समुद्र की लहरों पर अठखेलियां करने के साथ अगर आपको विदेशों की सैर करने का शौक है तो निश्चय ही आपके लिए मर्चेंट नेवी का करियर मददगार साबित हो सकती है। दरअसल यह फील्ड रोमांच और साहस से भरा होता है। पर आपके अंदर थोड़े से सब्र और साहस के साथ कुछ नया जानने व करने की ललक होनी चाहिए। अगर ऐसा है तो निश्चय ही आप मर्चेंट नेवी बनकर बुलंदियों तक जा सकते हैं। बता रहे हैं मनीष झा-
नौसेना से अलग: मर्चेंट नेवी में जहाज के सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेंट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। अक्सर लोगों को मर्चेंट नेवी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है।
क्या है मर्चेंट नेवी: मर्चेंट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड जहाज आते हैं। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। जहाज में काम करने वाले प्रफेशनल्स जहाज के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। इसके तहत बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है।
आवश्यक योग्यता: समुद्री इंजिनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं पास करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है।
रोजगार के अवसर: भारत इंटरनैशनल ट्रेड का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक रहा है। इसलिए मर्चेंट नेवी काफी डिमांड में है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में भी डिमांड है।
इनकम: शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह, लेकिन अनुभव बढऩे के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपये महीना भी कमा सकते हैं।
अधिक जानकारी: जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुंबई तथा मरीन इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट www.shipindia.com और इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in पर सर्च सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास छात्र जेईई के माध्यम से कोर्स कर सकते हैं। कुछ कोर्सेज के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य और 25 वर्ष एससी व एसटी के लिए है।
प्रशिक्षण संस्थान
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ अडवांस मरीन टाइम स्टडीज ऐंड रिसर्च, मुंबई
www.imu.tn.nic.in
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई
www.dgshipping.com
इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नै
www.imu.tn.nic.in re
मरीन इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता
www.merical.ac.in
पद और कार्य
डेक विभाग- जहाज के कप्तान, उप कप्तान, सहायक कप्तान, चालक।
उप कप्तान- जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है जो कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है।
सहायक कप्तान- फस्र्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है।
थर्ड मेट- सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना।
पायलट ऑफ शिप- जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करना।
सेरंग-डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण और सुपरवाइजरी का कार्य।
इंजन विभाग- जहाज के इंजन पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव व मरम्मत।
जहाज इंजिनियर- सभी इंजनों, बायलरों, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के संचालन की जिम्मेदारी।
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है।
नॉटिकल सर्वेयर- समंदर के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना।
रेडियो ऑफिसर- डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण।
सेवा विभाग- जहाज पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम।
कोर्सेज के स्वरूप
12वीं (साइंस)
डिग्री कोर्स: नॉटिकल साइंस ( 3 साल)
और मरीन इंजिनियरिंग (4 साल)
डिप्लोमा: 2 साल
ग्रैजुएट मकैनिकल इंजिनियर्स: 1 साल
डेक कैडेट: 3 माह
10वीं (साइंस)
प्री-सी कोर्स: 4 महीने
डेक रेटिंग: 3 महीने
इंजन रेटिंग: 3 महीने
सेलून रेटिंग: 4 महीने
-----------------
क्कष्टक्च और क्कष्टक्चरू से ओपन होता है मेडिकल का दरवाजा
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी (पीसीबी) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयलजी और मैथ्स (पीसीबीएम) की पढ़ाई करने के बाद आपके पास कई सारे विकल्प होते हैं। सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य भी कई ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। बावजूद इसके आज भी मेडिकल का एक अलग क्रेज है। शायद यही वजह जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पहले मेडिकल ऐंट्रेस को ही क्रैक करने की सोचते हैं। बता रहे हैं मनीष झा-
एमबीबीएस
बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स बायॉलजीपहली पसंद है। ऐडमिशन ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। पहले यह स्टेट लेवल पर होता था। एम्स के एंट्रेस एग्जाम के अलावा सीबीएसई द्वारा आयोजित होने वाले ऐंट्रेस एग्जाम प्रमुख है। प्राइवेट कॉलेज भी अपने-अपने तरीके से ऐडमिशन देते हैं।
