यदि ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में आपकी दिलचस्पी है तो
आपके लिए यह एक रोमांचक तथा मजेदार करियर है। इस क्षेत्र में करियर निर्माण
इस बात पर निर्भर करता है कि आप एस्ट्रोनमी के किस क्षेत्र में कार्य करने
के इच्छुक हैं।
खगोल विज्ञान क्या है?
यह ब्रह्मांड का वह विज्ञान है, जिसमें सूर्य, ग्रहों, सितारों, पिण्डों, नक्षत्रों, आकाशगंगाओं तथा उपग्रहों की गति, प्रति, नियम, संगठन, इतिहास तथा भविष्य में संभावित विकासों का अध्ययन किया जाता है। जो युवा इंस्टूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनमी करने में दिलचस्पी रखते हैं उन्हें इसके लिए इंजीनियरिंग शाखा का चयन करना होगा। इंस्टूमेंटल एस्ट्रोनमी विभिन्न तरंग धैर्य पर ऐसे एस्ट्रोनमिकल इंस्टूमेंटेशन के डिजाइन और निर्माण में सुविज्ञता प्रदान करती है, जो भूतल अथवा अंतरिक्ष स्थित वेधशालाओं में प्रयुक्त किए जाते हैं।
कोर्स की रूपरेखा
खगोल विज्ञान को कई शाखाओं में बांटा गया है, जिनमें एस्ट्रोफिजिक्स, एस्ट्रोमेटेओरोलॉजी, एस्ट्रोबायोलॉजी, एस्ट्रोजियोलॉजी, एस्ट्रोमेट्री तथा कॉस्मोलॉजी प्रमुख हैं। ये सभी शाखाएं मिल कर ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद करती हैं।
प्रोफेशनल स्तर पर ज्योतिष को ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनमी तथा थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स के रूप में विभाजित किया गया है। इसमें जहां ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनमी का संबंध टेलीस्कोप, दूरबीन, कैमरों तथा नग्न आंखों से खगोलीय पिण्डों को देखने तथा उपकरण बनाने और उनके अनुरक्षण के लिए आंकड़े एकत्र करने से है, वहीं थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स का संबंध आंकड़ों के विश्लेषण, कम्प्यूटर पर्यवेक्षणों का निष्कर्ष निकालने तथा ऑब्जर्वेशनल परिणामों की व्याख्या करने से है।
योग्यता
सबसे पहले पीसीएम विषय के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करना चाहिए। ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो एस्ट्रोनमी में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रम ऑफर करते हैं। इसके बाद फिजिक्स अथवा एस्ट्रोनमी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की जा सकती है। सफलतापूर्वक एमएससी करने के बाद एस्ट्रोनमी में स्पेशलाइजेशन के लिए विद्यार्थी पीएचडी भी कर सकते है, जिसे करने के बाद ज्योतिष विज्ञानी, अंतरिक्ष यात्री, एस्ट्रोफिजिसिस्ट या अंतरिक्ष विज्ञान में वैज्ञानिक अथवा अनुसंधान अधिकारी बनने की राह प्रशस्त हो जाती है। रिसर्च के लिए अनिवार्य पीएचडी करने के लिए छात्रों को ज्वॉइंट एंटरेंस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेस्ट)देना आवश्यक है। इंस्टूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनमी में करियर बनाने के लिए इलेक्िटकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्क्टिकल कम्युनिकेशंस में बीई अथवा बीटेक करने के बाद इस क्षेत्र में बतौर रिसर्च स्कॉलर प्रवेश किया जा सकता है।
अवसरों की कमी नहीं
शुरुआत में वे बतौर रिसर्चर काम करते हैं और पीएचडी होल्डर अपना करियर पोस्ट डॉंक्टरल रिसर्च से आरंभ करते हैं। अपनी विशेषज्ञता के आधार पर वे ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रॉनोमर्स, स्टेलर एस्ट्रोनामर्स तथा सोलर एस्ट्रोनामर्स के रूप में अपना करियर निर्माण कर सकते हैं। इस क्षेत्र में डॉक्टोरल डिग्री तथा पीएचडी वाले छात्र बेसिक रिसर्च तथा डेवलपमेंट में कार्य करने के अवसर पाते हैं। पीएचडी करने वाले कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी लेवल पर शिक्षण कार्य कर सकते हैं।
