अगर स्नातक स्तर पर साइंस की विभिन्न शाखाओं के बीच विचरण करना चाहते हैं, फिजिक्स के साथ-साथ रसायनशास्त्र और गणित जैसे विषयों को भी पढ़ने की तमन्ना है तो बीएससी इन फिजिकल साइंस कोर्स एक बेहतर विकल्प है। जनरल साइंस के रूप में लंबे अरसे तक चलने वाला यह कोर्स आज नाम बदल कर फिजिकल साइंस में तब्दील हो गया है। अब इसे ‘बीएससी जनरल ग्रुप ए’ की जगह बीएससी इन फिजिकल साइंस के नाम से जाना जाता है।
यह कोर्स छात्रों को एमएससी स्तर पर साइंस की विभिन्न शाखाओं में जाने की राह तो दिखाता ही है, उन्हें स्नातक करने के बाद भी करियर की अलग-अलग दिशाओं में जाने का रास्ता अख्तियार कराता है। अगर साइंस ग्रेजुएट बन कर नौकरी करने की इच्छा है तो यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है।
कोर्स में क्या है
सीधी-सीधी बात कही जाए तो यह साइंस का खिचड़ी कोर्स है, जो बारहवीं तक भौतिकी, गणित, रसायनशास्त्र और कंप्यूटर साइंस जैसे विषय पढ़ने वाले छात्रों को आगे भी विभिन्न विषयों को पढ़ने की छूट देता है। इसमें छात्र भौतिकी और गणित को मुख्य पेपर के रूप में तीनों साल तो पढ़ते ही हैं, इसके अलावा विकल्प के रूप में एक और पेपर को भी तीनों साल पढ़ना होता है। इसमें छात्रों को कई चॉइस दी जाती है। मसलन कोई चाहे तो तीनों साल भौतिकी और गणित के साथ रसायनशास्त्र को मुख्य पेपर के रूप में चुन सकता है।
सीधी-सीधी बात कही जाए तो यह साइंस का खिचड़ी कोर्स है, जो बारहवीं तक भौतिकी, गणित, रसायनशास्त्र और कंप्यूटर साइंस जैसे विषय पढ़ने वाले छात्रों को आगे भी विभिन्न विषयों को पढ़ने की छूट देता है। इसमें छात्र भौतिकी और गणित को मुख्य पेपर के रूप में तीनों साल तो पढ़ते ही हैं, इसके अलावा विकल्प के रूप में एक और पेपर को भी तीनों साल पढ़ना होता है। इसमें छात्रों को कई चॉइस दी जाती है। मसलन कोई चाहे तो तीनों साल भौतिकी और गणित के साथ रसायनशास्त्र को मुख्य पेपर के रूप में चुन सकता है।
जो छात्र रसायनशास्त्र नहीं पढ़ना चाहता, उसे इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस में से किसी एक को मुख्य पेपर के रूप में चुनने की छूट मिलती है। तीन साल में तीन विषय के अलावा कई और पेपर भी पढ़ने होते हैं। छात्रों को अब टेक्निकल राइटिंग एंड कम्युनिकेशन यानी अंग्रेजी का एक पेपर पहले साल पढ़ना होता है। इसके अलावा कंप्युटेशनल स्किल का एक पेपर और दूसरे साल में इंट्रोडक्शन टू बायोलॉजी और फिर सोलहवें पेपर के रूप में बायोलॉजी पढ़नी होती है। तीन सालों में कुल 24 पेपर पास करने होते हैं।
छात्रों को कंकरेंट कोर्स के तहत भी दो पेपर चुनने होते हैं। अगर किसी ने फिजिकल साइंस में भौतिकी और गणित के अलावा रसायनशास्त्र के 6 पेपर चुने हैं तो उसे कंप्यूटर साइंस से या इलेक्टॉनिक्स से दो कंकरेंट पेपर का चुनाव करना होता है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक या कंप्यूटर साइस से 6 पेपर चुनने वालों को भी दो कंकरेंट पेपरों का चुनाव करना होता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पहले इस कोर्स को करने के बाद उच्च शिक्षा यानी एमएससी करने में खासी दिक्कत आती थी। उन्हें ऑनर्स कोर्स के मुकाबले काफी नीचे रखा जाता था, लेकिन अब एमएससी में प्रवेश परीक्षा होने के कारण ऐसे छात्रों को भी आगे निकलने का मौका मिलता है। यह कोर्स छात्रों को तीन विषयों को पढ़ने का व्यापक नजरिया प्रदान करता है। इसमें तीन पेपरों पर ज्यादा जोर देने से छात्रों को एमबीए और आइएएस परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है।
शाखाएं इसमें मुख्य रूप से बीएससी इन फिजिकल साइंस तो है ही, इसके अलावा स्पेशलाइज्ड पेपर चुनने पर फिजिकल साइंस विद कंप्यूटर साइंस और फिजिकल साइंस विद इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विषय भी जुड़ जाते हैं।
