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भारत में बढ़ता बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर
भारत में बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर का तेजी से विस्तार हो रहा है। केवल शहरी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह अब तेजी से पांव पसारने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बैंकिंग हब हो सकता है। अगर आपका इंट्रेस्ट पैसों के मैनेजमेंट में है, तो सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों में चमकदार करियर बना सकते हैं..
किसी देश की मजबूती का मुख्य आधार उसकी इकोनॉमी होती है। पिछले कुछ दशकों से भारतीय इकोनॉमी में काफी सुधार देखा गया है। साथ ही, प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हुआ है। आज जिस रफ्तार से पब्लिक सेक्टर बैंकों के साथ-साथ निजी सेक्टर के बैकों का विस्तार हो रहा है। उसे देखते हुए बैंकिंग एेंड फाइनेंस सेक्टर में करियर की संभावनाएं काफी ब्राइट हैं।
बैंकिंग और फाइनेंस क्यों?
भारत सरकार और रिजर्व बैंक की गांवों तक बैंकों के पहुंचाने की पहल के चलते आने वाले महीनों में नए बैंकिंग लाइसेंस जारी होंगे, जिसकी वजह से जॉब के ढेरों अवसर पैदा होंगी। पिछले कुछ वर्र्षो की बात करें, तो बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर जॉब देने में काफी आगे रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, बैंकिंग सेक्टर में अगले 5-10 वर्षो में 20 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं। एचआर सर्विस कंपनी रैंडस्टैड इंडिया के अनुसार, वर्ष 2014 में यह सबसे ज्यादा नौकरियां मुहैया कराने वाला क्षेत्र होगा। मनिपाल एकेडमी ऑफ बैंकिंग के अनुमान के मुताबिक, अगले पांच वर्षो में ही बैंकिंग सेक्टर में 18 से 20 लाख नई नौकरियां पैदा होने की संभावनाएं हैं। ऐसे में बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में युवाओं के लिए करियर बनाने का बेहतरीन मौका है।
एंट्री प्रॉसेस
सरकारी क्षेत्र के बैंकों में क्लर्क व पीओ पद पर कॉम्पिटिशन के जरिए ग्रेजुएट्स की भर्ती होती है, लेकिन निजी क्षेत्र के बैंकों में एंट्री के लिए विशेषज्ञता चाहिए। निजी सेक्टर के बैंकों में एंट्री के लिए बैंकिंग और फाइनेंस में पीजी डिप्लोमा करने के लिए स्टूडेंट्स को 50 फीसदी मार्क्स के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। कई संस्थान एससी-एसटी और ओबीसी के स्टूडेंट्स को मार्क्स में 5 फीसदी तक की छूट भी देती है। आजकल इस विषय में दो साल एमबीए करने की बजाय स्टूडेंट्स पीजी डिप्लोमा को तरजीह देने लगे हैं, क्योंकि एक साल के कोर्स के बाद भी बैंकों में नौकरी की बेहतर संभावनाएं होती हैं।
वैसे, बैंकिंग इन फाइनेंस में दो सेमेस्टर होते हैं। इसके पहले सेमेस्टर में जनरल बैंकिंग ऑपरेशंस, फाइनेंशियल प्रोडक्ट और सर्विसेस, बैंकिंग मैथमेटिक्स, बेसिक अकाउंट्स, इंश्योरेंस मैनेजमेंट, मार्केटिंग मैनेजमेंट, कम्प्यूटर बेसिक्स, स्पोकन इंग्लिश, प्रोजेक्ट रिसर्च और सबमिशन, प्रजेंटेशन ग्राफिक्स, मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स की पढ़ाई होती है, जबकि दूसरे सेमेस्टर में ट्रेंड फाइनेंस और सर्विसेज, रिटेल बैंकिंग, रूरल बैंकिंग और माइक्रोफाइनेंस, बैंक अकाउंटिंग, अकाउंटिंग साफ्टवेयर, मार्केटिंग ऑफ फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स, बिजनेस कम्युनिकेशन, सेलिंग स्किल, बिजनेस एेंड कंपनी लॉ, स्टैटिक्स की पढ़ाई होती है। इसके अलावा, आप बाजार प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा, वित्तीय प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा, वित्त और बैंकिंग में सर्टिफिकेट कोर्स या फिर एमबीए इन बिजनेस मैनेजमेंट आदि भी कर सकते हैं।
वर्क प्रोफाइल
आमतौर पर बैंकिंग सेक्टर में दो तरह के जॉब्स होते हैं-पहला, क्लेरिकल और दूसरा, मैनेजरियल। बैंकों में फाइनेंस, मैनेजमेंट, बिजनेस, पर्सनल, मार्केटिंग, ऑपरेशन, इलेक्ट्रॉनिक सर्विस, कार्ड सर्विस, क्रेडिट ऐंड रिस्क आदि से जुड़े कार्य होते हैं। साथ ही, कई स्तर पर एम्प्लॉयीज भी कार्य करते हैं, जैसे-चीफ एग्जिक्यूटिव, जनरल ऐंड ऑपरेशन मैनेजर, मार्केटिंग ऐंड सेल्स, कम्प्यूटर ऐंड इंफॉर्मेशन सिस्टम मैनेजर, फाइनेंशियल मैनेजर, ह्यूंमन रिसोर्स, ट्रेनिंग एेंड लेबर रिलेशन स्पेशलिस्ट, मैनेजमेंट एनालिस्ट, अकाउंट ऐंड ऑडिट, क्रेडिट एनालिस्ट, फाइनेंशियल एनालिस्ट, पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर, लोन काउंसलर, लोन ऑफिसर्स, कम्प्यूटर स्पेशलिस्ट, क्लर्क आदि।
स्किल्स ऐंड जॉब ऑप्शंस
टीकेडब्लूएस इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एेंड फाइनेंस के डायरेक्टर अमित गोयल कहते हैं कि मौजूदा समय में भारत का बैंकिंग, फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर करीब 1.31 ट्रिलियन डॉलर का है और आने वाले दस सालों में यह सेक्टर 20 लाख लोगों को रोजगार देने जा रहा है। इस लिहाज से देखा जाए, तो इस सेक्टर में स्टूडेंट्स के पास बेहतरीन मौका है। बैंकिंग क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। ऐसे लोग जो व्यावहारिक रूप से परिस्थितियों को संभाल सकें और त्वरित निर्णय लेने वाले हो और उनमें चीजों को बारीकी से समझने, सोचने और उस पर सही तर्क रखने की क्षमता हो। इन गुणों के अलावा, बैंकिंग क्षेत्र में काम करने के लिए समस्याओं का निपटारा करने की विशेष योग्यता होनी चाहिए। इस फील्ड से जुड़े लोगों की एमएनसी, निजी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में डिमांड बनी रहती है। निजी बैंकों में शुरुआती दौर में 15 से 25 हजार रुपये प्रति माह सैलरी मिलने लगती है। यह धीरे-धीरे अनुभव के आधार पर बढ़ता जाता है।
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