Tuesday, October 31, 2017

केमिस्ट्री में अच्छे अवसर

साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में कॅरिअर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परम्परागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा(साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी/बीएससी(ऑनर्स)डिग्री कोर्स चुन सकते हैं। आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनऑर्गनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोकेमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पॉलिमर केमिस्ट्री, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल बायोकेमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
काम और रोजगार के अवसर :लैब के बाहर और भीतर केमिस्ट्री अपने आपमें काम के अनेक अवसर समेटे हुए है-
ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैम्पस प्लेसमेंट आयोजित रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रहा है अाैर इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद् को बढ़िया पैकेज मिल रहा है।
लाइफ स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ स्टाइल प्रॉडक्ट्स जिनमें काॅस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशन्स केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। 
ह्यूमन हेल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पाॅलिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है।
जॉब प्रोफाइल
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रॉडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटेरियल टेक्नोलाॅजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रॉडक्शन आॅफिसर और सेफ्टी हेल्थ एंड इन्वाइरॅनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मैन्यूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मैन्यूफैक्चरिंग, टैक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
>>यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई
>>दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
>>सेंट जेवियर्स काॅलेज, मुम्बई
>>कोचीन यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी, केरल
>>इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी, खड़गपुर
>>लोयोला काॅलेज, चेन्नई

Saturday, October 28, 2017

मर्चेंट नेवी में करियर

समुद्र की लहरों पर अठखेलियां करने के साथ अगर आपको विदेशों की सैर करने का शौक है तो निश्चय ही आपके लिए मर्चेंट नेवी का करियर मददगार साबित हो सकती है। दरअसल यह फील्ड रोमांच और साहस से भरा होता है। पर आपके अंदर थोड़े से सब्र और साहस के साथ कुछ नया जानने व करने की ललक होनी चाहिए। अगर ऐसा है तो निश्चय ही आप मर्चेंट नेवी बनकर बुलंदियों तक जा सकते हैं। बता रहे हैं मनीष झा- 
नौसेना से अलग: मर्चेंट नेवी में जहाज के सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेंट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। अक्सर लोगों को मर्चेंट नेवी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है। 
क्या है मर्चेंट नेवी: मर्चेंट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड जहाज आते हैं। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। जहाज में काम करने वाले प्रफेशनल्स जहाज के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। इसके तहत बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है। 
आवश्यक योग्यता: समुद्री इंजिनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं पास करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है। 
रोजगार के अवसर: भारत इंटरनैशनल ट्रेड का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक रहा है। इसलिए मर्चेंट नेवी काफी डिमांड में है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में भी डिमांड है। 
इनकम: शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह, लेकिन अनुभव बढऩे के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी होती है। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपये महीना भी कमा सकते हैं। 
अधिक जानकारी: जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुंबई तथा मरीन इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट www.shipindia.com और इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in पर सर्च सकते हैं। 
शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों के साथ 10+2 पास छात्र जेईई के माध्यम से कोर्स कर सकते हैं। कुछ कोर्सेज के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य और 25 वर्ष एससी व एसटी के लिए है। 
प्रशिक्षण संस्थान 
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ अडवांस मरीन टाइम स्टडीज ऐंड रिसर्च, मुंबई 
www.imu.tn.nic.in 
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई 
www.dgshipping.com 
इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नै 
www.imu.tn.nic.in re
मरीन इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता 
www.merical.ac.in 

