Sunday, October 30, 2016

केमोइन्फॉर्मेटिक में करियर



विज्ञान में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के समावेश से कई ऐसे क्षेत्र सामने आए हैंजिनमें हाल के दिनों में करियर की अच्छी संभावनाएं देखी गई हैं। खासकर बायोटेक्नोलॉजीबायोइंजीनियरिंग,बायोइन्फॉर्मेटिक आदि ऐसे क्षेत्र हैंजिनमें देश में ही नहींबल्कि देश के बाहर भी करियर के अच्छे स्कोप हैं। अब इसमें एक और नया नाम जुड़ गया है केमोइन्फॉर्मेटिक्स का। यदि आप विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नए की तलाश में हैंतो केमोइन्फॉर्मेटिक्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
 
 
क्या है केमोइन्फॉर्मेटिक?
केमिकल डाटा को कम्प्यूटर की सहायता से एक्सेस या चेंज करने का काम होता है केमोइन्फॉर्मेटिक्स में। पहले यही कार्य ढेर सारे बुकजर्नल्स और पिरिडियोकल्स की सहायता से किए जाते थे। जाहिर है यह बेहद जटिल और समय खपाऊ काम रहा होगलेकिन अब इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने इस प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है।
 
केमोइन्फॉर्मेटिक्स का प्रयोग ड्रग डिस्कवरी प्रक्रिया में होता है। इसमें शोधकर्ता अलग-अलग रसायनों का जैविक प्रभाव तलाशते हैं। किस रसायन का कैसा प्रभाव होगावह कितना खतरनाक या प्रभावी हो सकता हैइसके लिए केमिकल कंपोनेंट्स का असेसमेंटरिप्लेसमेंटडिजाइन आदि जरूरी होता है। एक खास सॉफ्टवेयर पर होने वाली इस पूरी प्रक्रिया के तहत शोधकर्ता केमिकल रिएक्शंस को देख भी सकते हैं। हालांकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल खासकर फॉर्मास्युटिकल कंपनियों में होता हैलेकिन इस खास टेक्निक का उपयोग फंक्शनल फूड बनाने के लिए न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी कर रही हैं। इससे न केवल दवा बनाने की प्रक्रिया तेज हुई है,बल्कि उसकी गुणवत्ता भी काफी एडवांस होने लगी है।
 
कितने योग्य हैं आप?
केमोइन्फॉर्मेटिक्स एक एडवांस फील्ड है और इसमें खास विषय यानी केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले कैंडिडेट्स अधिक बेहतर कर सकते हैं। चूंकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स में कम्प्यूटर पर ही सारे कार्य होते हैंइसलिए कम्प्यूटर की बेसिक समझ तो जरूर होनी चाहिए। यानी केमोइन्फॉर्मेटिक्स की फील्ड में आने के लिए साइंस बैकग्राउंड का होना जरूरी है।
 
स्टडी डेस्टिनेशन
इन दिनों ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में साइंस की बायोइन्फॉर्मेटिक्स शाखा के तहत ही केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई होती है। देश में कुछ खास शिक्षण संस्थान हैंजहां इस विषय की पढ़ाई एक नए डिसिप्लीन के तौर पर हो रही है। मसलनमालाबार क्रिश्चन कॉलेजकोझिकोड,इंस्टीट्यूट ऑफ केमोइन्फॉर्मेटिक्स स्टडीनोएडाजामिया हमदर्द डीम्ड यूनिवर्सिटीनई दिल्लीपुणे यूनिवर्सिटी आदि। और जो विदेश से केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई करना चाहते हैंतो उनके लिए भी कई विकल्प हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टरयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूके जैसी यूनिवर्सिटी में इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
 
कोर्सेज की बात
ऊपर जिन संस्थानों की चर्चा हैइनसे आप डिप्लोमा और फूल टाइम दोनों तरह के कोर्स कर सकते हैं। दो वर्षीय एमएससी कोर्स पूरा होने के बाद इन्फॉर्मेटिक्स में रिसर्च का विकल्प खुलता है। कहीं-कहीं एक वर्षीय डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा भी कराए जाते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स में एमएससी के अंतर्गत विशेष रूप से डाटा बेस प्रोग्रामिंगवेब टेक्नोलॉजीडाटा माइनिंगडाटा कलैक्शनसैंपलिंग एवं कम्प्यूटर से ड्रग डिजाइनिंग की पढ़ाई होती है। इस फील्ड के कोर्स में प्रायोगिक प्रशिक्षण और प्रबंधन संबंधी कार्य काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
 
अवसर ही अवसर
केमोइन्फॉर्मेटिक्स बेहतर दवा की खोज के लिए शोधकर्ताओं की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है,लेकिन आप सोच रहे हैं कि केवल फॉर्मा के क्षेत्र में ही विकल्प सीमित हो जाता हैतो ऐसा नहीं है। केमिकलएग्रोकेमिकलबायोटेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियां भी बेहतर कैंडिडेट की तलाश में रहती है। इसके अलावाहॉस्पिटल्सयूनिवर्सिटी रिसर्च में भी आप मौके तलाश सकते हैं।
 
