Tuesday, April 27, 2021

जूलॉजी ग्रेजुएट्स

 साइंस के हरेक फील्ड की अपनी कॅरिअर संभावनाएं हैं। आपको सिर्फ अपना रुझान पहचानना होगा और काम का क्षेत्र चुनना होगा। जूलॉजी भी एक ऐसा विषय है, जो बेहतरीन कॅरिअर के अवसर उपलब्ध करवाता है, साथ ही प्रकृति से जुड़ने व उसके संरक्षण में अहम भूमिका निभाने का मौका देता है। जंतुओं के अध्ययन से जुड़े इस विषय में पढ़ाई व रिसर्च के लिए अच्छा स्कोप है। पीजी स्तर पर आप बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंफॉर्मेटिक्स, मेडिसिन, फार्मेसी, वेटरिनरी साइंस, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, इन्वारॅनमेंटल साइंस, फॉरेस्ट्री, मरीन स्टडीज, ह्यूमन जेनेटिक्स, वाइल्ड लाइफ साइंस, सेरिकल्चर टेक्नोलॉजी, फायटोमेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल फिशरीज, मरीन बायोलॉजी, ओशनोग्राफी, एनाटॉमी, एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, कोस्टल एक्वाकल्चर में से कोई एक विकल्प चुनकर बेहतर कॅरिअर की राह पकड़ सकते हैं।

कैसे करें पढ़ाई


जूलॉजी एक विस्तृत विषय है, जो प्रकृति की गोद में पलने वाले जीव जगत के सभी पहलुओं की पड़ताल करता है। यह जीव-जंतुओं के उद्भव और विकास की प्रक्रिया, उनकी संरचना, व्यवहार, क्रिया-कलापों और मानव के लाभ के लिए उनके विभिन्न उपयोगों का अध्ययन करता है। भारत की लगभग सभी यूनिवर्सिटीज जूलॉजी में बीएससी, एमएससी और रिसर्च डिग्री ऑफर करती हैं जहां प्रवेश के लिए मेरिट को आधार बनाया जाता है। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस रिसर्च एंड एजुकेशन, एनसीबीएस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा देनी पड़ती है। वर्तमान में आईआईटी भी माइक्रोबायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक ऑफर कर रहे हैं जिसके लिए 12वीं में बायोलॉजी और मैथ्स के साथ एंट्रेंस एग्जाम देना आवश्यक है।

काम के अवसर


एक मल्टीडिसिप्लीनरी विषय की वजह से जूलॉजी नौकरी के लिए कई मौके देता है। इस विषय के साथ आप इन क्षेत्रों में रोजगार हासिल कर सकते हैं।

सरकारी सेवा
जूलॉजी में स्नातक के साथ इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज एग्जाम दे सकते हैं जो आपको बेहतर कॅरिअर के साथ वन्य प्राणियों के संरक्षण का अवसर भी प्रदान करता है। इसके अलावा पीजी या एम.फिल के साथ जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, देहरादून या द इंडियन काउंसिल फॉर फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन में वैज्ञानिक पद पर काम करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

प्राणी संरक्षण
पर्यावरण में बदलाव और मानव हस्तक्षेप के चलते पूरी दुनिया में जीव प्रजातियां तेजी से विलुप्त होती जा रही हैं जिन्हें बचाने के लिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन जैसे वैश्विक संगठनों के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारें भी जूलॉजी विशेषज्ञों की मदद लेती हैं। प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटना या पशुओं के प्राकृतिक आवास नष्ट होने की स्थिति में एनिमल रीहैबिलिटेटर्स की सेवाएं ली जाती हैं। इनका काम जानवरों की देखभाल, बीमार जंतुओं का इलाज और ठीक होने पर उन्हें दोबारा प्राकृतिक परिवेश में छोड़ना होता है।

मेडिकल
जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी या पैरासाइट बायोलॉजी जैसी शाखाओं के छात्रों के लिए मेडिकल फॉरेंसिक विभाग, टेस्टिंग लैब और मेडिकल रिसर्च में विकल्पों की कोई कमी नहीं है। इसके अलावा आप मानव और पशुओं के लिए दवा निर्माण करने वाली कंपनियों के साथ जुड़कर भी अपने कॅरिअर को ऊंचाइयां दे सकते हैं।

अकादमिक क्षेत्र
जूलॉजी में ग्रेजुएशन के बाद बीएड के साथ स्कूल और कोचिंग संस्थानों में पढ़ा सकते हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढाने के लिए आपको एमएससी के साथ नेट पास करना होगा।