पद और कार्य 
डेक विभाग- जहाज के कप्तान, उप कप्तान, सहायक कप्तान, चालक। 
उप कप्तान- जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है जो कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है। 
सहायक कप्तान- फस्र्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है। 
थर्ड मेट- सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना। 
पायलट ऑफ शिप- जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करना। 
सेरंग-डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण और सुपरवाइजरी का कार्य। 
इंजन विभाग- जहाज के इंजन पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव व मरम्मत। 
जहाज इंजिनियर- सभी इंजनों, बायलरों, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के संचालन की जिम्मेदारी। 
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है। 
नॉटिकल सर्वेयर- समंदर के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना। 
रेडियो ऑफिसर- डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण। 
सेवा विभाग- जहाज पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम। 
कोर्सेज के स्वरूप 
12वीं (साइंस) 
डिग्री कोर्स: नॉटिकल साइंस ( 3 साल) 
और मरीन इंजिनियरिंग (4 साल) 
डिप्लोमा: 2 साल 
ग्रैजुएट मकैनिकल इंजिनियर्स: 1 साल 
डेक कैडेट: 3 माह 
10वीं (साइंस) 
प्री-सी कोर्स: 4 महीने 
डेक रेटिंग: 3 महीने 
इंजन रेटिंग: 3 महीने 
सेलून रेटिंग: 4 महीने 
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क्कष्टक्च और क्कष्टक्चरू से ओपन होता है मेडिकल का दरवाजा 
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी (पीसीबी) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयलजी और मैथ्स (पीसीबीएम) की पढ़ाई करने के बाद आपके पास कई सारे विकल्प होते हैं। सिर्फ मेडिकल ही नहीं, अन्य भी कई ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। बावजूद इसके आज भी मेडिकल का एक अलग क्रेज है। शायद यही वजह जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स पहले मेडिकल ऐंट्रेस को ही क्रैक करने की सोचते हैं। बता रहे हैं मनीष झा- 
एमबीबीएस 
बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स बायॉलजीपहली पसंद है। ऐडमिशन ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। पहले यह स्टेट लेवल पर होता था। एम्स के एंट्रेस एग्जाम के अलावा सीबीएसई द्वारा आयोजित होने वाले ऐंट्रेस एग्जाम प्रमुख है। प्राइवेट कॉलेज भी अपने-अपने तरीके से ऐडमिशन देते हैं। 
बीडीएस 
12वीं में बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (चार साल) का कर सकते हंै। कोर्स के साथ एक साल का इंटर्नशिप भी जुड़ा हुआ है। बीडीएस करने के बाद आप एक डेंटिस्ट के रूप में कोई अस्पताल जॉइन कर सकते हैं या फिर प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं। 
बीएएमएस 
फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ बायॉलजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी कर सकते हैं। यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें 1 साल का इंटर्नशिप होता है। 
वेटरनेरी साइंस 
देश में जानवरों के इलाज के लिए अच्छे डॉक्टरों की कमी है। आप बायॉलजी से 12वीं पास करने के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। डिग्री लेने के बाद सरकारी नौकरी ही नहीं, प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। 
हेल्थकेयर / पैरामेडिकल 
बायॉलजिकल साइंस के फील्ड में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े यह कोर्स आपके लिए फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, ऐग्रिकल्चर और केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करता है। सीधे मेडिकल में न जा सकने वालों के लिए यह भी एक ऑप्शन है। फिजियोथेरपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, सोनोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, एमआरई और एमएलटी जैसे जॉब्स कर सकते हैं। 
माइक्रोबायॉलजी 
माइक्रोऑर्गेनिज्म की पढ़ाई और उसके ऐप्लीकेशन से संबंधित इस कोर्स में नंबर और टेस्ट दो प्रोसेस के आधार पर ऐडमिशन मिलता है। सरकारी नौकरियों के अलावा फार्मा, रिसर्च, फूड प्रॉडक्ट्स, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में जॉब्स हैं। फॉर्मा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री में माइक्रोबायॉलॉजिस्ट की भारी मांग है। 
क्रिमिनॉलजी 
क्राइम के नेचर और कारण से जुड़े इस सब्जेक्ट को करने के बाद आप सरकारी और फॉरेंसिक लैब्स में काम करने के अलावा आप टीचिंग का भी काम कर सकते हैं। 
जेनेटिक्स 
रिसर्चर या जेनेटिक काउंसिलर के तौर पर काम कर सकते हैं। इस कोर्स में जीनों की बनावट और उनके काम करने के तरीके पढ़ाए जाते हैैं। 
बीएससी नर्सिंग 
महिलाओं के लिए यह कोर्स बेहतरीन माना जाता है। बीएससी करने के बाद सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टरों में अच्छी नौकरी है। टेस्ट के आधार पर दिया जाता है। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर मिलता है। 
फॉरेंसिक साइंस 
क्राइम से जुड़ी चीजों का विश्लेषण करने में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेंसिक साइंस का कोर्स बेस्ट ऑप्शन है। आप इसे करने के बाद फॉरेंसिक साइंटिस्ट बन सकते हैं। 
ऐग्रिकल्चर साइंस 
खेती की बारीकियों से लेकर मार्केटिंग तक को हैंडल करना सिखाया जाता है। यह कोर्स कई सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध है। 12वीं में कम से कम 50-60 पर्सेंट अंक होना चाहिए। ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर होता है। 
ऐग्रिकल्चरल इंजिनियरिंग 
यह सब्जेक्ट ऐग्रिकल्चर के तकनीकी पक्ष की समझ पैदा करता है। इसके तहत ऐग्रिकल्चरल मशीनरी और सिंचाई से लेकर डेयरी इंजिनियरिंग तक शामिल है। रोजगार की संभावनाएं काफी है। 
बायोइंफॉर्मेटिक्स 
इसमें बायो केमिस्ट्री, माल्युकुलर बायॉलजी और इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी शामिल है। बायॉलजी से जुड़ी समस्याओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल करके दूर किया जाता है। यह कोर्स काफी डिमांड में है। 
बायोकेमिस्ट्री 
जीव-जंतुओं के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं के अध्ययन से जड़ा यह विषय है। केमिस्ट्री में जहां मूल रूप से शरीर के बाहर होने वाले प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, वहीं बायोकेमिस्ट्री में अंदरूनी प्रतिक्रियाओं पर फोकस होता है। फॉर्मा व फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं। 
फॉर्मा कोर्सेज 
देश में फॉर्मा इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास के बाद इस कोर्स की डिमांड बढ़ गई है। मार्केटिंग वाले को शुरुआत में भी अच्छे पैसे मिलते हैं। 
Top Medical Colleges in Mumbai 
Seth GS Medical College and KEM Hospital 
Topiwala National Medical College 
Grant Medical College 
Padmashree Dr DY Patil Dental College and Hospital 
RA Podar Ayurved Medical College 
Terna Medical College 
Rajiv Gandhi Medical College 
Nair Hospital Dental College 
Mahatma Gandhi Medical College 
KJ Somaiya Medical College 

1.King Edward Memorial (KEM) Hospital 
Parel 
Phone- 91-22-2410 7000 
2.Topiwala National Medical College 
Phone- 022 2308 1490 
3. Grant Medical College 
Sir J J Hospital, Byculla 
Phone:: 022 2373 5555 
4. Dr DY Patil Dental College and Hospital 
CBD Belapur 
Phone - 22 39486000 
5. RA Podar Ayurved Medical College 
Worli 
Phone::: 022 2493 3533 
6. Terna Medical College 
Nerul, Navi Mumbai 
Phone:-022 2772 0563 
7. Rajiv Gandhi Medical College 
Kalwa 
Phone::(022) 5348790 
8 Nair Hospital Dental College 
Mumbai Central 
Phone-:096 54 999202 
9. Mahatma Gandhi Medical College 
Phone: 022-27423404, 27421723, 5618116 
10. v®. KJ Somaiya Medical College 
Sion (East) 
Phone: (022) 24020932, (022) 24020933 

Friday, October 27, 2017

सॉइल साइंस में कॅरिअर

शिक्षण से लेकर रिसर्च और मिट्टी के संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे कई अवसर कॅरिअर विकल्प के रूप में सॉइल साइंटिस्ट के लिए उपलब्ध हैं। एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल अपने सभी रिसर्च संस्थानों के साथ मृदा वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके अलावा सॉइल साइंटिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्वविद्यालयों, कृषि सहकारी समितियों, खाद निर्माताओं और रिसर्च संस्थानों के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। 

एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में मृदा एक अहम तत्व है। मृदा विज्ञान में मिट्टी का अध्ययन एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में किया जाता है। इसके अंतर्गत मृदा निर्माण, मृदा का वर्गीकरण, मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों और उर्वरकता का अध्ययन किया जाता है। बीते सालों में फसल उत्पादन, वन उत्पाद और कटाव नियंत्रण में मिट्टी के महत्व को देखते हुए मृदा विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के ढेरों अवसरों का सृजन हुआ है। अब देश भर में बड़ी संख्या में सॉइल टेस्टिंग व रिसर्च लैबोरेट्रीज स्थापित हो रही हैं। इनमें से हरेक को प्रशिक्षित पेशेवरों की जरूरत होती है, जो मिट्टी के मापदंडों का मूल्यांकन कर सकें ताकि उसकी गुणवत्ता को सुधारा जा सके। ऐसे में यह क्षेत्र रोजगार के अवसरों से भरपूर है।

