Monday, September 27, 2021

इंटीरियर डिजाइनिंग में हैं करियर

 अगर आपको कमरे या किसी जगह को सजाने – संवारने का शौक है और आप कुछ क्रिएटिव करना चाहते हैं तो इंटीरियर डिजाइन कोर्स आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। अगर आप घर, ऑफिस, मॉल, शोरूम, होटल आदि जगहों के लिए सजावट का अलग नजरिया रखते हैं तो आप भी इंटीरियर डेकोरेशन कोर्स कर के अपना करियर संवार सकते हैं। इंटीरियर डिजाइनर्स की मांग अब केवल मेट्रो सिटीज़ तक ही सिमित नहीं रह गई है। छोटे शहरों में भी इंटीरियर डिजाइनर्स की मांग काफी ज्यादा हो गई है। आज – कल लोग फ्लैट लेते ही उसे सजाने के लिए इंटीरियर डिज़ाइनर खोजना शुरू कर देते हैं। आप भी इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए हम ले कर आए हैं इंटीरियर डिज़ाइन कोर्सेज से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। 

हम में से कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि इंटीरियर डिजाइनिंग है क्या? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इंटीरियर डिजाइनिंग क्या है, इंटीरियर डिजाइनर क्या है और क्या इंटीरियर डिजाइनिंग पाठ्यक्रम 12वीं के बाद कर सकते हैं या नहीं। मेडिकल, इंजिनीरिंग की तरह इंटीरियर डिजाइनिंग भी एक कोर्स है। इंटीरियर डिजाइन कोर्स को करने के बाद आपके पास किसी भी घर, दफ्तर, क्लिनिक आदि की साज – सज्जा करने के लिए डिग्री प्राप्त हो जाती है। इसके अलावा मल्टिनैशनल कंपनियों के देश में आने से कार्यालयों का लुक पूरी तरह से बदल गया है। ऐसी कंपनियां अपने दफ्तरों की अंदरूनी सजावट को काफी अहमियत देती हैं। इससे इंटीरियर डेकोरेटर्स की मांग बहुत बढ़ गई है।

इंटीरियर डिजाइनर का काम

इंटीरियर डिजाइनर का काम बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। आज कल न्यूक्लियर फैमिली की वजह से फ्लैट कल्चर पैदा हो गया है। इसने इंटीरियर डिजाइनर की भूमिका बहुत खास बना दी है। छोटे-छोटे घरों में पूरे परिवार के हिसाब से सामान व्यवस्थित करना, कम जगह को भी खूबसूरत तरीके से सजाना, यह काम इंटीरियर डिजाइनर ही कर सकते हैं। उन्हें जगह और ग्राहकों के बजट के अनुसार सजावट करनी होती है। जगह के अनुसार रंगो का चयन, टेबल हो या सोफा या कोई और फर्नीचर, सबका चयन करना इंटीरियर डिजाइनर का ही काम होता है। साथ ही लाइट्स कैसे होने चाहिए और डेकोरेटिव आइटम्स का भी ध्यान रखना होता है। कई बार ग्राहकों की मांग पर आपको वास्तु के अनुसार भी सजावट करनी होती है। घर सजाते वक्त सबकी पसंद को ध्यान में रखते हुए बच्चों का कमरा, बुजुर्गों का कमरा, स्टडी रूम्स, किचन सबकी अलग तरह से सजावट करनी होती है।

इंटीरियर डिजाइनर के गुण

इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता के साथ कुछ अन्य गुणों को होना भी आवश्यक है। अगर आपके अंदर भी निम्न गुण मौजूद हैं तो आप भी इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

  • आपके अंदर बदलते ट्रेंड की समझ होना बहुत जरुरी है।
  • आपके अंदर क्रिएटिविटी होनी चाहिए।
  • साथ ही स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन पावर होना भी जरुरी है। इससे आपके दिमाग में नए कॉन्सेप्ट आएंगे।
  • कई बार आपको डिजाइंस बना कर समझाना होता है इसलिए ड्रॉइंग और आर्ट्स की जानकारी होना भी बहुत जरुरी है।
  • आपकी कम्युनिकेशन स्किल भी अच्छी होनी चाहिए जिससे आप अपने आइडियाज़ दूसरों तक पहुंचा सकें।

इंटीरियर डिजाइनर के रूप में सफलता प्राप्त करने के लिए रियल एस्टेट फील्ड की जानकारी होना भी आवश्यक है। रियल एस्टेट फील्ड की जानकारी होने से आप यह पता कर पाएंगे कि बिल्डिंग, घर या कमर्शियल प्लेस में किस तरह का मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा है। और किस तरह की डिजाइंस ट्रेंड में चल रही हैं।

