विश्व का बहुत बड़ा भाग जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में यह तक कहा जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जा सकता है। जल संचयन मौजूदा समय की सबसे बड़ी मांग है। जल संरक्षण व प्रबंधन पर अब सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान भी ज्यादा जोर दे रहे हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए वॉटर मैनेजमेंट के प्रोफेशनल्स की जरूरत बढ़ रही है। ये ऐसे प्रशिक्षित लोग होते हैं, जिन्हें वॉटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट तथा वॉटर रिसाइक्लिंग की अच्छी समझ होती है। उधर, भूजल के स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक तकनीकों की भी मांग बढ़ रही है।
केंद्रीय जल संसाधन विभाग की ओर से जारी राष्ट्रीय जल नीति में भी पानी के कुप्रबंधन पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक प्लानिंग पर जोर देने की बात कही गई है। जाहिर-सी बात है कि दिनो-दिन बढ़ते जल संकट को दूर करने के लिए वॉटर साइंटिस्ट, एन्वायर्नमेंट इंजीनियर, ट्रेंड वॉटर कंजर्वेशनिस्ट या कहें विभिन्न प्रकार के वॉटर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की मांग बनी रहेगी।
जॉब के अवसर
ग्रीन जॉब्स मार्केट में आकर्षक जॉब्स के अवसर बहुत हैं। वॉटर मैनेजमेंट में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जल प्रबंधन से जुड़े सरकारी विभागों में तथा वॉटर प्रोजेक्ट्स में खूब मांग है। निजी क्षेत्र में भी पेयजल आपूर्ति तथा वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट से संबंधित कार्यों के लिए प्रशिक्षित लोगों को ही हायरिंग में तवज्जो दी जा रही है। बड़े-बड़े उद्योग, रियल एस्टेट सेक्टर और एनजीओ भी वॉटर हार्वेस्टिंग डिजाइनिंग तथा जल संचयन के लिए वॉटर मैनेजमेंट की पृष्ठभूमि वाले प्रोफेशनल्स की सेवाएं ले रहे हैं। आप चाहें, तो कंसल्टेंट बनकर भी करियर बना सकते हैं क्योंकि ऐसे लोगों की वॉटर ट्रीटमेंट सिस्टम्स के संचालन और देखरेख के लिए मांग लगातार बढ़ रही है।
कोर्स व क्वॉलिफिकेशन
जल प्रबंधन और संरक्षण पर आधारित कई तरह के कोर्स देश के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में संचालित हो रहे हैं। युवा वॉटर साइंस, वॉटर कंजर्वेशन, वॉटर मैनेजमेंट, वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर ट्रीटमेंट तथा वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट जैसी किसी भी स्ट्रीम में कोर्स करके अपना करियर बना सकते हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में वॉटर हार्वेस्टिंग एंड मैनेजमेंट नाम से ऐसा ही एक सर्टिफिकेट कोर्स संचालित हो रहा है। 10वीं पास युवा यह कोर्स कर सकते हैं। अगर आप बायोलॉजी विषय में 12वीं पास हैं, तो एक्वा साइंस या वॉटर साइंस में बीएससी और एमएससी भी कर सकते हैं। एग्रीकल्चर/ सिविल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग, जियोलॉजी, एन्वायर्नमेंटल स्टडीज या बायोलॉजी में बैचलर्स की पढ़ाई करके वॉटर साइंटिस्ट, एन्वायर्नमेंट इंजीनियर, बायोलॉजिस्ट, हाइड्रो जियोलॉजिस्ट या जियोलॉजिस्ट बन सकते हैं।
सैलरी कितनी?
वॉटर मैनेजमेंट में डिप्लोमाधारी युवा शुरूआत में आसानी से 15 से 25 हजार रुपए प्रति माह सैलरी पा सकते हैं। वहीं, वॉटर साइंटिस्ट या इंजीनियर को भी 30 से 40 हजार रुपए प्रति माह की सैलरी मिल जाती है।
ग्रुप डिस्कशन में इन बातों पर अमल करेंगे तो फायदे में रहेंगे
क्या है वॉटर मैनेजमेंट?
देश-दुनिया में वॉटर कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट की कोशिश कई स्तरों पर चल रही है ताकि दिनो-दिन गहराते जल संकट से पार पाया जा सके। इसके लिए नदियों और भूजल में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने से लेकर भूजल स्तर सुधारने, परंपरागत जल स्रोतों को सुरक्षित रखने तथा आधुनिक तकनीकों के सहारे वॉटर हार्वेस्टिंग की विधियां विकसित करने व वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट जैसे अनेक उपायों पर जोर दिया जा रहा है। कम पानी से कृषि की उत्पादकता बनाए रखने का प्रयास भी इसी मुहिम का हिस्सा है।
प्रमुख संस्थान
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
- अन्ना यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
- गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर
- राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की
- दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली
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