क्या आप
कल्पना कर सकते हैं शक्कर के दाने के बराबर के किसी ऐसे कंप्यूटर की,
जिसमें विश्व के सबसे बडे पुस्तकालय की समस्त पुस्तकों की समग्र जानकारी
संग्रहीत हो या किसी ऐसी मशीन की, जो हमारी कोशिकाओं में घुसकर रोगकारक
कीटाणुओं पर नजर रख सके या फिर छोटे-छोटे कार्बन परमाणुओं से बनाए गए किसी
ऐसे टेनिस रैकेट की, जो साधारण रैकेट से कहीं अधिक हल्का और स्टील से कई
गुना ज्यादा मजबूत हो। कपडों पर लगाए जा सकने वाले किसी ऐसे बायोसेंसर की
कल्पना करके देखिए, जो जैव-युद्ध के जानलेवा हथियार एंथ्रेक्स (एक जीवाणु)
के आक्रमण का पता महज कुछ मिनटों में लगा लेगा। परी-कथाओं जैसा लगता है न
ये सब? पर ये कोरी कल्पना नहीं है। विज्ञान ने इन कल्पनाओं में वास्तविकता
के रंग भर दिए हैं नैनोटेक्नोलॉजी के जरिए।
क्या है नैनो टेक्नोलॉजी नैनो-टेक्नोलॉजी वह अप्लाइड साइंस है, जिसमें 100 नैनोमीटर से छोटे पार्टिकल्स पर भी काम किया जाता है। आज इस तकनीक की मदद से हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यदि विस्तार से जानें, तो नैनो एक ग्रीक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है बौना। नैनोटेक्नोलॉजी में काम आने वाले पदाथरें को नैनोमैटेरियल्स कहा जाता है। नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग वर्षो से बहुलक (पॉलीमर) तथा कम्प्यूटर चिप्स में हो रहा है। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटर, भवन-निर्माण सामग्री, वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूर-संचार, घरेलू उपकरण, कागज और पैकिंग उद्योग, आहार, वैज्ञानिक उपकरण, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खेल जगत, ऑटोमोबाइल्स, अंतरिक्ष विज्ञान, कॉस्मेटिक्स, अनुसंधान और विकास जैसे क्षेत्र में इसका उपयोग होता है। कोर्स और योग्यता समय के साथ-साथ करियर के विकल्प बढ गए हैं। नैनोटेक्नोलॉजी में पीजी करने के लिए भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व गणित में 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक या एमटेक करने के लिए मैटेरियल साइंस, मैकेनिकल, बायोमेडिकल, केमिकल, बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्प्यूटर साइंस में से किसी भी विषय से बीटेक की डिग्री आवश्यक है। फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स नैनो टेक्नोलॉजी का कार्य क्षेत्र बहुत ही व्यापक और विस्तृत है। आज हर क्षेत्र में इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। इंजीनियरिंग साइंस, मैटेरियल साइंस, इंस्ट्रूमेंटेशन, डिवाइस फेब्रिकेशन और ड्रग डिलीवरी सिस्टम में होने वाली हर नई खोज का कम से कम एक कंपोनेंट नैनो टेक्नोलॉजी से संबंधित होता है। दुनिया का शायद ही कोई क्षेत्र इससे अछूता रहा हो। बायो-मेडिकल अनुसंधान में तो नैनोमेडिसीन ने जैसे करिश्मा कर दिखाया है और इस करिश्मे के पीछे हैं छोटे-छोटे नैनोपार्टिकल्स। कोशिकाओं में ये पार्टिकल्स बडे आराम से, बेरोक-टोक घूम-फिर सकते हैं। खाद्य सामग्री निर्माण, संसाधन, सुरक्षा और डिब्बाबंदी का प्रत्येक चरण नैनोटेक्नोलॉजी के बिना अधूरा है। सूक्ष्मजीव प्रतिरोधक लेप (नैनोपेंट) भोजन को लम्बे समय तक खराब होने से बचाते हैं। भोजन में होने वाले जैविक और रासायनिक परिवर्तनों की पहचान और उपचार अब बहुत आसानी से किया जा सकता है। आसानी से साफ होने वाले तथा खरोंच प्रतिरोधी पौधों की पोषक पदार्थ ग्राहक क्षमता बढाने वाले और रोगों से बचाने वाले नैनोप्रोडक्ट्स निश्चित ही कृषि क्षेत्र में क्रांति ला देंगे। अब बाजार में ऐसे नैनोलोशन भी आ गए हैं, जो न केवल आपकी कोशिकाओं को जवान और तंदुरूस्त बनाएंगे, बल्कि बुढापे और बीमारियों से भी आपको कोसों दूर रखेंगे। कहां मिलेगी नौकरी यह क्षेत्र देखने में भले ही आकर्षक हो, लेकिन इस क्षेत्र में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। इसमें रिसर्च को तवज्जो दी जाती है। इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। आप नैनो मेडिसिन, बायोइन्फोर्मेटिक्स, स्टेम सेल डेवलपमेंट, नैनो टॉक्सीकोलॉजी और नैनो पावर जनरेटिंग सेक्टर में संभावनाएं तलाश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र के छात्रों के लिए हेल्थ इंडस्ट्री, एग्रिकल्चर, एन्वॉयरनमेंट इंडस्ट्री, स्पेस रिसर्च, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, जेनेटिक्स, प्राइवेट रिसर्च इंस्टीट्यूट, बायोटेक्नोलॉजी, फोरेसिंक साइंस जैसे क्षेत्रों में भी काफी अवसर हैं। आप चाहें तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री, फार्मास्युटिकल कंपनियों में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं। वेतन वेतन आपकी योग्यता और अनुभव पर निर्भर करता है। इस क्षेत्र में कमाई की कोई सीमा नहीं है। दिनोंदिन बढती नैनो टेक्नोलॉजिस्ट की मांग ने इस क्षेत्र में कमाई के भी कई अवसर खोले हैं। वैसे, आपका वेतन आपकी कंपनी पर निर्भर करता है। सरकारी सेक्टर में एक एमटेक व्यक्ति 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह फ्यूचर के साथ-साथ वर्तमान का करियर है। यदि इससे संबंधित डिग्री, डिप्लोमा कोर्स कर लेते हैं, तो आपको बेहतर सैलरी अवश्य मिलेगी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर, दिल्ली, मुंबई जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री, दिल्ली गुरु गोविंद सिंह यूनिवर्सिटी, दिल्ली गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी, हरियाणा एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी, नोएडा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सांइस, बेंगलुरु मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल अमृता सेंटर फॉर नैनोसाइंस, कोच्ची जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एंडवास साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु |
Monday, November 30, 2015
नैनो है नया करियर
Sunday, November 29, 2015
पर्दे के पीछे का कॅरियर : सिनेमेटोग्राफी
भारत
विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाले देशों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष
विभिन्न भाषाओं में लगभग 800 फिल्में बनती हैं। खास यह है कि अभिनय के
अलावा इससे जुड़े तमाम तकनीकी क्षेत्रों में भी स्टूडेंट्स का रुझान देखने
को मिल रहा है। यदि आपमें दृश्यों और लाइटिंग की समझ है, तो सिनेमेटोग्राफी
बेस्ट है...
