एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंजियोग्राफी आदि जैसी मेडिकल डायग्नॉस्टिक तकनीकों से आज पूरे चिकित्सा जगत का स्वरूप बदल गया है। अब शरीर के किसी भी अंदरूनी हिस्से में छिपा रोग पता लगाना आसान हो गया है। रेडियोलॉजी का क्षेत्र अब करियर के लिहाज से आकर्षक बन गया है। जॉब मार्केट में ऐसे लोगों की भारी मांग है, जिन्हें रेडिएशन से बचाव की समझ हो और जो मशीन्स की देखरेख करना जानते हों। रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर हैल्थकेयर के क्षेत्र में बेशुमार अवसर हैं।
क्या है रेडियोलॉजी?
रेडियोलॉजी एक मेडिकल टेक्नोलॉजी है। इसकी मदद से शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है। इससे डॉक्टरों को मरीजों की स्थिति और उनकी बीमारियों के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है, जिससे उन्हें कारगर इलाज करने में काफी आसानी होती है। रेडियोलॉजी दो तरह की होती है: डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी और थैरापेटिक रेडियोलॉजी। डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी के अंतर्गत मुख्य रूप से रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड से जुड़े टेस्ट शामिल होते हैं, जैसे एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंजियोग्राफी, फ्लोरोस्कोपी, पोसीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी आदि। थैरापेटिक रेडियोलॉजी में रेडियो तरंगों द्वारा उपचार किया जाता है।
रेडियोलॉजी एक मेडिकल टेक्नोलॉजी है। इसकी मदद से शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है। इससे डॉक्टरों को मरीजों की स्थिति और उनकी बीमारियों के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है, जिससे उन्हें कारगर इलाज करने में काफी आसानी होती है। रेडियोलॉजी दो तरह की होती है: डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी और थैरापेटिक रेडियोलॉजी। डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी के अंतर्गत मुख्य रूप से रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड से जुड़े टेस्ट शामिल होते हैं, जैसे एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंजियोग्राफी, फ्लोरोस्कोपी, पोसीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी आदि। थैरापेटिक रेडियोलॉजी में रेडियो तरंगों द्वारा उपचार किया जाता है।
वर्क प्रोफाइल
रेडियोलॉजिस्ट भी चिकित्सक ही होते हैं। स्पेशलाइजेशन की वजह से ये रेडियोलॉजी तकनीक के कुशल जानकार बन जाते हैं यानी इन्हें रेडियोलॉजी के सुरक्षित इस्तेमाल की बारीक जानकारी होती है। एक रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर ये शरीर के विभिन्न अंगों का एक्सरे करते हैं। रेडियो इमेज का विश्लेषण और इंटरप्रिटेशन करते हैं। इसके अलावा, इन पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है कि एक्सरे करते समय मरीज या आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का कोई बुरा असर न हो। यही नहीं, ऐसे प्रोफेशनल्स को रेडियोग्राफिक उपकरणों और मरीजों के रेकॉर्ड्स को मेन्टेन रखने का काम भी करना होता है।
रेडियोलॉजिस्ट भी चिकित्सक ही होते हैं। स्पेशलाइजेशन की वजह से ये रेडियोलॉजी तकनीक के कुशल जानकार बन जाते हैं यानी इन्हें रेडियोलॉजी के सुरक्षित इस्तेमाल की बारीक जानकारी होती है। एक रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर ये शरीर के विभिन्न अंगों का एक्सरे करते हैं। रेडियो इमेज का विश्लेषण और इंटरप्रिटेशन करते हैं। इसके अलावा, इन पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है कि एक्सरे करते समय मरीज या आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का कोई बुरा असर न हो। यही नहीं, ऐसे प्रोफेशनल्स को रेडियोग्राफिक उपकरणों और मरीजों के रेकॉर्ड्स को मेन्टेन रखने का काम भी करना होता है।
पर्सनल स्किल