रिसर्च
जूलॉजी में शोध की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। देश और दुनिया की तमाम श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज और अनुसंधान संस्थान जूलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च को महत्व दे रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े वैश्विक संगठनों में भी जूलॉजी के रिसर्चर्स की मांग है। साथ ही कॉस्मेटिक्स, फार्मेसी और एनिमल प्रॉडक्ट्स से जुड़ी कंपनियों में रिसर्च फेलो के तौर पर अच्छा वेतन हासिल कर सकते हैं।

एनिमल हसबैंड्री
भारत में एनिमल हसबैंड्री से जुड़े सभी क्षेत्रों में रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। इनमें मछलीपालन, पोल्ट्री, रेशम उत्पादन और कृषि पशुओं के प्रजनन व रख-रखाव से जुड़े काम शामिल हैं।

जू कीपिंग
जीव-जंतुओं से लगाव रखने वाले जूलॉजी छात्रों के लिए जू कीपिंग एक उम्दा विकल्प है। इनका काम प्राणी संग्रहालय (जू) और एक्वेरियम का रख-रखाव और जानवरों की सही तरीके से देखभाल करना है।

वाइल्डलाइफ एजुकेटर/गाइड
ये वनों में आने वाले पर्यटकों को जानवरों के विषय में जानकारी देने का काम करते हैं।

एनिमल बिहेवियरिस्ट
एनिमल बिहेवियरिस्ट का काम जानवरों के व्यवहार का अध्ययन करना होता है। ये लोग जानवरों के साथ काम करने वाले लोगों को भी प्रशिक्षण देते हैं जिससे वे जानवरों के साथ अच्छे से घुलमिल सकें और उन्हें समझ सकें।

एजुटेनमेंट
लोगों को जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए मीडिया का प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं तो एजुटेनमेंट या एजुकेशनल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री आपके लिए श्रेष्ठ विकल्प है जहां आप डिसक्वरी और नेशनल ज्योग्राफिक जैसे चैनलों के लिए डॉक्यूमेंट्री प्रॉडक्शन, कंटेंट रिसर्च, स्क्रिप्ट राइटिंग, फिल्म मेकिंग, एक्सपर्ट सपोर्ट जैसे काम कर सकते हैं।

यहां से करें कोर्स
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, हैदराबाद
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर
जवाहर लाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी, नई दिल्ली

Sunday, April 25, 2021

ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनकर करें दूसरों की सेवा

ऑपरेशन थियेटर में मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर की एक बड़ी टीम मौजूद होती है। लेकिन डॉक्टर्स की यह टीम तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकती, जब तक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट वहां पर मौजूद न हो। ऐनेस्थियोलॉजिस्ट के काम की शुरूआत तो ऑपरेशन से पहले ही शुरू हो जाती है। दरअसल, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट मरीज को सही तरह से एनेस्थीसिया देता है ताकि बिना किसी दर्द से मरीज का इलाज हो सके। यह काम देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन वास्तव में यह काफी कठिन होता है। एक छोटी सी चूक से मरीज के अंग प्रभावित हो सकते हैं और यही कारण है कि अलग से ऐनेस्थियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। आप भी अगर मेडिकल क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं तो बतौर ऐनेस्थियोलॉजिस्ट ऐसा कर सकते हैं−

क्या होता है काम

एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट का मुख्य काम मरीज को एनेस्थीसिया यानी बेहोश करने वाली दवाई ठीक तरह से देना होता है। उसे इस बात का ध्यान रखना होता है कि मरीज को एनेस्थीसिया देते समय उसे किसी तरह का दर्द न हो, साथ ही वह ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया भी बिना दर्द के पूरी कर ले और उस दौरान उसके सभी अंग ठीक तरह से काम करे। इतना ही नहीं, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सर्जरी से पहले, उस दौरान व बाद में मरीज की ब्रीदिंग, हार्टरेट आदि की मॉनिटरिंग भी करता है।


स्किल्स

चूंकि एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट को टीम के साथ मिलकर काम करना होता है, इसलिए आपको बतौर टीमवर्क काम करना आना चाहिए। इसके अतिरिक्त आपको अपने कार्य की सटीक जानकारी होनी चाहिए। आपकी एक छोटी सी भूल मरीज के जीवन पर भी भारी पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त आपको हमेशा खुद को अपडेट रखने के लिए सेमिनार आदि भी जरूर अटेंड करने चाहिए।

योग्यता

अगर आप ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो आपके पास 12वीं में साइंस विषय के साथ मैथ्स या बॉयोलॉजी का होना अनिवार्य है। इसके बाद आप एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद ऐनेस्थियोलॉजी में एमडी कर सकते हैं।