एमएससी करने के बाद आपको कई तरह के पद ऑफर हो सकते हैं। लेकिन जो फ्रेश ग्रेजुएट्स हैं,उन्हें भी अच्छे पद मिल सकते हैं। वे विभिन्न कंपनियों में कम्प्यूटेशनल केमिस्टकेमिकल डाटा साइंटिस्टरेगुलेट्री अफेयर्स ऑफिसरसीनियर इन्फॉर्मेशन एनालिस्टडाटा ऑफिसरग्रेजएट आईटी ट्रेनी के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स से जुड़े कैंडिडेट की मांग विदेशी कंपनियों में भी खूब हैं।

Friday, October 28, 2016

एनजीओ में करियर

एनजीओ- नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन यानी गैर सरकारी संगठन। एनजीओ किसी मिशन के तहत चलाए जाते हैं। सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य होता है। कार्यक्षेत्र के रूप में कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति, मानवाधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल-विकास आदि में से कोई भी चुना जा सकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप नाम और दाम, दोनों कमा सकते हैं।
वह जमाना गया, जब इस क्षेत्र में आमतौर पर वे ही लोग आते थे, जो खुद के संसाधनों या सिर्फ दान वगैरह के बूते समाजसेवा करना चाहते थे। अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं। कई बार कई दूसरी नौकरियों से भी अच्छे वेतनमान पर काम यहां मिल सकता है। किसी अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में बात बन जाए तो फिर बात ही क्या है। समाज सेवा का सुकून तो इसमें है ही।
इस क्षेत्र की विशिष्टता यही है कि रोजगार का साधन होने के बावजूद समाजहित की भावना इसमें सर्वोपरि होनी चाहिए। यह उन लोगों के लिए अच्छा क्षेत्र है, जो सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों, समाज हित के विभिन्न पहलुओं पर गहरी निष्ठा, लगन और रुचि के साथ काम करना चाहते हों और सिर्फ पैसा कमाना ही जिनका मकसद न हो।
बहुत बड़ा है एनजीओ संसार
एनजीओ के प्रति आकर्षण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मौजूदा समय में हमारे देश में सक्रिय सूचीबद्घ एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के मुताबिक 33लाख के आसपास है। यानी हर 365 भारतीयों पर एक एनजीओ। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एनजीओ हैं, करीब 4.8 लाख। इसके बाद दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है। यहां 4.6 लाख एनजीओ हैं। उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख, कर्नाटक में 1.9 लाख, गुजरात व पश्चिम बंगाल में 1.7-1.7 लाख, तमिलनाडु में 1.4 लाख, उड़ीसा में 1.3 लाख तथा राजस्थान में एक लाख एनजीओ सक्रिय हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भी बड़ी तादाद में गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। दुनिया भर में सबसे ज्यादा सक्रिय एनजीओ हमारे ही देश में हैं।
धन की बात करें तो दान, सहयोग और विभिन्न फंडिंग एजेंसियों के जरिये एनजीओ क्षेत्र में अरबों रुपया आता है। अनुमान है कि हमारे देश में हर साल सारे एनजीओ मिल कर 40 हजार से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक जुटा ही लेते हैं। सबसे ज्यादा पैसा सरकार देती है। ग्यारहवीं योजना में सामाजिक क्षेत्र के लिए 18 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। दूसरा स्थान विदेशी दानदाताओं का है। सिर्फ सन् 2005 से 2008 के दौरान ही विदेशी दानदाताओं से यहां के गैर सरकारी संगठनों को 28876 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) मिले। इसके अलावा कॉरपोरेट सेक्टर से भी सामाजिक दायित्व के तहत काफी धन गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त होता है।
कैसे करें पढ़ाई
एनजीओ क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए आसानी से समझा जा सकता है कि अब एनजीओ प्रबंधन कितना महत्त्वपूर्ण काम बन चुका है। देश में कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं, जो बाकायदा एनजीओ प्रबंधन से जुड़े पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक हों तो एनजीओ प्रबंधन के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। अनुभवी एनजीओ प्रोफेशनल, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी भी अलग-अलग तरह के कोर्स कर सकते हैं। इन पाठ्यक्रमों में जिन विषयों के बारे में खासतौर से बताया जाता है, वे हैं—सामुदायिक विकास, सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन, नेतृत्वशीलता आदि। यों एनजीओ चलाने के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है, परंतु जब कार्यकुशलता, व्यवस्थित प्रबंधन की बात आती है, खासतौर से रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में, तो एनजीओ प्रबंधन से जुड़े ये कोर्स विशेष उपयोगी हो जाते हैं।
समाज कल्याण में मास्टर डिग्री (एमएसडब्ल्यू), समाजविज्ञान या ग्रामीण प्रबंध में कोई भी मास्टर डिग्री एनजीओ क्षेत्र में आगे बढ़ने की दृष्टि से उपयोगी है। समाज कल्याण में बीए, एमए या बीएसडब्ल्यू भी किए जा सकते हैं। जो युवा अध्ययन जारी रखना चाहते हैं वे एमफिल या पीएचडी भी कर सकते हैं। भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (कोलकाता), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई), दिल्ली विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय आदि डिप्लोमा और डिग्री के कई पाठय़क्रम संचालित कर रहे हैं। जो छात्र एनजीओ क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि बारहवीं के बाद समाजविज्ञान विषय क्षेत्र से कोई एक विषय चुन कर पढ़ाई करें।
मौके कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन के कोर्सों के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी, दोनों तरह के एनजीओ में काम के अच्छे अवसर हैं। ऑपरेशन एनजीओ में काम करना उनके लिए बेहतर है, जिनमें वित्त प्रबंधन, मीडिया प्रबंधन वगैरह की खास काबिलियत हो। एनजीओ एडवोकेसी का काम भी इससे कुछ अलग नहीं है, पर जो लोग सामाजिक कामों के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम बढ़िया ढंग से संभाल सकते हैं, उनके लिए यह अच्छी जगह है। कुव्वत हो तो इस क्षेत्र में काम की तमाम संभावनाएं हैं।
