Thursday, June 30, 2016

फिटनेस ट्रेनर सुरक्षित करें, मजबूत भविष्य


गजनी फिल्म में आमिर खान के 8 पैक्स या ओम शांति ओम में शाहरुख के 6 पैक्स एब्स, बिना फिटनेस ट्रेनर के लिए यह इंपॉसिबल थे। बॉलीवुड में एक कहावत है कि बॉडी फिट, तो फिल्म हिट। अपने सेलिब्रिटी कस्टमर्स के जरिए इन्हें पॉपुलरिटी तो मिलती ही है, साथ ही मोटे पैकेज के रास्ते भी खुल जाते हैं। अगर आपमें फिटेनस का जुनून है, तो सत्यजीत चौरसिया, अलखस जोसेफ, मनीष अदविलकर जैसे फिटनेस व‌र्ल्ड के बडे नामों में आप भी शामिल हो सकते हैं।

वर्क प्रोफाइल

फिटनेस ट्रेनर का बेसिक काम क्लाइंट्स को फिजीकली फिट रखने के साथ लाइफ स्टाइल, प्रोफेशन और उम्र जैसे फैक्टर्स के मुताबिक एक्सरसाइज शेड्यूल तय करना है। ट्रेनर्स जिम में मशीनों से क्लाइंट्स को वेट, कॉर्डियो, स्ट्रेचिंग, मसल्स कंडीशनिंग एक्सरसाइज, रूटीन फॉलो कराते हैं।

करियर ऑपर्चुनिटीज

आज मल्टीनेशनल कंपनियों में वर्क करने वाले एग्जीक्यूटिव्स से लेकर टीनएजर्स तक हेल्थ कॉन्शियस हुए हैं। ऐसे में क्वालिफाइड फिटनेस ट्रेनर्स के लिए शानदार ऑपर्चुनिटीज हैं। जिम, होटल्स, हेल्थ क्लब, फिटनेस सेंटर्स, स्पो‌र्ट्स हॉस्टल में फिटनेस ट्रेनर की काफी डिमांड है।

क्वालिफिकेशन एंड स्किल्स

इसमें कामयाबी के लिए पेशेंस लेवल जरूरी है। यहां हर दिन टीनएजर्स से लेकर सीनियर सिटिजंस तक से वास्ता पडेगा। बढिया स्टेमिना अच्छी फिजीक, ह्यूमन एनाटॉमी केसाथ कम्युनिकेशन स्किल्स, इंट्रापर्सनल स्किल्स की भी जानकारी काम आती है।

ट्रेनिंग है मस्ट

आप यहां नाइक एयरोबिक्स कोर्स या रीबॉक इंस्ट्रक्टर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम जैसे ऑप्शंस सलेक्ट कर सकते हैं। स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी स्पो‌र्ट्स एंड एथलेटिक्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में जगह देता है। कई यूनिवर्सिटीज भी बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन, मास्टर इन फिजिकल एजुकेशन जैसे कोर्स चलाते हैं।

ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स

-इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पो‌र्ट्स साइंस, नई दिल्ली

-लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर

-साई, नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पो‌र्ट्स, पटियाला

-साई, एनएस ईस्टर्न सेंटर, साल्ट लेक, कोलकाता

प्रोफेशनल कोर्स जरूरी

फिल्म गजनी में आमिर खान की बॉडी तराशने वाले मशहूर सेलिब्रिटी फिटनेस ट्रेनर सत्यजीत चौरसिया के मुताबिक फिट बॉडी के लिए रेगुलर एक्सरसाइज रिजाइम के साथ डिसिप्लिंड लाइफ, बैलेंस डाइट जरूरी है। इसकी प्रोफेशनल क्वॉलिफिकेशन हासिल करें, इंटरनेट पर ऑथेंटिक एक्सरसाइज वीडियोज देखकर और बुक्स की मदद से इंफॉर्मेशन गेन करें।