बीडीएस
12वीं में बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (चार साल) का कर सकते हंै। कोर्स के साथ एक साल का इंटर्नशिप भी जुड़ा हुआ है। बीडीएस करने के बाद आप एक डेंटिस्ट के रूप में कोई अस्पताल जॉइन कर सकते हैं या फिर प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं।
बीएएमएस
फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी कर सकते हैं। यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें 1 साल का इंटर्नशिप होता है।
वेटरनेरी साइंस
देश में जानवरों के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आप बायॉलजी से 12वीं पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। डिग्री लेने के बाद सरकारी नौकरी ही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।
हेल्थकेयर / पैरामेडिकल
बायॉलजिकल साइंस के फील्ड में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े यह कोर्स आपके लिए फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, ऐग्रिकल्चर और केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करता है। सीधे मेडिकल में न जा सकने वालों के लिए यह भी एक ऑप्शन है। फिजियोथेरपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, सोनोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, एमआरई और एमएलटी जैसे जॉब्स कर सकते हैं।
माइक्रोबायॉलजी
माइक्रोऑर्गेनिज्म की पढ़ाई और उसके ऐप्लीकेशन से संबंधित इस कोर्स में नंबर और टेस्ट दो प्रोसेस के आधार पर ऐडमिशन मिलता है। सरकारी नौकरियों के अलावा फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में जॉब्स हैं। फॉर्मा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री में माइक्रोबायॉलॉजिस्ट की भारी मांग है।
क्रिमिनॉलजी
क्राइम के नेचर और कारण से जुड़े इस सब्जेक्ट को करने के बाद आप सरकारी और फॉरेंसिक लैब्स में काम करने के अलावा आप टीचिंग का भी काम कर सकते हैं।
जेनेटिक्स
रिसर्चर या जेनेटिक काउंसिलर के तौर पर काम कर सकते हैं। इस कोर्स में जीनों की बनावट और उनके काम करने के तरीके पढ़ाए जाते हैैं।
बीएससी नर्सिंग
महिलाओं के लिए यह कोर्स बेहतरीन माना जाता है। बीएससी करने के बाद सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टरों में अच्छी नौकरी है। टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर मिलता है।
फॉरेंसिक साइंस
क्राइम से जुड़ी चीजों का विश्लेषण करने में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेंसिक साइंस का कोर्स बेस्ट ऑप्शन है। आप इसे करने के बाद फॉरेंसिक साइंटिस्ट बन सकते हैं।
ऐग्रिकल्चर साइंस
खेती की बारीकियों से लेकर मार्केटिंग तक को हैंडल करना सिखाया जाता है। यह कोर्स कई सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध है। 12वीं में कम से कम 50-60 पर्सेंट अंक होना चाहिए। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर होता है।
ऐग्रिकल्चरल इंजिनियरिंग
यह सब्जेक्ट ऐग्रिकल्चर के तकनीकी पक्ष की समझ पैदा करता है। इसके तहत ऐग्रिकल्चरल मशीनरी और सिंचाई से लेकर डेयरी इंजिनियरिंग तक शामिल है। रोजगार की संभावनाएं काफी है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स
इसमें बायो केमिस्ट्री, माल्युकुलर बायॉलजी और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी शामिल है। बायॉलजी से जुड़ी समस्याओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल करके दूर किया जाता है। यह कोर्स काफी डिमांड में है।
बायोकेमिस्ट्री
जीव-जंतुओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन से जड़ा यह विषय है। केमिस्ट्री में जहां मूल रूप से शरीर के बाहर होने वाले प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, वहीं बायोकेमिस्ट्री में अंदरूनी प्रतिक्रियाओं पर फोकस होता है। फॉर्मा व फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं।
फॉर्मा कोर्सेज
देश में फॉर्मा इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास के बाद इस कोर्स की डिमांड बढ़ गई है। मार्केटिंग वाले को शुरुआत में भी अच्छे पैसे मिलते हैं।
Top Medical Colleges in Mumbai
Seth GS Medical College and KEM Hospital
Topiwala National Medical College
Grant Medical College
Padmashree Dr DY Patil Dental College and Hospital
RA Podar Ayurved Medical College
Terna Medical College
Rajiv Gandhi Medical College
Nair Hospital Dental College
Mahatma Gandhi Medical College
KJ Somaiya Medical College
1.King Edward Memorial (KEM) Hospital
Parel
Phone- 91-22-2410 7000
2.Topiwala National Medical College
Phone- 022 2308 1490
3. Grant Medical College
Sir J J Hospital, Byculla
Phone:: 022 2373 5555
4. Dr DY Patil Dental College and Hospital
CBD Belapur
Phone - 22 39486000
5. RA Podar Ayurved Medical College
Worli
Phone::: 022 2493 3533
6. Terna Medical College
Nerul, Navi Mumbai
Phone:-022 2772 0563
7. Rajiv Gandhi Medical College
Kalwa
Phone::(022) 5348790
8 Nair Hospital Dental College
Mumbai Central
Phone-:096 54 999202