इंटीरियर डिज़ाइनिंग कोर्स के लिए शैक्षिक योग्यता

अगर आप इंटीरियर डिजाइनर कोर्स करना चाहते हैं तो आपके पास बारहवीं की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होनी आवश्यक है। किसी भी विषय से बारहवीं पास होने वाले उम्मीदवार इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। बारहवीं के बाद आप डिप्लोमा कोर्स, डिग्री कोर्स या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। स्नातक के बाद भी आप इंटीरियर डिज़ाइन कोर्सेज के लिए अप्लाई कर सकते हैं। स्नातक के बाद पीजी डिप्लोमा कोर्स या डिग्री कोर्स होते हैं। इंटीरियर डिजाइनिंग लिए एक से तीन वर्षों के अलग – अलग कोर्सेज़ होते हैं। इसमें आप अपनी सुविधा के अनुसार डिप्लोमा या डिग्री कोर्स कर सकते हैं।

इंटीरियर डिज़ाइनिंग कोर्स डिटेल्स

इंटीरियर डिजाइनिंग अपने आप में एक स्पेशलाइज्ड कोर्स है। लेकिन अगर आप चाहें तो इसके अंतर्गत आप रूम डिजाइनिंग, किचन डिजाइनिंग, ऑफिस डिजाइनिंग, होम डेकोर आदि में विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं। इन दिनों अधिकतर इंटीरियर डेकोरेटर्स किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त किए होते हैं। इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए आप बैचलर इन इंटीरियर डिजाइन, बीए इन इंटीरियर आर्किटेक्चर एंड डिजाइन, डिप्लोमा इन इंटीरियर स्पेस एंड फर्नीचर डिजाइन, पीजी डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाइन जैसे कोर्स कर सकते हैं।

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स की अवधि

इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी अलग – अलग कई कोर्सेज होते हैं। आप अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुसार इनमे से कोई भी इंटीरियर डेकोरेशन कोर्स कर सकते हैं।

  • कोर्स का नाम : डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 1 वर्ष
  • कोर्स का नाम : पीजी डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन एंड डेकोरेशन
    • कोर्स की अवधि : 1 वर्ष
  • कोर्स का नाम : डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : एडवांस डिप्लोमा इन इंटीरियर
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर
    • कोर्स की अवधि : 2 वर्ष
  • कोर्स का नाम : बीएससी इन इंटीरियर डिज़ाइन
    • कोर्स की अवधि : 3 वर्ष

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स के अंतर्गत आने वाले विषय

अगर आप इंटीरियर डेकोरेटर बनने के लिए नामांकन लेने की सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें कि इन कोर्सेज़ के अंतर्गत आपको किन विषयों को पढ़ना होगा। विषयों के नाम निम्न प्रकार हैं।

  • आर्ट एंड बेसिक डिज़ाइन
  • फर्नीचर डिज़ाइन
  • फ़र्नीशिंग एंड फ़िटिंग
  • हिस्ट्री ऑफ़ इंटीरियर डिज़ाइन
  • कंस्ट्रक्शन एंड मटेरियल्स
  • सर्विसेस प्रो़फेशनल मैनेजमेंट- इस्टिमेटिंग एंड बजटिंग
  • डिस्प्ले, कंप्यूटर एडेड डिज़ाइनिंग
  • लेटरिंग
  • प्रॉपर्टीज़ ऑफ़ मटेरियल एंड पेंट टेक्नोलॉजी

इंटीरियर डिज़ाइनिंग में कहां है स्कोप

इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स करने के बाद आप किसी कंपनी में डेकोरेटर के पद पर काम कर सकते हैं। इसके आलावा आप किसी आर्किटेक्चरल फर्म, स्टूडियो और थिएटर, एग्ज़िबिशन ऑर्गनाइज़र और इवेंट प्लानर जैसी कंपनी में जुड़ कर उनके साथ काम कर सकते हैं। आप किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में भी काम कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे अपना निजी व्यवसाय बना कर अपना बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन करियर के शुरूआत में किसी फर्म में या किसी कंपनी के साथ जुड़ कर नौकरी करना ज्यादा सही रहता है। इससे आपको काम करने का सही तरीका भी पता चलता है और प्रेक्टिकल नॉलेज और अनुभव भी बढ़ जाती है। आप चाहें तो किसी होटल, रिजॉर्ट, हॉस्पिटल, शॉपिंग काम्प्लेक्स, के लिए भी काम कर सकते हैं। आप किसी बिल्डर या आर्किटेक्ट के संपर्क में रह कर या उनके साथ काम कर के भी अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं।

इंटीरियर डिजाइनर का वेतन

इंटीरियर डेकोरेटर की आय उनके द्वारा किए गए कार्य पर निर्भर करती है। अपने करियर के शुरुआती दिनों में आप हर महीने 10 हजार रूपए से लेकर 25 हजार रुपए तक कमा सकते हैं। अनुभव बढ़ने के साथ लोगों के बीच आपकी मांग भी बढ़ने लगती है। और आपकी आय बढ़कर प्रति माह 40 हजार से एक लाख रुपए तक हो सकती है।

