Wednesday, January 29, 2020

प्लास्टिक टेक्नोलॉजी


 वर्तमान समय में प्लास्टिक आदमी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है। आम आदमी की जरूरतों से लेकर उद्योग जगत तक में प्लास्टिक का प्रयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग ने प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को बहुत व्यापक बना दिया है। इंडस्ट्री का निरंतर विस्तार होने के कारण इसमें विशेषज्ञों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट का कार्य इस इंडस्ट्री में बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कार्य
प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट रॉ मैटीरियल को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजार कर प्रोडक्ट्स का निर्माण करते हैं। वे शोध व अनुसंधान का कार्य भी करते हैं। इन्हीं कार्यों के फलस्वरूप हर दिन नए प्र 

योग्यता
बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में प्रवेश पाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स विषयों के साथ 10+2 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है। एमटेक या पीजी  डिप्लोमा करने के लिए केमिकल इंजीनियरिंग/ प्लास्टिक रबर टेक्नोलॉजी/ मैकेनिकल इंजीनियरिंग/ टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक/ बीई डिग्री या डिप्लोमा आवश्यक है। फिजिक्स अथवा केमिस्ट्री में एमएससी करने वाले छात्र भी प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में एमटेक कर सकते हैं। जिन छात्रों ने गेट परीक्षा पास की है, उन्हें एमटेक में प्राथमिकता दी जाती है।

व्यक्तिगत गुण
इस इंडस्ट्री में भविष्य संवारने के लिए युवाओं के पास शैक्षणिक योग्यता के साथ कठोर परिश्रम, कल्पनाशीलता तथा भौतिक व रसायन विज्ञान में गहरी रुचि आवश्यक है।

अवसर
भारत सरकार ने प्लास्टिक उद्योग को उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र माना है। भारत में प्लास्टिक की मांग प्रतिवर्ष 10 से 14 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इस उद्योग में भारत का 3500 करोड रुपये का सालाना कारोबार है, जिसके 2014 तक 6500 करोड रुपये सालाना होने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में बढ़ती प्लास्टिक की खपत को देखते हुए आगामी वर्षां में 15 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। प्लास्टिक टेक्नोलॉजी का कोर्स पूरा कर लेने के बाद कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट को पेट्रोलियम मंत्रालय, ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कमीशन, इंजीनियरिंग संयंत्रों, पेट्रोकेमिकल्स, विभिन्न राज्यों में पॉलिमर्स कॉरर्पोरेशन्स, पेट्रोलियम कंजर्वेशन, रिसर्च असोसिएशन ऑफ इंडिया आदि में करियर के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा मार्केटिंग व प्रबंधन के क्षेत्र में भी काफी स्कोप हैं।

कमाई
सरकारी क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट की शुरुआती सैलरी 8 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। प्राइवेट कंपनियों में शुरुआती स्तर पर 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे भी अधिक प्राप्त हो सकते हैं। 2 या 3 सालों के अनुभव के बाद 20 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं।

कोर्स
 • बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (4 वर्ष)
 • एमटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (2 वर्ष)
 • डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (3-4 वर्ष)
 • डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक मोल्ड डिजाइन (3-4 वर्ष)
 • पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक प्रोसेसिंग ऐंड टेस्टिंग (18 माह)

संस्थान
 1. दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, दिल्ली
 2. गोविंद वल्लभपंत पॉलिटेक्निक, नई दिल्ली
 3. इंडियन प्लास्टिक इंस्टीट्यूट, मुंबई
 4. हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, कानपुर
 5. लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश
 6. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, ब्रांच :  भोपाल, चेन्नई, लखनऊ, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, मैसूर, गुवाहटी
 7. मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
 8. संत लोंगोवाल इंडस्ट्री ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड  टेक्नोलॉजी, पंजाब
 9. जगत राम गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक होशियारपुर, पंजाब
 10. गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, कोटा, राजस्थान

Saturday, January 25, 2020

पॉलिटेक्निक के बाद करियर विकल्प

पॉलीटेक्निक डिप्लोमा/कोर्स के बाद करियर स्कोप

क्या आपका पॉलीटेक्निक डिप्लोमा कोर्स अब समाप्त होने वाला है या फिर आप पॉलीटेक्निक डिप्लोमा कोर्स करने के विषय में सोंच रहे हैं और इस बात को लेकर उहापोह की स्थिति में हैं कि आखिर इस कोर्स को करने के बाद रोजगार की कितनी संभावनाएं हैं तथा इसमें करियर एडवांसमेंट के असार हैं या नहीं, तो इन दोनों ही परिस्थितियों में आपको डरने तथा कुछ ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं है. डिप्लोमा पॉलिटेक्निक कोर्स के पूरा होने के बाद बहुत अच्छे करियर विकल्प और अवसर मिलते हैं. पॉलिटेक्निक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का चयन करने का एक मुख्य कारण इसके द्वारा कम पैसे और कम समय में उत्कृष्ट करियर के अवसर उपलब्ध कराना है.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कार्यक्रम के पूरा होने के बाद इंजीनियरिंग ट्रेडों के साथ-साथ गैर-इंजीनियरिंग क्षेत्रों में भी छात्रों के पास कई प्रकार के करियर विकल्प मौजूद हैं.

आगे का अध्ययन

यद्यपि पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कार्यक्रम एआईसीटीई / अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा संचालित और अनुमोदित पूर्ण तकनीकी डिग्री पाठ्यक्रम है, लेकिन इन पाठ्यक्रमों को विशेष रूप से संबंधित स्ट्रीम्स या विषय के व्यावहारिक पहलुओं और मूलभूत बातें सीखने में मदद करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. इसलिए, यदि आप अपने टेक्नीकल ज्ञान के थियरेटिकल ज्ञान के साथ साथ प्रैक्टिकल ज्ञान में भी वृद्धि करना चाहते हैं तो आपके द्वारा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कोर्स पूरा करने के बाद निम्नांकित विषयों के अध्ययन पर जोर दिया जाना चाहिए.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद आगे अध्ययन करने का फायदा

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा एक टेक्नीकल डिग्री है. इससे आपको एक अच्छी नौकरी मिलने में मदद मिल सकती है. विविध प्रकार की नौकरियों में जॉब की संभावना और हायर लेवल की नौकरियों के लिए अपनी योग्यता साबित करने के लिए डिप्लोमा करने के बाद भी अध्ययन करना जरुरी है. पॉलीटेक्निक डिप्लोमा के दौरान सम्बंधित डोमेन के व्यावहारिक पक्ष तथा आधारभूत तथ्यों पर ज्यदा जोर दिया जाता है लेकिन वे हायर लेवल की नौकरी के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं. पॉलीटेक्निक डिप्लोमा से प्रारंभिक स्तर पर जूनियर लेवल की जॉब आसानी से पायी जा सकती है लेकिन हायर लेवल की नौकरियों के लिए सिर्फ इससे काम नहीं चलता है. इसलिए सम्बन्धित डोमेन में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों ही स्तर पर पर्याप्त ज्ञान के लिए आगे अध्ययन करना बहुत जरुरी हो जाता है. इसके लिए आप निम्नांकित कोर्सेज पर विचार कर सकते हैं -

बीटेक लेटरल एंट्री स्कीम

पॉलीटेक्निक डिप्लोमा धारकों के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प, खासकर इंजीनियरिंग डोमेन से, बी.टेक या बीई का चयन करना है.  इसके लिए उम्मीदवारों को कॉलेज और पाठ्यक्रम के लिए संबंधित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा. कई इंजीनियरिंग कॉलेज इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री प्रदान करते हैं. लेटरल एंट्री का मतलब है कि आप सीधे दूसरे वर्ष में इंजीनियरिंग कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं या बी.टेक / बीई के तीसरे सेमेस्टर में शामिल हो सकते हैं. कुछ कॉलेजों में डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री योजना के माध्यम से प्रवेश के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा छात्रों के लिए लेटरल एंट्री स्कीम की पेशकश करने वाले शीर्ष कॉलेज

निम्नलिखित टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री योजना के माध्यम से प्रवेश प्रदान करते हैं :

एआईएम प्रमाणन

इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले डिप्लोमा धारकों के लिए एक और अन्य विकल्प एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स है. एएमआईआई (इंजीनियरों के संस्थानों के सहयोगी सदस्य) सर्टिफिकेशन बीई के बराबर एक प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन डिग्री है. एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग संस्थान, भारत द्वारा एआईएम प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाता है. एआईएम परीक्षा में दो खंड होते हैं और इस कोर्स को पूरा करने में लगभग 4 साल लगते हैं. हालांकि, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को स्ट्रीम ए, यानि प्रोजेक्ट वर्क में शामिल होने की बहुत जरुरत नहीं होती है.

