Wednesday, September 30, 2020

केमिकल इंजीनियरिं में करियर


केमिकल इंजीनियरिंग एक बेहतरीन करियर क्षेत्र है। इस फील्ड में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है। इसमें करियर के अवसरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं संजीव कुमार सिंह

केमिकल पदार्थों की बढ़ती मात्रा एवं भागीदारी के चलते इसमें रोजगार की संभावना तेजी से बढ़ रही है। इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स ‘केमिकल इंजीनियर’ व यह पूरी प्रक्रिया ‘केमिकल इंजीनियरिंग’ कहलाती है। सामान्यत: केमिकल इंजीनियरिंग को इंजीनियरिंग की एक शाखा के रूप में जाना-समझा जाता है, जिसके अंतर्गत कच्चे पदार्थों एवं केमिकल्स को किसी प्रयोग की चीज में बदला जाता है, जबकि मॉडर्न केमिकल  इंजीनियरिंग कच्चे पदार्थों को बदलने के साथ-साथ तकनीक (नैनोटेक्नोलॉजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) पर भी बल देती है। इस विधा के अंतर्गत रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं का हल ढूंढा जाता है। इसके अलावा उत्पादन प्रक्रिया में होने वाले डिजाइन प्रोसेस का कार्य डिजाइन इंजीनियर देखते हैं। अत: इसमें एक ही साथ कई अलग-अलग क्षेत्रों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह पाठ्यक्रम केमिस्ट्री व  इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसमें कच्चे पदार्थों या केमिकल्स को विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत आवश्यक पदार्थों में तब्दील किया जाता है। इसमें नए मेटेरियल एवं तकनीकों की खोज भी की जाती है। इंजीनियरिंग की ही शाखा होने के कारण इसका कार्यस्वरूप काफी कुछ केमिस्ट्री एवं फिजिक्स से मिलता-जुलता है।

कुछ अलग सी है दुनिया
केमिकल इंजीनियर का कार्य केवल डिजाइन एवं मेंटेनेंस तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई परिस्थितियों में उन्हें कॉस्ट कटिंग एवं प्रोडक्शन सरीखे कार्यों को भी अंजाम देना पड़ता है। एक तरह से देखा जाए तो यह क्षेत्र हमेशा हुनर की तलाश में रहता है। नए आने वाले लोगों को पहले अनुभवी इंजीनियरों के साथ किसी तत्कालीन उपयोगिता वाले कार्य या परियोजना पर काम करने का मौका दिया जाता है।

प्रवेश परीक्षा
इसमें प्रवेश लेने के लिए आईआईटी जेईई या अन्य प्रवेश परीक्षाओं में बैठना अनिवार्य है। इसमें कुछ परीक्षा ऑल इंडिया अथवा कुछ स्टेट लेवल पर आयोजित की जाती हैं। इनमें उत्तीर्ण होने के पश्चात ही प्रमुख कोर्सों में प्रवेश मिल पाता है। इसमें मुख्यत: बीई या बीटेक में मुख्य रूप से इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, पॉलीमर प्रोसेसिंग, पॉलीमर टेस्टिंग, पॉलीमर सिंथेसिस तथा एम ई स्तर के पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से प्लांट डिजाइन, पेट्रोलियम रिफाइन, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, पेट्रोकेमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, प्रोसेसिंग ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स आदि की जानकारी दी जाती है।

वैज्ञानिक अभिरुचि से प्रगति
विज्ञान में रुचि एवं सिद्धांतों की जानकारी रखने वाले छात्रों के लिए यह एक विशिष्ट क्षेत्र है। चूंकि यह क्षेत्र अनुसंधान कार्य से जुड़ा है। अत: इसमें करियर बनाने वाले छात्रों को परिश्रमी, धैर्यवान, साहसी व लंबे समय तक अकेले कार्य करने की क्षमता रखनी होगी। साथ ही विश्लेषक, कम्युनिकेशन की दृष्टि से मजबूत, तकनीकी रुचि रखने वाला, कम्यूटर पर अच्छी पकड़ तथा आर्ट की कला में माहिर होना भी आवश्यक है। ऐसे व्यक्ति, जिनमें संख्या आकलन और विश्लेषक की क्षमता के साथ-साथ वैज्ञानिक झुकाव हो तो वे आसानी से इस व्यवस्था की तरफ मुड़ सकते हैं।

पाठय़क्रम संबंधी जानकारी
केमिकल इंजीनियरिंग का पाठय़क्रम केमिकल टेक्नोलॉजी से भिन्न होता है। इसमें आर्गेनिक व इनआर्गेनिक केमिकल्स को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी कंपनियों में डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित कार्य किए जाते हैं। रेगुलर कोर्सेज के अलावा दूरस्थ शिक्षा के जरिए भी कई तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। एक केमिकल इंजीनियर का कार्य केमिकल प्लांट्स को डिजाइन, ऑपरेट एवं उसके प्रोडक्शन से जुड़े कार्यों को अंजाम देना होता है।

कुछ प्रमुख कोर्स
डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
बैचलर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
मास्टर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
इंट्रिग्रेटेड एमटेक इन केमिकल इंजीनियरिंग
पोस्ट डिप्लोमा इन पेट्रो केमिकल टेक्नोलॉजी

व्यापक है इसका कार्यक्षेत्र
कोर्स करने के बाद सबसे ज्यादा नियुक्तियां केमिकल, प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रिंटिंग, फूड व मिल्क इंडस्ट्री में होती हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल्स मिनरल इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्यूटिकल, सिंथेटिक फाइबर्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स, डाई, पेंट, वार्निश, औषधि निर्माण, पेट्रोलियम टेक्सटाइल एवं डेयरी प्लास्टिक उद्योग आदि क्षेत्रों में रोजगार पा सकते हैं। रासायनिक उद्योग की दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी उत्तम है। शोध में रुचि रखने वाले रिसर्च इंजीनियरिंग का विभाग संभालते हैं। कुछ लोग विपणन व प्रबंधन का काम देखते हैं। प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित रोजगार की भरमार है। एक केमिकल इंजीनियर को प्रयोगशाला जैसे सरकारी प्रयोगशाला, उद्योग शोध संघ, निजी परामर्श केंद्र, विश्वविद्यालय शोध दल में भी तरह-तरह के कार्य एवं अनुसंधान करने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त वे अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में विश्लेषण, निर्माण संबंधी कार्य देखते हैं। 

इस रूप में मिलेगा काम
सुपरवाइजर या मैनेजर
टेक्निकल स्पेशलिस्ट
प्रोजेक्ट मैनेजर
प्रोजेक्ट इंजीनियर
केमिकल इंजीनियर
केमिकल डेवलपमेंट इंजीनियर
क्वालिटी कंट्रोलर’ लेबोरेटरी असिस्टेंट 

सेलरी
कार्य, अनुभव, योग्यता एवं पद को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में अधिक पारिश्रमिक दिया जाता है। फ्रेशर्स को प्रारंभ में 15000 से लेकर 25000 रुपए प्रतिमाह तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं, जबकि एक डिप्लोमा धारक को सरकारी संस्थानों द्वारा 14000 से 15000 रुपए प्रतिमाह प्राप्त होते हैं।

कॉलेज के लेक्चरर को प्रारंभिक वेतन 50,000 से 60,000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किया जाता है। एक इंजीनियर को सरकारी संस्थानों द्वारा 30,000-40,000 एवं सरकारी आवास तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

विज्ञान का ज्ञान आवश्यक
केमिकल इंजीनियर बनने के लिए बीई या बीटेक (स्नातक स्तर) तथा परा स्नातक स्तर पर एमई होना आवश्यक है। ऐसे में जो छात्र आगे चल कर केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं, उन्हें बारहवीं में विज्ञान विषय लेना होगा। अधिकांश संस्थान ऐसे हैं, जो दसवीं के पश्चात डिप्लोमा या पॉलिटेक्निक से संबंधित कोर्स करवाते हैं। बीई तथा बीटेक चार वर्ष का तथा एमई दो वर्ष का होता है। यदि बारहवीं के पश्चात सीधे एमई में दाखिला लेते हैं तो वह पांच वर्ष का हो जाता है। इसी तरह से केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स तीन वर्ष का होता है।

