किताब सभी लोग पढ़ते हैं और ये सबकी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा हैं। परन्तु
इसमें एक अच्छा एवं सम्मानजनक करियर भी हो सकता है, ऐसा बहुत ही कम लोग
सोचते हैं। जबकि सच यह है कि बुक पब्लिशिंग उद्योग में करियर की अपार
संभावनाएं हैं। ग्लोबलाइजेशन और आईटी क्रांति ने भारत में पब्लिशिंग
इंडस्ट्री में एक नई जान फूंक दी है। भारत में कम लागत में मिल रही श्रेष्ठ
सर्विस और बेहतर टैलॅन्ट के कारण विश्व की जानी-मानी पब्लिशिंग कंपनियां
अपना क्षेत्रीय ऑफिस भारत में खोल रही हैं। इससे और दुनिया के नामी
प्रकाशकों द्वारा की जा रही आउटसोर्सिंग के कारण भारत के पब्लिशिंग उद्योग
को काफी फायदा हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पब्लिशिंग इंडस्ट्री
दस प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है। मॉल कल्चर ने भी पब्लिशिंग
इंडस्ट्री के ग्रोथ में योगदान दिया है। पेंटालुन्स, रिलायंस, क्रॉसवर्ड,
लैंडमार्क, ओडिसी आदि कई छोटे-बडे चेन स्टोर्स हैं, जो कि आज धीरे-धीरे देश
भर में फैल रहे हैं। दरअसल, इनकी वजह से क्षेत्रीय भाषाओं के बुक्स को भी
तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा, शिक्षण-संस्थानों का बड़े पैमाने पर
खुलना, स्टूडेंट्स की संख्या में हो रही लगातार वृद्धि, भारतीय लेखकों की
किताबों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिलना जैसे तमाम ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह
से पब्लिशिंग इंडस्ट्री वर्तमान में अभूतपूर्व मुकाम पर पहुंच चुकी है। जो
क्रिएटिव हैं, किताबों में दिलचस्पी रखते हैं, वे पब्लिशिंग उद्योग में
एडिटर, असिस्टेंट एडिटर, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, मार्केटिंग ऐंड सेल्स और
प्रोमोशन मैनेजर जैसी आकर्षक जॉब हासिल कर सकते हैं।
योग्यता
पब्लिशिंग से जुड़े ज्यादातर कोर्सेज पीजी लेवॅल के होते हैं, इसलिए कैंडीडेट का ग्रेजुएट होना जरूरी है। वर्तमान में पब्लिशिंग इंडस्ट्री एक नए दौर से गुजर रही है। इसलिए आईटी और कम्प्यूटरीकरण के इस युग में इस इंडस्ट्री में केवल वे लोग ही ज्यादा बेहतर कर सकते हैं, जो न केवल टैलॅन्टेड हों, बल्कि स्किल्ड भी हों।
पब्लिशिंग से जुड़े ज्यादातर कोर्सेज पीजी लेवॅल के होते हैं, इसलिए कैंडीडेट का ग्रेजुएट होना जरूरी है। वर्तमान में पब्लिशिंग इंडस्ट्री एक नए दौर से गुजर रही है। इसलिए आईटी और कम्प्यूटरीकरण के इस युग में इस इंडस्ट्री में केवल वे लोग ही ज्यादा बेहतर कर सकते हैं, जो न केवल टैलॅन्टेड हों, बल्कि स्किल्ड भी हों।
व्यक्तिगत गुण
पब्लिशिंग इंडस्ट्री में सफल स्थान बनाने के लिए किताबों से लगाव, बढ़िया कम्युनिकेशन स्किल्स, विश्लेषण करने की क्षमता, सांस्कृतिक सजगता व प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, बेहतर बिजनेस-सेंस व टीमवर्क एबिलिटी तथा नई-नई प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की जानकारी आदि जैसे गुणों का व्यक्ति में होना जरूरी है।
पब्लिशिंग इंडस्ट्री में सफल स्थान बनाने के लिए किताबों से लगाव, बढ़िया कम्युनिकेशन स्किल्स, विश्लेषण करने की क्षमता, सांस्कृतिक सजगता व प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, बेहतर बिजनेस-सेंस व टीमवर्क एबिलिटी तथा नई-नई प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की जानकारी आदि जैसे गुणों का व्यक्ति में होना जरूरी है।
