एनजीओ- नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन यानी गैर सरकारी संगठन। एनजीओ
किसी मिशन के तहत चलाए जाते हैं। सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न
क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य
होता है। कार्यक्षेत्र के रूप में कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति,
मानवाधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल-विकास आदि में से कोई भी चुना जा
सकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप नाम और दाम, दोनों कमा सकते हैं।
वह जमाना गया, जब इस क्षेत्र में आमतौर पर वे ही लोग आते थे, जो खुद के संसाधनों या सिर्फ दान वगैरह के बूते समाजसेवा करना चाहते थे। अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं। कई बार कई दूसरी नौकरियों से भी अच्छे वेतनमान पर काम यहां मिल सकता है। किसी अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में बात बन जाए तो फिर बात ही क्या है। समाज सेवा का सुकून तो इसमें है ही।
इस क्षेत्र की विशिष्टता यही है कि रोजगार का साधन होने के बावजूद समाजहित की भावना इसमें सर्वोपरि होनी चाहिए। यह उन लोगों के लिए अच्छा क्षेत्र है, जो सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों, समाज हित के विभिन्न पहलुओं पर गहरी निष्ठा, लगन और रुचि के साथ काम करना चाहते हों और सिर्फ पैसा कमाना ही जिनका मकसद न हो।
बहुत बड़ा है एनजीओ संसार
एनजीओ के प्रति आकर्षण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मौजूदा समय में हमारे देश में सक्रिय सूचीबद्घ एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के मुताबिक 33लाख के आसपास है। यानी हर 365 भारतीयों पर एक एनजीओ। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एनजीओ हैं, करीब 4.8 लाख। इसके बाद दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है। यहां 4.6 लाख एनजीओ हैं। उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख, कर्नाटक में 1.9 लाख, गुजरात व पश्चिम बंगाल में 1.7-1.7 लाख, तमिलनाडु में 1.4 लाख, उड़ीसा में 1.3 लाख तथा राजस्थान में एक लाख एनजीओ सक्रिय हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भी बड़ी तादाद में गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। दुनिया भर में सबसे ज्यादा सक्रिय एनजीओ हमारे ही देश में हैं।
धन की बात करें तो दान, सहयोग और विभिन्न फंडिंग एजेंसियों के जरिये एनजीओ क्षेत्र में अरबों रुपया आता है। अनुमान है कि हमारे देश में हर साल सारे एनजीओ मिल कर 40 हजार से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक जुटा ही लेते हैं। सबसे ज्यादा पैसा सरकार देती है। ग्यारहवीं योजना में सामाजिक क्षेत्र के लिए 18 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। दूसरा स्थान विदेशी दानदाताओं का है। सिर्फ सन् 2005 से 2008 के दौरान ही विदेशी दानदाताओं से यहां के गैर सरकारी संगठनों को 28876 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) मिले। इसके अलावा कॉरपोरेट सेक्टर से भी सामाजिक दायित्व के तहत काफी धन गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त होता है।
कैसे करें पढ़ाई
एनजीओ क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए आसानी से समझा जा सकता है कि अब एनजीओ प्रबंधन कितना महत्त्वपूर्ण काम बन चुका है। देश में कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं, जो बाकायदा एनजीओ प्रबंधन से जुड़े पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक हों तो एनजीओ प्रबंधन के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। अनुभवी एनजीओ प्रोफेशनल, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी भी अलग-अलग तरह के कोर्स कर सकते हैं। इन पाठ्यक्रमों में जिन विषयों के बारे में खासतौर से बताया जाता है, वे हैं—सामुदायिक विकास, सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन, नेतृत्वशीलता आदि। यों एनजीओ चलाने के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है, परंतु जब कार्यकुशलता, व्यवस्थित प्रबंधन की बात आती है, खासतौर से रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में, तो एनजीओ प्रबंधन से जुड़े ये कोर्स विशेष उपयोगी हो जाते हैं।