फिल्मी दुनिया का नाम आते ही ग्लैमर, अकूत पैसा और शोहरत जैसी चीजें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जरूरी संघर्र्ष की कहानी वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने यहां अपना अलग स्थान हासिल किया है। लेकिन, नई पीढ़ी का न उत्साह कम है और न ही अपने पंखों को उड़ान देने में उन्हें किसी प्रकार की हिचक है। एक सिनेमा बनाने में पर्दे के पीछे और आगे बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन इनमें से कम प्रोफेशनल्स को ही लोग जानते हैं। प्यासा, कागज के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। अगर आप हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हर साल ऐसे लोग सम्मानित होते मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी तकनीकी कला से फिल्मों में जान डाल दी। यदि दृश्यों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए सिनेमेटोग्राफी में बेहतर कॅरियर है।
क्या है सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल काम है, जो दृश्यों को जीवंत बना देता है। गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है। एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग एडजेस्ट करने का काम करता है। उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सटीक जानकारी होती है और उसके पास व्यावसायिक तकनीकी ज्ञान, क्रिएटिविटी का भी समायोजन होता है।
जरूरी है कैमरा
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत होती है, जो अन्य कैमरों से कहीं अलग होता है। इस कैमरे का बखूबी प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो। सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है। दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें उसे महारथ होती है। आज स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का बढिय़ा उदाहरण हैं। इस तरह के सीनों का अधिकतर फिल्मों में बहुत उपयोग हो रहा है। फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का कैसे प्रयोग करना है, इसकी उसे पूरी-पूरी जानकारी होती है।
क्या हैं कोर्स
देश में कई संस्थान सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं। अगर आप इस कोर्स को करना चाहते हैं तो डिप्लोमा और शार्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्सन्स आपके सामने हैं। इसके अलावा सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है। सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण तो है ही साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है। इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट को पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन के अलावा टेक्निकल जानकारी दी जाती हैं।
शैक्षिक योग्यता
सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष होना जरूरी है। पीजी लेबल का कोर्स तभी किया जा सकता है, जब ग्रेजुएशन कम्प्लीट हो गया हो।
किनके लिए
यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है, जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी है।
अवसर
इस कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है। इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी आप काम कर सकते हैं।
वेतन
शुरुआती दौर में एक सिनेमेटोग्राफर को 7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।
प्रमुख संस्थान
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी
दोनों के बीच तकनीकी अंतर है। जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है। इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल होता है, जो सामान्य कैमरों से अलग होता है। इसे हैंडल करने के लिए आपको प्रशिक्षण लेना पडता है। कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन विजुअलाइज करता है। वहीं फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है।
फिल्मी दुनिया का नाम आते ही ग्लैमर, अकूत पैसा और शोहरत जैसी चीजें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जरूरी संघर्र्ष की कहानी वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने यहां अपना अलग स्थान हासिल किया है। लेकिन, नई पीढ़ी का न उत्साह कम है और न ही अपने पंखों को उड़ान देने में उन्हें किसी प्रकार की हिचक है। एक सिनेमा बनाने में पर्दे के पीछे और आगे बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन इनमें से कम प्रोफेशनल्स को ही लोग जानते हैं। प्यासा, कागज के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। अगर आप हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हर साल ऐसे लोग सम्मानित होते मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी तकनीकी कला से फिल्मों में जान डाल दी। यदि दृश्यों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए सिनेमेटोग्राफी में बेहतर कॅरियर है।
क्या है सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल काम है, जो दृश्यों को जीवंत बना देता है। गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है। एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग एडजेस्ट करने का काम करता है। उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सटीक जानकारी होती है और उसके पास व्यावसायिक तकनीकी ज्ञान, क्रिएटिविटी का भी समायोजन होता है।
जरूरी है कैमरा
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत होती है, जो अन्य कैमरों से कहीं अलग होता है। इस कैमरे का बखूबी प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो। सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है। दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें उसे महारथ होती है। आज स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का बढिय़ा उदाहरण हैं। इस तरह के सीनों का अधिकतर फिल्मों में बहुत उपयोग हो रहा है। फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का कैसे प्रयोग करना है, इसकी उसे पूरी-पूरी जानकारी होती है।
क्या हैं कोर्स
देश में कई संस्थान सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं। अगर आप इस कोर्स को करना चाहते हैं तो डिप्लोमा और शार्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्सन्स आपके सामने हैं। इसके अलावा सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है। सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण तो है ही साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है। इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट को पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन के अलावा टेक्निकल जानकारी दी जाती हैं।
शैक्षिक योग्यता
सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष होना जरूरी है। पीजी लेबल का कोर्स तभी किया जा सकता है, जब ग्रेजुएशन कम्प्लीट हो गया हो।
किनके लिए
यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है, जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी है।
अवसर
इस कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है। इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी आप काम कर सकते हैं।
वेतन
शुरुआती दौर में एक सिनेमेटोग्राफर को 7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।
प्रमुख संस्थान
- फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया-पूना
- सत्यजीत रॉय फिल्म इंस्टीट्यूट-मुंबई
- सेंट्रल ऑफ रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-दिल्ली
- एशियन एकादमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-नोएडा
- चेन्नई फिल्म स्कूल-तमिलनाडु
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी
दोनों के बीच तकनीकी अंतर है। जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है। इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल होता है, जो सामान्य कैमरों से अलग होता है। इसे हैंडल करने के लिए आपको प्रशिक्षण लेना पडता है। कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन विजुअलाइज करता है। वहीं फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है।
