Friday, December 30, 2022

वेटरनरी डॉक्टर के तौर पर बनाएं करियर

इंडिया एक ऐसा देश है जहां पर जमीन के साथ जंगलों को भी काफी महत्‍व दिया जाता है। यही कारण है कि विश्व में सबसे ज्यादा पशु-पक्षी पाए जाने वाले देशों में भारत भी शामिल है। इनमें पालतु और जंगली दोनों प्रकार के पशु-पक्षी शामिल है। इतनी भारी संख्या में पशु होने के बावजूद आज भी हमारे देश में वेटरनरी डॉक्टर की भारी कमी है। यही कारण है कि कई बार बीमारी या फिर किसी दुर्घटना में घायल हुए जानवर को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और वे मर जाते हैं।
इस पृथ्‍वी पर जबसे इंसानों का अस्तित्व रहा है तभी से उसने जानवरों को पालने का शौक रखा है। इसलिए इस फील्‍ड में बाकियों की अपेक्षा कई संभावनाएं है। अगर आप पशु चिकित्सक रूप में अपना करियर बनाना चाहते है सिर्फ दो साल का डिप्लोमा करके, आप अपना ये सपना पूरा कर सकते है। पशु चिकित्सा विज्ञान भी मानव चिकित्सा विज्ञान जैसा ही है लेकिन पशु-पक्षी अपनी बीमारी के बारे में किसी को बता नहीं सकते है इसलिए यह चिकित्सा थोड़ी जटिल हो जाती है। लेकिन इसका कोर्स करने के बाद आप इस फील्‍ड में एक्सपर्ट हो जाते हैं और ऐसे बेजुबान जानवरों की मदद कर पाएंगे।
वेटरनरी डॉक्टर का कार्य
एक वेटरनरी डॉक्टर के तौर पर आप पशु-पक्षियों की बीमारी का पता लगाकर उनका इलाज करते हैं। इसके अलावा जानवरों का टीकाकरण, सर्जरी और ऑपरेशन जैसे काम भी एक वेटरनरी डॉक्टर को ही करना होता है। वहीं पेट्स और फार्म में रहने वाले पशुओं की देखभाल जैसे काम करना और समय-समय पर उनके टेस्ट लेना जैसे काम भी एक वेटरनरी डॉक्टर को ही करना होता है। हम कह सकते हैं कि एक पशु की सभी बीमारियों से जुड़ा इलाज इन्‍हें ही करना होता है।

जरूरी योग्यता
अगर आपको पशु-पक्षियों से लगाव है और आप एक वेटरनरी डॉक्टर बनकर अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको इसमें डिग्री और डिप्लोमा कोर्स करना होगा। इस फील्‍ड में किसी भी तरह का कोर्स करने के लिए न्‍यूनतम योग्‍यता के रूप में अभ्यर्थी का 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंको से पास होना जरूरी है।
प्रमुख कोर्स
इस क्षेत्र में पढ़ाई करने के लिए कई तरह के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। आप इनमें से कोई भी कोर्स कर सकते है।, इसमें बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हस्बैंड्री जो 5 वर्षीय डिग्री है, इसके अलावा दो वर्षीय डिप्लोमा इन वेटरनरी फार्मेसी, दो वर्षीय मास्टर ऑफ वेटरनरी साइंस और दो वर्षीय पीएचडी इन वेटरनरी साइंस मुख्‍य रूप से शामिल है।
इस तरह मिलेगा एडमिशन
प्रतिवर्ष वेटरनरी साइंस में बैचलर डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। इस प्रवेश परीक्षा को वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया मई और जून के महीने में आयोजित करता है। इस प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी को 15 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन दिया जाता है। इसके अलावा बाकी की सीटें उस राज्य के अभ्यर्थियों द्वारा भरी जाती है जिस राज्य में वो इंस्टीट्यूट है।

प्रमुख संस्थान
  1. नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल
  2. कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल सांइस, बिकानेर
  3. इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बरेली यूपी
  4. मद्रास वेटरनरी कॉलेज, चेन्नई
  5. खालसा कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज, पंजाब
  6. इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूटस, कोलकाता
  7. आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, आनंद, गुजरात
  8. यहां मिलेगी जॉब
    वेटरनरी साइंस में कोर्स पूरा करने के बाद आप कई सरकारी और गैर सरकारी पशु चिकित्सा हॉस्पिटल में एक डॉक्टर के रूप में काम कर सकते हैं। इसके अलावा एनिमल रिसर्च सेंटर, डेरी फार्म, शिक्षण संस्थान, फार्मास्यूटिकल कंपनी आदि में आपको आसानी से नौकरी मिल सकती है। आप चाहे तो खुद का पशु क्‍लीनिक खोलकर भी अपना अच्छा करियर बना सकते है। वहीं रिसर्च में जाकर आप कई देशों में फेलोशिप भी कर सकते है।