एनजीओ मैनेजर, कम्युनिटी सर्विस प्रोवाइडर, एनजीओ प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स और फाइनेंस मैनेजर जैसे कई रूपों में आप काम पा सकते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर, फिक्की, एसओएस विलेज, एफएआरएम, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट, प्रयास वगैरह में अच्छे वेतनमान पर काम मिल सकता है। मौजूदा समय में एड्स अवेयरनेस प्रोजेक्ट, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम, चाइल्ड एब्यूज प्रिवेंशन कमेटी स्ट्रीट चिल्ड्रन एजुकेशन, ड्रग रिहेबिलिटेशन सेंटर, सेक्स वर्कर फोरम आदि में भी काम के काफी अवसर हैं।
रोजगार की संभावना को इस बात से समझिए कि दुनिया भर में लगभग दो करोड़ ऐसे एनजीओ पेशेवर हैं, जिन्हें बाकायदा वेतन दिया जाता है। इस के अलावा उल्लेखनीय काम के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा सकता है।
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज से पढ़े हुए मैनेजमेंट प्रोफेशनल राहुल सिंह एनजीओ के क्षेत्र में युवाओं के लिए काफी बड़ी संभावनाएं देखते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में जब बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपना सामाजिक दायित्व महसूस करने लगी हैं तो ग्रासरूट एनजीओ के लिए उनका आर्थिक सहयोग भी बढ़ रहा है। उनका मानना है कि विकास के नए तौर-तरीकों के चलते हमारे मूल्यों में जिस तरह से गिरावट आ रही है, ऐसे में एनजीओ की भूमिका काफी बढ़ गई है। जाहिर है नौजवानों के लिए इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। वे कहते हैं कि बिहार जैसे राज्य में कंपनियों का जाना अब शुरू हो रहा है तो यहां जमीनी तौर पर काम कर रहे एनजीओ के लिए काफी मौके होंगे। ‘नवधान्य’ की कर्ताधर्ता डॉ. वंदना शिवा छोटे आकार वाले जमीनी तौर पर काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों में युवाओं के लिए अच्छे अवसर देखती हैं।
वेतन मिल सकता है बढ़िया
एनजीओ में काम करने वालों को मौजूदा समय में वेतन के अच्छे मौके हैं। यहां वेतन का निर्धारण इस आधार पर होता है कि कार्य का क्षेत्र कैसा है, किस प्रकार का है और उसका स्तर क्या है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय किस्म के गैर सरकारी संगठन बढ़िया वेतन दे सकते हैं। ये संगठन विश्व भ्रमण के खूब मौके उपलब्ध कराते हैं। फिलहाल काबिलियत के हिसाब से 10-15 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक का वेतन एनजीओ क्षेत्र में मिल सकता है। वेतन के अलावा विभिन्न मुद्दों पर किसी एनजीओ से प्रोजेक्ट वर्क के तौर पर रिसर्च, पुस्तक लेखन, फील्ड वर्क संबंधी कुछ काम लेकर भी धन कमाने के यहां काफी अवसर हैं।
बांध लीजिए गांठ
याद रखिए, यदि गैर सरकारी संगठनों के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है तो आप में सामूहिकता के माहौल में काम करने का अनुभव जरूर होना चाहिए। लोगों से संवाद करने, उन्हें प्रेरित करने का माद्दा तो होना ही चाहिए। स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी जैसी अंतरराष्ट्रीय संवाद की भाषा का ज्ञान आपके काम को आसान बना सकता है। यानी आप काम में कुशल हों तो इस क्षेत्र में आपका भविष्य उज्ज्वल है।
एनजीओ प्रबंधन के कोर्स कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान-
1. टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
3. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनजीओ मैनेजमेंट, नोएडा, उत्तर प्रदेश
4. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
5 अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर, तमिलनाडु
6. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
7. सेंटर ऑफ सोशल इनीशिएटिव एंड मैनेजमेंट, हैदराबाद
8. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गांधीनगर, गुजरात
9. जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, रांची 
10. ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद
अपना एनजीओ ऐसे बनाएं
एक समूह बना कर आप अपना एनजीओ बना सकते हैं। एनजीओ का निबंधन दरअसल हमारे देश में कई कानूनों के तहत होता है, जैसे कि इंडियन ट्रस्ट एक्ट (1982), पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (1950), इंडियन कंपनीज एक्ट (1956-धारा- 25), रिलीजियस एंडोमेंट एक्ट  (1863), चेरीटेबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट एक्ट (1920), मुस्लिम वक्फ एक्ट (1923), वक्फ एक्ट (1954), पब्लिक वक्फ—एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन एक्ट (1959) आदि।
वैसे हमारे देश में एनजीओ बनाना ज्यादा कठिन नहीं है। बिना लाभ-हानि के काम करने वाले एनजीओ कंपनी एक्ट धारा-25 के तहत ट्रस्ट, संस्था, सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत कराए जा सकते हैं।
खूब हैं विदेश जाने के मौके
यह ऐसा क्षेत्र है, जहां विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं। यूनिसेफ, यूनाइटेड नेशन, यूनेस्को, ओसीडी, विश्वबैंक, नाटो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेडक्रॉस, ग्रीनपीस, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट, एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन, यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन जैसी नामी संस्थाओं के अलावा दूसरी अन्य वैश्विक स्तर पर काम कर रही संस्थाओं के साथ जुड़ कर भी काम किया जा सकता है। यदि आप अपने ही देश में काम कर रहे हों तो भी विदेशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के बुलावे के तौर पर विदेश यात्रा का अवसर मिल सकता है। जो एनजीओ प्रबंधन की पढ़ाई विदेश में करके अपना करियर संवारना चाहते हैं, उनके लिए कुछ नामी विदेशी संस्थान हैं—टेंपल युनिवर्सिटी (जापान), कैस बिजनेस स्कूल (लंदन), एनजीओ मैनेजमेंट स्कूल (बेसिंस, लंदन)