एक्सपर्ट व्यू
प्रो.एएसके सिन्हा

चैलेंज व स्कोप दोनों हैं अनलिमिटेड
आमतौर पर लोगों का मानना है कि केमिकल इंजीनियरिंग का पूरा आधार केमिस्ट्री पर होता है तथा सिलेबस में भी यह सब्जेक्ट ज्यादा हावी होता है, जबकि यह सत्य नहीं है। केमिस्ट्री के अलावा इसमें अन्य कई चीजों को शामिल किया जाता है। आज बायोमास, हाइड्रोजन, सोलर एनर्जी, आरओ प्लांट आदि सभी के पीछे केमिकल इंजीनियरों की मेहनत छिपी होती है। प्रदूषण दूर करने में भी इसका योगदान सराहनीय होता है। फर्टिलाइजर, यूरिया, अमोनिया व दवाओं आदि को केमिकल इंजीनियरों की मदद से ही तैयार किया जाता है। इस आधार पर कहना गलत न होगा कि केमिकल इंजीनियरिंगजीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी है। जो भी एनर्जी के सोर्स हैं,वे सब केमिकल हैं, इसलिए इसका दायरा व स्कोप काफी बडम है। इसमें प्रोफेशनल्स को कदम-कदम पर तमाम तरह की चुनौतियां भी उठानी पडम्ती हैं। एनर्जी क्राइसेस, मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर के ऑटोमेशन आदि का सामना केमिकल इंजीनियरों को करना पड़ता है। इस फील्ड में लड़कियों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है। कुछ वर्ष पहले तक क्लास में 1-2 प्रतिशत लड़कियां होती थीं, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 10-12 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
प्रो. एएसके सिन्हा, हेड केमिकल  इंजीनियरिंगडिपार्टमेंट, आईआईटी, बीएचयू, वाराणसी

फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान
देश में कई ऐसे संस्थान हैं, जो केमिकल इंजीनियरिंग एवं केमिकल टेक्नोलॉजी के पाठय़क्रम मुहैया कराते हैं। प्रमुख संस्थान निम्न हैं-

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.iitd.ernet.in
(मुंबई, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई, रुड़की आदि में भी शाखाएं मौजूद)

बिड़ला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटीएस), रांची
वेबसाइट- www.bitmesra.ac.in

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.dce.edu

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद
वेबसाइट- www.iiita.ac.in

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट- www.iitbhu.ac.in

जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अलीगढ़
वेबसाइट-  www.amu.ac.in

Sunday, September 13, 2020

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करियर

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग क्या है?

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (ईईई) की फील्ड इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के एप्लीकेशन्स से संबद्ध है. इसके कोर्सवर्क में छात्रों को इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स को डिज़ाइन करने, विकसित करने और टेस्ट करने के लिये प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देना शामिल है. यह फील्ड छात्रों को कोर इंजीनियरिंग विषयों जैसेकि कम्युनिकेशन्स, कंट्रोल सिस्टम्स, सिग्नल प्रोसेसिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी डिज़ाइन, माइक्रोप्रोसेसर्स, पॉवर जनरेशन आदि में फंडामेंटल नॉलेज की एक व्यापक रेंज उपलब्ध करवाती है.

इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर क्या करता है?

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग पढ़ने वाले छात्र का मेन फोकस इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, मेकाट्रोनिक्स टेक्नोलॉजीज़, ऑटोमेशन और कंट्रोल सिस्टम्स आदि की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट और निर्माण कार्य से संबद्ध होगा. ये छात्र इलेक्ट्रिकली ऑपरेटेड व्हीकल्स, कंप्यूटर्स, इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी स्टोरेज डिवाइसेज, इंडस्ट्रियल रोबोट्स, सीएनसी मशीन्स आदि के लिए सर्किट्स डिज़ाइन करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं. इसके साथ ही इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स पॉवर जनरेशन ट्रांसमिशन और टेलीकम्यूनिकेशन सेक्टर्स में भी काम करते हैं.

कोर्सेज और ड्यूरेशन

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड छात्रों के बीच बड़ी तेज़ी से लोकप्रिय इंजीनियरिंग करियर ऑप्शन बन रही है. इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के लिए एकेडेमिक क्राइटेरिया को मुख्य तौर पर  निम्नलिखित चार कोर्सेज/ प्रोग्राम्स में बांटा गया है:

  • डिप्लोमा कोर्सेज – यह कोर्स छात्रों को इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा ऑफर करता है और आप 10 वीं और 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स की ड्यूरेशन या अवधि 3 वर्ष है.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यह एक 4 वर्ष की अवधि का कोर्स है जिसे पूरा करने पर आपको इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक (बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की डिग्री मिलती है. आप 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं.
  • पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज – यह 2 वर्ष की अवधि का कोर्स है जो इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एमटेक (मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री ऑफर करता है. इस कोर्स में एडमिशन लेने से पहले आपके पास उपयुक्त फील्ड में अंडरग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – यह इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डॉक्टोरल डिग्री या पीएचडी (डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री) प्राप्त करने के लिए एक 3 वर्ष की अवधि का कोर्स है. यह कोर्स करने के लिए छात्रों के पास किसी उपयुक्त विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.

सबसे लोकप्रिय उप-विषय

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में कई स्पेशलाइजेशन्स होते हैं और छात्र बैचलर डिग्री प्राप्त करने के बाद हायर डिग्रीज प्राप्त करने के लिए इन उप-विषयों में से किसी एक में स्पेशलाइजेशन हेतु अपनी  स्टडीज जारी रख सकते हैं. इस फील्ड के कुछ सबसे लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

• सॉफ्टवेयर

• इलेक्ट्रॉनिक्स

• सिग्नल प्रोसेसिंग

• कंप्यूटर इंजीनियरिंग

• पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स

• कम्युनिकेशन्स

• नैनो टेक्नोलॉजी

• एम्बेडेड सिस्टम्स

• बायोमेडिकल इमेजिंग

• हार्डवेयर

• पावर सिस्टम इंजीनियरिंग (रिन्यूएबल एनर्जी सहित)

• कंट्रोल

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में शामि मेन सब्जेक्ट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड में शामिल कुछ मेन सब्जेक्ट्स निम्नलिखित हैं:

• एडवांस्ड डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग

• कम्युनिकेशन सिस्टम्स

• कंट्रोल सिस्टम एनालिसिस

• इलेक्ट्रोमैग्नेटिक

• लो नॉइज़ एम्पलीफायर

• माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स

• पॉवर सिस्टम्स

• सिग्नल सिस्टम्स एंड नेटवर्क्स एनालिसिस

• इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज एंड सर्किट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में कैसे लें एडमिशन?

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में छात्र कई कोर्स कर सकते हैं. यद्यपि इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय कोर्स 4 वर्ष का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है और छात्र 12 वीं पास करने के बाद इसमें एडमिशन ले सकते हैं. इसके अलावा, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित है: 

विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

  • डिप्लोमा कोर्सेज – छात्र ने किसी मान्यताप्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यूजी प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स देने होते हैं. इसके अलावा, छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज – पीजी प्रोग्राम्स में एडमिशन लेने के लिए भी छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स पास करने होते हैं. छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से संबद्ध विषय में अंडरग्रेजुएट की डिग्री भी होनी चाहिए.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कोर्सेज के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स

इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में एडमिशन लेने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और यूनिवर्सिटी लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित किये जाते हैं. इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए छात्र निम्नलिखित लोकप्रिय एग्जाम्स दे सकते हैं:

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - मेन (जेईई मेन)

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड)

• ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)

• वीआईटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीईई)

• वीआईटी यूनिवर्सिटी मास्टर’स एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीएमईई)

• बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस हायर डिग्री एग्जाम (बीआईटीएस एचडी)

• दी महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचटीसीईटी)

• उत्तर प्रदेश राज्य एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)

• बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एडमिशन टेस्ट (बीआईटीएसएटी)

