समाज सेवा कोई फुलटाइम काम थोड़ी है। आम धारणा है कि समाज सेवा को
पार्टटाइम आधार पर किया जाता है। यह एक अपेक्षाकृत हल्का विकल्प है, जो
लड़कियों को ही करना चाहिए। दरअसल, यह सब विचार गलतफहमियां हैं। आज समाज
सेवा एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कॉरपोरेट और अनेक बहुराष्ट्रीय एनजीओ
भी भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल
रिस्पॉन्सिबिलिटी) के आधार पर पैसा लगा रहे हैं। इसका एक उदाहरण है अजीम
प्रेमजी द्वारा अपनी निजी आय में से 9000 करोड़ रुपए दान किया जाना, जिसका
इस्तेमाल प्रेमजी फाउंडेशन शिक्षा और ग्राम सुधार के लिए कर रही है। इसके
अलावा, इंडियन ऑयल, यूनीलिवर, नेस्ले, एनटीपीसी, एलएंडटी आदि कंपनियों के
कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी विभाग हैं। वह अपनी परियोजनाओं के लिए
एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोशल वर्क) को रखते हैं। यहां तक कि बहुराष्ट्रीय
संस्थाएं जैसे यूनेस्को, यूनिसेफ और अन्य संस्थाएं भी समाज सेवा पृष्ठभूमि
वाले लोगों को रखती हैं।
एक समाज सेवी मूलत: मॉडर्न मैनेजमेंट और समाज विज्ञान के विचारों को मिला कर सामाजिक समस्याओं का हल खोजता है। आज के समाज सेवियों को सरकारों और निजी संस्थानों से फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, काउंसलिंग, कैम्प ऑर्गेनाइजेशन आदि कार्यों के लिए लॉबिंग करनी पड़ती है। समाज सेवा को तीन व्यापक हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये हैं सर्विस, एडवोकेसी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर)। इनकी सेवाओं में पूंजी स्नोत, निर्धनों और जरूरतमंदों के लिए रोजगार का इंतजाम करना भी होता है। समाज सेवा के दायरे में अनाथालयों या वृद्धाश्रमों और छात्रवृत्ति को सहयोग देना भी आता है।
समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी संस्थान और बड़े एनजीओ जैसे क्राई, एसओएस चिल्ड्रंस विलेजेज ऑफ इंडिया और हैल्पएज भी काम करते हैं, जो बाल सुधार, महिलाओं और श्रम अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। समाज सेवा को सबसे अधिक संतोषप्रद कार्यक्षेत्रों में भी माना जाता है। इसमें अपनी जैसी सोच वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। यही नहीं, समाजसेवा करने वाले व्यक्तियों को सरकारी योजना निर्माण में भी मदद के लिए बुलाया जाता है।
कार्य गतिविधियां
अधिकांश समाजसेवी युवाओं और उनके परिवारों के साथ कार्य करते हैं। वह इन समूहों के साथ भी कार्य कर सकते हैं:
युवा अपराधी
दिमागी बीमारियों से जूझ रहे युवा
स्कूल न जाने वाले युवा
नशे के आदि युवा
शारीरिक तौर पर अक्षम लोग
बेघरों और वृद्धों के साथ
स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े सरकारी प्रावधान के अंतर्गत समाजसेवी विभिन्न दलों के साथ काम कर सकते हैं।
समाजसेवियों की जिम्मेदारियां
मेडिकल स्टाफ के साथ अनुमानित आंकड़ों को एकत्र करना, जो निश्चित मानदंड और समय के अनुसार कार्य में लाए जाते हैं।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों और उनके परिवारों से बात, ताकि उन्हें पहुंच रहे लाभ का आकलन किया जा सके।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों को सूचना और सहयोग देना।
पिछड़ा क्षेत्र के लिए सपोर्ट पैकेज उपलब्ध कराना।
किसी विशिष्ट सेवा प्रदाता द्वारा दिए जा रहे सहयोग के संबंध में आवश्यक निर्णय लेना।
अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
बाल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़े दलों की बैठकों में शिरकत करना।
किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए रिकॉर्ड की संभाल करना।
ट्रेनिंग, सुपरविजन और टीम मीटिंग्स में शामिल होना।
इस क्षेत्र में जॉब मार्केट बहुआयामी है। किसी बड़ी कंपनी के सीएसआर विभाग में काम करने पर आप 30,000 से 70,000 रुपए तक कमा सकते हैं। यदि आप किसी आईडीआरसी या किसी एक्शन एड में काम करते हैं तो भी वेतनमान अच्छा होता है, जो समय के साथ-साथ बढ़ता है। एक्शन एड का सलाहकार एक लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकता है। लेकिन ऐसे जॉब्स कम और बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं। अनेक एनजीओ भी 15,000 से 25,000 रुपए तक देते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति ने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है और उसे कार्य का कितना अनुभव है। टीआईएसएस शीर्ष इंस्टीटय़ूट्स में से है और वहां से श्रेष्ठतम नौकरियां मिलती हैं।