दाखिला कैसे
कॉलेजों में इस कोर्स में दाखिला बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है।
कॉलेजों में इस कोर्स में दाखिला बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है।
फैक्ट फाइल
कोर्स कराने वाले संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब 25 कॉलेज ऐसे हैं, जहां अलग-अलग रूपों में फिजिकल साइंस कोर्स चल रहा है।
कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थान:
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
आगरा विश्वविद्यालय, आगरा
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक
पंजाब विश्वविद्यालय
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब 25 कॉलेज ऐसे हैं, जहां अलग-अलग रूपों में फिजिकल साइंस कोर्स चल रहा है।
कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थान:
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
आगरा विश्वविद्यालय, आगरा
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक
पंजाब विश्वविद्यालय
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
अवसर कहां
स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों को आगे की शिक्षा के लिए किसी न किसी क्षेत्र में स्पेशलाइज्ड रास्ता चुनना पड़ता है। यह कोर्स जनरल साइंस है, इसलिए आगे बढ़ने का विकल्प थोड़ा कठिन होता है। लेकिन बहुत सारे छात्र इन बाधाओं को पार कर मौका पाते हैं।
स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों को आगे की शिक्षा के लिए किसी न किसी क्षेत्र में स्पेशलाइज्ड रास्ता चुनना पड़ता है। यह कोर्स जनरल साइंस है, इसलिए आगे बढ़ने का विकल्प थोड़ा कठिन होता है। लेकिन बहुत सारे छात्र इन बाधाओं को पार कर मौका पाते हैं।
सामान्य तौर पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होकर बैंक व अन्य निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरी कर सकते हैं। सरकारी क्षेत्र की ओर देखें तो यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस, आईपीएस बन सकते हैं। बैंकिंग सेक्टर में जा सकते हैं। एमबीए या एमसीए कर सकते हैं। सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में लैब असिस्टेंट के रूप में कार्य कर सकते हैं। स्कूलों में साइंस के शिक्षक बन सकते हैं।
वेतन
शुरुआती तौर पर 20 से 25 हजार रुपये की नौकरी मिल जाती है। एमएससी के बाद कॉलेज शिक्षण और रिसर्च एसोसिएट के रूप में वेतनमान शुरुआती तौर पर 40 से 45 हजार रुपये है।
तुरंत जॉब मिलती है इसमें
फिजिकल साइंस छात्रों के लिए किस रूप में मददगार है?
आमतौर पर यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है, जो स्नातक करते ही नौकरी की तलाश में रहते हैं। इसे करने के बाद छात्र सीधे रोजगार के बाजार में उतर सकता है। वह लैब में बतौर सहायक काम कर सकता है। दूसरी बात यह कि इसे करने के बाद बीएड में दो विषयों को चुन कर शिक्षक बनने का मौका मिलता है। सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यह कोर्स मददगार है। एमएससी स्तर पर कई तरह के स्पेशलाइजेशन चुनने का रास्ता दिखाता है।
आमतौर पर यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है, जो स्नातक करते ही नौकरी की तलाश में रहते हैं। इसे करने के बाद छात्र सीधे रोजगार के बाजार में उतर सकता है। वह लैब में बतौर सहायक काम कर सकता है। दूसरी बात यह कि इसे करने के बाद बीएड में दो विषयों को चुन कर शिक्षक बनने का मौका मिलता है। सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यह कोर्स मददगार है। एमएससी स्तर पर कई तरह के स्पेशलाइजेशन चुनने का रास्ता दिखाता है।
इसमें किस तरह के विषयों का कॉम्बिनेशन है?