कुशल रेडियोलॉजिस्ट बनने के लिए मेहनती, धैर्यवान, मिलनसार और सेवाभावी होना चाहिए। इसके अलावा कम्प्यूटर स्किल, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल और टीम भावना होना भी जरूरी है। इस क्षेत्र में शिफ्ट-वाइज भी काम करना पड़ सकता है। इसलिए आपको दिन-रात किसी भी समय काम करने के लिए तैयार रहना होगा। मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है।
कुशल रेडियोलॉजिस्ट बनने के लिए मेहनती, धैर्यवान, मिलनसार और सेवाभावी होना चाहिए। इसके अलावा कम्प्यूटर स्किल, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल और टीम भावना होना भी जरूरी है। इस क्षेत्र में शिफ्ट-वाइज भी काम करना पड़ सकता है। इसलिए आपको दिन-रात किसी भी समय काम करने के लिए तैयार रहना होगा। मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है।
जॉब के अवसर
रेडियोलॉजी के जानकारों के लिए हैल्थ सेक्टर में ढेर सारे अवसर हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स की मांग सरकारी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक्स, इमेजिंग सेंटर्स, आर्मी के मेडिकल कोर, रिसर्च फील्ड तथा शैक्षणिक संस्थानों में हमेशा रहती है। रेडियोलॉजिस्ट के लिए विदेशों में भी जॉब के बहुत अवसर हैं। अमेरिका, योरप, अफ्रीका तथा खाड़ी के देशों में ऐसे लोगों के लिए रेडियो इमेजिंग तकनीशियन, रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, प्रयोगशाला सहायक, क्लीनिक सहायक, एक्सरे तकनीशियन या अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ के तौर पर जॉब के स्कोप हैं। चाहें, तो खुद का डायग्नॉस्टिक सेंटर भी खोल सकते हैं।
रेडियोलॉजी के जानकारों के लिए हैल्थ सेक्टर में ढेर सारे अवसर हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स की मांग सरकारी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक्स, इमेजिंग सेंटर्स, आर्मी के मेडिकल कोर, रिसर्च फील्ड तथा शैक्षणिक संस्थानों में हमेशा रहती है। रेडियोलॉजिस्ट के लिए विदेशों में भी जॉब के बहुत अवसर हैं। अमेरिका, योरप, अफ्रीका तथा खाड़ी के देशों में ऐसे लोगों के लिए रेडियो इमेजिंग तकनीशियन, रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, प्रयोगशाला सहायक, क्लीनिक सहायक, एक्सरे तकनीशियन या अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ के तौर पर जॉब के स्कोप हैं। चाहें, तो खुद का डायग्नॉस्टिक सेंटर भी खोल सकते हैं।
कोर्स व क्वॉलिफिकेशन
यह करियर फील्ड लड़कों व लड़कियों दोनों के लिए उपयुक्त है। रेडियोलॉजी या रेडिएशन फिजिक्स में आप पीजी, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। बीएससी या डिप्लोमा कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता 50 प्रतिशत अंकों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी विषयों से 12वीं पास होना है। यदि आप बीएससी हैं, तो एमएससी या पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, विकिरण भौतिकी, इमेजिंग भौतिकी, रेडियोग्राफी आदि की जानकारी दी जाती है।
यह करियर फील्ड लड़कों व लड़कियों दोनों के लिए उपयुक्त है। रेडियोलॉजी या रेडिएशन फिजिक्स में आप पीजी, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। बीएससी या डिप्लोमा कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता 50 प्रतिशत अंकों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी विषयों से 12वीं पास होना है। यदि आप बीएससी हैं, तो एमएससी या पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, विकिरण भौतिकी, इमेजिंग भौतिकी, रेडियोग्राफी आदि की जानकारी दी जाती है।
सैलरी पैकेज
रेडियोलॉजिस्ट का सैलरी पैकेज सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में काफी अच्छा होता है। शुरूआत में इन्हें 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रति माह मिल जाते हैं। अनुभव के बाद सैलरी और आकर्षक हो जाती है।
रेडियोलॉजिस्ट का सैलरी पैकेज सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में काफी अच्छा होता है। शुरूआत में इन्हें 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रति माह मिल जाते हैं। अनुभव के बाद सैलरी और आकर्षक हो जाती है।
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