Thursday, July 28, 2016

पेशेवर पायलट: रोमांचक करियर

पायलट ’ शब्द जोखिम, ग्लैमर, विशेष भत्तों और ऊंची उड़ान से जुड़ा है। वस्तुत: इस करियर में अत्याधिक आकर्षण है, जबकि अन्य सामान्य नौकरियों में इसका अभाव है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सफलता की ऊंची उड़ान भरने के लिए इच्छुक पायलट को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसमें बहुत कम लोग सफल हो पाते हैं।

  पायलट के लिए आवश्यक गुणः-
अगले पांच वर्षों के भीतर वाणिज्यिक पायलट की आवश्यकता दोगुनी हो जाएगी। व्यावसायिक (पेशेवर) पायलट का कार्य काफी मानसिक दबाव वाला होता है, क्योंकि उसके कंधों पर सैकड़ों यात्रियों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे पायलट को केवल उड़ान प्रक्रिया से ही भली-भांति परिचित नहीं होना चाहिए बल्कि उसे मौसम-विज्ञान, वायु-संचालन, अत्याधिक अधुनातन उपकरण व यांत्रिकी की जटिलताओं का भी ज्ञान होना चाहिए।
  
इसके अतिरिक्त सफल पायलट बनने के लिए आपके पास समुचित मानसिक योग्यता एवं शीघ्र प्रतिक्रिया करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उच्च स्तरीय मानसिक योग्यता के बलबूते पर पायलट को तूफान, एयर ट्रैफिक नियंत्रण से संपर्क टूट जाने पर अचानक यांत्रिक रुकावट तथा विमान अपहरण जैसे खतरों से बचाव के लिए तुरंत निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके बाद पायलट के प्रशासनिक अनुसूचियों से संबंधित कार्य आते हैं।

जिम्मेदारियां:- 

इन्हें उड़ान की समय सारणी, रिफ्यूलिंग अनुसूची, फ्लाइट पाठ्यक्रम आदि तैयार करने होते हैं। उड़ान से पहले पायलट और उनके समूह को मौसम-विज्ञान को पढ़ना, उपकरण की स्थिति, वायुदाब और वायुयान के भीतर का तापमान दो बार जांचना पड़ता है।

ये लोग विमान की यांत्रिक एरोनॉटिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। पायलट को यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि वायुयान का भार समुचित रूप से संतुलित तथा इष्टतम है। दूसरे शब्दों में, पायलट सुचारु उड़ान, यात्रा एवं विमान उतरने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है।

इसके कार्यक्षेत्र में सहायक पायलट, कर्मीदल की संक्षिप्त जानकारी देना शामिल है। वह रिफ्यूलिंग और कार्गो/सामान रखने (लोडिंग) का पर्यवेक्षण करता है। पायलट को उड़ान के दौरान तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है। विमान के उपकरण अति आधुनिक होते हैं और जरा सी त्रुटि जानलेवा साबित हो सकती है।

पायलट को यंत्रों एवं नियंत्रण बोर्ड पर प्रस्तुत डाटा का विश्लेषण करना पड़ता है। वह अति आधुनिक कम्प्यूटर की सहायता से यह कार्य करता है। उड़ान के सर्वाधिक जटिल पहलू- उड़ान भरना तथा जमीन पर उतरना है।

वेतनः-

पायलट को उड़ान के दौरान मौसम की स्थितियों या तकनीकी रुकावटों के आधार पर समायोजन करना होता है। वाणिज्यिक पायलट का प्रारंभिक वेतन काफी अच्छा होता है। यह राशि एयरलाइन और उड़ान घंटों पर निर्भर करती है। बाद में आय की कोई सीमा नहीं है।

उच्च वेतन के अलावा पायलट अनेक विशेष सुविधाओं का भी हकदार है, जैसे ड्यूटी के समय नि:शुल्क आवास सुविधा, उसके एवं परिवार के लिए बिना टिकट विश्व में कहीं भी घूमने की सुविधा आदि।

चूंकि पायलट का कार्य जटिलता से भरा होता है, अत: उसमें आत्मविश्वास, धर्य एवं शांत स्वभाव जैसे गुण होने चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य, आरोग्यता, सामान्य नेत्र दृष्टि आदि महत्वपूर्ण अर्हताएं हैं। वाणिज्यिक उड़ान का लाइसेंस लेना इच्छुक/भावी पायलट की पूर्व अपेक्षा है।

लाइसेंसः-

विद्यार्थी पायलट लाइसेंस किसी पंजीकृत उड़ान क्लब से लेना चाहिए। यह क्लब वाणिज्यिक विमानन के महानिदेशक कार्यालय से जुड़ा होता है। एसपीएल लेने के बाद आप निजी पाइलट का लाइसेंस लेते हैं, इसके बाद वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) मिलता है।

योग्यता व प्रशिक्षणः- 


सीपीएल वाणिज्यिक पायलट की अंतिम पात्रता है। एसपीएल प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में फ्लाइंग क्लबों द्वारा आयोजित सैद्धांतिक परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा में वायु-नियंत्रण, विमानन-मौसम विज्ञान, वायु-संचालन आदि विषय शामिल हैं। 
प्रत्याशी की आयु सोलह वर्ष हो तथा उसने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो। इन मूलभूत शर्तों के अलावा प्रत्याशी को चिकित्सा प्रमाण-पत्र देना होता है, साथ ही सुरक्षा संबंधी अनुमति एवं 10,000 की बैंक गारंटी देनी होती है। प्रत्याशियों को परीक्षा से एक मास पूर्व अपना नाम लिखाना पड़ता है। लिखित परीक्षा में चयन हो जाने पर उन्हें साक्षात्कार देना होता है। दोनों स्तरों पर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चिकित्सा परीक्षा ली जाती है।

वायुसेना की केंद्रीय चिकित्सा स्थापना बेंगलूरु के पास आरोग्यता प्रमाण-पत्र देने का अंतिम प्राधिकार है। चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद व्यक्ति को एसपीएल मिलता है। एसपीएल मिलने के बाद शिक्षक द्वारा प्रारंभिक फ्लाइंग प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें पंद्रह घंटे की उड़ानें शामिल हैं। इसके बाद प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से हवाई जहाज उड़ाता है। कुल साठ घंटे की अवधि तक उड़ान भरना जरूरी है, जिसमें से बीस घंटे अकेले उड़ान भरनी है तथा पांच घंटे क्षेत्र से पार उड़ान भरनी होती है।

पीपीएल की पात्रता सत्रह वर्ष की आयु तथा +2 परीक्षा है। पी.पी.एल. प्राप्त करने के बाद ही सी.पी.एल. मिल सकता है। अधिकांश फ्लाइंग क्लब एक सौ नब्बे घंटे का व्यावहारिक उड्डयन अनुभव प्रदान करते हैं, जिसमें यथा विनिर्दिष्ट अकेले फ्लाइंग से लेकर क्षेत्र पार मापन यंत्र (इंस्ट्रूमेंट) तथा रात के दौरान उड़ान भरना शामिल है। सीपीएल की परीक्षा के बाद प्रत्याशी को दो सौ पचास घंटे की फ्लाइंग पूरी करनी होती है, जिसमें पीपीएल के साठ घंटे शामिल हैं।

डीजीसीए के अनुसार अपेक्षित है कि सीपीएल आवेदक के पास लाइसेंस की बोली (बिड) की तारीख तक कम से कम छह मास में दस घंटों का फ्लाइंग अनुभव होना चाहिए। इन दस घंटों की फ्लाइंग में कम से कम पांच घंटे रात्रि की उड़ानें हों और दस उड़ानें भरने तथा जमीन पर जहाज उतारने का अनुभव हो।

भारत में दो प्रमुख एयरलाइंस हैं-इंडियन एयरलायंस, जो घरेलू सरकारी एयरलायंस है तथा दूसरी एयर इंडिया है। इसके अलावा निजी घरेलू एयरलाइंस हैं, जैसे -जैट एयरवेज और सहारा। इन एयरलाइंस के अलावा यूनाइटेड एयरलाइंस, लुफ्थांसा, केएलएमजेएएल जैसी अन्य विश्व की प्रमुख एयरलाइंस हैं। भारत में वाणिज्यिक पायलट की रोजगार संभावनाएं काफी व्यापक हैं।

संस्थानः-

भारत में निम्नलिखित फ्लाइंग संस्थान हैं: 
पूर्वी क्षेत्र


1. फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बेहाला, कोलकाता - 700 060
2. जमशेदपुर को-ऑपरेटिव फ्लाइंग क्लब लि., सांसी हवाई अड्डा, जमशेदपुर
3. बिहार फ्लाइंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, पटना
4. गवर्मेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, भुवनेश्वर
5. असम फ्लाइंग क्लब, गुवाहाटी एयरपोर्ट, गुवाहाटी, असम