भारत में टॉप 10 इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट्स

भारत में इंजीनियरिंग कोर्सेज करने के लिए सबसे बढ़िया कॉलेजों के तौर पर ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज़’ अर्थात आईआईटी’ज माने जाते हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग वर्ष 2018 के अनुसार भी, भारत में यूजीसी से मान्यताप्राप्त टॉप 10 इंजीनियरिंग कॉलेज निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास, मद्रास

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे, बॉम्बे

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर, खड़गपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली, दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर, कानपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की, रुड़की

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी, गुवाहाटी

• अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई

• जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हैदराबाद, हैदराबाद

छात्रों के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की फील्ड इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के एप्लीकेशन्स से संबद्ध है. इन कोर्सेज को करने वाले छात्र इंजीनियरिंग वर्क्स, कंस्ट्रक्शन्स, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में करियर ऑप्शन्स तलाश सकते हैं. एक इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर के तौर पर आप इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, सॉफ्टवेयर और नेटवर्किंग सिस्टम्स को डिज़ाइन करने, डेवलप करने और टेस्ट करने के कार्य करेंगे.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग का फ्यूचर स्कोप

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए जॉब के काफी अच्छे अवसर और स्कोप मौजूद हैं. एक इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर के तौर पर आप उन इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं जो प्रोडक्ट डेवलपमेंट, कंट्रोल सिस्टम्स, सिस्टम मैनेजमेंट, प्रोडक्ट डिज़ाइन, सेल्स, वायरलेस कम्युनिकेशन, मैन्युफैक्चरिंग, केमिकल, ऑटोमोटिव और स्पेस रिसर्च संगठनों से संबद्ध कार्य करती हैं. इस फील्ड में डॉक्टोरल डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्र रिसर्च फील्ड में भी कार्य कर सकते हैं.

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स

इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के विभिन्न कोर्स करने वाले छात्रों के लिए कुछ लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं:

• चीफ इंजीनियर

• क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर

• कंट्रोल एंड इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर

• डिज़ाइन इंजीनियर

• इलेक्ट्रिकल इंजीनियर

• ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियर

• मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स इंजीनियर

• सिस्टम एनालिस्ट

• इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर

• आईटी कंसलटेंट

• सिस्टम्स डेवलपर

• नेटवर्क इंजीनियर

रोज़गार के बढ़िया अवसर ऑफर करने वाले लोकप्रिय रिक्रूटर्स

इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स को रिक्रूट करने वाले कुछ प्रसिद्ध ऑर्गेनाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

गवर्नमेंट सेक्टर

• भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल)

• पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल)

• स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)

• इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)

• नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी)

• एनएसपीसीएल

• स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड

• गेल

प्राइवेट सेक्टर

• टाटा मोटर्स

• टाटा स्टील एंड पावर लिमिटेड

• एल एंड टी कंस्ट्रक्शन एंड स्टील

• जेनिथ कंस्ट्रक्शन

• जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड

• ओमेगा एलीवेटर

Friday, September 11, 2020

हाउसकीपिंग क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर

वर्तमान समय में हर परिवार की समस्या है बेरोज़गारी,  आज के समय में मास्टर्स (Masters), एमबीए  (MBA), पीएचडी (PHD) करने के बावजूद भी लोग नौकरी की तलाश में लगे है. हर व्यक्ति चाहता है कि हमारी अच्छी जॉब, अच्छी सैलरी हो तो इसके लिए एक ऐसा क्षेत्र है, जहा आपको अच्छी जॉब के साथ अच्छी सैलरी भी मिल सकती है.

हाउसकीपिंग इंडस्ट्री जो बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. यह आपके लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है.आज के ज्यादातर युवा अब इसमें अपना भविष्य देख रहे है. क्योंकि हाउसकीपिंग मल्टीटास्किंग होता है हर जॉब में हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट अलग -अलग तरीको से काम करता है पर इसकी ज्यादा मांग होटल, हॉस्पिटल और कॉर्पोरेट कंपनियों में है. लोगों के मन में इस प्रोफेशन को लेकर कई तरह की गलतफहमियां है. कई लोगों का मानना है कि हाउसकीपिंग सिर्फ साफ सफाई का काम है. लेकिन ऐसा नहीं है एक हाउस कीपर को सफाई के अलावा और भी बहुत से काम करने पड़ते है. जैसे अतिथियों(Guest) का स्वागत करना या उनका ध्यान रखना हर कार्य को समय पर पूरा करना आपातकालीन स्थिति (Emergency situation ) में सुरक्षा करना आदि.

शैक्षिक योग्यता

हाउसकीपिंग के बहुत सारे कोर्सेस (Courses ) होते है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से 2 तरह के कोर्स होते है -एक जो दसवीं के बाद 3 साल का डिप्लोमा और दूसरा बारहवीं व स्नातक (Graduation ) के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन इन हाउसकीपिंग (Post Graduation in Housekeeping) और मैनेजमेंट का डिप्लोमा जिसके बाद आप हाउस कीपर बन सकते है. यहाँ अलग -अलग पदों में काम किया जाता है. जैसे - एग्जीक्यूटिव हाउसकीपर (Executive House Keeper), असिस्टेंट हाउसकीपर(Assistant House Keeper ), फ्लोर सुपरवाइजर (Floor Supervisor) , स्टोरकीपर (Store Keeper), डेस्क सुपरवाइजर (Desk Supervisor) आदि इस कोर्स को करने के लिए बारहवीं में 50 प्रतिशत अंकों से सफल होना अनिवार्य है. आज कल इस कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा  (Entrance Exam) को भी पास करना पड़ता है. जिसमे लिखित परीक्षा (Theory ) व ग्रुप डिस्कशन (Group Discussion) में पास होने के बाद ही चुनाव किया जाता है.

हाउसकीपिंग कोर्सेज व डिप्लोमा के टॉप इंस्टिट्यूट:

एशियाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म

क्रैडल ऑफ़ मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट

फ्रैंकफिन इंस्टिट्यूट

हाउसकीपिंग में करियर व सैलरी

वैसे तो हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट हर क्षेत्र में होता है. लेकिन इनकी प्रमुख मान्यताएं होटल्स, हॉस्पिटल, कॉर्पोरेट कंपनी व मीडिया हाउस में ज़्यादा होती है. इसमें शुरुआती दिनों में सैलरी 10  से 15 हज़ार के बीच  होती है. लेकिन काम व अनुभव के साथ -साथ वेतन में भी बढ़ोतरी होती है.

हाउसकीपिंग के लिए टॉप प्रशिक्षण स्थान

ओबेरॉय ग्रुप ऑफ़  होटल्स (Oberoi Group of hotels)

हयात कॉर्पोरेशन (Hayat Corporation)

रैडिसन ब्लू (Radisson Blu)

इम्पीरियल होटल (Imperial Hotel)

अशोका होटल (Ashoka Hotel)

ताज ग्रुप्स ऑफ होटल्स ( Taj Groups of Hotel)

मैक्स  हॉस्पिटल (Max Hospital)

मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम (Medanta Hospital Gurugram)

फोर्टिस हेल्थ केयर (Fortis Health Care)

एयरपोर्ट्स (Airports)

Saturday, September 5, 2020

मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी का कोर्स कर सवारें अपना भविष्‍य

अब मेडिकल फील्ड में भी राहों की कमी नहीं है. बायोलॉजी के हर स्टुडेंट की ख्वाहिश होती है कि वह डॉक्टर बने. लेकिन अगर वह उसमें सफल नहीं होते, तो निराश होने की जरूरत नहीं है. मेडिकल में अन्य फील्ड भी हैं जहां जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं. उनमें से एक है- मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी. मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड निजी और गवर्नमेंट फील्ड्स में भी खूब है.