इसलिए, वे केवल 3 वर्षों में ही एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स कर सकते हैं.अगर आपको इस विकल्प के विषय में और अधिक जानकारी चाहिए तो आप www.ieindia.org पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

स्टडी डोमेन में ग्रेजुएशन

बीटेक और बीई कोर्सेज के अलावा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों के पास अपने सम्बन्धित डोमेन में तीन साल के नियमित ग्रेजुएशन कोर्स में शामिल होने का विकल्प भी मौजूद है. यह विकल्प गैर-इंजीनियरिंग प्रोग्राम्स, बीएससी, बीए, बीसीए और बीकॉम जैसे तीन साल के रेगुलर ग्रेजुएशन प्रोग्राम्स  की अपेक्षा डिप्लोमा धारकों के लिए विशेष रूप से व्यावहारिक है. लेकिन इसके लिए उम्मीदवार के पास 12 वीं का रीजल्ट तथा डिप्लोमा का सर्टिफिकेट होना आवश्यक है तभी उन्हें इसमें एडमिशन मिल सकता है.

रोजगार के अवसर

उत्कृष्ट क्षेत्र और विभिन्न करियर के अवसर प्रदान करने के कारण पॉलिटेक्निक डिप्लोमा को कई छात्र करियर के शॉर्ट-कट का नाम देते हैं. 10 वीं पास करने के बाद आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे छात्रों को यह रोमांचक और आकर्षक करियर विकल्प प्रदान करता है. ऐसे में वे पीएसयू की नौकरी कर सरकारी सेवा क्षेत्र में शामिल होने, निजी कंपनियों के साथ नौकरियां लेने या यहां तक कि अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और स्व-नियोजित होने का विकल्प चुन सकते हैं.

आइए कुछ प्रमुख नौकरी करियर विकल्पों पर विचार करते हैं जिसे पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारक कोर्स पूरा होने के बाद अपना सकते हैं-

सार्वजनिक क्षेत्र / पीएसयू

सरकार या उनके सहयोगी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को बेहतरीन करियर के अवसर प्रदान करती हैं. ये कंपनियां जूनियर लेवल पोजिशन (इंजीनियरिंग और गैर इंजीनियरिंग उम्मीदवारों दोनों के लिए) और तकनीशियन स्तर की नौकरियों के लिए डिप्लोमा धारकों को हायर करती हैं.

पॉलीटेक्निक डिप्लोमा ग्रेजुएट्स की भर्ती करने वाली शीर्ष कंपनियां

  • रेलवे
  • भारतीय सेना
  • गेल - गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • ओएनजीसी - तेल और प्राकृतिक गैस निगम
  • डीआरडीओ - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन
  • भेल - भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
  • एनटीपीसी - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
  • लोक कार्य विभाग
  • बीएसएनएल - भारत संचार निगम लिमिटेड
  • सिंचाई विभाग
  • बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियां
  • एनएसएसओ - राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन
  • आईपीसीएल - इंडियन पेट्रो केमिकल्स लिमिटेड

निजी क्षेत्र

सार्वजनिक क्षेत्र की तरह ही निजी क्षेत्र की कंपनियां भी विशेष रूप से विनिर्माण, निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार डोमेन में काम करने वाले पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को हायर करती हैं. हालांकि, ये नौकरियां जूनियर लेवल की होती हैं और इसमें प्रोमोशन के आसार कम होते हैं.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को भर्ती करने वाली शीर्ष निजी क्षेत्र की कंपनियां-

  • एयरलाइंस - इंडिगो, स्पाइसजेट, जेट एयरवेज इत्यादि
  • निर्माण फर्म - यूनिटेक, डीएलएफ, जेपी एसोसिएटेड, जीएमआर इंफ्रा, मित्स इत्यादि
  • संचार फर्म – भारती एयरटेल , रिलायंस कम्युनिकेशंस, आइडिया सेल्युलर इत्यादि.
  • कम्प्यूटर इंजीनियरिंग फर्म - टीसीएस, एचसीएल, विप्रो, पोलारिस इत्यादि.
  • ऑटोमोबाइल - मारुति सुजुकी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, बजाज ऑटो इत्यादि.
  • इलेक्ट्रिकल / पावर फर्म - टाटा पावर, बीएसईएस, सीमेंस, एलएंडटी, इत्यादि.
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग फर्म - हिंदुस्तान यूनिलीवर, एसीसी लिमिटेड, वोल्टस इत्यादि.

स्व रोजगार

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों के लिए एक और उत्कृष्ट करियर विकल्प स्व-रोज़गार है. पॉलिटेक्निक संस्थानों द्वारा पेश किए गए सभी डिप्लोमा कोर्सेज विशेष रूप से संबंधित विषय के व्यावहारिक या अनुप्रयोग सम्बन्धी पहलुओं पर छात्रों को प्रशिक्षित करते हैं.यह छात्रों को विषय की मूल बातें सीखने के लिए तैयार करता है और अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के योग्य बनाता है.उदाहरण के लिए, कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले छात्र आसानी से कंप्यूटर की मरम्मत के लिए एक व्यवसाय शुरू कर सकते हैं; या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाला कोई भी छात्र अपना गेराज या ऑटोमोबाइल मरम्मत स्टोर शुरू कर सकता है. इसलिए, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा पाठ्यक्रम छात्रों को स्व-रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं.

आगे का अध्ययन

यद्यपि पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कार्यक्रम एआईसीटीई / अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा संचालित और अनुमोदित पूर्ण तकनीकी डिग्री पाठ्यक्रम है, लेकिन इन पाठ्यक्रमों को विशेष रूप से संबंधित स्ट्रीम्स या विषय के व्यावहारिक पहलुओं और मूलभूत बातें सीखने में मदद करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. इसलिए, यदि आप अपने टेक्नीकल ज्ञान के थियरेटिकल ज्ञान के साथ साथ प्रैक्टिकल ज्ञान में भी वृद्धि करना चाहते हैं तो आपके द्वारा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कोर्स पूरा करने के बाद निम्नांकित विषयों के अध्ययन पर जोर दिया जाना चाहिए.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद आगे अध्ययन करने का फायदा

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा एक टेक्नीकल डिग्री है. इससे आपको एक अच्छी नौकरी मिलने में मदद मिल सकती है. विविध प्रकार की नौकरियों में जॉब की संभावना और हायर लेवल की नौकरियों के लिए अपनी योग्यता साबित करने के लिए डिप्लोमा करने के बाद भी अध्ययन करना जरुरी है. पॉलीटेक्निक डिप्लोमा के दौरान सम्बंधित डोमेन के व्यावहारिक पक्ष तथा आधारभूत तथ्यों पर ज्यदा जोर दिया जाता है लेकिन वे हायर लेवल की नौकरी के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं. पॉलीटेक्निक डिप्लोमा से प्रारंभिक स्तर पर जूनियर लेवल की जॉब आसानी से पायी जा सकती है लेकिन हायर लेवल की नौकरियों के लिए सिर्फ इससे काम नहीं चलता है. इसलिए सम्बन्धित डोमेन में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों ही स्तर पर पर्याप्त ज्ञान के लिए आगे अध्ययन करना बहुत जरुरी हो जाता है. इसके लिए आप निम्नांकित कोर्सेज पर विचार कर सकते हैं -

बीटेक लेटरल एंट्री स्कीम

पॉलीटेक्निक डिप्लोमा धारकों के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प, खासकर इंजीनियरिंग डोमेन से, बी.टेक या बीई का चयन करना है.  इसके लिए उम्मीदवारों को कॉलेज और पाठ्यक्रम के लिए संबंधित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा. कई इंजीनियरिंग कॉलेज इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री प्रदान करते हैं. लेटरल एंट्री का मतलब है कि आप सीधे दूसरे वर्ष में इंजीनियरिंग कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं या बी.टेक / बीई के तीसरे सेमेस्टर में शामिल हो सकते हैं. कुछ कॉलेजों में डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री योजना के माध्यम से प्रवेश के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा छात्रों के लिए लेटरल एंट्री स्कीम की पेशकश करने वाले शीर्ष कॉलेज

निम्नलिखित टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को लेटरल एंट्री योजना के माध्यम से प्रवेश प्रदान करते हैं :

  • गुरू नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना
  • डीएवी इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग और टैक्नोलॉजी, जालंधर
  • इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे
  • गुरु तेगबाहदुर प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
  • एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, नोएडा
  • दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पटियाला
  • नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
  • केआईआईटीएस यूनिवर्सिटी, ओडिशा
  • गुरु गोबिंद सिंह आईपी यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, जलंधर
  • पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़
  • चंडीगढ़ समूह कॉलेज, चंडीगढ़
  • पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला
  • हार्कोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट, कानपुर
  • चित्रकारा यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
  • सैंटलांगोंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, संगरूर
  • एसबीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फिरोजपुर

एआईएम प्रमाणन

इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले डिप्लोमा धारकों के लिए एक और अन्य विकल्प एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स है. एएमआईआई (इंजीनियरों के संस्थानों के सहयोगी सदस्य) सर्टिफिकेशन बीई के बराबर एक प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन डिग्री है. एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग संस्थान, भारत द्वारा एआईएम प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाता है. एआईएम परीक्षा में दो खंड होते हैं और इस कोर्स को पूरा करने में लगभग 4 साल लगते हैं. हालांकि, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को स्ट्रीम ए, यानि प्रोजेक्ट वर्क में शामिल होने की बहुत जरुरत नहीं होती है.

