Monday, March 26, 2018

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में करियर

एविएशन का नाम आते ही आसमान में उड़ने का मन करता है लेकिन यदि आप बनाना चाहते हो हो एविएशन में अपना करियर तो आप कहाँ पर अपनी लाइफ बना सकते हो। एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में हो रहे लगातार विस्तार से रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में बहुत से अवसर हैं कई लोग सोचते हैं केवल पायलट या एयर होस्टेस तक ही एविएशन में जॉब सीमित हैं,  लेकिन ऐसा कतई नही है क्योंकि इनके इलावा भी आप एविएशन में अपना करियर बना सकते हो। इसी लाइन में में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर (AME) भी बहुत अच्छा विकल्प है।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की कार्य प्रकृति कैसी है उसका क्या काम होता है: किसी भी जहाज की तकनीकी जिम्मेदारी एएमई के ऊपर होती है। हर उड़ान के पहले एएमई जहाज का पूरी तरह से निरीक्षण करता है और सर्टिफिकेट जारी करता है कि जहाज उड़ान भरने को तैयार है। इस काम के लिए उसके पास पूरी तकनीकी टीम होती है। कोई भी विमान एएमई के फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना उड़ान नहीं भर सकता। गौरतलब है कि एक हवाईजहाज के पीछे करीब 15-20 इंजीनियर काम करते हैं। इसी से इनकी जरूरत का अनुमान लगाया जा सकता है।

कैसे बन सकते हो आप एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बन सकते हो: जैसे की पायलट बनने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है वैसे ही एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता है। यह लाइसेंस डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन द्वारा प्रदान किया जाता है। कोई भी संस्थान, जो इससे संबंधित कोर्स कराता है, उसे भारत सरकार के विमानन मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले डीजीसीए से इसके लिए अनुमति लेनी होती है। जो इंस्टिट्यूट इससे मान्यता प्राप्त हैं उनसे भी आप ये लाइसेंस हासिल कर सकते हैं।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता की आवश्कयता होनी चाहिए: जो विद्यार्थी इस कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स विषयों की पढ़ाई जरूरी है। पीसीएम से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग से संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। कोर्स के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग और वैमानिकी की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
एविएशन सेक्टर में कहाँ मिलेंगे अवसर: ऐसे तकनीकी प्रोफेशनल्स के लिए देश-विदेश में सभी जगह मौके हैं। एयर इंडिया, इंडिगो, इंडियन एयरलाइन्स, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट, गो एयर जैसे एयरलाइंस में तो मौके मिलते ही हैं, इसके अलावा देश के तमाम हवाईअड्डों और सरकारी उड्डयन विभागों में भी रोजगार के बेहतरीन अवसर उपलब्ध होते हैं। भारत में ही करीब 450 कंपनियां हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करती हैं। एएमई का शुरुआती वेतन 20-30 हजार हो सकता है, जिसमें अनुभव और विशेष शिक्षा के साथ बढ़ोतरी होती जाती है। इसके साथ-2 आप विदेशी या प्राइवेट कंपनियो जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराती उनमे भी आप अपना करियर चुन सकते हो
देश में कौन कौनसे मुख्य संस्थान हैं जहाँ पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के लिए कोर्स किया जा सकता है: जो संस्थान संबंधित कोर्स कराने का इच्छुक होता है, उसको डीजीसीए से मान्यता लेनी होती है। ऐसे कुछ प्रमुख संस्थान हैं-
  • जेआरएन इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
  • भारत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, पटना एयरपोर्ट, पटना
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स साइंस, कोलकाता
  • एकेडमी ऑफ एविएशन इंजीनियरिंग, बेंगलुरु
  • आंध्र प्रदेश एविएशन एकेडमी, हैदराबाद

Saturday, March 24, 2018

वेबसाइट डिजाइनिंग में करियर

आज लगभग हर क्षेत्र में वेब ड‍िजाइनिंग की आवश्‍यकता होती है। एक वेब डिजाइनर के रूप में आपका काम यह तय करना है कि वेबसाइट का लुक क्‍या होगा, कंटेंट कहां और कैसे रखा जाएगा। इतना ही नहीं वेबसाइट से जुड़े हर पहलुओं का ध्‍यान रखना उनकी प्रोफाइल में आता है। वेबसाइट का डिजाइन यानी वेबपेज का लेआउट, स्‍ट्रक्‍चर और आर्किटेक्‍चर तैयार करना वेब डिजाइनर का काम होता है। एक वेब डिजाइनर विशेष रूप से ग्राफ‍िक डिजाइनिंग और लेआउट पर ध्‍यान केंद्रित करता है।
इस क्षेत्र में करियर की काफी संभावनाएं हैं। किसी कंपनी के लिए वेबसाइट तैयार करने में वेब डिजाइन की तरह ही सारे काम किसी एक व्‍यक्ति द्वारा संभव नहीं होता। इसलिए किसी भी वेबसाइट डेवलपमेंट कंपनी में विभिन्‍न प्रकार के कामों के लिए भी अलग-अलग लोग हो सकते हैं। जिन्‍हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
जो व्‍यक्ति वेबसाइट के कंटेंट को तैयार करता है उसे कंटेंट डिजाइनर या कंटेंट डेवलपर कहते हैं। जो व्यक्ति वेबसाइट के स्ट्रक्चर या लेआउट को निरूपित करता है यानी वेबसाइट के थीम का वर्णन करता है उस डेवलपर को थीम डिजाइनर कहा जा सकता है। जो व्यक्ति वेबसाइट के ग्राफिक्स जैसे मल्‍टीमीडिया का वर्णन करता है, उस डेवलपर को ग्राफिक्स डिजाइनर कहा जाता है। वेबबसाइट की वर्किंग यानि विहेवियर को कंट्रोल करने से संबंधित जितने भी जरूरी काम जिन लोगों द्वारा किया जाता है, उन्हें वेब डेवलपर्स कहते हैं। जो व्यक्ति वेबसाइट के विभिन्न प्रकार के कंटेंट, कमेंट, कॉन्टैक इन्फॉर्मेशन आदि से संबंधित डाटा को वेब सर्वर पर स्थित डाटाबेस में स्टोर करने के लिए एक डाटाबेस डिजाइन करता है, उसे डाटाबेस डिजाइनर या डाटाबेस डेवलपर कहा जाता है।
ये कोर्सेस करें 
12वीं के बाद वेब डिजाइनिंग में करियर बनाया जा सकता है। इसके लिए कई तरह के कोर्सेस उपलब्‍ध है। वेब डिजाइनिंग में शॉर्ट टर्म सर्टिफ‍ि‍केट,‍ डिप्‍लोमा और डिग्री कोर्स संचालित किए जाते हैं। आप डिप्लोमा इन ग्राफिक एंड डिजाइनिंग, डिप्लोमा एंड सर्टिफिकेट कोर्स इन वेब डिजाइन एंड वेब प्रोडक्‍शन, एडवांस्ड सर्टिफिकेशन इन वेब डिजाइन एंड इंट्रैक्टिव मल्टीमीडिया, ग्राफिक एंड वेब डिजाइन शॉर्ट टर्म कोर्सेज, बीएससी इन मल्टीमीडिया, सर्टिफिकेट इन वेबसाइट डिजाइन एंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन एडवांस्ड लेवलवेब डिजाइनिंग, वेब डिजाइनिंग एंड वेब प्रोडक्‍शन जैसे कोर्सों में से कोई भी कोर्स कर सकते हैं।
इन कोर्सों के दौरान टेंपलेट डिजाइनिंग, लोगो डिजाइनिंग, 3डी व 2डी एनिमेशन, पोर्टफोलियो डिजाइनिंग, फ्लैशन, बैनर डिजाइनिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, वेबसाइट मेंटेनेंस, मूवी मेकिंग, एडोब फोटोशॉप, एडोब इलस्ट्रेटर, कोरल ड्रा, एचटीएमएल, जावा स्क्रिप्ट, बेसिक आर्ट एवं प्रिंट डिजाइन आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
स्किल्‍स
आज हर इंडस्‍ट्री में वेब डिजाइनिंग की आवश्‍यकता है। इस क्षेत्र में कर‍ियर बनाने के लिए आपको क्रिएटिव होना जरूरी है। डिजा‍इनिंग के लिए अच्‍छा आर्टिस्‍ट होना फायदेमंद होता है। इसलिए कला की बारीकी को सीखकर आप इस क्षेत्र में अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