कैसे होती है एंट्री?
लैब टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाने के लिए कई रास्ते खुल गए हैं. इसके लिए सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स किए जा सकते हैं. आम तौर पर ऐसे कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं. डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट होना जरूरी है, जिसकी अवधि दो वर्ष की होती है. ऐसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन लें, जहां अच्छे लैब उपकरण हों. इस फील्ड में जॉब तो बीएससी या डिप्लोमा करके ही हासिल किया जा सकता है. लेकिन किसी अच्छे सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन कर लेने से ऑप्शन बढ़ जाते हैं और डिमांड एक स्पेशलिस्ट के रूप होने लगती है.

इस फील्ड में दो तरह के प्रोफेशनल्स काम करते हैं- एक मेडिकल लैबोरेट्री टेक्निशियन और दूसरे मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट. आम तौर पर टेक्निशियन के काम को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है- नमूना तैयार करना, जांच की मशीनों को ऑपरेट करना और उनका रखरखाव तथा जांच की रिपोर्ट तैयार करना. वहीं मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है

इस फील्ड में हैं कई राहें
पैरा मेडिकल सिर्फ नर्सिंग और हॉस्पिटल के प्रशासनिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है. इसके दायरे में कई सारे फील्ड्स, जैसे- मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी, ऑर्थोटिक और प्रोस्थेटिक टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड मैनेजमेंट, ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी, डेंटल हाइजिन ऐंड डेंटल मैकेनिक और स्वास्थ्य स्वच्छता निरीक्षण आदि आते हैं.

जॉब की संभावनाएं
डीपीएमआइ की प्रिंसिपल डॉ. अरुणा सिंह बताती हैं, ''इसमें गवर्नमेंट फील्ड के जॉब के लिए वैकेंसीज का इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ऐसी बात नहीं है. मेडिकल फील्ड में प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केङ्क्षटग सेल्स, क्वालिटी इंश्योरेंस, एन्वायरनमेंट हेल्थ ऐंड इंश्योरेंस जैसे फील्ड्स में भी मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड है.” इस फील्ड में प्रोफेशनल्स की शुरुआती सैलरी 10,000-15,000 रु. प्रति माह है. अनुभव के बाद सैलरी बढऩे के साथ-साथ अपना लैब भी खोला जा सकता है. सरकारी फील्ड में शुरुआत से ही अच्छी सैलरी मिलती है.

हेल्थ सेक्टर में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डॉक्टर्स के साथ ही पारा मेडिकल प्रोफेशनल्स की जबरदस्त मांग है. इस सेक्टर में इनकी तादाद करीब 60 फीसदी होती है. एक सर्वे के मुताबिक, देश में 2015 तक 60 लाख से अधिक ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी. योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 10,00,000 नर्सों और बड़ी तादाद में ऐसे प्रोफेशनल्स की कमी है. जाहिर है इस फील्ड में करियर की काफी संभावनाएं हैं.

Tuesday, August 25, 2020

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में करियर

मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्या है?

मैकेनिकल इंजीनियरिंग सबसे पुराने और व्यापक विषयों में से एक इंजीनियरिंग विषय है. यह मशीन्स और टूल्स की डिजाइनिंग, प्रोडक्शन और ऑपरेशन के लिए हीट और मैकेनिकल पॉवर के उत्पादन और इस्तेमाल से संबद्ध है. इस फील्ड में करियर शुरू करने वाले छात्रों के लिये यह बहुत जरुरी है कि उन्हें कोर कन्सेप्ट्स जैसेकि, मैकेनिक्स, कीनेमेटीक्स, थर्मोडायनामिक्स, मेटीरियल साइंस, स्ट्रक्चरल एनालिसिस आदि की अच्छी समझ होनी चाहिए. इन कोर्सेज में मुख्यतः टेक्निकल एरियाज जैसेकि जनरेटर्स के माध्यम से इलेक्ट्रिसिटी का डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रांसफार्मर्स, डिजाइनिंग, इलेक्ट्रिक मोटर्स, ऑटोमोबाइल्स, एयरक्राफ्ट और अन्य हैवी व्हीकल्स शामिल हैं.

मैकेनिकल इंजीनियर्स क्या करते हैं?

मैकेनिकल इंजीनियरिंग आपके जीवन के तकरीबन हरेक पहलू को प्रभावित करती है. अधिकांश चीज़ें, जो हम अपनी रोजाना की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं, उन्हें मैकेनिकल इंजीनियर्स ही डिज़ाइन और डेवलप करते हैं. उदाहरण के लिए, माइक्रो-सेन्सर्स, कंप्यूटर्स, ऑटोमोबाइल्स, स्पोर्ट्स इक्विपमेंट, मेडिकल डिवाइसेज, रोबोट्स और कई अन्य वस्तुएं. हमारे जीवन को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए इन नई डिवाइसेज और इक्विपमेंट से मदद मिलती है. 

कोर्सेज एंड ड्यूरेशन

मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की कोर फ़ील्ड्स में से एक है. यह इंजीनियरिंग के सबसे पुराने विषयों में से भी एक है. आजकल, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कई स्पेशलाइजेशन्स को शामिल किया गया है. जो कन्सेप्ट्स यहां शामिल किये गए हैं, वे इंजीनियरिंग की अन्य फ़ील्ड्स से भी परस्पर संबद्ध हैं. उदाहरण के लिए, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सिविल, केमिकल आदि विषय इंजीनियरिंग के ऐसे विषय हैं जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग से भी अच्छी तरह संबद्ध हैं. जो छात्र मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कोई कोर्स करना चाहते हैं, वे विभिन्न कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं:

  • डिप्लोमा कोर्सेज – यह कोर्स छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा ऑफर करता है और आप 10 वीं और 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स की ड्यूरेशन या अवधि 3 वर्ष है.  
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यह एक 4 वर्ष की अवधि का कोर्स है जिसे पूरा करने पर आपको मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक (बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की डिग्री मिलती है. आप 12 वीं क्लास पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं.
  • पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज – यह 2 वर्ष की अवधि का कोर्स है जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमटेक (मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी) की पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री ऑफर करता है. इस कोर्स में एडमिशन लेने से पहले आपके पास उपयुक्त फील्ड में अंडरग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – यह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टोरल डिग्री या पीएचडी (डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री) प्राप्त करने के लिए एक 3 वर्ष की अवधि का कोर्स है. यह कोर्स करने के लिए छात्रों के पास किसी उपयुक्त विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.

सबसे लोकप्रिय उप-विषय

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में कई स्पेशलाइजेशन्स होते हैं और छात्र बैचलर डिग्री प्राप्त करने के बाद हायर डिग्रीज प्राप्त करने के लिए इन उप-विषयों में से किसी एक में स्पेशलाइजेशन हेतु अपनी स्टडीज जारी रख सकते हैं. इस फील्ड के कुछ सबसे लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन्स निम्नलिखित हैं:

  • मेकाट्रोनिक्स एंड रोबोटिक्स – यह फील्ड कई विषयों जैसे रोबोटिक्स, आर्टिफीशल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर साइंस, न्यूरोसाइंस, साइकोलॉजी और कई अन्य विषयों से संबद्ध है. रोबोटिक्स में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्रों के लिए कई बेहतरीन करियर ऑप्शन्स मौजूद हैं. वे विभिन्न इंडस्ट्रीज जैसेकि, मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, ट्रांसपोर्टेशन, एंट्री एवं अन्य संबद्ध इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं.
  • थर्मोडाईनॅमिक्स एंड थर्मो-साइंस – यह फील्ड हीट ट्रांसफर और थर्मोडाईनॅमिक्स के फंडामेंटल प्रिंसिपल्स के साथ ही एडवांस्ड इंजीनियरिंग सिस्टम्स में उनके एप्लीकेशन और डिजाइनिंग से संबद्ध है.
  • नैनोटेक्नोलाजी – इस फील्ड में बहुत ज्यादा छोटे पैमाने पर टेक्नोलॉजी की स्टडी और डेवलपमेंट शामिल हैं. इस फील्ड में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्रों को केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग, बायोलॉजी आदि की फ़ील्ड्स में करियर के कई अवसर मिलते हैं.
  • फ्लूइड मैकेनिक्स – रॉकेट इंजन्स, एयर-कंडीशनिंग, आयल पाइपलाइन्स, विंड टरबाइन्स आदि की डिजाइनिंग और समझ रखने के लिए फ्लूइड मैकेनिक्स में स्पेशलाइजेशन करना बहुत आवश्यक है. ओशन करंट्स, टेक्टोनिक प्लेट्स और अन्य संबद्ध टॉपिक्स को एनालाइज करने के लिए भी इस फील्ड का बहुत महत्व है.
  • सॉलिड मैकेनिक्स – सॉलिड मैकेनिक्स में स्पेशलाइजेशन के तहत बिहेवियर, मोशन, डिफोरमेशन और एक्सटर्नल इन्फ्लुएंसेज के अनुसार सॉलिड मेटीरियल्स की स्टडी शामिल है. इस फील्ड में एक्सपरटाइज प्राप्त करने के बाद आपके पास मैन्युफैक्चरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग करियर शुरू करने के ढेरों अवसर मौजूद हैं. 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मुख्य विषय