इसलिए, वे केवल 3 वर्षों में ही एआईएम सर्टिफिकेशन कोर्स कर सकते हैं.अगर आपको इस विकल्प के विषय में और अधिक जानकारी चाहिए तो आप www.ieindia.org पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

स्टडी डोमेन में ग्रेजुएशन

बीटेक और बीई कोर्सेज के अलावा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों के पास अपने सम्बन्धित डोमेन में तीन साल के नियमित ग्रेजुएशन कोर्स में शामिल होने का विकल्प भी मौजूद है. यह विकल्प गैर-इंजीनियरिंग प्रोग्राम्स, बीएससी, बीए, बीसीए और बीकॉम जैसे तीन साल के रेगुलर ग्रेजुएशन प्रोग्राम्स  की अपेक्षा डिप्लोमा धारकों के लिए विशेष रूप से व्यावहारिक है. लेकिन इसके लिए उम्मीदवार के पास 12 वीं का रीजल्ट तथा डिप्लोमा का सर्टिफिकेट होना आवश्यक है तभी उन्हें इसमें एडमिशन मिल सकता है.

रोजगार के अवसर

उत्कृष्ट क्षेत्र और विभिन्न करियर के अवसर प्रदान करने के कारण पॉलिटेक्निक डिप्लोमा को कई छात्र करियर के शॉर्ट-कट का नाम देते हैं. 10 वीं पास करने के बाद आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे छात्रों को यह रोमांचक और आकर्षक करियर विकल्प प्रदान करता है. ऐसे में वे पीएसयू की नौकरी कर सरकारी सेवा क्षेत्र में शामिल होने, निजी कंपनियों के साथ नौकरियां लेने या यहां तक कि अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और स्व-नियोजित होने का विकल्प चुन सकते हैं.

आइए कुछ प्रमुख नौकरी करियर विकल्पों पर विचार करते हैं जिसे पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारक कोर्स पूरा होने के बाद अपना सकते हैं-

सार्वजनिक क्षेत्र / पीएसयू

सरकार या उनके सहयोगी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को बेहतरीन करियर के अवसर प्रदान करती हैं. ये कंपनियां जूनियर लेवल पोजिशन (इंजीनियरिंग और गैर इंजीनियरिंग उम्मीदवारों दोनों के लिए) और तकनीशियन स्तर की नौकरियों के लिए डिप्लोमा धारकों को हायर करती हैं.

पॉलीटेक्निक डिप्लोमा ग्रेजुएट्स की भर्ती करने वाली शीर्ष कंपनियां

  • रेलवे
  • भारतीय सेना
  • गेल - गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • ओएनजीसी - तेल और प्राकृतिक गैस निगम
  • डीआरडीओ - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन
  • भेल - भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
  • एनटीपीसी - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
  • लोक कार्य विभाग
  • बीएसएनएल - भारत संचार निगम लिमिटेड
  • सिंचाई विभाग
  • बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियां
  • एनएसएसओ - राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन
  • आईपीसीएल - इंडियन पेट्रो केमिकल्स लिमिटेड

निजी क्षेत्र

सार्वजनिक क्षेत्र की तरह ही निजी क्षेत्र की कंपनियां भी विशेष रूप से विनिर्माण, निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार डोमेन में काम करने वाले पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को हायर करती हैं. हालांकि, ये नौकरियां जूनियर लेवल की होती हैं और इसमें प्रोमोशन के आसार कम होते हैं.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारकों को भर्ती करने वाली शीर्ष निजी क्षेत्र की कंपनियां-

  • एयरलाइंस - इंडिगो, स्पाइसजेट, जेट एयरवेज इत्यादि
  • निर्माण फर्म - यूनिटेक, डीएलएफ, जेपी एसोसिएटेड, जीएमआर इंफ्रा, मित्स इत्यादि
  • संचार फर्म – भारती एयरटेल , रिलायंस कम्युनिकेशंस, आइडिया सेल्युलर इत्यादि.
  • कम्प्यूटर इंजीनियरिंग फर्म - टीसीएस, एचसीएल, विप्रो, पोलारिस इत्यादि.
  • ऑटोमोबाइल - मारुति सुजुकी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, बजाज ऑटो इत्यादि.
  • इलेक्ट्रिकल / पावर फर्म - टाटा पावर, बीएसईएस, सीमेंस, एलएंडटी, इत्यादि.
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग फर्म - हिंदुस्तान यूनिलीवर, एसीसी लिमिटेड, वोल्टस इत्यादि.

Tuesday, January 21, 2020

लाइब्रेरी साइंस में करियर

लाइब्रेरी को सूचना, ज्ञान और मनोरंजन का संग्रह माना जाता है। इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक नवीनतम सूचनाओं और ज्ञान सामग्री का नाममात्र खर्च में पहुंचना संभव हो पाता है। उपयोग के आधार पर लाइब्रेरी को कई भागों में बांटा जा सकता है, जैसे पब्लिक लाइब्रेरी, यूनिवर्सिटी/कॉलेज लाइब्रेरी, निजी लाइब्रेरी आदि।

क्या है लाइब्रेरी साइंस
इस विषय के तहत मुख्य रूप से किताबों, संदर्भ ग्रंथों, पत्रिकाओं और अखबारों को व्यवस्थित ढंग से रखने और लंबे अरसे तक सुरक्षित ढंग से सहेजने के बारे में जानकारी दी जाती है। बड़ी संख्या में उपलब्ध ज्ञान और सूचना परक सामग्रियों (किताब, पत्रिका) को एक निश्चित क्रम में वगीकृत करने के लिए लाइब्रेरी साइंस वैज्ञानिक विधियों और तकनीकों का सहारा लेती है। लाइब्रेरी की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और उसे अधिक उपयोगी बनाने का काम लाइब्रेरियन का होता है।

उपलब्ध कोर्स
सर्टिफिकेट कोर्स इन लाइब्रेरी साइंस
सर्टिफिकेट इन आईसीटी एप्लिकेशन इन लाइब्रेरी
सर्टिफिकेट कोर्स इन लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस
डिप्लोमा कोर्स इन लाइब्रेरी साइंस
डिप्लोमा इन लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस (डीएलआईएस)
बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन
मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस
पीजी डिप्लोमा इन लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड नेटवर्किंग

स्पेशलाइजेशन के विषय
इन्फॉर्मेशन आर्किटेक्चर इंडेक्सिंग
इन्फॉर्मेशन ब्रोकर
आर्काइविंग एब्सट्रेक्टर्स
मेटाडेटा मैनेजमेंट कैटालॉगिंग
मेटाडेटा आर्किटेक्चर कंप्यूटर
डेटा एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम
प्रिजव्रेशन एडमिनिस्ट्रेशन एंड कंजव्रेशन

योग्यता
डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स: इन कोर्स में प्रवेश के लिए किसी मान्यता प्राप्त स्कूल शिक्षा बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। दाखिला आमतौर पर मेरिट सूची के जरिए होता है।

बैचलर कोर्स: किसी विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद लाइब्रेरी साइंस के बैचलर कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है। यह कोर्स एक साल का होता है। दाखिले प्रवेश परीक्षा या मेरिट के आधार पर दिए जाते हैं।

पीजी कोर्स: मास्टर्स या पीजी डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए बी.लिब. होना जरूरी है। अलग-अलग संस्थानों में दाखिले का अंक प्रतिशत 50 होता है।

यहां मिलेगी नौकरी
सरकारी और निजी लाइब्रेरी 
यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी
न्यूज एजेंसी और मीडिया संस्थान
विदेशी दूतावास
फोटो/ फिल्म लाइब्रेरी
इन्फॉर्मेशन सेंटर्स/ डॉक्यूमेंटेशन सेंटर्स
शोध सुविधाओं से युक्त म्यूजियम और गैलरी

वेतन
योग्यता और अनुभव के आधार पर वेतन मिलता है। निजी व सरकारी क्षेत्र में वेतन का स्वरूप अलग-अलग है। लाइब्रेरी में शुरुआती वेतन प्रतिमाह 20,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये के बीच हो सकता है।

प्रमुख संस्थान

दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
www.du.ac.in
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
www.jmi.ac.in
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश
www.bhu.ac.in
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश
www.mcu.ac.in
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश
www.amu.ac.in
जीवाजी यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश
www.jiwaji.edu