पश्चिमी क्षेत्र 

1. मुंबई फ्लाइंग क्लब, जुहू एयरोड्रॉम, सांताक्रूज (पश्चिम) मुंबई
2. राजस्थान स्टेट फ्लाइंग स्कूल, सांगनेर एयरपोर्ट, जयपुर
3. नागपुर फ्लाइंग क्लब, सोनगांव एयरोड्रॉम, नागपुर
4. फ्लाइंग क्लब, सिविल एयरोड्रॉम, हांसी रोड, वड़ोदरा
5. अजंता फ्लाइंग क्लब, औरंगाबाद

उत्तरी क्षेत्र

1. स्कूल ऑफ एविएशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी दिल्ली फ्लाइंग क्लब लिमिटेड, सफदरजंग एयरपोर्ट, नई दिल्ली
2. गवर्मेंट फ्लाइंग क्लब, एयरोड्रॉम, लखनऊ
3. स्टेट सिविल एविएशन, उ.प्र. गवर्मेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर, कानपुर और वाराणसी
4. पटियाला एविएशन क्लब, पटियाला पंजाब
5. एम.पी. फ्लाइंग क्लब, सिविल एय रोड्रॉम, भोपाल
6. करनाल एविएशन क्लब, कुंजपुर रोड, करनाल हरियाणा

दक्षिणी क्षेत्र

1. गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, जाकुर एयरोड्रॉम, बेंगलूरु
2. आंध्र प्रदेश फ्लाइंग क्लब, हैदराबाद एयरपोर्ट
3. मद्रास फ्लाइंग क्लब लि. सिविल एयरपोर्ट, चेन्नई
4. कोयंबतूर फ्लाइंग क्लब लि., सिविल एयरोड्रॉम, कोयम्बतूर
5. करेल एविएशन ट्रेनिंग सेंटर, सिविल एयरोड्रॉम, फेहाह, तिरुवनंतपुरम

निजी फ्लाइंग स्कूल

1. उड़ान, इंदौर
2. अहमदाबाद एविशन अकादमी
3. ऑरिएंट फ्लाइट स्कूल, सेंट थॉमस माउंट, मद्रास
4. बेंगलूरु एयरोनॉटिक्स एंड टेक्निल सर्विस, बेंगलूरु

Tuesday, July 26, 2016

सुगंध चिकित्सा में करियर

करियर के क्षेत्र में आ रहे बदलावों के चलते आज ऐसे विकल्पों का बोलबाला है, जो अपने आप में विशेषज्ञता रखते हैं। यह विकल्प पूरी तरह से प्रोफेशनल होते हैं। इन्हीं में से एक विकल्प है सुगंध चिकित्सा (स्मैल थैरेपी) का। ब्रिटेन और यूरोप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद सुगंध चिकित्सा ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। 

जहाँ तक भारत की बात की जाए तो हमारी सभ्यता में प्राचीनकाल से ही सुगंध चिकित्सा का बोलबाला रहा है। भारत इत्र, सुगंधित तेलों और इनका उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री का अपना एक विशेष महत्व है। आयुर्वेद में सुगंधित तेलों से शरीर की मालिश करने की विधि का उपयोग होता है इसके अलावा इत्र, धूप, अगरबत्ती जैसी वस्तुएँ भी भारतीय सभ्यता से बहुत लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। 

आज सुगंध चिकित्सा न सिर्फ इलाज, बल्कि रोजगार के लिहाज से भी भारत में व्यापक संभावनाओं भरे विकल्प के तौर पर विकसित हो रही है। 

नेचुरल चीजों के प्रति बढ़ते रुझान के कारण आज सेहत सुधार में भी सुगंध चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाने लगा है। भारत में सुगंध चिकित्सा के माध्यम से प्रकृति की ओर वापसी की धारणा को फिर से प्रचलित करने का श्रेय अगर किसी को दिया जाए तो इस कतार में शहनाज हुसैन, ब्लॉसम कोचर और भारती तनेजा जैसे नाम उभकर सामने आते हैं, जिन्होंने आम आदमी को ऐसे विकल्प दिए, जिनके चलते वह एक बार फिर से प्राकृतिक उत्पादों में विश्वास करने लगा है। 

प्रकृति के प्रति इसी लगाव के कारण आज भारत के प्राकृतिक उत्पादों की माँग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब देखने को मिल रही है। वर्तमान में आलम यह है कि विज्ञान के विकास के चलते आज यह क्षेत्र बेहद विस्तृत हो गया है और एक इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो चुका है। 

आज भारी संख्या में लोग अपनी बीमारियों का इलाज प्राकृतिक सुगंध चिकित्सा में खोज रहे हैं। आम और खास आदमी की इसी बढ़ती रूचि के कारण सुगंध चिकित्सा आज एक रोजगार विकल्प का रूप ले चुकी है। 


सुगंध चिकित्सा के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण आज देश के कई शिक्षण संस्थानों ने इस विद्या का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है। आज न केवल सरकारी, बल्कि कई गैर सरकारी संस्थान भी सुगंध चिकित्सा से जुड़े डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स चला रहे हैं। इन संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया उसी तरह की होती है, जैसे कि अन्य प्रोफेशनल या परंपरागत कोर्सों के लिए होती है।  
इस थेरेपी से जुड़े सर्टिफिकेट स्तर के पाठक्रम में दाखिले के लिए शैक्षणिक योग्यता बारहवीं है। लेकिन अगर आप डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं तो अधिकांश शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आवेदक के पास बारहवीं कक्षा में रसायन विज्ञान विषय होना जरूरी है। सुगंध चिकित्सा के कई प्रोफेशनल पाठक्रमों में केवल कैमिस्ट्री विषय के साथ स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है।

सुगंध चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त कर आप एक सुगंध चिकित्सक के रूप में कार्य कर सकते हैं। प्रशिक्षण के उपरांत आप सुगंध चिकित्सक, सुगंधित पदार्थ विक्रेता, परामर्शदाता, सुगंधित पदार्थ के उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस तरह अगर सही मायनों में देखें तो यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपको अपनी क्षमताओं और रुचि के अनुसार काम करने का मौका मिलता है। 

सुगंध चिकित्सा का कोर्स करने के उपरांत वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल कर इलाज करने वाले अस्पतालों, अनुसंधान और विकास संगठन, सुगंधित तेल का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली कंपनियों, स्पा सेंटर, पांच सितारा होटलों, खानपान के क्षेत्र में, औषधि और पौष्टिक आहार बनाने वाली कंपनियों तथा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में रोजगार की बहुत उजली संभावनाएं हैं। 
किसी प्रतिष्ठित संस्थान से सुगंध विज्ञान में प्रशिक्षण लेने के बाद सुगंध चिकित्सक के रूप में स्वयं का क्लिनिक शुरू किया जा सकता है, जिसमें सौंदर्य की साज-संभाल के अलावा अन्य रोगों का इलाज किया जा सकता है। सुगंध चिकित्सक के अलावा आप सुगंधित पदार्थ परामर्शदाता और इसके उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। 

कहाँ से करे कोर्स-

शहनाज हुसैन वुमंस इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ब्यूटी, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली।

पिवोट पाइंट ब्यूटी स्कूल, कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली।

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट सर्विस, आकाशदीप बिल्डिंग, नई दिल्ली।