Wednesday, October 26, 2016

एमएससी निरूपण विज्ञान में करियर

एमएससी निरूपण विज्ञान नए उत्पादों को तैयार करने के विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान की गहराई में की पेशकश, अभिनव इन दोनों क्षेत्रों, विशिष्ट और ब्रिटेन में अद्वितीय है, इन नई दवाओं और कंज्यूमर केयर उत्पादों, पेंट, खाद्य पदार्थ या तेजी से बढ़ उपभोक्ता वस्तुओं रहे हैं।
कार्यक्रम में आप अलग अलग-अलग सामग्री के मिश्रण से तैयार उत्पादों को बनाने के सिद्धांतों को समझने के लिए अनुमति देगा। दवा उद्योग से वर्तमान उदाहरण पर ड्राइंग, और अकादमिक स्टाफ के औद्योगिक अनुभव का उपयोग करते हैं, तो आप भी इस तरह के उपभोक्ता उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधन के रूप में तैयार करने के विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में औद्योगिक रूप से प्रासंगिक समस्याओं के लिए इन सिद्धांतों को लागू होंगे।
इस कार्यक्रम के व्यावहारिक प्रयोगशाला आधारित जांच और सेमिनारों के पूरक एक व्याख्यान श्रृंखला शामिल है। मामले के अध्ययन के लिए एक ही रास्ता है कि एक औद्योगिक सेटिंग simulates में एक टीम के हिस्से के रूप में काम कर रहे अपनी रचनात्मकता और समस्या को हल करने के लिए बढ़ाने का मौका प्रदान करते होंगे। अनुसंधान के अनुभव की विविधता के साथ कर्मचारियों के नेतृत्व में एक सुसज्जित विभाग में एक अनुसंधान परियोजना आप उपन्यास अनुसंधान बाहर ले जाने और परियोजनाओं और पालक स्वतंत्रता प्रबंधन करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए अवसर दे देंगे। डिग्री पार, आप दर्शकों की एक श्रृंखला के लिए रूपों की एक रेंज में स्पष्ट रूप से अपने विज्ञान संवाद और उभरती सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने का अवसर होगा।
डिग्री के पूरा होने पर आप एक अनुसंधान कौशल पोर्टफोलियो है कि निर्माण विज्ञान में अपने सतत व्यावसायिक विकास के लिए एक ठोस नींव के रूप में काम करेगा विकसित करना होगा।
हमारे पूर्व स्नातकों पर चले गए हैं औद्योगिक क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में सफल करियर का विकास करने के लिए, aggrochemical और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए औषधि विज्ञान से। वे प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम करने के साथ ही विशेषज्ञ उद्यमों में पनपे पर चले गए हैं। पूर्व स्नातकों को भी छात्र पीएचडी के लिए सफलतापूर्वक अध्ययन करने के लिए आगे बढ़े हैं।