क्या करते हैं सॉइल साइंटिस्ट


सॉइल साइंटिस्ट या मृदा वैज्ञानिक का प्राथमिक काम फसल की बेहतरीन उपज के लिए मृदा का विश्लेषण करना है। मृदा वैज्ञानिक मृदा प्रदूषण का विश्लेषण भी करते हैं, जो उर्वरकों और औद्योगिक अपशिष्ट से उत्पन्न होता है। इन अपशिष्टों को उत्पादक मृदा में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त तरीके और तकनीकियां भी वे विकसित करते हैं। इन पेशेवरों के वर्क प्रोफाइल में बायोमास प्रॉडक्शन के लिए तकनीकियों का इस्तेमाल शामिल है। वनस्पति पोषण, वृद्धि व पर्यावरण गुणवत्ता के लिए भी वे काम करते हैं। उर्वरकों का उपयोग सुझाने में भी मृदा वैज्ञानिक की भूमिका अहम होती है। सॉइल साइंस प्रोफेशनल मृदा प्रबंधन पर मार्गदर्शन करते हैं। चूंकि मृदा वैज्ञानिक रिसर्चर, डवलपर और एडवाइजर होते हैं, इसलिए वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल बेहतरीन मृदा प्रबंधन के लिए करते हैं। मिट्टी की उर्वरकता और पानी के सही इस्तेमाल के लिए वे सलाह देते हैं। मिट्टी के अधिकतम सही उपयोग के लिए भी मृदा वैज्ञानिक जिम्मेदार होते हैं। मृदा क्षरण को वे रोकते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मिट्टी की उर्वरकता बरकरार और बेहतर रहे। मृदा वैज्ञानिक फील्ड के साथ-साथ लैबोरेट्री में काम करते हैं। वे डेटा बैंक, सिम्युलेशन मॉडल्स और कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं।

क्या पढ़ना होगा


अध्ययन के मुख्य क्षेत्रों में सॉइल केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, फिजिक्स, पेडोलॉजी, मिनरोलॉजी, बायोलॉजी, फर्टिलिटी, प्रदूषण, पोषण, बायोफर्टिलाइजर, अपशिष्ट उपयोगिता, सॉइल हेल्थ एनालिसिस शामिल हैं। छात्र सॉइल साइंस में बैचलर या मास्टर डिग्री ले सकते हैं। साथ ही वे सॉइल फॉर्मेशन (वह प्रक्रिया जिससे मिट्टी बनती है।), सॉइल क्लासिफिकेशन (गुणों के अनुसार मिट्टी का वर्गीकरण), सॉइल सर्वे (मिट्टी के प्रकारों का प्रतिचित्रण), सॉइल मिनरोलॉजी (मिट्टी की बनावट), सॉइल बायोलॉजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स (मिट्टी के जैविक, रसायनिक व भौतिक गुण), मृदा उर्वरकता (मृदा में कितने पोषक तत्व है), मृदा क्षय जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।

कॅरिअर के विकल्प


शिक्षण से लेकर रिसर्च और संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे कई अवसर कॅरिअर विकल्प के रूप में मृदा वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध हैं। कृषि, वॉटर रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट्स, सॉइल एंड फर्टिलाइजर टेस्टिंग लैबोरेट्रीज, ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग, आर्कियोलॉजी, मृदा उत्पादकता, लैंडस्केप डवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में मृदा वैज्ञानिकों की खासी मांग है। क्रॉप एडवाइजर से लेकर संरक्षणकर्ता बनने तक सॉइल साइंस यानी मृदा विज्ञान में अनगिनत अवसर हैं। पर्यावरण और एग्रो-कंसल्टिंग फर्म्स में इस क्षेत्र के पेशेवरों की प्रबंधकीय और एग्जीक्यूटिव पदों पर खासी जरूरत है। ऐसा चलन न केवल भारत, बल्कि विदेशों में है। इस फील्ड में रिसर्च आपको आईसीएआर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंचता सकती है। इतना ही नहीं फसल उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आने वाले सालों में अधिक रोजगार उत्पन्न होगा।

अवसर


एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल अपने सभी रिसर्च संस्थानों के साथ मृदा वैज्ञानिक की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके अलावा मृदा वैज्ञानिक डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्वविद्यालयों, कृषि सहकारी समितियों, खाद निर्माताओं और रिसर्च संस्थानों के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। मृदा वैज्ञानिक अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। वे एनालिस्ट या मृदा सर्वेक्षक और डवलपमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम कर सकते हैं। वे अपने सेवाएं एग्रीकल्चरल इंडस्ट्री, डवलपमेंट, कॉपरेटिव, कॉमर्शिलय बैंक के कृषि विभागों को दे सकते हैं।

यहां से करें कोर्स


इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूसा
http://www.iari.res.in/

तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर
http://www.tnau.ac.in/

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
http://www.pau.edu/

यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, कोलकाता
http://www.caluniv.ac.in/