सुगंध और स्वाद विकास केंद्र, मार्कण्ड नगर, कन्नौज, उत्तर प्रदेश ।

केलर एजुकेशन ट्रस्ट, वीजी वूसे कॉलेज, मुंबई।

Monday, July 25, 2016

कंप्यूटर इंजीनियर के क्षेत्र में करियर

कंप्यूटर इंजीनियरिंग उन विषयों में से है, जिनमें आज छात्रों का रुझान सबसे ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह इस क्षेत्र में बहुत अधिक नौकरियों का होना है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग दो विषयों पर आधारित है- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर। इंजीनियर इन दोनों के ज्ञान का उपयोग कंप्यूटर का डिजाइन तैयार करने और उसे विकसित करने में करते हैं। जो इंजीनियर कंप्यूटर के उपकरण तैयार करते हैं, वे हार्डवेयर इंजीनियर होते हैं और जो कंप्यूटर के चलाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम तैयार करते हैं, वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर होते हैं।
कंप्यूटर इंजीनियर के कार्य
हार्डवेयर इंजीनियर को कंप्यूटर के सभी पार्ट्स की जानकारी होना आवश्यक है। सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन की जानकारी, पार्ट्स रिपेयरिंग, कंप्यूटर का रखरखाव और कंप्यूटर के साथ जुड़ी अन्य चीजों की जानकारी जैसे प्रिंटर, सीपीयू, मॉडम इत्यादि की जानकारी होनी आवश्यक है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर सॉफ्टवेयर्स की प्रोग्रामिंग और डिजाइनिंग करते है। कंप्यूटर में इंस्टॉल किए जाने वाले सभी सॉफ्टवेयर्स को सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही बनाते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर को हार्डवेयर्स के बारे में अतिरिक्त जानकारी हो सकती है। किसी भी सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट, ऑपरेशन और मेंटिनेंस का काम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के अंतर्गत आता है। इसके अलावा इसमें सॉफ्टवेयर रिक्वायरमेंट, कंस्ट्रक्शन और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग भी शामिल किए जाते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में इतनी सारी चीजें शामिल होने की वजह से इस फील्ड में रोजगार की संभावनाएं दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं।
कंप्यूटर इंजीनियर कैसे बनें
कंप्यूटर इंजीनियर बनने के लिए बीटेक/बीई कंप्यूटर साइंस आदि कोर्स करने की आवश्यकता होती है। लेकिन कई अन्य तरीकों से भी कंप्यूटर क्षेत्र में जाया जा सकता है। ऐसे में आप कंप्यूटर बेसिक लेवल कोर्स शुरू कर सकते हैं या फिर ओ लेवल कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इसके बाद आप कंप्यूटर प्रोग्राम में डाटा एंट्री करने में सक्षम हो जाएंगे। आगे ट्रेनिंग लेकर आप कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में भी जॉब हासिल कर सकते हैं। प्रोग्रामिंग जॉब में आप प्रोग्राम को लिखने और टेस्टिंग का काम करेंगे तथा इंप्लिमेंटिंग फेज में आप यूजर की सहायता करेंगे। यदि आप कुछ कंप्यूटर भाषाओं और टेक्नोलॉजी जैसे सी, सी प्लस प्लस, जावा, कोबोल आदि में दक्ष हो जाते हैं तो आप कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में सुनहरा भविष्य बना सकते हैं।
डोएक के ए लेवल तथा बी लेवल कोर्स ग्रेजुएशन डिग्री के बराबर ही हैं। इन कोर्सों में ऑपरेटिंग सिस्टम्स जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट एक्सप्लोरर, फोटोशॉप आदि एप्लीकेशन्स के डेवलपमेंट के बारे में सीखते हैं। इन सबको करने के बाद आप नई तथा विकसित टेक्नोलॉजी में काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में करियर संभावनाओं के लिए आप अपनी रुचि तथा योग्यता के अनुसार कई अन्य प्रोग्राम्स, लैंग्वेजिज तथा टेक्नोलॉजी सीख सकते हैं, जिसके बाद आप सिस्टम एनालिस्ट, सिस्टम प्रोग्रामर, एनालिस्ट प्रोग्रामर, डाटाबेस मैनेजमेंट, नेटवर्किंग, कोडर आदि क्षेत्रों में काम कर सकते हैं।
स्किल्स
लॉजिकल दिमाग तथा एकाग्रता के साथ सीखने की चाहत इस क्षेत्र में प्रवेश करने की न्यूतम जरूरत है।
रचनात्मक क्षमता होना बेहद जरूरी है।
मैथ्स में मजबूत होना जरूरी है।
नई तकनीक और अन्य चीजों के प्रति जागरूक होना जरूरी है।
काम में एकाग्रता होनी चाहिए।
तार्किक क्षमता का होना और प्रयेागधर्मी होना भी जरूरी है।
कोई नया प्रोग्राम बनाने की क्षमता।
अंतिम निर्णय तक जाने की क्षमता।
संभावनाएं
नेटवर्किंग इंजीनियर, सिस्टम डिजाइनर, सिस्टम एनालिस्ट, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इंजीनियर के लिए भारत में अपार अवसर हैं। इसके अलावा विदेश में भी भारतीय कंप्यूटर इंजीनियर्स की काफी मांग है।
देश में इस क्षेत्र में कुशल इंजीनियर्स की मांग में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी के अवसर तो मौजूद हैं ही, साथ ही आप खुद का व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। कंपनियां अपनी जरूरतों के हिसाब से सॉफ्टवेयर डेवलप कराती हैं, इसलिए हर फील्ड में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की डिमांड बढ़ गई है।
कुछ प्रमुख संस्थान
आईआईटी, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, मुम्बई, बैंगलोर, रुड़की
बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नालॉजी एंड साइंस, पिलानी, राजस्थान
वैल्लोर इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नालॉजी, वैल्लोर, तमिलनाडु
बैंगलोर इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू
नेताजी सुभाष इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
योग्यता
इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ 10वीं परीक्षा में पास होना जरूरी है। बैचलर डिग्री कोर्स, बीई/बीटेक के लिए साइंस में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, और गणित में 50 फीसदी के साथ 12वीं पास होना जरूरी है।
प्रवेश प्रक्रिया
विभिन्न राज्यों की यूनिवर्सिटीज और आईआईटी कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीई, बीटेक प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित करती हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए बैचलर डिग्री पास होना जरूरी है। एमटेक/एमई में दाखिला लेने के लिए बीटेक/बीई में 60 फीसदी अंकों की जरूरत होती है। आईपी यूनिवर्सिटी में इंटर ग्रेजुएट लेवल प्रोग्राम में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होते हैं। आईआईटी छात्रों को ग्रेजुएट एप्टीटय़ूड टेस्ट फॉर इंजीनियर्स के आधार पर स्नातकोत्तर के लिए प्रवेश मिलता है। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, कंप्यूटर सिस्टम एनालिस्ट और डेटा बेस डेवलपर के लिए कंप्यूटर इंजीनियरिंग या कंप्यूटर साइंस में डिग्री जरूरी है।
कोर्स समय सीमा
12वीं के बाद बीटेक करने के लिए 4 साल का समय लगता है या फिर ग्रेजुएशन के बाद 3 साल की एमसीए भी की जा सकती है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की अवधि 3 साल है। बीई/बीटेक कंप्यूटर साइंस की अवधि चार साल है। एमई/एमटेक कोर्स 2 साल का है।
कोर्स
डिप्लोमा इन कंप्यूटर्स, एडवांस डिप्लोमा इन कंप्यूटर्स, बीएससी कंप्यूटर साइंस, बीटेक इन कंप्यूटर साइंस, बीसीए, एमसीए, एमटेक। आप विभिन्न संस्थानों से डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं।
सेलरी
बीसीए कोर्स के बाद 5-6 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। बीटेक छात्रों को 10 से 35 हजार रुपए तक सेलरी मिलती है। एमसीए करने के बाद शुरुआती सेलरी 15 से 50 हजार के बीचमिलती है। पब्लिक सेक्टर में कंपनियां शुरुआत में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को 10,000 से 20,000 रुपए प्रति महीना सेलरी देती हैं। निजी कंपनियों में एक योग्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुरुआत में 20,000 से 25,000 रुपए प्रति महीना सेलरी पा सकता है। अनुभव के आधार पर वह 50,000 से 1 लाख रुपए प्रति माह सेलरी भी प्राप्त कर सकता है।