Wednesday, June 29, 2016

सीखें प्रोग्रामिंग की भाषा

अगर आप इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी फील्ड में एंट्री करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपको सबसे पहले आईटी फील्ड की लैंग्वेज को समझना और सीखना जरूरी है। जानते हैं आईटी इंडस्ट्री में कौन-कौन सी लैंग्वेजेज डिमांड में हैं..
सी-लैंग्वेज
सी को मदर ऑफ ऑल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज भी कहा जाता है। सभी पॉपुलर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज सी से ही जन्मी हैं। एटी एंड टी बेल लैब्स में काम करने के दौरान डेनिस रिची ने 1972 में इसे डेवलप किया था। सी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली लैंग्वेज है। दुनिया के बेहतरीन कंप्यूटर आर्किटेक्चर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स सी-लैंग्वेज बेस्ड हैं। सी-लैंग्वेज में स्ट्रक्चर्ड प्रोग्रामिंग के साथ क्रॉस प्लेटफॉर्म प्रोग्रामिंग की भी कैपेबिलिटी है। इसके सोर्स कोड में कुछ बदलाव करके कई कंप्यूटर प्लेटफॉ‌र्म्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है। यही वजह है कि माइक्रोकंट्रोलर्स से लेकर सुपरकंप्यूटर्स में सी-लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है। 
एचटीएमएल/सीएसएस
एचटीएमएल को हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज कहा जाता है, यह व‌र्ल्ड वाइड वेब के किसी भी कंटेंट की स्ट्रक्चरिंग मार्कअप लैंग्वेज है और इंटरनेट की कोर टेक्नोलॉजी है। एचटीएमएल के जरिए किसी भी वेबसाइट की स्ट्रक्चरिंग की जाती है। इस लैंग्वेज के जरिए इमेजेज और ऑब्जेक्ट्स को इंटरैक्टिव डिजाइनिंग में कनवर्ट किया जाता है। वहीं, कैसकेडिंग स्टाइल शीट्स (सीएसएस) स्टाइल शीट लैंग्वेज है, जो एचटीएमएल में कोडेड किसी भी डॉक्यूमेंट की डिजाइनिंग करने में यूज होती है। आमतौर पर एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल में कोडेड वेब पेजेज को सीएसएस एप्लीकेशन के जरिए ही स्टाइल किया जाता है। इसके अलावा यह किसी भी तरह के एक्सटेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज (एक्सएमएल), स्केलेबल वेक्टर ग्राफिक्स (एसवीजी) और एक्सएमएल यूजर इंटरफेस लैंग्वेज (एक्सयूएल) डॉक्यूमेंट्स में यूज की जाती है। टैबलेट्स, स्मार्टफोंस और क्लाउड होस्टेड सर्विसेज की डिमांड बढ़ने से इसकी काफी डिमांड है। 
पीएचपी
हाइपरटेक्स्ट प्री-प्रोसेसर यानी पीएचपी सर्वर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जिसका यूज वेब डेवलपमेंट के साथ आम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी होता है। ओपन सोर्स होने की वजह से पीएचपी आज 24 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स और 20 लाख वेब सर्वर्स में इस्तेमाल हो रहा है। कैहाइ-स्पीड स्क्रिप्टिंग और ऑगमेंटेड कंपाइलिंग कोड प्लग-इंस जैसी खासियतों के चलते इसे लैंग्वेजेज का फ्यूचर भी कहा जा रहा है। फेसबुक, विकीपीडिया और वर्डप्रेस जैसी हाई-प्रोफाइल साइट्स की पॉपुलरिटी के पीछे पीएचपी का ही हाथ है। 
जावा स्क्रिप्ट
जावा स्क्रिप्ट असल में ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जो जावा का हल्का वर्जन है। इसे क्लाइंट-साइड लैंग्वेज भी कहा जाता है, क्योंकि ईजी कमांड्स, ईजी कोड्स होने की वजह से यह क्लाइंट-साइड वेब ब्राउजर में इस्तेमाल की जाती है। आज जावा स्क्रिप्ट का इस्तेमाल वेब पेजेज में फॉ‌र्म्स ऑथेंटिकेशन, ब्राउजर डिटेक्शन और डिजाइन इंप्रूव करने में किया जा रहा है। आपके फेवरेट ब्राउजर क्रोम एक्सटेंशंस, एपल का सफारी एक्सटेंशंस, अडोब एक्रोबैट रीडर और अडोब क्रिएटिव सूट जैसी एप्लीकेशंस जावा स्क्रिप्ट कोडिंग के बिना अधूरी हैं। 