इंटीरियर डिजाइनर कोर्स के लिए कुछ प्रमुख संसथान

  • स्कूल ऑफ़ इंटीरियर डिज़ाइन, अहमदाबाद।
  • जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स. मुंबई।
  • निर्मला निकेतन, न्यू मरीन लाइन्स, मुंबई।
  • सोफ़िया कॉलेज बी. के. सोमानी पॉलिटेक्निक, मुंबई।
  • एसएनडीटी वुमन्स यूनिवर्सिटी, मुंबई।
  • साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फ़ॉर वुमन, नई दिल्ली।
  • जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद।
  • नागपुर विश्‍वविद्यालय, रविंद्रनाथ टैगोर मार्ग, नागपुर।
  • देवी अहिल्या विश्‍वविद्यालय, इंदौर।
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन डिज़ाइनिंग, चंडीगढ़।
  • चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ।
  • ऐकेडमी ऑफ़ इंटीरियर डेकोरेशन, दिल्ली।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर एंड फैशन टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर
  • इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर डिजाइनर्स, नई दिल्ली
  • एमआईटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे

Wednesday, September 22, 2021

क्‍या है हॉर्टिकल्चर

कुछ समय पहले तक लोग अपने घर के अंदर या फिर आसपास शौक के लिए बागवानी करते थे, लेकिन अब बागवानी में सिर्फ शौक ही नहीं पूरा कर सकते बल्कि अच्‍छा करियर भी बना सकते हैं। कंप्यूटर की किट−किट और डेडलाइन्स से दूर रहकर अगर आप नेचर संबंधित एक अच्‍छे करियर की तलाश में हैं तो आप भी हॉर्टिकल्चर अर्थात बागवानी में अपना भविष्य तलाश सकते हैं। हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है। साथ ही पर्यावरण को बेहतर करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है। हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की ऐसे कृषि क्षेत्र मौजूद है, जहां पर विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को तैयार किया जा सकता है।

वहीं उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन-हाउस रिसर्च और ऑफ-सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं। यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।

क्‍या है हॉर्टिकल्चर (What is Horticulture)
हॉर्टिकल्चर को एग्रीकल्‍चर की एक विशेष शाखा कहा जाता है। हॉर्टिकल्चर में अनाज, फल, मसाला, सब्जियां, फूल, सजावटी पेड़ और औषधीय आदि की खेती की जाती है। हॉर्टिकल्चर कला, विज्ञान एवं तकनीक का सम्मिश्रण है। इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है। खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं। हॉर्टिकल्चर में पौधों के फसल उत्पादन से लेकर मिट्टी की तैयारी, पौधे की प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग, पौधे की जैव रसायन और पादप शरीर क्रिया विज्ञान आदि शामिल है।

जरूरी एजुकेशन (Education required for Horticulture)
अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं तो आपकी एजुकेशन इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्रकार के हॉर्टिकल्चर में रूचि रखते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश स्नातक स्तर से शुरू होता है। जिन उम्मीदवारों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित, जीव विज्ञान, कृषि के साथ विज्ञान स्ट्रीम के साथ 12वीं की परीक्षा पास किया है, तो आप अपने विषय के अनुसार हॉर्टिकल्चर में स्नातक की डिग्री के लिए एक अलग विषय के रूप में या बीएससी कृषि विज्ञान विषय के रूप में चयन कर सकते हैं। वहीं डिप्लोमा कार्यक्रम करने के लिए एक ही मूल योग्यता आवश्यक है। छात्र हॉर्टिकल्चर में बीएससी करने के बाद एमएससी भी कर सकता है। कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्रोग्राम भी संचालित करते हैं।
कुछ कॉलेज बैचलर कोर्स में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, तो कुछ स्कोर के आधार पर देते हैं। हॉर्टिकल्चर कोर्स के अंतर्गत प्लांट प्रोपगेशन, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट मटेरियल, टिशू कल्चर, क्रॉप प्रोडक्शन, क्रॉप न्यूट्रिशन, प्लांट पैथोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग, इकोनॉमिक्स, एग्री-बिजनेस जैसे विषयों का अध्ययन कराया जाता है।
जरूरी स्किल्स
अगर आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपमें प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना होना जरूरी है। इसके अलावा छात्रों में सीखने के लिए उत्साह और प्रेरणा देने की क्षमता, गहन एकाग्रता के साथ लंबे समय तक काम करना और एक उत्सुक विश्लेषणात्मक मन होना चाहिए। उनके भीतर पौधों में रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए बागवानी विशेषज्ञों में व्यावहारिक क्षमता, अवलोकन की अच्छी शक्तियां होनी चाहिए। सामान्य तौर पर, बागवानी विशेषज्ञों को अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानने और समस्याओं को हल करने में रचनात्मक होने की आवश्यकता होती है।
 करियर बनाने की संभावना (Career Prospect)
कोर्स पूरा करने के बाद आप विभिन्‍न सरकारी निकायों, जैसे- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, आईएआरआई, सीएसआईआर, एनबीआरआई, एपीईडी में हॉर्टिकल्चरिस्ट के तौर पर कार्य कर सकते हैं। वहीं अगर आपने हॉर्टिकल्चर में नेट परीक्षा पास कर या पीएचडी कर के एग्रीकल्चर कॉलेज में लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू कर सकते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई के बाद उद्यान अधिकारी, कृषि अधिकारी, तकनीकी अधिकारी, फल व सब्जी निरीक्षक, उद्यान पर्यवेक्षक, कृषि विकास अधिकारी, हॉर्टिकल्चर स्पेशलिस्ट, फ्रूट-वेजिटेबल इंस्पेक्टर के तौर पर आगे बढ़ने के मौके मौजूद हैं।