Thursday, November 26, 2015
ऑटोमोबाइल डिजाइनर के रूप करियर
ऑटोमोबाइल डिजाइनर का सम्बन्ध
सड़क पर चलने वाले वाहनों के विकास से है। वह वाहन के स्वरुप को तैयार करता
है और उसके वाह्य, आंतरिक, रंग, साज-सज्जा को रूप प्रदान करता है। छोटी
कार नैनो के लांच किये जाने के बाद और भारत में मध्यवर्गीय लोगों के विशाल
बाजार को देखते हुए कई ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी छोटी कार बनाने की घोषणा
कर दी। इससे ऑटोमोबाइल डिजाइनरों की मांग देश-विदेश में काफी बढ़ गई हैं।
यदि कोई टेक्निकल क्षेत्र में जॉब चाहता है, तो ऑटोमोबाइल डिजाइनर बनकर
अपनी करियर को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।
कोर्स और योग्यता
आईआईटी (गुवाहाटी) बीटेक इन डिजाइनिंग में (चार वर्षीय) कोर्स ऑफर करती है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद में इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में चार वर्षीय कोर्स उपलब्ध है। इन सभी कोर्स (बीटेक या बीई) में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालीफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट स्टूडेंट के लिए एडवांस इंडस्ट्रियल प्रोग्राम भी चलाया जाता है। इसमें जिओमेट्री, मॉडल बनाना, कलर ग्राफिक कॉम्पोजिशन, डिजाइनिंग प्रॉसेस आदि की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) किया जा सकता है। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स ऑफर करती है। कुछ प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में भी इस तरह के कोर्स संचालित किये जाते हैं।
व्यक्तिगत गुण
डिजाइनर्स को मार्केट ट्रेंड की अच्छी समझ के साथ-साथ प्रैक्टिक्ल नॉलेज और कस्टमर की डिमांड की समझ जरूरी है। साथ ही, कुछ अलग करने का जज्बा भी होना चाहिए।
अवसर
नैस्कॉम एलेन-बूज हैमिल्टन की रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग सर्विस का ग्लोबल आउटसोर्सिंग बाजार लगभग 10 से 15 अरब डॉलर का है। यह बाजार वर्ष 2020 तक 150 से 225 अरब तक हो जाने की संभावना है। इस ग्लोबल मार्केट में भारत का योगदान तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत तक होगा। संभावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2020 तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 2-5 लाख इंजीनियरों की नियुक्ति होगी। जिस तरह से ऑटो कम्पनियां भारत में निवेश कर रही हैं, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में भारत ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्लोबल हब बन सकता है।
कमाईइस क्षेत्र में सैलॅरी योग्यता, अनुभव और प्रोजेक्ट पर निर्भर करती है। यदि किसी अच्छे प्रोजेक्ट्स से जुड़े हुए हैं, तो सैलॅरी लाखों में भी हो सकती है। शुरुआती दौर में लगभग 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान1. इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर,आईआईटी मुंबई: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद: चार वर्षीय ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
3. आईआईटी, गुवाहाटी: चार वर्षीय बैचलर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
4. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
5. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
6. एमआईटीज इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे: साढ़े चार वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम इन ट्रांसपोर्टेशन डिजाइन
7. सीएई ट्रेनिंग डिजाइन सेंटर, पुणे
कोर्स और योग्यता
आईआईटी (गुवाहाटी) बीटेक इन डिजाइनिंग में (चार वर्षीय) कोर्स ऑफर करती है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद में इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में चार वर्षीय कोर्स उपलब्ध है। इन सभी कोर्स (बीटेक या बीई) में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालीफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट स्टूडेंट के लिए एडवांस इंडस्ट्रियल प्रोग्राम भी चलाया जाता है। इसमें जिओमेट्री, मॉडल बनाना, कलर ग्राफिक कॉम्पोजिशन, डिजाइनिंग प्रॉसेस आदि की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) किया जा सकता है। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स ऑफर करती है। कुछ प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में भी इस तरह के कोर्स संचालित किये जाते हैं।
व्यक्तिगत गुण
डिजाइनर्स को मार्केट ट्रेंड की अच्छी समझ के साथ-साथ प्रैक्टिक्ल नॉलेज और कस्टमर की डिमांड की समझ जरूरी है। साथ ही, कुछ अलग करने का जज्बा भी होना चाहिए।
अवसर
नैस्कॉम एलेन-बूज हैमिल्टन की रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग सर्विस का ग्लोबल आउटसोर्सिंग बाजार लगभग 10 से 15 अरब डॉलर का है। यह बाजार वर्ष 2020 तक 150 से 225 अरब तक हो जाने की संभावना है। इस ग्लोबल मार्केट में भारत का योगदान तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत तक होगा। संभावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2020 तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 2-5 लाख इंजीनियरों की नियुक्ति होगी। जिस तरह से ऑटो कम्पनियां भारत में निवेश कर रही हैं, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में भारत ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्लोबल हब बन सकता है।
कमाईइस क्षेत्र में सैलॅरी योग्यता, अनुभव और प्रोजेक्ट पर निर्भर करती है। यदि किसी अच्छे प्रोजेक्ट्स से जुड़े हुए हैं, तो सैलॅरी लाखों में भी हो सकती है। शुरुआती दौर में लगभग 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान1. इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर,आईआईटी मुंबई: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद: चार वर्षीय ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
3. आईआईटी, गुवाहाटी: चार वर्षीय बैचलर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
4. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
5. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
6. एमआईटीज इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे: साढ़े चार वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम इन ट्रांसपोर्टेशन डिजाइन
7. सीएई ट्रेनिंग डिजाइन सेंटर, पुणे
Wednesday, November 25, 2015
ऑडियोलॉजी के रूप में करियर
बोलने और सुनने संबंधी विकारों
के अध्ययन को ऑडियोलॉजी (श्रवण विज्ञान) कहते हैं। इसके अंतर्गत वाक और
श्रवण क्षमता की कमियों को जानने व समझने का प्रयास किया जाता है। इस विषय
के एक्सपर्ट्स ऑडियोलॉजिस्ट कहलाते हैं। विभिन्न कारणों से पूरी दुनिया में
श्रवणहीनता में वृद्धि हो रही है। ऐसे में इसके इलाज के लिए प्रोफेशनल
ऑडियोलॉजिस्ट की काफी जरूरत है। सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल, चाइल्ड
डेवलपमेंट सेंटर्स, रिहैबिलिटेशन सेंटर्स जैसी जगहों पर ऑडियोलॉजिस्ट की
काफी डिमांड है। एसोचैम और दूसरे सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भविष्य में एक
लाख से भी ज्यादा ऑडियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ेगी।
कार्य
ऑडियोलॉजिस्ट किसी भी व्यक्ति के बोलने और सुनने में आ रही दिक्कतों के कारणों का पता लगाता है और उसे दूर करने का प्रयास करता है। इसकी जांच तीन तरह से होती है। ऑडियोमेट्री टेस्ट, इम्पेडेंस टेस्ट (अवरोध जांच) और बेरा टेस्ट। कितने पॉवर और कौन सा (अनालाग या डिजिटल) हियरिंग ऐड मरीज के लिए फिट रहेगा, इस बात का निर्णय एक ऑडियोलॉजिस्ट करता है। वह एक थेरेपिस्ट की भूमिका भी निभाता है। मरीज को तरह-तरह से (इशारों से या संगीत की धुन पर) बोलने के लिए प्रेरित भी करता है।
योग्यता
इस क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं (जीव विज्ञान अनिवार्य विषय) पास होना जरूरी है। डिग्री लेवल पर छात्रों को तीन साल का अध्ययन करना पड़ता है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा से भी गुजरना पड़ता है।
व्यक्तिगत गुण