पायथन
बेहद ईजी कोड्स होने की वजह से कोई भी इसे बेहद आसानी से सीख सकता है। इसका इस्तेमाल वेबसाइट्स और मोबाइल एप्स की स्क्रिप्ट राइटिंग में काफी किया जाता है। पायथन और थर्ड पार्टी टूल्स की मदद से किसी भी प्रोग्राम को कंपाइल किया जा सकता है। इंस्टाग्राम, पिनटेरेस्ट, गूगल और याहू समेत कई वेब एप्लीकेशंस और इंटरनेट प्लेटफॉ‌र्म्स हैं, जहां पायथन का बखूबी इस्तेमाल हो रहा है। 
एसक्यूएल
स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज यानी एसक्यूएल अपनी ओपन सोर्स होने की खासियतों के चलते डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम में सबसे ज्यादा यूज की जा रही है, जिससे डाटाबेस को मल्टी-यूजर एक्सेस देना संभव हो पाया है। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को अमेरिकन नेशनल स्टैंड‌र्ड्स इंस्टीट्यूट (एएनएसआइ) और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंड‌र्ड्स (आउएसओ) ने 1980 में 
डेवलप किया था। आज एसक्यूएल का इस्तेमाल डाटा इंसर्ट, क्वेरी, अपडेट एंड डिलीट, मोडिफिकेशन और डाटा एक्सेस कंट्रोल में किया जा रहा है।
विजुअल बेसिक
माइक्रोसॉफ्ट के डॉट नेट फ्रेमवर्क में विजुअल बेसिक का इस्तेमाल होता है और डॉट नेट फ्रेमवर्क के बिना माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विजुअल बेसिक माइक्रोसॉफ्ट के डॉट नेट फ्रेमवर्क की रीढ़ की हड्डी है। 1991 में माइक्रोसॉफ्ट ने इस इरादे के साथ इसे डेवलप किया था, ताकि डेवलपर्स आसानी से इसे सीख सकें और इस्तेमाल कर सकें। इसकी मदद से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआइ) एप्लीकेशंस, डाटाबेस एक्सेस, रिमोट डाटा ऑब्जेक्ट्स और एक्टिवएक्स कंट्रोल्स को डेवलप किया जा सकता है। 
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जावा
जावा लैंग्वेज को 1990 में सन माइक्रोसिस्टम्स के जैम्स गॉस्लिंग ने डेवलप किया था। जावा पूरी तरह से ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। आज एमपी3 प्लेयर से लेकर बड़ी से बड़ी एप्लीकेशन जावा के बिना अधूरी है। जावा को दोबारा कंपाइल किए बिना ही एप्लीकेशन डेवलपर्स प्रोग्राम को किसी दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी आसानी से चला सकते हैं यानी राइट वंस, रन एनीव्हेयर। इन दिनों जावा का इस्तेमाल एंटरप्राइजेज सॉफ्टवेयर, वेब बेस्ड कंटेंट, गेम्स, मोबाइल एप्स और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में बखूबी किया जा रहा है। 
सी++
मल्टी-पैराडाइम स्पैनिंग लैंग्वेज होने के चलते इसमें हाइ-लेवल और लो-लेवल लैंग्वेज, दोनों के फीचर हैं। सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को व्यापक बनाने के लिए 1979 में इसे शुरू किया गया था। सिस्टम्स सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, सर्वर व क्लाइंट एप्लीकेशंस और एंटरटेनमेंट सॉफ्टवेयर्स जैसे वीडियो गेम्स की लोकप्रियता के पीछे इस लैंग्वेज का अहम योगदान है। फायरफॉक्स, विनएंप और अडोबी के कई प्रोग्राम्स इस लैंग्वेज में ही लिखे गए हैं। 
ऑब्जेक्टिव-सी
ऑब्जेक्टिव-सी को ब्रैड कॉक्स और टॉम लव की कंपनी स्टेपस्टोन ने 1980 की शुरुआत में डेवलप किया था। यह ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिग लैंग्वेज है, जिसका इस्तेमाल सी लैंग्वेज के सपोर्ट में किया जाता है। इस लैंग्वेज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एपल आइओएस और मैक ओएस एक्स में हो रहा है।