कोर्स के लिए कुछ प्रमुख संस्थान (Best Institutes For The Course)
श्रीराम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, महाराष्ट्र (Shri Ram College of Agriculture, Maharashtra)
हार्टिकल्चरल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु (Horticultural College and Research Institute, Tamil Nadu)
नालंदा कॉलेज ऑफ हार्टिकल्चर, नालंदा (Nalanda College of Horticulture, Nalanda)
देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब (Deshbhagat University, Punjab)
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना (Punjab Agricultural University, Ludhiana)
आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर (ITM University, Gwalior)

Sunday, September 19, 2021

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में करियर

 इन दिनों हर क्षेत्र में कंप्यूटर की डिमांड है. हर कार्य कंप्यूटर पर ही होता है इसलिए कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की मांग भी काफी बढ़ गई है. बता दें कि 12वीं के बाद कंप्यूटर प्रोग्रामिंग फील्ड में छात्र अपना करियर बना सकते हैं. दरअसल इस कोर्स के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरी की ढेरों संभावना है.

आज का युग पूरी तरह डिजिटल युग में बदल चुका है. हमारी रोज की गतिविधियों में डिजिटल टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर डिवाइस का हस्तक्षेप है. इतना ही नहीं आज के दौर में ज्यादातर ऑफिशियल वर्क ट्रेंड कंप्यूटर प्रोफेशनल्स द्वारा बनाए गए प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप से किए जा रहे हैं.यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की डिमांड भी काफी बढ़ी है. इसलिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की फिल्ड में अब करियर की अपार संभावनाएं हैं. इच्छुक उम्मीदवार 12वीं या ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं.

6 महीने से लेकर पीएचडी लेवल तक के कंप्यूटर कोर्स कर सकते हैं

कई सरकारी संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों में सरकार द्वारा संचालित कोर्सेस में 6 महीने के कंप्यूटर सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर पीएचडी लेवल तक के कोर्स शामिल हैं. इन कोर्स को करने के लिए आपको किसी संस्थान में दाखिला लेना होगा. कोर्स करने के बाद आपके पास अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी होगी क्योंकि इस फिल्ड में एक्सपर्ट की डिमांड काफी ज्यादा है.  

बता दें कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्षेत्र में छात्रों को बेसिक कंप्यूटर, साइबर सुरक्षा, कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, मल्टीमीडिया और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिखाई जा रही हैं. इस क्षेत्र में साइबर सेफ्टी, मोबाइल फोन सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट और डेटा साइंस सहित कई स्पेशलाइज्ड पथ शामिल हैं.

कोर्स करने के बाद ट्रेंड प्रोफेशनल बना जा सकता है

इस क्षेत्र में कोर्स करने के बाद छात्र कंप्यूटर प्रोग्रामर, ट्रेंड प्रोफेशनल बना जा सकता है जो कंप्यूटर सिस्टम को प्रॉपर और स्पेसिफाइड तरीके से कार्य करने की अनुमति देते है. वे कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कुशल हो जाते हैं. वे मजबूत रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक कौशल हासिल कर सकते हैं.

कंप्यूटर कोर्स के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावना

कंप्यूटर फिल्ड में कोर्स करने के बाद छात्र न केवल सरकारी या निजी नौकरी के योग्य बन जाते हैं, बल्कि अपना खुद का व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं. इस कोर्स के बाद कम से कम 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति माह की इनकम कर सकते हैं. विभिन्न कंपनियां जो डेटा स्टोर करने और अपना सुचारू व्यवसाय चलाने के लिए प्रौद्योगिकी पर भरोसा करती हैं वे कंप्यूटर फील्ड के प्रोफेशनल्स कोरों को अच्छे वेतन पर नियुक्त करती हैं.

