आज
के दौर में संचार जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। चाहे मोबाइल हो या टीवी
यह हर इनसान की जरूरत है। क्या आप ऐसे जीवन की कल्पना कर सकते हैं जहाँ
मोबाइल काम ना करे। अपने मन पंसद प्रोग्रामों को देखने के लिए आपके पास
टेलीविजन ही ना हो। ऐसे जीवन की कल्पना करना भी आपको कितना डरावना लगता है
ना।
आपकी सुविधाओं को हकीकत में बदलने का काम किया है इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरों ने। इनकी कला की बदौलत ही आज हर व्यक्ति पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत व चुनौतीपूर्ण है। इसके अंतर्गत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन, डिजिटल सिस्टंस, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्युनिकेशन, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। साथ ही इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल, पॉवर सिस्टम ऑपरेशंस, कम्युनिकेशन सिस्टम आदि क्षेत्रों में भी इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।
इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करना होगा। विभिन्न इंस्टिट्यूट छात्रों केलिए ढेर सारे विकल्प प्रस्तुत करता है। इस स्ट्रीम में छात्र विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं या दोहरी डिग्री भी कर सकते हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियरों का मुख्य काम होता है कि वे न्यूनतम खर्चे पर सर्वश्रेष्ठ संभावित हल उपलब्ध करवाए। इस तरह वे रचनात्मक सुझाव निकालने में सक्षम हो पाते हैं। वे चिप डिजाइनिंग और फेब्रिकेटिंग के काम में शामिल होते हैं, सेटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन जैसे एडवांस्ड कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन नेटवर्क साल्यूशन, एप्लिकेशन ऑफ डिफरेंट इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में काम करते हैं और इसलिए कम्युनिकेशन इंजीनियरों की सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अच्छी खासी मांग होती है।
इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में पेशेवरों के लिए नित नए दरवाजे खुलते रहते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर टेलीकम्युनिकेशन, सिग्नल, सैटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन आदि क्षेत्रों में काम की तलाश कर सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों को टीसीएस, मोटोरोला, इन्फोसिस, डीआरडीओ, इसरो, एचसीएल, वीएसएनएल आदि कंपनियों में अच्छी खासी सैलरी पर नौकरी मिलती है।
एक सर्वे के मुताबिक इंजीनियरिंग क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है। सर्वे के अनुसार अगले 10 सालों में इंजीनियरिंग के क्षेत्र की विकास दर 13.38 प्रतिशत होगी। 2007 में हुए ग्रेजुएट एक्जिट का सर्वे कहता है कि कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग पर मंदी का असर ना के बराबर हुआ है। इस क्षेत्र में अभी भी 86 प्रतिशत इंजीनियर काम कर रहे हैं और आने वाले समय में इनकी भारी माँग रहेगी। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिक्स की रिपोर्ट का मानना है कि इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो बहुत तेजी से विकास कर रहा है।
इस क्षेत्र में इंजीनियर को 3.5 से 4 लाख रुपए प्रतिवर्ष औसतन वेतन मिल सकता है। अधिकतम वेतन 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक हो सकता है।
कम्युनिकेशन इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले छात्र इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कालीकट से प्रोफेशनल कोर्स कर सकते हैं।
आपकी सुविधाओं को हकीकत में बदलने का काम किया है इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरों ने। इनकी कला की बदौलत ही आज हर व्यक्ति पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत व चुनौतीपूर्ण है। इसके अंतर्गत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन, डिजिटल सिस्टंस, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्युनिकेशन, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। साथ ही इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल, पॉवर सिस्टम ऑपरेशंस, कम्युनिकेशन सिस्टम आदि क्षेत्रों में भी इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।
इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करना होगा। विभिन्न इंस्टिट्यूट छात्रों केलिए ढेर सारे विकल्प प्रस्तुत करता है। इस स्ट्रीम में छात्र विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं या दोहरी डिग्री भी कर सकते हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियरों का मुख्य काम होता है कि वे न्यूनतम खर्चे पर सर्वश्रेष्ठ संभावित हल उपलब्ध करवाए। इस तरह वे रचनात्मक सुझाव निकालने में सक्षम हो पाते हैं। वे चिप डिजाइनिंग और फेब्रिकेटिंग के काम में शामिल होते हैं, सेटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन जैसे एडवांस्ड कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन नेटवर्क साल्यूशन, एप्लिकेशन ऑफ डिफरेंट इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में काम करते हैं और इसलिए कम्युनिकेशन इंजीनियरों की सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अच्छी खासी मांग होती है।
इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में पेशेवरों के लिए नित नए दरवाजे खुलते रहते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर टेलीकम्युनिकेशन, सिग्नल, सैटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन आदि क्षेत्रों में काम की तलाश कर सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों को टीसीएस, मोटोरोला, इन्फोसिस, डीआरडीओ, इसरो, एचसीएल, वीएसएनएल आदि कंपनियों में अच्छी खासी सैलरी पर नौकरी मिलती है।
एक सर्वे के मुताबिक इंजीनियरिंग क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है। सर्वे के अनुसार अगले 10 सालों में इंजीनियरिंग के क्षेत्र की विकास दर 13.38 प्रतिशत होगी। 2007 में हुए ग्रेजुएट एक्जिट का सर्वे कहता है कि कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग पर मंदी का असर ना के बराबर हुआ है। इस क्षेत्र में अभी भी 86 प्रतिशत इंजीनियर काम कर रहे हैं और आने वाले समय में इनकी भारी माँग रहेगी। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिक्स की रिपोर्ट का मानना है कि इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो बहुत तेजी से विकास कर रहा है।
इस क्षेत्र में इंजीनियर को 3.5 से 4 लाख रुपए प्रतिवर्ष औसतन वेतन मिल सकता है। अधिकतम वेतन 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक हो सकता है।
कम्युनिकेशन इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले छात्र इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कालीकट से प्रोफेशनल कोर्स कर सकते हैं।
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