अगर
आपको पृथ्वी के रहस्यों को जानने की उत्सुकता है और आप उससे जुड़े क्षेत्र
में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो अर्थ साइंस आपके लिए बेहतर विकल्प
साबित हो सकता है। संभावनाओं के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में अवसरों
की कमी नहीं है।
अर्थ
साइंस में मुख्यत: भूगोल, जियोलॉजी और ओशियोनोग्राफी जैसे विषय होते हैं।
भूगोल में जहां पृथ्वी के एरियल डिफरेंसिएशन के बारे में जानकारी दी जाती
है, वहीं इसके दूसरे कारक जैसे कि मौसम, उन्नयन कोण, जनसंख्या, भूमि का
इस्तेमाल आदि का अध्ययन किया जाता है। जियोलॉजी में पृथ्वी के फिजिकल
इतिहास का अध्ययन किया जाता है, जैसे पृथ्वी किस तरह की चट्टानों से बनी है
और इसमें लगातार किस तरह के परिवर्तन होते रहते हैं, इसका अध्ययन किया
जाता है। ओशियनोग्राफी में मुख्यत: समुद्रों का अध्ययन किया जाता है।
जियोफिजिक्स
का पहली बार इस्तेमाल 1799 में विलियम लेंबटन ने एक सर्वे के लिए किया था।
वहीं 1830 में गुरुत्व क्षेत्र का अध्ययन कर्नल जॉर्ज एवरेस्ट ने किया था।
तेल के अन्वेषण के लिए पहली बार जियोफिजिक्स का प्रयोग 1923 में बर्मन ऑयल
कॉरपोरेशन ने किया था। इलेक्ट्रिकल सर्वे पहली बार 1933 में भारत में
नीलोर और सिंघबम जिले में पीपमेयर और केलबोफ द्वारा किया गया। पहली बार
किसी भारतीय, एमबीआर राव ने 1937 में मैसूर में जमे सल्फाइड अयस्क के लिए
इसका प्रयोग किया। जियोफिजिक्स की शिक्षा पहली बार 1949 में आंध्र और बनारस
हिंदू विश्वविद्यालय ने उपलब्ध की थी।
आंध्र
विश्वविद्यालय ने शुरुआत में बीएससी और बाद में एमएससी स्तर के कोर्स को
प्रारंभ किया। साथ ही इसमें हाइडोस्फीयर, जियोस्फीयर, बायोस्फीयर और
क्राइसोस्फीयर के बारे में जानकारी मिलती है। बायोस्फीयर में जंतु विज्ञान,
वनस्पति विज्ञान और इकोलॉजी से जुड़े विषय सम्मिलित होते हैं, वहीं
एटमॉस्फिरक साइंस में मौसम, मेटोलॉजी, क्लाइमेटोलॉजी से जुड़ी जानकारी दी
जाती है। वहीं इसमें पृथ्वी की परतें कैसे बनीं, इसमें लगातार होने वाली
हलचलों, भूकंप, ज्वालामुखी का अध्ययन किया जाता है।
कोर्स : ज्यादातर
क्षेत्रों में अर्थ साइंस मास्टर लेवल का कोर्स है। इस क्षेत्र में भूगोल
और जियोलॉजी में अवसरों की संभावनाएं ज्यादा हैं। भूगोल और जियोलॉजी में
पोस्टग्रेजुएट प्रोगाम करने के लिहाज से यह आवश्यक है कि आपने स्नातक स्तर
पर इन विषयों की पढ़ाई की हो। पोस्टग्रेजुएट स्तर पर इस कोर्स को करने के
लिए किसी विशेषज्ञ क्षेत्र को लेते हैं। पढ़ाई के दौरान प्रोजेक्ट वर्क की
भूमिका काफी अहम होती है। इसमें करियर बनाने के लिए आप अर्थ साइंस एमएससी
टेक अप्लाइड जियोलॉजी, अप्लाइड जियोफिजिक्स में कर सकते हैं, लेकिन इसके
लिए स्नातक स्तर पर आपके पास जियोलॉजी और फिजिक्स होनी चाहिए। वहीं पांच
वर्षीय इंटीग्रेटेड एमएससी आप अप्लायड जियोलॉजी, एक्सप्लोरेशन जियोफिजिक्स
में कर सकते हैं। इसमें दाखिला बारहवीं के बाद आपको आईआईटी के माध्यम से
मिल सकता है। इसके अलावा बीटेक के बाद आप अप्लायड जियोलॉजी में एमटेक कर
सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको गेट परीक्षा का स्कोर कार्ड दिखाना होगा।
साथ ही ओशियोनोग्राफी और मेरिन साइंस के भी कई कोर्स संचालित होते हैं।
अवसर : इस
कोर्स को करने के बाद अवसरों की कमी नहीं है। प्राइवेट और सरकारी दोनों
सेक्टरों में ही जॉब की संभावनाएं मौजूद है। आप जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ
इंडिया, ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन, एटॉमिक मिनरल डिपार्टमेंट, सेंट्रल
ग्राउंड वॉटर बोर्ड, पत्तनों और बंदरगाहों, खदान कंपनियों, स्टेट
जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट और इंडियन मेटोलॉजिकल डिपार्टमेंट में कर सकते हैं।
इसके अलावा आप प्राइवेट कंपनियों जैसे कि रिलायंस, स्कमबर्गर और सेल में
काम कर सकते हैं। साथ ही इसके बाद शोधार्थी, शिक्षक के रूप में भी आप अपने
करियर को संवार सकते हैं। पर्यावरण से जुड़ी कई कंपनियां उनके क्वांटिटेटिव
बैकग्राउंड के कारण उन्हें नौकरी देती है
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