Monday, September 6, 2021

फाइन आर्ट बेहतरीन करियर

फाइन आर्ट एक बेहतरीन करियर फील्ड है। इसमें सफलता के लिए क्रिएटिव माइंड के साथ परिश्रमी होना भी जरूरी है। 

देश में कला को सदैव सर्वोपरि रखा गया है। कलाओं ने ही तो देश को एक नई पहचान दी है। आईटी एवं कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन अनिवार्य होता जा रहा है। इसी के साथ हाथ की कारीगरी भी धीरे-धीरे तकनीकी रूप अख्तियार करती जा रही है। तकनीकी दखल के बावजूद कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जो लगातार अपनी परंपरा एवं पहचान बनाए हुए हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र है ‘फाइन आर्ट’ यानी ललित कला। आमतौर पर लोगों का मानना है कि ललित कला की उपयोगिता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि आज भी यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। अच्छी पेंटिंग्स लाखों-करोड़ों में बिक रही हैं तथा कलाकारों को उसका पूरा फायदा भी मिल रहा है। इस तरह अच्छे कलाकार को पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही बेशुमार शोहरत भी मिलती है। पर विदेशों की अपेक्षा अभी भी भारत काफी पीछे है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पर आर्ट एग्जिबिशन एवं गैलरी कम ही देखने को मिलती हैं, जिससे लोगों को जागरूकता तथा इस कोर्स की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती। 

 बारहवीं के बाद खुलेंगे दरवाजे

फाइन आर्ट से संबंधित कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद हैं।  इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं तय की गई है। अधिकांश संस्थान 10वीं के बाद ही कई तरह के डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं, पर वह अधिक कारगर नहीं होते। बारहवीं के बाद जब छात्र के अंदर कला को समझने का कौशल विकसित हो जाता है तो उसे इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) में एडमिशन 12वीं के पश्चात मिलता है। यह चार वर्ष का पाठ्यक्रम होता है। बैचलर कोर्स में प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला मिलता है। कई संस्थान मेरिट के आधार पर दाखिला देते हैं। बीएफए के बाद मास्टर डिग्री के रूप में 2 वर्षीय मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) किया जाता है। यदि मास्टर कोर्स में 50 प्रतिशत अंक हैं तो पीएचडी का रास्ता भी खुल जाता है।

कई तरह के गुण आवश्यक
यह क्षेत्र ऐसा है, जो परिश्रम एवं समय मांगता है। अचानक कोई अचानक ही अच्छा कलाकार नहीं बन सकता। इसमें यह देखा जाता है कि छात्र अपनी भावनाओं एवं कल्पनाओं को किस हद तक कैनवस एवं कागज पर उकेर पा रहा है। इसके लिए कल्पनाशील व अपनी सोच से कुछ नया गढ़ने का गुण होना आवश्यक है। इसमें महारथ हासिल करने के लिए क्रिएटिव माइंड होना चाहिए, ताकि आप अपने आर्ट में वह रंग भर दें कि लोगों को वह आकर्षित कर सके।

काफी लंबा-चौड़ा क्षेत्र है यह
फाइन आर्ट कोई नया पाठय़क्रम नहीं है। लंबे समय से भारत में इसकी उपयोगिता देखी जा रही है। आजकल इस क्षेत्र में काफी प्रयोग देखने को मिल रहे हैं, जिसका सकारात्मक फायदा इस क्षेत्र में कदम रखने वाले लोगों को मिल रहा है। यही कारण है कि इसमें रोजगार की संभावना सदैव बनी रहती है। पाठ्यक्रम के पश्चात कई तरह के विकल्प जैसे पत्र-पत्रिकाओं व विज्ञापन एजेंसियों में विजुअलाइजर, स्कूल-कॉलेज में आर्ट टीचर, बोर्ड डायरेक्टर आदि सामने आते हैं।

कमाई बहुत है इस क्षेत्र में
कमाई का सारा दारोमदार अनुभव एवं कलाकृति की अपील पर टिका होता है। इस क्षेत्र में बढ़ती भीड़ में उन्हीं लोगों को सफलता मिल रही है, जिनके हाथ सधे हुए हैं। यदि छात्र नौकरी करना चाहते हैं तो उनके लिए कई विकल्प हैं, जहां उन्हें 10-15 हजार की नौकरी आसानी से मिल जाती है। जबकि अनुभवी लोग अपने कारोबार के दम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। लेकिन इसके लिए एक लंबे अनुभव एवं बाजार की जरूरत पड़ती है। जैसे-जैसे भारत में आर्ट एग्जिबिशन एवं कला से संबंधित अन्य गैलरी का चलन बढ़ रहा है, वैसे ही कमाई, खासकर खुद का रोजगार करने वाले एवं फ्रीलांसरों की कमाई बढ़ती जा रही है।

इस रूप में कर सकते हैं काम
विजुअलाइजिंग प्रोफेशनल
इलस्ट्रेटर
आर्ट क्रिटिक
आर्टिस्ट
आर्ट प्रोफेशनल्स
डिजाइन ट्रेनर

यहां मिलेगा अवसर
एनिमेशन इंडस्ट्री ’विज्ञापन कंपनी
आर्ट स्टूडियो
फैशन हाउस
पत्र-पत्रिकाएं
स्कल्पचर
टेलीविजन
पब्लिशिंग इंडस्ट्री
ग्राफिक आर्ट
टीचिंग
फिल्म व थियेटर प्रोडक्शन
टेक्सटाइल इंडस्ट्री

