Friday, November 6, 2015

केमिकल इंजीनियरिंग: संभावनाओं से भरपूर करियर

केमिकल इंजीनियरिंग एक बेहतरीन करियर क्षेत्र है। इस फील्ड में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है। इसमें करियर के अवसरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं संजीव कुमार सिंह
केमिकल पदार्थों की बढ़ती मात्रा एवं भागीदारी के चलते इसमें रोजगार की संभावना तेजी से बढ़ रही है। इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स ‘केमिकल इंजीनियर’ व यह पूरी प्रक्रिया ‘केमिकल इंजीनियरिंग’ कहलाती है। सामान्यत: केमिकल इंजीनियरिंग को इंजीनियरिंग की एक शाखा के रूप में जाना-समझा जाता है, जिसके अंतर्गत कच्चे पदार्थों एवं केमिकल्स को किसी प्रयोग की चीज में बदला जाता है, जबकि मॉडर्न केमिकल  इंजीनियरिंग कच्चे पदार्थों को बदलने के साथ-साथ तकनीक (नैनोटेक्नोलॉजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) पर भी बल देती है। इस विधा के अंतर्गत रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं का हल ढूंढा जाता है। इसके अलावा उत्पादन प्रक्रिया में होने वाले डिजाइन प्रोसेस का कार्य डिजाइन इंजीनियर देखते हैं। अत: इसमें एक ही साथ कई अलग-अलग क्षेत्रों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह पाठ्यक्रम केमिस्ट्री व  इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसमें कच्चे पदार्थों या केमिकल्स को विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत आवश्यक पदार्थों में तब्दील किया जाता है। इसमें नए मेटेरियल एवं तकनीकों की खोज भी की जाती है। इंजीनियरिंग की ही शाखा होने के कारण इसका कार्यस्वरूप काफी कुछ केमिस्ट्री एवं फिजिक्स से मिलता-जुलता है।
कुछ अलग सी है दुनिया
केमिकल इंजीनियर का कार्य केवल डिजाइन एवं मेंटेनेंस तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई परिस्थितियों में उन्हें कॉस्ट कटिंग एवं प्रोडक्शन सरीखे कार्यों को भी अंजाम देना पड़ता है। एक तरह से देखा जाए तो यह क्षेत्र हमेशा हुनर की तलाश में रहता है। नए आने वाले लोगों को पहले अनुभवी इंजीनियरों के साथ किसी तत्कालीन उपयोगिता वाले कार्य या परियोजना पर काम करने का मौका दिया जाता है।
प्रवेश परीक्षा
इसमें प्रवेश लेने के लिए आईआईटी जेईई या अन्य प्रवेश परीक्षाओं में बैठना अनिवार्य है। इसमें कुछ परीक्षा ऑल इंडिया अथवा कुछ स्टेट लेवल पर आयोजित की जाती हैं। इनमें उत्तीर्ण होने के पश्चात ही प्रमुख कोर्सों में प्रवेश मिल पाता है। इसमें मुख्यत: बीई या बीटेक में मुख्य रूप से इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, पॉलीमर प्रोसेसिंग, पॉलीमर टेस्टिंग, पॉलीमर सिंथेसिस तथा एम ई स्तर के पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से प्लांट डिजाइन, पेट्रोलियम रिफाइन, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, पेट्रोकेमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, प्रोसेसिंग ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स आदि की जानकारी दी जाती है।
वैज्ञानिक अभिरुचि से प्रगति
विज्ञान में रुचि एवं सिद्धांतों की जानकारी रखने वाले छात्रों के लिए यह एक विशिष्ट क्षेत्र है। चूंकि यह क्षेत्र अनुसंधान कार्य से जुड़ा है। अत: इसमें करियर बनाने वाले छात्रों को परिश्रमी, धैर्यवान, साहसी व लंबे समय तक अकेले कार्य करने की क्षमता रखनी होगी। साथ ही विश्लेषक, कम्युनिकेशन की दृष्टि से मजबूत, तकनीकी रुचि रखने वाला, कम्यूटर पर अच्छी पकड़ तथा आर्ट की कला में माहिर होना भी आवश्यक है। ऐसे व्यक्ति, जिनमें संख्या आकलन और विश्लेषक की क्षमता के साथ-साथ वैज्ञानिक झुकाव हो तो वे आसानी से इस व्यवस्था की तरफ मुड़ सकते हैं।
पाठय़क्रम संबंधी जानकारी
केमिकल इंजीनियरिंग का पाठय़क्रम केमिकल टेक्नोलॉजी से भिन्न होता है। इसमें आर्गेनिक व इनआर्गेनिक केमिकल्स को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी कंपनियों में डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित कार्य किए जाते हैं। रेगुलर कोर्सेज के अलावा दूरस्थ शिक्षा के जरिए भी कई तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। एक केमिकल इंजीनियर का कार्य केमिकल प्लांट्स को डिजाइन, ऑपरेट एवं उसके प्रोडक्शन से जुड़े कार्यों को अंजाम देना होता है।
कुछ प्रमुख कोर्स
डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
इंट्रिग्रेटेड एमटेक इन केमिकल इंजीनियरिंग
पोस्ट डिप्लोमा इन पेट्रो केमिकल टेक्नोलॉजी
व्यापक है इसका कार्यक्षेत्र
कोर्स करने के बाद सबसे ज्यादा नियुक्तियां केमिकल, प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रिंटिंग, फूड व मिल्क इंडस्ट्री में होती हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल्स मिनरल इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्यूटिकल, सिंथेटिक फाइबर्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स, डाई, पेंट, वार्निश, औषधि निर्माण, पेट्रोलियम टेक्सटाइल एवं डेयरी प्लास्टिक उद्योग आदि क्षेत्रों में रोजगार पा सकते हैं। रासायनिक उद्योग की दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी उत्तम है। शोध में रुचि रखने वाले रिसर्च इंजीनियरिंग का विभाग संभालते हैं। कुछ लोग विपणन व प्रबंधन का काम देखते हैं। प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित रोजगार की भरमार है। एक केमिकल इंजीनियर को प्रयोगशाला जैसे सरकारी प्रयोगशाला, उद्योग शोध संघ, निजी परामर्श केंद्र, विश्वविद्यालय शोध दल में भी तरह-तरह के कार्य एवं अनुसंधान करने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त वे अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में विश्लेषण, निर्माण संबंधी कार्य देखते हैं।
इस रूप में मिलेगा काम
सुपरवाइजर या मैनेजर
टेक्निकल स्पेशलिस्ट
प्रोजेक्ट मैनेजर
प्रोजेक्ट इंजीनियर
केमिकल इंजीनियर
केमिकल डेवलपमेंट इंजीनियर
क्वालिटी कंट्रोलर’ लेबोरेटरी असिस्टेंट
सेलरी
कार्य, अनुभव, योग्यता एवं पद को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में अधिक पारिश्रमिक दिया जाता है। फ्रेशर्स को प्रारंभ में 15000 से लेकर 25000 रुपए प्रतिमाह तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं, जबकि एक डिप्लोमा धारक को सरकारी संस्थानों द्वारा 14000 से 15000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त होते हैं।
कॉलेज के लेक्चरर को प्रारंभिक वेतन 50,000 से 60,000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किया जाता है। एक इंजीनियर को सरकारी संस्थानों द्वारा 30,000-40,000 एवं सरकारी आवास तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
विज्ञान का ज्ञान आवश्यक
केमिकल इंजीनियर बनने के लिए बीई या बीटेक (स्नातक स्तर) तथा परा स्नातक स्तर पर एमई होना आवश्यक है। ऐसे में जो छात्र आगे चल कर केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं, उन्हें बारहवीं में विज्ञान विषय लेना होगा। अधिकांश संस्थान ऐसे हैं, जो दसवीं के पश्चात डिप्लोमा या पॉलिटेक्निक से संबंधित कोर्स करवाते हैं। बीई तथा बीटेक चार वर्ष का तथा एमई दो वर्ष का होता है। यदि बारहवीं के पश्चात सीधे एमई में दाखिला लेते हैं तो वह पांच वर्ष का हो जाता है। इसी तरह से केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स तीन वर्ष का होता है।
एक्सपर्ट व्यू
प्रो.एएसके सिन्हा