Friday, March 23, 2018

फैशन इंडस्ट्री में करियर

फैशन डिज़ाइनिंग को आम तौर पर कॅरियर का एक आप्शन भर माना जाता है. जबकि ऐसा नहीं है, दरअसल यह एक ऐसी कला है जो ड्रेस और एक्सेसरीज़ की मदद से किसी इनसान की लाइफ स्टाइल को सामने लाती है. क्या है फैशन डिजाइनिंग? मॉडर्न फैशन के अंतर्गत दो मूल विभाग हैं. पहला वर्ग है वस्त्रों को डिज़ाइन करना और दूसरा रेडी-टू-वियर अर्थात तैयार पोशाकें. इन दोनो वर्गों मे फैशन डिज़ाइनिंग का इस्तेमाल प्रथम वर्ग मे किया जाता है. वर्तमान समय मे फैशन शो इसी के बूते चल रहे हैं. इन शो के ज़रिए ही फैशन डिज़ाइनर्स की सृजनात्मकता और रचनात्मकता का पता चलता है. अहमियत रंग और बुनावट की यदि किसी को टेक्सटाइल, पैटर्न, कलर कोडिंग, टेक्सचर आदि का अच्छा ज्ञान हो तो फैशन डिज़ाइनिंग को कॅरियर के रूप मे अपनाने मे उसे बिल्कुल हिचकना नहीं चाहिए. उसकी सफलता को कोई गुंजाइश नहीं रह जाती और उसका नाम फैशन इंडस्ट्री मे तहलका मचा सकता है. खासकर भारत जैसे देश में जहाँ के फैशन मे पश्चिमी सभ्यता का भी संगम है, और इसी मिलन ने फैशन इंडस्ट्री को एक नयी दिशा और पहचान दी है. फॅशन डिज़ाइनिंग मे रंगों के संयोजन और कपड़े के आधार पर उसकी बुनाई का बड़ा महत्व है. एक तरह से ये ही फैशन डिज़ाइनिंग का सार है. इन की बिनाह पर ही लुक्स संभव हो सकते हैं. इसके बाद व्यावसायिक कुशलता, कट, डिज़ाइन, सहायक सामग्री मिलकर ही पोशाक का मूल स्वरूप तय कर सकते हैं. मौसम के साथ बदलता है फैशन का भी मिजाज यह भी ज़रूरी है की इसे पूरी विधि के साथ संपूर्ण किया जाए. प्लान तैयार करके, ब्लू प्रिंट्स ड्रॉ करने के बाद ही फाइनल आउटकम प्राप्त होगा. डिज़ाइन की सफलता स्वाभाविक रूप से उसकी फिनिशिंग फैशन डिज़ाइनिंग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि फैशन किसी ना किसी थीम पर निर्भर करता है. जैसे: मौसम, लोगों की पसंद विशेष आदि. अगर आपने गौर किया हो तो फैशन प्रमुखत: मौसम के अनुसार होता है. उदाहरण के लिए सर्दी के मौसम मे आपको उसी के अनुरूप रंग और फैब्रिक देखने को मिलेगा. इसके साथ ही ऊनी कपड़े, पोलो नेक, नीले और ब्राउन देखने को मिलेंगे. इसके विपरीत गर्मियों में आपको कैज़ुअल, कॉटन और सफ़ेद रंग मिलेंगे. चौकन्ना बनिए, क्या है इन और क्या है आउट! फैशन कभी भी स्थाई नही होता है. समय के साथ इसमे परिवर्तन होते रहते हैं. वर्तमान ने स्पेगेटी का फैशन गया और हॉल्टर नेक्स चल रहे हैं. स्कर्ट चलन में हैं और पैंटसूट्स का दौर जा चुका है. इसीलिए परिवर्तन की गति को देखते हुए, इस फील्ड मे आने वाले हर इंसान को चौकन्ना रहना होगा. और इस बात के लिए कि क्या पहना जाना चाहिए और क्या नही? फैशन का प्रमुख केंद्र सेलिब्रिटीज़, सोशलाइट्स, मॉडल्स आदि रहे हैं. ग्लैमर है तो चुनौती भी कम नहीं... कुल मिलकर फैशन डिज़ाइनिंग बहुत ही चुनौती भरा और ग्लैमर से भरपूर भरा व्यवसाय है, जिसमे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन होते हैं. जैसे: आईएमजी फैशन वीक, लक्मे फैशन वीक आदि. बहुत से फैशन डिज़ाइनिंग इन्स्टिट्यूट जैसे: नॅशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ डिज़ाइन, अहमदाबाद, नॅशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नालॉजी, सोफिया पॉलिटेक्निक आदि. 

Thursday, March 22, 2018

एक्वाकल्चर में करियर

एक्वाकल्चर में समुद्र, नदियों और ताजे पानी के कंजर्वेशन, उनके मौलिक रूप और इकोलॉजी की सेफ्टी के बारे में स्टडी की जाती है। इन दिनों घटते जल स्रोतों, कम होते पेयजल संसाधनों के चलते इस फील्ड में विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है।
कोर्स ऐंड एलिजिबिलिटी
इस फील्ड में बीएससी और एमएससी इन एक्वा साइंस जैसे कोर्स प्रमुख हैं। इनमें एडमिशन के लिए बायोलॉजी सब्जेक्ट के साथ 10+2 पास होना अनिवार्य है। इसके अलावा, वाटर कंजर्वेशन और उसकीइकोलॉजी के बारे में गहरा रुझान जरूरी है।
एनवॉयर्नमेंट इंजीनियरिंग
एनवॉयर्नमेंट कंजर्वेशन के फील्ड में बढ़ती टेक्नोलॉजी के एक्सपेरिमेंट्स से आज एनवॉयर्नमेंट इंजीनियर्स की मांग बढ़ी है। अलग-अलग सेक्टर्स के कई इंजीनियर्स आज एनवॉयर्नमेंट इंजीनियरिंग में अपना योगदान दे रहे हैं। इनमें एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, बायोलॉजिस्ट केमिकल इंजीनियरिंग, जियोलॉजिस्ट, हाइड्रो-जियोलॉजिस्ट, वॉटर ट्रीटमेंट मैनेजर आदि कारगर भूमिका निभाते हैं।
इंस्टीट्यूट वॉच
-आइआइटी, रुड़की
(भूजल जल-विज्ञान और वाटरशेड मैनेजमेंट)
-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
-अन्ना विश्वविद्यालय (वाटर मैनेजमेंट)
-एम.एस. बड़ौदा विश्वविद्यालय
(वाटर रिसोर्सेज इंजीनियरिंग)
-आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम
-अन्नामलाई विश्वविद्यालय (हाइड्रो-जियोलॉजी)
-दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली
-गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर (वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट ऐंड इरिगेशन इंजीनियरिंग)
-आइआइटी, मद्रास (फ्लड साइंस ऐंड वाटर रिसोर्सेज इंजीनियरिंग)
-जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
-राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की
कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट : अंशु सिंह, मिथिलेश श्रीवास्तव

Tuesday, March 20, 2018

समाज सेवा में करियर

समाज सेवा कोई फुलटाइम काम थोड़ी है। आम धारणा है कि समाज सेवा को पार्टटाइम आधार पर किया जाता है। यह एक अपेक्षाकृत हल्का विकल्प है, जो लड़कियों को ही करना चाहिए। दरअसल, यह सब विचार गलतफहमियां हैं। आज समाज सेवा एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कॉरपोरेट और अनेक बहुराष्ट्रीय एनजीओ भी भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के आधार पर पैसा लगा रहे हैं। इसका एक उदाहरण है अजीम प्रेमजी द्वारा अपनी निजी आय में से 9000 करोड़ रुपए दान किया जाना, जिसका इस्तेमाल प्रेमजी फाउंडेशन शिक्षा और ग्राम सुधार के लिए कर रही है। इसके अलावा, इंडियन ऑयल, यूनीलिवर, नेस्ले, एनटीपीसी, एलएंडटी आदि कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी विभाग हैं। वह अपनी परियोजनाओं के लिए एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोशल वर्क) को रखते हैं। यहां तक कि बहुराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे यूनेस्को, यूनिसेफ और अन्य संस्थाएं भी समाज सेवा पृष्ठभूमि वाले लोगों को रखती हैं।
एक समाज सेवी मूलत: मॉडर्न मैनेजमेंट और समाज विज्ञान के विचारों को मिला कर सामाजिक समस्याओं का हल खोजता है। आज के समाज सेवियों को सरकारों और निजी संस्थानों से फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, काउंसलिंग, कैम्प ऑर्गेनाइजेशन आदि कार्यों के लिए लॉबिंग करनी पड़ती है। समाज सेवा को तीन व्यापक हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये हैं सर्विस, एडवोकेसी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर)। इनकी सेवाओं में पूंजी स्नोत, निर्धनों और जरूरतमंदों के लिए रोजगार का इंतजाम करना भी होता है। समाज सेवा के दायरे में अनाथालयों या वृद्धाश्रमों और छात्रवृत्ति को सहयोग देना भी आता है।
समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी संस्थान और बड़े एनजीओ जैसे क्राई, एसओएस चिल्ड्रंस विलेजेज ऑफ इंडिया और हैल्पएज भी काम करते हैं, जो बाल सुधार, महिलाओं और श्रम अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। समाज सेवा को सबसे अधिक संतोषप्रद कार्यक्षेत्रों में भी माना जाता है। इसमें अपनी जैसी सोच वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। यही नहीं, समाजसेवा करने वाले व्यक्तियों को सरकारी योजना निर्माण में भी मदद के लिए बुलाया जाता है।
कार्य गतिविधियां
अधिकांश समाजसेवी युवाओं और उनके परिवारों के साथ कार्य करते हैं। वह इन समूहों के साथ भी कार्य कर सकते हैं:
युवा अपराधी
दिमागी बीमारियों से जूझ रहे युवा
स्कूल न जाने वाले युवा
नशे के आदि युवा
शारीरिक तौर पर अक्षम लोग
बेघरों और वृद्धों के साथ
स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े सरकारी प्रावधान के अंतर्गत समाजसेवी विभिन्न दलों के साथ काम कर सकते हैं।

