पौधे और फूल न केवल हमारे उद्यानों में सुंदरता फैलाते हैं और
हमारे जीवन को ताजगी देते हैं बल्कि हमारी बुनियादी आवश्यकताओं तथा औषधियों
के लिए महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सामग्रियों के रूप में कार्य करते हैं।
पौधे ऐसे रासायनिक कारखाने होते हैं जो मनुष्य के लिए उपयोगी सभी प्रकार के
उत्पाद देते हैं। भोजन के अतिरिक्त पौधे कागज, भवन सामग्री, द्रव्यों,
गोंद, कपड़ों, औषधियों और कई अन्य उत्पादों के लिए कच्चा माल देते हैं।
उदाहरण के लिए एलोवेरा पौधा क्रीम तथा चिकित्सा द्रव्यों में प्रयोग में
लाया जाता है। इन सब बातों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान में किया जाता है।
वनस्पति विज्ञान में वनस्पति जगत में पाए जाने वाले सब पेड़-पौधों का
अध्ययन होता है। जीव विज्ञान का यह एक प्रमुख अंग है। दूसरा प्रमुख अंग
प्राणी विज्ञान है। सभी जीवों को जीवन निर्वाह करने, वृद्धि करने, जीवित
रहने और जनन के लिए भोजन या ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा सूर्य से
प्राप्त होती है। सूर्य में परमाणु के विखंडन या तरंगों के रूप में चलकर
यह ऊर्जा पृथ्वी पर आती है। केवल पौधों में ही इस ऊर्जा के ग्रहण करने की
क्षमता विद्यमान है। पृथ्वी के अन्य सब प्राणी पौधों से ही ऊर्जा प्राप्त
करते हैं। अतः विज्ञान में वनस्पति के अध्ययन का विशिष्ट और बड़े महत्त्व
का स्थान है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
* कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
* नौणी विश्वविद्यालय, सोलन (हिप्र)
* अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती
* इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
* आंध्र विश्वविद्यालय वाल्टेयर, विशाखापट्टनम
* गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर (पंजाब)
* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
* लखनऊ यूनिवर्सिटी, उत्तरप्रदेश
* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
* जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू
शैक्षणिक योग्यता
साइंस संकाय में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ दस जमा दो उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। स्नातक कोर्स के लिए इस विषय की स्ट्रीम के छात्र दाखिला ले सकते हैं। बीएससी, एमएससी, एमफिल के बाद पीएचडी की उपाधि भी हासिल की जा सकती है।
वेतनमान
वनस्पति विज्ञान में सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में अध्यापन या शोध के क्षेत्र में सरकारी मानकों के अनुसार वेतन मिलता है। अध्यापन और शोध के क्षेत्र में आरंभ में लगभग 30 हजार से वेतन शुरू होता है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी कंपनियां अच्छे वेतनमान पर इस फील्ड के एक्सपर्ट्स को रखती हैं।
उत्पत्ति और विकास
वनस्पति जगत के सदस्य अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अत्यंत विशालकाय तक होते हैं। इसकी शुरुआत शैवाल पौधे के अध्ययन से शुरू होती है। यह सबसे साधारण और प्राचीनतम वनस्पति है। यह अपना भोजन स्वयं बनाता है। आज कई प्रकार के गूढ़ आकार के भी शैवाल पाए जाते हैं। शैवालों से ही पृथ्वी पर के अन्य सब पौधों के उत्पन्न होने का अनुमान वैज्ञानिकों ने लगाया है। वनस्पतियों के अध्ययन में सबसे पहला कदम पेड़ पौधों का नामकरण और वर्गीकरण है। जब तक उनके नाम का पता न लगे और वे पहचान में न आएं, तब तक उनके अध्ययन का कोई महत्त्व नहीं है। अतः वनस्पति विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे अधिक महत्त्व का विभाग वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान है। इसमें केवल नाम का ही पता नहीं लगता, अपितु पेड़ पौधों के पारस्परिक संबंध का अध्ययन कर उन्हें विभिन्न समूहों में रखा भी जाता है।
अवसर कहां-कहां
विश्वविद्यालयों, कालेजों से वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक योग्यता प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए कई प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं। जैसे कि ब्रीडर के रूप में, पार्क रेंजर, पादप रोग विज्ञानी, पारिस्थितिकीविद, प्रोफेसर, अध्यापक, कृषि परामर्शदाता, अनुसंधानकर्ता, उद्यान विज्ञानी, नर्सरी प्रबंधक।
दीर्घकालीन करियर की संभावना
व्यापक शिक्षा तथा अनुभव के आधार पर वनस्पति विज्ञानी बना जा सकता है। उसके बाद किसी वनस्पति विज्ञानी के रूप में उन्नति की संभावना सामान्यतः उसकी विश्वविद्यालय डिग्री पर निर्भर होती है। व्याख्यात्मक प्रकृति विज्ञानी, पर्यावरण सुधार तकनीशियन अथवा अनुसंधान सुविधाओं में प्रयोगशाला तकनीशियन के रूप में कार्य किया जा सकता है। कई व्यक्ति पर्यावरण, बागबानी या कृषि से जुड़े क्षेत्रों में परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हैं जबकि अन्य व्यक्ति अनुसंधान तथा अध्यापन के क्षेत्र में कार्य करने का निर्णय भी ले सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षक के साथ रोजगारपरक भी
शहरी इलाकों में तबदील हो रहे गांव हमारे भविष्य के लिए सवाल बन गए हैं। जहां पर्यावरण को लेकर कई बड़ी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं, वहीं शहरी इलाकों में तबदील हुए गांवों में युवा कृषि को छोड़कर रोजगार तलाश कर रहे हैं। लेकिन रोजगार के अवसर इतने अधिक नहीं हैं कि युवाओं का भविष्य संवर सके। इसी बीच वनस्पति विज्ञान जहां पर्यावरण को बेहतर करने के लिए एक अहम कदम है, वहीं युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है।