    सैलरी
    नॉर्मल डॉक्‍टर की तरह ही एक वेटरनरी डॉक्टर की सैलरी भी उसके पद और अनुभव के आधार पर तय की जाती है। अगर आप किसी सरकारी वेटरनरी विभाग या अस्‍पताल में कार्य कर रहे हैं तो आपको सरकार के पे ग्रेड के अनुसार प्रतिमाह लाखों रूपये मिल सकते हैं। वहीं आप प्राइवेट सेक्‍टर में या अपना क्‍लीनिक शुरू कर प्रतिमाह 30 हजार से 60 हजार रूपये कमा सकते हैं। कुछ सालों के अनुभव के बाद आपको अच्छी सैलरी मिल सकती है।

Tuesday, December 20, 2022

ग्रामीण हेल्थकेयर वर्कर बनकर संवारें कॅरियर

ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर्स एक मध्य स्तरीय स्वास्थ्य कर्मचारी होते हैं जो सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का निदान और इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में प्रारंभिक प्रबंधन यानी शुरुआती इलाज उपलब्ध करा सकें और आगे के इलाज के लिए गंभीर रूप से बीमार या घायल मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके। एक ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर हमारे देश की स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर की प्राथमिक जिम्मेदारियों में मामूली बीमारियों का इलाज, बुजुर्ग लोगों की देखभाल, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल शामिल होते हैं। इसके अलावा वे परिवार नियोजन सेवाओं, स्वच्छता के लिए जागरुकता फैलाना और स्वच्छता को बढ़ावा देना, संचारी रोगों के लिए स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य शिक्षा गतिविधियों का प्रदर्शन, आंकड़े इकट्ठा करना, रिकॉर्ड बनाए रखना और स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने पर क्षेत्रीय लोगों को अस्पतालों तक पहुंचवाने का काम भी करते हैं। वे मेडिकल प्रोफेशनल्स और शिक्षकों के लिए डाटा एकत्र करने से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने में भी मदद करते हैं। ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर ग्रामीण समुदाय के साथ मिलकर गांवों में स्वास्थ्य और स्वच्छता जागरुकता पर चर्चाएं भी करते हैं।

कैसे बने हेल्थ केयर वर्कर

इस काम को वही कर सकता है जो सेवाभावी हो। जिसके मन में स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों को जड़ से निकाल फेंकने का सपना हो। अगर आपमें यह सभी खूबियां हैं तो इस फील्ड को कॅरियर चुन सकते हैं। इस फील्ड में कॅरियर बनाने के लिए अभ्यर्थी को किसी भी संकाय से और मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पास करना जरूरी होता है।
क्या होगी सैलेरी

डिप्लोमा इन रूरल हेल्थ केयर का कोर्स करने के बाद आप बतौर कर्मचारी कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। इन्हें शुरुआत में 10 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक मिल सकता है। अनुभव होने के साथ ही आप सुपरवाइजर या डवलपमेंट ऑफिसर बन सकते हैं।
कोर्स के बारे में जानकारी

अभ्यर्थी रूरल हेल्थ केयर में 1 वर्ष और 2 वर्ष का डिप्लोमा लेकर इस फील्ड में एक्सपर्ट बन सकते हैं और इस फील्ड से जुड़े हर एक कार्य को प्रैक्टिकली जान और समझ सकते हैं। कोर्स के दौरान उन्हें सिखाया जाता है कि ग्रामीण इलाकों में आपातकालीन स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध कराया जाए। उन्हें अलग-अलग माध्यमों का इस्तेमाल करके जागरुकता के संदेश लोगों तक पहुंचाना और किसी परेशानी के समय गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
अवसर: आप स्वास्थ्य विभाग, परिवार नियोजन मंत्रालय, पर्यावरण विभाग के अलावा सरकारी व गैर सरकारी एनजीओ में नौकरी कर सकते हैं। आप चाहें तो प्राइवेट कंपनी के सीएसआर विभाग में नौकरी कर सकते हैं।
ग्रामीण हेल्थकेयर वर्कर बनकर आप ग्रामीण इलाकों में आपातकालीन स्थिति में मेडिकल सुविधाओं का बेहतरीन प्रबंधन कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