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
http://www.bhu.ac.in/

Wednesday, October 25, 2017

सुगंध चिकित्सा में करियर

करियर के क्षेत्र में आ रहे बदलावों के चलते आज ऐसे विकल्पों का बोलबाला है, जो अपने आप में विशेषज्ञता रखते हैं। यह विकल्प पूरी तरह से प्रोफेशनल होते हैं। इन्हीं में से एक विकल्प है सुगंध चिकित्सा (स्मैल थैरेपी) का। ब्रिटेन और यूरोप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद सुगंध चिकित्सा ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। 
जहाँ तक भारत की बात की जाए तो हमारी सभ्यता में प्राचीनकाल से ही सुगंध चिकित्सा का बोलबाला रहा है। भारत इत्र, सुगंधित तेलों और इनका उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री का अपना एक विशेष महत्व है। आयुर्वेद में सुगंधित तेलों से शरीर की मालिश करने की विधि का उपयोग होता है इसके अलावा इत्र, धूप, अगरबत्ती जैसी वस्तुएँ भी भारतीय सभ्यता से बहुत लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। 
आज सुगंध चिकित्सा न सिर्फ इलाज, बल्कि रोजगार के लिहाज से भी भारत में व्यापक संभावनाओं भरे विकल्प के तौर पर विकसित हो रही है। 
नेचुरल चीजों के प्रति बढ़ते रुझान के कारण आज सेहत सुधार में भी सुगंध चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाने लगा है। भारत में सुगंध चिकित्सा के माध्यम से प्रकृति की ओर वापसी की धारणा को फिर से प्रचलित करने का श्रेय अगर किसी को दिया जाए तो इस कतार में शहनाज हुसैन, ब्लॉसम कोचर और भारती तनेजा जैसे नाम उभकर सामने आते हैं, जिन्होंने आम आदमी को ऐसे विकल्प दिए, जिनके चलते वह एक बार फिर से प्राकृतिक उत्पादों में विश्वास करने लगा है। 
प्रकृति के प्रति इसी लगाव के कारण आज भारत के प्राकृतिक उत्पादों की माँग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब देखने को मिल रही है। वर्तमान में आलम यह है कि विज्ञान के विकास के चलते आज यह क्षेत्र बेहद विस्तृत हो गया है और एक इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो चुका है। 
आज भारी संख्या में लोग अपनी बीमारियों का इलाज प्राकृतिक सुगंध चिकित्सा में खोज रहे हैं। आम और खास आदमी की इसी बढ़ती रूचि के कारण सुगंध चिकित्सा आज एक रोजगार विकल्प का रूप ले चुकी है। 
सुगंध चिकित्सा के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण आज देश के कई शिक्षण संस्थानों ने इस विद्या का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है। आज न केवल सरकारी, बल्कि कई गैर सरकारी संस्थान भी सुगंध चिकित्सा से जुड़े डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स चला रहे हैं। इन संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया उसी तरह की होती है, जैसे कि अन्य प्रोफेशनल या परंपरागत कोर्सों के लिए होती है।  
इस थेरेपी से जुड़े सर्टिफिकेट स्तर के पाठक्रम में दाखिले के लिए शैक्षणिक योग्यता बारहवीं है। लेकिन अगर आप डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं तो अधिकांश शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आवेदक के पास बारहवीं कक्षा में रसायन विज्ञान विषय होना जरूरी है। सुगंध चिकित्सा के कई प्रोफेशनल पाठक्रमों में केवल कैमिस्ट्री विषय के साथ स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है।
सुगंध चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त कर आप एक सुगंध चिकित्सक के रूप में कार्य कर सकते हैं। प्रशिक्षण के उपरांत आप सुगंध चिकित्सक, सुगंधित पदार्थ विक्रेता, परामर्शदाता, सुगंधित पदार्थ के उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस तरह अगर सही मायनों में देखें तो यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपको अपनी क्षमताओं और रुचि के अनुसार काम करने का मौका मिलता है। 
सुगंध चिकित्सा का कोर्स करने के उपरांत वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल कर इलाज करने वाले अस्पतालों, अनुसंधान और विकास संगठन, सुगंधित तेल का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली कंपनियों, स्पा सेंटर, पांच सितारा होटलों, खानपान के क्षेत्र में, औषधि और पौष्टिक आहार बनाने वाली कंपनियों तथा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में रोजगार की बहुत उजली संभावनाएं हैं। 
किसी प्रतिष्ठित संस्थान से सुगंध विज्ञान में प्रशिक्षण लेने के बाद सुगंध चिकित्सक के रूप में स्वयं का क्लिनिक शुरू किया जा सकता है, जिसमें सौंदर्य की साज-संभाल के अलावा अन्य रोगों का इलाज किया जा सकता है। सुगंध चिकित्सक के अलावा आप सुगंधित पदार्थ परामर्शदाता और इसके उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। 
कहाँ से करे कोर्स-
शहनाज हुसैन वुमंस इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ब्यूटी, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली।

पिवोट पाइंट ब्यूटी स्कूल, कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली।

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट सर्विस, आकाशदीप बिल्डिंग, नई दिल्ली।

सुगंध और स्वाद विकास केंद्र, मार्कण्ड नगर, कन्नौज, उत्तर प्रदेश ।

केलर एजुकेशन ट्रस्ट, वीजी वूसे कॉलेज, मुंबई।

Saturday, October 21, 2017

गाड़ि‍यों की लुक डिजाइन में करियर


जब भी बात गाड़ियों के लुक की होती है, तो कुछ गाड़ियां खुद ही हमारे जहन में आ जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी डिजाइनिंग उस समय के हिसाब से बिल्कुल 'हटकर' और कंफर्ट लेवल को ध्यान में रखकर की गई होती है। गाड़ियों के इसी ओवरऑल लुक की डिजाइनिंग करते हैं ऑटोमोटिव इंजीनियर्स। अगर आपको भी वाहनों से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात आकर्षित करती है, तो आप भी ऑटोमोटिव डिजाइनर बन सकते हैं।

क्या है ऑटोमोटिव डिजाइन?
ऑटोमोबाइल्स के अपीयरेंस और फंक्शनैलिटी को डिजाइन करने की प्रक्रिया ऑटोमोटिव डिजाइनिंग कहलाती है। इसमें कार, बाइक, ट्रक, बस आदि हर सेग्मेंट के वाहन शामिल हैं। इसके तहत गाड़ियों की इंटीरियर व एक्सटीरियर डिजाइन, कलर स्कीम और शेप पर भी काम किया जाता है।
जॉब प्रोफाइल
किसी भी ऑटोमोबाइल को बनाने के लिए बेसिक आइडिया की जरूरत होती है। आइडिया जनरेशन ही ऑटोमोटिव डिजाइनर की प्रमुख जिम्मदारी है। इंजीनियर्स और डिजाइनर्स की टीम इस आइडिया पर चर्चा करती है और फिर कॉन्सेप्ट तैयार हो जाने पर डिजाइनर्स सॉफ्टवेयर की मदद से गाड़ी का बेसिक स्केच बनाते हैं, जो 3डी होता है। इसमें वाहन की हर बेसिक डीटेल शामिल होती है। साथ ही इंटीरियर और एक्सटीरियर की कलर स्कीम की जानकारी भी देनी होती है। डिजाइन फाइनल होने के बाद गाड़ी का स्केल मॉडल बनाया जाता है।
जरूरी स्किल
ऑटोमोटिव डिजाइनर बनने की सबसे पहली शर्त तो यह है कि आपमें सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी के लिए पैशन होना चाहिए। साथ ही आपके पास वाहनों के निर्माण और उनकी फंक्शनैलिटी के बारे में बेसिक जानकारी भी होनी चाहिए। सृजनात्मकता के साथ ही आपमें ड्रॉइंग और स्कल्पचर बनाने में रुचि भी होनी चाहिए।
कौन-से कोर्स?
इस उद्योग में करियर बनाने के लिए डिजाइनिंग में बैचलर्स की डिग्री होनी जरूरी है। आप चाहें, तो डिजाइनिंग में मास्टर्स करके अपना ज्ञान और बढ़ा सकते हैं। इससे जॉब पाने की संभावना भी बढ़ जाती है। वैसे इस उद्योग में सर्वाइवल और करियर ग्रोथ के लिए डिजाइन स्किल्स ही मायने रखती हैं। आप चाहें, तो कोर्स पूरा करने के बाद किसी कंपनी में इंटर्नशिप करके डिजाइनिंग की बारीकियां सीख सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
ऑटोमोटिव डिजाइनर बड़े ऑटोमोबाइल निर्माताओं के कॉन्सेप्ट एंड डिजाइनिंग डिपार्टमेंट में काम करते हैं। अगर बात पे-पैकेज की करें, तो यह फील्ड काफी आकर्षक है। ज्यादातर कंपनियां ऑटोमोटिव डिजाइनर्स को अच्छा पैकेज देती हैं। भारत में आम तौर पर इस फील्ड में 5 लाख रुपए के वार्षिक पैकेज से शुरूआत होती है। अनुभव के साथ यह बढ़ता जाता है।