सबसे पहले उसे विषय की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा नित नई-नई तकनीक के साथ-साथ विज्ञान में हो रहे फेरबदल की भी पल-पल की जानकारी जरूरी है। ऑडियोलॉजी ईएनटी (ईयर, नोज एंड थ्रोट) डिपार्टमेंट का ही एक हिस्सा होता है, अतः उसमें एक टीम की तरह काम करने की क्वालिटी होनी चाहिए।
अवसर
ऑडियोलॉजिस्ट के लिए सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल, चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर्स, प्री स्कूल, काउंसिलिंग सेंटर्स, फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन सेंटर्स, एनजीओ आदि में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी से संबंधित कोर्स करने के बाद खुद का क्लीनिक खोल कर प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसमें आमदनी भी खूब होती है। इससे संबंधित पाठ्यक्रम करने के बाद विदेश में भी रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं।
कोर्स
कमाई
ऑडियोलॉजिस्ट का वेतन 15 हजार से शुरू होता है। लेकिन अनुभव के बढ़ने के साथ वेतन काफी ज्यादा मिलने लगता है।
संस्थान
1. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
2. आईपी यूनिवर्सिटी,दिल्ली
3. अली यावरजंग नेशनल इंस्टीट्यूट फार द हियरिंग हैंडिकैप्ड, मुंबई
4. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, मैसूर यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
5. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ़
6. जे एम इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, इंद्रपुरी, केशरीनगर, पटना (बिहार)
7. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन, पटना
8. इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, बेंगलुरु
9. उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
कार्य
ऑडियोलॉजिस्ट किसी भी व्यक्ति के बोलने और सुनने में आ रही दिक्कतों के कारणों का पता लगाता है और उसे दूर करने का प्रयास करता है। इसकी जांच तीन तरह से होती है। ऑडियोमेट्री टेस्ट, इम्पेडेंस टेस्ट (अवरोध जांच) और बेरा टेस्ट। कितने पॉवर और कौन सा (अनालाग या डिजिटल) हियरिंग ऐड मरीज के लिए फिट रहेगा, इस बात का निर्णय एक ऑडियोलॉजिस्ट करता है। वह एक थेरेपिस्ट की भूमिका भी निभाता है। मरीज को तरह-तरह से (इशारों से या संगीत की धुन पर) बोलने के लिए प्रेरित भी करता है।
योग्यता
इस क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं (जीव विज्ञान अनिवार्य विषय) पास होना जरूरी है। डिग्री लेवल पर छात्रों को तीन साल का अध्ययन करना पड़ता है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा से भी गुजरना पड़ता है।
व्यक्तिगत गुण
सबसे पहले उसे विषय की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा नित नई-नई तकनीक के साथ-साथ विज्ञान में हो रहे फेरबदल की भी पल-पल की जानकारी जरूरी है। ऑडियोलॉजी ईएनटी (ईयर, नोज एंड थ्रोट) डिपार्टमेंट का ही एक हिस्सा होता है, अतः उसमें एक टीम की तरह काम करने की क्वालिटी होनी चाहिए।
अवसर
ऑडियोलॉजिस्ट के लिए सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल, चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर्स, प्री स्कूल, काउंसिलिंग सेंटर्स, फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन सेंटर्स, एनजीओ आदि में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी से संबंधित कोर्स करने के बाद खुद का क्लीनिक खोल कर प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसमें आमदनी भी खूब होती है। इससे संबंधित पाठ्यक्रम करने के बाद विदेश में भी रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं।
कोर्स
- बैचलर ऑफ स्पेशल एजुकेशन (हियरिंग इम्पेयरमेंट)
- बीएससी इन स्पीच ऐंड हियरिंग
- बीएससी इन ऑडियोलॉजी (स्पीच ऐंड लैंग्वेज)
- एमएससी (स्पीच पैथोलॉजी ऐंड ऑडियोलॉजी)
कमाई
ऑडियोलॉजिस्ट का वेतन 15 हजार से शुरू होता है। लेकिन अनुभव के बढ़ने के साथ वेतन काफी ज्यादा मिलने लगता है।
संस्थान
1. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
2. आईपी यूनिवर्सिटी,दिल्ली
3. अली यावरजंग नेशनल इंस्टीट्यूट फार द हियरिंग हैंडिकैप्ड, मुंबई
4. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, मैसूर यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
5. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ़
6. जे एम इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, इंद्रपुरी, केशरीनगर, पटना (बिहार)
7. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन, पटना
8. इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, बेंगलुरु
9. उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
Sunday, November 22, 2015
फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में करियर
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में न
सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव आया है, बल्कि इसने भारतीय
कॉर्पोरेट सेक्टर को भी नई दिशा प्रदान की है। जाहिर है, इससे कॉर्पोरेट
सेक्टर में नई-नई नौकरियां सामने आ रही हैं। इसमें से कॉर्पोरेट सेक्टर में
फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में करियर की शुरुआत एक बड़ी उपलब्धि हो सकती
है। इस सेक्टर में उस समय भी संभावनाएं पर्याप्त रूप से मौजूद रहती हैं, जब
दूसरे सेक्टर मंदी या अन्य कारणों से प्रभावित होते हैं। काफी व्यापक
सेक्टर होने के कारण वित्त क्षेत्र में किसी भी तरह की विशेषज्ञता रखने
वालों के लिए नौकरियों की कमी नहीं है। इसमें बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर,
मार्केटिंग, सार्वजनिक सेक्टर, निजी व गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा भी कई
जगह पर प्लेसमेंट हो रहा है।
कार्य
फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े प्रोफेशनल्स का मुख्य कार्य ऑर्गनाइजेशन के लिए मनी क्रिएट करना, कैश जनरेट करना और किसी भी इन्वेस्टमेंट पर अधिक से अधिक रिटर्न प्रदान करना होता है। इसके साथ ही, फाइनेंशियल प्लॉनिंग में भी इनका अहम योगदान होता है। फाइनेंस से जुड़े लोगों को किसी भी कंपनी के संपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को समझना होता है और शीर्ष प्रबंधकों को वित्तीय और आर्थिक नीति बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करना होता है। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड आपरेशंस का भी क्षेत्र है, जहां फाइनेंस के जानकारों का भरपूर इस्तेमाल होता है।
योग्यता
कॉमर्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह सबसे पसंदीदा क्षेत्र है। लेकिन अन्य स्ट्रीम के स्टूडेंट्स भी इसमें करियर बना सकते हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी संकाय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास जरूरी है। एडमिशन मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता है।
अवसर
भारत में फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। फाइनेंस में योग्यता प्राप्त प्रोफेशनल्स को कॉर्पोरेट फाइनेंस, इंटरनेशनल फाइनेंस, मर्चेंट बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल ऐंड मनी मार्केट, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, स्टॉक ब्रोकिंग, शेयर, रजिस्ट्री, क्रेडिट रेटिंग आदि में नौकरी मिल सकती है। सरकारी बैंकों के अलावा, निजी और विदेशी बैंकों की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों की वजह से फाइनेंशियल एक्सपर्ट,फाइनेंशियल एनालिस्ट, फाइनेंशियल प्लानर, वेल्थ मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स आदि की डिमांड तेजी से बढ़ी है। प्राइवेट बैंकों की बात करें, तो एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, विदेशी बैंक जैसे-एबीएन मरो, सिटीगोल्ड वेल्थ मैनेजमेंट, सिटी बैंक, डच बैंक, एचएसबीसी आदि में भरपूर अवसर हैं। इसके अलावा, इंवेस्टमेंट फर्म जैसे-डीएसपी मैरील लाइंच, कोटक सिक्योरिटीज, आनंद राठी इंवेस्टमेंट और जे.एम मार्गन स्टेंली में भी रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भी नौकरी प्राप्त की जा सकती है।
कोर्स