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में शामिल कुछ मुख्य विषय निम्नलिखित हैं:

• कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स एंड हीट ट्रांसफर

• कंप्यूटर एडेड डिजाइन ऑफ़ थर्मल सिस्टम

• फंडामेंटल्स ऑफ़ कास्टिंग एंड सॉलिडीफिकेशन

• इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग एंड ऑपरेशन रिसर्च

• मॉडलिंग ऑफ़ टरबूलेंट कम्बस्शन

• प्रिंसिपल ऑफ़ वाइब्रेशन कंट्रोल

• रेलरोड व्हीकल डायनामिक्स

• रोबोट मैनिपुलेटर्स डायनामिक्स एंड कंट्रोल

• ट्रांजीशन एंड टर्बुलेंस

• वेव प्रोपेगेशन इन सोलिड्स

एडमिशन प्रोसेस

मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर इंजीनियरिंग विषयों में सबसे ज्यादा पसंदीदा कोर्सेज में से एक है. छात्र विभिन्न लेवल्स जैसेकि डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, डॉक्टोरल के तहत मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कोई कोर्स कर सकते हैं. लेकिन, उक्त कोर्सेज में से हरेक कोर्स के लिए पहले से जरूरी कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया हैं और छात्रों के पास अवश्य ये योग्यतायें होनी चाहियें. इसलिये, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया निम्नलिखित है: 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

  • डिप्लोमा कोर्सेज – छात्र ने किसी मान्यताप्राप्त शिक्षा बोर्ड से 10 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो.छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – यूजी प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स देने होते हैं. इसके अलावा, छात्र ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स आदि मुख्य विषयों के साथ 12 वीं क्लास पास की हो.
  • पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज – पीजी प्रोग्राम्स में एडमिशन लेने के लिए भी छात्र को उपयुक्त एंट्रेंस एग्जाम्स पास करने होते हैं. छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से संबद्ध विषय में अंडरग्रेजुएट की डिग्री भी होनी चाहिए.
  • डॉक्टोरल कोर्सेज – डॉक्टोरल प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए, छात्र के पास किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से किसी संबद्ध विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री अवश्य होनी चाहिए.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स

इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में एडमिशन लेने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और यूनिवर्सिटी लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित किये जाते हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए छात्र निम्नलिखित लोकप्रिय एग्जाम्स दे सकते हैं:

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - मेन (जेईई मेन)

• जॉयंट एंट्रेंस एग्जाम - एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड)

• वीआईटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीईईई)

• दी महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचटीसीईटी)

• उत्तर प्रदेश राज्य एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)

• बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एडमिशन टेस्ट (बीआईटीएसएटी)

• वीआईटी यूनिवर्सिटी मास्टर’स एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीएमईई)

• ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)

• बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस हायर डिग्री एग्जाम (बीआईटीएस एचडी)

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए टॉप 10 इंस्टिट्यूट्स 

भारत में इंजीनियरिंग कोर्सेज करने के लिए सबसे बढ़िया कॉलेजों के तौर पर ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज़’ अर्थात आईआईटी’ज माने जाते हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग वर्ष 2018 के अनुसार, भारत में यूजीसी से मान्यताप्राप्त टॉप 10 इंजीनियरिंग कॉलेज निम्नलिखित हैं:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास, मद्रास

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे, बॉम्बे

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर, खड़गपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली, दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर, कानपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की, रुड़की

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी, गुवाहाटी

• अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई

• जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हैदराबाद, हैदराबाद

मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कई अन्य कार्यों के साथ ही मशीन्स की डिजाइनिंग और टेस्टिंग के विभिन्न पहलू शामिल हैं. इस जॉब में विभिन्न फ़ील्ड्स जैसेकि, थर्मल पॉवर प्लांट्स, न्यूक्लियर स्टेशन्स, इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन आदि में लाइव प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग और सुपरविज़न के कार्य आते हैं. इस फील्ड में रिन्यूएबल एनर्जी, ऑटोमोबाइल्स, क्वालिटी कंट्रोल, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन आदि कुछ नई और ऐमर्जिंग फ़ील्ड्स हैं. इंजीनियरिंग में अंडरग्रेजुएट डिग्रीज प्राप्त करने के बाद छात्रों के लिए मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन, सर्विसेज और डेवलपमेंट की विभिन्न फ़ील्ड्स में जॉब के काफी अच्छे अवसर मौजूद हैं. आजकल हम मशीन्स के युग में जी रहे हैं और जहां एक मशीन है, वहां एक मैकेनिकल इंजीनियर की जरूरत है. इसलिये, मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए कभी भी जॉब ऑप्शन्स की कमी नहीं हो सकती है.     

मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए लोकप्रिय जॉब प्रोफाइल्स

मैकेनिकल इंजीनियर्स अपने स्पेशलाइजेशन के आधार पर बहुत-सी इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं. मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए कुछ पसंदीदा जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं: 

  • आर्किटेक्चरल एंड इंजीनियरिंग मैनेजर्स

आर्किटेक्चरल और इंजीनियरिंग मैनेजर्स आर्किटेक्चरल और इंजीनियरिंग कंपनियों में प्लानिंग, डायरेक्टिंग, मैनेजिंग और कोआर्डिनेटिंग एक्टिविटीज से संबद्ध कार्य करते हैं.

  • ड्राफ्टर्स

इस जॉब में इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स द्वारा बनाये गये डिज़ाइन्स को टेक्निकल ड्राइंग में बदलने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना शामिल है ताकि माइक्रोचिप्स और स्काईस्क्रेपर्स जैसी चीज़ों को डिज़ाइन करने में मदद मिल सके. कोई भी उम्मीदवार आर्किटेक्चर, सिविल, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल एवं अन्य संबद्ध फ़ील्ड्स में स्पेशलाइजेशन कर सकता है.

  • मेटीरियल इंजीनियर्स

इस प्रोफाइल में नये मेटीरियल्स बनाने के लिए मेटल्स, सिरेमिक्स, प्लास्टिक, कंपोजिट्स, नैनोमेटीरियल्स और विभिन्न अन्य वस्तुओं की प्रॉपर्टीज और स्ट्रक्चर की स्टडी की जाती है. एक मेटीरियल इंजीनियर के तौर पर आप माइक्रोचिप्स से एयरक्राफ्ट्स विंग्स तक और गोल्फ क्लब्स से बायोमेडिकल डिवाइसेज आदि तक प्रोडक्ट्स की व्यापक रेंज तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले मेटीरियल्स की प्रोसेसिंग, टेस्टिंग और डेवलपिंग से संबद्ध कार्य भी करेंगे.  

  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग टेकनीशियन्स

मैकेनिकल इंजीनियरिंग टेकनीशियन्स विभिन्न मैकेनिकल डिवाइसेज को डिज़ाइन करने, डेवलप करने, उनकी मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग में मैकेनिकल इंजीनियर्स की सहायता करते हैं. आपको रफ लेआउट्स बनाने, डाटा एनालाइसिंग और रिकॉर्डिंग, कैलकुलेशन्स करने, एस्टिमेट्स लगाने और प्रोजेक्ट्स के नतीजों की रिपोर्टिंग से संबद्ध कार्य करने होंगे. 