Tuesday, June 28, 2016

एनर्जी इंजीनियरिंग में करियर

एनर्जी इंजीनियरिंग का कोर्स इन दिनों काफी पॉपुलर हो रहा है। यदि भविष्य की बात करें, तो इसकी मांग आगे भी बनी रहेगी। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो करियर के लिहाज से बेहतर हो सकता है।
योग्यता व कोर्स
इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं तलाशने वाले छात्रों को बीई या बीटेक करने के लिए 12वीं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व गणित होना आवश्यक है। अगर आप चाहें, तो बीटेक करने के बाद एमटेक भी कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में एडमिशन प्रवेश परीक्षाओं द्वारा दिया जाता है। वैसे एनर्जी में दक्षता या स्पेशलाइजेशन अंडर ग्रेजुएट स्तर पर उतना लोकप्रिय नहीं है, जितना पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर। मास्टर्स कोर्स में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों और ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों में सुधार पर अधिक जोर दिया जाता है।
संभावनाएं
जलवायु में बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बढी जागरूकता के चलते नौकरियों के बाजार में ऊर्जा इंजीनियरिंग की बहुत मांग है। विभिन्न सरकारी संस्थानों, खासकर विभिन्न राज्यों की नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसियों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की काफी मांग है। सरकार ने उद्योगों के लिए अब ऊर्जा ऑडिटिंग, ऊर्जा सरंक्षण और ऊर्जा प्रबंधन में स्पेशलाइजेशन करने वालों की नियुक्ति को भी अनिवार्य कर दिया है।
कार्य
एक एनर्जी इंजीनियर सिर्फ ऊर्जा के व्यावसायिक उपयोग को ही नहीं समझता, अपितु ऊर्जा खपत के पैटर्न का अनुमान भी लगाता है। करियर काउंसलर मीनाक्षी ठक्कर बताती हैं कि एक सफल एनर्जी इंजीनियर बनने के लिए तार्किक व विश्लेषणात्मक होना जरूरी है। इस क्षेत्र में बहुत अधिक लोगों से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं पडती, इसलिए एक अंतर्मुखी व्यक्ति भी आसानी से एनर्जी इंजीनियर बन सकता है। साथ ही आपको कई बार बाहर भी जाना पड सकता है, इसलिए आपको घर से दूर रहने की भी आदत डालनी पडेगी। इसके अतिरिक्त आपको धैर्यशील व हमेशा अपडेट रहना चाहिए।
क्या कहती है रिपोर्ट
एनर्जी इंजीनियर के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेश में भी काफी स्कोप है। बिजली मंत्रालय का अनुमान है कि अगले दशक के अंत तक बिजली उत्पा

Sunday, June 26, 2016

लिक्विड इंजीनियरिंग में कैरियर

निजी कंपनियों के भारतीय पेट्रोलियम कारोबार में प्रवेश करने से लिक्विड इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए कॅरियर के और अधिक अवसर उत्पन्न होने लगे हैं... 

