दिजिटल टेक्नोलॉजी, रिमोट सेंसिंग और हाईटेक कार्य प्रणाली से सुसज्जित भूगोल की एक अहम शाखा है ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम यानी कि जीआईएस। इस क्षेत्र में आप पुराने आंकड़ों के साथ-साथ नए आंकड़ों का अध्ययन करते हैं और उनका एनालिसिस भी करते हैं। जीआईएस का इस्तेमाल डेवलपमेंट अथॉरिटी और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे विषयों में भी होता है।
डिजिटल मैप तैयार करने के लिए भी इस तकनीक का ही सहारा लिया जाता है। भारत में अब भी बेहतर डिजिटल मैप उपलब्ध नहीं हैं इस वजह से इस क्षेत्र में करियर की अच्छी संभावनाएं हैं। इतना ही नहीं विदेशों की बड़ी वैज्ञानिक संस्थाओं में भी जीआईएस के प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ रही है। जीआईएस के जानकार प्रोफेशनल डेटा एनालिसिस में भी मददगार साबित होते हैं। भूगोल की इस शाखा की बढ़ती हुई जरुरत और इस्तेमाल की वजह से इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ी है। आइये आपको इस क्षेत्र में करियर बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताते हैं।
क्या है जीआईएस
जीआईएस भूगोल का एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से किसी भी क्षेत्र के टारगेट एरिया की मैपिंग की जाती है। मैपिंग करने के बाद क इकट्ठी की गई डाटा की मदद से ऑफिस के अन्दर ही उस पूरे क्षेत्र की सही जानकारी निकाल ली जाती है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल डिफेंस, अर्थ साइंस, आर्किटेक्चर, एग्रिकल्चर, वि न्यूक्लियर साइंस, टाउन प्लानर, मोबाइल तथा पे मैपिंग आदि के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी हैं जगह के हालात को और उसकी भूगोलीय संरचना को कंप्यूटर पर देखा एवं बनाया जा सकता है।
जियोग्रफिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के प्रमुख क्षेत्र :
• जीआईएस ऐप्लिकेशन
• जिओस्टेटिस्टीक
• जीआईए डेवलपमेंट
• वेबजीआईएस
• फोटोग्रामैट्री
• जीआईएस प्रोजेक्ट डेवलपमेंट
पढ़ाई तथा योग्यता
12वीं में आर्ट्स के माध्यम से जियोग्राफी या फिजिक्स केमिस्ट्री के साथ साइंस विषय की पढ़ाई करने के बाद आप बीई, बीएससी, बीटेक या बीए इन जियोग्राफी, जिओलॉजी, अप्लायड जिओलॉजी, अर्थ साइंस, जिओसाइंस आदि से ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इसके अलावा आप विभिन्न डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं पीएचडी और शोध कार्य की भी अनेकों संभावनाएं हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस ऐंड आरएस तथा पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस प्रोग्रामिंग कोर्स भी जीआईएस के लोकप्रिय कोर्स हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइन्फॉर्मेटिक्स ऐंड रिमोट सेंसिंग के तहत कई शिक्षण संस्थान इसके विभिन्न कोर्स से पढ़ाई करवाते हैं। जीआईएस का इस्तेमाल डेवलपमेंट अथॉरिटी और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे विषयों में भी होता है। डिजिटल मैप तैयार करने के लिए भी इस तकनीक का ही सहारा लिया जाता है...
प्रमख क्षेत्रों एवं केंद्रों में जॉब की संभावनाएं :
जीआईएस का उपयोग भविष्य में लगभग प्रत्येक क्षेत्र में होने की संभावना है जैसे- डिजास्टर मैनेजमेंट
• नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए)
• इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो)
• स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर
• नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर (एनआईसी)
• मिलिट्री कमांड
• नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट
• अर्बन डेवलपमेंट ऑथोरिटी
• इमर्जेंसी मैनेजमेंट
• बिजनेस ऐप्लिकेशन
• अर्बन डेवलपमेंट
• ट्रांसपोर्टेशन मैनेजमेंट
• सोशियो-इकोनॉमिक डेवलेपमेंट
प्रमुख संस्थान :
इंडियन इंस्टीट्यूट रिमोट सेंसिंग, देहरादून,
जीआईएस इंस्टीट्यूट, नोएडा बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची,
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर,
एमडीएस युनिवर्सिटी अजमेर, राजस्थान,
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की
Wednesday, January 26, 2022
GIS में बनाएं उज्ज्वल भविष्य
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