समाजसेवियों की जिम्मेदारियां
मेडिकल स्टाफ के साथ अनुमानित आंकड़ों को एकत्र करना, जो निश्चित मानदंड और समय के अनुसार कार्य में लाए जाते हैं।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों और उनके परिवारों से बात, ताकि उन्हें पहुंच रहे लाभ का आकलन किया जा सके।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों को सूचना और सहयोग देना।
पिछड़ा क्षेत्र के लिए सपोर्ट पैकेज उपलब्ध कराना।
किसी विशिष्ट सेवा प्रदाता द्वारा दिए जा रहे सहयोग के संबंध में आवश्यक निर्णय लेना।
अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
बाल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़े दलों की बैठकों में शिरकत करना।
किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए रिकॉर्ड की संभाल करना।
ट्रेनिंग, सुपरविजन और टीम मीटिंग्स में शामिल होना।
इस क्षेत्र में जॉब मार्केट बहुआयामी है। किसी बड़ी कंपनी के सीएसआर विभाग में काम करने पर आप 30,000 से 70,000 रुपए तक कमा सकते हैं। यदि आप किसी आईडीआरसी या किसी एक्शन एड में काम करते हैं तो भी वेतनमान अच्छा होता है, जो समय के साथ-साथ बढ़ता है। एक्शन एड का सलाहकार एक लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकता है। लेकिन ऐसे जॉब्स कम और बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं। अनेक एनजीओ भी 15,000 से 25,000 रुपए तक देते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति ने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है और उसे कार्य का कितना अनुभव है। टीआईएसएस शीर्ष इंस्टीटय़ूट्स में से है और वहां से श्रेष्ठतम नौकरियां मिलती हैं।
किसी बी या सी श्रेणी इंस्टीटय़ूट से शिक्षा प्राप्ति पर भी 10,000 रुपए शुरुआती वेतन पर काम मिल जाता है। इसलिए यदि किसी अच्छे संस्थान से एमएसडब्ल्यू (मास्टर्स इन सोशल वर्क) किया है तो यह किसी बी श्रेणी संस्थान से एमबीए करने से बेहतर होगा। लिहाजा, आप बीएसडब्ल्यू या समाजविज्ञान या मनोविज्ञान में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बाद एमएसडब्ल्यू करके इस करियर में अपनी शुरुआत कर सकते हैं। निजी और सरकारी विभाग भी सोशल वर्क डिग्री को तरजीह देते हैं। बेशक यह एक विकास कर रहा क्षेत्र है और इसमें युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।

Monday, March 19, 2018

जीएनएम नर्सिंग कोर्स

सरकारी और गैर सरकारी 33 नर्सिंग स्कूलों में वर्ष 2018 व 19 सत्र के लिए जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी ((जीएनएम)) नर्सिंग कोर्स में प्रवेश का लेकर आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। चिकित्सा निदेशालय में इच्छुक उम्मीदवार अपने आवेदन 20 जून तक कर सकते हैं। जबकि हार्ड एरिया के उम्मीदवार 27 जून तक आवेदन कर सकते हैं।

ये आवेदन सरकारी स्कूलों में 130 सीटों और प्राइवेट स्कूलों में 555 सीटों के लिए लिए जा रहे हैं।इनमें सरकारी 5 स्कूलों में 46 सीटें सामान्य वर्ग के लिए है। 11 सीटें सामान्य भूतपूर्व सैनिक परिवार, 10 सीटें सामान्य आईआरडीपी, 3 सामान्य विकलांग, 1 सीट सामान्य स्वतंत्रता सेनानी के परिवार, 19 सीटें अनुसूचित जाति, 4 सीटें अनुसूचित जाति भूतपूर्व सैनिक परिवार, 4 सीटें एससी आईडीपी वर्ग, 1 सीट एससी विकलांग, 4 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग, 2 सीटे एसटी भूतपूर्व सैनिक परिवार, 1 सीट एसटी आईआरडीपी, 16 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग, 3 सीटें ओबीसी भूतपूर्व सैनिक परिवार, 4 सीटें ओबीसी आईआरडीपी व 1 सीटी ओबीसी भूतपूर्व सैनिक परिवार वर्ग के लिए आरक्षित है।

इसी तरह 555 प्राइवेट नर्सिंग स्कूलों में 196 सीटें सामान्य वर्ग के लिए है। 50 सीटें सामान्य भूतपूर्व सैनिक परिवार, 43 सीटें सामान्य आईआरडीपी, 11 सामान्य विकलांग, 6 सीट सामान्य स्वतंत्रता सेनानी के परिवार, 80 सीटें अनुसूचित जाति, 17 सीटें अनुसूचित जाति भूतपूर्व सैनिक परिवार, 16 सीटें एससी आईडीपी वर्ग, 6 सीट  एससी विकलांग, 3 सीटें एससी भूतपूर्व सैनिक परिवार, 17 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग, 5 सीटे एसटी भूतपूर्व सैनिक परिवार, 6 सीट एसटी आईआरडीपी, 68 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग, 11 सीटें ओबीसी भूतपूर्व सैनिक परिवार, 17 सीटें ओबीसी आईआरडीपी व 3 सीटी ओबीसी भूतपूर्व सैनिक परिवार वर्ग के लिए आरक्षित है।

आवेदन प्रक्रिया:

इच्छुक छात्राएं छात्राएं अपना आवेदन 20 जून तक डायरेक्टर मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च ब्लॉक 18-बी, एसडीएम कांप्लैक्स कसुम्पटी के पत्ते 20 जून तक करवा सकती है। हार्ड एरिया के उम्मीदवारों को इसके लिए 27 जून तक छूट है। आवेदन के साथ उम्मीदवारों को रजिस्ट्रार एचपी नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के नाम से ड्राफ्ट भी लगाना होगा। सामान्य वर्ग के ड्राफ्ट की फीस 300 रुपए और अनुसूचित जाति व जनजाति के उम्मीदवारों के लिए 150 रुपए तय की गई है।

यह होगी कोर्स फीस:

जीएनएम कोर्स के फीस सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के बाद तय होगी। जबकि प्राइवेट स्कूलों में इस कोर्स के लिए 41,200 रुपए वार्षिक फीस तय है। 3 हजार रुपए सिक्योरिटी फीस रिफंडेबल होगी। इसमें दाखिला फीस 5,000, आईआरडीपी चार्जेज 2 हजार, ट्यूशन फीस 12 हजार हॉस्टल, फीस 12 हजार और हॉस्पिटल अटैचमेंट चार्जेज 10,200 तय है। बीपीएल और आईआरडीपी छात्रों से हॉस्पिटल फीस नहीं ली जाएगी। उनकी ट्यूशन फीस 5 हजार और दाखिला फीस 2 हजार होगी।

योग्यता व चयन प्रक्रिया:

जीएनएम कोर्स में प्रवेश के लिए छात्रा का जमा दो पास होना अनिवार्य है। साइंस विषय में 40 फीसदी अंक होने चाहिए। 5 फीसदी अंकों की छूट आरक्षित वर्ग के लिए तय है। उम्मीदवार की आयु 31 दिसंबर तक 17 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। वहीं इस कोर्स में चयन प्रकिया पूर्ण तय मैरिट के आधार पर होगी।विभिन्न वर्गों के लिए अलग अलग मैरिट तय की जाएगी। विज्ञान विषय के छात्रों को प्राथमिकता होगी। उम्मीदवारों की कमी के चलते आट्र्स व कॉमर्स के छात्रों का चयन भी मैरिट के आधार पर होगा। वहीं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के अनुसार आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रवेश काउंसिल की तिथि घोषित की जाएगी।