Wednesday, January 15, 2020

एयर होस्टेस के तौर पर करियर

यह भारतीय महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय करियर ऑप्शन है जो आकर्षक होने के साथ ही एक प्रोमिसिंग करियर ऑप्शन भी है. अगर आपको अन्य लोगों से बातें करना अच्छा लगता है और आपकी आकर्षक पर्सनैलिटी के साथ ही आपके पास बढ़िया कम्युनिकेशन स्किल्स हैं तो यह पेशा आपके लिए एक उपयुक्त करियर ऑप्शन है. एक एयर होस्टेस के तौर पर, आप विभिन्न स्थानों और देशों में विजिट करेंगी, जहां आप होटल्स में रहकर हर रोज़ नये लोगों से बातचीत कर नये-नये अनुभव प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि, अगर आप यह प्रोफेशन अपनाना चाहती हैं तो आपको 100% प्रतिबद्धता, समर्पण और साहस के साथ मेहनत करने के लिए तत्पर रहना होगा.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

भारत में कई संस्थान महिला कैंडिडेट्स को डिप्लोमा और शॉर्ट-टर्म कोर्स तथा ट्रेनिंग करवाते हैं. एयर होस्टेस की ट्रेनिंग के लिए, एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स जैसे एयर सर्विस कैरियर्स कम से कम 157.5 सेंटीमीटर कद वाली, 19 से 25 वर्ष की युवा लडकियों को रिक्रूट करते हैं. अधिकांश सस्थानों में अनिवार्य एजुकेशनल क्वालिफिकेशन 12 वीं कक्षा पास है. लेकिन कुछ संस्थान आपसे ग्रेजुएशन की डिग्री के बारे में भी पूछ सकते हैं.

स्मार्ट और आत्मविश्वासी लड़कियां, जिनकी आकर्षक और पोलाइट पर्सनैलिटी हो, केवल वे ही एयर होस्टेस का पेशा चुन सकती हैं. इन ट्रेट्स के साथ ही, एक्सीलेंट कम्युनिकेशन स्किल्स और अच्छा सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी इस पेशे की प्रमुख आवश्यकता है. इस पेशे के लिए आपको कम से कम एक विदेशी भाषा में महारत हासिल होनी चाहिए; हालांकि, यह एक अनिवार्य शर्त नहीं है.

शैक्षिक संस्थान

भारत में कई शैक्षिक संस्थान/ इंस्टिट्यूशंस एयर होस्टेस के पेशे के लिए स्टूडेंट्स को डिग्री कोर्स और ट्रेनिंग करवाते हैं. कुछ प्रसिद्ध संस्थानों के नाम नीचे दिए जा रहे हैं.

• वाईएमसीए, नई दिल्ली

• स्काईलाइन एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, हौज खास, दिल्ली

• फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग, नई दिल्ली

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

एयर होस्टेस की ट्रेनिंग और कोर्स सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद, कैंडिडेट्स विभिन्न पब्लिक और प्राइवेट एयरलाइन्स जैसे, एयर इंडिया, इंडिगो, ब्रिटिश एयरवेज आदि में जॉब्स प्राप्त कर सकती हैं.

एडवरटाइजिंग में करियर प्रॉस्पेक्ट्स

आजकल, एडवरटाइजिंग एक बहुत ही आकर्षक और पसंदीदा प्रोफेशन के तौर पर उभरा है, जो आपको एक तरफ फन और क्रिएटिविटी की गारंटी देता है और दूसरी तरफ, यह आपको पहचान और प्रसिद्धी दिलवाता है. इस पेशे में, आपके पास अपने आस-पास के माहौल के बारे में जागरूकता लाने और उसके बाद, दिलकश विज्ञापनों के माध्यम से अपनी टारगेट ऑडियंस को लुभाने की काबिलियत जरुर होनी चाहिए. एडवरटाइजिंग करियर के लिए ऑल-राउंड क्रिएटिविटी, यूजर बिहेवियर की समझ और ब्रांडिंग स्किल्स अनिवार्य शर्तें हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

बैचलर लेवल पर कोई एडवरटाइजिंग कोर्स ज्वाइन करने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 12 वीं क्लास पास होना और पीजी लेवल के लिए किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री है. कई संस्थान अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल के एडवरटाइजिंग कोर्सेज करवाते हैं. एडवरटाइजिंग में अपना करियर शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी एड एजेंसी में जॉब ज्वाइन कर लें. अपने पैशन और स्किल्स के अनुसार, आप किसी भी एड एजेंसी में क्रिएटिव या मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ज्वाइन कर सकते हैं.

एडवरटाइजिंग में सफल करियर बनाने के लिए, सहनशीलता और शांत स्वभाव होने के साथ-साथ आपके पास बहुत अच्छे इमैजिनेटिव और विजूअलाइजेशन स्किल्स होने चाहिए. इस कार्यक्षेत्र में तरक्की प्राप्त करने के लिए आपके पास प्रेशर के तहत काम करने क्षमता भी होनी चाहिए ताकि आप सख्त डेडलाइन्स में अपने टारगेट्स प्राप्त कर सकें. लैंग्वेज में महारत, टीम के साथ मिलकर काम करने की काबिलियत के साथ ही ऑर्गेनाइजेशन स्किल्स भी इस पेशे में महारत हसिल करने के लिए बहुत जरुरी हैं.   

शैक्षिक संस्थान

एडवरटाइजिंग में प्रोफेशनल कोर्सेज करवाने वाले कुछ बढ़िया इंस्टिट्यूट्स निम्नलिखित हैं:

• भारतीय विद्या भवन, (मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, दिल्ली)

• सेंटर फॉर मास मीडिया, वाईएमसीए, नई दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन्स (आईआईएमसी), नई दिल्ली

• केसी कॉलेज ऑफ मैनेजमैंट, मुंबई

• मुद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद (एमआईसीए)

• नरसी मोंजी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमैंट स्ट्डीज़, मुंबई

• सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशंस, मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

एडवरटाइजिंग में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आपको एड एजेंसीज, रेडियो चैनल्स, मीडिया हाउसेज, ई-कॉमर्स स्टोर्स, एफएमसीजी कंपनियों और पीआर एजेंसीज में जॉब्स मिल सकती हैं. प्रोडक्ट प्रमोशन और ब्रांडिंग के लिए एडवरटाइजिंग की लोकप्रियता दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है. आजकल के संगठन क्लाइंट सर्विसिंग, अकाउंट मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशन्स, सेल्स प्रमोशन, आर्ट डायरेक्शन और कॉपी राइटिंग के क्षेत्रों से संबद्ध पेशेवरों को जॉब्स देने के लिए ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

फैशन डिजाइनिंग में करियर

आजकल, हमारे लाइफस्टाइल को आर्थिक विकास और मॉडर्न वैल्यूज ने काफी प्रभावित किया है. अब, हरेक व्यक्ति कपड़ों, खान-पान, ट्रेवल, शिक्षा और संबंधों के मामले में एक अलग और विशेष लाइफस्टाइल अपनाना चाहता है. इस ट्रेंड को देखते हुए, कुछ समय से फैशन डिजाइनिंग सबसे ज्यादा पसंदीदा करियर ऑप्शन के तौर पर उभरा है. अब, हर दूसरा व्यक्ति आकर्षक और सुरुचिपूर्ण तरीके से कपड़े पहनना और तैयार होना चाहता है और इस कारण इन दिनों फैशन डिज़ाइनर्स की मांग बहुत बढ़ गई है. आज के इस आधुनिक समाज में फैशन लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. इसलिये, इस प्रोफेशन में आप अपना करियर शुरू करके उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

किसी प्रसिद्ध इंस्टिट्यूट से फैशन डिजाइनिंग कोर्स करने का बेसिक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 12 वीं क्लास पास करना है. 10+2 पास करने के बाद आप दो किस्म के कोर्स कर सकते हैं जो हैं – फैशन टेक्नोलॉजी में बैचलर की डिग्री और फैशन डिजाइनिंग में बैचलर की डिग्री. अपने इंटरेस्ट के मुताबिक आप इनमें से कोई भी कोर्स कर सकते हैं. इन दोनों कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष है.

इस प्रोफेशन को ज्वाइन करने के लिए, आपके पास बहुत उम्दा इमैजिनेटिव पावर्स होनी चाहिए. बढ़िया मास्टरपीस तैयार करने के लिए फैब्रिक्स, कलर्स और स्टाइल के मिलान के लिए आपके पास आर्टिस्टिक व्यू-प्वाइंट के साथ ही असाधारण विज़ुअलाइज़ेशन क्षमतायें होनी चाहिए. इसके अलावा, आपको इस क्षेत्र में होनी वाली प्रतियोगिता और चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा. आपको यूजर्स के फैशन टेस्ट और लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स के साथ खुद को जरुर अपडेटेड रखना होगा.

