Tuesday, October 16, 2018

इतिहास में बनाएं करियर

किसी भी देश को जानने-समझने के लिए इतिहास का अध्ययन बहुत आवश्यक होता है। इतिहास केवल घटनाओं का ही ब्योरा मात्र नहीं है, अपितु यह शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लंबे शोध का विषय भी होता है।
इस विषय में करियर की भी अच्छी संभावनाएं मौजूद हैं। अगर आपकी भी रुचि अतीत को जानने-समझने में है तो इतिहास के जरिए आप अपने भविष्य को भी संवार सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानिए। 
इतिहास के तहत प्राचीन मानव संस्कृति को खंगाला जाता है। प्राचीन मानव के सांस्कृतिक आचार व्यवहार को व्याख्यायित किया जाता है। इसके लिए पुरानी सभ्यताओं द्वारा छोड़ी गई चीजों और खंडहरों, उनकी गतिविधियों, व्यवहार आदि का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्राचीन अवशेषों का अध्ययन करना पड़ता है।

प्राचीन सिक्के, बर्तन, चमड़े की किताबें, भोजपत्र पर लिखित पुस्तकें, शिलालेख, मिट्टी के नीचे दफन शहरों के खंडहर या फिर पुराने किले, मंदिर, मस्जिद और हर प्रकार के प्राचीन अवशेष, वस्तुओं आदि का अध्ययन इतिहास के अंतर्गत किया जाता है।
ऑर्कियोलॉजिकल मॉन्यूमेंट्स, आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, कॉइन, सील, बीड, लिट्रेचर और नेचुरल फीचर्स के संरक्षण और प्रबंधन का कार्य भी इतिहास के तहत किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि भारत का इतिहास हजारों बहुमूल्य पांडुलिपियों, और अभिलेखों आदि से भरा पड़ा है। इनमें से बहुतों को संरक्षित और संगृहीत किया जा चुका है, जबकि कई अभी भी संग्रहित किए जाने की बाट जोह रहे हैं। इनका संकलन बेहद जरूरी है। इतिहास इसमें भरपूर मदद करता है। 
मेन कोर्सेस
अगर विषय के रूप में बात की जाए तो इतिहास ऐसा विषय है, जिसकी सामान्य पढ़ार्ई छठीं कक्षा से ही शुरु हो जाती है। लेकिन ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में इतिहास एक विषय के रूप में छात्रों को आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराता है।
ग्रेजुएशन स्तर पर छात्र बीए में इतिहास की कई शाखाओं का अध्ययन कर सकते हैं। ग्रेजुएशन में इतिहास का अध्ययन आर्कियोलॉजिस्ट या शिक्षक आदि के रूप में कई नए अवसरों की नींव रखता है। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन (एमए) में भी इतिहास की कई शाखाओं का अध्ययन किया जा सकता है।
इसके बाद एमफिल और पीएचडी की राह आसान हो जाती है। कई संस्थान इतिहास से संबंधित क्षेत्रों में डिप्लोमा और शॉर्ट-टर्म कोर्स भी कराते हैं, जो आर्कियोलॉजी, म्यूजियोलॉजी, आर्काइवल स्टडीज आदि से संबंधित होते हैं। 
कुछ विशेष कोर्स
इतिहास के क्षेत्र में रोजगार को ध्यान में रखते हुए कई तरह के स्पेशलाइजेशन कोर्स जैसे आर्काइव्स मैनेजमेंट, हेरिटेज मैनेजमेंट आदि देश में कराए जा रहे हैं। इस प्रकार के कोर्स करने के बाद छात्रों को सबसे ज्यादा अवसर आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में मिलते हैं।
गौरतलब है कि आर्कियोलॉजिस्ट प्राचीन भौतिक अवशेषों की खोज करते हैं, उनका अध्ययन/परीक्षण करते हैं और फिर अपने तार्किक निष्कर्ष के आधार पर इतिहास की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं।
इस प्रक्रिया के कारण जहां एक ओर दुनिया को इतिहास की सही जानकारी प्राप्त होती है, वहीं अंधविश्वास और गलतफहमियों का निपटारा भी इस प्रकार की महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों से संभव होता है।
समय-समय पर पुरातात्विक दस्तावेज और वस्तुएं खोजी जाती रही हैं, जो विगत का सही-सही लेखा-जोखा प्रस्तुत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती हैं और हमें और अधिक प्रामाणिक ज्ञान प्रदान करती हैं।