Saturday, March 17, 2018

कमा लो बूंद-बूंद पानी

प्रकृति को बचाने की मुहिम के परिणामस्वरूप ग्रीन जॉब्स का एक बड़ा मार्केट खड़ा हो रहा है, जहां पे-पैकेज भी अच्छा है। इसमें भी वॉटर कंजर्वेशन का फील्ड इंटेलिजेंट यूथ में काफी पसंद किया जा रहा है....
बिजली की बचत, सोलर व विंड एनर्जी?का मैक्सिमम यूटिलाइजेशन करने वाली इमारतें बनाने वाले आर्किटेक्ट, वॉटर रीसाइकल सिस्टम लगाने वाला प्लंबर, कंपनियों में जल संरक्षण से संबंधित रिसर्च वर्क और सलाह देने वाले, ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में काम करने वाले एक्सपर्ट, पारिस्थितिकी तंत्र व जैव विविधता को कायम रखने के गुर सिखाने वाले एक्सपर्ट, प्रदूषण की मात्रा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के तरीके बताने वाले एक्सपर्ट...अपने आस-पास नजर दौड़ाइए तो ऐसे अनगिनत प्रोफेशनल्स दिख जाएंगे, जो किसी न किसी रूप में ग्रीन कैम्पेन से जुड़े हुए हैं।?
वॉटर कंर्जवेशन पर जोर
नदियों की सफाई, वर्षाजल का भंडारण, मकानों के निर्माण के साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली की स्थापना, नदियों की बाढ़ से आने वाले पानी को सूखाग्रस्त इलाकों के लिए संग्रहित करना, सीवेज जल का प्रबंधन कर खेती आदि के कार्यकलापों में इस्तेमाल आदि पर आधारित योजनाओं का क्रियान्वयन सभी देशों में किया जा रहा है। जल प्रबंधन एवं संरक्षण पर आधारित कोर्सेज अब औपचारिक तौर पर तमाम देशों में अस्तित्व में आ गए हैं। पहले परंपरागत विधियों एवं प्रणालियों से जल बर्बादी को रोकने तक ही समस्त उपाय सीमित थे। आज देश में स्कूल स्तर से लेकर यूनिवर्सिटीज में एमई और एमटेक तक के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। वॉटर साइंस, वॉटर कंजर्वेशन वॉटर मैनेजमेंट, वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर ट्रीटमेंट, वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट कई स्ट्रीम्स हैं जिन्हें चुनकर आप इस फील्ड में करियर बना सकते हैं।
वॉॅटर साइंस
हवा और जमीन पर उपलब्ध पानी और उससे जुड़े प्रॉसेस का साइंस वाटर साइंस कहलाता है। इससे जुड़े प्रोफेशनल वॉटर साइंटिस्ट कहलाते हैं।
वॉटर साइंस का स्कोप
केमिकल वॉटर साइंस : वॉटर की केमिकल क्वालिटीज की स्टडी।
इकोलॉजी : लिविंग क्रिएचर्स और वॉॅटर-साइंस साइकल के बीच इंटरकनेक्टेड प्रॉसेस की स्टडी।
हाइड्रो-जियोलॉजी : ग्राउंड वॉटर के डिस्ट्रिब्यूशन तथा मूवमेंट की स्टडी।
हाइड्रो-इन्फॉरमेटिक्स : वॉटर साइंस और वॉटर रिसोर्सेज के एप्लीकेशंस में आइटी के यूज की स्टडी।
हाइड्रो-मीटियोरोलॉजी : वॉटर एड एनर्जी के ट्रांसफर की स्टडी। पानी के आइसोटोपिक सिग्नेचर्स की स्टडी।
सरफेस वॉटर साइंस : जमीन की ऊपरी सतह के पास होने वाली हलचलों की स्टडी।
वॉटर साइंटिस्ट का काम
-हाइड्रोमीट्रिक और वाटर क्वालिटी का मेजरमेंट
-नदियों, झीलों और भूमिगत जल के जल स्तरों, नदियों के प्रवाह, वर्षा और जलवायु परिवर्तन को दर्ज करने वाले नेटवर्क का रख-रखाव।
-पानी के नमूने लेना और उनकी केमिकल एनालिसिस करना।
-आइस तथा ग्लेशियरों का अध्ययन।
-वॉॅटर क्वालिटी सहित नदी में जल प्रवाह की मॉडलिंग।
-मिट्टी और पानी के प्रभाव के साथ-साथ सभी स्तरों पर पानी की जांच करना।
-जोखिम की स्टडी सहित सूखे और बाढ़ की स्टडी।
किससे जुड़कर काम करते हैं
सरकार : पर्यावरण से संबंधित नीतियों को तैयार करना, एग्जीक्यूट करना और मैनेज करना।
अंतरराष्ट्रीय संगठन : टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आपदा राहत।
एडवाइजरी : सिविल इंजीनियरिंग, पर्यावरणीय प्रबंधन और मूल्यांकन में सेवाएं उपलब्ध कराना।
एकेडमिक ऐंड रिसर्च : नई एनालिटिक टेक्निक्स के जरिए टीचिंग ऐंड रिसर्च वर्क करना।
यूटिलिटी कम्पनियां और पब्लिक अथॉरिटीज : वॉटर सप्लाई और सीवरेज की सर्विसेज देना।
एलिजिबिलिटी
-वॉटर साइंस से रिलेटेड सब्जेक्ट में बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री को वरीयता।
-जियोलॉजी, जियो-फिजिक्स, सिविल इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री ऐंड एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट्स इनमें शामिल हैं।
स्किल्स
-सहनशीलता, डिटरमिनेशन, ब्रॉडर ऑस्पेक्ट और गुड एनालिटिकल स्किल की जरूरत होती है।
-टीम में काम करने की स्किल
-इन्वेस्टिगेशन की प्रवृत्ति