डिप्लोमा कोर्सेज के अलावा मास्टर डिग्री के कोर्स भी उपलब्ध हैं। फाइनेंस से संबंधित कोर्स में फाइनेंशियल अकाउंटिंग और इकोनॉमिक्स पर खास जोर दिया जाता है। यह कोर्स चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट, सीएस और एमबीए प्रोफेशनल्स में काफी लोकप्रिय है।
वेतन
इस क्षेत्र में आने के बाद पैसे की कमी नहीं है। जहां तक वेतन का प्रश्न है, तो वह योग्यता, अनुभव, संस्थान के आकार और प्रकार पर निर्भर करता है।
संस्थान
1. डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय
2. कॉलेज ऑॅफ बिजनेस स्टडीज,दिल्ली विश्वविद्यालय
3. फैकल्टी ऑफ कामर्स, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
4. द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया, हैदराबाद लखनऊ, कोलकाता, चैन्नई और पुणे फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
5. फैकल्टी ऑफ कामर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
6. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ
7. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस मैनेजमेंट, महíष दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
8. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
कार्य
फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े प्रोफेशनल्स का मुख्य कार्य ऑर्गनाइजेशन के लिए मनी क्रिएट करना, कैश जनरेट करना और किसी भी इन्वेस्टमेंट पर अधिक से अधिक रिटर्न प्रदान करना होता है। इसके साथ ही, फाइनेंशियल प्लॉनिंग में भी इनका अहम योगदान होता है। फाइनेंस से जुड़े लोगों को किसी भी कंपनी के संपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को समझना होता है और शीर्ष प्रबंधकों को वित्तीय और आर्थिक नीति बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करना होता है। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड आपरेशंस का भी क्षेत्र है, जहां फाइनेंस के जानकारों का भरपूर इस्तेमाल होता है।
योग्यता
कॉमर्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए यह सबसे पसंदीदा क्षेत्र है। लेकिन अन्य स्ट्रीम के स्टूडेंट्स भी इसमें करियर बना सकते हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी संकाय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास जरूरी है। एडमिशन मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता है।
अवसर
भारत में फाइनेंशियल एक्सपर्ट के रूप में पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। फाइनेंस में योग्यता प्राप्त प्रोफेशनल्स को कॉर्पोरेट फाइनेंस, इंटरनेशनल फाइनेंस, मर्चेंट बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल ऐंड मनी मार्केट, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, स्टॉक ब्रोकिंग, शेयर, रजिस्ट्री, क्रेडिट रेटिंग आदि में नौकरी मिल सकती है। सरकारी बैंकों के अलावा, निजी और विदेशी बैंकों की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों की वजह से फाइनेंशियल एक्सपर्ट,फाइनेंशियल एनालिस्ट, फाइनेंशियल प्लानर, वेल्थ मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स आदि की डिमांड तेजी से बढ़ी है। प्राइवेट बैंकों की बात करें, तो एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, विदेशी बैंक जैसे-एबीएन मरो, सिटीगोल्ड वेल्थ मैनेजमेंट, सिटी बैंक, डच बैंक, एचएसबीसी आदि में भरपूर अवसर हैं। इसके अलावा, इंवेस्टमेंट फर्म जैसे-डीएसपी मैरील लाइंच, कोटक सिक्योरिटीज, आनंद राठी इंवेस्टमेंट और जे.एम मार्गन स्टेंली में भी रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भी नौकरी प्राप्त की जा सकती है।
कोर्स
डिप्लोमा कोर्सेज के अलावा मास्टर डिग्री के कोर्स भी उपलब्ध हैं। फाइनेंस से संबंधित कोर्स में फाइनेंशियल अकाउंटिंग और इकोनॉमिक्स पर खास जोर दिया जाता है। यह कोर्स चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट, सीएस और एमबीए प्रोफेशनल्स में काफी लोकप्रिय है।
वेतन
इस क्षेत्र में आने के बाद पैसे की कमी नहीं है। जहां तक वेतन का प्रश्न है, तो वह योग्यता, अनुभव, संस्थान के आकार और प्रकार पर निर्भर करता है।
संस्थान
1. डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय
2. कॉलेज ऑॅफ बिजनेस स्टडीज,दिल्ली विश्वविद्यालय
3. फैकल्टी ऑफ कामर्स, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
4. द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया, हैदराबाद लखनऊ, कोलकाता, चैन्नई और पुणे फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
5. फैकल्टी ऑफ कामर्स ऐंड बिजनेस स्टडीज, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
6. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ
7. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स ऐंड बिजनेस मैनेजमेंट, महíष दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
8. फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
Saturday, November 21, 2015
कंप्यूटर फोरेंसिक एक्सपर्ट्स के रूप में करियर
वर्तमान में साइबर क्राइम की
घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और अधिकांश लोग किसी-न-किसी रूप में
साइबर अपराध की चपेट में आ रहे हैं। ब्राईटन यूनिवर्सिटी के एक हालिया
सर्वे में बताया गया है कि भारत बहुत तेजी से साइबर क्राइम के हब के रूप
में उभर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, इस समय देश में ऐक्टिव इंटरनेट
यूजर्स की संख्या लगभग साढ़े चार करोड़ है। निश्चित तौर पर जिस प्रकार से
इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि होगी, उसी अनुपात में ऑनलाइन और साइबर अपराध
से जुड़े कई मामले भी प्रकाश में आगे। इन सब को देखते हुए कंप्यूटर और
नेटवर्क सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। साइबर क्राइम की बढ़ती
घटनाओं के कारण कंप्यूटर फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की मांग में लगातार वृद्धि
हो रही है। कंप्यूटर फोरेंसिक साइबर एक्सपर्ट्स क्राइम से बचाने में मदद
करते हैं। इन कंप्यूटर फोरेंसिक विशेषज्ञों को साइबर पुलिस या डिजिटल
डिटेक्टिव भी कहा जाता है। जिसकी अपराध को रोकने तथा कंप्यूटर एवं इंटरनेट
में रूचि हो उनके लिए फोरेंसिक साइबर एक्सपर्ट्स का करियर बहुत ही लाभदायक
साबित हो सकता है।
कोर्स और योग्यता
साइबर लॉ से जुड़े कोर्स में एडमिशन बारहवीं के बाद लिया जा सकता है। साइबर सुरक्षा से संबंधित स्नातकोत्तर कोर्स में एडमिशन अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। इस विषय के अंतर्गत डिजिटल मीडिया का विश्लेषण, साइबर अपराध और साइबर कानून की मौलिक बातें, कंप्यूटर फोरेंसिक सिस्टम और अपराध के डिजिटल सबूत, अपराधों से परिचय, ई-कॉमर्स-से जुड़े मामले, बौद्धिक संपदा और साइबर स्पेस से जुड़े विषय होते हैं। साइबर लॉ से जुड़े कोर्स में छात्रों को साइबर अपराध से जुडे विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जाता है, जिसमें कंप्यूटरीकृत और नेटवर्क से जुडे जोखिम को समझना, कंप्यूटर अपराध से जुड़े सुराग की पहचान करना, कंप्यूटर अपराधों की जांच के पहलुओं के बारे में जानना, कंप्यूटर से जुड़े अपराधों की रोकथाम के विभिन्न उपायों को समझना और साइबर नुकसान को सीमित रखने के लिए सुरक्षा तकनीकों के बारे में बताया जाता है।
अवसरइन दिनों लोगों की निर्भरता इंटरनेट पर बढ़ती जा रही है। इससे साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में साइबर क्राइम पर रोक लगाने के लिए ऐसे एक्सपर्ट की जरूरत में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो कंप्यूटर फोरेंसिक या साइबर क्राइम में एक्सपर्ट हों। इस फील्ड से जुड़े पेशेवरों के लिए प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के साथ-साथ सरकारी कंपनियों में भी रोजगार के अवसर हैं। इसके अलावा, वेब डेवलपर्स एडवाइजर, मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट हाउस में एडवाइजर, आईटी कंपनी, बैंक, लॉ फर्म में साइबर कंसल्टेंट, टेक्नोलॉजी फर्म में रिसर्च असिस्टेंट, सिक्योरिटी ऑडिटर के साथ-साथ मल्टीनेशनल कंपनी में ट्रेनर के रूप में भी करियर बना सकते हैं।
संस्थान
1. एनएएलएसएआर, हैदराबाद