स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त छात्र निर्माण क्षेत्र से लेकर एप्लाइड रिसर्च और डेवलपमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में बैचलर डिग्री वाले छात्र टेक्निकल, रिसर्च असिस्टेंट के रूप में करियर की शुरुआत कर सकते हैं। उनके लिए सरकारी विभागों, रक्षा संस्थानों तथा अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में आसानी से प्रतिष्ठापूर्ण पद मिल जाता है, जहां रिसर्च स्कॉलर से करियर आरंभ करके वे निदेशक तक बन सकते हैं। इन दिनों कॉमर्शियल तथा नॉन- कॉमर्शियल रिसर्च डेवलपमेंट तथा टेस्टिंग लेबोरेटरियों, ऑब्जरवेटरियों, प्लेनेटोरियमों, साइंस पार्को आदि में अच्छी संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा, डॉक्टोरेट उपाधि वाले छात्र इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन-इसरो, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरीज, स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर्स आदि के साथ-साथ लाभ निरपेक्ष संस्थानों यथा एसोसिएशन ऑफ बैंगलोर अमेच्योर एस्ट्रोनमर्स में कार्य कर सकते हैं। चूंकि इस क्षेत्र से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार तथा कॉन्फ्रेंसेस दुनियाभर में लगातार चलते ही रहते हैं, इसलिए यह क्षेत्र देश ही नहीं, विदेशों में भी अच्छे अवसर उपलब्ध कराता है। इस क्षेत्र में वेतन कार्य के पहलुओं, संस्थान तथा इस क्षेत्र में प्राप्त अनुभव के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
संस्थान
हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरू
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ जियोमेग्नेटिज्म, मुंबई
इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ एस्ट्रोनमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे
उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली
खगोल विज्ञान क्या है?
यह ब्रह्मांड का वह विज्ञान है, जिसमें सूर्य, ग्रहों, सितारों, पिण्डों, नक्षत्रों, आकाशगंगाओं तथा उपग्रहों की गति, प्रति, नियम, संगठन, इतिहास तथा भविष्य में संभावित विकासों का अध्ययन किया जाता है। जो युवा इंस्टूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनमी करने में दिलचस्पी रखते हैं उन्हें इसके लिए इंजीनियरिंग शाखा का चयन करना होगा। इंस्टूमेंटल एस्ट्रोनमी विभिन्न तरंग धैर्य पर ऐसे एस्ट्रोनमिकल इंस्टूमेंटेशन के डिजाइन और निर्माण में सुविज्ञता प्रदान करती है, जो भूतल अथवा अंतरिक्ष स्थित वेधशालाओं में प्रयुक्त किए जाते हैं।
कोर्स की रूपरेखा
खगोल विज्ञान को कई शाखाओं में बांटा गया है, जिनमें एस्ट्रोफिजिक्स, एस्ट्रोमेटेओरोलॉजी, एस्ट्रोबायोलॉजी, एस्ट्रोजियोलॉजी, एस्ट्रोमेट्री तथा कॉस्मोलॉजी प्रमुख हैं। ये सभी शाखाएं मिल कर ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद करती हैं।
प्रोफेशनल स्तर पर ज्योतिष को ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनमी तथा थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स के रूप में विभाजित किया गया है। इसमें जहां ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनमी का संबंध टेलीस्कोप, दूरबीन, कैमरों तथा नग्न आंखों से खगोलीय पिण्डों को देखने तथा उपकरण बनाने और उनके अनुरक्षण के लिए आंकड़े एकत्र करने से है, वहीं थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स का संबंध आंकड़ों के विश्लेषण, कम्प्यूटर पर्यवेक्षणों का निष्कर्ष निकालने तथा ऑब्जर्वेशनल परिणामों की व्याख्या करने से है।
योग्यता