इसमें भौतिकी और गणित, सभी के लिए अनिवार्य होता है। इसके साथ ही छात्र रसायनशास्त्र भी पढ़ते हैं। अगर कोई रसायनशास्त्र नहीं पढ़ना चाहता तो वह कंप्यूटर साइंस ले सकता है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स का चुनाव कर सकता है।
इसमें भौतिकी और गणित, सभी के लिए अनिवार्य होता है। इसके साथ ही छात्र रसायनशास्त्र भी पढ़ते हैं। अगर कोई रसायनशास्त्र नहीं पढ़ना चाहता तो वह कंप्यूटर साइंस ले सकता है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स का चुनाव कर सकता है।
यह कोर्स किस तरह के अवसर मुहैया कराता है?
इस कोर्स के छात्रों के लिए स्नातक के बाद सामान्य स्तर की कई तरह की नौकरियों में जाने का रास्ता निकलता है। कोई चाहे तो एमबीए कर सकता है। कोई एमसीए करके नई राह चुन सकता है। स्नातक में पढ़े गए अपने दो विषयों को लेकर सिविल सर्विस की तैयारी कर सकता है। उसे फिजिक्स, रसायनशास्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, गणित और कंप्यूटर साइंस में से किसी एक में जाने का चुनाव करना होता है। किसी एक में एमएससी करके उच्च शिक्षा के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में जा सकता है, चाहे वह साइंटिस्ट का पद हो या रिसर्च एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसर का।
इस कोर्स के छात्रों के लिए स्नातक के बाद सामान्य स्तर की कई तरह की नौकरियों में जाने का रास्ता निकलता है। कोई चाहे तो एमबीए कर सकता है। कोई एमसीए करके नई राह चुन सकता है। स्नातक में पढ़े गए अपने दो विषयों को लेकर सिविल सर्विस की तैयारी कर सकता है। उसे फिजिक्स, रसायनशास्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, गणित और कंप्यूटर साइंस में से किसी एक में जाने का चुनाव करना होता है। किसी एक में एमएससी करके उच्च शिक्षा के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में जा सकता है, चाहे वह साइंटिस्ट का पद हो या रिसर्च एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसर का।
इसमें किस तरह के बदलाव आए हैं?
यह कोर्स पहले बीएससी जनरल ग्रुप ए के नाम से जाना जाता था। 2002 के बाद इसे इस तरह का नाम दिया गया। इसमें एप्लायड फिजिकल साइंस विद कंप्यूटर साइंस या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कई कैटेगरी बन गई थीं, जो उलझन पैदा कर रही थीं, लेकिन यह कंफ्यूजन पिछले साल से खत्म कर दिया गया है। अब एप्लायड शब्द हटा दिया गया है। सिर्फ फिजिकल साइंस रह गया है।
यह कोर्स पहले बीएससी जनरल ग्रुप ए के नाम से जाना जाता था। 2002 के बाद इसे इस तरह का नाम दिया गया। इसमें एप्लायड फिजिकल साइंस विद कंप्यूटर साइंस या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कई कैटेगरी बन गई थीं, जो उलझन पैदा कर रही थीं, लेकिन यह कंफ्यूजन पिछले साल से खत्म कर दिया गया है। अब एप्लायड शब्द हटा दिया गया है। सिर्फ फिजिकल साइंस रह गया है।
फिजिक्स ऑनर्स और फिजिकल साइंस में क्या फर्क है?
फिजिक्स ऑनर्स में तीनों साल भौतिकी से जुड़े पेपर ही पढ़ाए जाते हैं। इसमें तीन विषय मुख्य पेपर के रूप में तीनों साल चलते हैं। यहां स्नातक स्तर की बजाय एमएससी पर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। एमएससी में इस कोर्स के छात्रों की राह ऑनर्स की बजाय थोड़ी कठिन होती है।
फिजिक्स ऑनर्स में तीनों साल भौतिकी से जुड़े पेपर ही पढ़ाए जाते हैं। इसमें तीन विषय मुख्य पेपर के रूप में तीनों साल चलते हैं। यहां स्नातक स्तर की बजाय एमएससी पर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। एमएससी में इस कोर्स के छात्रों की राह ऑनर्स की बजाय थोड़ी कठिन होती है।
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