Tuesday, August 17, 2021

एग्रीकल्चर में करियर

कृषि से आपको लगाव है लेकिन किसी वजह से इस क्षेत्र में आने से संकोच कर रहे हैं, तो आप नए व आधुनिक तरीके से नकदी फसलों की खेती कर कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग व निर्यात करते हुए आकर्षक मुनाफे के साथ-साथ कृषि क्षेत्र और अपने करियर को एक बेहतर आयाम दे सकते हैं...

भारत आज भी एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कृषि केवल पारंपरिक किसानों के लिए ही है। आज के युवा भी आधुनिक तरीके से खेती करके या एग्रीकल्चर से जुड़े काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। वैज्ञानिक तरीके से ऐसी खेती करने से आत्म-सम्मान के साथ-साथ समाज में एक अलग पहचान और बेहतर मुनाफे के रास्ते भी खुले हैं। देश की काफी बड़ी आबादी आज भी कृषि क्षेत्र से ही रोजगार पाती है। कृषि क्षेत्र में मौजूद विकास की व्यापक संभावनाओं को भांपते हुए आईटीसी, मोनसेंटो और रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। फसलों से जुड़े शोध कार्यक्रमों में भी कृषि विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में इस कृषि क्षेत्र को अपना करियर विकल्प चुनकर मित्र्ी की खुशबू के साथ रहते हुए अपने करियर को सुगंधित कर सकते हैं।

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आधुनिक तरीकों से खेती

मशरूम : इसे सफेद सोना कहा जाता है। मशरूम का सफल उत्पादन दो से तीन महीने में आसानी से हो जाता है। मशरूम की बुआई से लेकर कटाई तक में लगभग दो-तीन महीने का समय लगता है। इतने समय में इसका अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम के कई प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड है। मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में आसानी से शुरू किया जा सकता है और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

फूलों की खेती : फूलों के बगैर कोई भी पार्टी या फंक्शन अधूरा-सा लगता है। फूलों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। फूलों की बढ़ती मांग ने फूलों के कारोबार को काफी विकसित किया है। बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। खुद की नर्सरी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरेपिस्ट, फार्म या स्टेट मैनेजर, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं।

ऑर्गेनिक खेती : पिछले कुछ समय में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की काफी डिमांड बढ़ी है। डिमांड के मुकाबले काफी कम उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इस कार्य को करके आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।

आयुर्वेदिक औषधि : लोगों का रुझान एक बार फिर से आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है। नित नई आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खुल रही हैं, जिन्हें आयुर्वेदिक औषधियों की हमेशा जरूरत रहती है। आप चाहें तो नीम, तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, मुलेठी जैसे कई आयुर्वेदिक औषधियों की पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।

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प्रोडक्ट करें एक्सपोर्ट

पारंपरिक फसलों की जगह अगर नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं तो उसे आसानी से देश-विदेश में एक्सपोर्ट कर सकते हैं। सरकार द्वारा इसके लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं। जरूरत है तो सिर्फ सही तरीके से उत्पादन और उसे सही बाजार तक पहुंचाने की। एक बार सही मार्केट का रास्ता मिल जाने के बाद उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाएगा।

आकार लेतीं संभावनाएं

शोध : वैश्विक समस्या का रूप ले रहे खाद्यान्न संकट ने इस क्षेत्र को शोध संस्थाओं की प्राथमिकता का केंद्र बना दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सहित देश की तमाम कृषि शोध संस्थाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकें और फसलों की ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित करने में जुटी हैं।

फूड प्रोसेसिंग : निजी क्षेत्र की कई कंपनियां कृषि उत्पादों का ज्यादा समय तक उपभोग सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग शुरू कर चुकी हैं। डिब्बाबंद जूस, आइसक्रीम, दुग्ध उत्पाद और चिप्स जैसे उत्पाद प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण हैं।

संगठित खुदरा बाजार

रिलायंस फ्रेश, फूड बाजार, बिग एप्पल आदि कंपनियां अपने हजारों केंद्रों के माध्यम से फल, सब्जियों, अनाज और ढेरों अन्य खाद्य वस्तुओं की बिक्री करती हैं। इसके लिए कंपनियों को थोक में खाद्य उत्पादों की खरीद करनी पड़ती है। इस कार्य में मदद के लिए ये कंपनियां कृषि विशेषज्ञों और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति करती हैं।