किसी बी या सी श्रेणी इंस्टीटय़ूट से शिक्षा प्राप्ति पर भी 10,000 रुपए शुरुआती वेतन पर काम मिल जाता है। इसलिए यदि किसी अच्छे संस्थान से एमएसडब्ल्यू (मास्टर्स इन सोशल वर्क) किया है तो यह किसी बी श्रेणी संस्थान से एमबीए करने से बेहतर होगा। लिहाजा, आप बीएसडब्ल्यू या समाजविज्ञान या मनोविज्ञान में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बाद एमएसडब्ल्यू करके इस करियर में अपनी शुरुआत कर सकते हैं। निजी और सरकारी विभाग भी सोशल वर्क डिग्री को तरजीह देते हैं। बेशक यह एक विकास कर रहा क्षेत्र है और इसमें युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।
एक समाज सेवी मूलत: मॉडर्न मैनेजमेंट और समाज विज्ञान के विचारों को मिला कर सामाजिक समस्याओं का हल खोजता है। आज के समाज सेवियों को सरकारों और निजी संस्थानों से फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, काउंसलिंग, कैम्प ऑर्गेनाइजेशन आदि कार्यों के लिए लॉबिंग करनी पड़ती है। समाज सेवा को तीन व्यापक हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये हैं सर्विस, एडवोकेसी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर)। इनकी सेवाओं में पूंजी स्नोत, निर्धनों और जरूरतमंदों के लिए रोजगार का इंतजाम करना भी होता है। समाज सेवा के दायरे में अनाथालयों या वृद्धाश्रमों और छात्रवृत्ति को सहयोग देना भी आता है।
समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी संस्थान और बड़े एनजीओ जैसे क्राई, एसओएस चिल्ड्रंस विलेजेज ऑफ इंडिया और हैल्पएज भी काम करते हैं, जो बाल सुधार, महिलाओं और श्रम अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। समाज सेवा को सबसे अधिक संतोषप्रद कार्यक्षेत्रों में भी माना जाता है। इसमें अपनी जैसी सोच वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। यही नहीं, समाजसेवा करने वाले व्यक्तियों को सरकारी योजना निर्माण में भी मदद के लिए बुलाया जाता है।
कार्य गतिविधियां
अधिकांश समाजसेवी युवाओं और उनके परिवारों के साथ कार्य करते हैं। वह इन समूहों के साथ भी कार्य कर सकते हैं:
युवा अपराधी
दिमागी बीमारियों से जूझ रहे युवा
स्कूल न जाने वाले युवा
नशे के आदि युवा
शारीरिक तौर पर अक्षम लोग
बेघरों और वृद्धों के साथ
स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े सरकारी प्रावधान के अंतर्गत समाजसेवी विभिन्न दलों के साथ काम कर सकते हैं।
समाजसेवियों की जिम्मेदारियां
मेडिकल स्टाफ के साथ अनुमानित आंकड़ों को एकत्र करना, जो निश्चित मानदंड और समय के अनुसार कार्य में लाए जाते हैं।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों और उनके परिवारों से बात, ताकि उन्हें पहुंच रहे लाभ का आकलन किया जा सके।
पिछड़ा क्षेत्र के लोगों को सूचना और सहयोग देना।
पिछड़ा क्षेत्र के लिए सपोर्ट पैकेज उपलब्ध कराना।
किसी विशिष्ट सेवा प्रदाता द्वारा दिए जा रहे सहयोग के संबंध में आवश्यक निर्णय लेना।
अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
बाल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़े दलों की बैठकों में शिरकत करना।
किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए रिकॉर्ड की संभाल करना।
ट्रेनिंग, सुपरविजन और टीम मीटिंग्स में शामिल होना।
इस क्षेत्र में जॉब मार्केट बहुआयामी है। किसी बड़ी कंपनी के सीएसआर विभाग में काम करने पर आप 30,000 से 70,000 रुपए तक कमा सकते हैं। यदि आप किसी आईडीआरसी या किसी एक्शन एड में काम करते हैं तो भी वेतनमान अच्छा होता है, जो समय के साथ-साथ बढ़ता है। एक्शन एड का सलाहकार एक लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकता है। लेकिन ऐसे जॉब्स कम और बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं। अनेक एनजीओ भी 15,000 से 25,000 रुपए तक देते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति ने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है और उसे कार्य का कितना अनुभव है। टीआईएसएस शीर्ष इंस्टीटय़ूट्स में से है और वहां से श्रेष्ठतम नौकरियां मिलती हैं।
किसी बी या सी श्रेणी इंस्टीटय़ूट से शिक्षा प्राप्ति पर भी 10,000 रुपए शुरुआती वेतन पर काम मिल जाता है। इसलिए यदि किसी अच्छे संस्थान से एमएसडब्ल्यू (मास्टर्स इन सोशल वर्क) किया है तो यह किसी बी श्रेणी संस्थान से एमबीए करने से बेहतर होगा। लिहाजा, आप बीएसडब्ल्यू या समाजविज्ञान या मनोविज्ञान में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बाद एमएसडब्ल्यू करके इस करियर में अपनी शुरुआत कर सकते हैं। निजी और सरकारी विभाग भी सोशल वर्क डिग्री को तरजीह देते हैं। बेशक यह एक विकास कर रहा क्षेत्र है और इसमें युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।
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