Thursday, March 15, 2018

लेखक बनने में स्कोप

लेखक बनने में कोई स्कोप नहीं है.. क्या राइटिंग करके फैमिली मैनेज कर सकते हैं। अगर बैकग्राउंड अच्छा नहीं तो राइटिंग में सस्टेन करना मुश्किल है। आम धारणा है कि लेखन रईसों का पेशा है, जबकि सच्चाई यह नहीं है।
एक दशक तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कार्य करने के बाद लेखन की ओर मुड़े अनिल अनंतस्वामी का कहना है, ‘लेखक होने का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे आपकी एकाग्रता में विकास होता है। यदि आप दुनिया के बारे में कौतुहल रखते हैं तो लेखन आपको अपनी प्रतिक्रियाओं को सटीक तरीके से सामने रखने में मदद करता है।’ इसलिए यदि आप लेखन का प्रयास कर रहे हैं तो इसके लक्षण आपके जीवन की शुरुआत से ही दिख जाते हैं।
संभावित विकल्प
पत्रकारिता: एक पत्रकार के तौर पर कई स्तरों पर कार्य किया जा सकता है, जिनमें एक स्तंभकार, फ्रीलांस जर्नलिस्ट, एडिटर और सब एडिटर आदि प्रमुख होते हैं। इसके अलावा, एक रिपोर्टर या फोटोजर्नलिस्ट का कार्य भी होता है।
स्क्रिप्ट राइटिंग: लेखन का यह विकल्प उन लोगों के लिए आदर्श है, जो कौतुहल से जीवन के प्रत्येक पक्ष को देखते हैं। हालांकि, अपने लिखे हुए कार्य के व्यावसायिक पक्ष को हमेशा ध्यान में रखना होता है। इस कार्य में फिल्म लेखन आदि भी शामिल होते हैं।
कॉपीराइटिंग: एडवर्टाइजर्स को उत्पाद की मार्केटिंग के लिए चुटीली टैगलाइन्स चाहिए होती हैं। यदि आपके अंदर अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर है और आप चुटीले संवाद भी खोज लेते हैं तो कॉपीराइटिंग आपके लिए एक आदर्श पेशा है। इस कार्य के लिए पैसा भी अच्छा मिलता है, लेकिन काम का दबाव भी अधिक होता है।
कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस: पर्सनल रिलेशंस इंडस्ट्री या कॉरपोरेट कम्युनिकेशन फर्म्स जैसे अपेक्षाकृत नए क्षेत्रों में लेखकों के लिए जगह है। कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस में मूलत: क्लाइंट्स या कस्टमर्स के लिए जरूरी डेटा को व्यवस्थित करना होता है। इसमें हैंडआउट्स, ब्रोशर्स, प्रेस रिलीज, नोटिफिकेशंस आदि लिखने होते हैं। कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का प्रमुख फोकस छवि निर्माण होता है, इसलिए यह जॉब खास है।
वेब कंटेंट: इंटरनेट की शुरुआत और प्रसिद्धि के साथ ही वेबसाइट कंटेंट के कार्य में भी लेखकों की भारी मांग उठी है। हालांकि, वेबसाइट कंटेंट लेखन में पाठकों को समझना होता है, चूंकि मॉनीटर पर लंबे और जटिल वाक्य पढ़ना और समझना कठिन होता है, इसलिए कंटेंट को चुस्त बनाना होता है। चूंकि अधिकांश पाठक कंटेंट को जल्दी समझना चाहते हैं, लिहाजा लेख को सबहेडिंग्स, बुलेट्स और सही पैराग्राफ्स में बांटना जरूरी होता है।
टेक्निकल/साइंटिफिक राइटिंग: गैजेट्स और उनकी तकनीकी विशेषताओं को सर्वसाधारण भाषा में समझाने वाले और तकनीकी सोच-समझ रखने वाले लेखकों की भी बहुत मांग है। वैज्ञानिक लेखन में शोधकर्ताओं से उनके आकलन को लिखने संबंधी सहयोग भी करना होता है। यह खासा चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के तथ्य एक दूसरे से विरोधाभासी नहीं लगने चाहिए।
घोस्ट राइटिंग: घोस्ट राइटर अन्य लोगों के लिए लेखन करके अपने हुनर को चमकाता है। इसका मतलब कि घोस्ट राइटर अन्य किसी व्यक्ति द्वारा बताए गए तथ्यों को करीने से लिखता है। इस कार्य में सिलेब्रिटीज की जीवनियां, संस्मरण, पुस्तकें, पत्रिकाओं के आलेख आदि शामिल हैं।
लेखन क्षेत्र में अंग्रेजी या जर्नलिज्म/मास कम्युनिकेशन में डिग्री की मदद से भी इस पेशे में नौकरी मिल जाती है। इसके अलावा, क्रिएटिव राइटिंग में पत्रचार कोर्स करके भी लेखन के पेशे में कदम रखा जा सकता है। उपरोक्त सभी विकल्पों के आधार पर इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन भी 10 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह मिल सकता है। अनुभव और मेहनत से कार्य करने पर वेतन कहीं अधिक हो सकता है।
यह भी ध्यान देना जरूरी है कि लेखन में एक कोर्स करने के बाद ही कार्य समाप्त नहीं हो जाता। अपने हुनर को चमकाने का कार्य हमेशा चलता रहता है। भाषा के बारे में कौतुहल बनाए रखना, संप्रेषण के नए तरीके और नए शब्द सीखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आम लेखन पढ़ना ही जरूरी नहीं, बल्कि विचार प्रधान लेखन पढ़ना अधिक जरूरी होता है। सामाजिक गतिविधियों के बारे में जानना भी जरूरी है।
यदि आप लेखन क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो इसके लिए प्रतिबद्धता और धैर्य की बहुत जरूरत होती है। इन गुणों को अपनाने के बाद आप देखेंगे कि आप अपने करियर के शीर्ष पर पहुंच चुके हैं।
क्रिएटिव राइटिंग
इग्नू (मास कम्युनिकेशन/जर्नलिज्म)
संस्थान
सेंट जेवियर्स, मुंबई
आईआईएमसी, दिल्ली
आईपी कॉलेज ऑफ गल्र्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी (जर्नलिज्म-ऑनर्स)
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
आईपी यूनिवर्सिटी, दिल्ली
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बंगलौर
सिम्बॉयसिस सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज, पुणे
सेंट्रल यूनिवर्सिटी
जय हिंद कॉलेज, मुंबई
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
इंग्लिश/हिन्दी ऑनर्स
दिल्ली यूनिवर्सिटी
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (फॉरेन लैंग्वेज)
फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
बॉम्बे यूनिवर्सिटी
केंद्रीय हिन्दी संस्थान

Monday, March 12, 2018

फिटनेस ट्रेनर सुरक्षित करें भविष्य

गजनी फिल्म में आमिर खान के 8 पैक्स या ओम शांति ओम में शाहरुख के 6 पैक्स एब्स, बिना फिटनेस ट्रेनर के लिए यह इंपॉसिबल थे। बॉलीवुड में एक कहावत है कि बॉडी फिट, तो फिल्म हिट। अपने सेलिब्रिटी कस्टमर्स के जरिए इन्हें पॉपुलरिटी तो मिलती ही है, साथ ही मोटे पैकेज के रास्ते भी खुल जाते हैं। अगर आपमें फिटेनस का जुनून है, तो सत्यजीत चौरसिया, अलखस जोसेफ, मनीष अदविलकर जैसे फिटनेस व‌र्ल्ड के बडे नामों में आप भी शामिल हो सकते हैं।

वर्क प्रोफाइल

फिटनेस ट्रेनर का बेसिक काम क्लाइंट्स को फिजीकली फिट रखने के साथ लाइफ स्टाइल, प्रोफेशन और उम्र जैसे फैक्टर्स के मुताबिक एक्सरसाइज शेड्यूल तय करना है। ट्रेनर्स जिम में मशीनों से क्लाइंट्स को वेट, कॉर्डियो, स्ट्रेचिंग, मसल्स कंडीशनिंग एक्सरसाइज, रूटीन फॉलो कराते हैं।

करियर ऑपर्चुनिटीज

आज मल्टीनेशनल कंपनियों में वर्क करने वाले एग्जीक्यूटिव्स से लेकर टीनएजर्स तक हेल्थ कॉन्शियस हुए हैं। ऐसे में क्वालिफाइड फिटनेस ट्रेनर्स के लिए शानदार ऑपर्चुनिटीज हैं। जिम, होटल्स, हेल्थ क्लब, फिटनेस सेंटर्स, स्पो‌र्ट्स हॉस्टल में फिटनेस ट्रेनर की काफी डिमांड है।

क्वालिफिकेशन एंड स्किल्स

इसमें कामयाबी के लिए पेशेंस लेवल जरूरी है। यहां हर दिन टीनएजर्स से लेकर सीनियर सिटिजंस तक से वास्ता पडेगा। बढिया स्टेमिना अच्छी फिजीक, ह्यूमन एनाटॉमी केसाथ कम्युनिकेशन स्किल्स, इंट्रापर्सनल स्किल्स की भी जानकारी काम आती है।

ट्रेनिंग है मस्ट

आप यहां नाइक एयरोबिक्स कोर्स या रीबॉक इंस्ट्रक्टर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम जैसे ऑप्शंस सलेक्ट कर सकते हैं। स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी स्पो‌र्ट्स एंड एथलेटिक्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में जगह देता है। कई यूनिवर्सिटीज भी बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन, मास्टर इन फिजिकल एजुकेशन जैसे कोर्स चलाते हैं।

ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स

-इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पो‌र्ट्स साइंस, नई दिल्ली

-लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर

-साई, नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पो‌र्ट्स, पटियाला

-साई, एनएस ईस्टर्न सेंटर, साल्ट लेक, कोलकाता

प्रोफेशनल कोर्स जरूरी

फिल्म गजनी में आमिर खान की बॉडी तराशने वाले मशहूर सेलिब्रिटी फिटनेस ट्रेनर सत्यजीत चौरसिया के मुताबिक फिट बॉडी के लिए रेगुलर एक्सरसाइज रिजाइम के साथ डिसिप्लिंड लाइफ, बैलेंस डाइट जरूरी है। इसकी प्रोफेशनल क्वॉलिफिकेशन हासिल करें, इंटरनेट पर ऑथेंटिक एक्सरसाइज वीडियोज देखकर और बुक्स की मदद से इंफॉर्मेशन गेन करें।

