दुनियाभर में एनर्जी के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों
की उपयोगिया क्या है, इससे हम सभी भलीभांति अवगत हैं। पहले पेट्रोलियम के नाम पर हम सिर्फ
पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और केरोसिन ऑयल
को ही जानते थे, लेकिन अब इसमें सीएनजी भी शामिल हो गई है। दरअसल, ऑयल ऐंड गैस इंडस्ट्री
एक विशिष्ट फील्ड है, जिसमें खासतौर पर प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत पड़ती है। इनमें इंजीनियर्स
की मांग तो हमेशा बनी ही रहती है, अन्य क्षेत्रों के जानकारों के लिए भी भरपूर मौके होते हैं। इस क्षेत्र में
करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी से जुड़े कोर्स काफी
महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
क्वालिफिकेशन
12वीं की परीक्षा भौतिक विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान से 50 प्रतिशत अंकों से पास करने के बाद आप पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। केमिकल और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बीई और बीटेक कर चुके छात्र पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एमटेक के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीबीए में प्रवेश के लिए 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण होना जरूरी है। पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी संबंधी एमएससी कोर्स में ऐडमिशन के लिए जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल, मैकेनिकल, पॉलिमर साइंस आदि में ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए। पेट्रोलियम सेक्टर की पढ़ाई के दौरान यह सिखाया जाता है कि किस तरह गणित, जियोलॉजी और भौतिक विज्ञान के नियम, सूत्र और सिद्घांतों का प्रयोग ईंधन की खोज, विकास और उत्पादन में किया जा सकता है? पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स में एडमिशन आमतौर पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर होते हैं।
कोर्स
पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी ने बीबीए, एमबीए, एमटेक, बीटेक, एमएससी जैसे कोर्स शुरू किए हैं। इसके अलावा देश के चुनिंदा संस्थानों ने पेट्रोलियम के क्षेत्र में बीई, बीटेक, एमई, एमटेक, एमएससी और बीएससी जैसे कोर्स शुरू किए हैं। ये सभी कोर्स पेट्रोकैमिकल इंजीनियरिंग, पेट्रोटेक्नोलॉजी, गैस इंजीनियरिंग, पेट्रोमार्केटिंग आदि में शुरू किए हैं।
स्टडी कोर्स
पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में छात्र जियोलॉजी, भौतिकी और इंजीनियरिंग के सिद्वांतों द्वारा पेट्रोलियम की रिकवरी, डेवलपमेंट और प्रोसेसिंग के बारे में जानते हैं। इसके अलावा ड्रिलिंग, मैकेनिक्स, पर्यावरण संरक्षण और पेट्रोलियम जैसे विषयों पर छात्रों की पकड़ बनाई जाती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री को मुख्य तौर पर दो भागों में बांट कर देख सकते हैं- अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम सेक्टर। अपस्ट्रीम सेक्टर में खोज, उत्पादन व तेल और प्राकृतिक गैसों का दोहन कैसे किया जाए, इसकी शिक्षा व ट्रेनिंग दी जाती है। डाउनस्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण से संबंधित पूरी जानकारी दी जाती है। पेट्रोलियम के क्षेत्र में टीम की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण होती है। एक पेट्रोलियम इंजीनियर को जियोलॉजिस्ट, अन्वेषणकर्ता, इंजीनियर, पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ काम करना पड़ता है।
क्या है स्कोप
पहले इस क्षेत्र में जियोलॉजिस्ट की काफी मांग थी, समय बदलने के साथ मैकेनिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इस इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाई। करियर की अनेक संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में प्रबंधन से लेकर इंजीनियरिंग तक के कोर्स शुरू हुए हैं। खासबात यह है कि प्रफेशनल्स की मांग हमेशा बनी रहती है। विशिष्ट क्षेत्र होने और प्रोफेशनल्स की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से इस सेक्टर में सैलरी भी काफी आकर्षक दी जाती है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी, रिलायंस, अदानी एस्सार और केयर्स एनर्जी जैसी कई बडी कंपनियां पेट्रो प्रोफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में ही हर साल तकरीबन आठ लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत है। इस क्षेत्र में यूरोप के साथ ही खाडी़ देशों के भी दरवाजे खुले हैं।
