Thursday, October 18, 2018

एन्वायरनमेंटल साइंस और इंजीनियरिंग में करियर

सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे कम करने की दिशा में आये दिन नए शोध और विकास कार्य होते रहते हैं। यही वजह है कि इस दिशा में कार्य कर रहे एन्वायरनमेंटल इंजीनियर्स की माँग न सिर्फ विदेश में, बल्कि देश में भी काफी बढ़ रही है।
एन्वायरनमेंटल विज्ञान और इंजीनियरिंग पर्यावरण और सम्बन्धित विषयों में शोध कार्य करते रहते हैं। इस विषय का मुख्य उद्देश्य ऐसी तकनीक विकसित करना है, जिससे प्रदूषण के प्रभाव को निरस्त या कम किया जा सके, ताकि लोगों को पीने के लिये स्वच्छ पानी, साँस लेने के लिये प्रदूषण रहित हवा और कृषि हेतु उपजाऊ भूमि मिल सके। इस प्रकार ग्रामीण और शहरी नागरिक स्वस्थ जीवनयापन कर सकते हैं।

एन्वायरनमेंटल विशेषज्ञ का कार्य क्षेत्र


एक प्रशिक्षित विज्ञान और इंजीनियरिंग के कार्य और उत्तरदायित्व की रूपरेखा निम्न प्रकार से की जा सकती है-

1. पर्यावरण सम्बन्धी परीक्षण और तकनीकी इत्यादि का निष्पादन और विकास करना।
2. वैज्ञानिक परीक्षण इत्यादि से प्राप्त जानकारी की व्याख्या और विवेचना करना।
3. पर्यावरण सम्बन्धी नियम और कानूनी वैधताओं और नियमों को सदैव नवीनीकृत करना।
4. पर्यावरण सम्बन्धी कानूनी कार्यवाही और सुधार कार्य हेतु वैज्ञानिक विशेषज्ञता उपलब्ध कराना।
5. पर्यावरण के सुधार हेतु कार्यशील योजनाओं का आकलन करना।
6. औद्योगिक प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर ज्ञात करना कि वे नियमों का पालन कर रहे हैं।
7. सरकारी एवं औद्योगिक संस्थाओं को पर्यावरण नीति पर वैज्ञानिक विशेषज्ञता उपलब्ध कराना।
8. पर्यावरण सुधार हेतु योजना एवं वैज्ञानिक प्रारूप तैयार करना, जिनमें मुख्य जल शोधन तंत्र, वायु प्रदूषण प्रणाली और अपशिष्ट प्रबन्धन है।

एन्वायरनमेंटल विशेषज्ञ में अपेक्षित व्यक्तिगत गुण


एन्वायरनमेंटल विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने हेतु आप में प्रकृति प्रेम होना आवश्यक है। यह आपको वातावरण की सुरक्षा के प्रति प्रेरित करेगा। इसके साथ ही आप में तार्किक सोच का होना अनिवार्य है। विज्ञान के नियमों की अच्छी समझ इस कठिन विषय के चुनौती पूर्ण कार्य को आसान बनाती है। समस्या को सुलझाने का कौशल भी उपयोगी सिद्ध होगा।

वैज्ञानिक शोध में कई प्रयत्न लग सकते हैं, इसलिये आप में धैर्य होना चाहिए। निरन्तर प्रयत्न करने की इच्छा और ऊर्जावान सोच आपके कार्य को सरल कर देगी। यह कार्यक्षेत्र चुनौतियों भरा है। अपेक्षा रहेगी की आप पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के क्रान्तिकारी समाधान प्राप्त करने हेतु सदा प्रयत्नशील रहेंगे।

योग्यता एवं पाठ्यक्रम


पहले सिविल इंजीनियरिंग के अनु-पाठ्यक्रम के रूप में ही एन्वायरनमेंटल विज्ञान और इंजीनियरिंग का अध्ययन उपलब्ध था। परन्तु अब पर्यावरण सम्बन्धित जागरुकता एवं आवश्यकता के कारण, यह एक स्वतंत्र विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में सम्भावनाएँ बढ़ती जा रहीं हैं। स्नातक उपाधि हेतु 12वीं या समकक्ष में उत्तीर्ण छात्र आवेदन कर सकते हैं।