अंतर्वस्तु
  • कोलाइड और योगों में संरचित सामग्री (30 क्रेडिट)
  • उपभोक्ता सामान, सौंदर्य प्रसाधन और कोटिंग्स के निरूपण (30 क्रेडिट)
  • अंग्रेजी भाषा का समर्थन (विज्ञान के स्कूल में स्नातकोत्तर छात्रों के लिए)
  • विश्लेषणात्मक तरीकों और क्यूए / क्यूसी सिद्धांतों (30 क्रेडिट)
  • परियोजना (एमएससी निरूपण विज्ञान) (60 क्रेडिट)
  • आधुनिक दवा प्रौद्योगिकी और प्रोसेस इंजीनियरिंग (30 क्रेडिट)
    प्रवेश हेतु आवश्यक शर्ते
    आवेदक होना चाहिए: आम तौर पर 2.1 या इसके बाद के संस्करण, या रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, जैव रसायन, फार्मेसी या औषधि विज्ञान या पर्याप्त अनुभव में बराबर में एक बीएससी सम्मान की डिग्री। * जो उनकी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी नहीं है, छात्र, एक अन्य मान्यता प्राप्त भाषा परीक्षण प्रणाली में 6.5 या उससे ऊपर की एक IELTS स्कोर या समकक्ष रेटिंग होनी चाहिए। * वैकल्पिक रूप से, छात्रों को ग्रीनविच अंतर्राष्ट्रीय पूर्व मास्टर्स 'कार्यक्रम के विश्वविद्यालय के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं।
    मूल्यांकन
    पाठ्यक्रम पढ़ाया परीक्षाओं का एक संयोजन, एक मामले का अध्ययन, और एक परियोजना थीसिस / शोध पत्र से मूल्यांकन कर रहे हैं।
    कैरियर विकल्पों
    इस कार्यक्रम के सफल समापन पर छात्रों को इस तरह फार्मास्यूटिकल्स, कंज्यूमर हेल्थकेयर, सौंदर्य प्रसाधन, पेंट और रसायन के रूप में तैयार करने के उद्योगों में काम करते हैं या इस तरह के एक पीएचडी के लिए के रूप में उच्च अध्ययन के लिए पर जाने के लिए सक्षम हो जाएगा।
  • Tuesday, October 25, 2016

    इकोलॉजी में करियर

    मनुष्य पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है। पर्यावरण में थोड़ी सी भिन्नता या बदलाव उसके जीवन को तेजी से प्रभावित करते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज हर देश पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। वायु, जल, ध्वनि या भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाले अनचाहे परिवर्तन मनुष्य या अन्य जीवधारियों, उनकी जीवन परिस्थितियों, औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को इसकी भयावहता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आने वाले समय में इसके और विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इकोलॉजी का अध्ययन आवश्यक है। इसके जरिए पर्यावरण के विभिन्न आयामों व उनके संरक्षण की विधिवत जानकारी मिलती है। विगत कुछ वर्षों से यह तेजी से उभरता हुआ करियर साबित हो रहा है। इससे संबंधित कोर्स में लोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही है।
    क्या है इकोलॉजी
    इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत जीवों व उनके वातावरण के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है। जीवन की अनेक जटिल वर्तमान समस्याओं का समाधान पारिस्थितिकी के अध्ययनों द्वारा हुआ है। इसमें निजी पारिस्थितिकी, समुदाय पारिस्थितिकी व इको सिस्टेमोलॉजी आदि भी शामिल हैं। इकोलॉजी को समझने के लिए मानव प्रजातियों का विधिवत अध्ययन आवश्यक है। इसके अलावा जलवायवीय कारक जैसे प्रकाश, ताप, वायु-गति, वर्षा, वायुमंडल की गैसों आदि का अध्ययन भी जरूरी है। पृथ्वी पर एक बहुत बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें समस्त जीव समुदाय सूर्य से प्राप्त ऊर्जा पर आश्रित रहते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत खाद्य श्रृंखला, खाद्य जाल, पारिस्थितिकी पिरामिड, ऊर्जा का पिरामिड, जैव मंडल, वायु मंडल आदि का अध्ययन किया जाता है।

