खिलौने सभी बच्चों को बेहद पसंद होते हैं। ये सिर्फ खेलने के नजरिए से नहीं
बल्कि उनके मानसिक विकास में भी मदद करते हैं। वैसे भी आजकल बाजार में
इतने नए-नए खिलौने आ गए हैं कि कई बार लेने से पहले सोचना पड़ता है। कहते
हैं अपने अंदर का बच्चा कभी न मरने दें और खिलौनों की दुनिया का यह नया
स्वरूप खिलौने के निर्माण में कैरियर की भी ढेरों संभावनाएं पैदा करता है।
टॉय डिजाइनर का काम खिलौनों से बच्चों का मनोरंजन तो हो ही, साथ ही, ऐसे खिलौने बनाना भी है जिनसे बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी मिले। टॉय डिजाइनिंग
खिलौने भी दो प्रकार के होते हैं - एक जिनसे बच्चे कुछ सीखते हैं और जिसे परिवार के साथ भी खेला जा सकता है, दूसरा सिर्फ मौज-मस्ती के लिए। पुराने समय में खिलौने प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे लकड़ी, पत्थर या मिट्टी लेकिन आजकल यह प्लास्टिक, फर और अन्य कृत्रिम पदार्थ।
टॉय डिजाइनर खिलौनों को डिजाइन करते हैं और फिर बनाते हैं। उनका काम शुरू होता है ड्रॉइंग, स्केचिंग या कंप्यूटर से मॉडल तैयार करने से, फिर यह तय करना कि खिलौने का हर हिस्सा कैसे बनना है और फिर उसका एक नमूना तैयार करना।
खिलौनों को बाजार में दो प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए रखा जाता है - एक तो बच्चे जो उनसे खेलते हैं और दूसरे उन ग्राहकों के लिए जो खिलौने एकत्रित करते हैं। गुड़िया से लेकर मैकेनिकल सेट, टॉय डिजाइनर बोर्ड गेम्स, पजल्स, कंप्यूटर गेम्स, स्टफ्ड एनिमल्स, रिमोट कंट्रोल कार, नवजात शिशु के लिए खिलौने आदि बनाते हैं।
आजकल के दौर के हिसाब से खिलौने बनाने के लिए डिजाइनर को न केवल बाजार के ट्रेंड से अवगत रहना चाहिए बल्कि अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों की जरूरतों को भी पता होना चाहिए। इस कैरियर में ग्राफिक डिजाइन, मैकेनिकल ड्रॉइंग और कलर के चुनाव की जानकारी हो तो अच्छी सफलता प्राप्त हो सकती है। टॉय डिजाइनर बच्चों के विशेषज्ञ के साथ काम करते हैं जिससे उन्हें हर आयु के बच्चों की जरूरत का पता चलता है। उनकी सफलता अच्छे, मनोरंजक, कल्पनाशील और सुरक्षित खिलौने बनाने पर निर्भर करती है। इस कैरियर के लिए व्यापार और प्रबंधन क्षमता होना जरूरी है।
इस कैरियर में विशिष्ट कोर्स कम हैं लेकिन ग्राफिक डिजाइन, इंडस्ट्रियल डिजाइन या कार्टूनिंग की जानकारी के साथ काम किया जा सकता है। इसमें कंप्यूटर की जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा, इंजीनियरिंग और मार्केटिंग में अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षक, विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट भी टॉय डिजाइनिंग का कोर्स कर सकते हैं।
इंजीनियरिंग का ज्ञान तकनीक द्वारा निर्मित खिलौने के लिए होना जरूरी है। शिक्षक, विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक हर आयु के बच्चों की जरूरतें आसानी से समझ सकते हैं इसलिए परामर्शदाता के तौर पर वह इस क्षेत्र में पैर जमाने में सक्षम हैं। कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट खिलौनों की सॉफ्टवेयर संबंधित कार्यात्मकता प्रदान कर सकते हैं।
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कुछ टॉय डिजाइनर एजुकेशनल खिलौनों में भी विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं, कुछ सामान्य खिलौनों में या फिर कोई विशिष्ट क्षेत्र में कोर्स कर सकते हैं जैसे मॉडल मेकिंग, बोर्ड गेम्स, सॉफ्ट टॉय या पुराने खिलौनों की प्रतिकृति आदि। आजकल पालतू जानवरों के लिए खिलौने बनाना भी बढ़ती हुई इंडस्ट्री है।
टॉय डिजाइनर अगर चाहें तो किसी कंपनी में भी काम कर सकते हैं या स्वतंत्र रूप से खिलौने भी बना सकते हैं। अगर चाहें तो अपनी मैनुफैक्चरिंग यूनिट भी खोल सकते हैं। टॉय डिजाइन पर किताब लिख सकते हैं या किसी इंस्टिट्यूट में बतौर शिक्षक भी नौकरी की जा सकती है। इसके अलावा, बतौर इंटीरियर डिजाइनर बच्चों के कमरे या प्ले स्कूल थीम बेस्ड टॉय का इस्तेमाल करके डिजाइन कर सकते हैं। टॉय डिजाइन कंस्लटेंट या इसमें फ्रीलांसिंग भी की जा सकती है। एक बार डिजाइनर के तौर पर अपने आपको स्थापित करने के बाद अवसरों और आय की कमी नहीं होगी। लेकिन इस कैरियर में सफलता आपकी रचनात्मकता पर निर्भर करती है।