शैक्षिक संस्थान

फैशन डिजाइनिंग में कोर्सेज करवाने वाले टॉप इंस्टिट्यूट्स की लिस्ट निम्नलिखित है:

• सीईपीजेड इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टैक्नोलॉजी, मुंबई

• जेडी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (विभिन्न शहर)

• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन, कलकत्ता

• नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी (नई दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद, गांधीनगर)

• पर्ल एकेडेमी ऑफ़ फैशन, नई दिल्ली

• सोफिया पॉलिटेक्निक, मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

अगर आप कलात्मक हैं और आपके पास बेहतरीन फैशन सेंस है, तो इस प्रोफेशन में आप आसमान छू सकते हैं. एक कुशल और टैलेंटेड फैशन डिज़ाइनर को अपैरल कंपनियों, एक्सपोर्ट हाउसेज और रॉ मेटीरियल इंडस्ट्री में एक स्टाइलिस्ट या डिज़ाइनर के तौर पर जॉब मिल सकती है. इस पेशे की सबसे अच्छी बात तो यह है कि कुछ वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के बाद आप अपना फैशन बुटीक खोल सकते हैं. किसी फैशन डिजाइनिंग ग्रेजुएट के लिए विजूअल मर्केंडाइजिंग, कॉस्टयूम डिजाइनिंग और फैशन राइटिंग अन्य बेहतरीन करियर ऑप्शन्स हैं. 

जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में करियर

आप अवश्य अंजना ओम कश्यप और बरखा दत्त जैसी प्रसिद्ध न्यूज़ जर्नलिस्ट्स के नामों से परिचित होंगे. अगर आप उनके जैसी बनना चाहती हैं तो जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में कोर्स करना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा. जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में प्रोफेशन बहुत चुनौतीपूर्ण और जोखिम से भरा होता है. लेकिन आजकल, अधिकांश महिलायें यह प्रोफेशन अपना रही हैं क्योंकि इसमें जॉब सेटिस्फेक्शन के साथ-साथ प्रसिद्धी भी मिलती है. डिजिटल मीडिया के आने से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन का कार्यक्षेत्र ज्यादा व्यापक बन गया है और अब इस कार्यक्षेत्र के तहत रिपोर्टर्स, कॉपी राइटर्स, प्रोड्यूर्स, एंकर्स, एक्सपर्ट्स और कॉलमिस्ट्स के लिए भी बहुत ज्यादा जॉब्स उपलब्ध हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

मास कम्युनिकेशन में अंडरग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने के लिए आपने 12 वीं क्लास जरुर पास की हो. इसी तरह,  मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए आपने मास कम्युनिकेशन में बैचलर डिग्री प्राप्त की हो. कुछ कॉलेज एंट्रेंस टेस्ट्स लेकर कैंडिडेट्स का चयन करते हैं. लेकिन, कुछ कॉलेज कैंडिडेट्स के एकेडेमिक रिकार्ड्स के आधार पर उनका चयन करते हैं. कई इंस्टिट्यूट्स जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में 1 साल का पीजी कोर्स भी ऑफर करते हैं.

इस पेशे में महारत हासिल करने के लिए, आपके पास असाधारण राइटिंग और वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स होने चाहिये. इसके साथ ही, आपमें भरपूर आत्मविश्वास होना चाहिए और आपकी पर्सनैलिटी आकर्षक होनी चाहिए. आप कैमरा के सामने पूरे आत्मविश्वास और स्मार्टनेस के साथ आयें. आपकी रिपोर्टिंग निष्पक्ष होनी चाहिए और आपके विचारों और राय पर लेशमात्र भी राजनीतिक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. इसके अलावा, मास कम्युनिकेशन के कैंडिडेट्स के पास अपने टॉपिक्स में बहुत अच्छी तरह एक्स्टेंसिव रिसर्च करने के बाद किसी भी स्टोरी को प्रसारित करने की काबिलियत होनी चाहिए.

शैक्षिक संस्थान

भारत में मास कम्युनिकेशन कोर्सेज करवाने वाले टॉप इंस्टिट्यूट्स निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, आईआईएमसी, नई दिल्ली

• एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म, चेन्नई

• जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

• डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म, पुणे विश्वविद्यालय, पुणे

• सिम्बायोसीस इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, पुणे

• नई दिल्ली वाईएमसीए, नई दिल्ली

• भारतीय विद्या भवन, दिल्ली और मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

विभिन्न समाचारपत्र, न्यूज़ एजेंसीज, मैगजीन्स, वेब साइट्स, सरकारी और प्राइवेट टीवी चैनल्स अपने ऑफिसेज में जर्नलिस्ट्स को रिपोर्टिंग, एडिटिंग और कॉपी राइटिंग के काम पर रखते हैं. इसके अलावा, इंटरनेशनल पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स ढेरों जॉब्स ऑफर करते हैं. इनफॉर्मेशन एवं ब्राडकास्टिंग मंत्रालय में भी समय-समय पर जॉब के अवसर उपलब्ध होते रहते हैं.

मास कम्युनिकेशन ग्रेजुएट्स विभिन्न समाचारपत्रों, मैगजीन्स, न्यूज़ एजेंसीज, न्यूज़ वेबसाइट्स, सरकारी और प्राइवेट चैनल्स और रेडियो स्टेशन्स में रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं. इसी तरह, इंटरनेशनल न्यूज़पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स कई वेकेंसीज ऑफर करते हैं. ये जॉब्स रिपोर्टिंग, एडिटिंग, प्रोडक्शन, एंकरिंग, कॉपी राइटिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग और वीडियो शूट्स के जॉब-प्रोफाइल्स के लिए उपलब्ध होती हैं.

एयर होस्टेस के तौर पर करियर

यह भारतीय महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय करियर ऑप्शन है जो आकर्षक होने के साथ ही एक प्रोमिसिंग करियर ऑप्शन भी है. अगर आपको अन्य लोगों से बातें करना अच्छा लगता है और आपकी आकर्षक पर्सनैलिटी के साथ ही आपके पास बढ़िया कम्युनिकेशन स्किल्स हैं तो यह पेशा आपके लिए एक उपयुक्त करियर ऑप्शन है. एक एयर होस्टेस के तौर पर, आप विभिन्न स्थानों और देशों में विजिट करेंगी, जहां आप होटल्स में रहकर हर रोज़ नये लोगों से बातचीत कर नये-नये अनुभव प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि, अगर आप यह प्रोफेशन अपनाना चाहती हैं तो आपको 100% प्रतिबद्धता, समर्पण और साहस के साथ मेहनत करने के लिए तत्पर रहना होगा.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

भारत में कई संस्थान महिला कैंडिडेट्स को डिप्लोमा और शॉर्ट-टर्म कोर्स तथा ट्रेनिंग करवाते हैं. एयर होस्टेस की ट्रेनिंग के लिए, एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स जैसे एयर सर्विस कैरियर्स कम से कम 157.5 सेंटीमीटर कद वाली, 19 से 25 वर्ष की युवा लडकियों को रिक्रूट करते हैं. अधिकांश सस्थानों में अनिवार्य एजुकेशनल क्वालिफिकेशन 12 वीं कक्षा पास है. लेकिन कुछ संस्थान आपसे ग्रेजुएशन की डिग्री के बारे में भी पूछ सकते हैं.

स्मार्ट और आत्मविश्वासी लड़कियां, जिनकी आकर्षक और पोलाइट पर्सनैलिटी हो, केवल वे ही एयर होस्टेस का पेशा चुन सकती हैं. इन ट्रेट्स के साथ ही, एक्सीलेंट कम्युनिकेशन स्किल्स और अच्छा सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी इस पेशे की प्रमुख आवश्यकता है. इस पेशे के लिए आपको कम से कम एक विदेशी भाषा में महारत हासिल होनी चाहिए; हालांकि, यह एक अनिवार्य शर्त नहीं है.

शैक्षिक संस्थान

भारत में कई शैक्षिक संस्थान/ इंस्टिट्यूशंस एयर होस्टेस के पेशे के लिए स्टूडेंट्स को डिग्री कोर्स और ट्रेनिंग करवाते हैं. कुछ प्रसिद्ध संस्थानों के नाम नीचे दिए जा रहे हैं.

• वाईएमसीए, नई दिल्ली

• स्काईलाइन एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, हौज खास, दिल्ली

• फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग, नई दिल्ली

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

एयर होस्टेस की ट्रेनिंग और कोर्स सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद, कैंडिडेट्स विभिन्न पब्लिक और प्राइवेट एयरलाइन्स जैसे, एयर इंडिया, इंडिगो, ब्रिटिश एयरवेज आदि में जॉब्स प्राप्त कर सकती हैं.

