्र नौकरी करना चाहते हैं तो उनके लिए कई विकल्प हैं, जहां उन्हें 10-15 हजार की नौकरी आसानी से मिल जाती है। जबकि अनुभवी लोग अपने कारोबार के दम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। लेकिन इसके लिए एक लंबे अनुभव एवं बाजार की जरूरत पड़ती है। जैसे-जैसे भारत में आर्ट एग्जिबिशन एवं कला से संबंधित अन्य गैलरी का चलन बढ़ रहा है, वैसे ही कमाई, खासकर खुद का रोजगार करने वाले एवं फ्रीलांसरों की कमाई बढ़ती जा रही है।

इस रूप में कर सकते हैं काम
विजुअलाइजिंग प्रोफेशनल
इलस्ट्रेटर
आर्ट क्रिटिक
आर्टिस्ट
आर्ट प्रोफेशनल्स
डिजाइन ट्रेनर

यहां मिलेगा अवसर
एनिमेशन इंडस्ट्री ’विज्ञापन कंपनी
आर्ट स्टूडियो
फैशन हाउस
पत्र-पत्रिकाएं
स्कल्पचर
टेलीविजन
पब्लिशिंग इंडस्ट्री
ग्राफिक आर्ट
टीचिंग
फिल्म व थियेटर प्रोडक्शन
टेक्सटाइल इंडस्ट्री

एक्सपर्ट व्यू/ प्रो. मनीष अरोड़ा
फाइन आर्ट के वर्तमान एवं संभावनाओं पर प्रस्तुत है बनारस हिन्दू विवि के अप्लाइड आर्ट के सहायक प्रोफेसर प्रो़ मनीष अरोड़ा से बातचीत के अंश-

वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए फाइन आर्ट का क्षेत्र कैसा है?             
इस समय देश व विदेश दोनों जगह फाइन आर्ट का भविष्य अच्छा है। नई पीढ़ी में इसके प्रति जागरूकता आयी है। समाज में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। प्रवेश परीक्षा और कोर्स के दौरान छात्रों की बढ़ती भीड़ इस बात की तस्दीक कर रही है कि इसमें निराश होने जैसी कोई बात नहीं है। म्यूजियम भी अब ऑनलाइन हो चुके हैं व इंटरनेट से काफी मदद मिल रही है।

कोर्स से छात्रों को कितनी सहायता मिलती है?
प्रशिक्षण संस्थान छात्रों को ऐसा खुला मंच उपलब्ध कराते हैं, जहां से वह अपने कौशल को अधिक बिखेर सकते हैं। विदेशी कोर्स को यहां के हिसाब से बदला गया है। इसमें 80 प्रतिशत प्रेक्टिकल व 20 प्रतिशत थ्योरी है। प्रशिक्षण संस्थान इन्हीं बारीकियों, कल्पनाशीलता तथा इसके इतिहास से अवगत कराते हैं। फिर भी स्कूली ज्ञान के अलावा छात्रों को स्वयं से मेहनत की दरकार होती है।

आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कैसे कर सकते हैं कोर्स?
छात्र यदि इसमें भविष्य बनाने के इच्छुक हैं तो उनके सामने धन आड़े नहीं आता। कई प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक छात्रों को एजुकेशन लोन उपलब्ध कराते हैं। जहां तक विदेश जाकर पढ़ने का सवाल है तो वहां पर कई ऐसी फेलोशिप मिलती हैं, जो छात्रों का खर्च उठाने में सक्षम हैं।

फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
भारत में फाइन आर्ट से संबंधित पाठय़क्रम चलाने वाले प्रमुख संस्थान निम्न हैं-

कॉलेज ऑफ आर्ट (दिल्ली विश्वविद्यालय), नई दिल्ली
वेबसाइट -www.du.ac.in
डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट (जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि), नई दिल्ली
वेबसाइट --www.jmi.ac.in
फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट -www.bhu.ac.in
राजस्थान विश्वविद्यालय (डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट), राजस्थान
वेबसाइट -www.uniraj.ernet.in
सर जेजे इंस्टीटय़ूट ऑफ एप्लाइड आर्ट्स, मुंबई
वेबसाइट -www.jjiaa.org
भारती कला महाविद्यालय, महाराष्ट्र
वेबसाइट -www.cofa.bharati vidyapeeth.edu

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