Thursday, October 19, 2017

फर्नीचर डिजाइनिंग में बनाएं करियर,

एक समय तक फर्नीचर डिजाइनिंग का काम कारपेंटर ही करते थे, लेकिन आज के दौर में यह एक अलग प्रोफेशन बन चुका है। अगर आप की भी इसमें रुचि है और आप क्रिएटिव हैं तो फर्नीचर डिजाइनर बनकर करियर संवार सकते हैं। संबंधित ट्रेनिंग हासिल कर आप किसी कंपनी में जॉब कर सकते हैं या फिर अपना कारोबार भी शुरू कर सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानिए

पर्सनल स्किल्स
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपमें क्रिएटिव और आर्टिस्टिक सेंस का मजबूत होना अति आवश्यक है, साथ ही कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होनी चाहिए। मार्केटिंग स्किल्स और बिजनेस की भी समझ अनिवार्य है। फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए मार्केट में डिजाइनिंग को लेकर क्या कुछ नया किया जा रहा है, उस ओर भी पैनी नजर रखनी होती है क्योंकि फर्नीचर डिजाइनर का काम एक बेजान लकड़ी में डिजाइन के जरिए उसे आकर्षक रूप देना होता है।

बढ़ रही है डिमांड
फर्नीचर डिजाइनिंग व्यवसाय अब केवल कारपेंटर का काम नहीं रह गया है, बल्कि इसमें कुशल डिजाइनरों की मांग व्यापक स्तर पर बढ़ी है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में बाजार में तकरीबन एक लाख फर्नीचर डिजाइनरों की मांग होगी।उल्लेखनीय है कि फर्नीचर डिजाइनिंग में पैसे कमाने के साथ-साथ अपनी कलात्मक क्षमता को अभिव्यक्त करने का मौका और सृजन की संतुष्टि का अहसास भी मिलता है।

एंट्री प्रोसेस
आमतौर पर फर्नीचर डिजाइनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है, लेकिन कुछ संस्थानों में नामांकन के लिए आवेदन करते समय उम्मीदवार का किसी भी विषय  से 12वीं पास होना आवश्यक है। कुछ समय पहले तक फर्नीचर डिजाइनिंग के विभिन्न कोर्स सामान्यत: डिजाइनिंग केमुख्य कोर्स केअंतर्गत ही कराए जाते थे लेकिन वर्तमान में कई संस्थाओं में फर्नीचर डिजाइनिंग एक स्वतंत्र स्ट्रीम के रूप में भी पढ़ाया जाने लगा है।

मेन कोर्सेस
ट्रेनिंग कोर्सेस की बात करें तो इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कई तरह के प्रोफेशनल कोर्स उपलब्ध हैं। कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग के जरिए भी फर्नीचर कला सीखी जा सकती हैै। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फर्नीचर डिजाइनिंग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक साल की होती है, जबकि डिप्लोमा कोर्स दो साल की अवधि का होता है। फर्नीचर डिजाइनिंग केकई पाठ्यक्रमों केलिए प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के बाद दिया जाता है। इस परीक्षा में आपकी कलात्मक प्रतिभा और सोच को भी परखा जाता है। देश के प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइनिंग, अहमदाबाद में फर्नीचर डिजाइनिंग केपोस्ट ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध हैं। यहां प्रवेश केलिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इंटीरियर डिजाइनिंग के तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में भी फर्नीचर डिजाइनिंग एक महत्वपूर्ण भाग होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग के पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के बाद फर्नीचर डिजाइनिंग में अल्पकालिक विशेषज्ञता कोर्स भी किया जा सकता है

जॉब आॅप्शंस
दिनों-दिन बढ़ती मांग और स्वर्णिम भविष्य की कल्पनाओं के कारण फर्नीचर डिजाइनिंग करियर के रूप में आज युवाओं में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। किसी प्रतिष्ठित संस्थान से फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद किसी भी डिजाइनर के साथ काम किया जा सकता है। फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है या इस क्षेत्र में काम कर रही प्रतिष्ठित कंपनियों से जुड़कर काम कर सकते हैं। भारत में फर्नीचर निर्माण के क्षेत्र में कई विदेशी कंपनियाँ भी आ चुकी हैं। रचनात्मकता और नए डिजाइन के लिए कुशलता के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी जरूरत होती है इसीलिए क्षेत्र में करियर की असीम संभावनाओं को देखते हुए अनेक संस्थानों ने फर्नीचर डिजाइनिंग के कोर्स शुरू किए हैं।
आप इस क्षेत्र में कई बड़ी कंपनियों के लिए डिजाइनिंग का कार्य कर सकते हैं। कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की मदद से अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं। अगर आप अपना स्वयं का रोजगार शुरू करना चाहते हैं,तो डिग्री या डिप्लोमा के आधार पर बैंक से लोन मिल जाता है। फर्नीचर की कई बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां समय-समय पर अपने यहां नियुक्तियां निकालती हैं। इसके अलावा कई प्रशिक्षण संस्थान भी इस फील्ड के अनुभवी लोगों को रोजगार केअवसर मुहैया कराते हैं।