सबसे पहले पीसीएम विषय के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करना चाहिए। ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो एस्ट्रोनमी में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रम ऑफर करते हैं। इसके बाद फिजिक्स अथवा एस्ट्रोनमी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की जा सकती है। सफलतापूर्वक एमएससी करने के बाद एस्ट्रोनमी में स्पेशलाइजेशन के लिए विद्यार्थी पीएचडी भी कर सकते है, जिसे करने के बाद ज्योतिष विज्ञानी, अंतरिक्ष यात्री, एस्ट्रोफिजिसिस्ट या अंतरिक्ष विज्ञान में वैज्ञानिक अथवा अनुसंधान अधिकारी बनने की राह प्रशस्त हो जाती है। रिसर्च के लिए अनिवार्य पीएचडी करने के लिए छात्रों को ज्वॉइंट एंटरेंस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेस्ट)देना आवश्यक है। इंस्टूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनमी में करियर बनाने के लिए इलेक्िटकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्क्टिकल कम्युनिकेशंस में बीई अथवा बीटेक करने के बाद इस क्षेत्र में बतौर रिसर्च स्कॉलर प्रवेश किया जा सकता है।
अवसरों की कमी नहीं
शुरुआत में वे बतौर रिसर्चर काम करते हैं और पीएचडी होल्डर अपना करियर पोस्ट डॉंक्टरल रिसर्च से आरंभ करते हैं। अपनी विशेषज्ञता के आधार पर वे ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रॉनोमर्स, स्टेलर एस्ट्रोनामर्स तथा सोलर एस्ट्रोनामर्स के रूप में अपना करियर निर्माण कर सकते हैं। इस क्षेत्र में डॉक्टोरल डिग्री तथा पीएचडी वाले छात्र बेसिक रिसर्च तथा डेवलपमेंट में कार्य करने के अवसर पाते हैं। पीएचडी करने वाले कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी लेवल पर शिक्षण कार्य कर सकते हैं।
स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त छात्र निर्माण क्षेत्र से लेकर एप्लाइड रिसर्च और डेवलपमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में बैचलर डिग्री वाले छात्र टेक्निकल, रिसर्च असिस्टेंट के रूप में करियर की शुरुआत कर सकते हैं। उनके लिए सरकारी विभागों, रक्षा संस्थानों तथा अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में आसानी से प्रतिष्ठापूर्ण पद मिल जाता है, जहां रिसर्च स्कॉलर से करियर आरंभ करके वे निदेशक तक बन सकते हैं। इन दिनों कॉमर्शियल तथा नॉन- कॉमर्शियल रिसर्च डेवलपमेंट तथा टेस्टिंग लेबोरेटरियों, ऑब्जरवेटरियों, प्लेनेटोरियमों, साइंस पार्को आदि में अच्छी संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा, डॉक्टोरेट उपाधि वाले छात्र इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन-इसरो, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरीज, स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर्स आदि के साथ-साथ लाभ निरपेक्ष संस्थानों यथा एसोसिएशन ऑफ बैंगलोर अमेच्योर एस्ट्रोनमर्स में कार्य कर सकते हैं। चूंकि इस क्षेत्र से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार तथा कॉन्फ्रेंसेस दुनियाभर में लगातार चलते ही रहते हैं, इसलिए यह क्षेत्र देश ही नहीं, विदेशों में भी अच्छे अवसर उपलब्ध कराता है। इस क्षेत्र में वेतन कार्य के पहलुओं, संस्थान तथा इस क्षेत्र में प्राप्त अनुभव के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
संस्थान
हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरू
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ जियोमेग्नेटिज्म, मुंबई
इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ एस्ट्रोनमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे
उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली
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