विषय की उपयोगिता
इतिहास में करियर बनाने के लिए उन विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए, जो लुप्त समाज, सभ्यताओं, उनके इतिहास और अवशेषों के बारे में रुचि रखते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में इतिहास का अध्ययन बहुत उपयोगी साबित होता है। इतिहास विषय के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर सफलता प्राप्त करते हैं।
विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं और सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन के बहुत सारे प्रश्न इतिहास से संबधित होते हैं। इतिहास से जुड़े प्रश्नों को इतिहास के विद्यार्थी पलक झपकते ही हल कर देते हैं। इतिहास से जुड़े सांस्कृतिक पक्ष के निबंध भी बगैर अतिरिक्त मेहनत किए हल किए जा सकते हैं। सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में इतिहास को एक विषय के रूप में भी लिया जा सकता है। 
नौकरी के अवसर
पिछले दिनों विश्व प्रसिद्ध यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स द्वारा जारी की गई एक नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि इतिहास विषय से संबंधित रोजगार संपूर्ण विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह वृद्धि आने वाले कई वर्षों तक सतत होती रहेगी।
इस रिपोर्ट से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतिहास के क्षेत्र में कितनी चमकीली रोजगार की संभावनाएं हैं। इतिहास विषय से जुड़े विभिन्न कोर्सों को सफलतापूर्वक करने के बाद रोजगार की उजली संभावनाएं हैं। इतिहास का कोर्स करने के बाद जो पद प्राप्त किए जा सकते हैं, वे इस प्रकार हैं-म्यूजियम क्यूरेटर, हेरिटेज मैनेजर, कंजर्वेशन ऑफिसर, म्यूजियम एग्जीबिशन ऑफिसर, स्कूल टीचर, लाइब्रेरियन, आर्कियोलॉजिस्ट, आर्किविस्ट, जर्नलिस्ट आदि।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अलावा देश-विदेश में ऐसे बहुत से पुरातत्व संबंधी संस्थान हैं, जहां निदेशक, शोधकर्ता, सर्वेक्षक और आर्कियोलॉजिस्ट, असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट आदि पदों पर इतिहास के प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार उपलब्ध हैं। विदेश मंत्रालय के हिस्टोरिकल डिवीजन, शिक्षा मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, विश्वविद्यालयों आदि में भी रोजगार के अच्छे मौके मिलते हैं।
सरकारी नौकरी के अंतर्गत जहां प्रोफेशनल्स को सरकारी म्यूजियम, गैलरी, आर्म्ड फोर्सेज, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय आदि में नौकरी के अवसर मिलते हैं, वहीं उच्च शिक्षण संस्थान, पब्लिशिंग कंपनी, हेरिटेज ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल पार्क सर्विसेज आदि कई ऐसे प्राइवेट संस्थान हैं, जो छात्रों को अपने यहां नौकरी देते हैं।
सरकारी संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में नौकरी करने वाले पुरातत्वविदों को बहुत अच्छे वेतन पर नियुक्ति मिलती है। इतिहास में डिग्री लेने के बाद शोध संस्थानों, ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री आदि जगह भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। 
सैलरी
इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की सैलरी उनकी योग्यता और संस्थान पर निर्भर करती है। सरकारी संस्थानों में शुरुआती दौर में ही प्रोफेशनल्स को 30 से 40 हजार रुपए प्रतिमाह मिलने लगते हैं।
कॉलेज/यूनिवर्सिटी में टीचिंग के क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स को शुरुआत में ही 40-45 हजार रुपए प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं। निजी संस्थान भी अच्छी सैलरी ऑफर करते हैं। विदेशों में तो और अच्छा सैलरी पैकेज मिलता है। 
प्रमुख संस्थान
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.jnu.ac.in 
पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी, रायपुर
वेबसाइट- www.prsu.ac.in 
चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी, भिवानी 
वेबसाइट- https://cblu.ac.in/ 
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
वेबसाइट- www.bhu.ac.in 
एबीवी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल
वेबसाइट- www.abvhv.org 

No comments:

Post a Comment

Career in Algorithm Development