इनकम
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अनुभव का महत्व सबसे ज्यादा है। उसी आधार पर बाजार में प्रोफेशनल की मांग बढ़ती है। इस फील्ड में अनुभव के आधार पर ही इनकम का दायरा निर्धारित होता है। आजकल फर्नीचर डिजाइनर्स के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह आप एक साथ कई कंपनियों से जुड़ सकते हैं और उनकेलिए डिजाइनिंग कर सकते हैं। प्रशिक्षुओं से कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की उम्मीद की जाती है। इंटीरियर  डिजाइनिंग केक्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलाव ने फर्नीचर डिजाइनिंग को आज अच्छी इनकम वाला व्यवसाय बना दिया है। फर्नीचर डिजाइनर का शुरुआती वेतन दस से बीस हजार रुपए प्रतिमाह तक हो सकता है। इसकेबाद अनुभव के आधार पर वेतन बढ़ता जाता है। अगर आप स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं तो आय लाखों रुपए में हो सकती है।

प्रमुख संस्थान
एनआईडी, अहमदाबाद
गवर्नमेंट पोलीटेक्निक कॉलेज, चंडीगढ़
इंस्टीट्यूट आॅफ फर्नीचर डिजाइनिंग, पटियाला
गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज, लखनऊ
इंडियन प्लाइवुड इंडस्ट्रीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलुरु

Tuesday, October 17, 2017

कोशिकाओं की आणविक जीव विज्ञान में पीएचडी

डॉक्टरेट कार्यक्रम 'कोशिकाओं की आणविक जीव विज्ञान "न्यूरोसाइंसेस और आण्विक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन ग्रेजुएट स्कूल (GGNB) के एक सदस्य है। यह आणविक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन केंद्र (GZMB) द्वारा आयोजित किया जाता है और गौटिंगेन विश्वविद्यालय, biophysical रसायन विज्ञान, प्रायोगिक चिकित्सा के लिए मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के लिए मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, और जर्मन प्राइमेट सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।

शोध उन्मुख कार्यक्रम और अंग्रेजी में सिखाया जाता है, जो जैव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, चिकित्सा के क्षेत्र में एक मास्टर की डिग्री (या समकक्ष), या संबंधित क्षेत्रों रखने वाले छात्रों के लिए खुला है।

कार्यक्रम है जो कोशिकाओं के अध्ययन के लिए उत्साह का हिस्सा पिछले शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों को स्वीकार करता है। प्रशिक्षण कैसे सेल भाग्य और टोपोलॉजी निर्धारित कर रहे हैं की एक तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के उद्देश्य से है, कैसे व्यापक जीनोमिक विश्लेषण उपकरणों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण भावना, और स्थापित करने और सेलुलर कार्यों के लिए वैचारिक मॉडल का परीक्षण करने की क्षमता।
अनुसंधान

यह कार्यक्रम किया जा रहा है कि कैसे कोशिकाओं की 'subcellular मॉड्यूल' आनुवंशिक जानकारी, विनियमन, शरीर विज्ञान और टोपोलॉजी के स्तर पर बातचीत और समारोह अग्रणी सवाल के साथ, सेल और उसके विनियामक नेटवर्क के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के उद्देश्य से अनुसंधान गतिविधियों को एकजुट करती है।

मॉडल प्रणाली, प्रोकीर्योट्स (जीवाणु और आर्किया) और यूकेरियोटिक रोगाणुओं संयंत्र के लिए और रोग मॉडल सहित पशु कोशिकाओं से लेकर संरक्षित सिद्धांतों की पहचान सक्षम करने से। इसके अलावा, प्लेटफार्मों जीनोम, प्रतिलेखन हस्ताक्षर, बड़े पैमाने पर प्रोटीन की पहचान, metabolomics, इमेजिंग, साथ ही बड़े पैमाने पर विश्लेषण और मात्रात्मक मॉडलिंग, संकाय सदस्यों, जो जैव सूचना विज्ञान में विशेषज्ञ हैं के द्वारा कवर के विश्लेषण के लिए उपलब्ध हैं।

दो प्रमुख विषयों के आसपास अनुसंधान केन्द्रों। सेल गुण और सेल भाग्य नियंत्रण, पूछ के साथ पहली सौदों कैसे कोशिकाओं को उनके प्रसार और अस्तित्व, उनके भेदभाव और समारोह, और बाहरी पोषक तत्वों से तनाव को लेकर संकेतों के लिए उनकी प्रतिक्रिया को नियंत्रित। इन परस्पर घटना विनियामक नेटवर्क के आधार पर कर रहे हैं, और उनकी समझ बहुत राज्यों में आम लक्षण की पहचान करने से फायदा होता है। दूसरा विषय टोपोलॉजी और intracellular डिब्बों की गतिशीलता के साथ संबंधित है। एक प्रमुख कार्य, एकीकृत सिद्धांतों और कैसे कोशिकाओं को प्राप्त करने के व्यक्तिगत विवरण की पहचान को बनाए रखने और उनके स्थानिक संगठन को समायोजित करने के लिए है।
अध्ययन

डॉक्टरेट कार्यक्रम 'कोशिकाओं की आणविक जीव विज्ञान "न्यूरोसाइंसेस और आण्विक बायोसाइंसेज के लिए गौटिंगेन ग्रेजुएट स्कूल (GGNB) के एक सदस्य है। ग्रेजुएट स्कूल एक संयुक्त मॉड्यूलर प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो GGNB के बारह डॉक्टरेट कार्यक्रमों में योगदान के लिए प्रदान करता है और कहा कि सभी GGNB छात्रों के लिए खुला है। एक व्याख्यान और संगोष्ठी कार्यक्रम के अलावा, प्रशिक्षण (1) थीसिस समितियों द्वारा व्यक्तिगत परामर्श, (2) विशेष प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं में 1-3 सप्ताह के गहन तरीकों पाठ्यक्रम, के होते हैं प्रयोगशालाओं में (3) 2-3 दिन विधियों पाठ्यक्रम भाग लेने वाले शिक्षकों की, (4) इस तरह के वैज्ञानिक लेखन, प्रस्तुति कौशल, संचार, परियोजना प्रबंधन, टीम के नेतृत्व कौशल, संघर्ष के संकल्प, नैतिकता, और कैरियर के विकास, और (5) के छात्र का आयोजन वैज्ञानिक बैठकों, उद्योग के रूप में व्यावसायिक कौशल पाठ्यक्रम यात्रा, और सांस्कृतिक घटनाओं। छात्रों के पाठ्यक्रम और घटनाओं की एक बड़ी संख्या में से चुनने के द्वारा अपनी व्यक्तिगत पाठ्यक्रम दर्जी करने में सक्षम हैं।

