अब मेडिकल फील्ड में भी राहों की कमी नहीं है. बायोलॉजी के हर स्टुडेंट की ख्वाहिश होती है कि वह डॉक्टर बने. लेकिन अगर वह उसमें सफल नहीं होते, तो निराश होने की जरूरत नहीं है. मेडिकल में अन्य फील्ड भी हैं जहां जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं. उनमें से एक है- मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी. मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड निजी और गवर्नमेंट फील्ड्स में भी खूब है.
कैसे होती है एंट्री?
लैब टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाने के लिए कई रास्ते खुल गए हैं. इसके लिए सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स किए जा सकते हैं. आम तौर पर ऐसे कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं. डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट होना जरूरी है, जिसकी अवधि दो वर्ष की होती है. ऐसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन लें, जहां अच्छे लैब उपकरण हों. इस फील्ड में जॉब तो बीएससी या डिप्लोमा करके ही हासिल किया जा सकता है. लेकिन किसी अच्छे सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन कर लेने से ऑप्शन बढ़ जाते हैं और डिमांड एक स्पेशलिस्ट के रूप होने लगती है.
इस फील्ड में दो तरह के प्रोफेशनल्स काम करते हैं- एक मेडिकल लैबोरेट्री टेक्निशियन और दूसरे मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट. आम तौर पर टेक्निशियन के काम को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है- नमूना तैयार करना, जांच की मशीनों को ऑपरेट करना और उनका रखरखाव तथा जांच की रिपोर्ट तैयार करना. वहीं मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है
इस फील्ड में हैं कई राहें
पैरा मेडिकल सिर्फ नर्सिंग और हॉस्पिटल के प्रशासनिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है. इसके दायरे में कई सारे फील्ड्स, जैसे- मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी, ऑर्थोटिक और प्रोस्थेटिक टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड मैनेजमेंट, ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी, डेंटल हाइजिन ऐंड डेंटल मैकेनिक और स्वास्थ्य स्वच्छता निरीक्षण आदि आते हैं.
जॉब की संभावनाएं
डीपीएमआइ की प्रिंसिपल डॉ. अरुणा सिंह बताती हैं, ''इसमें गवर्नमेंट फील्ड के जॉब के लिए वैकेंसीज का इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ऐसी बात नहीं है. मेडिकल फील्ड में प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केङ्क्षटग सेल्स, क्वालिटी इंश्योरेंस, एन्वायरनमेंट हेल्थ ऐंड इंश्योरेंस जैसे फील्ड्स में भी मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड है.” इस फील्ड में प्रोफेशनल्स की शुरुआती सैलरी 10,000-15,000 रु. प्रति माह है. अनुभव के बाद सैलरी बढऩे के साथ-साथ अपना लैब भी खोला जा सकता है. सरकारी फील्ड में शुरुआत से ही अच्छी सैलरी मिलती है.
हेल्थ सेक्टर में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डॉक्टर्स के साथ ही पारा मेडिकल प्रोफेशनल्स की जबरदस्त मांग है. इस सेक्टर में इनकी तादाद करीब 60 फीसदी होती है. एक सर्वे के मुताबिक, देश में 2015 तक 60 लाख से अधिक ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी. योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 10,00,000 नर्सों और बड़ी तादाद में ऐसे प्रोफेशनल्स की कमी है. जाहिर है इस फील्ड में करियर की काफी संभावनाएं हैं.
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