संभावनाएं

एक प्रोफेशनल ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सरकारी व निजी अस्पतालों से लेकर हेल्थ क्लीनिक, ग्रामीण हेल्थ केयर सेंटर आदि में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल शिक्षण संस्थानों में भी बतौर लेक्चरर भी आप काम कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफरदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बिहार

एसवीएस मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश

अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, केरल

आरजी कार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकाता

Wednesday, April 14, 2021

एस्ट्रोनॉमी में बनाएं अपना कॅरियर

 आसमान में लाखों जगमगाते एवं टिमटिमाते तारों को निहारना दिमाग को सुकून से भर देता है। इन्हें देखने पर मन में यही आता है कि अगली रात में पुन: आने का वायदा कर जगमगाते हुए ये सितारे आखिर कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं?  हालांकि,  इसी तरह के कई अन्य सवालों जैसे उल्कावृष्टि, ग्रहों की गति एवं इन पर जीवन जैसे रहस्यों से ओत-प्रोत बातें सोचकर व्यक्ति खामोश रह जाता है। एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) या खगोल विज्ञान वह करियर है, जो इन सभी रहस्यों, सवालों एवं गुत्थियों को सुलझाता है। अगर आप ब्रह्मांड (Universe) के रहस्यों से दो-चार होकर अंतरिक्ष को छूना चाहते हैं तो यह करियर आपके लिए बेहतर है। वैसे भी कल्पना चावला (Kalpana Chawla), राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) तथा सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) जैसे प्रतिभावान एस्ट्रोनॉट (Astronaut) के कारण आज यह करियर युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।


एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) क्या है

एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) वह विज्ञान है, जो पृथ्वी के वातावरण से परे अंतरिक्ष (Space) से संबंधित है। यह ब्रह्मांड में उपस्थित खगोलीय पिंडों (Celestial Bodies) की गति, प्रकृति और संघटन का शास्त्र है। साथ ही इनके इतिहास और संभावित विकास हेतु प्रतिपादित नियमों का अध्ययन भी है। यह एस्ट्रोलॉजी (Astrology) या ज्योतिष विज्ञान जिसमें सूर्य, चंद्र और विभिन्न ग्रहों द्वारा व्यक्ति के चरित्र, व्यक्तित्व एवं भविष्य पर पडने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है, से पूरी तरह से अलग शास्त्र है। अत्याधुनिक तकनीक एवं गैजेट्स के प्रयोग ने हालांकि एस्ट्रोनॉमी को एक विशिष्ट विधा बना दिया है, परंतु वास्तव में यह बहुत ही पुरानी विधा है। प्राचीन काल से ही मानव ग्रहों (Human Planet) एवं अंतरिक्ष पिंडों (Space Bodies) का अध्ययन करता रहा है, जिनमें आर्यभट्ट (Aryabhatta), भास्कराचार्य (Bhaskaracharya), गैलीलियो (Galileo) और आइजक न्यूटन (Isaac Newton) जैसे महान गणितज्ञों एवं खगोलशास्त्रियों (Astronomers) का महत्वपूर्ण योगदान है। एस्ट्रोनॉमी में अंतरिक्ष पिंडों के बारे में जानकारी संग्रह करने के बाद उपलब्ध आंकडों से तुलना कर निष्कर्ष निकाला जाता है तथा पुराने सिद्घांतों को संशोधित कर नए नियम प्रतिपादित किए जाते हैं।


शैक्षिक योग्यता  (Educational Qualification)

यदि आप भी अंतरिक्ष की रहस्यमय और रोमांचक दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, तो एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) का कोर्स कर सकते हैं। फिजिक्स या मैथमेटिक्स से स्नातक पास स्टूडेंट्स थ्योरेटिकल एस्ट्रोनॉमी (Theoretical Astronomy) के कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। इंस्ट्रूमेंटेशन/ एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी में प्रवेश के लिए बीई (बैचलर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन) की डिग्री जरूरी है। यदि आप पीएचडी कोर्स (फिजिक्स, थ्योरेटिकल व ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी, एटमॉस्फेरिक ऐंड स्पेस साइंस आदि) में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो ज्वाइंट एंट्रेंस स्क्रीनिंग टेस्ट-जेईएसटी (Joint Entrance Screening Test) से गुजरना होगा। इस एग्जाम में बैठने के लिए फिजिक्स में मास्टर डिग्री या फिर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जरूरी है। यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे (University of Pune) में स्पेस साइंस में एमएससी कोर्स उपलब्ध है। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) और कालीकट यूनिवर्सिटी (University of Calicut) से एस्ट्रोनॉमी में एमएससी कोर्स कर सकते हैं।


एस्ट्रोनॉमी के प्रकार (Type of Astronomy)

एस्ट्रोनॉमी में वैज्ञानिक तरीकों से तारे (Stars), ग्रह (Planets), धूमकेतु (Comets) आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही पृथ्वी (Earth) के वायुमंडल के बाहर किस तरह की गतिविधियां हो रही हैं, यह भी जानने की कोशिश की जाती है। इसकी कई ब्रांचेज हैं..