    साइंस बैकग्राउंड होना जरूरी
    यदि कोई छात्र इकोलॉजी से संबंधित कोर्स करना चाहता है तो स्नातक में उसका साइंस बैकग्राउंड होना जरूरी है। खासकर बॉटनी, बायोलॉजी, जूलॉजी एवं फॉरेस्ट्री संबंधी विषय सहायक साबित होते हैं। इसके बाद मास्टर कोर्स में दाखिला मिलता है। यदि छात्र रिसर्च, टीचिंग तथा अन्य शोध संबंधी कार्य करना चाहते हैं तो उनके लिए मास्टर डिग्री के बाद पीएचडी करना अनिवार्य है।
    आवश्यक स्किल्स
    इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए जरूरी है कि प्रोफेशनल्स प्रकृति से प्रेम करना सीखें और उसके संरक्षण के लिए उनके दिल में दर्द हो। कार्यक्षेत्र व्यापक होने के कारण जिस क्षेत्र में जा रहे हों, उसका विस्तृत अध्ययन जरूरी है। किसी भी चीज को आंकने का कौशल व कार्यशैली उन्हें औरों से अलग करती है। इसके अलावा उनमें समस्या के त्वरित निर्धारण का गुण, कम्प्यूटर व मैथ्स की अच्छी जानकारी, प्रेजेंटेशन व राइटिंग स्किल, कार्य के प्रति अनुशासन व टीम वर्क आदि का गुण उन्हें लंबी रेस का घोड़ा बना सकता है।
    विस्तृत है कार्यक्षेत्र
    अर्बन इकोलॉजी-
    अर्बन इकोलॉजी इस क्षेत्र की सबसे नवीनतम विधा है, जिसमें इकोलॉजी का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जाता है, खासकर शहरों में रहने वाले लोगों के जनजीवन व प्राकृतिक परिदृश्य को इसमें भली-भांति परखा जाता है।
    फॉरेस्ट इकोलॉजी- इसके अंतर्गत विभिन्न प्रजातियों के पौधों, जानवरों और कीड़े-मकौड़ों का अध्ययन व उनका वर्गीकरण किया जाता है। इसके अलावा जंगलों की भूमि और वहां के वातावरण पर मनुष्य और ग्लोबल वार्मिंग के असर का अध्ययन भी करते हैं।
    मरीन इकोलॉजी- यह इकोलॉजी की ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत जलीय जन्तुओं और उसमें रहने के दौरान वातावरण के असर को समझा जाता है। इसमें चिडियाघर और एक्वेरियम सेंटर में जलीय जन्तुओं के संरक्षण पर भी काम किया जाता है।
    रेस्टोरेशन इकोलॉजिस्ट- ये प्रोफेशनल्स ऐसी जगह काम करते हैं, जहां पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में (जैसे वनों की कटान, फिर से पौधारोपण की कवायद) हो। रेस्टोरेशन इकोलॉजिस्ट प्रोजेक्ट के तहत काम करते हैं।
    वाइल्ड लाइफ इकोलॉजी- इसमें इकोलॉजिस्ट पशुओं व उनकी जनसंख्या तथा उनके संरक्षण का प्रमुखता से अध्ययन करते हैं। साथ ही यह भी ढूंढ़ते हैं कि वे कौन से कारण हैं, जिनसे उनकी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
    एन्वायर्नमेंटल बायोलॉजी- इसमें एन्वायर्नमेंटल बायोलॉजिस्ट किसी विशेष वातावरण तथा उसमें रहने वाले लोगों की शारीरिक बनावट का अध्ययन करते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा तथा उसके असंतुलन पर होने वाले दुष्परिणामों से भी लोगों को अवगत कराते हैं।
    रोजगार की संभावना
    सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद छात्रों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। हर साल इकोलॉजिस्टों की मांग बढ़ती जा रही है। कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज हैं, जहां इन प्रोफेशनल्स को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। मुख्य रूप से प्रोफेशनल्स को रिसर्च सेंटर जैसे सीएसआईआर, एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीटय़ूट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट, एन्वायर्नमेंटल अफेयर डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट, नेशनल पार्क, म्यूजियम, एक्वेरियम सेंटर में काम मिलता है। इसके अलावा कई प्राइवेट संस्थान प्राकृतिक संरक्षण के क्षेत्र में आगे आए हैं और वे भी इकोलॉजिस्ट्स को अपने यहां प्रमुखता से नियुक्त कर रहे हैं।
    इन पदों पर मिलता है काम
    रिसर्चर
    इकोलॉजी साइंटिस्ट
    नेचर रिसोर्सेज मैनेजर
    वाइल्ड लाइफ मैनेजर
    एन्वायर्नमेंटल कंसल्टेंट
    रेस्टोरेशन इकोलॉजिस्ट
    मिलने वाली सेलरी
    इसमें सेलरी की ज्यादातर रूपरेखा संस्थान, प्रोफेशनल्स की योग्यता व कार्यशैली पर निर्भर करती है। वैसे इसमें शुरुआती दौर में कोई संस्थान ज्वाइन करने पर 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभव बढ़ने के साथ ही सेलरी भी बढ़ती जाती है, जबकि किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज में टीचिंग के कार्य के दौरान उन्हें 40-50 हजार रुपए मिल जाते हैं। यदि स्वतंत्र रूप से या फिर विदेश में जॉब कर रहे हैं तो आमदनी की कोई निश्चित सीमा नहीं होती।
    एजुकेशन लोन
    इस कोर्स को करने के लिए कई राष्ट्रीयकृत बैंक देश में अधिकतम 10 लाख और विदेशों में 20 लाख तक का लोन प्रदान करते हैं। इसमें तीन लाख रुपए तक कोई सिक्योरिटी नहीं ली जाती। इसके ऊपर लोन के हिसाब से सिक्योरिटी देनी आवश्यक है। हर बैंक का अपना नियम-कानून है। बेहतर होगा कि छात्र लोन लेने से पूर्व संबंधित बैंक जाकर अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें।
    एक्सपर्ट व्यू
    समय की मांग है इकोलॉजी

    पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने तथा उसमें मौजूद जीवों व संसाधनों में संतुलन बनाए रखने की प्रक्रिया से लगभग सभी देश जूझ रहे हैं। इसके लिए वे अभियान चला कर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। इन सब कवायदों के साथ ही देश में इकोलॉजिस्टों की मांग तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा स्नातक स्तर पर पर्यावरण एक अनिवार्य विषय घोषित हो जाने से भी फैकल्टी के रूप में योग्य लोगों की आवश्यकता है। एनजीओ, वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट व सरकारी विभागों में इनकी काफी डिमांड है। एक इकोलॉजिस्ट की पहली ड्य़ूटी पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रजातियों को खोजना तथा वैज्ञानिक व व्यावहारिक सूचनाएं एकत्र करना है। इन प्रोफेशनल्स का ज्यादा समय रिसर्च, आंकड़ों का अध्ययन करने तथा रिपोर्ट तैयार करने में बीतता है। यह ऐसा क्षेत्र है, जो छात्रों से किताबी और प्रायोगिक दोनों तरह की जानकारी मांगता है। इसका विषय क्षेत्र व्यापक होने के कारण उन्हीं क्षेत्रों की ओर अपना कदम बढ़ाएं, जिनमें उनकी अधिक रुचि हो तथा जिसमें वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। आजकल इकोलॉजिस्टों के काम का दायरा काफी बढ़ गया है। वे बड़े-बड़े भूखंडों के मालिकों, उद्योगपतियों तथा वॉटर कंपनियों से जुड़ कर उन्हें सलाह देने का काम कर रहे हैं।  
    -डॉ. वंदना मिश्रा, सीनियर फैकल्टी, डीयू
    प्रमुख संस्थान
    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    वेबसाइट
    - www.jnu.ac.in
    नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ इकोलॉजी, जयपुर
    वेबसाइट
    - www.nieindia.org
    इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस (सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंस), बेंगलुरू
    वेबसाइट-
    www.ces.iisc.ernet.in
    नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ एडवांस स्टडीज, बेंगलुरू
    वेबसाइट-
    www.nias.res.in
    इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वायर्नमेंटल, नई दिल्ली
    वेबसाइट-
    www.ecology.edu

    Thursday, October 20, 2016

    फाइनांशियल मार्कीट्स में उज्ज्वल करियर

    अनेक उतार-चढ़ाव तथा रिटेल निवेशकों के निम्न आधार के बावजूद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का छठा तथा विश्व का 14वां सबसे विशाल मुद्रा बाजार है। देश में कुछ अन्य स्टॉक एक्सचेंज के अलावा दुनिया भर में अनेक स्टॉक एक्सचेंज मौजूद हैं जहां हर दिन अरबों-खरबों का लेन-देन होता है। इस क्षेत्र में कार्य करने वालों के पास उज्ज्वल करियर बनाने के असीमित अवसर होते हैं। वित्तीय सेवा पेशेवरों की मांग अब केवल स्टॉक ब्रोकरेज फर्म्स तक ही सीमित नहीं है बल्कि बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में भी उनकी काफी जरूरत होती है। 

    जानकारों की राय में 
    फाइनांशियल मार्कीट्स से संबंधित कोर्सों के तहत छात्रों को बाजार को बेहतर ढंग से समझने तथा मिलने वाले मौकों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का कौशल प्रदान किया जाता है। अनेक संस्थान इस विषय से संबंधित नवीन कोर्स शुरू कर रहे हैं जिनसे छात्रों को इस क्षेत्र के बारे में नवीनतम बदलावों से जागरूक करवाया जाता है। 

    सम्भावनाएं

    जो छात्र फाइनांशियल मार्कीट्स संबंधी कोर्स सफलतापूर्वक करते हैं वे बैंकों में इन्वैस्टमैंट बैंकर्स या रिलेशनशिप मैनेजर, इंश्योरैंस कम्पनियों में वैल्थ मैनेजर के अलावा एनालिस्ट, पोर्टफोलियो मैनेजर, सर्विलांस / कम्प्लायंस / रैगुलेशन मैनेजर, डिजीटल कंटैंट डिवैल्पर्स एवं रिस्क मैनेजर के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं। 

    शुरूआत 
    इस क्षेत्र में आमतौर पर युवाओं को बतौर एनालिस्ट नियुक्त किया जाता है। कार्पोरेट फाइनांस में वे मुख्यत: आंकड़ों का आकलन लगाने का काम करते हैं। वे फर्म्स  की फाइनांशियल रिर्पोटस का अध्ययन करते हैं। शोध में कार्य करने वाले एनालिस्ट कम्पनियों तथा सैक्टर्स की हल-चल पर नजर रखते हैं। एनालिस्ट्स को ट्रेडिंग करने की स्वीकृति नहीं मिलती जब तक वे  अपनी योग्यता एवं कौशल को पूरी तरह सिद्ध नहीं कर देते हैं क्योंकि इस काम में गलती की जरा भी गुंजाइश नहीं होती है। यहां गलती भारी नुक्सान का कारण बनती है।
     
    अनुभव हासिल करने के बाद एनालिस्ट्स को एसोसिएट के पद पर नियुक्ति मिलती है। वैसे एम.बी.ए. डिग्री धारी सीधे इस पद पर भी नियुक्ति प्राप्त करते हैं। वे अपनी टीम में काम का बंटवारा तथा निरीक्षण का काम करते हैं। इसके बाद वे वाइस प्रैजीडैंट के पद पर पदोन्नत होते हैं जो एनालिस्ट तथा एसोसिएट्स के काम पर नजर रखते हैं। वे कस्टमर्स के अधिक करीब रहते हैं। प्रतिभाशाली वाइस प्रैजीडैंट्स को एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर, फिर मैनेजिंग डायरैक्टर के पदों पर नियुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में करियर की शुरूआत करने तथा अनुभव हासिल करने के लिए बेहतर होगा कि युवा किसी कम्पनी में बतौर इंटर्न काम शुरू करें। 