कार्यक्रम है जो कोशिकाओं के अध्ययन के लिए उत्साह का हिस्सा पिछले शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों को स्वीकार करता है। प्रशिक्षण कैसे सेल भाग्य और टोपोलॉजी निर्धारित कर रहे हैं की एक तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के उद्देश्य से है, कैसे व्यापक जीनोमिक विश्लेषण उपकरणों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण भावना, और स्थापित करने और सेलुलर कार्यों के लिए वैचारिक मॉडल का परीक्षण करने की क्षमता। एक तुलनात्मक व्याख्यान श्रृंखला, आम तौर पर प्रति सत्र दो या दो से अधिक वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया, विभिन्न प्रजातियों और यहां तक ​​कि राज्यों में अनुरूप घटनाएं शामिल हैं। विधियों पाठ्यक्रम जीनोम, प्रतिलेखन हस्ताक्षर, बड़े पैमाने पर प्रोटीन की पहचान, सेल आकृति विज्ञान और विनियमन, metabolomics के उच्च सामग्री के विश्लेषण, साथ ही बड़े पैमाने पर विश्लेषण और मात्रात्मक मॉडलिंग प्रतिभागियों जो जैव सूचना विज्ञान में विशेषज्ञता के माध्यम से विश्लेषण में सभी छात्रों की सहायता करेंगे।

प्रायोगिक अनुसंधान डॉक्टरेट के अध्ययन के प्रमुख घटक का गठन किया और डॉक्टरेट कार्यक्रम के एक संकाय सदस्य की प्रयोगशाला  में आयोजित किया जाता है। डॉक्टरेट अनुसंधान परियोजनाओं को एक स्कूल चौड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम, सभी GGNB छात्रों को, जो एक जीवंत अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय के सदस्य हैं के लिए पेशकश से पूरित कर रहे हैं। डॉक्टरेट कार्यक्रम की भाषा अंग्रेजी है।

Saturday, October 14, 2017

मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी

लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एेसी प्रक्रिया है, जिसमें जानकारी, गुड्स और अन्य संसाधनों को शुरुआत से लेकर सप्लाई तक कस्टमर की जरूरतों के अनुसार मैनेज किया जाता है। अन्य शब्दों मंे कहें, तो यह खरीद, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और मटीरियल के डिस्ट्रीब्यूशन को मैनेज करना है। सप्लाई चेन मैनेजमेंट इसका ही एक हिस्सा है, जिसमें इंवेंट्री, ट्रांसपोर्टेशन, वेयरहाउसिंग, मटीरियल हैंडलिंग और पैकेजिंग भी शामिल है। घर, ऑफिस अौर फैक्टरी में होने वाले मटीरियल की सप्लाई की जिम्मेदारी लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी की होती है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स में तेजी के कारण लॉजिस्टिक्स मार्केट के 2020 तक सालाना 12.17 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है। भारत फिलहाल लॉजिस्टिक्स में जीडीपी का 14.4 फीसदी खर्च करता है, जो विकसित देशों में हाेने वाले 8 फीसदी खर्च से कहीं ज्यादा है। नेशनल स्किल डेवलपमेंट की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत के लॉजिस्टिक्स मार्केट में 1.7 करोड़ एम्प्लाॅई काम कर रहे हैं और 2022 तक 1.11 करोड़ अतिरिक्त एम्प्लॉई की आवश्यकता होगी।
देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट मार्केट के 2020 तक 13.35 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट में लगभग 60 फीसदी हिस्सा रोड फ्रेट का है और 2020 तक इसके 15 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। लॉजिस्टिक्स कई प्रकार का हो सकता है जैसे प्रोडक्शन, बिज़नेस और प्रोफेशनल लॉजिस्टिक्स।
अधिकतर कोर्स पीजी स्तर के
लॉजिस्टिक मैनेजमेंट के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके लिए पार्ट टाइम, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और पीजी डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश लिया जा सकता है। किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री करने वाले छात्र इसमें प्रवेश ले सकते हैं। प्रमुख कोर्स में पीजी डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट, एमबीए इन लॉजिस्टिक एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स एंड पोर्ट मैनेजमेंट और एग्जीक्यूटिव पीजी डिप्लोमा इन बिज़नेस लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एंड एससीएम शामिल हैं। शीर्ष संस्थानों में प्रवेश कैट, मैट, ज़ैट जैसी परीक्षाओं के स्कोर के आधार पर मिलता है। एग्जीक्यूटिव कोर्स में प्रवेश के लिए एक्सपीरियंस जरूरी है।
सभी तरह की कंपनियों में अवसर
छोटी और बड़ी सभी तरह की कम्पनियों में लॉजिस्टिक्स मैनेजर की जरूरत होती है। कई संस्थाएं विश्वभर में लॉजिस्टिक मैनेजर की नियुक्ति करती हैं। यह कम्पनियां मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, इलेक्ट्रिसिटी सप्लायर, लोकल गवर्नमेंट से लेकर आर्मी और चैरिटी संस्थाएं भी हो सकती हैं। रिटेल, क्लियरिंग एंड फाॅरवर्डिंग कंपनी, कूरियर एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट एंटरप्राइजेस में कॅरिअर की बेहतर संभावनाएं होती हैं। इसमें कस्टमर सर्विस मैनेजर, लॉजिस्टिक मैनेजर, मटीरियल मैनेजर, पर्चेस मैनेजर और इंवेंट्री कंट्रोल मैनेजर के पदों पर जॉब की जा सकती है।
कमाई
इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज आमतौर पर अच्छे होते हैं। फ्रेशर को क्वालिफिकेशन और संस्थान के आधार पर प्रति माह 12 हजार से 20 हजार रुपए तक मिलने की संभावना होती है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 35 हजार से 50 हजार रुपए प्रति माह का सैलरी पैकेज मिल सकता है।