एक्सपर्ट व्यू/ प्रो. मनीष अरोड़ा
फाइन आर्ट के वर्तमान एवं संभावनाओं पर प्रस्तुत है बनारस हिन्दू विवि के अप्लाइड आर्ट के सहायक प्रोफेसर प्रो़ मनीष अरोड़ा से बातचीत के अंश-

वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए फाइन आर्ट का क्षेत्र कैसा है?             
इस समय देश व विदेश दोनों जगह फाइन आर्ट का भविष्य अच्छा है। नई पीढ़ी में इसके प्रति जागरूकता आयी है। समाज में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। प्रवेश परीक्षा और कोर्स के दौरान छात्रों की बढ़ती भीड़ इस बात की तस्दीक कर रही है कि इसमें निराश होने जैसी कोई बात नहीं है। म्यूजियम भी अब ऑनलाइन हो चुके हैं व इंटरनेट से काफी मदद मिल रही है।

कोर्स से छात्रों को कितनी सहायता मिलती है?
प्रशिक्षण संस्थान छात्रों को ऐसा खुला मंच उपलब्ध कराते हैं, जहां से वह अपने कौशल को अधिक बिखेर सकते हैं। विदेशी कोर्स को यहां के हिसाब से बदला गया है। इसमें 80 प्रतिशत प्रेक्टिकल व 20 प्रतिशत थ्योरी है। प्रशिक्षण संस्थान इन्हीं बारीकियों, कल्पनाशीलता तथा इसके इतिहास से अवगत कराते हैं। फिर भी स्कूली ज्ञान के अलावा छात्रों को स्वयं से मेहनत की दरकार होती है।

आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कैसे कर सकते हैं कोर्स?
छात्र यदि इसमें भविष्य बनाने के इच्छुक हैं तो उनके सामने धन आड़े नहीं आता। कई प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक छात्रों को एजुकेशन लोन उपलब्ध कराते हैं। जहां तक विदेश जाकर पढ़ने का सवाल है तो वहां पर कई ऐसी फेलोशिप मिलती हैं, जो छात्रों का खर्च उठाने में सक्षम हैं।

फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
भारत में फाइन आर्ट से संबंधित पाठय़क्रम चलाने वाले प्रमुख संस्थान निम्न हैं-

कॉलेज ऑफ आर्ट (दिल्ली विश्वविद्यालय), नई दिल्ली
वेबसाइट -www.du.ac.in
डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट (जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि), नई दिल्ली
वेबसाइट --www.jmi.ac.in
फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट (बीएचयू), वाराणसी
वेबसाइट -www.bhu.ac.in
राजस्थान विश्वविद्यालय (डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट), राजस्थान
वेबसाइट -www.uniraj.ernet.in
सर जेजे इंस्टीटय़ूट ऑफ एप्लाइड आर्ट्स, मुंबई
वेबसाइट -www.jjiaa.org
भारती कला महाविद्यालय, महाराष्ट्र
वेबसाइट -www.cofa.bharati vidyapeeth.edu

Thursday, September 2, 2021

डिजिटल मार्केटिंग क्या है

आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है।

Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है ।

यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।  अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से करते हैं । इंटरनेट, कंप्यूटर,  मोबाइल फ़ोन , लैपटॉप , website adertisements या किसी और applications द्वारा हम इससे जुड सकते हैं।

1980 के दशक में सर्वप्रथम कुछ प्रयास किये गये डिजिटल मार्किट को स्थापित करने में परंतु यह सम्भव नही हो पाया । 1990 के दशक मे आखिर मे इसका नाम व उपयोग शुरु हुआ।

डिजिटल मार्केटिंग नये ग्राहकों तक पहुंचने का सरल माध्यम है। यह विपणन गतिविधियों को पूरा करता है। इसे ऑनलाइन मार्केटिंग भी कहा जा सकता है। कम समय में अधिक लोगों तक पहुंच कर विपणन करना डिजिटल मार्केटिंग है। यह प्रोध्योगीकि विकसित करने वाला विकासशील क्षेत्र है।

डिजिटल मार्केटिंग से उत्पादक अपने ग्राहक तक पहुंचने के साथ ही साथ उनकी गतिविधियों, उनकी आवश्यकताओं पर भी दृष्टी रख सकता है। ग्राहकों का रुझान किस तरफ है, ग्राहक क्या चाह रहा है, इन सभी पर विवेचना डिजिटल मार्केटिंग के द्वारा की जा सकती है। सरल भाषा में कहें तो डिजिटल मार्केटिंग डिजिटल तकनीक द्वारा ग्राहकों तक पहुंचने का एक माध्यम है। 

यह आधुनिकता का दौर है और इस आधुनिक समय में हर वस्तु में आधुनिककरन हुआ है। इसी क्रम में इंटरनेट भी इसी आधुनिकता का हिस्सा है जो जंगल की आग की तरह सभी जगह व्याप्त है। डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से कार्य करने में सक्षम है।