Saturday, July 23, 2016

हार्डवेयर, नेटवर्किग में करियर

कम्प्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल और इंटरनेट विस्तार ने उन लोगों के लिए नौकरियों के असीमित अवसर पैदा किए हैं जिनकी रुचि कम्प्यूटर्स में है। वर्चुअल दुनिया में कम्प्यूटर की भूमिका काफी एडवांस्ड हो चुकी है, जहां अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग प्रोफेशनल्स की जरूरत है। इन्हीं कामों के बीच हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग एक ऐसा फील्ड है, जो कुशल कम्प्यूटर प्रशिक्षितों के लिए बेहतर अवसर पैदा कर रहा है।
ऐसे समझें हार्डवेयर और नेटवर्किंग को
दो या अधिक कम्प्यूटर सिस्टम्स के समूह को डेटा और इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए जोड़ने का काम कम्प्यूटर नेटवर्किंग में शामिल होता है। कम्प्यूटर हार्डवेयर रिसर्च और कम्प्यूटर नेटवर्क डेवलपमेंट कंट्रोल से जुड़े प्रोफेशनल्स को हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग इंजीनियर्स कहा जाता है। ये हार्डवेयर की मैन्यूफैक्चरिंग और इंस्टॉलेशन को डिजाइन और सुपरवाइज करने का काम भी करते हैं।
वर्तमान में नेटवर्किंग कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, बायोमेडिसिन, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन, सुपर कम्प्यूटिंग और डिफेंस के फील्ड में क्रांति ला रही है। ईथरनेट से जुड़े सेंसर्स और कंट्रोलर्स के आने के बाद कंपनियां अपने फैक्ट्री फ्लोर को एग्जीक्यूटिव ऑफिस और अन्य क्षेत्रों में बदल रही हैं। यही वजह है कि हार्डवेयर और नेटवर्किंग का क्षेत्र करियर के विकल्प के तौर पर प्रोफेशनल्स को काफी आकर्षित कर रहा है।
क्या है बेसिक योग्यता
इस फील्ड के लिए कम्प्यूटर साइंस/इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक्स/टेलीकम्यूनिकेशन में डिग्री/ डिप्लोमा और उसके बाद कम्प्यूटर हार्डवेयर का कोर्स बेसिक योग्यता है। अगर इंजीनियरिंग का बैकग्राउंड नहीं है, लेकिन कम्प्यूटर फंडामेंटल्स की अच्छी जानकारी है तो भी आप इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं।
उच्च पदों के लिए इन डिग्रियों के अलावा नियोक्ता आपसे ग्लोबल स्टैंडर्डस पर मान्य सर्टिफिकेट्स की भी मांग कर सकते हैं जैसे माइक्रोसॉफ्ट का एमसीएसई, सिस्को का सीसीएनए या सीसीएनपी या सीसीआईई, नॉवल का सीएनई, यूनिक्स एडमिन, लाइनेक्स आदि।
काम के अवसर

टेलीकम्यूनिकेशन और नेटवर्किंग में हो रही तेज ग्रोथ के कारण विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर कम्प्यूटर नेटवर्किंग की अच्छी जानकारी रखने वाले प्रोफेशनल्स की मांग जोरों पर है और वैश्विक स्तर पर यह पाया गया है कि नेटवर्किंग प्रोफेशनल्स की जितनी मांग की जा रही है आपूर्ति उससे कहीं कम है।
हार्डवेयर नेटवर्किंग प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने वाली कुछ जानी-मानी कंपनियां हैं - एसर इंडिया (प्रा) लिमिटेड, केसियो इंडिया कंपनी, माइक्रोचिप टेक्नोलॉजिज इंडिया, कोमार्को वायरलेस टेक्नोलॉजिज, ह्यूलेट पैकार्ड एंड इंटेल कॉर्पोरेशन।
यहां से करें पढ़ाई
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडैक), इंडियन स्कूल ऑफ नेटवर्किग एंड हार्डवेयर टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली जेटकिंग एप्टेक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट।

Friday, July 22, 2016

मॉडलिंग में बनाएं करियर

इस क्षेत्र में काफी युवा अपना करियर तलाश रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। लेकिन मॉडलिंग की दुनिया में कैसे कदम बढ़ाएं, इस बारे में एक्सपर्ट क्या कहते हैं, बता रहे हैं संतोष सिंह
क्या आपके दोस्त आपको ‘मॉडल’ कह कर हल्की-फुल्की छेड़छाड़ करते हैं? अगर हां तो उनकी इस प्यार-भरी छेड़छाड़ को गंभीरता से लीजिए। हो सकता है आप में एक सफल मॉडल बनने के तमाम गुण मौजूद हों और आप अपनी इस प्रतिभा से बेखबर हों। अगर ऐसा है तो मॉडलिंग के क्षेत्र में आप निश्चित ही सफलता पा सकते हैं, बशर्ते आप में कठिन परिश्रम के साथ एक दीवानापन भी हो। यह दीवानगी आपको दौलत के साथ-साथ शोहरत भी दिलवा सकती है। लेकिन मॉडलिंग एक दिन की कला नहीं है। अभ्यास से ही इसे निखारा जा सकता है। दरअसल यह फील्ड शुद्घ रूप से आपके व्यक्तित्व (पर्सनेलिटी) से ही जुड़ी हुई है। यहां आप अपने आपको कैसे पेश करते हैं, यह ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है।
क्या गुण होने चाहिए?
आपका चेहरा फोटोजेनिक होना चाहिये। प्रारम्भ में मॉडलों का चयन फोटो देख कर ही किया जाता है। उसके बाद रैम्प पर उतरने के पूर्व कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसमें व्यक्तित्व को खास रूप से परखा जाता है। अच्छी हाइट, फिटनेस, फिगर एवं खूबसूरत चेहरा होने के साथ ही ‘प्लीजिंग’ एवं ‘स्माइलिंग पर्सनेलिटी’ भी इस क्षेत्र में लुभाने की क्षमता रखती है। मॉडलिंग में ‘बॉडी लेंग्वेज’ का भी खास महत्त्व होता है। आपकी हर अदा को मॉडलिंग के दौरान परखा जाता है।
शुरुआत कैसे करें?
स्कूल-कॉलेज में आयोजित मिस्टर फ्रेशर, मिस्टर कॉलेज, मिस कैम्पस जैसी छोटी-मोटी सौन्दर्य प्रतियोगिताओं से आप शुरुआत कर सकते हैं। यहां आपके व्यक्तित्व को बखूबी परखा जाता है। इसके लिये आपको हर क्षेत्र की पर्याप्त जानकारी भी होनी चाहिए। ‘प्रेजेन्स ऑफ माइंड’ भी यहां महत्त्वपूर्ण होता है। मॉडलिंग के लिए सबसे पहले एक पोर्टफोलियो की जरूरत पड़ती है। एक अच्छा फोटोग्राफर ऐसा फोलियो बना देता है। इस पर आने वाला खर्च लगभग 20 हजार रुपये हो सकता है। एक पेशेवर मॉडल बनने के लिए काफी पैसा खर्च होता है।
मॉडलिंग में स्थापित होने के लिए क्या करें?
मॉडलिंग एक कला है और किसी काल को किसी संस्था विशेष से नहीं सीखा जा सकता। वे मॉडल, जिनमें जन्मजात प्रतिभा होती है, उन्हें किसी खास ग्रूमिंग की जरूरत नहीं होती। हां, व्यावहारिक अनुभवों के साथ ही कई कोर्स इस दिशा में लाभ जरूरत पहुंचा सकते हैं। किसी कुशल कोरियोग्राफर का साथ एक मॉडल को उन्नति के शिखर पर पहुंचा सकता है। वही मुख्य रूप से गाइड करता है कि मॉडल की भूमिका क्या होगी। रैम्प पर चलने के लिए विशिष्ट वॉक (कैटवॉक) को निखारने की जिम्मेदारी भी उसकी होती है। मॉडलिंग के लिये आकर्षक फिगर के लिये जिम का सहारा लिया जा सकता है। ‘पर्सनेलिटी ग्रूमिंग’ एवं ‘ब्यूटी कल्चर’ का कोर्स भी इस क्षेत्र में सफलता का साधन बन सकता है। मॉडलिंग में कामयाब होने के लिए आपका सम्पर्क विज्ञापन-मॉडलिंग एजेन्सियों एवं मॉडल कोऑर्डिनेटरों से भी होना चाहिए। ‘ईवेन्ट मैनेजमेन्ट ग्रुप’ से आपका परिचय भी जरूरी है।
मॉडलिंग का भविष्य
मॉडलिंग इंडस्ट्री में सौन्दर्य प्रतियोगिताओं का खास स्थान है। पहले फैमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता होती थी, अब ग्रासिम मिस्टर इंडिया, ग्लैडरैग्स, मिसेज इंडिया, मेट्रोपॉलिटन टॉप मॉडल जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अलावा मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स, मिस इंडिया, एशिया पेसिफिक, ग्रासिम मिस्टर इंटरनेशनल जैसी अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो रही हैं। मॉडलों के लिए अन्तरराष्ट्रीय बाजार में भी सुनहरे अवसर उपलब्ध कराने वाले अनेक दरवाजे खुले हैं।
फिल्म इंडस्ट्री की पुरानी मान्यता थी कि सफल मॉडल एक अच्छा एक्टर या एक्ट्रेस नहीं बन सकता, मगर सुपर मॉडलों ने इस मान्यता को तोड़ कर फिल्म इंडस्ट्री में भी अपने कदम जमा लिये।
ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा, जॉन अब्राहम, अर्जुन रामपाल, डिनो मोरिया- इन सभी मॉडलों ने मॉडलिंग को एक नया आयाम प्रदान किया है, जिससे मॉडलिंग का भविष्य अब पहले की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित हो गया है।
प्रमुख संस्थान
कैटवॉक,
हौजखास एन्क्लेव, नई दिल्ली
द रैम्प
गुलमोहर पार्क,नई दिल्ली
प्लेटिनम मॉडल्स,
शिवालिक,नई दिल्ली
अदिति मॉडलिंग सर्विस
बेंग्लुरू
ओजोन मॉडल्स मैनेजमेंट
सान्ता क्रूज (पश्चिम), मुम्बई
वाईएसजी वर्ल्डवाइड मॉडल एण्ड प्रमोशन एजेंसी
मुम्बई
एजुकेशन लोन
आमतौर पर इसके लिए एजुकेशन लोन नहीं मिलता, पर कुछ निजी कंपनियां आपके टेलेंट को देख कर आपके साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन कर सकती हैं।
कुछ कॉरपोरेट घराने न्यू कमर्स को प्रमोट करने के लिए मॉडलिंग सौन्दर्य प्रतियोगिता में विजयी लोगों को सपोर्ट भी करते हैं, लेकिन यह सपोर्ट विशुद्घ व्यावसायिक होती है।
संभावनाएं
मॉडलिंग एक अल्पकालीन पेशा है। एक निश्चित उम्र और समय तक ही आप मॉडलिंग कर सकते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है। एक मॉडल भविष्य में मॉडल कोऑर्डिनेटर बन कर इस इंडस्ट्री में जम सकता है और मॉडलिंग और फैशन से जुड़े इंस्टीट्यूट भी खोल सकता है, जहां भावी मॉडल्स को सफलता के नये-नये गुर सिखा कर अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।
आय
कम समय में जितना ज्यादा फेम और पैसा मॉडलिंग पेशे में है, उतना किसी और लाइन में नहीं। पुराने स्थापित मॉडलों को चन्द मिनटों में ही ढाई लाख से अधिक रुपये मिलते हैं, जबकि तीन-चार साल पुराने जमे मॉडल भी एक लाख से भी अधिक कमा लेते हैं। जो बिल्कुल नये हैं, लेकिन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें भी 50-60 हजार मिल जाते हैं। कुल मिला कर आपकी प्रसिद्घि ही मॉडलिंग इंडस्ट्री में आपकी कीमत तय करती है।
एक्सपर्ट व्यू
शौकिया मॉडल्स की अब इंडस्ट्री को जरूरत नहीं
इस क्षेत्र का व्यापक विस्तार हो रहा है, इसलिये पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आएं।
परवेज के., फैशन फोटोग्राफर और कोऑर्डिनेटर
परवेज क़े ने आज से 10 साल पहले एक फैशन फोटोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने मॉडल कोऑर्डिनेटर के रूप में खुद की पहचान बना ली। परवेज के आज स्थापित फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर हैं। शुरुआती दौर में परवेज ने फैशनिस्ता मॉडलिंग एंड फैशन इंस्टीटय़ूट के साथ काफी काम किया। धीरे-धीरे इन्होंने देश के जाने-माने फैशन मॉडल्स अमित रंजन, मींटू तोमर, सिद्घान्त, साहिबा सिंह, सोनल सिंह जैसे जाने-माने मॉडलों के साथ काम किया। परवेज देश-विदेश के कई जाने-माने ब्रांड, इगले शूज, कनेडियन ब्रांड गोर्गी के साथ भी काम कर चुके हैं।
इस क्षेत्र में फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर की क्या भूमिका होती है?
मॉडल को बनाने में फैशन फोटोग्राफर और मॉडल कोऑर्डिनेटर की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मॉडल कोऑर्डिनेटर जहां एक फ्रैशर मॉडल को काम दिलाने में सहायक की भूमिका निभाता है, वहीं फैशन फोटोग्राफर उसका एक अच्छा पोर्टफोलियो बना देता है, ताकि मॉडल को काम मिलना शुरू हो जाये। मॉडल का सिर्फ अच्छा दिखना ही काफी नहीं है, उसे प्रोफेशनली खुद को ‘कैरी’ करना भी आना चाहिए।
मॉडलिंग के लिए युवाओं को कैसे तैयारी करनी चाहिए?
मॉडलिंग के क्षेत्र में आने वाले युवाओं को मैं यही कहना चाहूंगा कि अब इस क्षेत्र का व्यापक विस्तार हो रहा है, इसलिये पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आएं। शौकिया मॉडल्स की अब इंडस्ट्री को जरूरत नहीं है। अब हमें भी अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी प्रोफेशनल्स की जरूरत है।