लिक्विड इंजीनियरिंग का संबंध मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थों से है। इन दिनों पेट्रोलियम पदार्थों की आवश्यकता जीवन में काफी बढ़ गई है। इसके बिना कई दैनिक कार्य संभव नहीं हैं। इस क्षेत्र में भारत एशिया के तेल और प्राकृतिक गैस बाजार में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। इस समय भारत में इस क्षेत्र से लाखों लोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े हैं। 

बढ़ती जरूरत
हमारे देश में जिन क्षेत्रों का बहुत तेजी से विकास हो रहा है, पेट्रोलियम और ऊर्जा उनमें से एक है। भारत की बड़ी इंडस्ट्रीज में पेट्रोलियम इंडस्ट्री का क्रम सबसे ऊपर आता है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग तथा अन्य तेल कंपनियां इस क्षेत्र में भारी लाभ अर्जित रही हैं। पेट्रोलियम और विभिन्न पेट्रो प्रोडक्ट्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण इस फील्ड में कुशल पेशेवरों की काफी मांग रही है।

कार्य प्रकृति
तेल उद्योग को अपस्ट्रीम (अन्वेषण और उत्पादन) तथा डाउनस्ट्रीम (रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण) क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें सभी स्तरों पर कॅरियर निर्माण के शानदार अवसर उपलब्ध हैं। लिक्विड (पेट्रोलियम) उद्योग के तहत भूगर्भशास्त्रियों, जियो फिजिस्ट और पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए अपस्ट्रीम गतिविधियों एवं केमिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन और प्रोडक्शन इंजीनियरों के लिए डाउनस्ट्रीम गतिविधियों में कॅरियर के विकल्प उपलब्ध हैं। पेट्रोलियम इंजीनियर विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, ठेकेदारों और ड्रिलिंग स्टाफ के साथ मिलकर काम करते हैं। 

कोर्स कैसे-कैसे 
लिक्विड (पेट्रोलियम) इंजीनियरिंग के कोर्स अंडरग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर संचालित किए जाते हैं। बीटेक के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र तथा गणित विषयों में 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। एमटेक पाठ्यक्रम पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए खुला है। यह जरूरी नहीं कि इस सेक्टर का द्वार केवल पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए ही खुला है। मार्केटिंग और प्रबंधन क्षेत्र के युवाओं के लिए भी इसमें काफी अवसर हैं। 


मौके कहां-कहां
पेट्रोलियम से संबंधित स्नातकों के लिए कॅरियर निर्माण के तमाम उजले अवसर उपलब्ध हैं। पेट्रोलियम इंजीनियरों की बढ़ती मांग का ही परिणाम है कि इन्हें अच्छे वेतन पर आकर्षक रोजगार देने के लिए पेट्रोलियम कंपनियां हमेशा तैयार रहती हैं।

चूंकि सारी दुनिया में सुरक्षित तथा किफायती ऊर्जा संसाधनों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए इन प्रोफेशनल की मांग का सिलसिला आगामी दशकों में भी जारी रहेगा। पेट्रोलियम उत्पादन कंपनियों, कंसल्टिंग इंजीनियरिंग कंपनियों, कुओं की खुदाई करने वाली कंपनियों के साथ-साथ ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम तथा रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स के अलावा रिसर्च और शैक्षणिक संस्थानों में आकर्षक वेतनमान पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

इस क्षेत्र में पैसों की कोई कमी नहीं है। पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए प्रोफेशनल कॅरियर के अलावा रिसर्च के क्षेत्र में भी अच्छे अवसर हैं। वह रिसर्च लैब में बतौर साइंटिस्ट या रिसर्च फेलो के रूप में अनुसंधान तथा विकास कार्य कर सकते हैं। विदेशों, खास तौर पर खाड़ी देशों में भी पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए कॅरियर निर्माण के ढेरों अवसर मौजूद हैं। 

मुख्य संस्थान
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
इंडियन ऑयल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गुड़गांव
इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गांधीनगर
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, देहरादून
इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, गांधीनगर