Friday, March 9, 2018

मॉडलिंग में करियर

चुकी है। इसमें अब नेम और फेम के साथ पैसा भी कम नहीं है। यही वजह है कि आज इस क्षेत्र में काफी युवा अपना करियर तलाश रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। लेकिन मॉडलिंग की दुनिया में कैसे कदम बढ़ाएं, इस बारे में एक्सपर्ट क्या कहते हैं, बता रहे हैं संतोष सिंह
क्या आपके दोस्त आपको ‘मॉडल’ कह कर हल्की-फुल्की छेड़छाड़ करते हैं? अगर हां तो उनकी इस प्यार-भरी छेड़छाड़ को गंभीरता से लीजिए। हो सकता है आप में एक सफल मॉडल बनने के तमाम गुण मौजूद हों और आप अपनी इस प्रतिभा से बेखबर हों। अगर ऐसा है तो मॉडलिंग के क्षेत्र में आप निश्चित ही सफलता पा सकते हैं, बशर्ते आप में कठिन परिश्रम के साथ एक दीवानापन भी हो। यह दीवानगी आपको दौलत के साथ-साथ शोहरत भी दिलवा सकती है। लेकिन मॉडलिंग एक दिन की कला नहीं है। अभ्यास से ही इसे निखारा जा सकता है। दरअसल यह फील्ड शुद्घ रूप से आपके व्यक्तित्व (पर्सनेलिटी) से ही जुड़ी हुई है। यहां आप अपने आपको कैसे पेश करते हैं, यह ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है।
क्या गुण होने चाहिए?
आपका चेहरा फोटोजेनिक होना चाहिये। प्रारम्भ में मॉडलों का चयन फोटो देख कर ही किया जाता है। उसके बाद रैम्प पर उतरने के पूर्व कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसमें व्यक्तित्व को खास रूप से परखा जाता है। अच्छी हाइट, फिटनेस, फिगर एवं खूबसूरत चेहरा होने के साथ ही ‘प्लीजिंग’ एवं ‘स्माइलिंग पर्सनेलिटी’ भी इस क्षेत्र में लुभाने की क्षमता रखती है। मॉडलिंग में ‘बॉडी लेंग्वेज’ का भी खास महत्त्व होता है। आपकी हर अदा को मॉडलिंग के दौरान परखा जाता है।
शुरुआत कैसे करें?
स्कूल-कॉलेज में आयोजित मिस्टर फ्रेशर, मिस्टर कॉलेज, मिस कैम्पस जैसी छोटी-मोटी सौन्दर्य प्रतियोगिताओं से आप शुरुआत कर सकते हैं। यहां आपके व्यक्तित्व को बखूबी परखा जाता है। इसके लिये आपको हर क्षेत्र की पर्याप्त जानकारी भी होनी चाहिए। ‘प्रेजेन्स ऑफ माइंड’ भी यहां महत्त्वपूर्ण होता है। मॉडलिंग के लिए सबसे पहले एक पोर्टफोलियो की जरूरत पड़ती है। एक अच्छा फोटोग्राफर ऐसा फोलियो बना देता है। इस पर आने वाला खर्च लगभग 20 हजार रुपये हो सकता है। एक पेशेवर मॉडल बनने के लिए काफी पैसा खर्च होता है।
मॉडलिंग में स्थापित होने के लिए क्या करें?
मॉडलिंग एक कला है और किसी काल को किसी संस्था विशेष से नहीं सीखा जा सकता। वे मॉडल, जिनमें जन्मजात प्रतिभा होती है, उन्हें किसी खास ग्रूमिंग की जरूरत नहीं होती। हां, व्यावहारिक अनुभवों के साथ ही कई कोर्स इस दिशा में लाभ जरूरत पहुंचा सकते हैं। किसी कुशल कोरियोग्राफर का साथ एक मॉडल को उन्नति के शिखर पर पहुंचा सकता है। वही मुख्य रूप से गाइड करता है कि मॉडल की भूमिका क्या होगी। रैम्प पर चलने के लिए विशिष्ट वॉक (कैटवॉक) को निखारने की जिम्मेदारी भी उसकी होती है। मॉडलिंग के लिये आकर्षक फिगर के लिये जिम का सहारा लिया जा सकता है। ‘पर्सनेलिटी ग्रूमिंग’ एवं ‘ब्यूटी कल्चर’ का कोर्स भी इस क्षेत्र में सफलता का साधन बन सकता है। मॉडलिंग में कामयाब होने के लिए आपका सम्पर्क विज्ञापन-मॉडलिंग एजेन्सियों एवं मॉडल कोऑर्डिनेटरों से भी होना चाहिए। ‘ईवेन्ट मैनेजमेन्ट ग्रुप’ से आपका परिचय भी जरूरी है।
मॉडलिंग का भविष्य
मॉडलिंग इंडस्ट्री में सौन्दर्य प्रतियोगिताओं का खास स्थान है। पहले फैमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता होती थी, अब ग्रासिम मिस्टर इंडिया, ग्लैडरैग्स, मिसेज इंडिया, मेट्रोपॉलिटन टॉप मॉडल जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अलावा मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स, मिस इंडिया, एशिया पेसिफिक, ग्रासिम मिस्टर इंटरनेशनल जैसी अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो रही हैं। मॉडलों के लिए अन्तरराष्ट्रीय बाजार में भी सुनहरे अवसर उपलब्ध कराने वाले अनेक दरवाजे खुले हैं।
फिल्म इंडस्ट्री की पुरानी मान्यता थी कि सफल मॉडल एक अच्छा एक्टर या एक्ट्रेस नहीं बन सकता, मगर सुपर मॉडलों ने इस मान्यता को तोड़ कर फिल्म इंडस्ट्री में भी अपने कदम जमा लिये।
ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा, जॉन अब्राहम, अर्जुन रामपाल, डिनो मोरिया- इन सभी मॉडलों ने मॉडलिंग को एक नया आयाम प्रदान किया है, जिससे मॉडलिंग का भविष्य अब पहले की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित हो गया है।
प्रमुख संस्थान
कैटवॉक,
हौजखास एन्क्लेव, नई दिल्ली
द रैम्प
गुलमोहर पार्क,नई दिल्ली
प्लेटिनम मॉडल्स,
शिवालिक,नई दिल्ली
अदिति मॉडलिंग सर्विस
बेंग्लुरू
ओजोन मॉडल्स मैनेजमेंट
सान्ता क्रूज (पश्चिम), मुम्बई
वाईएसजी वर्ल्डवाइड मॉडल एण्ड प्रमोशन एजेंसी
मुम्बई
एजुकेशन लोन
आमतौर पर इसके लिए एजुकेशन लोन नहीं मिलता, पर कुछ निजी कंपनियां आपके टेलेंट को देख कर आपके साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन कर सकती हैं।
कुछ कॉरपोरेट घराने न्यू कमर्स को प्रमोट करने के लिए मॉडलिंग सौन्दर्य प्रतियोगिता में विजयी लोगों को सपोर्ट भी करते हैं, लेकिन यह सपोर्ट विशुद्घ व्यावसायिक होती है।
संभावनाएं
मॉडलिंग एक अल्पकालीन पेशा है। एक निश्चित उम्र और समय तक ही आप मॉडलिंग कर सकते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है। एक मॉडल भविष्य में मॉडल कोऑर्डिनेटर बन कर इस इंडस्ट्री में जम सकता है और मॉडलिंग और फैशन से जुड़े इंस्टीट्यूट भी खोल सकता है, जहां भावी मॉडल्स को सफलता के नये-नये गुर सिखा कर अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।
आय
कम समय में जितना ज्यादा फेम और पैसा मॉडलिंग पेशे में है, उतना किसी और लाइन में नहीं। पुराने स्थापित मॉडलों को चन्द मिनटों में ही ढाई लाख से अधिक रुपये मिलते हैं, जबकि तीन-चार साल पुराने जमे मॉडल भी एक लाख से भी अधिक कमा लेते हैं। जो बिल्कुल नये हैं, लेकिन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें भी 50-60 हजार मिल जाते हैं। कुल मिला कर आपकी प्रसिद्घि ही मॉडलिंग इंडस्ट्री में आपकी कीमत तय करती है।
एक्सपर्ट व्यू
शौकिया मॉडल्स की अब इंडस्ट्री को जरूरत नहीं
इस क्षेत्र का व्यापक विस्तार हो रहा है, इसलिये पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आएं।
परवेज के., फैशन फोटोग्राफर और कोऑर्डिनेटर
परवेज क़े ने आज से 10 साल पहले एक फैशन फोटोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने मॉडल कोऑर्डिनेटर के रूप में खुद की पहचान बना ली। परवेज के आज स्थापित फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर हैं। शुरुआती दौर में परवेज ने फैशनिस्ता मॉडलिंग एंड फैशन इंस्टीटय़ूट के साथ काफी काम किया। धीरे-धीरे इन्होंने देश के जाने-माने फैशन मॉडल्स अमित रंजन, मींटू तोमर, सिद्घान्त, साहिबा सिंह, सोनल सिंह जैसे जाने-माने मॉडलों के साथ काम किया। परवेज देश-विदेश के कई जाने-माने ब्रांड, इगले शूज, कनेडियन ब्रांड गोर्गी के साथ भी काम कर चुके हैं।
इस क्षेत्र में फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर की क्या भूमिका होती है?
मॉडल को बनाने में फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मॉडल कोऑर्डिनेटर जहां एक फ्रैशर मॉडल को काम दिलाने में सहायक की भूमिका निभाता है, वहीं फैशन फोटोग्राफर उसका एक अच्छा पोर्टफोलियो बना देता है, ताकि मॉडल को काम मिलना शुरू हो जाये। मॉडल का सिर्फ अच्छा दिखना ही काफी नहीं है, उसे प्रोफेशनली खुद को ‘कैरी’ करना भी आना चाहिए।
मॉडलिंग के लिए युवाओं को कैसे तैयारी करनी चाहिए?
मॉडलिंग के क्षेत्र में आने वाले युवाओं को मैं यही कहना चाहूंगा कि अब इस क्षेत्र का व्यापक विस्तार हो रहा है, इसलिये पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आएं। शौकिया मॉडल्स की अब इंडस्ट्री को जरूरत नहीं है। अब हमें भी अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी प्रोफेशनल्स की जरूरत है।