समाज कल्याण में मास्टर डिग्री (एमएसडब्ल्यू), समाजविज्ञान या ग्रामीण प्रबंध में कोई भी मास्टर डिग्री एनजीओ क्षेत्र में आगे बढ़ने की दृष्टि से उपयोगी है। समाज कल्याण में बीए, एमए या बीएसडब्ल्यू भी किए जा सकते हैं। जो युवा अध्ययन जारी रखना चाहते हैं वे एमफिल या पीएचडी भी कर सकते हैं। भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (कोलकाता), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई), दिल्ली विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय आदि डिप्लोमा और डिग्री के कई पाठय़क्रम संचालित कर रहे हैं। जो छात्र एनजीओ क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि बारहवीं के बाद समाजविज्ञान विषय क्षेत्र से कोई एक विषय चुन कर पढ़ाई करें।
मौके कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन के कोर्सों के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी, दोनों तरह के एनजीओ में काम के अच्छे अवसर हैं। ऑपरेशन एनजीओ में काम करना उनके लिए बेहतर है, जिनमें वित्त प्रबंधन, मीडिया प्रबंधन वगैरह की खास काबिलियत हो। एनजीओ एडवोकेसी का काम भी इससे कुछ अलग नहीं है, पर जो लोग सामाजिक कामों के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम बढ़िया ढंग से संभाल सकते हैं, उनके लिए यह अच्छी जगह है। कुव्वत हो तो इस क्षेत्र में काम की तमाम संभावनाएं हैं।
एनजीओ मैनेजर, कम्युनिटी सर्विस प्रोवाइडर, एनजीओ प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स और फाइनेंस मैनेजर जैसे कई रूपों में आप काम पा सकते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर, फिक्की, एसओएस विलेज, एफएआरएम, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट, प्रयास वगैरह में अच्छे वेतनमान पर काम मिल सकता है। मौजूदा समय में एड्स अवेयरनेस प्रोजेक्ट, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम, चाइल्ड एब्यूज प्रिवेंशन कमेटी स्ट्रीट चिल्ड्रन एजुकेशन, ड्रग रिहेबिलिटेशन सेंटर, सेक्स वर्कर फोरम आदि में भी काम के काफी अवसर हैं।
रोजगार की संभावना को इस बात से समझिए कि दुनिया भर में लगभग दो करोड़ ऐसे एनजीओ पेशेवर हैं, जिन्हें बाकायदा वेतन दिया जाता है। इस के अलावा उल्लेखनीय काम के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा सकता है।
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज से पढ़े हुए मैनेजमेंट प्रोफेशनल राहुल सिंह एनजीओ के क्षेत्र में युवाओं के लिए काफी बड़ी संभावनाएं देखते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में जब बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपना सामाजिक दायित्व महसूस करने लगी हैं तो ग्रासरूट एनजीओ के लिए उनका आर्थिक सहयोग भी बढ़ रहा है। उनका मानना है कि विकास के नए तौर-तरीकों के चलते हमारे मूल्यों में जिस तरह से गिरावट आ रही है, ऐसे में एनजीओ की भूमिका काफी बढ़ गई है। जाहिर है नौजवानों के लिए इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। वे कहते हैं कि बिहार जैसे राज्य में कंपनियों का जाना अब शुरू हो रहा है तो यहां जमीनी तौर पर काम कर रहे एनजीओ के लिए काफी मौके होंगे। ‘नवधान्य’ की कर्ताधर्ता डॉ. वंदना शिवा छोटे आकार वाले जमीनी तौर पर काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों में युवाओं के लिए अच्छे अवसर देखती हैं।
वेतन मिल सकता है बढ़िया
एनजीओ में काम करने वालों को मौजूदा समय में वेतन के अच्छे मौके हैं। यहां वेतन का निर्धारण इस आधार पर होता है कि कार्य का क्षेत्र कैसा है, किस प्रकार का है और उसका स्तर क्या है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय किस्म के गैर सरकारी संगठन बढ़िया वेतन दे सकते हैं। ये संगठन विश्व भ्रमण के खूब मौके उपलब्ध कराते हैं। फिलहाल काबिलियत के हिसाब से 10-15 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक का वेतन एनजीओ क्षेत्र में मिल सकता है। वेतन के अलावा विभिन्न मुद्दों पर किसी एनजीओ से प्रोजेक्ट वर्क के तौर पर रिसर्च, पुस्तक लेखन, फील्ड वर्क संबंधी कुछ काम लेकर भी धन कमाने के यहां काफी अवसर हैं।
बांध लीजिए गांठ
याद रखिए, यदि गैर सरकारी संगठनों के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है तो आप में सामूहिकता के माहौल में काम करने का अनुभव जरूर होना चाहिए। लोगों से संवाद करने, उन्हें प्रेरित करने का माद्दा तो होना ही चाहिए। स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी जैसी अंतरराष्ट्रीय संवाद की भाषा का ज्ञान आपके काम को आसान बना सकता है। यानी आप काम में कुशल हों तो इस क्षेत्र में आपका भविष्य उज्ज्वल है।
एनजीओ प्रबंधन के कोर्स कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान-
1. टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
3. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनजीओ मैनेजमेंट, नोएडा, उत्तर प्रदेश
4. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
5 अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर, तमिलनाडु
6. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
7. सेंटर ऑफ सोशल इनीशिएटिव एंड मैनेजमेंट, हैदराबाद
8. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गांधीनगर, गुजरात
9. जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, रांची
10. ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद
अपना एनजीओ ऐसे बनाएं
एक समूह बना कर आप अपना एनजीओ बना सकते हैं। एनजीओ का निबंधन दरअसल हमारे देश में कई कानूनों के तहत होता है, जैसे कि इंडियन ट्रस्ट एक्ट (1982), पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (1950), इंडियन कंपनीज एक्ट (1956-धारा- 25), रिलीजियस एंडोमेंट एक्ट (1863), चेरीटेबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट एक्ट (1920), मुस्लिम वक्फ एक्ट (1923), वक्फ एक्ट (1954), पब्लिक वक्फ—एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन एक्ट (1959) आदि।
वैसे हमारे देश में एनजीओ बनाना ज्यादा कठिन नहीं है। बिना लाभ-हानि के काम करने वाले एनजीओ कंपनी एक्ट धारा-25 के तहत ट्रस्ट, संस्था, सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत कराए जा सकते हैं।
खूब हैं विदेश जाने के मौके
यह ऐसा क्षेत्र है, जहां विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं। यूनिसेफ, यूनाइटेड नेशन, यूनेस्को, ओसीडी, विश्वबैंक, नाटो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेडक्रॉस, ग्रीनपीस, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट, एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन, यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन जैसी नामी संस्थाओं के अलावा दूसरी अन्य वैश्विक स्तर पर काम कर रही संस्थाओं के साथ जुड़ कर भी काम किया जा सकता है। यदि आप अपने ही देश में काम कर रहे हों तो भी विदेशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के बुलावे के तौर पर विदेश यात्रा का अवसर मिल सकता है। जो एनजीओ प्रबंधन की पढ़ाई विदेश में करके अपना करियर संवारना चाहते हैं, उनके लिए कुछ नामी विदेशी संस्थान हैं—टेंपल युनिवर्सिटी (जापान), कैस बिजनेस स्कूल (लंदन), एनजीओ मैनेजमेंट स्कूल (बेसिंस, लंदन)।
वह जमाना गया, जब इस क्षेत्र में आमतौर पर वे ही लोग आते थे, जो खुद के संसाधनों या सिर्फ दान वगैरह के बूते समाजसेवा करना चाहते थे। अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं। कई बार कई दूसरी नौकरियों से भी अच्छे वेतनमान पर काम यहां मिल सकता है। किसी अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में बात बन जाए तो फिर बात ही क्या है। समाज सेवा का सुकून तो इसमें है ही।
इस क्षेत्र की विशिष्टता यही है कि रोजगार का साधन होने के बावजूद समाजहित की भावना इसमें सर्वोपरि होनी चाहिए। यह उन लोगों के लिए अच्छा क्षेत्र है, जो सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों, समाज हित के विभिन्न पहलुओं पर गहरी निष्ठा, लगन और रुचि के साथ काम करना चाहते हों और सिर्फ पैसा कमाना ही जिनका मकसद न हो।
बहुत बड़ा है एनजीओ संसार
एनजीओ के प्रति आकर्षण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मौजूदा समय में हमारे देश में सक्रिय सूचीबद्घ एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के मुताबिक 33लाख के आसपास है। यानी हर 365 भारतीयों पर एक एनजीओ। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एनजीओ हैं, करीब 4.8 लाख। इसके बाद दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है। यहां 4.6 लाख एनजीओ हैं। उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख, कर्नाटक में 1.9 लाख, गुजरात व पश्चिम बंगाल में 1.7-1.7 लाख, तमिलनाडु में 1.4 लाख, उड़ीसा में 1.3 लाख तथा राजस्थान में एक लाख एनजीओ सक्रिय हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भी बड़ी तादाद में गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। दुनिया भर में सबसे ज्यादा सक्रिय एनजीओ हमारे ही देश में हैं।