कोर्स

-बीएससी एग्रीकल्चर

-बीएससी क्रॉप फिजियोलॉजी

-एमएससी एग्रीकल्चर

-एमएससी (एग्रीकल्चर बॉटनी/ बायोलॉजिकल साइंसेज)

-एमबीए इन एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट

-डिप्लोमा इन फूड प्रोसेसिंग

-डिप्लोमा कोर्स इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड प्रैक्टिसेज

एलिजिबिलिटी

एग्रीकल्चर से संबंधित डिप्लोमा व बैचलर पाठ्यक्रम में दाखिले की न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषयों (बायोलॉजी जरूरी) के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन के बाद एमएससी में दाखिला लिया जा सकता है। स्पेशलाइजेशन के लिए एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर, प्लांट ब्रीडिंग, एग्रीकल्चर जेनेटिक्स, एग्रीकल्चर एंटोमोलॉजी आदि विकल्प मौजूद हैं। ग्रेजुएशन के बाद एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए किया जा सकता है।

संभावनाएं

-शुगर मिल

-फूड कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया

-बैंक

-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी

-नेशनल सीड कॉर्पोरेशन

-रिसर्च इंस्टीट्यूट

-चाय बागान

-यूनिवर्सिटी/ कॉलेज

-एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

(जागरण फीचर)

Sunday, August 8, 2021

ऐनेस्थियोलॉजिस्ट में करियर

 ऑपरेशन थियेटर में मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर की एक बड़ी टीम मौजूद होती है। लेकिन डॉक्टर्स की यह टीम तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकती, जब तक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट वहां पर मौजूद न हो। ऐनेस्थियोलॉजिस्ट के काम की शुरूआत तो ऑपरेशन से पहले ही शुरू हो जाती है। दरअसल, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट मरीज को सही तरह से एनेस्थीसिया देता है ताकि बिना किसी दर्द से मरीज का इलाज हो सके। यह काम देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन वास्तव में यह काफी कठिन होता है। एक छोटी सी चूक से मरीज के अंग प्रभावित हो सकते हैं और यही कारण है कि अलग से ऐनेस्थियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। आप भी अगर मेडिकल क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं तो बतौर ऐनेस्थियोलॉजिस्ट ऐसा कर सकते हैं−

क्या होता है काम

एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट का मुख्य काम मरीज को एनेस्थीसिया यानी बेहोश करने वाली दवाई ठीक तरह से देना होता है। उसे इस बात का ध्यान रखना होता है कि मरीज को एनेस्थीसिया देते समय उसे किसी तरह का दर्द न हो, साथ ही वह ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया भी बिना दर्द के पूरी कर ले और उस दौरान उसके सभी अंग ठीक तरह से काम करे। इतना ही नहीं, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सर्जरी से पहले, उस दौरान व बाद में मरीज की ब्रीदिंग, हार्टरेट आदि की मॉनिटरिंग भी करता है।


स्किल्स

चूंकि एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट को टीम के साथ मिलकर काम करना होता है, इसलिए आपको बतौर टीमवर्क काम करना आना चाहिए। इसके अतिरिक्त आपको अपने कार्य की सटीक जानकारी होनी चाहिए। आपकी एक छोटी सी भूल मरीज के जीवन पर भी भारी पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त आपको हमेशा खुद को अपडेट रखने के लिए सेमिनार आदि भी जरूर अटेंड करने चाहिए।

योग्यता

अगर आप ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो आपके पास 12वीं में साइंस विषय के साथ मैथ्स या बॉयोलॉजी का होना अनिवार्य है। इसके बाद आप एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद ऐनेस्थियोलॉजी में एमडी कर सकते हैं।

संभावनाएं

एक प्रोफेशनल ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सरकारी व निजी अस्पतालों से लेकर हेल्थ क्लीनिक, ग्रामीण हेल्थ केयर सेंटर आदि में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल शिक्षण संस्थानों में भी बतौर लेक्चरर भी आप काम कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफरदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बिहार

एसवीएस मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश

अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, केरल

आरजी कार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकाता

Wednesday, August 4, 2021

स्पेस साइंस में कॅरिअर

 स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सैटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग से जुड़ी डिग्रियां हैं।