  • न्यूक्लियर इंजीनियर्स 

न्यूक्लियर इंजीनियर्स हमारे फायदे के लिए न्यूक्लियर एनर्जी और रेडिएशन का इस्तेमाल करने के लिए उपयोगी प्रोसेस और सिस्टम्स के रिसर्च और विकास कार्य करते हैं.

  • पेट्रोलियम इंजीनियर्स

एक पेट्रोलियम इंजीनियर के तौर पर आपको ऑयल डिपॉजिट्स से ऑयल और गैस निकालने के लिए विभिन्न मेथड्स को डिज़ाइन और डेवलप करने से संबद्ध कार्य करने होंगे.

  • फिजिसिस्ट्स एंड एस्ट्रोनोमर्स

फिजिसिस्ट्स एंड एस्ट्रोनोमर्स एनर्जी और मैटर के इंटरेक्शन के विभिन्न रूपों के तौर-तरीकों की स्टडी करते हैं. कुछ फिजिसिस्ट्स पार्टिकल एक्सेलरेटर्स, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप्स, लेज़र्स आदि जैसे सोफिस्टिकेटेड इक्विपमेंट को डिज़ाइन करते हैं और उन के साथ एक्सपेरिमेंट्स भी करते हैं.

  • सेल्स इंजीनियर्स

सेल्स इंजीनियर्स विभिन्न बिजनेसेज को जटिल साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल प्रोडक्ट्स बेचते हैं. एक सेल्स इंजीनियर के तौर पर आपको अपने प्रोडक्ट, इसके पार्ट्स और कार्यों की काफी अच्छी जानकारी होनी चाहिए. आपको प्रोडक्ट के कामकाज में शामिल वैज्ञानिक प्रक्रिया की अच्छी समझ भी होनी चाहिए.

लोकप्रिय रिक्रूटर्स

गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर्स में मैकेनिकल इंजीनियर्स को जॉब के बढ़िया अवसर ऑफर करने वाले कुछ लोकप्रिय रिक्रूटर्स के नाम नीचे दिए जा रहे हैं:

गवर्नमेंट सेक्टर

• भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल)

• नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी)

• इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)

• डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ)

• कोल इंडिया

• इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (ईसीआईएल)

• हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)

• स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल)

प्राइवेट सेक्टर

• टाटा मोटर्स

• बजाज ऑटो

• हीरो मोटोकॉर्प

• लेलैंड मोटर्स

• फोर्ड मोटर कंपनी

• होंडा मोटर कंपनी

• भाभा एटॉमिक रिसर्च सेटर (बीएआरसी)

Wednesday, July 1, 2020

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में करियर

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग क्या है?

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की वह ब्रांच है जो फार्म इक्विपमेंट और मशीनरी के कंस्ट्रक्शन, डिज़ाइन और इम्प्रूवमेंट से संबद्ध कार्य करती है.

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग फार्मिंग में टेक्नोलॉजी को अप्लाई करती है. उदाहरण के लिए, यह नये और उन्नत फार्मिंग इक्विपमेंट्स डिज़ाइन करती है जो ज्यादा कुशलतापूर्वक कार्य करते हैं. यह एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसेकि, वाटर रिजर्वोयर्स, वेयरहाउसेज, डेम्स और अन्य स्ट्रक्चर्स को डिज़ाइन और तैयार करती है. यह बड़े फार्म्स में पोल्यूशन कंट्रोल के लिए सॉल्यूशन्स तलाशने की कोशिश भी करती है. कुछ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स नॉन-फ़ूड रिसोर्सेज जैसेकि एलगी और एग्रीकल्चरल वेस्ट से बायो-फ्यूल्स की नई वैरायटी विकसित कर रहे हैं. ये फ्यूल्स फ़ूड सप्लाई को नुकसान पहुंचाए बिना गैसोलीन को आर्थिक रूप से और स्थाई तौर पर रिप्लेस कर सकते हैं.

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स क्या करते हैं?

अधिकांश एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स एग्रीकल्चरल इक्विपमेंट्स, मशीनरी और उनके पार्ट्स को डिज़ाइन और टेस्ट करने से संबद्ध कार्य करते हैं. वे फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट्स और फ़ूड स्टोरेज स्ट्रक्चर्स को डिज़ाइन करते हैं. कुछ इंजीनियर्स लाइवस्टॉक (पशुधन) के लिए हाउसिंग और एनवायरनमेंट्स भी डिज़ाइन करते हैं. वे फार्म्स में लैंड रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट्स की योजना बनाते हैं और इन प्रोजेक्ट्स की देखरेख करते हैं. कुछ इंजीनियर्स एग्रीकल्चरल वेस्ट से एनर्जी प्रोजेक्ट्स और कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन से संबद्ध कार्य करते हैं. हमने इस आर्टिकल में आगे एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स के वर्क प्रोफाइल्स के बारे में और अधिक जानाकारी पेश की है.

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स कहां काम करते हैं?

एक स्टडी के अनुसार, अधिकांश एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स (17%) इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चरल और संबद्ध सर्विसेज में कार्यरत थे. सरकार द्वारा 16% इंजीनियर्स को जॉब्स मुहैया करवाई गईं. अन्य 14% इंजीनियर्स फ़ूड मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े काम कर रहे थे. 13% इंजीनियर्स एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन और माइनिंग मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग से संबद्ध कार्य कर रहे थे. अन्य 6% लोग एजुकेटर्स के तौर पर कार्य कर रहे थे.

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स इंडोर और आउटडोर स्थानों पर काम करते हैं. वे ऑफिसेज में प्लान्स तैयार करने और प्रोजेक्ट्स मैनेज करने के लिए अपना समय बिताते हैं और एग्रीकल्चरल सेटिंग्स में साइट्स की इंस्पेक्शन, इक्विपमेंट मोनिटरिंग, लैंड रिक्लेमेशन और वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स की देखरेख करने से संबद्ध कार्य भी करते हैं.

ये इंजीनियर्स लैबोरेट्रीज और क्लासरूम्स में भी काम कर सकते हैं. ये लोग अन्य लोगों के साथ मिलकर किसी भी काम की प्लानिंग और प्रोब्लम्स को सॉल्व करने से संबद्ध कार्य भी करते हैं. उदाहरण के लिए, ये इंजीनियर्स हॉर्टिकल्चरिस्ट्स, एग्रोनोमिस्ट्स, एनिमल साइंटिस्ट्स और जेनेटिक्स के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में बीटेक के लिए टॉप एंट्रेंस एग्जाम्स

इन एंट्रेंस एग्जाम्स में 150 से 200 तक प्रश्न पूछे जा सकते हैं और एग्जाम की कुल अवधि 3 घंटे होती है. एंट्रेंस एग्जाम का सिलेबस निम्नलिखित विषयों से संबद्ध होता है:

  • फिजिक्स
  • केमिस्ट्री
  • मैथमेटिक्स
  • बायोलॉजी

बीटेक कोर्सएग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के लिए ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट्स

• इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम

• कॉमन इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट (हरियाणा सीईटी)

• ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (एआईईईई)

• भारथ यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम

• इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चरल एंड मेडिकल कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (ईएएमसीईटी)

• गुजरात कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (जीसीईटी)

• इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (बीएचयू) एंट्रेंस एग्जाम

• नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कंबाइंड प्री-एंट्रेंस टेस्ट

• महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचसीईटी)

• दिल्ली यूनिवर्सिटी कंबाइंड एंट्रेंस टेस्ट  

• जम्मू एंड कश्मीर स्टेट लेवल एंट्रेंस टेस्ट (एसएलईटी)

• पंजाब यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईटी)

• जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चरल एंड मेडिसिन कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी)

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम

• तमिलनाडु प्रोफेशनल कोर्सेज एंट्रेंस एग्जाम (टीएनपीसीईई)

• झारखंड कंबाइंड एंट्रेंस कम्पीटीटिव एग्जाम (जेसीईसीई)

• बिहार कंबाइंड एंट्रेंस कम्पीटीटिव एग्जाम (बीसीईसीई)