9. Mahatma Gandhi Medical College
Phone: 022-27423404, 27421723, 5618116
10. v®. KJ Somaiya Medical College
Sion (East)
Phone: (022) 24020932, (022) 24020933
नौसेना से अलग: मर्चेंट नेवी में जहाज के सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेंट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। अक्सर लोगों को मर्चेंट नेवी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है।
क्या है मर्चेंट नेवी: मर्चेंट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड जहाज आते हैं। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। जहाज में काम करने वाले प्रफेशनल्स जहाज के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। इसके तहत बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है।
आवश्यक योग्यता: समुद्री इंजिनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं पास करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है।
रोजगार के अवसर: भारत इंटरनैशनल ट्रेड का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक रहा है। इसलिए मर्चेंट नेवी काफी डिमांड में है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में भी डिमांड है।
इनकम: शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह, लेकिन अनुभव बढऩे के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपये महीना भी कमा सकते हैं।
अधिक जानकारी: जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुंबई तथा मरीन इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट www.shipindia.com और इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in पर सर्च सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास छात्र जेईई के माध्यम से कोर्स कर सकते हैं। कुछ कोर्सेज के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य और 25 वर्ष एससी व एसटी के लिए है।
प्रशिक्षण संस्थान
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ अडवांस मरीन टाइम स्टडीज ऐंड रिसर्च, मुंबई
www.imu.tn.nic.in
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई
www.dgshipping.com
इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नै
www.imu.tn.nic.in re
मरीन इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता
www.merical.ac.in
पद और कार्य
डेक विभाग- जहाज के कप्तान, उप कप्तान, सहायक कप्तान, चालक।
उप कप्तान- जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है जो कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है।
सहायक कप्तान- फस्र्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है।
थर्ड मेट- सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना।
पायलट ऑफ शिप- जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करना।
सेरंग-डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण और सुपरवाइजरी का कार्य।
इंजन विभाग- जहाज के इंजन पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव व मरम्मत।
जहाज इंजिनियर- सभी इंजनों, बायलरों, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के संचालन की जिम्मेदारी।
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है।
नॉटिकल सर्वेयर- समंदर के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना।
रेडियो ऑफिसर- डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण।
सेवा विभाग- जहाज पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम।
कोर्सेज के स्वरूप
12वीं (साइंस)
डिग्री कोर्स: नॉटिकल साइंस ( 3 साल)
और मरीन इंजिनियरिंग (4 साल)
डिप्लोमा: 2 साल
ग्रैजुएट मकैनिकल इंजिनियर्स: 1 साल
डेक कैडेट: 3 माह
10वीं (साइंस)
प्री-सी कोर्स: 4 महीने
डेक रेटिंग: 3 महीने
इंजन रेटिंग: 3 महीने
सेलून रेटिंग: 4 महीने
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क्कष्टक्च और क्कष्टक्चरू से ओपन होता है मेडिकल का दरवाजा
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी (पीसीबी) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयलजी और मैथ्स (पीसीबीएम) की पढ़ाई करने के बाद आपके पास कई सारे विकल्प होते हैं। सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य भी कई ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। बावजूद इसके आज भी मेडिकल का एक अलग क्रेज है। शायद यही वजह जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पहले मेडिकल ऐंट्रेस को ही क्रैक करने की सोचते हैं। बता रहे हैं मनीष झा-
एमबीबीएस
बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स बायॉलजीपहली पसंद है। ऐडमिशन ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। पहले यह स्टेट लेवल पर होता था। एम्स के एंट्रेस एग्जाम के अलावा सीबीएसई द्वारा आयोजित होने वाले ऐंट्रेस एग्जाम प्रमुख है। प्राइवेट कॉलेज भी अपने-अपने तरीके से ऐडमिशन देते हैं।
बीडीएस
12वीं में बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (चार साल) का कर सकते हंै। कोर्स के साथ एक साल का इंटर्नशिप भी जुड़ा हुआ है। बीडीएस करने के बाद आप एक डेंटिस्ट के रूप में कोई अस्पताल जॉइन कर सकते हैं या फिर प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं।
