अनेक उतार-चढ़ाव तथा रिटेल निवेशकों के निम्न आधार के बावजूद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का छठा तथा विश्व का 14वां सबसे विशाल मुद्रा बाजार है। देश में कुछ अन्य स्टॉक एक्सचेंज के अलावा दुनिया भर में अनेक स्टॉक एक्सचेंज मौजूद हैं जहां हर दिन अरबों-खरबों का लेन-देन होता है। इस क्षेत्र में कार्य करने वालों के पास उज्ज्वल करियर बनाने के असीमित अवसर होते हैं। वित्तीय सेवा पेशेवरों की मांग अब केवल स्टॉक ब्रोकरेज फर्म्स तक ही सीमित नहीं है बल्कि बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में भी उनकी काफी जरूरत होती है।
जानकारों की राय में
फाइनांशियल मार्कीट्स से संबंधित कोर्सों के तहत छात्रों को बाजार को बेहतर ढंग से समझने तथा मिलने वाले मौकों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का कौशल प्रदान किया जाता है। अनेक संस्थान इस विषय से संबंधित नवीन कोर्स शुरू कर रहे हैं जिनसे छात्रों को इस क्षेत्र के बारे में नवीनतम बदलावों से जागरूक करवाया जाता है।
सम्भावनाएं
जो छात्र फाइनांशियल मार्कीट्स संबंधी कोर्स सफलतापूर्वक करते हैं वे बैंकों में इन्वैस्टमैंट बैंकर्स या रिलेशनशिप मैनेजर, इंश्योरैंस कम्पनियों में वैल्थ मैनेजर के अलावा एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, सर्विलांस / कम्प्लायंस / रैगुलेशन मैनेजर, डिजीटल कंटैंट डिवैल्पर्स एवं रिस्क मैनेजर के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं।
शुरूआत
इस क्षेत्र में आमतौर पर युवाओं को बतौर एनालिस्ट नियुक्त किया जाता है। कार्पोरेट फाइनांस में वे मुख्यत: आंकड़ों का आकलन लगाने का काम करते हैं। वे फर्म्स की फाइनांशियल रिर्पोटस का अध्ययन करते हैं। शोध में कार्य करने वाले एनालिस्ट कम्पनियों तथा सैक्टर्स की हल-चल पर नजर रखते हैं। एनालिस्ट्स को ट्रेडिंग करने की स्वीकृति नहीं मिलती जब तक वे अपनी योग्यता एवं कौशल को पूरी तरह सिद्ध नहीं कर देते हैं क्योंकि इस काम में गलती की जरा भी गुंजाइश नहीं होती है। यहां गलती भारी नुक्सान का कारण बनती है।
अनुभव हासिल करने के बाद एनालिस्ट्स को एसोसिएट के पद पर नियुक्ति मिलती है। वैसे एम.बी.ए. डिग्री धारी सीधे इस पद पर भी नियुक्ति प्राप्त करते हैं। वे अपनी टीम में काम का बंटवारा तथा निरीक्षण का काम करते हैं। इसके बाद वे वाइस प्रैजीडैंट के पद पर पदोन्नत होते हैं जो एनालिस्ट तथा एसोसिएट्स के काम पर नजर रखते हैं। वे कस्टमर्स के अधिक करीब रहते हैं। प्रतिभाशाली वाइस प्रैजीडैंट्स को एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर, फिर मैनेजिंग डायरैक्टर के पदों पर नियुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में करियर की शुरूआत करने तथा अनुभव हासिल करने के लिए बेहतर होगा कि युवा किसी कम्पनी में बतौर इंटर्न काम शुरू करें।
प्रमुख नियोक्ता
बैंक, पोर्टफोलियो मैनेजर्स, ब्रोकरेज फर्म्स , कमोडिटी ट्रेडर्स, म्यूचुअल फंड्स, वैंचर कैपिटल तथा प्राइवेट इक्विटी फंड्स आदि।
कहां से सीखें
- गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
- नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फाइनांशियल मैनेजमैंट, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश
(इन संस्थानों में फाइनांशियल मार्कीट्स में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा करवाया जाता है)
जानकारों की राय में
फाइनांशियल मार्कीट्स से संबंधित कोर्सों के तहत छात्रों को बाजार को बेहतर ढंग से समझने तथा मिलने वाले मौकों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का कौशल प्रदान किया जाता है। अनेक संस्थान इस विषय से संबंधित नवीन कोर्स शुरू कर रहे हैं जिनसे छात्रों को इस क्षेत्र के बारे में नवीनतम बदलावों से जागरूक करवाया जाता है।
सम्भावनाएं
जो छात्र फाइनांशियल मार्कीट्स संबंधी कोर्स सफलतापूर्वक करते हैं वे बैंकों में इन्वैस्टमैंट बैंकर्स या रिलेशनशिप मैनेजर, इंश्योरैंस कम्पनियों में वैल्थ मैनेजर के अलावा एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, सर्विलांस / कम्प्लायंस / रैगुलेशन मैनेजर, डिजीटल कंटैंट डिवैल्पर्स एवं रिस्क मैनेजर के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं।
शुरूआत
इस क्षेत्र में आमतौर पर युवाओं को बतौर एनालिस्ट नियुक्त किया जाता है। कार्पोरेट फाइनांस में वे मुख्यत: आंकड़ों का आकलन लगाने का काम करते हैं। वे फर्म्स की फाइनांशियल रिर्पोटस का अध्ययन करते हैं। शोध में कार्य करने वाले एनालिस्ट कम्पनियों तथा सैक्टर्स की हल-चल पर नजर रखते हैं। एनालिस्ट्स को ट्रेडिंग करने की स्वीकृति नहीं मिलती जब तक वे अपनी योग्यता एवं कौशल को पूरी तरह सिद्ध नहीं कर देते हैं क्योंकि इस काम में गलती की जरा भी गुंजाइश नहीं होती है। यहां गलती भारी नुक्सान का कारण बनती है।
अनुभव हासिल करने के बाद एनालिस्ट्स को एसोसिएट के पद पर नियुक्ति मिलती है। वैसे एम.बी.ए. डिग्री धारी सीधे इस पद पर भी नियुक्ति प्राप्त करते हैं। वे अपनी टीम में काम का बंटवारा तथा निरीक्षण का काम करते हैं। इसके बाद वे वाइस प्रैजीडैंट के पद पर पदोन्नत होते हैं जो एनालिस्ट तथा एसोसिएट्स के काम पर नजर रखते हैं। वे कस्टमर्स के अधिक करीब रहते हैं। प्रतिभाशाली वाइस प्रैजीडैंट्स को एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर, फिर मैनेजिंग डायरैक्टर के पदों पर नियुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में करियर की शुरूआत करने तथा अनुभव हासिल करने के लिए बेहतर होगा कि युवा किसी कम्पनी में बतौर इंटर्न काम शुरू करें।
प्रमुख नियोक्ता
बैंक, पोर्टफोलियो मैनेजर्स, ब्रोकरेज फर्म्स , कमोडिटी ट्रेडर्स, म्यूचुअल फंड्स, वैंचर कैपिटल तथा प्राइवेट इक्विटी फंड्स आदि।
कहां से सीखें
- गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
- नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फाइनांशियल मैनेजमैंट, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश
(इन संस्थानों में फाइनांशियल मार्कीट्स में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा करवाया जाता है)
No comments:
Post a Comment