Wednesday, March 7, 2018

पृथ्वी के रहस्यों में करियर

अगर आपको पृथ्वी के रहस्यों को जानने की उत्सुकता है और आप उससे जुड़े क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो अर्थ साइंस आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। संभावनाओं के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है।
अर्थ साइंस में मुख्यत: भूगोल, जियोलॉजी और ओशियोनोग्राफी जैसे विषय होते हैं। भूगोल में जहां पृथ्वी के एरियल डिफरेंसिएशन के बारे में जानकारी दी जाती है, वहीं इसके दूसरे कारक जैसे कि मौसम, उन्नयन कोण, जनसंख्या, भूमि का इस्तेमाल आदि का अध्ययन किया जाता है। जियोलॉजी में पृथ्वी के फिजिकल इतिहास का अध्ययन किया जाता है, जैसे पृथ्वी किस तरह की चट्टानों से बनी है और इसमें लगातार किस तरह के परिवर्तन होते रहते हैं, इसका अध्ययन किया जाता है। ओशियनोग्राफी में मुख्यत: समुद्रों का अध्ययन किया जाता है।
जियोफिजिक्स का पहली बार इस्तेमाल 1799 में विलियम लेंबटन ने एक सर्वे के लिए किया था। वहीं 1830 में गुरुत्व क्षेत्र का अध्ययन कर्नल जॉर्ज एवरेस्ट ने किया था। तेल के अन्वेषण के लिए पहली बार जियोफिजिक्स का प्रयोग 1923 में बर्मन ऑयल कॉरपोरेशन ने किया था। इलेक्ट्रिकल सर्वे पहली बार 1933 में भारत में नीलोर और सिंघबम जिले में पीपमेयर और केलबोफ द्वारा किया गया। पहली बार किसी भारतीय, एमबीआर राव ने 1937 में मैसूर में जमे सल्फाइड अयस्क के लिए इसका प्रयोग किया। जियोफिजिक्स की शिक्षा पहली बार 1949 में आंध्र और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उपलब्ध की थी।
आंध्र विश्वविद्यालय ने शुरुआत में बीएससी और बाद में एमएससी स्तर के कोर्स को प्रारंभ किया। साथ ही इसमें हाइडोस्फीयर, जियोस्फीयर, बायोस्फीयर और क्राइसोस्फीयर के बारे में जानकारी मिलती है। बायोस्फीयर में जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और इकोलॉजी से जुड़े विषय सम्मिलित होते हैं, वहीं एटमॉस्फिरक साइंस में मौसम, मेटोलॉजी, क्लाइमेटोलॉजी से जुड़ी जानकारी दी जाती है। वहीं इसमें पृथ्वी की परतें कैसे बनीं, इसमें लगातार होने वाली हलचलों, भूकंप, ज्वालामुखी का अध्ययन किया जाता है।
कोर्स : ज्यादातर क्षेत्रों में अर्थ साइंस मास्टर लेवल का कोर्स है। इस क्षेत्र में भूगोल और जियोलॉजी में अवसरों की संभावनाएं ज्यादा हैं। भूगोल और जियोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट प्रोगाम करने के लिहाज से यह आवश्यक है कि आपने स्नातक स्तर पर इन विषयों की पढ़ाई की हो। पोस्टग्रेजुएट स्तर पर इस कोर्स को करने के लिए किसी विशेषज्ञ क्षेत्र को लेते हैं। पढ़ाई के दौरान प्रोजेक्ट वर्क की भूमिका काफी अहम होती है। इसमें करियर बनाने के लिए आप अर्थ साइंस एमएससी टेक अप्लाइड जियोलॉजी, अप्लाइड जियोफिजिक्स में कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए स्नातक स्तर पर आपके पास जियोलॉजी और फिजिक्स होनी चाहिए। वहीं पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड एमएससी आप अप्लायड जियोलॉजी, एक्सप्लोरेशन जियोफिजिक्स में कर सकते हैं। इसमें दाखिला बारहवीं के बाद आपको आईआईटी के माध्यम से मिल सकता है। इसके अलावा बीटेक के बाद आप अप्लायड जियोलॉजी में एमटेक कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको गेट परीक्षा का स्कोर कार्ड दिखाना होगा। साथ ही ओशियोनोग्राफी और मेरिन साइंस के भी कई कोर्स संचालित होते हैं।
अवसर : इस कोर्स को करने के बाद अवसरों की कमी नहीं है। प्राइवेट और सरकारी दोनों सेक्टरों में ही जॉब की संभावनाएं मौजूद है। आप जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन, एटॉमिक मिनरल डिपार्टमेंट, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, पत्तनों और बंदरगाहों, खदान कंपनियों, स्टेट जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट और इंडियन मेटोलॉजिकल डिपार्टमेंट में कर सकते हैं। इसके अलावा आप प्राइवेट कंपनियों जैसे कि रिलायंस, स्कमबर्गर और सेल में काम कर सकते हैं। साथ ही इसके बाद शोधार्थी, शिक्षक के रूप में भी आप अपने करियर को संवार सकते हैं। पर्यावरण से जुड़ी कई कंपनियां उनके क्वांटिटेटिव बैकग्राउंड के कारण उन्हें नौकरी देती है

Monday, March 5, 2018

केमोइन्फॉर्मेटिक में करियर

विज्ञान में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के समावेश से कई ऐसे क्षेत्र सामने आए हैंजिनमें हाल के दिनों में करियर की अच्छी संभावनाएं देखी गई हैं। खासकर बायोटेक्नोलॉजीबायोइंजीनियरिंगबायोइन्फॉर्मेटिक आदि ऐसे क्षेत्र हैंजिनमें देश में ही नहींबल्कि देश के बाहर भी करियर के अच्छे स्कोप हैं। अब इसमें एक और नया नाम जुड़ गया है केमोइन्फॉर्मेटिक्स का। यदि आप विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नए की तलाश में हैंतो केमोइन्फॉर्मेटिक्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
 
 
क्या है केमोइन्फॉर्मेटिक?
केमिकल डाटा को कम्प्यूटर की सहायता से एक्सेस या चेंज करने का काम होता है केमोइन्फॉर्मेटिक्स में। पहले यही कार्य ढेर सारे बुकजर्नल्स और पिरिडियोकल्स की सहायता से किए जाते थे। जाहिर है यह बेहद जटिल और समय खपाऊ काम रहा होगलेकिन अब इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने इस प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है।
 
केमोइन्फॉर्मेटिक्स का प्रयोग ड्रग डिस्कवरी प्रक्रिया में होता है। इसमें शोधकर्ता अलग-अलग रसायनों का जैविक प्रभाव तलाशते हैं। किस रसायन का कैसा प्रभाव होगावह कितना खतरनाक या प्रभावी हो सकता हैइसके लिए केमिकल कंपोनेंट्स का असेसमेंटरिप्लेसमेंटडिजाइन आदि जरूरी होता है। एक खास सॉफ्टवेयर पर होने वाली इस पूरी प्रक्रिया के तहत शोधकर्ता केमिकल रिएक्शंस को देख भी सकते हैं। हालांकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल खासकर फॉर्मास्युटिकल कंपनियों में होता हैलेकिन इस खास टेक्निक का उपयोग फंक्शनल फूड बनाने के लिए न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी कर रही हैं। इससे न केवल दवा बनाने की प्रक्रिया तेज हुई हैबल्कि उसकी गुणवत्ता भी काफी एडवांस होने लगी है।
 
कितने योग्य हैं आप?
केमोइन्फॉर्मेटिक्स एक एडवांस फील्ड है और इसमें खास विषय यानी केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले कैंडिडेट्स अधिक बेहतर कर सकते हैं। चूंकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स में कम्प्यूटर पर ही सारे कार्य होते हैंइसलिए कम्प्यूटर की बेसिक समझ तो जरूर होनी चाहिए। यानी केमोइन्फॉर्मेटिक्स की फील्ड में आने के लिए साइंस बैकग्राउंड का होना जरूरी है।
 