2. सिम्बायोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज, पुणे और नलसार यूनिवर्सिटी
3. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बेंगलुरु विश्वविद्यालय
4. एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे
5. भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद
6. दूरस्थ शिक्षा केंद्र, हैदराबाद विश्वविद्यालय
7. अमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
8. साइबर लॉ कॉलेज एनएएवीआई, चेन्नई, मैसूर, हुबली, मैंगलोर तथा बेंगलुरु
कोर्स और योग्यता
साइबर लॉ से जुड़े कोर्स में एडमिशन बारहवीं के बाद लिया जा सकता है। साइबर सुरक्षा से संबंधित स्नातकोत्तर कोर्स में एडमिशन अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। इस विषय के अंतर्गत डिजिटल मीडिया का विश्लेषण, साइबर अपराध और साइबर कानून की मौलिक बातें, कंप्यूटर फोरेंसिक सिस्टम और अपराध के डिजिटल सबूत, अपराधों से परिचय, ई-कॉमर्स-से जुड़े मामले, बौद्धिक संपदा और साइबर स्पेस से जुड़े विषय होते हैं। साइबर लॉ से जुड़े कोर्स में छात्रों को साइबर अपराध से जुडे विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जाता है, जिसमें कंप्यूटरीकृत और नेटवर्क से जुडे जोखिम को समझना, कंप्यूटर अपराध से जुड़े सुराग की पहचान करना, कंप्यूटर अपराधों की जांच के पहलुओं के बारे में जानना, कंप्यूटर से जुड़े अपराधों की रोकथाम के विभिन्न उपायों को समझना और साइबर नुकसान को सीमित रखने के लिए सुरक्षा तकनीकों के बारे में बताया जाता है।
अवसरइन दिनों लोगों की निर्भरता इंटरनेट पर बढ़ती जा रही है। इससे साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में साइबर क्राइम पर रोक लगाने के लिए ऐसे एक्सपर्ट की जरूरत में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो कंप्यूटर फोरेंसिक या साइबर क्राइम में एक्सपर्ट हों। इस फील्ड से जुड़े पेशेवरों के लिए प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के साथ-साथ सरकारी कंपनियों में भी रोजगार के अवसर हैं। इसके अलावा, वेब डेवलपर्स एडवाइजर, मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट हाउस में एडवाइजर, आईटी कंपनी, बैंक, लॉ फर्म में साइबर कंसल्टेंट, टेक्नोलॉजी फर्म में रिसर्च असिस्टेंट, सिक्योरिटी ऑडिटर के साथ-साथ मल्टीनेशनल कंपनी में ट्रेनर के रूप में भी करियर बना सकते हैं।
संस्थान
1. एनएएलएसएआर, हैदराबाद
2. सिम्बायोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज, पुणे और नलसार यूनिवर्सिटी
3. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बेंगलुरु विश्वविद्यालय
4. एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे
5. भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद
6. दूरस्थ शिक्षा केंद्र, हैदराबाद विश्वविद्यालय
7. अमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
8. साइबर लॉ कॉलेज एनएएवीआई, चेन्नई, मैसूर, हुबली, मैंगलोर तथा बेंगलुरु
Thursday, November 19, 2015
डबिंग आर्टिस्ट के रूप में करियर
टीवी और रेडियो विज्ञापनों पर
सुनाई देने वाली दिलकश आवाज हो या कार्टून कैरेक्टर्स के मजेदार डायलॉग,
अपने दम पर हर किसी का ध्यान खींचने का माद्दा रखते हैं डबिंग आर्टिस्ट।
वर्तमान में डबिंग आर्टिस्ट की तमाम जगहों पर अच्छी खासी मांग है।
योग्यता
डबिंग आर्टिस्ट के लिए किसी खास योग्यता की जरूरत नहीं होती। आवाज और भाषा की बदौलत लोग एंट्री पा लेते थे। लेकिन बीते कुछ समय से बतौर डबिंग आर्टिस्ट करियर बनाने के लिए कोर्स भी शुरू हो चुका है। ऐसे में कम से कम 10वीं पास अभ्यर्थियों की मांग होने लगी है।
व्यक्तिगत गुण
एक डबिंग आर्टिस्ट के लिए जरूरी है कि उसे भाषा की समझ हो। बातचीत में उतार-चढ़ाव, उच्चारण और भाषा की जानकारी अच्छी तरह होनी चाहिए। साथ ही गला साफ हो, आवाज प्रसारण योग्य हो। इसमें आवाज ही व्यक्ति की पहचान होती है। इसलिए अच्छा बोलने की कोशिश करें। साथ ही रोजमर्रा के जीवन में लोगों के बोलने के ढंग, व्यवहार तथा उनकी आदतों पर गौर करें। खुद को लोगों के साथ जोड़ें। तभी बेहतर डबिंग आर्टिस्ट बन सकते हैं।
अवसर
डबिंग आर्टिस्ट के लिए अवसर ही अवसर है। आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न टीवी चैनल्स, प्रोडक्शन हाउसेस, एफएम रेडियो, टीवी के विज्ञापनों, डाक्यूमेंट्री फिल्में, एनिमेशन वर्ल्ड, ऑनलाइन एजुकेशन (आडियो बुक की डबिंग) के अलावा मोबाइल में कॉलरट्यून की डबिंग में बतौर वायस ओवर आर्टिस्ट की खूब डिमांड है। आवाज अच्छी है, तो काम मिलने में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आती, अच्छे ऑफर मिल जाते हैं। इस प्रोफेशन में नेम, फेम और मनी की कमी नहीं है। शुरुआत में एक वायस ओवर के लिए भले ही महज चंद रुपये मिलें, लेकिन जैसे-जैसे आवाज की पहचान बनती जाती है, यह रकम भी बढ़ती जाती है। लगभग हर चैनल और प्रोडक्शन हाउसेस में डबिंग आर्टिस्ट की डिमांड है।
कोर्स
इसमें डिग्री डिप्लोमा तो नहीं, लेकिन सर्टिफिकेट इन वायस ओवर ऐंड डबिंग जैसे कोर्स बकायदा कराए जा रहे हैं। यह कोर्स मात्र एक महीने का होता है।
संस्थान
1. लाइववार्स (करियर इंस्टीट्यूट इन ब्रॉडकास्टिंग फिल्म), मुंबई
2. डिजायर्स ऐंड डेस्टिनेशन, मुंबई
3. द वायस स्कूल, मुंबई
4. इएमडीआई इंस्टीट्यूट, मुंबई
5. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
6. आईसोम्स बैग फिल्म्स, नोएडा
7. एशियन एकेडमी आफ फिल्म ऐंड टेलिविजन, नोएडा
8. एकेडमी ऑफ रेडियो मैनेजमेंट, हौजखास, नई दिल्ली
योग्यता
डबिंग आर्टिस्ट के लिए किसी खास योग्यता की जरूरत नहीं होती। आवाज और भाषा की बदौलत लोग एंट्री पा लेते थे। लेकिन बीते कुछ समय से बतौर डबिंग आर्टिस्ट करियर बनाने के लिए कोर्स भी शुरू हो चुका है। ऐसे में कम से कम 10वीं पास अभ्यर्थियों की मांग होने लगी है।
व्यक्तिगत गुण
एक डबिंग आर्टिस्ट के लिए जरूरी है कि उसे भाषा की समझ हो। बातचीत में उतार-चढ़ाव, उच्चारण और भाषा की जानकारी अच्छी तरह होनी चाहिए। साथ ही गला साफ हो, आवाज प्रसारण योग्य हो। इसमें आवाज ही व्यक्ति की पहचान होती है। इसलिए अच्छा बोलने की कोशिश करें। साथ ही रोजमर्रा के जीवन में लोगों के बोलने के ढंग, व्यवहार तथा उनकी आदतों पर गौर करें। खुद को लोगों के साथ जोड़ें। तभी बेहतर डबिंग आर्टिस्ट बन सकते हैं।
अवसर
डबिंग आर्टिस्ट के लिए अवसर ही अवसर है। आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न टीवी चैनल्स, प्रोडक्शन हाउसेस, एफएम रेडियो, टीवी के विज्ञापनों, डाक्यूमेंट्री फिल्में, एनिमेशन वर्ल्ड, ऑनलाइन एजुकेशन (आडियो बुक की डबिंग) के अलावा मोबाइल में कॉलरट्यून की डबिंग में बतौर वायस ओवर आर्टिस्ट की खूब डिमांड है। आवाज अच्छी है, तो काम मिलने में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आती, अच्छे ऑफर मिल जाते हैं। इस प्रोफेशन में नेम, फेम और मनी की कमी नहीं है। शुरुआत में एक वायस ओवर के लिए भले ही महज चंद रुपये मिलें, लेकिन जैसे-जैसे आवाज की पहचान बनती जाती है, यह रकम भी बढ़ती जाती है। लगभग हर चैनल और प्रोडक्शन हाउसेस में डबिंग आर्टिस्ट की डिमांड है।
कोर्स
इसमें डिग्री डिप्लोमा तो नहीं, लेकिन सर्टिफिकेट इन वायस ओवर ऐंड डबिंग जैसे कोर्स बकायदा कराए जा रहे हैं। यह कोर्स मात्र एक महीने का होता है।
संस्थान
1. लाइववार्स (करियर इंस्टीट्यूट इन ब्रॉडकास्टिंग फिल्म), मुंबई
2. डिजायर्स ऐंड डेस्टिनेशन, मुंबई
3. द वायस स्कूल, मुंबई
4. इएमडीआई इंस्टीट्यूट, मुंबई
5. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
6. आईसोम्स बैग फिल्म्स, नोएडा
7. एशियन एकेडमी आफ फिल्म ऐंड टेलिविजन, नोएडा
8. एकेडमी ऑफ रेडियो मैनेजमेंट, हौजखास, नई दिल्ली
Wednesday, November 18, 2015
फ्यूचर के एडवेंचर में करियर
माउंटेनियरिंग
