Monday, February 10, 2020

फुटवियर डिजाइनिंग में भविष्य

बदलते जमाने और फैशन के इस दौर में सिर्फ अच्छे कपड़े पहनना ही सीमित नहीं है बल्कि लोग फुटवियर पर भी पूरा ध्यान देते हैं। ऐसे फुटवियर की मांग है जो स्टाइलिश होने के साथ आरामदायक भी है। और उनकी इस जरूरत को पूरा करने का काम करते हैं फुटवियर डिजाइनर। पिछले कुछ समय में इस क्षेत्र में कॅरियर की बेहतर संभावनाएं उजागर हुई हैं। अगर आप भी समझदार व कुछ क्रिएटिव करने की चाह रखते हैं तो इस क्षेत्र में सुनहरा भविष्य देख सकते हैं।इसके बारे में बता रहे हैं दिल्ली में कार्यरत फुटवियर डिजाइनर- कार्यक्षमता इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आप में हमेशा कुछ हटकर व नया करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके अलावा उनका रिसर्च वर्क भी अच्छा होना चाहिए ताकि वह मार्केट में चल रहे ट्रेंड से भली−भांति अवगत रहें। चूंकि उन्हें अपने डिजाइन को फाइनल लुक देने के लिए बहुत से लोगों की आवश्यकता होती है, इसलिए उनका अन्य लोगों के साथ मेलजोल भी अच्छा होना चाहिए। अगर आपके टीम वर्क व कोऑर्डिनेशन में कुछ कमी होती है तो उसका असर प्रॉडक्ट में भी दिखाई देता है। आजकल डिजाइनर्स अपने डिजाइन को कंप्यूटर पर ही बनाते हैं, इसलिए आपमें टेक्निकल स्किल्स भी होनी चाहिए। कार्य एक फुटवियर डिजाइनर का काम सिर्फ फुटवियर डिजाइन करना ही नहीं होता, बल्कि उसे आम लोगों की ख्वाहिश को ध्यान में रखते हुए अपना काम इस प्रकार करना होता है ताकि वह लेटेस्ट डिजाइन के शू कम से कम दामों में लोगों को मुहैया करा सके। वैसे भी कुछ समय पहले तक इस फील्ड में जो नया कॉन्सेप्ट आता था, वह कुछ महीने या सालों तक चलता था। लेकिन अब फैशन व स्टाइल रोज बदलते हैं। इसलिए उनका प्रमुख काम हमेशा कुछ नया सोचना व उसे अमल में लाना होता है।
  योग्यता इस क्षेत्र में अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। आप चाहें तो 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद इससे संबंधित कोर्स कर सकते हैं। लेकिन बीटेक या एमटेक करने के लिए आपका साइंस या इंजीनियरिंग बैकग्रांउड होना अनिवार्य है। कोर्स के दौरान छात्रों को जूते बनाने वाले मैटीरियल, पैटर्न, डिजाइन कॉन्सेप्ट, डिजाइन सॉफ्टवेयर व फैशन टेंडस आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती है। संभावनाएं एक फुटवियर डिजाइनर के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी करियर की बेहतरीन संभावनाएं हैं। एक डिजाइनर विभिन्न शू कंपनियों में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अनुभव के बाद आप खुद के डिजाइन किए हुए फुटवियर की एक शॉप भी खोल सकते हैं। इससे जब आप बेहतरीन व लेटेस्ट कम दामों पर लोगों को मुहैया कराएंगे तो आपकी आमदनी भी अधिक होगी और आप खुद भी एक ब्रांड के रूप में मार्केट में उभरकर आएंगे। आमदनी इस फील्ड में जॉब के शुरूआती दौर में ही दो से तीन लाख रुपए सालाना मिल जाते हैं। तीन−चार साल का अनुभव होने के बाद यही सैलरी चार से पांच लाख रुपए सालाना हो जाती है। अगर आप किसी बड़ी कंपनियों से जुड़ते हैं और आपका काम लोगों को पसंद आता है तो आपकी सैलरी अधिक भी हो सकती है। सरकारी पहल इस क्षेत्र से जुड़े स्किल्ड लोगों की मांग पूरी करने के लिए सरकार की तरफ से पहल हुई है। इसके लिए 1963 में आगरा में सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई। इतना ही नहीं, वर्ष 1986 में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की देख-रेख में नोएडा में फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई। इसके अलावा, देश के प्रमुख शहरों कानपुर, जालंधर, चेन्नई, मुंबई आदि में भी सरकारी और निजी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाए जा रहे हैं। प्रमुख संस्थान फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, नोएडा। एवीआई स्कूल ऑफ फैशन व शू टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़। सेंटल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीटयूट, आगरा। द सेंटर लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट, चेन्नई। कर्नाटका इंस्टीटयूट ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, बंगलुरु।

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