एडवरटाइजिंग में करियर प्रॉस्पेक्ट्स

आजकल, एडवरटाइजिंग एक बहुत ही आकर्षक और पसंदीदा प्रोफेशन के तौर पर उभरा है, जो आपको एक तरफ फन और क्रिएटिविटी की गारंटी देता है और दूसरी तरफ, यह आपको पहचान और प्रसिद्धी दिलवाता है. इस पेशे में, आपके पास अपने आस-पास के माहौल के बारे में जागरूकता लाने और उसके बाद, दिलकश विज्ञापनों के माध्यम से अपनी टारगेट ऑडियंस को लुभाने की काबिलियत जरुर होनी चाहिए. एडवरटाइजिंग करियर के लिए ऑल-राउंड क्रिएटिविटी, यूजर बिहेवियर की समझ और ब्रांडिंग स्किल्स अनिवार्य शर्तें हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

बैचलर लेवल पर कोई एडवरटाइजिंग कोर्स ज्वाइन करने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 12 वीं क्लास पास होना और पीजी लेवल के लिए किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री है. कई संस्थान अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल के एडवरटाइजिंग कोर्सेज करवाते हैं. एडवरटाइजिंग में अपना करियर शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी एड एजेंसी में जॉब ज्वाइन कर लें. अपने पैशन और स्किल्स के अनुसार, आप किसी भी एड एजेंसी में क्रिएटिव या मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ज्वाइन कर सकते हैं.

एडवरटाइजिंग में सफल करियर बनाने के लिए, सहनशीलता और शांत स्वभाव होने के साथ-साथ आपके पास बहुत अच्छे इमैजिनेटिव और विजूअलाइजेशन स्किल्स होने चाहिए. इस कार्यक्षेत्र में तरक्की प्राप्त करने के लिए आपके पास प्रेशर के तहत काम करने क्षमता भी होनी चाहिए ताकि आप सख्त डेडलाइन्स में अपने टारगेट्स प्राप्त कर सकें. लैंग्वेज में महारत, टीम के साथ मिलकर काम करने की काबिलियत के साथ ही ऑर्गेनाइजेशन स्किल्स भी इस पेशे में महारत हसिल करने के लिए बहुत जरुरी हैं.   

शैक्षिक संस्थान

एडवरटाइजिंग में प्रोफेशनल कोर्सेज करवाने वाले कुछ बढ़िया इंस्टिट्यूट्स निम्नलिखित हैं:

• भारतीय विद्या भवन, (मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, दिल्ली)

• सेंटर फॉर मास मीडिया, वाईएमसीए, नई दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन्स (आईआईएमसी), नई दिल्ली

• केसी कॉलेज ऑफ मैनेजमैंट, मुंबई

• मुद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद (एमआईसीए)

• नरसी मोंजी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमैंट स्ट्डीज़, मुंबई

• सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशंस, मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

एडवरटाइजिंग में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आपको एड एजेंसीज, रेडियो चैनल्स, मीडिया हाउसेज, ई-कॉमर्स स्टोर्स, एफएमसीजी कंपनियों और पीआर एजेंसीज में जॉब्स मिल सकती हैं. प्रोडक्ट प्रमोशन और ब्रांडिंग के लिए एडवरटाइजिंग की लोकप्रियता दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है. आजकल के संगठन क्लाइंट सर्विसिंग, अकाउंट मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशन्स, सेल्स प्रमोशन, आर्ट डायरेक्शन और कॉपी राइटिंग के क्षेत्रों से संबद्ध पेशेवरों को जॉब्स देने के लिए ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

फैशन डिजाइनिंग में करियर

आजकल, हमारे लाइफस्टाइल को आर्थिक विकास और मॉडर्न वैल्यूज ने काफी प्रभावित किया है. अब, हरेक व्यक्ति कपड़ों, खान-पान, ट्रेवल, शिक्षा और संबंधों के मामले में एक अलग और विशेष लाइफस्टाइल अपनाना चाहता है. इस ट्रेंड को देखते हुए, कुछ समय से फैशन डिजाइनिंग सबसे ज्यादा पसंदीदा करियर ऑप्शन के तौर पर उभरा है. अब, हर दूसरा व्यक्ति आकर्षक और सुरुचिपूर्ण तरीके से कपड़े पहनना और तैयार होना चाहता है और इस कारण इन दिनों फैशन डिज़ाइनर्स की मांग बहुत बढ़ गई है. आज के इस आधुनिक समाज में फैशन लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. इसलिये, इस प्रोफेशन में आप अपना करियर शुरू करके उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

किसी प्रसिद्ध इंस्टिट्यूट से फैशन डिजाइनिंग कोर्स करने का बेसिक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 12 वीं क्लास पास करना है. 10+2 पास करने के बाद आप दो किस्म के कोर्स कर सकते हैं जो हैं – फैशन टेक्नोलॉजी में बैचलर की डिग्री और फैशन डिजाइनिंग में बैचलर की डिग्री. अपने इंटरेस्ट के मुताबिक आप इनमें से कोई भी कोर्स कर सकते हैं. इन दोनों कोर्सेज की अवधि 4 वर्ष है.

इस प्रोफेशन को ज्वाइन करने के लिए, आपके पास बहुत उम्दा इमैजिनेटिव पावर्स होनी चाहिए. बढ़िया मास्टरपीस तैयार करने के लिए फैब्रिक्स, कलर्स और स्टाइल के मिलान के लिए आपके पास आर्टिस्टिक व्यू-प्वाइंट के साथ ही असाधारण विज़ुअलाइज़ेशन क्षमतायें होनी चाहिए. इसके अलावा, आपको इस क्षेत्र में होनी वाली प्रतियोगिता और चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा. आपको यूजर्स के फैशन टेस्ट और लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स के साथ खुद को जरुर अपडेटेड रखना होगा.

शैक्षिक संस्थान

फैशन डिजाइनिंग में कोर्सेज करवाने वाले टॉप इंस्टिट्यूट्स की लिस्ट निम्नलिखित है:

• सीईपीजेड इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टैक्नोलॉजी, मुंबई

• जेडी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (विभिन्न शहर)

• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन, कलकत्ता

• नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी (नई दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद, गांधीनगर)

• पर्ल एकेडेमी ऑफ़ फैशन, नई दिल्ली

• सोफिया पॉलिटेक्निक, मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

अगर आप कलात्मक हैं और आपके पास बेहतरीन फैशन सेंस है, तो इस प्रोफेशन में आप आसमान छू सकते हैं. एक कुशल और टैलेंटेड फैशन डिज़ाइनर को अपैरल कंपनियों, एक्सपोर्ट हाउसेज और रॉ मेटीरियल इंडस्ट्री में एक स्टाइलिस्ट या डिज़ाइनर के तौर पर जॉब मिल सकती है. इस पेशे की सबसे अच्छी बात तो यह है कि कुछ वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के बाद आप अपना फैशन बुटीक खोल सकते हैं. किसी फैशन डिजाइनिंग ग्रेजुएट के लिए विजूअल मर्केंडाइजिंग, कॉस्टयूम डिजाइनिंग और फैशन राइटिंग अन्य बेहतरीन करियर ऑप्शन्स हैं.

जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में करियर

आप अवश्य अंजना ओम कश्यप और बरखा दत्त जैसी प्रसिद्ध न्यूज़ जर्नलिस्ट्स के नामों से परिचित होंगे. अगर आप उनके जैसी बनना चाहती हैं तो जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में कोर्स करना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा. जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में प्रोफेशन बहुत चुनौतीपूर्ण और जोखिम से भरा होता है. लेकिन आजकल, अधिकांश महिलायें यह प्रोफेशन अपना रही हैं क्योंकि इसमें जॉब सेटिस्फेक्शन के साथ-साथ प्रसिद्धी भी मिलती है. डिजिटल मीडिया के आने से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन का कार्यक्षेत्र ज्यादा व्यापक बन गया है और अब इस कार्यक्षेत्र के तहत रिपोर्टर्स, कॉपी राइटर्स, प्रोड्यूर्स, एंकर्स, एक्सपर्ट्स और कॉलमिस्ट्स के लिए भी बहुत ज्यादा जॉब्स उपलब्ध हैं.

एलिजिबिलिटी और पर्सनैलिटी ट्रेट्स

मास कम्युनिकेशन में अंडरग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने के लिए आपने 12 वीं क्लास जरुर पास की हो. इसी तरह,  मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए आपने मास कम्युनिकेशन में बैचलर डिग्री प्राप्त की हो. कुछ कॉलेज एंट्रेंस टेस्ट्स लेकर कैंडिडेट्स का चयन करते हैं. लेकिन, कुछ कॉलेज कैंडिडेट्स के एकेडेमिक रिकार्ड्स के आधार पर उनका चयन करते हैं. कई इंस्टिट्यूट्स जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में 1 साल का पीजी कोर्स भी ऑफर करते हैं.