धन की बात करें तो दान, सहयोग और विभिन्न फंडिंग एजेंसियों के जरिये एनजीओ क्षेत्र में अरबों रुपया आता है। अनुमान है कि हमारे देश में हर साल सारे एनजीओ मिल कर 40 हजार से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक जुटा ही लेते हैं। सबसे ज्यादा पैसा सरकार देती है। ग्यारहवीं योजना में सामाजिक क्षेत्र के लिए 18 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। दूसरा स्थान विदेशी दानदाताओं का है। सिर्फ सन् 2005 से 2008 के दौरान ही विदेशी दानदाताओं से यहां के गैर सरकारी संगठनों को 28876 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) मिले। इसके अलावा कॉरपोरेट सेक्टर से भी सामाजिक दायित्व के तहत काफी धन गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त होता है।
कैसे करें पढ़ाई
एनजीओ क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए आसानी से समझा जा सकता है कि अब एनजीओ प्रबंधन कितना महत्त्वपूर्ण काम बन चुका है। देश में कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं, जो बाकायदा एनजीओ प्रबंधन से जुड़े पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक हों तो एनजीओ प्रबंधन के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। अनुभवी एनजीओ प्रोफेशनल, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी भी अलग-अलग तरह के कोर्स कर सकते हैं। इन पाठ्यक्रमों में जिन विषयों के बारे में खासतौर से बताया जाता है, वे हैं—सामुदायिक विकास, सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन, नेतृत्वशीलता आदि। यों एनजीओ चलाने के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है, परंतु जब कार्यकुशलता, व्यवस्थित प्रबंधन की बात आती है, खासतौर से रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में, तो एनजीओ प्रबंधन से जुड़े ये कोर्स विशेष उपयोगी हो जाते हैं।
समाज कल्याण में मास्टर डिग्री (एमएसडब्ल्यू), समाजविज्ञान या ग्रामीण प्रबंध में कोई भी मास्टर डिग्री एनजीओ क्षेत्र में आगे बढ़ने की दृष्टि से उपयोगी है। समाज कल्याण में बीए, एमए या बीएसडब्ल्यू भी किए जा सकते हैं। जो युवा अध्ययन जारी रखना चाहते हैं वे एमफिल या पीएचडी भी कर सकते हैं। भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (कोलकाता), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई), दिल्ली विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय आदि डिप्लोमा और डिग्री के कई पाठय़क्रम संचालित कर रहे हैं। जो छात्र एनजीओ क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि बारहवीं के बाद समाजविज्ञान विषय क्षेत्र से कोई एक विषय चुन कर पढ़ाई करें।
मौके कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन के कोर्सों के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी, दोनों तरह के एनजीओ में काम के अच्छे अवसर हैं। ऑपरेशन एनजीओ में काम करना उनके लिए बेहतर है, जिनमें वित्त प्रबंधन, मीडिया प्रबंधन वगैरह की खास काबिलियत हो। एनजीओ एडवोकेसी का काम भी इससे कुछ अलग नहीं है, पर जो लोग सामाजिक कामों के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम बढ़िया ढंग से संभाल सकते हैं, उनके लिए यह अच्छी जगह है। कुव्वत हो तो इस क्षेत्र में काम की तमाम संभावनाएं हैं।
एनजीओ मैनेजर, कम्युनिटी सर्विस प्रोवाइडर, एनजीओ प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स और फाइनेंस मैनेजर जैसे कई रूपों में आप काम पा सकते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर, फिक्की, एसओएस विलेज, एफएआरएम, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट, प्रयास वगैरह में अच्छे वेतनमान पर काम मिल सकता है। मौजूदा समय में एड्स अवेयरनेस प्रोजेक्ट, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम, चाइल्ड एब्यूज प्रिवेंशन कमेटी स्ट्रीट चिल्ड्रन एजुकेशन, ड्रग रिहेबिलिटेशन सेंटर, सेक्स वर्कर फोरम आदि में भी काम के काफी अवसर हैं।
रोजगार की संभावना को इस बात से समझिए कि दुनिया भर में लगभग दो करोड़ ऐसे एनजीओ पेशेवर हैं, जिन्हें बाकायदा वेतन दिया जाता है। इस के अलावा उल्लेखनीय काम के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा सकता है।
टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज से पढ़े हुए मैनेजमेंट प्रोफेशनल राहुल सिंह एनजीओ के क्षेत्र में युवाओं के लिए काफी बड़ी संभावनाएं देखते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में जब बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपना सामाजिक दायित्व महसूस करने लगी हैं तो ग्रासरूट एनजीओ के लिए उनका आर्थिक सहयोग भी बढ़ रहा है। उनका मानना है कि विकास के नए तौर-तरीकों के चलते हमारे मूल्यों में जिस तरह से गिरावट आ रही है, ऐसे में एनजीओ की भूमिका काफी बढ़ गई है। जाहिर है नौजवानों के लिए इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। वे कहते हैं कि बिहार जैसे राज्य में कंपनियों का जाना अब शुरू हो रहा है तो यहां जमीनी तौर पर काम कर रहे एनजीओ के लिए काफी मौके होंगे। ‘नवधान्य’ की कर्ताधर्ता डॉ. वंदना शिवा छोटे आकार वाले जमीनी तौर पर काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों में युवाओं के लिए अच्छे अवसर देखती हैं।