Wednesday, July 20, 2016

जैव प्रौद्योगिकी में कैरियर


जैव प्रौद्योगिकी, नाम सुझाव देते हैं के रूप में, जीव विज्ञान और प्रौद्योगिकी है कि शामिल है गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरी, जैव रसायन, इम्यूनोलॉजी, जेनेटिक्स, कृषि आदि सहित विषयों की एक सरणी का एक संयोजन है। इस फील्ड में बैक्टीरिया या एंजाइमों जैसे अन्य जैविक पदार्थों और अन्य जीवित कोशिकाओं इस्तेमाल कर रहे हैं और विभिन्न प्रौद्योगिकियों के एक मिश्रण लागू कर रहे हैं एक साथ उन पर एक विशिष्ट उत्पाद के उत्पादन के लिए या इसे पर में सुधार करने के लिए। कैरियर जैव प्रौद्योगिकी में भारत और विदेशों में सबसे अधिक आशाजनक कैरियर विकल्पों में से एक है। आगामी नई प्रौद्योगिकियों के साथ, जैव प्रौद्योगिकी काम पाप स्वास्थ्य देखभाल, दवा और R&D को शामिल किया गया। चूंकि, यह से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया जा सकता, कृषि चिकित्सा, पोषण, पर्यावरण संरक्षण, पशु विज्ञान आदि, इसके दायरे को काफी विस्तृत है. 

चूंकि यह एक वैज्ञानिक शोध उन्मुख क्षेत्र है, यह समझ के रूप में अच्छी तरह से प्रबंधकीय पता है कि कैसे प्रौद्योगिकी का सही मिश्रण की आवश्यकता है। जबरदस्त नौकरी के अवसर इस फील्ड में नहीं सिर्फ भारत में हैं लेकिन विदेश में भी। वास्तव में, पिछले दशक में, संभावनाओं के जैव प्रौद्योगिकी में कई गुना वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में एक उल्लेखनीय वृद्धि है। अच्छा अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ, अच्छी तरह से विकसित उद्योगों, प्रशिक्षित जनशक्ति, सुसज्जित भारत जैव प्रौद्योगिकी नौकरियों के लिए एक गर्म स्थान बन गया है। एक दवा कंपनियों, कृषि और रासायनिक उद्योगों में एक उच्च भुगतान नौकरी के लिए तत्पर कर सकते हैं। मुख्य रूप से, अनुसंधान, उत्पादन और नियोजन के क्षेत्रों में नौकरियाँ कर रहे हैं। वहाँ पर्याप्त रोजगार के अवसरों में विभिन्न सरकार के रूप में अच्छी तरह के रूप में निजी विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधान वैज्ञानिकों या सहायक के रूप में कर रहे हैं. 

विभिन्न क्षेत्रों में, जैव प्रौद्योगिकी विभिन्न अनुप्रयोग है: दवा और हेल्थकेयर नौकरियाँ में, जैव प्रौद्योगिकी आवेदन बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी आवेदन के उपयोगी अनुप्रयोग नई दवाओं, टीकों और निदान के विकास के लिए नेतृत्व किया गया। न सिर्फ इस, अभिनव और उल्लेखनीय काम biotechnologists के भी सुधार और निदान, और एक अस्तित्वहीन रोग का इलाज करने के नए तरीके की नई विधियों के नवाचार करने के लिए नेतृत्व किया गया। के बाद से यह कभी भी विकसित हो रहा है, वहाँ बहुत कुछ नवाचार और जैव प्रौद्योगिकी में एक R&D नौकरी में नए मैदान को तोड़ने के लिए एक गुंजाइश है. 

फिर औद्योगिक अनुसंधान और विकास, आता है जहां दोनों सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों अच्छी नौकरी के अवसरों के लिए biotechnologists की पेशकश। इस क्षेत्र में अनुसंधान उत्पादकता में वृद्धि, उत्पादन और संरक्षण के ऊर्जा में सुधार, प्रदूषण और औद्योगिक गतिविधियों के द्वारा उत्पादित अपशिष्ट को कम करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, वहाँ स्थानों है कि रासायनिक प्रक्रियाओं, जेनेटिक इंजीनियरिंग, कपड़ा विकास, कॉस्मेटिक विकास आदि बाहर ले जाने पर लिया जा करने के लिए काम कर रहे हैं. 

कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में भी, जैव प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, वहाँ हमेशा नए तरीके से इस क्षेत्र में सुधार करने के लिए मांगी हैं। Biotechnologists प्रमुख सुधारित पैदावार और नए प्रथाओं है कि और अधिक समय और लागत प्रभावी रहे हैं करने के लिए इस क्षेत्र में पथ-विराम प्रगति की है। बीजों, कीटनाशकों और उर्वरकों की गुणवत्ता काफी, biotechnologists के लिए धन्यवाद सुधार किया गया है। इसलिए, इस क्षेत्र में अच्छा जैव प्रौद्योगिकी नौकरियों होते हैं। पशुपालन के क्षेत्र में, जैव प्रौद्योगिकी पशु प्रजनन में सुधार करने के लिए नेतृत्व किया गया। डेयरी और मांस उत्पादों के उत्पादन में सुधार हुआ है क्योंकि मोटे तौर पर अनेक प्रकार के आनुवंशिक रूप से इंजीनियर और उच्च उपज पशु नस्लों जैव प्रौद्योगिकी में नए शोध के साथ आए हैं. 

जैव प्रौद्योगिकी आवेदन भी पर्यावरण के लिए प्रासंगिक है। पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ, जैव प्रौद्योगिकी हमारे पर्यावरण की रक्षा के उपायों को विकसित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए आ गया है। पर्यावरण के क्षेत्र में, एक biotechnologist का काम भी शामिल है औद्योगिक वायु प्रदूषण का स्तर, मलजल अपशिष्ट, आदि की रीसाइक्लिंग के लिए औद्योगिक अपशिष्ट का इलाज की जाँच.  

जेनेटिक इंजीनियरिंग एक बहुत ही लोकप्रिय क्षेत्र जहां biotechnologists तैनात कर रहे हैं है। जीनों के व्यापक अध्ययन के साथ, जेनेटिक इंजीनियरिंग एक बंद शूट के जैव प्रौद्योगिकी के बन गया है। यहाँ, नौकरी भी शामिल है एक और एक प्रजाति से रियर संकर या जीनों का स्थानांतरण द्वारा नई प्रजाति के लिए आनुवंशिक प्रयोगों का आयोजन. 

एक biotechnologist के लिए एक स्वास्थ्य देखभाल, दवा या R&D नौकरी पाने के लिए, यह एक निश्चित व्यक्तित्व लक्षण प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण है। कड़ी मेहनत और मन की एक स्वाभाविक रूप से वैज्ञानिक तुला के साथ खुफिया के उच्च स्तर के लिए एक उत्साह है एक चाहिए। इन, दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति पैदा करने के लिए नए नवाचारों, दृढ़ता, कल्पना, लंबा, मौलिकता, घंटे के लिए काम करने की क्षमता से अलग टीम भावना रहे हैं कुछ महत्वपूर्ण लक्षण है कि एक सफल biotechnologist प्रदर्शित करना चाहिए। जैव प्रौद्योगिकी कि एक का पीछा कर सकते हैं और इस क्षेत्र में एक सफल कैरियर को आगे बढ़ाने में विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों रहे हैं.

Saturday, July 16, 2016

केमिस्ट्री अच्छे अवसर

साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में कॅरिअर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परम्परागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा(साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी/बीएससी(ऑनर्स)डिग्री कोर्स चुन सकते हैं। आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनऑर्गनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोकेमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पॉलिमर केमिस्ट्री, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल बायोकेमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
 ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैम्पस प्लेसमेंट आयोजित रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रहा है अाैर इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद् को बढ़िया पैकेज मिल रहा है।
लाइफ स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ स्टाइल प्रॉडक्ट्स जिनमें काॅस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशन्स केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। 
ह्यूमन हेल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पाॅलिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है।
जॉब प्रोफाइल
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रॉडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटेरियल टेक्नोलाॅजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रॉडक्शन आॅफिसर और सेफ्टी हेल्थ एंड इन्वाइरॅनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मैन्यूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मैन्यूफैक्चरिंग, टैक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
>>यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई
>>दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
>>सेंट जेवियर्स काॅलेज, मुम्बई
>>कोचीन यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी, केरल
>>इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी, खड़गपुर
>>लोयोला काॅलेज, चेन्नई

Thursday, July 14, 2016

ओशनोग्राफी में करियर का रोमांच

आपको जोखिम लेना पसंद है और लीक के हटकर कुछ करने की चाहत है, तो आप ओशनोग्राफी के फील्ड में कदम रख सकते हैं। ओशनोग्राफी का आशय समुद्र विज्ञान से है। इसके अंतर्गत समुद्र तथा इसमें पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के बारे में अध्ययन किया जाता है। वैसे, यह तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी के दो-तिहाई से अधिक हिस्से में समुद्र है। दरअसल, यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी, मेटियोरोलॉजी और फिजिक्स के सिद्धांत लागू होते हैं। यह एक रोमांच से भरा क्षेत्र है, जहां आपको हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।

क्वालिफिकेशन
विज्ञान विषयों जुड़े स्टूडेंट्स ओशनोग्राफी का कोर्स कर सकते हैं। इसके हर क्षेत्र में गणित की जरूरत पड़ती है, लेकिन मैरीन रिसर्च के लिए पोस्ट ग्रेजुएट या डॉक्टरेट की उपाधि होना जरूरी है। इसके अधिकतर कोर्स तीन वर्षीय होते हैं। समुद्र विज्ञान असल में एक अंत: विषयक अध्ययन है, जिसमें जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान तथा मौसम विज्ञान को भी काफी हद तक शामिल किया जाता है।

यह मूलत: शोध एवं अनुसंधान पर आधारित प्रोफेशनल विषय है। इसमें अधिकांश समय समुद्र की लहरों एवं प्रयोगशाला में व्यतीत होता है। अन्य विषयों की भांति इस क्षेत्र में भी उपशाखाएं मौजूद हैं और युवा अपनी दिलचस्पी के अनुसार करियर निर्माण के लिए इनका चयन कर सकते हैं। इन उपशाखाओं में प्रमुख हैं : समुद्री जीव विज्ञान, भूगर्भ समुद्र विज्ञान, रासायनिक समुद्र विज्ञान आदि। महत्व की दृष्टि से किसी भी उपशाखा को कम करके नहीं आंका जा सकता है।


पर्सलन स्किल
महासागरों के बारे में जानने और नया खोजने की उत्सुकता, सी वर्दीनेस (ओशन सिकनेस न होना), शारीरिक क्षमता, सहनशीलता, अकेलेपन और बोरियत के बीच मानसिक संबल बनाए रखना, टीम में काम करने के लिए सही माहौल बनाए रखना आवश्यक है। इन सबके अलावा तैराकी और डाइविंग में प्रशिक्षित होना यहां की प्राथमिक योग्यताओं में शामिल है।

वर्क प्रोफाइल
विकासशील देशों के लिए ओशनोग्राफी का काफी महत्व है। इस क्षेत्र में काम करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह उन लोगों का स्वागत करता है जिन्हें समुंद्र अपार गहराई से के बारे में जानने और सीखने की जिज्ञासा है। इनके कार्य में नमूने चुनना, सर्वे करना और अत्याधुनिक उपकरणों से डाटा का आकलन करना शामिल है। इस क्षेत्र में काम करने वालों को ओशनोग्राफर कहा जाता है। इनके काम में पानी के घुमाव और बहाव की दिशा, उसकी फिजिकल व केमिकल सामग्री के आकलन का कार्य शामिल है। इससे यह भी पता चलता है कि इनका तटीय इलाकों, वहां के मौसम और आबोहवा पर क्या असर होता है।

इस क्षेत्र से ज्यादातर केमिस्ट, फिजिसिस्ट, बायोलॉजिस्ट और जियोलॉजिस्ट जुड़े रहते हैं, जो अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल ओशन स्टडीज में करते हैं। यह पूरी तरह अध्ययन से जुड़ा क्षेत्र है। ऐसे में इस काम को करने के लिए समुद्र में लंबा वक्त गुजारना पड़ सकता है। इसके लिए मानसिक स्तर पर मजबूती की जरूरत होती है। इस काम में थोड़ा अनुभव होने के बाद अधिकांश लोगों को उनकी विशेषज्ञता के अनुरूप अलग-अलग तरह का काम सौंपा जाता है। जिसमें मैरीन बायोलॉजी, जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी, फिजिकल ओशनोग्राफी और केमिकल ओशनोग्राफी शामिल है।