एक नए सेटेलाइट पर काम करना या किसी दूर स्थित ग्रह का खाका खींचना जैसे काम स्पेस साइंस से जुड़े कॅरिअर में शामिल हैं। इसके अंतर्गत आप सौर परिवार से जुड़ी नई खोज कर सकते हैं या फिर धरती पर प्रदूषण के अध्ययन के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। हो सकता है आप दुनिया के दूरदराज के समुदायों को जोड़ रहे हों या फिर आपदा प्रबंधन में अपना योगदान दे रहे हों। स्पेस टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है, चाहे वह मौसम की भविष्यवाणी हो, सेटेलाइट टीवी हो या फिर ग्लोबल कम्युनिकेशन या सेटेलाइट नेविगेशन। स्पेस इंडस्ट्री में कॅरिअर इनमें से किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
चूंकि अवसर इतने ज्यादा हैं, इसलिए इस क्षेत्र की योग्यताएं भी काफी भिन्न हैं। यह क्षेत्र उन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है, जिनके पास कुशलताओं और योग्यताओं की विस्तृत रेंज है, जिनमें इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आईटी और सॉफ्टवेयर सिस्टम्स, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, स्पेस साइंस या एरोस्पेस इंजीनियरिंग शामिल हैं।
स्पेशलाइज्ड फील्ड्स
एस्ट्रोनॉमी ब्रह्मांड का वैज्ञानिक अध्ययन है, खासतौर पर आकाशीय पिंडों की गति, स्थिति, आकार, संरचना और व्यवहार का। एस्ट्रोफिजिक्स एस्ट्रोनॉमी की शाखा है, जो तारों, आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड के अध्ययन में इस्तेमाल होती है। एस्ट्रोबायोलॉजी में जीवन की शुरुआत, उद्भव और अस्तित्व की संभावना का अध्ययन शामिल है। एस्ट्रोकेमिस्ट्री में अंतरिक्ष में रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
क्या पढ़ना होगा
स्पेस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना पहला कदम है। इसके बाद अगर आप फिजिक्स मेजर या फिजिक्स ऑनर्स में डिग्री लेते हैं तो आप एस्ट्रोफिजिक्स या एस्ट्रोनॉमी में कॅरिअर बना सकते हैं। वैकल्पिक रूप से आप आईआईएसईआर, एनआईएसईआर, भुवनेश्वर, यूएम डीएई सीबीएस, मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत, कुछेक आईआईटी से इंटीग्रेटेड एमएससी इन फिजिक्स की पढ़ाई कर सकते हैं। उसके बाद आप पीएचडी कर सकते हैं। प्रवेश प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी से बीटेक एरोस्पेस इंजीनियरिंग, बीटेक इन एविओनिक्स, बीटेक फिजिकल करने वाले ग्रेजुएट्स, जो वांछित अकादमिक योग्यता को पूरा करते हों, उन्हें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में अवसर मिलते हैं। कुछ विश्वविद्यालय अपने पोस्टग्रेजुएट फिजिक्स डिग्री प्रोग्राम में एस्ट्रोफिजिक्स स्पेशलाइजेशन के तौर पर प्रस्तावित करते हैं। किसी भी विषय में इंजीनियरिंग की डिग्री के आधार पर आप एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी कर सकते हैं। पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के जरिए होता है।
अवसर
>स्पेस साइंटिस्ट विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के रूप में काम कर सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं, पेपर प्रकाशित कर सकते हैं, पढ़ा सकते हैं, अकादमिक कमेटी में शामिल हो सकते हैं, रिसर्च की फंडिंग के लिए प्रपोजल तैयार कर सकते हैं।
>एस्ट्रोनॉमर/एस्ट्रोफिजिसिस्ट सरकारी/राष्ट्रीय वेधशालाओं, स्पेस रिसर्च एजेंसियों, प्लेनिटेरियम, साइंस युजियम, मास मीडिया एंड साइंस कम्युनिकेशन में काम कर सकते हैं। अन्य अवसर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन व डीआरडीओ में उपलब्ध हैं। टेलिस्कॉप की डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर राइटिंग, डेटा प्रोसेसिंग व एनालाइसिस जैसे काम भी ये करते हैं।
कैसे बनें एस्ट्रोनॉट
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए आपमें फिटनेस के उच्चतम स्तर के साथ सही मेंटल एटीट्यूट होना जरूरी है। इंजीनियरिंग, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी या अर्थ साइंसेज की योग्यता आवश्यक है। कई मिशन स्पेशलिस्ट के पास पीएचडी की डिग्री भी होती है।
यहां से करें कोर्स
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च
यूएम-डीएई सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंसेज (सीबीएस), मुंबई
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑजरवेशनल साइंसेज, नैनीताल
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु
एस.एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता

Sunday, August 1, 2021

क्लाउड कंप्यूटिंग में करियर

क्लाउड कंप्यूटिंग एक उभरता हुआ फील्ड है, जिसमें आने वाले दिनों में लाखों नौकरियां आने की उम्मीद है। आज जिस तरह आइटी व‌र्ल्ड में क्लाउड कंप्यूटिंग को अपनाया जा रहा है, उसे देखते हुए इस फील्ड में करियर काफी ब्राइट हो सकता है..

क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नया आयाम है। इस नए आयाम से करियर के भी कई रास्ते खुलने लगे हैं। साथ ही, यह लोगों का इंटरनेट संबंधी डाटा मैनेज करने में भी मददगार है। अब कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़ी हर सर्विस की पूलिंग सीधे क्लाउड्स से जुड़े हुए सर्वर के जरिए हो सकेगी। क्लाउड कंप्यूटिंग यूजर्स के लिए किसी हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं होगी। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2015 तक भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग में एक लाख लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं।

क्या है क्लाउड कंप्यूटिंग?

क्लाउड कंप्यूटिंग इंटरनेट आधारित एक कंप्यूटिंग पावर है, जिसका केंद्र क्लाउड होता है। इसका नाम इसकी बादलों जैसी जटिल संरचना वाले सिस्टम डायग्राम के कारण पड़ा है। यूजर्स के डाटा, सेटिंग आदि सभी सर्वर पर स्टोर होते हैं, जिसे क्लाउड कहा जाता है। इन दिनों क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल तेजी से होने लगा है। अब कंपनियां अपनी जरूरत के हिसाब से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर हायर कर रही हैं। मिसाल के तौर पर मान लीजिए किसी को 6 महीने के प्रोजेक्ट के लिए सर्वर, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जरूरत है। ये सारी चीजें खरीदने पर लाखों रुपये का खर्च आएगा, लेकिन क्लाउड्स यूज करने पर बहुत कम दाम में और निश्चित समय के लिए ये सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी।

कैसे मिलेगी एंट्री

इस फील्ड में करियर बनाने के लिए कंप्यूटर साइंस या फिर आइटी की डिग्री जरूरी है। आप चाहें, तो सर्टिफिकेशन कोर्स भी कर सकते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़े सर्टिफिकेशन कोर्स आइबीएम, एनआइआइटी, एप्टेक आदि से कर सकते हैं।

क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़े कुछ टॉप प्रोग्राम्स इस तरह हैं : आइबीएम सर्टिफाइड सॉल्यूशन एडवाइजर, क्लाउड कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर, आइबीएम सर्टिफाइड सॉल्यूशन आर्किटेक्ट, क्लाउड कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्टिफाइड क्लाउड प्रोफेशनल्स आदि।

बेहतर संभावनाएं

क्लाउड कंप्यूटिंग के साथ बिग डाटा और डाटा एनालिटिक्स में भी करियर बना सकते हैं। बिग डाटा में कंपनियों के डाटा को सुरक्षित रखने के साथ ही उनका एनालिसिस किया जाता है। फ्यूचर में बिजनेस फोरकास्टिंग के लिए भी बिग डाटा और डाटा एनालिटिक्स की जरूरत पड़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक क्लाउड कंप्यूटिंग का कारोबार 2015 तक 70 अरब डॉलर से ज्यादा का हो सकता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में आप क्लाउड आर्किटेक्ट, क्लाउड सर्विस डेवलपर, क्लाउड कंसल्टेंट, क्लाउड सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर, क्लाउड प्रोडक्ट मैनेजर आदि के तौर पर करियर बना सकते हैं।

सैलरी

इस फील्ड में एंट्री लेवल सैलरी 3-4 लाख रुपये सालाना हो सकती है।