    प्रमुख नियोक्ता

    बैंक, पोर्टफोलियो मैनेजर्स, ब्रोकरेज फर्म्स , कमोडिटी ट्रेडर्स, म्यूचुअल फंड्स, वैंचर कैपिटल तथा प्राइवेट इक्विटी फंड्स आदि।

    कहां से सीखें 
    - गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

    - नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फाइनांशियल मैनेजमैंट, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश

    (इन संस्थानों में फाइनांशियल मार्कीट्स में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा करवाया जाता है)

    Wednesday, October 19, 2016

    लिक्विड इंजीनियरिंग में कैरियर



    निजी कंपनियों के भारतीय पेट्रोलियम कारोबार में प्रवेश करने से लिक्विड इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए कॅरियर के और अधिक अवसर उत्पन्न होने लगे हैं... 

    लिक्विड इंजीनियरिंग का संबंध मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थों से है। इन दिनों पेट्रोलियम पदार्थों की आवश्यकता जीवन में काफी बढ़ गई है। इसके बिना कई दैनिक कार्य संभव नहीं हैं। इस क्षेत्र में भारत एशिया के तेल और प्राकृतिक गैस बाजार में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। इस समय भारत में इस क्षेत्र से लाखों लोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े हैं। 

    बढ़ती जरूरत
    हमारे देश में जिन क्षेत्रों का बहुत तेजी से विकास हो रहा है, पेट्रोलियम और ऊर्जा उनमें से एक है। भारत की बड़ी इंडस्ट्रीज में पेट्रोलियम इंडस्ट्री का क्रम सबसे ऊपर आता है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग तथा अन्य तेल कंपनियां इस क्षेत्र में भारी लाभ अर्जित रही हैं। पेट्रोलियम और विभिन्न पेट्रो प्रोडक्ट्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण इस फील्ड में कुशल पेशेवरों की काफी मांग रही है।

    कार्य प्रकृति
    तेल उद्योग को अपस्ट्रीम (अन्वेषण और उत्पादन) तथा डाउनस्ट्रीम (रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण) क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें सभी स्तरों पर कॅरियर निर्माण के शानदार अवसर उपलब्ध हैं। लिक्विड (पेट्रोलियम) उद्योग के तहत भूगर्भशास्त्रियों, जियो फिजिस्ट और पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए अपस्ट्रीम गतिविधियों एवं केमिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन और प्रोडक्शन इंजीनियरों के लिए डाउनस्ट्रीम गतिविधियों में कॅरियर के विकल्प उपलब्ध हैं। पेट्रोलियम इंजीनियर विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, ठेकेदारों और ड्रिलिंग स्टाफ के साथ मिलकर काम करते हैं। 

    कोर्स कैसे-कैसे 
    लिक्विड (पेट्रोलियम) इंजीनियरिंग के कोर्स अंडरग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर संचालित किए जाते हैं। बीटेक के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र तथा गणित विषयों में 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। एमटेक पाठ्यक्रम पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए खुला है। यह जरूरी नहीं कि इस सेक्टर का द्वार केवल पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए ही खुला है। मार्केटिंग और प्रबंधन क्षेत्र के युवाओं के लिए भी इसमें काफी अवसर हैं। 


    मौके कहां-कहां
    पेट्रोलियम से संबंधित स्नातकों के लिए कॅरियर निर्माण के तमाम उजले अवसर उपलब्ध हैं। पेट्रोलियम इंजीनियरों की बढ़ती मांग का ही परिणाम है कि इन्हें अच्छे वेतन पर आकर्षक रोजगार देने के लिए पेट्रोलियम कंपनियां हमेशा तैयार रहती हैं।

    चूंकि सारी दुनिया में सुरक्षित तथा किफायती ऊर्जा संसाधनों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए इन प्रोफेशनल की मांग का सिलसिला आगामी दशकों में भी जारी रहेगा। पेट्रोलियम उत्पादन कंपनियों, कंसल्टिंग इंजीनियरिंग कंपनियों, कुओं की खुदाई करने वाली कंपनियों के साथ-साथ ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम तथा रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स के अलावा रिसर्च और शैक्षणिक संस्थानों में आकर्षक वेतनमान पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

    इस क्षेत्र में पैसों की कोई कमी नहीं है। पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए प्रोफेशनल कॅरियर के अलावा रिसर्च के क्षेत्र में भी अच्छे अवसर हैं। वह रिसर्च लैब में बतौर साइंटिस्ट या रिसर्च फेलो के रूप में अनुसंधान तथा विकास कार्य कर सकते हैं। विदेशों, खास तौर पर खाड़ी देशों में भी पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए कॅरियर निर्माण के ढेरों अवसर मौजूद हैं। 

    मुख्य संस्थान
    राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
    इंडियन ऑयल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गुड़गांव
    इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गांधीनगर
    इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, देहरादून
    इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, गांधीनगर