आज का समाज समय अल्पता से जूझ रहा है, इसलिये डिजिटल मार्केटिंग आवश्यक हो गया है। हर व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा है वे इसका  उपयोग हर स्थान पर आसानी से कर सकता  है । अगर आप किसी से मिलने को कहो तो वे कहेगा मेरे पास समय नही है, परंतु सोशल साइट पर उसे आपसे बात करने में कोई समस्या नही होगी । इन्ही सब बातों को देखते हुए डिजिटल मार्केटिंग इस दौर में अपनी जगह बना रहा है ।

जनता अपनी सुविधा के अनुसार इंटरनेट के जरिये अपना मनपसंद व आवश्यक सामान आसानी से प्राप्त कर सकती है । अब बाज़ार जाने से लोग बचते हैं ऐसे में डिजिटल मार्केटिंग बिज़नेस को अपने products और services लोगो तक पहुंचाने में मदद करती है। डिजिटल मार्केटिंग कम समय में एक ही वस्तु के कयी प्रकार दिखा सकता है और उप्भोक्ता को जो उपभोग पसंद है वे तुरंत उसे ले सकता है।  इस माध्यम से उपभोकता का बाज़ार जाना वस्तु पसंद करने, आने जाने में जो समय लगता है वो बच जाता है ।

ये वर्तमान काल में आवश्यक हो गया है । व्यापारी को भी व्यापार  में मदद मिल रही है। वो भी कम समय में अधिक लोगो से जुड़ सकता है और अपने उत्पाद की खूबियाँ उपभोक्ता तक पहुँचा सकता  है।

परिवर्तन जीवन का नियम है , यह तो आप सब जानते ही हैं। पहले समय में और आज के जीवन में कितना बदलाव हुआ है और आज इंटरनेट का जमाना है । हर वर्ण के लोग आज इंटरनेट से जुड़े है,  इन्ही सब के कारण सभी लोगो को एक स्थान पर एकत्र कर पाना आसान है जो पहले समय में सम्भव नही था । इंटरनेट के जरिये हम सभी व्यवसायी और ग्राहक का तारतम्य स्थापित भी कर सकते हैं।

डिजिटल मार्केटिंग की मांग वर्तमान समय में बहुत प्रबल रुप में देखने को मिल रही है। व्यापारी जो अपना सामान बना रहा है , वो आसानी से ग्राहक तक पहुंचा रहा है।  इससे डिजिटल व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है ।

पहले विज्ञापनो का सहारा लेना पड़ रहा था। ग्राहक उसे देखता था, फिर पसंद करता था , फिर वह उसे खरीदता था। परंतु अब सीधा उपभोक्ता तक सामान भेजा जा सकता है । हर व्यक्ति गूगल, फेसबुक , यूट्यूब आदि उपयोग कर रहा है, जिसके द्वारा व्यापारी अपना उत्पाद-ग्राहक को दिखाता है । यह व्यापार सबकी पहुंच में है- व्यापारी व उपभोक्ता की भी।

हर व्यक्ति को आराम से बिना किसी परिश्रम के प्रतयेक  उपयोग की चीज़ मिल जाती है। व्यापारी को भी यह सोचना नही पड़ता कि वह अखबार, पोस्टर, या विज्ञापन का सहारा ले। सबकी सुविधा के मद्देनजर इसकी मांग है। लोगों का विश्वास भी डिजिटल मार्किट की ओर बड़   रहा है। यह एक व्यापारी के लिये हर्ष का विषय है। कहावत है “ जो दिखता है वही बिकता है” – डिजिटल मार्किट इसका अच्छा उदाहरण है

सबसे पहले तो आपको यह बता दे कि डिजिटल मार्केटिंग करने के लिये ‘इंटरनेट’ ही एक मात्र साधन है। इंटरनेट  पर ही हम अलग-अलग वेबसाइट के द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं । इसके कुछ प्रकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं –

(i) सर्च इंजन औप्टीमाइज़ेषन या SEO

यह एक ऐसा तकनीकी माध्यम है जो आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन के परिणाम पर सबसे ऊपर जगह दिलाता है जिससे दर्शकों की संख्या में बड़ोतरी होती है। इसके लिए हमें अपनी वेबसाइट को कीवर्ड और SEO guidelines के अनुसार बनाना होता है।

(ii) सोशल मीडिया (Social Media)

सोशल मीडिया कई वेबसाइट से मिलकर बना है – जैसे Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, आदि । सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अपने विचार हजारों लोगों के सामने रख सकता है । आप भली प्रकार सोशल मीडिया के बारे में जानते है । जब हम ये साइट देखते हैं तो इस पर कुछ-कुछ अन्तराल पर हमे विज्ञापन दिखते हैं यह विज्ञापन के लिये कारगार व असरदार जरिया है।

(iii) ईमेल मार्केटिंग (Email Marketing)

किसी भी कंपनी द्वारा अपने उत्पादों को ई-मेल के द्वारा पहुंचाना ई-मेल मार्केटिंग है। ईमेल मार्केटिंग हर प्रकार से हर कंपनी के लिये आवश्यक है क्योकी कोई भी कंपनी नये प्रस्ताव और छूट ग्राहको के लिये समयानुसार देती हैं जिसके लिए ईमेल मार्केटिंग एक सुगम रास्ता है।