इस पेशे में महारत हासिल करने के लिए, आपके पास असाधारण राइटिंग और वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स होने चाहिये. इसके साथ ही, आपमें भरपूर आत्मविश्वास होना चाहिए और आपकी पर्सनैलिटी आकर्षक होनी चाहिए. आप कैमरा के सामने पूरे आत्मविश्वास और स्मार्टनेस के साथ आयें. आपकी रिपोर्टिंग निष्पक्ष होनी चाहिए और आपके विचारों और राय पर लेशमात्र भी राजनीतिक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. इसके अलावा, मास कम्युनिकेशन के कैंडिडेट्स के पास अपने टॉपिक्स में बहुत अच्छी तरह एक्स्टेंसिव रिसर्च करने के बाद किसी भी स्टोरी को प्रसारित करने की काबिलियत होनी चाहिए.

शैक्षिक संस्थान

भारत में मास कम्युनिकेशन कोर्सेज करवाने वाले टॉप इंस्टिट्यूट्स निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, आईआईएमसी, नई दिल्ली

• एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म, चेन्नई

• जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

• डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म, पुणे विश्वविद्यालय, पुणे

• सिम्बायोसीस इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, पुणे

• नई दिल्ली वाईएमसीए, नई दिल्ली

• भारतीय विद्या भवन, दिल्ली और मुंबई

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स

विभिन्न समाचारपत्र, न्यूज़ एजेंसीज, मैगजीन्स, वेब साइट्स, सरकारी और प्राइवेट टीवी चैनल्स अपने ऑफिसेज में जर्नलिस्ट्स को रिपोर्टिंग, एडिटिंग और कॉपी राइटिंग के काम पर रखते हैं. इसके अलावा, इंटरनेशनल पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स ढेरों जॉब्स ऑफर करते हैं. इनफॉर्मेशन एवं ब्राडकास्टिंग मंत्रालय में भी समय-समय पर जॉब के अवसर उपलब्ध होते रहते हैं.

मास कम्युनिकेशन ग्रेजुएट्स विभिन्न समाचारपत्रों, मैगजीन्स, न्यूज़ एजेंसीज, न्यूज़ वेबसाइट्स, सरकारी और प्राइवेट चैनल्स और रेडियो स्टेशन्स में रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं. इसी तरह, इंटरनेशनल न्यूज़पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स कई वेकेंसीज ऑफर करते हैं. ये जॉब्स रिपोर्टिंग, एडिटिंग, प्रोडक्शन, एंकरिंग, कॉपी राइटिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग और वीडियो शूट्स के जॉब-प्रोफाइल्स के लिए उपलब्ध होती हैं.

Sunday, January 12, 2020

डकास्ट इंजीनियरिंग में करियर

देश-दुनिया में आजकल जीवन के हरेक क्षेत्र में होने वाली तरक्की की वजह से हम एजुकेशन और करियर की फील्ड में रोज़ाना नए-नए विकास के आयाम देखते हैं. इंजीनियरिंग भी इसका अपवाद नहीं है और अब इंजीनियरिंग की फील्ड में भी हम इंजीनियरिंग की कई नई ब्रांचेज़ देख सकते हैं. पहले जहां इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग के तहत हम इंजीनियरिंग के विभिन्न आस्पेक्ट्स को समझते थे, आजकल वहीँ हम इंजीनियरिंग में कई अन्य स्पेसिफिक इंजीनियरिंग कोर्सेज को भी देख रहे हैं जैसेकि, एयरोस्पेस/ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, मरीन इंजीनियरिंग, ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग, न्यूक्लियर इंजीनियरिंग, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, बायोकेमिकल इंजीनियरिंग, चेम्सिअल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग. इस आर्टिकल में हम ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबंधित विभिन्न आस्पेक्ट्स पर एक चर्चा कर रहे हैं. आइये जानते हैं कि ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग क्या है और आज के संदर्भ में, भारत में इस फील्ड में करियर ऑप्शन्स और करियर ग्रोथ की कितनी संभावनाएं हैं?.....

ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग क्या है?

आजकल देश-दुनिया में ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग की एक महत्त्वपूर्ण ब्रांच बन चुकी है क्योंकि पूरी दुनिया में लगातार 24x7 न्यूज़, व्यूज़ और एंटरटेनमेंट की ब्रॉडकास्टिंग होती ही रहती है. ऐसे में, आप बड़ी आसानी से आज के दौर में ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग के महत्त्व और योगदान का अनुमान लगा सकते हैं. वास्तव में, ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में विभिन्न ऑडियो-विजूअल्स, रेडियो और टीवी में विभिन्न कार्यक्रमों की ब्रॉडकास्टिंग के दौरान साउंड रेंज, साउंड क्लैरिटी, कलर इम्पैक्ट और सिग्नल स्ट्रेंथ को समुचित लेवल पर रखने के लिए विभिन्न इक्विपमेंट्स को ऑपरेट और रेगुलेट किया जाता है. ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की एक ऐसी फील्ड हैं जिसमें इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स को रेडियो और टीवी सिग्नलस ब्रॉडकास्ट करने के लिए समुचित तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. आज के दौर में हम दिन-रात रेडियो और टीवी पर रियल टाइम न्यूज़ रिपोर्टिंग, लाइव शोज़/ परफॉरमेंसेस, इंटरव्यूज़, इवेंट्स और लेटेस्ट अपडेट्स के लिए ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग पर काफी हद तक निर्भर हैं.   

 ब्रॉडकास्ट इंजीनियर का जॉब प्रोफफाइल/ करियर ऑप्शन्स  

जो पेशेवर ब्रॉडकास्टिंग से संबंधित विभिन्न कार्य करते हैं, वे ब्रॉडकास्ट इंजीनियर या ब्रॉडकास्ट तकनीशियन कहलाते हैं. ये पेशेवर रेडियो, टेलीविज़न और अन्य किस्म के ऑडियो-विजूअल्स में साउंड रेंज, साउंड क्लैरिटी, कलर स्कीम और कलर इम्पैक्ट के साथ सिग्नल स्ट्रेंथ से जुड़े विभिन्न काम देखते हैं. ये पेशेवर ब्रॉडकास्टिंग इक्विपमेंट्स को मेंटेन रखते हैं और जरूरत पड़ने पर रिपेयर और अपग्रेड भी करते हैं ताकि पब्लिक के पास निर्बाध रूप से सारी सूचना और जानकारी तुरंत पहुंच सके.

 

भारत में ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग की फील्ड में निम्नलिखित जॉब प्रोफाइल्स/ करियर ऑप्शन्स मौजूद हैं:

  • ब्रॉडकास्ट इंजीनियर – फ्रेशर
  • ब्रॉडकास्ट इंजीनियर – अनुभवी
  • ब्रॉडकास्ट डिज़ाइन इंजीनियर
  • ब्रॉडकास्ट सिस्टम इंजीनियर
  • ब्रॉडकास्ट मेंटेनेंस इंजीनियर
  • ब्रॉडकास्ट IT इंजीनियर
  • ब्रॉडकास्ट नेटवर्क इंजीनियर
  • वीडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर
  • रिमोट ब्रॉडकास्ट इंजीनियर
  • टीवी स्टूडियो ब्रॉडकास्ट इंजीनियर
  • असिस्टेंट चीफ इंजीनियर
  • चीफ इंजीनियर

ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबंधित एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

हमारे देश में किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से मैथ्स और फिजिक्स के साथ साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास स्टूडेंट्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट लेवल के कोर्सेज कर सकते हैं. इस इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को AIEEE या स्टेट लेवल का अन्य कोई एंट्रेंस एग्जाम भी जरुर पास करना पड़ता है. ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में स्टूडेंट्स ऑनलाइन डिग्री/ डिप्लोमा कोर्सेज भी कर सकते हैं. कुछ महत्त्वपूर्ण एजुकेशनल कोर्सेज निम्नलिखित हैं:

  • बैचलर डिग्री – इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
  • बैचलर डिग्री – टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग
  • बैचलर डिग्री – इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
  • बैचलर डिग्री – ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग/ टेक्नोलॉजी
  • बैचलर डिग्री – कंप्यूटर इंजीनियरिंग

 

भारत में इन टॉप इंस्टीट्यूट्स से करें ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबद्ध विभिन्न कोर्सेज

भारत में निम्नलिखित प्रमुख एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेज करवाते हैं:

  • ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग सोसाइटी, नई दिल्ली/ बैंगलोर
  • इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट, मेरठ
  • सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ़ मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पुणे
  • ज़ी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मीडिया आर्ट्स, मुंबई
  • वीगन एंड लीघ कॉलेज, इंडिया (नागपुर/ भुबनेश्वर/ हैदराबाद)

ब्रॉडकास्ट इंजीनियर्स को मिलता है बढ़िया सैलरी पैकेज

आजकल ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पेशेवरों को भारत में काफी आकर्षक सैलरी पैकेज ऑफर किये जाता है. शुरू में इन पेशेवरों को एवरेज 20 – 25 हजार रुपये मासिक मिलते हैं और कुछ वर्षों के अनुभव के बाद ये पेशेवर एवरेज 4.15 लाख रुपये का सालाना सैलरी पैकेज लेते हैं. इस फील्ड में 10 वर्ष का अनुभव हो जाने पर इन पेशेवरों को आमतौर पर 50-60 हजार रुपये मासिक का सैलरी पैकेज मिलता है.