महर्षि मर्केंडेश्वर यूनिवर्सिटी, अम्बाला, हरियाणा
www.mmumullana.org
इंडियन मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, जालंधर
www.iminursing.in
इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड हेल्थ साइंसेज, कोलकाता
www.iahs.co.in
दिल्ली पैरा एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
www.dpmiindia.com

Sunday, December 11, 2022

ईसीजी टेक्निशन बनकर कमाएं खूब

 ईसीजी टेक्निशन को कार्डियोग्रैफ़िक टेक्निशन भी कहा जाता है। ईसीजी मशीन का इस्तेमाल करके पेशेंट्स का हार्ट रेट्स मापना, कार्डियक रिदम को मॉनिटर करना, दिल और आर्टरीज में अनियमितताओं को खोजने में चिकित्सकों की मदद करना, अधिग्रहीत डेटा एकत्रित करना, रोगी की चिकित्सा की स्थिति पर नजर रखना और हृदय रोग विशेषज्ञों की सहायता करना ही इसका काम होता है। इसमें करियर बनाने के काफी फायदे भी हैं जैसे कि देशभर के हॉस्पिटल्स, क्लिनिक्स और लैब आदि में आपको नौकरी के भरपूर मौके हैं।

कोर्स और योग्यता
कोर्स के दौरान स्टूडेंट को 1 साल में यानी 2 सेमेस्टर में कोर्स को पूरा करना होता है जिसमें उन्हें थिअरी और प्रैक्टिकल दोनों प्रदान तरीकों से पढ़ाया जाता है। यह कोर्स दिल और सीने की शरीर रचना विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान पर महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि को भी कवर करता है। दिल कैसे काम करता है और ईसीजी किस तरह काम करता है, यह भी इसकोर्स में पढ़ाया जाता है।
अवसर
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेक्नॉलजी कोर्स करने के बाद स्टूडेंट्स के लिए गवर्नमेंट और गैरसरकारी विभागों में कई अवसर खुल जाते हैं। आपदा स्थिति में सबसे ज्यादा जरूरत मेडिकल सहयोगियों की होती है जिसमें यही टेक्निशन मेडिकल की सुविधाएं प्रदान कराने में काम आते हैं।

सैलरी
इस फील्ड में करियर की शुरुआत के साथ आप कम से कम 20 हजार रुपये महीने तो कमा ही लेंगे। अनुभव के साथ आपकी सैलरी भी बढ़ती जाएगी।


संस्थान
इंडियन मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग, जालंधर, पंजाब
दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
महर्षि मार्केंडेश्वर यूनिवर्सिटी, अंबाला, हरियाणा
इंस्टिट्यूट ऑफ अलाइड हेल्थ साइंसेज, कोलकाता

Tuesday, December 6, 2022

डायलिसिस टेक्नीशियन

आज के समय में अगर आप 12 साइंस सब्जेक्ट के पास करते हैं तो 12th के बाद आपको बहुत सारे करियर ऑप्शन्स मिलते हैं आप जिस फील्ड में इंट्रेस्टेड है उस फील्ड में जा सकते हो इन्ही बहुत सारी फ़ील्ड्स में से एक फील्ड आपकी डायलीसिस टेक्नीशियन की होती है आप मे से बहुत से स्टूडेंट्स को पता होगा कि डायलिसिस टेक्नीशियन कौन होता है और डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए कोर्स कौनसा करना होता है लेकिन कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी होंगे जिन्हें इस कोर्स के बारे में जानकारी नहीं होगी इसलिए आज आर्टिकल में हम आपको डायलिसिस टेक्नीशियन बनने से रिलेटेड की जाने वाली पढ़ाई के बारे में पूरी जानकारी देंगे

जब हमारे शरीर में किडनी (किडनी हमारे शरीर में फिल्टर का काम करती है हमारे ब्लड में जो खराब चीजें होती हैं उनको फिल्टर करके बाहर निकालती है) सही से काम नहीं करती है हमें किडनी डिजीज हो जाता है तो ऐसी स्थिती में डायलिसिस किया जाता है जब किडनी सही से काम नहीं करती है तो मशीनों के द्वारा फ़िल्टर का काम किया जाता है तो इसे ही डायलिसिस कहते हैं. और जो डॉक्टर्स टेकनीशियन मशीनों के द्वारा इस फिल्टर करने के काम को करते हैं उन्हें डायलिसिस टेक्नीशियन कहा जाता है.

डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए आप डिप्लोमा या डिग्री कोर्स कर सकते हैं लेकिन इसमें हम आपको डिग्री कोर्स के बारे में बताएंगे डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए आप बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स कर सकते हैं.

डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए?

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स करने के लिए कैंडिडेट का साइंस स्ट्रीम से 12th पास होना जरूरी होता है और साथ ही कैंडिडेट के 12th में 50% मार्क्स भी होने चाहिए इसमें रिज़र्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स को कुछ छूट भी दी जाती है उनके 12th में 45% मार्क्स होना जरूरी होता हैं.

डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए कौन सा कोर्स करना होता है?

डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए आपको डायलिसिस टेक्नोलॉजी से रिलेटेड कोर्स करना होता है इसमें आपको डिप्लोमा और डिग्री दोनों तरह के कोर्सेस मिल जाएंगे आपको जिसमे सूटेबल हो आप वो कोर्स कर सकते हैं लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह एक अंडर ग्रेजुएट कोर्स है और इस कोर्स की ड्यूरेशन 3 साल की होती है.

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स का सिलेबस क्या होता है?

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स मे आपको

  • ह्यूमन इकोनॉमी एंड फिजियोलॉजी
  • बायोकेमिस्ट्री
  • माइक्रोबायोलॉजी
  • पैथोलॉजी
  • डायलिसिस सिस्टम एंड इक्विपमेंट
  • Renal disease
  • Safety and hygiene
  • डायलीसिस टेक्नोलॉजी, इत्यादि सब्जेक्ट्स के बारे में डिटेल में पढ़ाया जाता है और प्रैक्टिकली चीजें भी सिखाई जाती है.

अगर आप डिप्लोमा कोर्स करते हैं तो उसमें भी आपके यही सब्जेक्ट रहते हैं लेकिन उसमें आपके कुछ सब्जेक्ट कम होते हैं.

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स में एडमिशन कैसे लें?

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स मे एडमिशन लेने के लिए आपको ज्यादातर entrance एग्जाम क्लियर करना होता है बहुत कम कॉलेज ऐसे मिलेंगे जहाँ पर आप 12th के मेरिट के बेस पर एडमिशन आपको डायरेक्ट एडमिशन दे देते हैं  लेकिन अगर आप किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेते हैं तो इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम पास करना होगा.

डायलिसिस टेक्नीशियन बनने के लिए फीस कितनी लगती है?

डायलिसिस टेक्नीशियन मे डिग्री और डिप्लोमा दोनों कोर्सेज अवेलेबल होते है दोनों में से आप कोई भी कोर्स कर सकते हैं तो अगर एक एवरेज तौर पर डिप्लोमा और डिग्री कोर्स की फीस देखी जाए तो आपकी ये फीस 50,000 से ₹3,00,000 तक हो सकती है आप डिप्लोमा कोर्स करे या डिग्री कोर्स करें, इसके अलावा आपकी ये फीस आपके कॉलेज पर भी डिपेंड करती है कि आप कौन से कॉलेज में एडमिशन ले रहे हैं.

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स करने के बाद कौन-कौन सी जॉब ओप्पोर्चुनिटीस पा सकते हैं?

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स करने के बाद आप प्राइवेट और गवर्नमेंट दोनों सेक्टर में जॉब ले सकते हैं आप प्राइवेट और गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स, हेल्थकेयर, इंस्टिट्यूट्स, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज़, और इंटरनेशनल हेल्थ केयर आदि में जॉब ले सकते हैं

बीएससी इन डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स करने के बाद आप डायलीसिस टेक्नीशियन, निफ्ट्रोलॉजिस्ट, लैब टेक्नीशियन, मेडिकल असिस्टेंट आदि जैसे पदों पर जॉब पा सकते हैं.

डायलिसिस टेक्नीशियन की सैलरी कितनी होती है?

डायलिसिस टेक्नीशियन (Dialysis Technician kaise bane) आपको स्टार्टिंग में 20,000 से ₹25,000 के लगभग पर मंथ सैलरी मिलती है आपकी ये सैलरी आपके एक्सपीरियंस और स्किल्स पर डिपेंड करती है धीरे धीरे समय और एक्सपीरियंस बढ़ने के साथ साथ आपकी सैलरी भी बढ़ती जाती है.

