मौसम की अनिश्चितताओं ने
सदियों से लोगों को प्रभावित किया है। मौसम के व्यवहार पर कई कारणों का असर
होता है। धरती के वातावरण के संपर्क में आने वाली हर चीज का प्रभाव मौसम
पर पड़ता है जिसकी वजह से विश्वभर में भिन्न-भिन्न जगहों पर भिन्न-भिन्न
मौसम दर्ज किया जाता है।
वातावरण पर पड़े असर और मौसम के बदलाव के अध्ययन को मीटियरोलॉजी कहा जाता है। मीटियरोलॉजिस्ट (मौसम विशेषज्ञ) मौसम का अनुमान लगाकर भविष्यवाणी करते हैं।
धरती और उसके उपग्रहों का अध्ययन, उनकी क्रिया और उनके ट्रैक में बदलाव को दर्ज करके मौसम का अनुमान लगाने का कार्य मीटियरोलॉजिस्ट ही करते हैं। वे विशाल भौगोलिक क्षेत्र तक विस्तारित मौसम के मानचित्रों का अध्ययन करते हैं और मौसम उपग्रहों के आंकड़े हासिल कर उनसे मौसम का अनुमान लगाते हैं।
एक मीटियरोलॉजिस्ट तापमान, हवा, आर्द्रता, नमी और हवाई जहाजों के उड़ने की स्थितियों का पूर्वानुमान करते हैं। गणित समूह से स्नातक करने के उपरांत किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मीटियरोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। मीटियरोलॉजिकल विभाग में ज्वॉइन करने के बाद भी आपको मीटियरोलॉजी में ट्रेनिंग दी जाती है।
मीटियरोलॉजी का कोर्स करने के बाद आप विशेषज्ञ के रूप में काम कर सकते हैं। एक मीटियरोलॉजिस्ट वेदर फॉरकास्ट या क्लाइमेटोलॉजिस्ट के रूप में काम करते हैं। फिजिकल मीटियरोलॉजिस्ट रिसर्च सेंटर और इंडस्ट्रियल मीटियरोलॉजिस्ट धुएं पर नियंत्रण और वायु प्रदूषण आदि पर कार्य कर सकते हैं। ये कृषि योजना पर भी काम करते हैं।
इन्हें कुछ विशेष जगहों पर विशेष कार्य के लिए नियुक्त किया जाता हैः
1. मौसम उपग्रहों, मौसम रडार और मौसम मानचित्रों द्वारा दिए गए संकेतों को पहचानकर मौसम का पूर्वानुमान करना।
2. सैनिक बल में पायलट को मौसम संबंधित जानकारियों पर प्रशिक्षण देने।
3. बंदरगाहों पर प्रतिकूल मौसम में जहाजों को सही दिशा बताने।
4. जानकारियों को एकत्रित कर चार्ट्स और मौसम का नक्शा बनाना।
5. कई बार खराब मौसम जैसे तूफान, बाढ़ की तीव्रता व सुनामी जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाना।
6. एग्रीकल्चरिस्ट्स, शिपिंग और मरीन क्षेत्र के साथ-साथ मीडिया और आम लोगों के लिए मौसम संबंधी जानकारियां प्रस्तुत करना।
7. योजनकारों के साथ मिलकर योजना, विद्युत, सिंचाई, कृषि व जल प्रबंधन के क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी योजनाएं बनाना आदि।
यहां से करें कोर्स
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियरोलॉजी
- आईआईटी खड़गपुर
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू
- शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर
वातावरण पर पड़े असर और मौसम के बदलाव के अध्ययन को मीटियरोलॉजी कहा जाता है। मीटियरोलॉजिस्ट (मौसम विशेषज्ञ) मौसम का अनुमान लगाकर भविष्यवाणी करते हैं।
धरती और उसके उपग्रहों का अध्ययन, उनकी क्रिया और उनके ट्रैक में बदलाव को दर्ज करके मौसम का अनुमान लगाने का कार्य मीटियरोलॉजिस्ट ही करते हैं। वे विशाल भौगोलिक क्षेत्र तक विस्तारित मौसम के मानचित्रों का अध्ययन करते हैं और मौसम उपग्रहों के आंकड़े हासिल कर उनसे मौसम का अनुमान लगाते हैं।
एक मीटियरोलॉजिस्ट तापमान, हवा, आर्द्रता, नमी और हवाई जहाजों के उड़ने की स्थितियों का पूर्वानुमान करते हैं। गणित समूह से स्नातक करने के उपरांत किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मीटियरोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। मीटियरोलॉजिकल विभाग में ज्वॉइन करने के बाद भी आपको मीटियरोलॉजी में ट्रेनिंग दी जाती है।
मीटियरोलॉजी का कोर्स करने के बाद आप विशेषज्ञ के रूप में काम कर सकते हैं। एक मीटियरोलॉजिस्ट वेदर फॉरकास्ट या क्लाइमेटोलॉजिस्ट के रूप में काम करते हैं। फिजिकल मीटियरोलॉजिस्ट रिसर्च सेंटर और इंडस्ट्रियल मीटियरोलॉजिस्ट धुएं पर नियंत्रण और वायु प्रदूषण आदि पर कार्य कर सकते हैं। ये कृषि योजना पर भी काम करते हैं।
इन्हें कुछ विशेष जगहों पर विशेष कार्य के लिए नियुक्त किया जाता हैः
1. मौसम उपग्रहों, मौसम रडार और मौसम मानचित्रों द्वारा दिए गए संकेतों को पहचानकर मौसम का पूर्वानुमान करना।
2. सैनिक बल में पायलट को मौसम संबंधित जानकारियों पर प्रशिक्षण देने।
3. बंदरगाहों पर प्रतिकूल मौसम में जहाजों को सही दिशा बताने।
4. जानकारियों को एकत्रित कर चार्ट्स और मौसम का नक्शा बनाना।
5. कई बार खराब मौसम जैसे तूफान, बाढ़ की तीव्रता व सुनामी जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाना।
6. एग्रीकल्चरिस्ट्स, शिपिंग और मरीन क्षेत्र के साथ-साथ मीडिया और आम लोगों के लिए मौसम संबंधी जानकारियां प्रस्तुत करना।
7. योजनकारों के साथ मिलकर योजना, विद्युत, सिंचाई, कृषि व जल प्रबंधन के क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी योजनाएं बनाना आदि।
यहां से करें कोर्स
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियरोलॉजी
- आईआईटी खड़गपुर
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू
- शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर
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