यहां से करें कोर्स -
1 नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
2 इंस्टिट्यूट ऑफ टॉय मेकिंग, कोलकाता
टॉय डिजाइनर का काम खिलौनों से बच्चों का मनोरंजन तो हो ही, साथ ही, ऐसे खिलौने बनाना भी है जिनसे बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी मिले। टॉय डिजाइनिंग
खिलौने भी दो प्रकार के होते हैं - एक जिनसे बच्चे कुछ सीखते हैं और जिसे परिवार के साथ भी खेला जा सकता है, दूसरा सिर्फ मौज-मस्ती के लिए। पुराने समय में खिलौने प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे लकड़ी, पत्थर या मिट्टी लेकिन आजकल यह प्लास्टिक, फर और अन्य कृत्रिम पदार्थ।
टॉय डिजाइनर खिलौनों को डिजाइन करते हैं और फिर बनाते हैं। उनका काम शुरू होता है ड्रॉइंग, स्केचिंग या कंप्यूटर से मॉडल तैयार करने से, फिर यह तय करना कि खिलौने का हर हिस्सा कैसे बनना है और फिर उसका एक नमूना तैयार करना।
खिलौनों को बाजार में दो प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए रखा जाता है - एक तो बच्चे जो उनसे खेलते हैं और दूसरे उन ग्राहकों के लिए जो खिलौने एकत्रित करते हैं। गुड़िया से लेकर मैकेनिकल सेट, टॉय डिजाइनर बोर्ड गेम्स, पजल्स, कंप्यूटर गेम्स, स्टफ्ड एनिमल्स, रिमोट कंट्रोल कार, नवजात शिशु के लिए खिलौने आदि बनाते हैं।
आजकल के दौर के हिसाब से खिलौने बनाने के लिए डिजाइनर को न केवल बाजार के ट्रेंड से अवगत रहना चाहिए बल्कि अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों की जरूरतों को भी पता होना चाहिए। इस कैरियर में ग्राफिक डिजाइन, मैकेनिकल ड्रॉइंग और कलर के चुनाव की जानकारी हो तो अच्छी सफलता प्राप्त हो सकती है। टॉय डिजाइनर बच्चों के विशेषज्ञ के साथ काम करते हैं जिससे उन्हें हर आयु के बच्चों की जरूरत का पता चलता है। उनकी सफलता अच्छे, मनोरंजक, कल्पनाशील और सुरक्षित खिलौने बनाने पर निर्भर करती है। इस कैरियर के लिए व्यापार और प्रबंधन क्षमता होना जरूरी है।
इस कैरियर में विशिष्ट कोर्स कम हैं लेकिन ग्राफिक डिजाइन, इंडस्ट्रियल डिजाइन या कार्टूनिंग की जानकारी के साथ काम किया जा सकता है। इसमें कंप्यूटर की जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा, इंजीनियरिंग और मार्केटिंग में अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षक, विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट भी टॉय डिजाइनिंग का कोर्स कर सकते हैं।
इंजीनियरिंग का ज्ञान तकनीक द्वारा निर्मित खिलौने के लिए होना जरूरी है। शिक्षक, विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक हर आयु के बच्चों की जरूरतें आसानी से समझ सकते हैं इसलिए परामर्शदाता के तौर पर वह इस क्षेत्र में पैर जमाने में सक्षम हैं। कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट खिलौनों की सॉफ्टवेयर संबंधित कार्यात्मकता प्रदान कर सकते हैं।
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कुछ टॉय डिजाइनर एजुकेशनल खिलौनों में भी विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं, कुछ सामान्य खिलौनों में या फिर कोई विशिष्ट क्षेत्र में कोर्स कर सकते हैं जैसे मॉडल मेकिंग, बोर्ड गेम्स, सॉफ्ट टॉय या पुराने खिलौनों की प्रतिकृति आदि। आजकल पालतू जानवरों के लिए खिलौने बनाना भी बढ़ती हुई इंडस्ट्री है।
टॉय डिजाइनर अगर चाहें तो किसी कंपनी में भी काम कर सकते हैं या स्वतंत्र रूप से खिलौने भी बना सकते हैं। अगर चाहें तो अपनी मैनुफैक्चरिंग यूनिट भी खोल सकते हैं। टॉय डिजाइन पर किताब लिख सकते हैं या किसी इंस्टिट्यूट में बतौर शिक्षक भी नौकरी की जा सकती है। इसके अलावा, बतौर इंटीरियर डिजाइनर बच्चों के कमरे या प्ले स्कूल थीम बेस्ड टॉय का इस्तेमाल करके डिजाइन कर सकते हैं। टॉय डिजाइन कंस्लटेंट या इसमें फ्रीलांसिंग भी की जा सकती है। एक बार डिजाइनर के तौर पर अपने आपको स्थापित करने के बाद अवसरों और आय की कमी नहीं होगी। लेकिन इस कैरियर में सफलता आपकी रचनात्मकता पर निर्भर करती है।
यहां से करें कोर्स -
1 नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
2 इंस्टिट्यूट ऑफ टॉय मेकिंग, कोलकाता
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