Thursday, December 1, 2022

बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी

बैचलर ऑफ साइंस इन रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी (बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी) 3 साल की पैरामेडिकल साइंस में अंडरग्रेजुएट डिग्री है। जिसके लिए साइंस स्ट्रीम वाले 12वीं पास छात्र आवेदन कर सकते है। भारत में जामिया हमदर्द, जेएनयू नई दिल्ली, और जिपमर जैसे टॉप कॉलेज बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी में कोर्स प्रदान करते हैं, जिनमें प्रवेश या तो कक्षा 12 वीं की अंको के आधार पर या जेईई मेन, बिटसैट, वीआईटीईईई और अन्य विश्वविद्यालय स्तर की आयोजित एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर किया जाता है।
जबकि इग्नू, सिम्बायोसिस पुणे, शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा जैसे कॉलेज से भी ये कोर्स डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से भी किया सकता है। बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स की फीस लगभग 20,000 - 3,00,000 रुपये है। इस कोर्स को खास उन विद्यार्थियों के लिए डिजाइन किया गया है जो कि एक नर्स या चिकित्सक के रूप में गुर्दे की विफलता वाले रोगियों के लिए हेमोडायलिसिस इलाज करने के योग्य हो।
 बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी कोर्स कने के बाद, कोई भी छात्र सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों में क्लिनिकल कोऑर्डिनेटर, मेडिकल टेक्निशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन, लेक्चरर आदि के रूप में नौकरी पा सकता है। जिसका की औसत सालाना शुरुआती वेतन 2,00,000 है और छात्र के फिल्ड के अनुभव के साथ यह 27,00,00 तक पहुंच सकता है।
 बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी: प्रवेश प्रक्रिया बैचलर ऑफ साइंस (रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी) में प्रवेश निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से संभव है: प्रवेश आधारित प्रवेश • 80% सीटों के लिए UPESEAT के माध्यम से प्रवेश। • प्रवेश के इस तरीके के लिए जेईई मेन्स योग्यता के अलावा उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर (10 वीं और 12 वीं कक्षा) में न्यूनतम कुल स्कोर 60% के अलावा 12 वीं कक्षा में मुख्य विषयों के रूप में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स जैसे विषयों की आवश्यकता होती है। • जेईई मेन्स का कटऑफ जेईई मेन्स के परिणाम घोषित होने के बाद घोषित किया जाता है।

मेरिट आधारित प्रवेश • सीट के 20% तक मेरिट / जेईई मेन्स स्कोर के माध्यम से प्रवेश। • प्रवेश के इस तरीके के लिए उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर (10वीं और 12वीं) में न्यूनतम कुल 80% अंकों की आवश्यकता होती है, जिसमें फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स मुख्य विषय होते हैं। बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी: एलिजिबिलिटी • आवेदकों को मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से विज्ञान की धारा में अपनी कक्षा 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में पास होना चाहिए। • आवेदकों को फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स जैसे विषयों में प्रमाणित परीक्षा में 45 से 50 प्रतिशत (%) के कुल अंक प्राप्त करने चाहिए। • कुछ विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश प्रदान करते हैं, इसलिए, आवेदकों को अपनी पसंद के विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विशिष्ट परीक्षा में बैठने की आवश्यकता होती है। बीएससी रीनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी: प्रवेश के लिए आवेदन कैसे करें? चरण 1: उम्मीदवार को लॉगिन आईडी और पासवर्ड बनाना होगा। चरण 2: विश्वविद्यालय के आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से लॉगिन करें। चरण 3: सभी आवश्यक विवरण भरें और फिर आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। आवश्यक दस्तावेज नीचे दिए गए हैं: • स्कैन की गई 10वीं कक्षा की मार्कशीट • स्कैन की गई 12वीं कक्षा की मार्कशीट • चरित्र प्रमाण पत्र • प्रवासन प्रमाणपत्र • आधार कार्ड • पासपोर्ट के आकार की तस्वीर • उम्मीदवार के हस्ताक्षर • जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) • ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र (यदि लागू हो) • पीडब्ल्यूडी प्रमाणपत्र (यदि लागू हो) चरण 4: सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद, आवेदन शुल्क का भुगतान डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड / नेट बैंकिंग के माध्यम से करें। चरण 5: 'सबमिट बटन' पर क्लिक करें। ये वे चरण हैं जिनका उम्मीदवारों को पालन करना होता है और अधिकांश विश्वविद्यालयों में समान होते हैं।