अवसर
तेजी से विकसित हो रही पब्लिशिंग इंडस्ट्री में न केवल एडिटोरियल डिपार्टमेंट, बल्कि अन्य विभागों में भी जॉब की बेहतरीन संभावनाएं हैं। पब्लिशिंग इंडस्ट्री में निम्न रूप में संभावनाओं की तलाश की जा सकती है:
• संपादन: पब्लिशिंग हाउस में एडिटोरियल डिपार्टमेंट सबसे महत्वपूर्ण होता है। यहीं बुक की स्क्रिप्टिंग से लेकर फाइनल प्रिंटिंग से जुड़े तमाम छोटे-बड़े निर्णय लिए जाते हैं। यदि किसी के पास अलग-अलग विषयों की समझ है, भाषा पर अच्छी पकड़ है और परिपक्व निर्णय लेने की क्षमता भी है, तो संपादन का कार्य उसके लिए बेस्ट साबित हो सकता है।
• अनुवादक: आज तमाम छोटे-बड़े पब्लिशिंग हाउस हैं, जहां अनुवादक की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसके लिए भाषा पर अच्छी पकड़ और विभिन्न विषयों की व्यापक समझ का होना जरूरी है।
• इलस्ट्रेटर्स: ऐसे कैंडिडेट्स, जो कलात्मक पृष्ठभूमि से हैं या जो बुक के कला-पक्ष के प्रति ज्यादा झुकाव रखते हैं, वे पब्लिशिंग इंडस्ट्री में इलस्ट्रेटर्स के रूप में काम कर सकते हैं।
• प्रूफ-रीडर्स: ये एडिटोरियल डिपार्टमेंट से ही जुड़े होते हैं। इनका काम कंटेंट में पाई जाने वाली अशुद्धियों को दूर करना होता है।
• वितरण और मार्केटिंग: बुक के विक्रय और वितरण से जुड़ी तमाम कार्यों की जिम्मेदारी इसी डिपार्टमेंट के जिम्मे होती है। इसके अलावा, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट्स के रूप में, प्रिंटिंग, प्रोडक्शन डिपार्टमेंट आदि में भी जॉब के बेहतरीन अवसर हैं।
तेजी से विकसित हो रही पब्लिशिंग इंडस्ट्री में न केवल एडिटोरियल डिपार्टमेंट, बल्कि अन्य विभागों में भी जॉब की बेहतरीन संभावनाएं हैं। पब्लिशिंग इंडस्ट्री में निम्न रूप में संभावनाओं की तलाश की जा सकती है:
• संपादन: पब्लिशिंग हाउस में एडिटोरियल डिपार्टमेंट सबसे महत्वपूर्ण होता है। यहीं बुक की स्क्रिप्टिंग से लेकर फाइनल प्रिंटिंग से जुड़े तमाम छोटे-बड़े निर्णय लिए जाते हैं। यदि किसी के पास अलग-अलग विषयों की समझ है, भाषा पर अच्छी पकड़ है और परिपक्व निर्णय लेने की क्षमता भी है, तो संपादन का कार्य उसके लिए बेस्ट साबित हो सकता है।
• अनुवादक: आज तमाम छोटे-बड़े पब्लिशिंग हाउस हैं, जहां अनुवादक की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसके लिए भाषा पर अच्छी पकड़ और विभिन्न विषयों की व्यापक समझ का होना जरूरी है।
• इलस्ट्रेटर्स: ऐसे कैंडिडेट्स, जो कलात्मक पृष्ठभूमि से हैं या जो बुक के कला-पक्ष के प्रति ज्यादा झुकाव रखते हैं, वे पब्लिशिंग इंडस्ट्री में इलस्ट्रेटर्स के रूप में काम कर सकते हैं।
• प्रूफ-रीडर्स: ये एडिटोरियल डिपार्टमेंट से ही जुड़े होते हैं। इनका काम कंटेंट में पाई जाने वाली अशुद्धियों को दूर करना होता है।
• वितरण और मार्केटिंग: बुक के विक्रय और वितरण से जुड़ी तमाम कार्यों की जिम्मेदारी इसी डिपार्टमेंट के जिम्मे होती है। इसके अलावा, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट्स के रूप में, प्रिंटिंग, प्रोडक्शन डिपार्टमेंट आदि में भी जॉब के बेहतरीन अवसर हैं।
कमाईपब्लिशिंग इंडस्ट्री में सम्मानजनक तरीके से अच्छी
कमाई की जा सकती है। संस्थान, पद और व्यक्ति के अनुभवों के हिसाब से वेतन
का निर्धारण होता है।