(iv) यूट्यूब चेनल (YouTube Channel)

सोशल मीडिया का ऐसा माध्यम है जिसमे उत्पादक अपने उत्पादों को लोगों के समक्ष प्रत्यक्ष रुप से पहुंचाना है। लोग इस पर अपनी प्रतिक्रया भी व्यक्त कर सकते हैं। ये वो माध्यम है जहां बहुत से लोगो की भीड़ रह्ती है या यूं कह लिजिये की बड़ी सन्ख्या में users/viewers यूट्यूब पर रह्ते हैं।  ये अपने उत्पाद को लोगों के समक्ष वीडियो बना कर दिखाने का सुलभ व लोकप्रिय माध्यम है।

(v) अफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing)

वेबसाइट, ब्लोग या लिंक के माध्यम से उत्पादनों के विज्ञापन करने से जो मेहनताना मिलता है, इसे ही अफिलिएट मार्केटिंग कहा जाता है। इसके अन्तर्गत आप अपना लिंक बनाते हैं और अपना उत्पाद उस लिंक पर डालते है । जब ग्राहक उस लिंक को दबाकर आपका उत्पाद खरीदता है तो आपको उस पर मेहन्ताना मिलता है।

(vi) पे पर क्लिक ऐडवर्टाइज़िंग या PPC marketing

जिस विज्ञापन को देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है उसे ही पे पर क्लिक ऐडवर्टीजमेंट कहा जाता है। जैसा की इसके नाम से विदित हो रहा है की इस पर क्लिक करते ही पैसे कटते हैं । यह हर प्रकार के विज्ञापन के लिये है ।यह विज्ञापन बीच में आते रह्ते हैं। अगर इन विज्ञापनो को कोई देखता है तो पैसे कटते हैं । यह भी डिजिटल मार्केटिंग का एक प्रकार है।

(vii) एप्स मार्केटिंग (Apps Marketing)

इंटरनेट पर अलग-अलग ऐप्स बनाकर लोगों तक पहुंचाने और उस पर अपने उत्पाद का प्रचार करने को ऐप्स मार्केटिंग कहते हैं । यह डिजिटल मार्केटिंग का बहुत ही उत्तम रस्ता है। आजकल बड़ी संख्या में लोग स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी कंपनी अपने एप्स बनाती हैं और एप्स को लोगों तक पहुंचाती है। 

डिजिटल मार्केटिंग की उपयोगिता के बारे में हम आप को बता रहे हैं –

(i) आप अपनी वेबसाइट पर ब्रोशर बनाकर उस पर अपने उत्पाद का विज्ञापन लोगों के लेटेर-बॉक्स पर भेज सकते हैं। कितने लोग आपको देख रहे हैं यह भी पता लगाया जा सकता है।

(ii) वेबसाइट ट्रेफ़िक- सबसे ज्यादा दर्शकों की भीड़ किस वेबसाइट पर है – पहले ये आप जान ले , फिर उस वेबसाइट पर अपना विज्ञापन डाल दें ताकी आपको अधिक लोग देख सकें ।

(iii) एटृब्युषन मॉडलिंग – इसके द्वारा ह्म यह पता कर सकते है की आजकल लोग किस उत्पाद में रुचि ले रहे हैं या किन-किन विज्ञापनों को देख रहे हैं । इसके लिये विशेश टूल का प्रयोग करना होता है जो की एक विशेश तकनीक के द्वारा किया जा सकता है और ह्म अपने उपभोक्ताओं की हरकतें यानी उनकी रुचि पर नज़र रख सकते हैं।

आप अपने उपभोक्ता से किस प्रकार सम्पर्क बना रहे हैं यह विषय महत्वपूर्ण है। आप उनकी आवश्यक्ता के साथ पसंद पर भी दृष्टी बनाकर रखा करें ऐसा करने से व्यापार में वृद्घि हो सकती है।

आप पर उनका विश्वास भी अत्यन्त आवश्यक है, की वह विज्ञापन देख कर आपका उत्पाद खरीदने में संकोच न करें तुरंत ले लें। इनके विश्वास को आपने विश्वास देना है। ग्राहक को आश्वासन दिलाना आपका दायित्व है। अगर किसी को सामान पसंद न आये तो उसको बदलने के लिये वो अपना संदेश आप तक पहुंचा सके इसके लिये ईबुक आपकी सहायता कर सकता है।

डिजिटल मार्केटिंग एक एसा माध्यम बन गया है जिससे कि मार्केटिंग (व्यापार) को  बढ़ाया जा सकता है। इसके उपयोग से सभी लाभान्वित हैं । उपभोक्ता व व्यापारी के बीच अच्छे से अच्छा ताल-मेल बना रहे हैं , इसी सामजस्य को डिजिटल मार्केटिंग द्वारा पूरा किया जा सकता है । डिजिटल मार्केटिंग आधुनिकता का एक अनूठा उद्धरण है।