• बाबा गुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी सीईटी

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – ज्वाइन एडमिशन टेस्ट (आईआईटी - जेएएम)

• नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनईआरआईएसटी) एंट्रेंस एग्जाम

• जीजीएसआईपी यूनिवर्सिटी कंबाइंड एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी)

• ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेएटी)

• केरल इंजीनियरिंग एग्रीकल्चरल मेडिकल (केईएएम)

• उत्तर प्रदेश स्टेट इंजीनियरिंग एडमिशन टेस्ट (यूपीएसईएटी)

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में एमएमटेक एंट्रेंस एग्जाम्स की लिस्ट

• नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनईआरआईएसटी) एंट्रेंस एग्जाम

• इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम

• ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट, इंजीनियरिंग

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – ज्वाइन एडमिशन टेस्ट (आईआईटी - जेएएम)

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में एग्जाम्स लेने वाली यूनिवर्सिटीज की लिस्ट

• तमिलनाडु वेटेरिनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, चेन्नई

• चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार, हरियाणा

• चंद्रशेखर आजाद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 

• तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु

• सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, मणिपुर

• सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश

• गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी,

• नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट, इटानगर)

• आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 

• इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट )

• चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 

• केरल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 

• जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी   

• गुजरात एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, गुजरात

• इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

• इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़

• असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी 

• महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उदयपुर

• महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरी साइंसेज यूनिवर्सिटी 

• मराठवाड़ा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, परभानी

• मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय 

• उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उड़ीसा

• पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब

• राजस्थान एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, बीकानेर

• उत्तर बंगा कृषि विश्वविद्यालय 

• वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एनिमल एंड फिशरी साइंसेज

• इलाहाबाद एग्रीकल्चरल इंस्टिट्यूट, उत्तर प्रदेश

• बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय 

• बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, झारखंड

• जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, कृषि नगर

• महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी

• राजेंद्र एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पुसा, समस्तीपुर, बिहार

• यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंस, बैंगलोर

• शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, श्रीनगर

• इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, मध्य प्रदेश

• डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय 

• चौधरी सरवान कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स के लिए रोज़गार

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स विभिन्न सेक्टर्स जैसेकि, फार्मिंग, फॉरेस्ट्री और फ़ूड प्रोसेसिंग आदि में काम करते हैं. वे अनेक तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम्स विकसित करने का काम करते हैं जो पशुधन की प्रोडक्टिविटी और कम्फर्ट में बढ़ोतरी करता है. इसी तरह, कुछ अन्य इंजीनियर्स रेफ्रिजरेशन की स्टोरेज कैपेसिटी और एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए काम करते हैं.

बहुत से एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स एनिमल वेस्ट डिस्पोजल के लिए बेहतर सॉल्यूशन्स विकसित करने के लिए प्रयास करते हैं. जिन इंजीनियर्स के पास कंप्यूटर प्रोग्रामिंग स्किल्स होते हैं, वे एग्रीकल्चर में जियोस्पेशल सिस्टम्स और आर्टिफीशल इंटेलिजेंस को इंटीग्रेट करने का काम करते हैं. उदाहरण के लिए, ये लोग फ़र्टिलाइज़र एप्लीकेशन में एफिशिएंसी लाने या हार्वेस्टिंग सिस्टम्स को स्वचालित बनाने का काम करते हैं.

एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में जॉब्स

जैसेकि, अब हमें पता है कि एक एग्रीकल्चरल इंजीनियर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कई सारे काम कर सकता/ सकती है. कुछ मुख्य जॉब्स निम्नलिखित हैं:

• एग्रीकल्चरल इंजीनियर

• प्लांट फिजियोलॉजिस्ट

• सर्वे रिसर्च एग्रीकल्चरल इंजीनियर

• एनवायर्नमेंटल कंट्रोल्स इंजीनियर

• माइक्रोबायोलॉजिस्ट  

• फ़ूड सुपरवाइजर

• एग्रीकल्चरल इंस्पेक्टर

• एग्रीकल्चरल स्पेशलिस्ट

• फार्म शॉप मैनेजर

• रिसर्चर

• एग्रोनोमिस्ट

• सोयल साइंटिस्ट

• एग्रीकल्चरल क्रॉप इंजीनियर

एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स को हायर करने वाली इंडस्ट्रीज/ कंपनीज़

जब अपने सूटेबल वर्क एरिया से संबद्ध इंडस्ट्री/ कंपनी चुनने का समय आता है तो किसी भी एग्रीकल्चरल इंजीनियर के पास कई ऑप्शन्स होते हैं. कुछ मुख्य इंडस्ट्रीज/ कंपनीज़ निम्नलिखित हैं:

• अमूल डेरी

• नेस्ले इंडिया

• फ्रीगोरिफीको अल्लाना

• आईटीसी

• फार्मिंग इंडस्ट्री कंसल्टेंट्स

• एग्रीकल्चरल कमोडिटीज प्रोसेसर्स

• एस्कॉर्ट्स

• प्रोएग्रो सीड

• पीआरएडीएएन

Saturday, May 23, 2020

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में करियर

बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी या इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक एक 4 वर्ष का अंडरग्रेजुएट लेवल कोर्स है. जैसेकि इसके नाम से पता चलता है, इस कोर्स में इंजीनियरिंग की दो बेसिक फ़ील्ड्स – इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन – का एक साथ अध्ययन करवाया जाता है. इस कोर्स को पढ़ने वाले स्टूडेंट्स इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, सर्किट्स, ट्रांसमीटर, रिसीवर, इंटीग्रेटेड सर्किट्स जैसे कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स के बारे में सीखते और जानकारी प्राप्त करते हैं. इस कोर्स में बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स, एनालॉग और डिजिटल ट्रांसमिशन्स के साथ डाटा-रिसेप्शन, माइक्रोप्रोसेसर्स, सेटेलाइट कम्युनिकेशन, माइक्रोवेव इंजीनियरिंग, एंटीना और वेव प्रोग्रेशन आदि का भी अध्ययन शामिल है. यह कोर्स करने पर स्टूडेंट्स को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन की फील्ड में काम करने के लिए अपेक्षित बेसिक कॉन्सेप्ट्स और थ्योरीज की जानकारी और स्किल सेट्स को बढ़ाने में मदद मिलती है.

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – पात्रता मानदंड

किसी भी अंडरग्रेजुएट लेवल के इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, स्टूडेंट्स ने देश के किसी मान्यताप्राप्त शिक्षण बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास की परीक्षा अवश्य पास की हो. इसके अलावा:

  • स्टूडेंट ने कम से कम क्वालीफाइंग मार्क्स के साथ साइंस विषय (अर्थात फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में से कोई एक विषय कोर विषय के तौर पर पढ़ा हो) में 12 वीं क्लास का एग्जाम पास किया हो. (कम से कम क्वालीफाइंग मार्क्स विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अलग-अलग हो सकते हैं).
  • कैंडिडेट को इंजीनियरिंग के लिए जेईई मेंस एंट्रेंस एग्जाम और अन्य उपयुक्त कम्पीटीटिव एग्जाम देने होंगे. जेईई मेंस एंट्रेंस एग्जाम भारत में अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन देने के लिए सीबीएसई द्वारा आयोजित किया जानवे वाला कॉमन नेशनल लेवल एंट्रेंस एग्जाम है. जेईई मेंस एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद ही स्टूडेंट्स ज्वाइंट एडवांस्ड एंट्रेंस एग्जाम दे सकते हैं. कुछ कॉलेज अपने एंट्रेंस एग्जाम्स भी आयोजित करते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – एंट्रेंस एग्जाम्स

भारत में जेईई मेन्स इंजीनियरिंग करने के इच्छुक कैंडिडेट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण एंट्रेंस एग्जाम है. भारत में अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज जेईई मेन्स मेरिट लिस्ट के आधार पर स्टूडेंट्स को एडमिशन देते हैं. सुप्रसिद्ध आईआईटीज में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को जेईई एडवांस्ड एंट्रेंस एग्जाम पास करना होता है. लेकिन, जेईई एडवांस्ड एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए आपको पहले जेईई मेन्स एग्जाम पास करना होगा. राष्ट्रीय, राज्य और विश्वविद्यालय के सत्रों पर कई अन्य इंजीनियरिंग एग्जाम्स भी आयोजित किये जाते हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए कुछ लोकप्रिय इंजीनियरिंग एग्जाम्स निम्नलिखित हैं:

राष्ट्रीय स्तर:

• ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम – मेन्स (जेईई मेन)

• ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम – एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड)

राज्य स्तर:

• महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एमएचटी-सीईटी)

• उत्तर प्रदेश राज्य एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई)

• कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (केसीईटी)

विश्वविद्यालय स्तर:

• वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (वीआईटीईई)

• बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस एडमिशन टेस्ट (बीआईटीएसएटी)

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक अपने में एक सम्पूर्ण कोर्स है.