कोर्स
प्रोफेशनल्स की जरूरतों को देखते हुए देश के जाने-माने शिक्षण-संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स चलाए जा रहे हैं। जैसे-कलकत्ता विश्वविद्यालय पब्लिशर्स ऐंड बुकसेलर्स गिल्ड ऑफ कोलकाता के साथ मिल कर पीजी डिप्लोमा इन बुक पब्लिशिंग स्टडीज, पुणे यूनिवर्सिटी अखिल भारतीय मराठी पब्लिशर्स असोसिएशन के साथ मिल कर बुक पब्लिशिंग का सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन कर रही है। इसके अलावा, नेशनल बुक ट्रस्ट न केवल दिल्ली में, बल्कि देश के दूसरे भागों में भी बुक पब्लिशिंग से जुडे रेगुलर कोर्स का संचालन कर रही है। इग्नू ने एफआईपी के साथ मिल कर जुलाई-2009 से बुक पब्लिशिंग में पीजी डिप्लोमा का कोर्स शुरू किया है। कुछ मh त्वपूर्ण कोर्स निम्नलिखित हैं:
प्रोफेशनल्स की जरूरतों को देखते हुए देश के जाने-माने शिक्षण-संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स चलाए जा रहे हैं। जैसे-कलकत्ता विश्वविद्यालय पब्लिशर्स ऐंड बुकसेलर्स गिल्ड ऑफ कोलकाता के साथ मिल कर पीजी डिप्लोमा इन बुक पब्लिशिंग स्टडीज, पुणे यूनिवर्सिटी अखिल भारतीय मराठी पब्लिशर्स असोसिएशन के साथ मिल कर बुक पब्लिशिंग का सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन कर रही है। इसके अलावा, नेशनल बुक ट्रस्ट न केवल दिल्ली में, बल्कि देश के दूसरे भागों में भी बुक पब्लिशिंग से जुडे रेगुलर कोर्स का संचालन कर रही है। इग्नू ने एफआईपी के साथ मिल कर जुलाई-2009 से बुक पब्लिशिंग में पीजी डिप्लोमा का कोर्स शुरू किया है। कुछ मh त्वपूर्ण कोर्स निम्नलिखित हैं:
o डिप्लोमा कोर्स इन प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी ऐंड मैनेजमेंट (दो वर्षीय)
o पीजी डिप्लोमा कोर्स इन प्रिंटिंग ऐंड पब्लिशिंग (एक वर्षीय)
o पीजी डिप्लोमा कोर्स इन बुक पब्लिशिंग (तीन माह)
o पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट कोर्स इन कॉपी एडिटिंग ऐंड प्रूफ रीडिंग
o सर्टिफिकेट कोर्स इन क्रिएटिव राइटिंग
o सर्टिफिकेट कोर्स इन बाइंडिंग ऐंड फिनिशिंग
o ट्रेनिंग कोर्स इन पब्लिशिंग (एक माह)
o पीजी डिप्लोमा कोर्स इन प्रिंटिंग ऐंड पब्लिशिंग (एक वर्षीय)
o पीजी डिप्लोमा कोर्स इन बुक पब्लिशिंग (तीन माह)
o पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट कोर्स इन कॉपी एडिटिंग ऐंड प्रूफ रीडिंग
o सर्टिफिकेट कोर्स इन क्रिएटिव राइटिंग
o सर्टिफिकेट कोर्स इन बाइंडिंग ऐंड फिनिशिंग
o ट्रेनिंग कोर्स इन पब्लिशिंग (एक माह)
संस्थान
1. दिल्ली यूनिवर्सिटी
2. नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली
3. इंस्टीट्यूट ऑफ बुक पब्लिशिंग, दिल्ली
4. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता
5. अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
6. महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, कोट्टायम, तमिलनाडु
1. दिल्ली यूनिवर्सिटी
2. नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली
3. इंस्टीट्यूट ऑफ बुक पब्लिशिंग, दिल्ली
4. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता
5. अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
6. महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, कोट्टायम, तमिलनाडु
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