चैलेंज व स्कोप दोनों हैं अनलिमिटेड
आमतौर पर लोगों का मानना है कि केमिकल इंजीनियरिंग का पूरा आधार केमिस्ट्री पर होता है तथा सिलेबस में भी यह सब्जेक्ट ज्यादा हावी होता है, जबकि यह सत्य नहीं है। केमिस्ट्री के अलावा इसमें अन्य कई चीजों को शामिल किया जाता है। आज बायोमास, हाइड्रोजन, सोलर एनर्जी, आरओ प्लांट आदि सभी के पीछे केमिकल इंजीनियरों की मेहनत छिपी होती है। प्रदूषण दूर करने में भी इसका योगदान सराहनीय होता है। फर्टिलाइजर, यूरिया, अमोनिया व दवाओं आदि को केमिकल इंजीनियरों की मदद से ही तैयार किया जाता है। इस आधार पर कहना गलत न होगा कि केमिकल इंजीनियरिंगजीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी है। जो भी एनर्जी के सोर्स हैं,वे सब केमिकल हैं, इसलिए इसका दायरा व स्कोप काफी बडम है। इसमें प्रोफेशनल्स को कदम-कदम पर तमाम तरह की चुनौतियां भी उठानी पडम्ती हैं। एनर्जी क्राइसेस, मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर के ऑटोमेशन आदि का सामना केमिकल इंजीनियरों को करना पड़ता है। इस फील्ड में लड़कियों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है। कुछ वर्ष पहले तक क्लास में 1-2 प्रतिशत लड़कियां होती थीं, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 10-12 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
प्रो. एएसके सिन्हा, हेड केमिकल  इंजीनियरिंगडिपार्टमेंट, आईआईटी, बीएचयू, वाराणसी
फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान
देश में कई ऐसे संस्थान हैं, जो केमिकल इंजीनियरिंग एवं केमिकल टेक्नोलॉजी के पाठय़क्रम मुहैया कराते हैं। प्रमुख संस्थान निम्न हैं-
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
वेबसाइट-
www.iitd.ernet.in
(मुंबई, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई, रुड़की आदि में भी शाखाएं मौजूद)
बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटीएस), रांची
वेबसाइट-
www.bitmesra.ac.in
दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
वेबसाइट-
www.dce.edu
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद
वेबसाइट
- www.iiita.ac.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट
- www.iitbhu.ac.in
जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अलीगढ़
वेबसाइट-
  www.amu.ac.in

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