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन्स

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स इस फील्ड के विभिन्न उप-विषयों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं. कुछ महत्वपूर्ण उप-विषय निम्नलिखित हैं:

  • सिग्नल प्रोसेसिंग – इसमें सिंगल्स के एनालिसिस, सिंथिसिस और मॉडिफिकेशन का अध्ययन शामिल है.
  • टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग – इस फील्ड में टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम्स को सपोर्ट और बढ़ावा दिया जाता है. इसके तहत बेसिक सर्किट डिज़ाइन से लेकर स्ट्रेटेजिक मास डेवलपमेंट्स तक सभी कार्य शामिल होते हैं.
  • कंट्रोल इंजीनियरिंग – यह फील्ड उन कंट्रोलर्स की डिजाइनिंग से संबद्ध है जो मशीन के बिहेवियर को माइक्रो-कंट्रोलर्स, प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर्स, डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर्स और इलेक्ट्रिकल सर्किट्स का इस्तेमाल करके कंट्रोल करते हैं.
  • इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग – यह फील्ड प्रेशर, फ्लो और टेम्परेचर की मेजरिंग डिवाइसेज की डिजाइनिंग से संबद्ध है. इस फील्ड के लिए स्टूडेंट्स को फिजिक्स की काफी अच्छी जानकारी और समझ होनी चाहिए.
  • कंप्यूटर इंजीनियरिंग – इस विषय के तहत कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को डेवलप करने के लिए जरुरी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस की विभिन्न फ़ील्ड्स को एकीकृत किया जाता है.
  • वीएलएसआई डिज़ाइन इंजीनियरिंग – वैरी-लार्ज-स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआई): यह बिलियन्स ट्रांजिस्टर्स को सिंगल चिप में जोड़ने के द्वारा इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) बनाने की प्रोसेस है. 

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – मुख्य विषय और सिलेबस

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में शामिल कुछ मुख्य विषय निम्नलिखित हैं:

• रैखिक एकीकृत/ लीनियर इंटीग्रेटेड सर्किट्स

• एम्बेडेड सिस्टम्स

• वीएलएसआई डिजाइन

• मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – टॉप कॉलेजेज

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग कोर्सेज की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और डिमांड के कारण, आजकल अधिकांश संस्थान यह कोर्स ऑफर कर रहे हैं. इनमें से हम आपकी सहूलियत के लिए यूजीसी द्वारा मान्यताप्राप्त कुछ लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट्स पेश कर रहे हैं जिन्हें वर्ष 2018 के लिए एनआईआरएफ रैंकिंग में टॉप 10 केटेगरीज में शामिल किया गया है:

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर, खड़गपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली, दिल्ली

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कानपुर, कानपुर

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की, रुड़की

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी, गुवाहाटी

• अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई

• जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता

• इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी हैदराबाद, हैदराबाद

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद करियर के अवसर

एक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर के तौर पर, कोई भी व्यक्ति एविएशन, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिसिटी प्लांट्स, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्टेशन, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर एप्लीकेशन आदि में काम कर सकता है. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर्स के लिए कुछ अन्य लोकप्रिय रोज़गार के क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

• भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आईईएस)

• भारतीय टेलीफोन उद्योग

• सेमीकंडक्टर, चिप डिजाइन-इंडस्ट्रीज

• इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

• तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड

• सिविल एविएशन डिपार्टमेंट

• स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडियन लिमिटेड (सेल)

• पॉवर सेक्टर

• इंडियन रेलवे

• भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

• सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद जॉब के अवसर

यह कोर्स करने पर स्टूडेंट्स ब्राडकास्टिंग, कंसल्टिंग, डाटा कम्युनिकेशन, एंटरटेनमेंट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, सिस्टम सपोर्ट आदि जैसे अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के संगठनों में काम कर सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर्स के लिए कुछ बढ़िया जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं:

• इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर

• फील्ड टेस्ट इंजीनियर

• नेटवर्क प्लानिंग इंजीनियर

• इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन्स कंसलटेंट

• कस्टमर सपोर्ट इंजीनियर

• इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्निशियन

• एसोसिएट फर्स्टलाइन टेक्निशियन

• रिसर्च एंड डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर इंजीनियर

• सर्विस इंजीनियर

• सीनियर सेल्स मैनेजर

• टेक्निकल डायरेक्टर

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक – लोकप्रिय रिक्रूटर्स

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर्स के लिए जॉब के अच्छे अवसर उपलब्ध करवाने वाले कुछ लोकप्रिय रिक्रूटर्स निम्नलिखित हैं:

सरकारी क्षेत्र की कंपनियां

• दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी)

• रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)

• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

निजी क्षेत्र की कंपनियां

• एक्सेंचर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड

• कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस

• एचसीएल टेक्नोलॉजीज

• हेवलेट पैकर्ड

• हनीवेल ऑटोमेशन इंडिया लिमिटेड

• इंफोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड

• एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक

• टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस)

• विप्रो लिमिटेड

• सीमेंस

• टेक महिंद्रा

• एनवीआईडीआईए

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स बहुत बढ़िया हैं. लेकिन, आपको कैसा सैलरी पैकेज मिलेगा?... यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसेकि, वर्किंग स्किल्स, क्वालिफिकेशन्स, वर्किंग एरिया, रिक्रूटर्स सहित अन्य फैक्टर्स आदि. हालांकि, एक फ्रेश कॉलेज ग्रेजुएट के तौर पर, आप 2-3 लाख प्रति वर्ष सैलरी कमा सकते हैं और 5-7 वर्ष के अनुभव के बाद आप प्रति वर्ष 8-9 लाख रु. कमा सकते हैं. 

कौन से स्टूडेंट्स करें यह कोर्स?

जो स्टूडेंट्स प्रॉब्लम-सॉल्विंग में कुशल होते हैं और सूचनाओं को सटीक, संक्षिप्त और असरदार ढंग से पेश करने में माहिर हैं तथा असंगत फैक्ट्स में से संगत फैक्ट्स चुनने की क्षमता जिनमें होती है, उन स्टूडेंट्स के लिए यह कोर्स बिलकुल सही रहेगा. इसके साथ ही, स्टूडेंट्स के पास जिज्ञासु दिमाग होना चाहिए और वे आलोचना को स्वीकार करके उस पर काम करने की इच्छा जाहिर करें. 

आप क्यों करें यह कोर्स?

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग एक काफी लोकप्रिय इंजीनियरिंग विषय है. प्रति वर्ष हजारों स्टूडेंट्स भारत के विभिन्न संस्थानों में इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं. यह कोर्स ऐसे तैयार किया गया है ताकि स्टूडेंट्स को कम्प्लेक्स सिस्टम्स को प्लान, डिज़ाइन, इनस्टॉल, ऑपरेट, कंट्रोल और मेनटेन करना सीखने में मदद मिल सके. यह कोर्स स्टूडेंट्स के लिए बेहतरीन करियर विकल्प पेश करता है. यह कोर्स स्टूडेंट्स को टेलिकॉम इंडस्ट्रीज और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज से संबद्ध दो विभिन्न सेक्टर्स में काम करने के अवसर भी उपलब्ध करवाता है.