स्नातक योग्यता डिग्री वालों के लिए अवसर
निजी क्षेत्र- औषधि कंपनियां, नर्सरी, जैव प्रौद्योगिकी फर्में, खाद्य कंपनियां, तेल उद्योग, फल उत्पादक, बीज कंपनियां, रसायन कंपनियां, कागज कंपनियां, सरकारी क्षेत्र- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय वन सेवा, कृषि।
* कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
* नौणी विश्वविद्यालय, सोलन (हिप्र)
* अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती
* इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
* आंध्र विश्वविद्यालय वाल्टेयर, विशाखापट्टनम
* गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर (पंजाब)
* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
* लखनऊ यूनिवर्सिटी, उत्तरप्रदेश
* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
* जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू
शैक्षणिक योग्यता
साइंस संकाय में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ दस जमा दो उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। स्नातक कोर्स के लिए इस विषय की स्ट्रीम के छात्र दाखिला ले सकते हैं। बीएससी, एमएससी, एमफिल के बाद पीएचडी की उपाधि भी हासिल की जा सकती है।
वेतनमान
वनस्पति विज्ञान में सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में अध्यापन या शोध के क्षेत्र में सरकारी मानकों के अनुसार वेतन मिलता है। अध्यापन और शोध के क्षेत्र में आरंभ में लगभग 30 हजार से वेतन शुरू होता है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी कंपनियां अच्छे वेतनमान पर इस फील्ड के एक्सपर्ट्स को रखती हैं।
उत्पत्ति और विकास
वनस्पति जगत के सदस्य अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अत्यंत विशालकाय तक होते हैं। इसकी शुरुआत शैवाल पौधे के अध्ययन से शुरू होती है। यह सबसे साधारण और प्राचीनतम वनस्पति है। यह अपना भोजन स्वयं बनाता है। आज कई प्रकार के गूढ़ आकार के भी शैवाल पाए जाते हैं। शैवालों से ही पृथ्वी पर के अन्य सब पौधों के उत्पन्न होने का अनुमान वैज्ञानिकों ने लगाया है। वनस्पतियों के अध्ययन में सबसे पहला कदम पेड़ पौधों का नामकरण और वर्गीकरण है। जब तक उनके नाम का पता न लगे और वे पहचान में न आएं, तब तक उनके अध्ययन का कोई महत्त्व नहीं है। अतः वनस्पति विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे अधिक महत्त्व का विभाग वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान है। इसमें केवल नाम का ही पता नहीं लगता, अपितु पेड़ पौधों के पारस्परिक संबंध का अध्ययन कर उन्हें विभिन्न समूहों में रखा भी जाता है।
अवसर कहां-कहां
विश्वविद्यालयों, कालेजों से वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक योग्यता प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए कई प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं। जैसे कि ब्रीडर के रूप में, पार्क रेंजर, पादप रोग विज्ञानी, पारिस्थितिकीविद, प्रोफेसर, अध्यापक, कृषि परामर्शदाता, अनुसंधानकर्ता, उद्यान विज्ञानी, नर्सरी प्रबंधक।
दीर्घकालीन करियर की संभावना
व्यापक शिक्षा तथा अनुभव के आधार पर वनस्पति विज्ञानी बना जा सकता है। उसके बाद किसी वनस्पति विज्ञानी के रूप में उन्नति की संभावना सामान्यतः उसकी विश्वविद्यालय डिग्री पर निर्भर होती है। व्याख्यात्मक प्रकृति विज्ञानी, पर्यावरण सुधार तकनीशियन अथवा अनुसंधान सुविधाओं में प्रयोगशाला तकनीशियन के रूप में कार्य किया जा सकता है। कई व्यक्ति पर्यावरण, बागबानी या कृषि से जुड़े क्षेत्रों में परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हैं जबकि अन्य व्यक्ति अनुसंधान तथा अध्यापन के क्षेत्र में कार्य करने का निर्णय भी ले सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षक के साथ रोजगारपरक भी
शहरी इलाकों में तबदील हो रहे गांव हमारे भविष्य के लिए सवाल बन गए हैं। जहां पर्यावरण को लेकर कई बड़ी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं, वहीं शहरी इलाकों में तबदील हुए गांवों में युवा कृषि को छोड़कर रोजगार तलाश कर रहे हैं। लेकिन रोजगार के अवसर इतने अधिक नहीं हैं कि युवाओं का भविष्य संवर सके। इसी बीच वनस्पति विज्ञान जहां पर्यावरण को बेहतर करने के लिए एक अहम कदम है, वहीं युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है।
स्नातक योग्यता डिग्री वालों के लिए अवसर
निजी क्षेत्र- औषधि कंपनियां, नर्सरी, जैव प्रौद्योगिकी फर्में, खाद्य कंपनियां, तेल उद्योग, फल उत्पादक, बीज कंपनियां, रसायन कंपनियां, कागज कंपनियां, सरकारी क्षेत्र- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय वन सेवा, कृषि।
M.sc botany
ReplyDeleteBotany aur agicagricul ,dono me se msc karna jyda aacha hoga
ReplyDeleteBotany aur agicagricul ,dono me se msc karna jyda aacha hoga
ReplyDeleteKya government ke chance hai or net qualifiy easily ho hata hai
ReplyDeleteVanaspati ke vigyan ke kon kon se courses hote he, unke nam bataye.
ReplyDeleteAgricultural
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी है।
ReplyDeleteThanks for this information
ReplyDeletePU Entrance Coaching
ReplyDeletePU CET Coaching
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