वेतन मिल सकता है बढ़िया
एनजीओ में काम करने वालों को मौजूदा समय में वेतन के अच्छे मौके हैं। यहां वेतन का निर्धारण इस आधार पर होता है कि कार्य का क्षेत्र कैसा है, किस प्रकार का है और उसका स्तर क्या है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय किस्म के गैर सरकारी संगठन बढ़िया वेतन दे सकते हैं। ये संगठन विश्व भ्रमण के खूब मौके उपलब्ध कराते हैं। फिलहाल काबिलियत के हिसाब से 10-15 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक का वेतन एनजीओ क्षेत्र में मिल सकता है। वेतन के अलावा विभिन्न मुद्दों पर किसी एनजीओ से प्रोजेक्ट वर्क के तौर पर रिसर्च, पुस्तक लेखन, फील्ड वर्क संबंधी कुछ काम लेकर भी धन कमाने के यहां काफी अवसर हैं।
बांध लीजिए गांठ
याद रखिए, यदि गैर सरकारी संगठनों के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है तो आप में सामूहिकता के माहौल में काम करने का अनुभव जरूर होना चाहिए। लोगों से संवाद करने, उन्हें प्रेरित करने का माद्दा तो होना ही चाहिए। स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी जैसी अंतरराष्ट्रीय संवाद की भाषा का ज्ञान आपके काम को आसान बना सकता है। यानी आप काम में कुशल हों तो इस क्षेत्र में आपका भविष्य उज्ज्वल है।
एनजीओ प्रबंधन के कोर्स कहां-कहां
एनजीओ प्रबंधन का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान-
1. टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
3. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनजीओ मैनेजमेंट, नोएडा, उत्तर प्रदेश
4. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
5 अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर, तमिलनाडु
6. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
7. सेंटर ऑफ सोशल इनीशिएटिव एंड मैनेजमेंट, हैदराबाद
8. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गांधीनगर, गुजरात
9. जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, रांची
10. ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद
अपना एनजीओ ऐसे बनाएं
एक समूह बना कर आप अपना एनजीओ बना सकते हैं। एनजीओ का निबंधन दरअसल हमारे देश में कई कानूनों के तहत होता है, जैसे कि इंडियन ट्रस्ट एक्ट (1982), पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (1950), इंडियन कंपनीज एक्ट (1956-धारा- 25), रिलीजियस एंडोमेंट एक्ट (1863), चेरीटेबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट एक्ट (1920), मुस्लिम वक्फ एक्ट (1923), वक्फ एक्ट (1954), पब्लिक वक्फ—एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन एक्ट (1959) आदि।
वैसे हमारे देश में एनजीओ बनाना ज्यादा कठिन नहीं है। बिना लाभ-हानि के काम करने वाले एनजीओ कंपनी एक्ट धारा-25 के तहत ट्रस्ट, संस्था, सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत कराए जा सकते हैं।
खूब हैं विदेश जाने के मौके
यह ऐसा क्षेत्र है, जहां विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं। यूनिसेफ, यूनाइटेड नेशन, यूनेस्को, ओसीडी, विश्वबैंक, नाटो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेडक्रॉस, ग्रीनपीस, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट, एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन, यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन जैसी नामी संस्थाओं के अलावा दूसरी अन्य वैश्विक स्तर पर काम कर रही संस्थाओं के साथ जुड़ कर भी काम किया जा सकता है। यदि आप अपने ही देश में काम कर रहे हों तो भी विदेशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के बुलावे के तौर पर विदेश यात्रा का अवसर मिल सकता है। जो एनजीओ प्रबंधन की पढ़ाई विदेश में करके अपना करियर संवारना चाहते हैं, उनके लिए कुछ नामी विदेशी संस्थान हैं—टेंपल युनिवर्सिटी (जापान), कैस बिजनेस स्कूल (लंदन), एनजीओ मैनेजमेंट स्कूल (बेसिंस, लंदन)।
Mene MSW kar rkha he muje NGO chalana he kya karu kuch mrgdarshan kijiye
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