एडवेंचर स्पोर्ट्स में सबसे पॉपुलर है माउंटेनियरिंग। इसके शौकीनों की कोई कमी नहीं है। एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली महिला पर्वतारोही बिछेन्द्री पाल और आज के पर्वतारोही अर्जुन ने माउटेनियरिंग को नई दिशा दी है। अगर आप फिजिकली फिट हैं और बर्फीली चोटियों और चट्टानों पर चढने का हौसला रखते हैं, तो माउंटेनियिरंग करियर को आप चुन सकते हैं। हालांकि देश के काफी संस्थानों में माउंटेनियरिंग का कोर्स कराया जाता है, लेकिन उत्तरकाशी का नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग में अव्वल है। देश की पहली महिला पर्वतारोही बिछेन्द्री पाल, दो बार एवरेस्ट पर अपना परचम लहराने वालीं संतोष यादव और देश के सबसे छोटे माउंटेनियर अर्जुन भी यहीं से ट्रेनिंग ले चुके हैं और यही वजह है कि इसे इंडियन माउंटेनियिरंग का मक्का भी कहा जाता है। निम के प्रिंसिपल कर्नल आई एस थापा के मुताबिक माउटेनियरिंग के बेसिक कोर्स के लिए कैंडिडेट का फिजिकली फिट होना जरूरी है। साथ ही उसकी उम्र 17 से 35 साल के बीच हो। वहीं एडवांस कोर्स के लिए उम्र 18 से 40 साल के बीच और ए ग्रेड के साथ माउंटेनियरिंग का बेसिक कोर्स किया हो। यहां 26 दिन का बेसिक और 28 दिन का एडवांस कोर्स कराया जाता है। जॉब ऑप्शन : माउंटेनियरिंग का कोर्स करने के बाद आप ट्रेकिंग या माउंटेन गाइड बन सकते हैं। एक प्रक्षिशित ट्रेनर 12 हजार से लेकर 70 हजार रुपए महीने तक कमा सकता है। चाहें तो किसी संस्थान से सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स भी कर सकते हैं, जिसका आपको अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। आजकल इस क्षेत्र में जीपीएस ट्रेकिंग और मैप रीडिंग की जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। वहीं राघव की तरह खुद के एंडवेंचर कैंप्स भी आर्गेनाइज कर सकते हैं।
ट्रेनिंग फैसिलिटेटर्स और ट्रेनर्स
कंपनियों के एचआर डिपार्टमेंट आउटबाउंड ट्रेनिंग को ट्रेनिंग का सबसे बेहतरीन जरिया मानते हैं साथ ही यह काफी कारगर एंप्लॉई एंगेजमेंट मॉडल भी है। कंपनियों को अकसर आउटबाउंड ट्रेनिग प्रोग्राम्स के लिए काफी प्रशिक्षित और योग्य एंडवेंचर प्रोफशनल्स की जरूरत रहती है। फैसिलिटेटर और ट्रेनर बनने के लिए बेहतरीन स्किल्स के साथ-साथ अतिरिक्त योग्यता होना भी जरूरी है। एक फैसिलिटेटर और ट्रेनर की मासिक आय 15 हजार से लाख तक हो सकती है। इसके लिए विभिन्न संस्थानों में एडवेंचर कोर्स कराए जाते हैं।
स्कूबा डाइविंग
आजकल लोगों में समुद्र के प्रति दिलचस्पी तेजी से बढने लगी है। लोग सी लाइफ को नजदीक ले देखना चाहते हैं। फिल्मों में भी स्कूबा को इस्तेमाल बडे पैमाने पर होने लगा है। फिल्म ब्लू में भी अक्षय कुमार, संजय दत्त और लारा दत्ता समंदर की गहराइयों में अठखेलियां यानी स्कूबा डाइविंग करते नजर आए थे। अगर आप साहसी हैं और पानी से खेलने में आपको मजा आता है, तो आपके लिए यह फील्ड गोल्डन अपॉरच्युनिटी साबित हो सकता है। जॉब ऑप्शन : स्कूबा डाइविंग की ट्रेनिंग लेने वालों के लिए इस फील्ड में जॉब के ढेरों ऑप्शंस हैं। खासकर कोस्टल एरिया में देश-दुनिया से लाखों लोग आते हैं और यहां अंडर वाटर टूरिच्म को बढावा देने के लिए कंपनियां स्कूबा इंस्ट्रक्टर को हायर करती हैं। वैसे, इस फील्ड में आप कॉमर्शियल ड्राइवर, डाइविंग इंस्ट्रक्टर, बडी-बडी तेल कंपनियों में कंस्ट्रक्शन और रिपेयर डाइवर्स के रूप में जॉब कर सकते हैं। इस फील्ड में सैलरी भी काफी अच्छी होती है। शुरुआती दौर में अच्छे इंस्ट्रक्टर की सैलरी प्रति माह 30 हजार रुपये के करीब होती है। इसके अलावा, इंसेंटिव भी अलग से मिलता है। दो से तीन साल के अनुभव के बाद आप 50 से 70 हजार रुपये प्रति माह आराम से कमा सकते हैं।
रॉफ्टिंग और एयरो स्पोर्ट्स स्पेशलिस्ट
अब राफ्टिंग सिर्फ मौज-मस्ती के लिए ही नहीं रह गया है। कई साहसी युवाओं ने इसे बतौर करियर अपनाना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि भारत में राफ्टिंग अब काफी पॉपुलर हो रहा है। राफ्टिंग का कोर्स कराने वाले संस्थान राफ्टिंग में सर्टिफिकेट कोर्स संचालित करते हैं। राफ्टिंग की ट्रेनिंग के दौरान राफ्टिंग इक्विपमेंट्स के इस्तेमाल करने का तरीका सिखाया जाता है। साथ ही ओवरनाइट रिवर ट्रिप, नदी का बहाव, गहराई, ढलान और उसके खतरों की भी विस्तार से जानकारी दी जाती है। भारत में राफ्टिंग के कोर्स की अवधि छह माह होती है। वहीं देश में पैराग्लाइडिंग का क्रेज भी जबरदस्त बढ रहा है। यही वजह है कि आज देश के हर हिल स्टेशन में पैराग्लाइडिंग कराई जाती है। एक अच्छा पैराग्लाइडर इंस्ट्रक्टर बनने के फिजकली फिट होने के साथ-साथ कई घंटों की उडान का अनुभव होना जरूरी है। पैराग्लाइडिंग कोर्स 3 पार्ट्स में होता है, पहला पी वन लेवल (बिगनर्स), दूसरा पी टू लेवल (नोवाइस) और तीसरा पी थ्री लेवल (इंटरमीडियएट)। इसके अलावा कुमाऊं मंडल विकास निगम भी पैराग्लाइडिंग ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन करता है।
जॉब ऑप्शन : राफ्टिंग का कोर्स करने के बाद आप राफ्टिंग गाइड बन सकते हैं। चाहें तो अपना राफ्टिंग ट्रेनिंग स्कूल खोल सकते हैं। साहसी व एडवेंचर पसंद युवाओं को नदी में राफ्टिंग कराकर भी अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। वहीं पैराग्लाइडिंग कोर्स करने के बाद आप अपना ट्रेनिंग स्कूल या एडवेंचर ग्रुप्स या ट्रेवलिंग एजेंसी से जुड कर सैलानियों को पैराग्लाइडिंग करा सकते हैं।
कैसे करें शुरुआत?
इस फील्ड में एंट्री के लिए आपका एडवेंचर लवर होना जरूरी है, साथ ही स्पोर्ट्स को आगे बढाने का स्पिरिट का होना जरूरी है। बतौर ट्रेनर या आर्गेनाइजर आप अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए स्पोर्टिग टैलेंट और मैनेजमेंट की काबिलियत होना जरूरी है। वैसे ऑउटडोर स्पोर्ट्स का च्यादातर काम घूमने-फिरने के दौरान ही सीखा जाता है। ट्रेनर्स का काम एडवेंचर में लोगों की दिलचस्पी बढाना है। इसके अलावा संकट के समय रेस्क्यू ऑपरेशन की ट्रेनिंग इस फील्ड के लिए एडिशनल स्किल्स साबित हो सकती है।
कोर्सेज
- माउंटेनियरिंग नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी www.nimindia.org
- अटल बिहारी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली www.adventurehimalaya.org
- हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दार्जिलिंग www.
himalayanmountaineeringinstitu te.com - जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, पहलगाम
- प्लेनेट स्कूबा इंडिया, बेंगलुरु www.planetscu baindia.com
- बाराकूडा डाइविंग इंडिया, गोवा www.barracud adiving.com
- ठाणे स्कूबा डाइविंग क्लब, ठाणे, महाराष्ट्र www.acucindia.com
- लाकाडाइव, मुंबई एवं बैंगलुरु www.lacadives.com
- वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर, बिलासपुर
- अटल बिहारी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली www.adventurehimalaya.org
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाटर स्पोर्ट्स, पणजी www.niws.nic.in
- काटाबेटिक एंडवेंचर स्पोर्ट्स, ऋषिकेश www.katabatic.co.in
- रीजनल वाटर्स स्पोर्ट्स सेंटर, कांगडा
- हिमालयन रिवर रनर्स, नई दिल्ली www.hrrindia.com
पैरा ग्लाइडिंग
- बंगलौर माउंटेनियरिंग क्लब, बंगलुरु www.bmcindia.org/
- अटल बिहारी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली www.adventurehimalaya.org
- निर्वाना एडवेंचर्स, पुणे www.flynirvana.com
- पीजी गुरुकुल, मनाली www.pgindia.net
स्कीइंग
- विंटर स्पोर्ट्स स्कीइंग सेंटर, कुल्लू
- हाई एल्टीट्यूड ट्रेकिंग एंड स्कीइंग सेंटर, नारकंडा
- इंडियन स्कीइंग एंड माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, गुलमर्ग www.gulmarg.org
- अटल बिहारी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स www.adventurehimalaya.org
- एडवेंचर स्पोर्ट्स सेंटर, हटकोटी, शिमला
जरूरी है लीडरशिप क्वालिटी
एडवेंचर स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग देने वाले देश के प्रमुख संस्थान नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी (निम) के प्रिंसिपल कर्नल आई.एस. थापा से खास बातचीत :
एडवेंचर स्पोर्ट्स में निम कौन-कौन से कोर्स आयोजित करता है ?
निम में माउंटेनियरिंग में बेसिक के साथ-साथ एडवांस कोर्स, सर्च एंड रेस्क्यू आपरेशन, मेथड ऑफ इंस्ट्रक्शन, एडवेंचर कोर्स के अलावा कई दूसरे कोर्स भी कराये जाते हैं। इसके अलावा, एडवेंचर कोर्सो में युवाओं की बढती रुचि देखते हुए निम जल्द ही ऋषिकेश में गंगा किनारे अपना नया इंस्टीट्यूट खोलने जा रहा है, जहां एडवेंचर स्पोर्ट्स में नए कोर्स शुरू किए जाएंगे।
एडवेंचर स्पोर्ट्स में एंट्री के लिए आवश्यक योग्यता क्या होनी चाहिए?