Thursday, October 12, 2017

होम साइंस में कॅरियर

दसवीं या बारहवीं पास करने वाले छात्रों के लिए साइंस, कॉमर्स और ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम के बाद होम साइंस के रूप में एक और विकल्प होता है। करियर के लिहाज से यह विकल्प छात्रों और अभिभावकों के बीच बहुत ज्यादा चर्चित नहीं है। इसकी वजह कुछ गलत धारणाएं हैं, जो होम साइंस स्ट्रीम में मौजूद अवसरों की जानकारी न होने से छात्रों और अभिभावकों में बनी हैं। आज के कॉलम में पढ़िए  होम साइंस स्ट्रीम और उससे जुड़े तरक्की के आयामों के बारे में।
क्या है होम साइंस स्ट्रीम
यह एक ऐसी स्ट्रीम है, जिसे भ्रांतिवश सही संदर्भो में न समझकर सिर्फ लड़कियों के लिए मान लिया जाता है। काफी अभिभावक लड़कियों की शिक्षा को जरूरी मानते हैं, लेकिन वह इससे भी ज्यादा अहमियत इस बात को देते हैं कि लड़कियां घर और उसके कामकाज को संभालन में ज्यादा कुशल हों। होम साइंस की पढ़ाई में होम मैनेजमेंट के प्रशिक्षण के अलावा कई तरह के रोजगारों में उपयोगी कौशल का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि यह स्ट्रीम सिर्फ लड़कियों के लिए ही उपयोगी है। इस स्ट्रीम के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण का लाभ लड़के भी रोजगार कुशलता (इंप्लॉयबिलिटी स्किल) बढ़ाने में कर सकते हैं।
बदलती सामाजिक परिस्थितियों में घर और पारिवारिक जीवन के कल्याण और उनकी देखरेख के लिए आधुनिक ढंग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त होम मैनेजमेंट जरूरी है। इस जरूरत को पूरा करने की शिक्षा और उपयोगी प्रशिक्षण देने का कार्य होम साइंस करता है। यह ‘बेहतर जीवनशैली’ पर केंद्रित शिक्षा है और इसकी अवधारणा का मूल बिंदु पारिवारिक पारिस्थितिकी (इकोसिस्टम) का निर्माण है।
होम साइंस का विषय क्षेत्रइस स्ट्रीम के पाठय़क्रम में साइंस और ह्यूमेनिटीज के विषय भी शामिल होते हैं। इस कारण इस स्ट्रीम का अध्ययन क्षेत्र काफी व्यापक होता है। इसमें केमिस्ट्री, फिजिक्स, फिजियोलॉजी, बायोलॉजी, हाइजिन, इकोनॉमिक्स, रूरल डेवलपमेंट, चाइल्ड डेवलपमेंट, सोशियोलॉजी एंड फैमिली रिलेशन्स, कम्यूनिटी लिविंग, आर्ट, फूड, न्यूट्रिशन, क्लॉथिंग, टेक्सटाइल्स और होम मैनेजमेंट आदि विषय शामिल होते हैं।
10वीं के बाद है उपलब्ध
विषय के रूप में होम साइंस सीबीएसई और ज्यादातर राज्य बोर्डो में 11वीं और 12वीं कक्षा के स्तर पर उपलब्ध है। कॉलेज के स्तर पर इस विषय की उपलब्धता को देखें, तो यह देश के काफी विश्वविद्यालयों में तीन वर्षीय बैचलर डिग्री पाठय़क्रम के रूप में पढ़ाया जा रहा है। इस विषय के साथ बीए या बीएससी डिग्री हासिल की जा सकती है। होम साइंस में ग्रेजुशन के बाद इस विषय में मास्टर डिग्री की पढ़ाई करने के अलावा फैशन डिजाइनिंग, डाइटिटिक्स, काउंसलिंग, सोशल वर्क, डेवलपमेंट स्टडीज, इंटरप्रिन्योरशिप, मास कम्यूनिकेशन और कैटरिंग टेक्नोलॉजी आदि विषयों में भी पोस्ट ग्रेजुएशन किया जा सकता है। इस विषय के छात्रों के पास बीएड करने का भी विकल्प रहता है।
होम साइंस के प्रमुख पांच क्षेत्र
- फूड एंड न्यूट्रिशन ’रिसोर्स मैनेजमेंट
- ह्यूमन डेवलपमेंट ’फैब्रिक एंड अपेरल साइंस
- कम्यूनिकेशन एंड एक्सटेंशन
इन क्षेत्रों के अलावा कुछ अन्य विषय भी होम साइंस के पाठय़क्रमों में शामिल होते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-इंटरप्रिन्योरशिप, फैमिली लाइफ एजुकेशन, चाइल्ड डेवलपमेंट, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, होम इकोनॉमिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, फूड प्रिजर्वेशन और फैशन डिजाइनिंग।
उपलब्ध पाठय़क्रम
- डिप्लोमा इन होम साइंस ’बीएससी (होम साइंस) ’बीएससी (ऑनर्स) होम साइंस
- बीएचएससी ’बीएससी (ऑनर्स)फूड एंड न्यूट्रिशन ’बीएससी (ऑनर्स) ह्यूमन डेवलपमेंट
- एमएससी (होम साइंस) ’पीएचडी
जरूरी गुण
- विश्लेषणात्मक सोच ’प्रायोगिक और तार्किक दृष्टिकोण ’वैज्ञानिक सूझबूझ ’चीजों को व्यवस्थित करने का हुनर - सौंदर्यबोध और रचनाशीलता
- प्रभावी संवाद कौशल
- विवेक के साथ घरेलू जुड़े कार्यों को करने में रुझान हो
- संतुलित नजरिया
रोजगार के मौके
- टेक्सटाइल के क्षेत्र में मर्चेडाइजर या डिजाइनर
- हॉस्पिटल और खाद्य क्षेत्र में न्यूट्रिशनिस्ट या डाइटिशियन
- टूरिस्ट रिजोर्ट, रेस्टोरेंट और होटल में हाउस कीपिंग कार्य की देखरेख
- शैक्षणिक या कामकाजी संस्थानों में कैंटरिंग सुविधा देने का कार्य
- खाद्य उत्पादों के निर्माण और विकास कार्यों का पर्यवेक्षण
- रिसोर्स मैनेजमेंट
- फैमिली काउंसलर
- सोशल वर्क और ह्यूमन डेवलपमेंट
- अनुसंधान और शिक्षण कार्य
- टेक्सटाइल, फूड, बेकिंग और कंफेक्शनरी के क्षेत्र में स्वरोजगार
संबंधित संस्थान
- दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
- यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे, मुंबई
- आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
- इलाहाबाद एग्रीकल्चरल इंस्टीटय़ूट, इलाहाबाद
- चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर
- यूनिवर्सिटी ऑफ कैलकटा, कोलकाता
- राजस्थान एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, बीकानेर
- राजेंद्र एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा
- नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, फैजाबाद
- गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
- महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उदयपुर
- सीएसके हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पालमपुर