एस्ट्रोकेमिस्ट्री (Astrochemistry): इसमें केमिकल कॉम्पोजिशन (Chemical Composition) के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही विशेषज्ञ स्पेस में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व के बारे में गहन अध्ययन कर जानकारियां एकत्र करते हैं।


एस्ट्रोमैटेरोलॉजी (Astro Meteorology): एस्ट्रोनॉमी के इस हिस्से में खगोलीय चीजों की स्थिति और गति के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। साथ ही, यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि खगोलीय चीजों का पृथ्वी के वायुमंडल पर किस तरह का प्रभाव पडता है। यदि आप वायुमंडल पर पडने वाले खगोलीय प्रभाव को ठीक से समझ गये और इस विद्या का डीप अध्ययन कर लिया तो आपकी डिमांड का ग्राफ बढ जाएगा।


एस्ट्रोफिजिक्स  (Astrophysics): इसके अंतर्गत खगोलीय चीजों की फिजिकल प्रॉपर्टी के बारे में अध्ययन किया जाता है। खगोलीय फिजिकल प्रॉपर्टी को समझना इतना आसान नहीं होता, जितना लोग समझते हैं। इसे समझने में अध्ययन कर रहे स्टूडेंटस को सालों गुजर जाते हैं।


एस्ट्रोजिओलॉजी  (Astrogeology): इसके तहत ग्रहों की संरचना और कॉम्पोजिशन के बारे स्टडी की जाती है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ आप तभी बन सकेंगे जब ग्रहों की तह में जाकर गहन अध्ययन करेंगे। एकाग्रचित होकर की गयी सिस्टमेटिक पढाई ही ग्रहों के फार्मूलों के करीब ले जाएगी। इसे समझने के लिए सोलर सिस्टम, प्लेनेट, स्टार, सेटेलाइट आदि का डीप अध्ययन जरूरी है।

एस्ट्रोबायोलॉजी  (Astrobiology): पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर भी जीवन है? इस बात की पडताल एस्ट्रोबायोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है। एस्ट्रोबायोलॉजी के जानकार ही वायुमंडल के बाहर जीवन होने के रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं, इसके पीछे छुपी होती है उनकी वर्षो की तपस्या।


संभावनाएं (Opportunities)

एस्ट्रोनॉमी का कोर्स पूरा करने के बाद विकल्पों की कमी नहीं रहती है। यदि सरकारी संस्थाओं की बात करें, तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (Indian Space Research Organisation), नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स पुणे (National Centre for Radio Astrophysics), फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद (Physical Research Laboratory), विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Center), स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरीज, स्पेस ऐप्लिकेशंस सेंटर, इंडियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बेंगलुरु, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यदि रिसर्च के क्षेत्र में कुछ वर्षो का अनुभव हासिल कर लें, तो अमेरिका की नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) जैसी संस्थाओं में नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभिन्न देशों में आयोजित सेमिनार एवं गोष्ठियों में हिस्सा लेने का भी अवसर प्राप्त होता है।


सैलरी (Salary)

शोध के दौरान जूनियर रिसर्चर (Junior Researcher) को 8 हजार एवं सीनियर रिसर्चर (Senior Researcher) को 9 हजार रूपये मिलते हैं। हॉस्टल में रहने-खाने, चिकित्सा तथा ट्रैवल की सुविधा संस्थान द्वारा दी जाती है। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार एवं कांफे्रंस में भाग लेने का भी मौका मिलता है। शोध पूरा करने के पश्चात् विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में वैज्ञानिक एवं एस्ट्रोनामर या एस्ट्रोनाट के पद पर उच्च वेतनमान के साथ अन्य उत्कृष्ट सुविधाएं भी मिलती हैं।


कहां से करें कोर्स (Course)

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीवी रमन एवेन्यू, बेंगलुरू

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स,

फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुम्बई

रेडियो एस्ट्रोनॉमी सेंटर, तमिलनाडु

उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद

मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु

पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला, पंजाब

महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम, केरला