निम पूरे साल विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के लिए कई कोर्स आयोजित करता है। वैसे तो रेगुलर कोर्सो में एंट्री की कुछ सीमाएं हैं, लेकिन स्पेशल कोर्स कोई भी ज्वाइन कर सकता है। हालांकि निम में किसी भी कोर्स में एंट्री से पहले कैंडिडेट का फिजिकल और मेडिकल टेस्ट अनिवार्य है।
देश में एडवेंचर कोर्सेज का क्या भविष्य है?
देश की जीडीपी में टूरिज्म का योगदान फिलहाल 6.23 फीसदी और कुल रोजगार में 8.78 फीसदी का योगदान है। पिछले कुछ सालों में भारत दुनिया में नए एडवेंचर स्पॉट के रूप में उभरा है। यही वजह है कि तकरीबन 50 लाख विदेशी टूरिस्ट सालाना भारत भ्रमण के लिए आते हैं। एडवेंचर टूरिज्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा है और भारत सरकार और राज्य सरकारें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए इसे काफी बढावा दे रही हैं।
एक प्रोफेशनल एडवेंचर स्पेशलिस्ट में किन गुणों का होना जरूरी है?एक प्रोफेशनल एडवेंचर स्पेशलिस्ट के लिए एक अच्छे संस्थान से ट्रेनिंग लेना आवश्यक है। इसके अलावा, उसे इलाके की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही वेदर ऑब्जर्वेशन स्किल्स के अलावा उसमें लीडरशिप क्वालिटी होनी चाहिए। वहीं किसी आकस्मिक दुर्घटना के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी होना भी जरूरी है।
इस फील्ड में जॉब ऑप्शंस और सैलरी प्रॉस्पेक्ट क्या हैं?
एडवेंचर स्पोर्ट्स अपने आप में रोमांचक और मजेदार करियर है। जहां तक इस फील्ड में पैसा कमाने की बात है तो यह कैंडिडेट की क्षमता और कार्य कुशलता पर निर्भर करता है। इस फील्ड में एंट्री के बाद आप अपनी ट्रैवेल एंजेसी खोल कर अच्छा पैसा कमा सकते हैं या फिर ट्रेनिग संस्थान, एडवेंचर एंजेसी के साथ जुड सकते हैं।
Tuesday, November 17, 2015
पर्दे के पीछे का कॅरियर : सिनेमेटोग्राफी
भारत
विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाले देशों में से एक है। यहां
प्रतिवर्ष विभिन्न भाषाओं में लगभग 800 फिल्में बनती हैं। खास
यह है कि अभिनय के अलावा इससे जुड़े तमाम तकनीकी क्षेत्रों में भी स्टूडेंट्स का रुझान देखने को मिल रहा है। यदि
आपमें दृश्यों और लाइटिंग की समझ है, तो सिनेमेटोग्राफी बेस्ट है...
फिल्मी दुनिया का नाम आते ही ग्लैमर, अकूत पैसा और शोहरत जैसी चीजें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जरूरी संघर्र्ष की कहानी वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने यहां अपना अलग स्थान हासिल किया है। लेकिन, नई पीढ़ी का न उत्साह कम है और न ही अपने पंखों को उड़ान देने में उन्हें किसी प्रकार की हिचक है। एक सिनेमा बनाने में पर्दे के पीछे और आगे बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन इनमें से कम प्रोफेशनल्स को ही लोग जानते हैं। प्यासा, कागज के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। अगर आप हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हर साल ऐसे लोग सम्मानित होते मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी तकनीकी कला से फिल्मों में जान डाल दी। यदि दृश्यों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए सिनेमेटोग्राफी में बेहतर कॅरियर है।
क्या है सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल काम है, जो दृश्यों को जीवंत बना देता है। गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है। एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग एडजेस्ट करने का काम करता है। उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सटीक जानकारी होती है और उसके पास व्यावसायिक तकनीकी ज्ञान, क्रिएटिविटी का भी समायोजन होता है।
जरूरी है कैमरा
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत होती है, जो अन्य कैमरों से कहीं अलग होता है। इस कैमरे का बखूबी प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो। सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है। दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें उसे महारथ होती है। आज स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का बढिय़ा उदाहरण हैं। इस तरह के सीनों का अधिकतर फिल्मों में बहुत उपयोग हो रहा है। फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का कैसे प्रयोग करना है, इसकी उसे पूरी-पूरी जानकारी होती है।
क्या हैं कोर्स
देश में कई संस्थान सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं। अगर आप इस कोर्स को करना चाहते हैं तो डिप्लोमा और शार्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्सन्स आपके सामने हैं। इसके अलावा सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है। सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण तो है ही साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है। इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट को पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन के अलावा टेक्निकल जानकारी दी जाती हैं।
शैक्षिक योग्यता
सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष होना जरूरी है। पीजी लेबल का कोर्स तभी किया जा सकता है, जब ग्रेजुएशन कम्प्लीट हो गया हो।
किनके लिए
यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है, जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी है।
अवसर
इस कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है। इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी आप काम कर सकते हैं।
वेतन
शुरुआती दौर में एक सिनेमेटोग्राफर को 7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।
प्रमुख संस्थान
फिल्मी दुनिया का नाम आते ही ग्लैमर, अकूत पैसा और शोहरत जैसी चीजें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जरूरी संघर्र्ष की कहानी वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने यहां अपना अलग स्थान हासिल किया है। लेकिन, नई पीढ़ी का न उत्साह कम है और न ही अपने पंखों को उड़ान देने में उन्हें किसी प्रकार की हिचक है। एक सिनेमा बनाने में पर्दे के पीछे और आगे बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन इनमें से कम प्रोफेशनल्स को ही लोग जानते हैं। प्यासा, कागज के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। अगर आप हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हर साल ऐसे लोग सम्मानित होते मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी तकनीकी कला से फिल्मों में जान डाल दी। यदि दृश्यों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए सिनेमेटोग्राफी में बेहतर कॅरियर है।
क्या है सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल काम है, जो दृश्यों को जीवंत बना देता है। गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है। एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग एडजेस्ट करने का काम करता है। उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सटीक जानकारी होती है और उसके पास व्यावसायिक तकनीकी ज्ञान, क्रिएटिविटी का भी समायोजन होता है।
जरूरी है कैमरा
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत होती है, जो अन्य कैमरों से कहीं अलग होता है। इस कैमरे का बखूबी प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो। सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है। दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें उसे महारथ होती है। आज स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का बढिय़ा उदाहरण हैं। इस तरह के सीनों का अधिकतर फिल्मों में बहुत उपयोग हो रहा है। फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का कैसे प्रयोग करना है, इसकी उसे पूरी-पूरी जानकारी होती है।
क्या हैं कोर्स
देश में कई संस्थान सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं। अगर आप इस कोर्स को करना चाहते हैं तो डिप्लोमा और शार्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्सन्स आपके सामने हैं। इसके अलावा सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है। सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण तो है ही साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है। इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट को पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन के अलावा टेक्निकल जानकारी दी जाती हैं।
शैक्षिक योग्यता
सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष होना जरूरी है। पीजी लेबल का कोर्स तभी किया जा सकता है, जब ग्रेजुएशन कम्प्लीट हो गया हो।
किनके लिए
यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है, जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी है।
अवसर
इस कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है। इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी आप काम कर सकते हैं।
वेतन
शुरुआती दौर में एक सिनेमेटोग्राफर को 7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।
प्रमुख संस्थान
· फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया-पूना
· सत्यजीत रॉय फिल्म इंस्टीट्यूट-मुंबई
· सेंट्रल ऑफ रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-दिल्ली
· एशियन एकादमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-नोएडा
· चेन्नई फिल्म स्कूल-तमिलनाडु
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी
दोनों के बीच तकनीकी अंतर है। जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है। इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल होता है, जो सामान्य कैमरों से अलग होता है। इसे हैंडल करने के लिए आपको प्रशिक्षण लेना पडता है। कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन विजुअलाइज करता है। वहीं फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है।
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