केमिकल ओशनोग्राफी- यहां पानी के संयोजन और क्वालिटी का आकलन होता है। यह समुद्र की तलहटी में होने वाले केमिकल रिएक्शन पर नजर रखते हैं। इनका मकसद ऐसी टेक्नोलॉजी भी खोज निकालना है जिससे समुद्र से महत्वपूर्ण बातें पता लगाई जा सकें। बढ़ते प्रदूषण के चलते इनके काम की चुनौतियां और बढ़ती जा रही हैं। आज कल समुंद्र में आर्थिक हलचल की वजह से केमिकल ओशनोग्राफर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है।

जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी- जियोलॉजिकल और जियोफिजिकल ओशनोग्राफर्स सी-फ्लोर की वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगाने का काम करते हैं। समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले खनिजों की जानकारी भी यहीं से पता लगती है। यही लोग पता लगाते हैं कि समुद्र की भीतरी चट्टानें किस तरह और कितने समय के अंतराल में बनी हैं।

फिजिकल ओशनोग्राफी- फिजिकल ओशनोग्राफी समुद्र के अध्ययन की विधा है। फिजिकल ओशनोग्राफर्स तापमान, लहरों की गति व चाल, ज्वार, घनत्व और करंट का पता लगाते हैं। यह ऐसा कार्यक्षेत्र है जहां समुद्र, मौसम और आबोहवा तीनों का जुड़ाव होता है।

मैरीन बायोलॉजी- समुद्र की अतल गहराइयों में बसने वाले जीव-जंतुओं की अपनी एक अलग रंग-बिरंगी दुनिया होती है। ये जीव-जंतु हमारे लिए कितने और कैसे उपयोगी हो सकते हैं, इनसे जुडे विभिन्न पहलुओं का अध्ययन मैरीन बायोलॉजिस्ट ही करते हैं। इस विषय के अध्ययन से कई क्षेत्रों में अनगिनत लाभ मिलते हैं। मैरीन बायोलॉजिस्ट की मदद से ही आज कई कंपनियां तेल और गैस के स्त्रोतों का पता लगा पाने में सक्षम साबित हो रही हैं। उल्लेखनीय है कि भारत का समुद्री तट भी करीब सात हजार किलोमीटर में फैला हुआ है। इस तरह देखा जाए, तो समुद्री संसाधनों की हमारे देश में भी कोई कमी नहीं है। समुद्री लहरों के साथ गोते लगाकर और सागर की अतल गहराई में इन संसाधनों की खोज करना न केवल बेहद रोमांचक है, बल्कि देश और करियर के लिहाज से भी बेहतर है।

रोजगार की संभावनाएं
ओशनोग्राफर्स निजी, सार्वजनिक और कई सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिक, इंजीनियर या तकनीशियन बतौर नौकरी पा सकते हैं। सरकार से जुड़े जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मेटिरियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और डिपार्टमेंट ऑफ ओशनोग्राफी में रोजगार की संभावनाएं मौजूद हैं। निजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों, मैरीन इंडस्ट्री या इस क्षेत्र से जुड़ी रिसर्च संबंधी संस्थाओं में भी रोजगार के बेहतर विकल्प हैं। देश में समुद्र विज्ञान विभाग, ऑयल इंडिया, भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग, समुद्र आधारित उद्योगों आदि में बतौर वैज्ञानिक, इंजीनियर अथवा तकनीकी प्रशिक्षित व्यक्ति के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।


सैलरी पैकेज
पोस्ट ग्रेजुएट के बाद इस क्षेत्र में करियर की शुरुआत करने पर 15-20 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। पीएचडी डिग्रीधारियों का वेतन शुरुआती दौर में 15-25 हजार रुपये हो सकता है। हालांकि हर कंपनियों में सैलरी स्ट्रक्चर अलग-अलग होती है।


इंस्टीट्यूट वॉच
u गोवा यूनिवर्सिटी, गोवा
www.goauniversity.org

u यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास
www.unom.ac.in

u कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी, कोच्चि
www.cusat.ac.in

u मैंगलौर यूनिवर्सिटी
www.mangaloreuniversity.ac.in

u उत्कल यूनिवर्सिटी
www.utkal-university.org

u अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
www.annamalaaiuniversity.ac.in

u भावनगर यूनिवर्सिटी, गुजरात
www.bhavuni.edu

u कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी, केरल
www.cusat.ac.in

u पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, पांडिचेरी
www.pondiuni.org

u बरहामपुर यूनिवर्सिटी, उडीसा
www.bamu.nic.in

Wednesday, July 13, 2016

आर्ट रेस्टोरेंट में कॅरियर

दुनियाभर में किसी भी देश की विरासत संपन्नता इतनी नहीं है जितनी भारत की है। हमारे देश की विरासत को देखने दुनियाभर से लोग आते है और यहां के ऐतिहासिक स्थलों की प्रशंसा करते नही थकते है।
वहीं विरासत की सार-संभाल करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन आप भी इनकी देखरेख में अपना योगदान देकर आर्ट रेस्टोरेशन में अपना क्रियर बना सकते है।
 आर्ट रेस्टोरेशन प्रोफेशनल पेंटिंग का ही एक अलग रूप है, जिसमें पुरानी हवेलियों या किलों की खराब हो चुकी आर्ट को फिर से नया बनाया जाता है। प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां, पेंटिंग्स आदि किसी भी देश की अमूल्य धरोहर समझी जाती है। कलाकृतियों के संरक्षण और रख-रखाव का काम आर्ट रेस्टोरेंट द्वारा किया जाता है।
शैक्षिक योग्यता:
आर्ट रेस्टोरर बनने के लिए फाइन आर्ट और रसायन विज्ञान में स्नातक होना अनिवार्य है। इस क्षेत्र में दो साल का मास्टर डिग्री कोर्स कराया जाता है। जिसके तहत पेंटिंग रेस्टोरेशन, मेटल वर्क, टेक्सटाइल, पेपर वर्क और मैन्यूस्क्रिप्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है।
 कंजर्वेशन में मास्टर डिग्री कोर्स करने के लिए केमिस्ट्री, जियोलॉजी, फिजिक्स, बॉटनी, जूलोजी, कंप्यूटर साइंस, फाइन आर्ट्स, हिस्ट्री, हिस्ट्री ऑफ आर्ट, आर्कियोलॉजी, म्यूजियोलॉजी में से किसी एक विषय में ग्रेजुएट की डिग्री होनी आवश्यक है।
कॅरियर संभानाएं:
ऐतिहासिक इमारतों को संजोकर रखने में पुरातत्व विभाग के रेस्टोरर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रेस्टोरेशन का काम सिर्फ सरकारी विभागों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसने एक उद्योग का रूप ले लिया है. इस कोर्स को करने के बाद आपको आर्ट गैलरी, म्यूजियम सहित कई जगहों पर काम मिल जाता है।
शुरू में आपको अनुभव हासिल करने के लिए किसी अच्छे आर्ट रेस्टोरर के साथ काम करना पड़ सकता है। कुछ साल का अनुभव होने के बाद आप अपना प्राइवेट वर्क भी शुरू कर सकते हैं।
प्रमुख संस्थान:
नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
सिंहगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चरर, पुणे
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हैरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, दिल्ली
नेशनल रिसर्च लैबोरेटरी फॉर कंजरवेशन ऑफ कल्चरल प्रॉपर्टी, लखनऊ

Monday, July 11, 2016

मर्चेंट नेवी बनकर करे लहरों से अठखेलियां

समुद्र की लहरों पर अठखेलियां करने के साथ अगर आपको विदेशों की सैर करने का शौक है तो निश्चय ही आपके लिए मर्चेंट नेवी का करियर मददगार साबित हो सकती है। दरअसल यह फील्ड रोमांच और साहस से भरा होता है। पर आपके अंदर थोड़े से सब्र और साहस के साथ कुछ नया जानने व करने की ललक होनी चाहिए। अगर ऐसा है तो निश्चय ही आप मर्चेंट नेवी बनकर बुलंदियों तक जा सकते हैं। बता रहे हैं मनीष झा- 
नौसेना से अलग: मर्चेंट नेवी में जहाज के सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेंट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। अक्सर लोगों को मर्चेंट नेवी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है। 
क्या है मर्चेंट नेवी: मर्चेंट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड जहाज आते हैं। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। जहाज में काम करने वाले प्रफेशनल्स जहाज के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। इसके तहत बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है। 
आवश्यक योग्यता: समुद्री इंजिनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं पास करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है। 
रोजगार के अवसर: भारत इंटरनैशनल ट्रेड का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक रहा है। इसलिए मर्चेंट नेवी काफी डिमांड में है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में भी डिमांड है। 
इनकम: शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह, लेकिन अनुभव बढऩे के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपये महीना भी कमा सकते हैं। 
अधिक जानकारी: जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुंबई तथा मरीन इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट www.shipindia.com और इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in पर सर्च सकते हैं। 
शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास छात्र जेईई के माध्यम से कोर्स कर सकते हैं। कुछ कोर्सेज के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य और 25 वर्ष एससी व एसटी के लिए है। 
प्रशिक्षण संस्थान 
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ अडवांस मरीन टाइम स्टडीज ऐंड रिसर्च, मुंबई 
www.imu.tn.nic.in 
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई 
www.dgshipping.com 
इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नै 
www.imu.tn.nic.in 
मरीन इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता 
www.merical.ac.in 