 

ब्रॉडकास्ट इंजीनियर्स यहां करें अप्लाई

भारत में ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग में सूटेबल डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करने के बाद स्टूडेंट्स आकाशवाणी, विविधभारती, FM चैनल्स, दूरदर्शन, आजतक, ज़ी ग्रुप, NDTV, सोनी ग्रुप जैसे विभिन्न नेशनल या लोकल टीवी चैनल्स के साथ विभिन्न ऑडियो-विजूअल्स एजेंसीज़ में जॉब के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके अलावा, ब्रॉडकास्टिंग इक्विपमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस से जुड़ी इंडस्ट्रीज के साथ विभिन्न प्राइवेट या सरकारी सेक्टर्स में ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबद्ध डिपार्टमेंट्स या फ़ील्ड्स में भी ये पेशेवर जॉब ऑफर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

Wednesday, January 8, 2020

स्पेस साइंस में करियर

स्पेस साइंस एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। इसकी पढ़ाई रोजगार के बेहतरीन मौके उपलब्ध कराती है। क्या है स्पेस साइंस और क्या हैं इसमें करियर की संभावनाएं, जानते हैं-

सेटेलाइट व नई तकनीक के जरिए मौसम अथवा ग्रह-उपग्रह के बारे में सटीक सूचना दे पाना अब पहले से ज्यादा आसान हो गया है। वायुमंडल अथवा पृथ्वी की हलचलों का पता लगाना भी ज्यादा आसान हो गया है। यह सब संभव हो पाया है ‘स्पेस साइंस’ से। साल दर साल इसमें नई चीजें शामिल होती जा रही हैं। इसमें एडवांस कम्प्यूटर एवं सुपर कम्प्यूटर से डाटा एकत्र करने का कार्य किया जाता है। डाटा न मिलने की स्थिति में आकलन के जरिए किसी निष्कर्ष तक पहुंचने की कोशिश की जाती है। इस काम से जुड़े प्रोफेशनल स्पेस साइंटिस्ट कहलाते हैं। समय के साथ यह एक सशक्त करियर का रूप धारण कर चुका है। इस क्षेत्र में युवाओं की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। इंडस्ट्री के जानकारों का भी मानना है कि आने वाले पांच सालों में इसमें नौकरियों की संख्या बढ़ेगी।

क्या है स्पेस साइंस
यह साइंस की एक ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत हम ब्रह्मांड का अध्ययन करते हैं। इसमें ग्रह, तारों आदि के बारे में जानकारी होती है। छात्रों को कोर्स के दौरान यह भी जानकारी दी जाती है कि किस तरह से पृथ्वी और सौर मंडल की उत्पत्ति हुई तथा उसके विस्तार की प्रक्रिया किस तरह की है। इसमें प्रयुक्त होने वाले उपकरणों के बारे में भी छात्रों को थ्योरी और प्रैक्टिकल के रूप में जानकारी दी जाती है।

बारहवीं के बाद प्रवेश
इसमें जो भी कोर्स हैं, वे बैचलर से लेकर पीएचडी लेवल तक हैं। बैचलर कोर्स में प्रवेश तभी मिल पाएगा, जब छात्र ने बारहवीं की परीक्षा साइंस विषय के साथ (फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स) पास की हो। इसमें ऑल इंडिया लेवल पर एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसमें सफल होने के बाद ही बैचलर प्रोग्राम में दाखिला मिलता है, जबकि मास्टर प्रोग्राम में बीटेक व बीएससी के बाद दाखिला मिलता है। यदि छात्र किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें पीएचडी की डिग्री लेनी अनिवार्य है।

स्पेस साइंस की शाखाएं
एस्ट्रोनॉमी- यह स्पेस साइंस की एक ऐसी महत्वपूर्ण शाखा है, जिसके अंतर्गत सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रह आदि का अध्ययन किया जाता है। आमतौर पर इसमें एस्ट्रोनॉमी आकलन पर फोकस होता है।
एस्ट्रोफिजिक्स- यह एक ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत तारों के जन्म-मृत्यु व जीवन, ग्रह, आकाश गंगा एवं सौर मंडल के अन्य तत्वों का अध्ययन भौतिकी व रसायन शास्त्र के नियमों के आधार पर किया जाता है।
कॉस्मॉलजी- कॉस्मॉलजी के अंतर्गत ब्रह्मांड का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जाता है। इसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर उसके विस्तार तक की पूरी प्रक्रिया को शामिल किया जाता है।
प्लैनेटरी साइंस- यह शाखा ग्रह, सेटेलाइट और सौर मंडल के अन्य ग्रहों को समझने की क्षमता में विस्तार करती है। इसमें छात्र वायुमंडल, ग्रहों की सतह से आंतरिक भाग तक का अध्ययन करते हैं।
स्टेलर साइंस- सौर मंडल में सभी तारे एक विशेष पैरामीटर के तहत व्यवस्थित होते हैं। ये बहुत कुछ सूर्य की स्थिति पर निर्भर रहते हैं। स्टेलर साइंस में इसका अध्ययन किया जाता है।

रोजगार के भरपूर अवसर
सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। प्रोफेशनल्स को नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा), इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो), डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआडीओ), हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेटरी (एनएएल) आदि में प्रमुख पदों पर काम मिलता है। इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, स्पेसक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फर्म, स्पेस टूरिज्म में भी रोजगार की प्रचुरता है। प्रमुख विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज, स्पेस साइंटिस्ट को अपने यहां रख रहे हैं। स्पेस रिसर्च एजेंसी, साइंस म्यूजियम एवं प्लैनेटेरियम में भी हर साल बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होती हैं। इसरो व नासा बड़े रोजगार प्रदाता के रूप में जाने जाते हैं।

इन पदों पर मिलता है काम
स्पेस साइंटिस्ट
एस्ट्रोनॉमर  
एस्ट्रोफिजिसिस्ट
मैटीरियोलॉजिस्ट   
क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट
रडार टेक्निशियन 
रोबोटिक टेक्निशियन
सेटेलाइट टेक्निशियन   
जियोलॉजिस्ट

आकर्षक सेलरी पैकेज
स्पेस इंडस्ट्री में प्रोफेशनल्स को काफी आकर्षक सेलरी मिलती है, बशर्ते उन्हें काम की अच्छी समझ हो। आमतौर पर शुरुआती दौर में एक स्पेस साइंटिस्ट को 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं, जबकि दो-तीन साल के अनुभव के बाद यही राशि 40-45 हजार रुपए तक पहुंच जाती है। रिसर्च के क्षेत्र में आज कई ऐसे साइंटिस्ट हैं, जो सालाना लाखों के पैकेज पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विदेशों में भी प्रोफेशनल्स को आकर्षक पैकेज दिया जाता है।

फायदे एवं नुकसान
उच्च पदों पर मिलती है जॉब
प्रोजेक्ट कंप्लीट होने पर सुकून
काम के घंटे अधिक
कई बार काम का नतीजा नहीं

एजुकेशन लोन
छात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन कराना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चो को ब्योरा बैंक को देना होता है। अंतिम निर्णय बैंक को करना होता है।

कुछ प्रमुख कोर्स
बीटेक इन स्पेस साइंस (चार वर्षीय)
बीएससी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)
एमटेक इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
एमएससी इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
एमई इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
पीएचडी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)

साइंस पर कमांड जरूरी
एक अच्छा प्रोफेशनल बनने के लिए साइंस
विषयों खासकर फिजिक्स का बेहतर ज्ञान होना जरूरी है। कम्प्यूटर की अच्छी जानकारी व इंजीनियरिंग के बेसिक्स पर मजबूत पकड़ उन्हें काफी आगे तक ले जाती है। कम्युनिकेशन व राइटिंग स्किल्स, प्रेजेंटेशन तैयार करने का कौशल हर मोड़ पर सम्यक सहायता दिलाता है। इसके अलावा प्रोफेशनल्स को परिश्रमी, धर्यवान व जिज्ञासु प्रवृत्ति का बनना होगा, क्योंकि इससे संबंधित अधिकांश कार्य रिसर्च अथवा आकलन पर आधारित
होते हैं।

प्रमुख संस्थान
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम
वेबसाइट- www.iist.ac.in
बिरला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
वेबसाइट- www.bitmesra.ac.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंग्लुरू
वेबसाइट- www.iisc.ernet.in
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई
वेबसाइट-  www.univ.tifr.res.in
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर
वेबसाइट- www.niser.ac.in
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीटय़ूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेज, नैनीताल
वेबसाइट- www.aries.ernet.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंग्लुरू
वेबसाइट- www.iiap.res.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर
वेबसाइट- www.iitk.ac.in