स्टडी डेस्टिनेशन
इन दिनों ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में साइंस की बायोइन्फॉर्मेटिक्स शाखा के तहत ही केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई होती है। देश में कुछ खास शिक्षण संस्थान हैंजहां इस विषय की पढ़ाई एक नए डिसिप्लीन के तौर पर हो रही है। मसलनमालाबार क्रिश्चन कॉलेजकोझिकोडइंस्टीट्यूट ऑफ केमोइन्फॉर्मेटिक्स स्टडीनोएडाजामिया हमदर्द डीम्ड यूनिवर्सिटीनई दिल्लीपुणे यूनिवर्सिटी आदि। और जो विदेश से केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई करना चाहते हैंतो उनके लिए भी कई विकल्प हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टरयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूके जैसी यूनिवर्सिटी में इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
 
कोर्सेज की बात
ऊपर जिन संस्थानों की चर्चा हैइनसे आप डिप्लोमा और फूल टाइम दोनों तरह के कोर्स कर सकते हैं। दो वर्षीय एमएससी कोर्स पूरा होने के बाद इन्फॉर्मेटिक्स में रिसर्च का विकल्प खुलता है। कहीं-कहीं एक वर्षीय डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा भी कराए जाते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स में एमएससी के अंतर्गत विशेष रूप से डाटा बेस प्रोग्रामिंगवेब टेक्नोलॉजीडाटा माइनिंगडाटा कलैक्शनसैंपलिंग एवं कम्प्यूटर से ड्रग डिजाइनिंग की पढ़ाई होती है। इस फील्ड के कोर्स में प्रायोगिक प्रशिक्षण और प्रबंधन संबंधी कार्य काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
 
अवसर ही अवसर
केमोइन्फॉर्मेटिक्स बेहतर दवा की खोज के लिए शोधकर्ताओं की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता हैलेकिन आप सोच रहे हैं कि केवल फॉर्मा के क्षेत्र में ही विकल्प सीमित हो जाता हैतो ऐसा नहीं है। केमिकलएग्रोकेमिकलबायोटेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियां भी बेहतर कैंडिडेट की तलाश में रहती है। इसके अलावाहॉस्पिटल्सयूनिवर्सिटी रिसर्च में भी आप मौके तलाश सकते हैं।
 
एमएससी करने के बाद आपको कई तरह के पद ऑफर हो सकते हैं। लेकिन जो फ्रेश ग्रेजुएट्स हैंउन्हें भी अच्छे पद मिल सकते हैं। वे विभिन्न कंपनियों में कम्प्यूटेशनल केमिस्टकेमिकल डाटा साइंटिस्टरेगुलेट्री अफेयर्स ऑफिसरसीनियर इन्फॉर्मेशन एनालिस्टडाटा ऑफिसरग्रेजएट आईटी ट्रेनी के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स से जुड़े कैंडिडेट की मांग विदेशी कंपनियों में भी खूब हैं।

केमोइन्फॉर्मेटिक में करियर

विज्ञान में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के समावेश से कई ऐसे क्षेत्र सामने आए हैंजिनमें हाल के दिनों में करियर की अच्छी संभावनाएं देखी गई हैं। खासकर बायोटेक्नोलॉजीबायोइंजीनियरिंगबायोइन्फॉर्मेटिक आदि ऐसे क्षेत्र हैंजिनमें देश में ही नहींबल्कि देश के बाहर भी करियर के अच्छे स्कोप हैं। अब इसमें एक और नया नाम जुड़ गया है केमोइन्फॉर्मेटिक्स का। यदि आप विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नए की तलाश में हैंतो केमोइन्फॉर्मेटिक्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
 
 
क्या है केमोइन्फॉर्मेटिक?
केमिकल डाटा को कम्प्यूटर की सहायता से एक्सेस या चेंज करने का काम होता है केमोइन्फॉर्मेटिक्स में। पहले यही कार्य ढेर सारे बुकजर्नल्स और पिरिडियोकल्स की सहायता से किए जाते थे। जाहिर है यह बेहद जटिल और समय खपाऊ काम रहा होगलेकिन अब इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने इस प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है।
 
केमोइन्फॉर्मेटिक्स का प्रयोग ड्रग डिस्कवरी प्रक्रिया में होता है। इसमें शोधकर्ता अलग-अलग रसायनों का जैविक प्रभाव तलाशते हैं। किस रसायन का कैसा प्रभाव होगावह कितना खतरनाक या प्रभावी हो सकता हैइसके लिए केमिकल कंपोनेंट्स का असेसमेंटरिप्लेसमेंटडिजाइन आदि जरूरी होता है। एक खास सॉफ्टवेयर पर होने वाली इस पूरी प्रक्रिया के तहत शोधकर्ता केमिकल रिएक्शंस को देख भी सकते हैं। हालांकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल खासकर फॉर्मास्युटिकल कंपनियों में होता हैलेकिन इस खास टेक्निक का उपयोग फंक्शनल फूड बनाने के लिए न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी कर रही हैं। इससे न केवल दवा बनाने की प्रक्रिया तेज हुई हैबल्कि उसकी गुणवत्ता भी काफी एडवांस होने लगी है।
 
कितने योग्य हैं आप?
केमोइन्फॉर्मेटिक्स एक एडवांस फील्ड है और इसमें खास विषय यानी केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले कैंडिडेट्स अधिक बेहतर कर सकते हैं। चूंकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स में कम्प्यूटर पर ही सारे कार्य होते हैंइसलिए कम्प्यूटर की बेसिक समझ तो जरूर होनी चाहिए। यानी केमोइन्फॉर्मेटिक्स की फील्ड में आने के लिए साइंस बैकग्राउंड का होना जरूरी है।
 
स्टडी डेस्टिनेशन
इन दिनों ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में साइंस की बायोइन्फॉर्मेटिक्स शाखा के तहत ही केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई होती है। देश में कुछ खास शिक्षण संस्थान हैंजहां इस विषय की पढ़ाई एक नए डिसिप्लीन के तौर पर हो रही है। मसलनमालाबार क्रिश्चन कॉलेजकोझिकोडइंस्टीट्यूट ऑफ केमोइन्फॉर्मेटिक्स स्टडीनोएडाजामिया हमदर्द डीम्ड यूनिवर्सिटीनई दिल्लीपुणे यूनिवर्सिटी आदि। और जो विदेश से केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई करना चाहते हैंतो उनके लिए भी कई विकल्प हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टरयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूके जैसी यूनिवर्सिटी में इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
 
कोर्सेज की बात
ऊपर जिन संस्थानों की चर्चा हैइनसे आप डिप्लोमा और फूल टाइम दोनों तरह के कोर्स कर सकते हैं। दो वर्षीय एमएससी कोर्स पूरा होने के बाद इन्फॉर्मेटिक्स में रिसर्च का विकल्प खुलता है। कहीं-कहीं एक वर्षीय डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा भी कराए जाते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स में एमएससी के अंतर्गत विशेष रूप से डाटा बेस प्रोग्रामिंगवेब टेक्नोलॉजीडाटा माइनिंगडाटा कलैक्शनसैंपलिंग एवं कम्प्यूटर से ड्रग डिजाइनिंग की पढ़ाई होती है। इस फील्ड के कोर्स में प्रायोगिक प्रशिक्षण और प्रबंधन संबंधी कार्य काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
 
अवसर ही अवसर
केमोइन्फॉर्मेटिक्स बेहतर दवा की खोज के लिए शोधकर्ताओं की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता हैलेकिन आप सोच रहे हैं कि केवल फॉर्मा के क्षेत्र में ही विकल्प सीमित हो जाता हैतो ऐसा नहीं है। केमिकलएग्रोकेमिकलबायोटेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियां भी बेहतर कैंडिडेट की तलाश में रहती है। इसके अलावाहॉस्पिटल्सयूनिवर्सिटी रिसर्च में भी आप मौके तलाश सकते हैं।
 
एमएससी करने के बाद आपको कई तरह के पद ऑफर हो सकते हैं। लेकिन जो फ्रेश ग्रेजुएट्स हैंउन्हें भी अच्छे पद मिल सकते हैं। वे विभिन्न कंपनियों में कम्प्यूटेशनल केमिस्टकेमिकल डाटा साइंटिस्टरेगुलेट्री अफेयर्स ऑफिसरसीनियर इन्फॉर्मेशन एनालिस्टडाटा ऑफिसरग्रेजएट आईटी ट्रेनी के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स से जुड़े कैंडिडेट की मांग विदेशी कंपनियों में भी खूब हैं।