पद और कार्य 
डेक विभाग- जहाज के कप्तान, उप कप्तान, सहायक कप्तान, चालक। 
उप कप्तान- जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है जो कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है। 
सहायक कप्तान- फस्र्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है। 
थर्ड मेट- सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना। 
पायलट ऑफ शिप- जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करना। 
सेरंग-डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण और सुपरवाइजरी का कार्य। 
इंजन विभाग- जहाज के इंजन पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव व मरम्मत। 
जहाज इंजिनियर- सभी इंजनों, बायलरों, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के संचालन की जिम्मेदारी। 
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है। 
नॉटिकल सर्वेयर- समंदर के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना। 
रेडियो ऑफिसर- डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण। 
सेवा विभाग- जहाज पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम। 
कोर्सेज के स्वरूप 
12वीं (साइंस) 
डिग्री कोर्स: नॉटिकल साइंस ( 3 साल) 
और मरीन इंजिनियरिंग (4 साल) 
डिप्लोमा: 2 साल 
ग्रैजुएट मकैनिकल इंजिनियर्स: 1 साल 
डेक कैडेट: 3 माह 
10वीं (साइंस) 
प्री-सी कोर्स: 4 महीने 
डेक रेटिंग: 3 महीने 
इंजन रेटिंग: 3 महीने 
सेलून रेटिंग: 4 महीने 
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क्कष्टक्च और क्कष्टक्चरू से ओपन होता है मेडिकल का दरवाजा 
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी (पीसीबी) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयलजी और मैथ्स (पीसीबीएम) की पढ़ाई करने के बाद आपके पास कई सारे विकल्प होते हैं। सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य भी कई ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। बावजूद इसके आज भी मेडिकल का एक अलग क्रेज है। शायद यही वजह जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पहले मेडिकल ऐंट्रेस को ही क्रैक करने की सोचते हैं। बता रहे हैं मनीष झा- 
एमबीबीएस 
बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स बायॉलजीपहली पसंद है। ऐडमिशन ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। पहले यह स्टेट लेवल पर होता था। एम्स के एंट्रेस एग्जाम के अलावा सीबीएसई द्वारा आयोजित होने वाले ऐंट्रेस एग्जाम प्रमुख है। प्राइवेट कॉलेज भी अपने-अपने तरीके से ऐडमिशन देते हैं। 
बीडीएस 
12वीं में बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (चार साल) का कर सकते हंै। कोर्स के साथ एक साल का इंटर्नशिप भी जुड़ा हुआ है। बीडीएस करने के बाद आप एक डेंटिस्ट के रूप में कोई अस्पताल जॉइन कर सकते हैं या फिर प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं। 
बीएएमएस 
फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी कर सकते हैं। यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें 1 साल का इंटर्नशिप होता है। 
वेटरनेरी साइंस 
देश में जानवरों के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आप बायॉलजी से 12वीं पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। डिग्री लेने के बाद सरकारी नौकरी ही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। 
हेल्थकेयर / पैरामेडिकल 
बायॉलजिकल साइंस के फील्ड में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े यह कोर्स आपके लिए फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, ऐग्रिकल्चर और केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करता है। सीधे मेडिकल में न जा सकने वालों के लिए यह भी एक ऑप्शन है। फिजियोथेरपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, सोनोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, एमआरई और एमएलटी जैसे जॉब्स कर सकते हैं। 
माइक्रोबायॉलजी 
माइक्रोऑर्गेनिज्म की पढ़ाई और उसके ऐप्लीकेशन से संबंधित इस कोर्स में नंबर और टेस्ट दो प्रोसेस के आधार पर ऐडमिशन मिलता है। सरकारी नौकरियों के अलावा फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में जॉब्स हैं। फॉर्मा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री में माइक्रोबायॉलॉजिस्ट की भारी मांग है। 
क्रिमिनॉलजी 
क्राइम के नेचर और कारण से जुड़े इस सब्जेक्ट को करने के बाद आप सरकारी और फॉरेंसिक लैब्स में काम करने के अलावा आप टीचिंग का भी काम कर सकते हैं। 
जेनेटिक्स 
रिसर्चर या जेनेटिक काउंसिलर के तौर पर काम कर सकते हैं। इस कोर्स में जीनों की बनावट और उनके काम करने के तरीके पढ़ाए जाते हैैं। 
बीएससी नर्सिंग 
महिलाओं के लिए यह कोर्स बेहतरीन माना जाता है। बीएससी करने के बाद सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टरों में अच्छी नौकरी है। टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर मिलता है। 
फॉरेंसिक साइंस 
क्राइम से जुड़ी चीजों का विश्लेषण करने में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेंसिक साइंस का कोर्स बेस्ट ऑप्शन है। आप इसे करने के बाद फॉरेंसिक साइंटिस्ट बन सकते हैं। 
ऐग्रिकल्चर साइंस 
खेती की बारीकियों से लेकर मार्केटिंग तक को हैंडल करना सिखाया जाता है। यह कोर्स कई सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध है। 12वीं में कम से कम 50-60 पर्सेंट अंक होना चाहिए। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर होता है। 
ऐग्रिकल्चरल इंजिनियरिंग 
यह सब्जेक्ट ऐग्रिकल्चर के तकनीकी पक्ष की समझ पैदा करता है। इसके तहत ऐग्रिकल्चरल मशीनरी और सिंचाई से लेकर डेयरी इंजिनियरिंग तक शामिल है। रोजगार की संभावनाएं काफी है। 
बायोइंफॉर्मेटिक्स 
इसमें बायो केमिस्ट्री, माल्युकुलर बायॉलजी और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी शामिल है। बायॉलजी से जुड़ी समस्याओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल करके दूर किया जाता है। यह कोर्स काफी डिमांड में है। 
बायोकेमिस्ट्री 
जीव-जंतुओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन से जड़ा यह विषय है। केमिस्ट्री में जहां मूल रूप से शरीर के बाहर होने वाले प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, वहीं बायोकेमिस्ट्री में अंदरूनी प्रतिक्रियाओं पर फोकस होता है। फॉर्मा व फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं। 
फॉर्मा कोर्सेज 
देश में फॉर्मा इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास के बाद इस कोर्स की डिमांड बढ़ गई है। मार्केटिंग वाले को शुरुआत में भी अच्छे पैसे मिलते हैं। 
Top Medical Colleges in Mumbai 
Seth GS Medical College and KEM Hospital 
Topiwala National Medical College 
Grant Medical College 
Padmashree Dr DY Patil Dental College and Hospital 
RA Podar Ayurved Medical College 
Terna Medical College 
Rajiv Gandhi Medical College 
Nair Hospital Dental College 
Mahatma Gandhi Medical College 
KJ Somaiya Medical College 

1.King Edward Memorial (KEM) Hospital 
Parel 
Phone- 91-22-2410 7000 
2.Topiwala National Medical College 
Phone- 022 2308 1490 
3. Grant Medical College 
Sir J J Hospital, Byculla 
Phone:: 022 2373 5555 
4. Dr DY Patil Dental College and Hospital 
CBD Belapur 
Phone - 22 39486000 
5. RA Podar Ayurved Medical College 
Worli 
Phone::: 022 2493 3533 
6. Terna Medical College 
Nerul, Navi Mumbai 
Phone:-022 2772 0563 
7. Rajiv Gandhi Medical College 
Kalwa 
Phone::(022) 5348790 
8 Nair Hospital Dental College 
Mumbai Central 
Phone-:096 54 999202 
9. Mahatma Gandhi Medical College 
Phone: 022-27423404, 27421723, 5618116 
10. v®. KJ Somaiya Medical College 
Sion (East) 
Phone: (022) 24020932, (022) 24020933