काम और पद
जियोफिजिसिस्ट
इनका काम धरती की आंतरिक और वाह्य संरचना का अध्ययन करना है। इस पद पर काम करने के लिए जियोलॉजी, फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का बैकग्राउंड होना चाहिए।
ऑयल वेल-लॉग एनालिस्ट
इनका काम ऑयल फील्ड्स से नमूने लेना, खुदाई के दौरान विभिन्न मापों का ध्यान रखना और काम पूरा होने पर माप और नमूनों की जांच करना होता है।
ऑयल ड्रिलिंग इंजीनियर
इनका काम तेल के कुओं की खुदाई के लिए योजना बनाना होता है। इंजीनियर यह भी कोशिश करते हैं कि यह काम कम से कम खर्च में पूर्ण किया जा सके।
प्रॉडक्शन इंजीनियर
तेल के कुओं की खुदाई का काम पूरा होने के बाद प्रॉडक्शन इंजीनियर जिम्मेदारी संभालते हैं। ईंधन को सतह तक लाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है, इसका निर्णय प्रॉडक्शन इंजीनियर करते हैं।
ऑयल रिजरवॉयर इंजीनियर
इंजीनियर रिजरवॉयर प्रेशर निर्धारित करने के लिए जटिल कंप्यूटर मॉडल्स और गणित के फार्म्यूलों का प्रयोग करते हैं।
ऑयल फैसिलिटी इंजीनियर
ईंधन के सतह पर आने के बाद इसे अलग करने, प्रोसेसिंग और दूसरी जगहों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ऑयल फैसिलिटी इंजीनियर के कंधों पर होती है।
सैलरी
पेट्रोलियम सेक्टर में फ्रेशर्स की सैलरी की बात करें, तो यह चुने गए फील्ड पर अधिक निर्भर करता है। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि प्रशिक्षित युवा शुरुआत में साढ़े तीन से चार लाख रुपये तक का पैकेज हासिल कर सकता है। इस सेक्टर में आकर्षक सैलरी के अलावा अनुभवी व्यक्तियों को दुनियाभर में काम करने का मौका भी मिलता है। इस क्षेत्र की सरकारी कंपनियों में छह से सात लाख सालाना और निजी क्षेत्र में इससे भी ज्यादा सैलरी पैकेज मिलता है।
इंस्टीट्यूट वॉच
u राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
www.rgipt.ac.in
u लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
www.lkouniv.ac.in
u पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
www.pdpu.ac.in
u इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद
www.ismdhanbad.ac.in
u महाराष्ट्र इंडस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे,
www.mitpune.com
u अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
www.amu.ac.in
u पुणे यूनिवर्सिटी
www.unipune.ernet.in
u बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
www.itbhu.ac.in
u आईआईटी चेन्नई
www.mtechadm.iitm.ac.in
u यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून,
www.upes.ac.in
क्वालिफिकेशन
12वीं की परीक्षा भौतिक विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान से 50 प्रतिशत अंकों से पास करने के बाद आप पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। केमिकल और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बीई और बीटेक कर चुके छात्र पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एमटेक के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीबीए में प्रवेश के लिए 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण होना जरूरी है। पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी संबंधी एमएससी कोर्स में ऐडमिशन के लिए जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल, मैकेनिकल, पॉलिमर साइंस आदि में ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए। पेट्रोलियम सेक्टर की पढ़ाई के दौरान यह सिखाया जाता है कि किस तरह गणित, जियोलॉजी और भौतिक विज्ञान के नियम, सूत्र और सिद्घांतों का प्रयोग ईंधन की खोज, विकास और उत्पादन में किया जा सकता है? पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स में एडमिशन आमतौर पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर होते हैं।
कोर्स
पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी ने बीबीए, एमबीए, एमटेक, बीटेक, एमएससी जैसे कोर्स शुरू किए हैं। इसके अलावा देश के चुनिंदा संस्थानों ने पेट्रोलियम के क्षेत्र में बीई, बीटेक, एमई, एमटेक, एमएससी और बीएससी जैसे कोर्स शुरू किए हैं। ये सभी कोर्स पेट्रोकैमिकल इंजीनियरिंग, पेट्रोटेक्नोलॉजी, गैस इंजीनियरिंग, पेट्रोमार्केटिंग आदि में शुरू किए हैं।
स्टडी कोर्स
पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में छात्र जियोलॉजी, भौतिकी और इंजीनियरिंग के सिद्वांतों द्वारा पेट्रोलियम की रिकवरी, डेवलपमेंट और प्रोसेसिंग के बारे में जानते हैं। इसके अलावा ड्रिलिंग, मैकेनिक्स, पर्यावरण संरक्षण और पेट्रोलियम जैसे विषयों पर छात्रों की पकड़ बनाई जाती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री को मुख्य तौर पर दो भागों में बांट कर देख सकते हैं- अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम सेक्टर। अपस्ट्रीम सेक्टर में खोज, उत्पादन व तेल और प्राकृतिक गैसों का दोहन कैसे किया जाए, इसकी शिक्षा व ट्रेनिंग दी जाती है। डाउनस्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण से संबंधित पूरी जानकारी दी जाती है। पेट्रोलियम के क्षेत्र में टीम की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण होती है। एक पेट्रोलियम इंजीनियर को जियोलॉजिस्ट, अन्वेषणकर्ता, इंजीनियर, पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ काम करना पड़ता है।
क्या है स्कोप
पहले इस क्षेत्र में जियोलॉजिस्ट की काफी मांग थी, समय बदलने के साथ मैकेनिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इस इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाई। करियर की अनेक संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में प्रबंधन से लेकर इंजीनियरिंग तक के कोर्स शुरू हुए हैं। खासबात यह है कि प्रफेशनल्स की मांग हमेशा बनी रहती है। विशिष्ट क्षेत्र होने और प्रोफेशनल्स की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से इस सेक्टर में सैलरी भी काफी आकर्षक दी जाती है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी, रिलायंस, अदानी एस्सार और केयर्स एनर्जी जैसी कई बडी कंपनियां पेट्रो प्रोफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में ही हर साल तकरीबन आठ लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत है। इस क्षेत्र में यूरोप के साथ ही खाडी़ देशों के भी दरवाजे खुले हैं।
काम और पद
जियोफिजिसिस्ट
इनका काम धरती की आंतरिक और वाह्य संरचना का अध्ययन करना है। इस पद पर काम करने के लिए जियोलॉजी, फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का बैकग्राउंड होना चाहिए।
ऑयल वेल-लॉग एनालिस्ट
इनका काम ऑयल फील्ड्स से नमूने लेना, खुदाई के दौरान विभिन्न मापों का ध्यान रखना और काम पूरा होने पर माप और नमूनों की जांच करना होता है।
ऑयल ड्रिलिंग इंजीनियर
इनका काम तेल के कुओं की खुदाई के लिए योजना बनाना होता है। इंजीनियर यह भी कोशिश करते हैं कि यह काम कम से कम खर्च में पूर्ण किया जा सके।
प्रॉडक्शन इंजीनियर
तेल के कुओं की खुदाई का काम पूरा होने के बाद प्रॉडक्शन इंजीनियर जिम्मेदारी संभालते हैं। ईंधन को सतह तक लाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है, इसका निर्णय प्रॉडक्शन इंजीनियर करते हैं।
ऑयल रिजरवॉयर इंजीनियर
इंजीनियर रिजरवॉयर प्रेशर निर्धारित करने के लिए जटिल कंप्यूटर मॉडल्स और गणित के फार्म्यूलों का प्रयोग करते हैं।
ऑयल फैसिलिटी इंजीनियर
ईंधन के सतह पर आने के बाद इसे अलग करने, प्रोसेसिंग और दूसरी जगहों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ऑयल फैसिलिटी इंजीनियर के कंधों पर होती है।
सैलरी
पेट्रोलियम सेक्टर में फ्रेशर्स की सैलरी की बात करें, तो यह चुने गए फील्ड पर अधिक निर्भर करता है। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि प्रशिक्षित युवा शुरुआत में साढ़े तीन से चार लाख रुपये तक का पैकेज हासिल कर सकता है। इस सेक्टर में आकर्षक सैलरी के अलावा अनुभवी व्यक्तियों को दुनियाभर में काम करने का मौका भी मिलता है। इस क्षेत्र की सरकारी कंपनियों में छह से सात लाख सालाना और निजी क्षेत्र में इससे भी ज्यादा सैलरी पैकेज मिलता है।
इंस्टीट्यूट वॉच
u राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
www.rgipt.ac.in
u लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
www.lkouniv.ac.in
u पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
www.pdpu.ac.in
u इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद
www.ismdhanbad.ac.in
u महाराष्ट्र इंडस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे,
www.mitpune.com
u अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
www.amu.ac.in
u पुणे यूनिवर्सिटी
www.unipune.ernet.in
u बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
www.itbhu.ac.in
u आईआईटी चेन्नई
www.mtechadm.iitm.ac.in
u यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून,
www.upes.ac.in
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