बीएससी पाठ्यक्रम में प्रवेशार्थ भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान अनिवार्य विषय हैं। बीई/बीटेक उपाधि के इच्छुक अभ्यर्थी के लिये भौतिकी, रसायन विज्ञान के साथ गणित अनिवार्य विषय हैं। शैक्षणिक स्तर पर एन्वायरनमेंटल विज्ञान और इंजीनियरिंग तीन स्तरों पर उपलब्ध हैं। सबसे पहला स्तर है स्नातक अध्ययन।

इस स्तर पर अनुमान्य उपाधि हैं बीएससी एन्वायरनमेंटल साइंस और बीई/बीटेक एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग। बीएससी 3 वर्षीय और बीई/ बीटेक 4 वर्षीय कार्यक्रम है। दूसरा स्तर है परास्नातक अध्ययन का जिसके लिये एमएससी में प्रवेश ले सकते हैं।

इस 2 वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश की अनिवार्यता बीएससी है। एमटेक इंजीनियरिंग के छात्रों के लिये परास्नातक उपाधि है। एमटेक हेतु एनर्जी एंड एन्वायरनमेंट मैनेजमेंट एक उभरता हुआ और लोकप्रिय विषय बन गया है। स्नातकोत्तर के अलावा छात्र पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैं, जो इस क्षेत्र में आपके ज्ञान और योग्यताओं को नया आयाम देता है। शोध अध्ययन का तीसरा स्तर है। किसी विशेष समस्या पर शोध करने पर विद्यार्थी को पीएचडी या एमफिल उपाधि प्रदान की जाती है

सम्भावनाएँ


पारम्परिक रूप से एन्वायरनमेंटल प्रोफेशनल्श की माँग केमिकल, जियालाॅजिकल, पेट्रोलियम, सिविल और माइनिंग सेक्टर्स से जुड़े संगठनों में रही है। केमिकल, बायोलाॅजिकल, थर्मल, रेडियोएक्टिव और यहाँ तक कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षित छात्रों के लिये भारत में एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काफी सम्भावनाएँ बन रही हैं।

एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग से जुड़े शोध कार्यक्रम में भी इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्श की अच्छी-खासी माँग है। वेस्ट रिडक्शन मैनेजमेंट, प्रोसेस इंजीनियरिंग, एन्वायरनमेंटल केमिस्ट्री, वाटर एंड सीवेज ट्रीटमेंट, पॉल्यूशन प्रीवेंशन आदि कुछ ऐसे ही क्षेत्र हैं।

एमटेक कर चुके छात्र सरकारी एसेसमेंट कमेटियों में भी कार्य कर सकते हैं। एन्वायरनमेंटल इंजीनियर्स को केन्द्र और राज्य स्तरीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ काम करने का अवसर मिलता है। गैर-सरकारी संस्थाएँ और कई सरकारी विभाग भी हरित विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

वेतन


स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ काम कर रहे प्रशिक्षितों का वेतन 15 से 30000 रुपए तक हो सकता है। वहीं एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग में एमटेक कर चुके छात्र इस क्षेत्र में 50000 रुपए तक कमा सकते हैं। इस क्षेत्र में शोध कार्यों से 75000 रुपए तक कमाए जा सकते हैं।

प्रमुख संस्थान


1. क्वांटम यूनीवर्सिटी, रुड़की (Quamtum University, Roorkee)
2. साउथ गुजरात यूनीवर्सिटी, सूरत (South Gujrat University, Surat)
3. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली (University of Delhi, Delhi)
4. मैसूर यूनीवर्सिटी, कर्नाटक (University of Mysore, Karnatak)
5. दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, दिल्ली (Delhi collage of Engineering, Delhi)
6. राजीव गाँधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, इन्दौर (Rajiv Gandhi Proudyogiki Vishwavidyalaya, Indore)
7. आईआईटी दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर और मद्रास (IIT Delhi, kanpur, Kharagpur And Madras)

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