बीएएमएस
फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी कर सकते हैं। यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें 1 साल का इंटर्नशिप होता है।
वेटरनेरी साइंस
देश में जानवरों के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आप बायॉलजी से 12वीं पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। डिग्री लेने के बाद सरकारी नौकरी ही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।
हेल्थकेयर / पैरामेडिकल
बायॉलजिकल साइंस के फील्ड में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े यह कोर्स आपके लिए फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, ऐग्रिकल्चर और केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करता है। सीधे मेडिकल में न जा सकने वालों के लिए यह भी एक ऑप्शन है। फिजियोथेरपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, सोनोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, एमआरई और एमएलटी जैसे जॉब्स कर सकते हैं।
माइक्रोबायॉलजी
माइक्रोऑर्गेनिज्म की पढ़ाई और उसके ऐप्लीकेशन से संबंधित इस कोर्स में नंबर और टेस्ट दो प्रोसेस के आधार पर ऐडमिशन मिलता है। सरकारी नौकरियों के अलावा फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में जॉब्स हैं। फॉर्मा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री में माइक्रोबायॉलॉजिस्ट की भारी मांग है।
क्रिमिनॉलजी
क्राइम के नेचर और कारण से जुड़े इस सब्जेक्ट को करने के बाद आप सरकारी और फॉरेंसिक लैब्स में काम करने के अलावा आप टीचिंग का भी काम कर सकते हैं।
जेनेटिक्स
रिसर्चर या जेनेटिक काउंसिलर के तौर पर काम कर सकते हैं। इस कोर्स में जीनों की बनावट और उनके काम करने के तरीके पढ़ाए जाते हैैं।
बीएससी नर्सिंग
महिलाओं के लिए यह कोर्स बेहतरीन माना जाता है। बीएससी करने के बाद सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टरों में अच्छी नौकरी है। टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर मिलता है।
फॉरेंसिक साइंस
क्राइम से जुड़ी चीजों का विश्लेषण करने में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेंसिक साइंस का कोर्स बेस्ट ऑप्शन है। आप इसे करने के बाद फॉरेंसिक साइंटिस्ट बन सकते हैं।
ऐग्रिकल्चर साइंस
खेती की बारीकियों से लेकर मार्केटिंग तक को हैंडल करना सिखाया जाता है। यह कोर्स कई सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध है। 12वीं में कम से कम 50-60 पर्सेंट अंक होना चाहिए। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर होता है।
ऐग्रिकल्चरल इंजिनियरिंग
यह सब्जेक्ट ऐग्रिकल्चर के तकनीकी पक्ष की समझ पैदा करता है। इसके तहत ऐग्रिकल्चरल मशीनरी और सिंचाई से लेकर डेयरी इंजिनियरिंग तक शामिल है। रोजगार की संभावनाएं काफी है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स
इसमें बायो केमिस्ट्री, माल्युकुलर बायॉलजी और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी शामिल है। बायॉलजी से जुड़ी समस्याओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल करके दूर किया जाता है। यह कोर्स काफी डिमांड में है।
बायोकेमिस्ट्री
जीव-जंतुओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन से जड़ा यह विषय है। केमिस्ट्री में जहां मूल रूप से शरीर के बाहर होने वाले प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, वहीं बायोकेमिस्ट्री में अंदरूनी प्रतिक्रियाओं पर फोकस होता है। फॉर्मा व फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं।
फॉर्मा कोर्सेज
देश में फॉर्मा इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास के बाद इस कोर्स की डिमांड बढ़ गई है। मार्केटिंग वाले को शुरुआत में भी अच्छे पैसे मिलते हैं।
Top Medical Colleges in Mumbai
Seth GS Medical College and KEM Hospital
Topiwala National Medical College
Grant Medical College
Padmashree Dr DY Patil Dental College and Hospital
RA Podar Ayurved Medical College
Terna Medical College
Rajiv Gandhi Medical College
Nair Hospital Dental College
Mahatma Gandhi Medical College
KJ Somaiya Medical College
1.King Edward Memorial (KEM) Hospital
Parel
Phone- 91-22-2410 7000
2.Topiwala National Medical College
Phone- 022 2308 1490
3. Grant Medical College
Sir J J Hospital, Byculla
Phone:: 022 2373 5555
4. Dr DY Patil Dental College and Hospital
CBD Belapur
Phone - 22 39486000
5. RA Podar Ayurved Medical College
Worli
Phone::: 022 2493 3533
6. Terna Medical College
Nerul, Navi Mumbai
Phone:-022 2772 0563
7. Rajiv Gandhi Medical College
Kalwa
Phone::(022) 5348790
8 Nair Hospital Dental College
Mumbai Central
Phone-:096 54 999202
9. Mahatma Gandhi Medical College
Phone: 022-27423404, 27421723, 5618116
10. v®. KJ Somaiya Medical College
Sion (East)
Phone: (022) 24020932, (022) 24020933