Wednesday, August 4, 2021

स्पेस साइंस में कॅरिअर

 स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सैटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग से जुड़ी डिग्रियां हैं।

एक नए सेटेलाइट पर काम करना या किसी दूर स्थित ग्रह का खाका खींचना जैसे काम स्पेस साइंस से जुड़े कॅरिअर में शामिल हैं। इसके अंतर्गत आप सौर परिवार से जुड़ी नई खोज कर सकते हैं या फिर धरती पर प्रदूषण के अध्ययन के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। हो सकता है आप दुनिया के दूरदराज के समुदायों को जोड़ रहे हों या फिर आपदा प्रबंधन में अपना योगदान दे रहे हों। स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सेटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
चूंकि अवसर इतने ज्यादा हैं, इसलिए इस क्षेत्र की योग्यताएं भी काफी भिन्न हैं। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास कुशलताओं और योग्यताओं की विस्तृत रेंज है, जिनमें इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग शामिल हैं।
स्पेशलाइज्ड फील्ड्स
एस्ट्रोनॉमी ब्रह्मांड का वैज्ञानिक अध्ययन है, खासतौर पर आकाशीय पिंडों की गति, स्थिति, आकार, संरचना और व्यवहार का। एस्ट्रोफिजिक्स एस्ट्रोनॉमी की शाखा है, जो तारों, आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड के अध्ययन में इस्तेमाल होती है। एस्ट्रोबायोलॉजी में जीवन की शुरुआत, उद्भव और अस्तित्व की संभावना का अध्ययन शामिल है। एस्ट्रोकेमिस्ट्री में अंतरिक्ष में रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
क्या पढ़ना होगा
स्पेस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना पहला कदम है। इसके बाद अगर आप फिजिक्स मेजर या फिजिक्स ऑनर्स में डिग्री लेते हैं तो आप एस्ट्रोफिजिक्स या एस्ट्रोनॉमी में कॅरिअर बना सकते हैं। वैकल्पिक रूप से आप आईआईएसईआर, एनआईएसईआर, भुवनेश्वर, यूएम डीएई सीबीएस, मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत, कुछेक आईआईटी से इंटीग्रेटेड एमएससी इन फिजिक्स की पढ़ाई कर सकते हैं। उसके बाद आप पीएचडी कर सकते हैं। प्रवेश प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी से बीटेक एरोस्पेस इंजीनियरिंग, बीटेक इन एविओनिक्स, बीटेक फिजिकल करने वाले ग्रेजुएट्स, जो वांछित अकादमिक योग्यता को पूरा करते हों, उन्हें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में अवसर मिलते हैं। कुछ विश्वविद्यालय अपने पोस्टग्रेजुएट फिजिक्स डिग्री प्रोग्राम में एस्ट्रोफिजिक्स स्पेशलाइजेशन के तौर पर प्रस्तावित करते हैं। किसी भी विषय में इंजीनियरिंग की डिग्री के आधार पर आप एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी कर सकते हैं। पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के जरिए होता है।
अवसर
>स्पेस साइंटिस्ट विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के रूप में काम कर सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं, पेपर प्रकाशित कर सकते हैं, पढ़ा सकते हैं, अकादमिक कमेटी में शामिल हो सकते हैं, रिसर्च की फंडिंग के लिए प्रपोजल तैयार कर सकते हैं।
>एस्ट्रोनॉमर/एस्ट्रोफिजिसिस्ट सरकारी/राष्ट्रीय वेधशालाओं, स्पेस रिसर्च एजेंसियों, प्लेनिटेरियम, साइंस युजियम, मास मीडिया एंड साइंस कम्युनिकेशन में काम कर सकते हैं। अन्य अवसर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन व डीआरडीओ में उपलब्ध हैं। टेलिस्कॉप की डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर राइटिंग, डेटा प्रोसेसिंग व एनालाइसिस जैसे काम भी ये करते हैं।
कैसे बनें एस्ट्रोनॉट
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए आपमें फिटनेस के उच्चतम स्तर के साथ सही मेंटल एटीट्यूट होना जरूरी है। इंजीनियरिंग, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी या अर्थ साइंसेज की योग्यता आवश्यक है। कई मिशन स्पेशलिस्ट के पास पीएचडी की डिग्री भी होती है।
यहां से करें कोर्स
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च
यूएम-डीएई सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंसेज (सीबीएस), मुंबई
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑजरवेशनल साइंसेज, नैनीताल
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु
एस.एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता

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