Wednesday, May 30, 2018

वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशनिस्ट

अगर आपको वन क्षेत्र और जंगली जीव-जन्तुओं से प्यार है, वन क्षेत्र  में समय बिताने में आपको आनंद आता है तो आप इस क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं। वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशनिस्ट बन कर आप अपनेकरियर को नए आयाम दे सकते हैं।
कैसे पहुंचें मुकाम परकिसी भी बायोलॉजिकल क्षेत्र में बैचलर के बाद एन्वायर्नमेंटल साइंस या वाइल्ड लाइफ बायोलॉजी तथा कन्जर्वेशन या इकोलॉजी में मास्टर्स करना अच्छा रहेगा। इस क्षेत्र में इस विशेषज्ञता के साथ आप अर्थपूर्ण रिसर्च वर्क कर पाएंगे।
योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विज्ञान विषयों के साथ स्नातक डिग्री अनिवार्य है।
कहां से करें कोर्स वाइल्ड लाइफ में मास्टर डिग्री या पीएचडी कर सकते हैं। वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन में मास्टर डिग्री कराने वाले दो संस्थान हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तथा नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज। इन्हें वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन सोसायटी तथा सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज का सहयोग प्राप्त है।  
पारिश्रमिकएंट्री लेवल पर रिसर्चर या जूनियर रिसर्च फेलो को 9 से 12 हजार प्रतिमाह के बीच पारिश्रमिक मिलता है। पोस्ट डॉक्टोरल छात्रों/सीनियर रिसर्च फेलो को प्रतिमाह 12 से 15 हजार रुपए मिलते हैं। असिस्टेंट रिसर्चर को करीब 20,000 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। जैसे-जैसे आप अनुभव हासिल करते जाएंगे, वेतन भी उसी के साथ बढ़ता जाएगा।
फायदे और नुकसानपर्याप्त संतुष्टि मिलती है, क्योंकि जो पढ़ रहे हैं, वही काम करना काफी रोचक होता है।
दुनिया के बेहतरीन इलाकों में जाने का मौका मिलता है।
भावी पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हैं और स्वच्छ तथा स्वस्थ पर्यावरण में योगदान देते हैं।
कार्य की लंबी अवधि।
दक्षताबायोलॉजी, मैथमेटिक्स तथा स्टेटिस्टिक्स में मजबूत पकड़ हो।
वन्यजीवन के प्रति आकर्षण हो।
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल व आंतरिक दक्षता हो।
कंप्यूटर पर काम करने की जानकारी हो।
कार्य स्वरूपफील्ड साइट पर पहुंच कर डेटा एकत्र करना।
फील्ड साइट की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक ऊबड़-खाबड़ और मुश्किल रास्तों पर चढ़ाई या ड्राइव करना होता है।
वन्यजीव विशेषज्ञों से मिलना और बातचीत करना।
साइंटिफिक पेपर, टेक्निकल रिपोर्ट या पॉपुलर ऑर्टिकल्स का काम पूरा करना या अनुदान या वित्तीय सहायता के लिए लिखना तथा नीति निर्माताओं या कॉलेबोरेटर्स से मुलाकात करना।
वाइल्ड लाइफ में आज काफी संभावना है। इस क्षेत्र में पहले के मुकाबले अब वेतनमान काफी बढ़ चुके हैं। साथ ही यह काफी मजेदार फील्ड है, जिसमें काम करने में मजा आएगा।
बेलिंडा राइट, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया
अगर आपको वन क्षेत्र और जंगली जीव-जन्तुओं से प्यार है, वन क्षेत्र में समय बिताने में आपको आनंद आता है तो आप इस क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं। वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशनिस्ट बन कर आप अपनेकरियर को नए आयाम दे सकते हैं।
कैसे पहुंचें मुकाम परकिसी भी बायोलॉजिकल क्षेत्र में बैचलर के बाद एन्वायर्नमेंटल साइंस या वाइल्ड लाइफ बायोलॉजी तथा कन्जर्वेशन या इकोलॉजी में मास्टर्स करना अच्छा रहेगा। इस क्षेत्र में इस विशेषज्ञता के साथ आप अर्थपूर्ण रिसर्च वर्क कर पाएंगे।
प्रमुख संस्थान
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
पोस्ट बॉक्स-18, चंद्रबनी, देहरादून
उत्तराखंड
 http://www.wii.gov.in
नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, जीके वीके बेल्लारी रोड, बेंगलुरू
www.ncbs.res.in
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस,
बेंग्लुरू, 560012
 www.iisc.ernet.in
नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन
गोकुलम पार्क, मैसूर-570002
http://ncf-india.org

Monday, May 28, 2018

BMS में कैरियर

आज के इस मार्केटिंग के दौर में कई मल्टीनेशनल कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं. इन अलग-अलग मल्टीनेशनल कंपनियों में मैनेजमेंट के छात्रों के लिए ढ़ेरों करियर के विकल्प हैं. मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की चाह रखनेवाले छात्रों के लिए बीएमएस एक बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है. 12वीं के बाद बीएमएस में तीन साल की बैचलर डिग्री लेकर आप मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं. आइए BMS में कैरियर के बारे में विस्तार से जानते हैं. BMS में कैरियर - बीएमएस का मतलब है 'बैचलर इन मैनेजमेंट स्टडीज '. बीएमएस कोर्स के दौरान मैनेजमेंट के बारे में थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है. बीएमएस में थ्योरी के अंतर्गत कॉमर्स, ऑर्गेनाइजेशनल बिहैवियर, मैथ्स और मार्केटिंग फाइनेंस जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं. जबकि प्रैक्टिकल नॉलेज के लिए कई सारे प्रोजेक्ट दिए जाते हैं. इस दौरान छात्रों को सिखाया जाता है कि कैसे बिजनेस की फील्ड में अलग-अलग हालात का सामना करना पड़ता है. BMS में कैरियर - एडमिशन के लिए ज़रूरी शर्तें इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए बारहवीं में कम से कम 45 प्रतिशत नंबर आने ज़रूरी हैं. इस कोर्स में एडमिशन पाने के लिए एंट्रेंस टेस्ट देना पड़ता है और इस टेस्ट को पास करने के लिए छात्रों को इंटरव्यू और जीडी यानि ग्रुप डिस्कशन क्लीयर करना पड़ता है. BMS में कैरियर - कहां से करें ये कोर्स ? बारहवीं के बाद किया जाने वाला बीएमएस कोर्स देश के अधिकांश कॉलेजों में उपलब्ध है. भले आप किसी भी राज्य या फिर किसी भी शहर में क्यों न रहते हों. आप इस कोर्स को दिल्ली और मुंबई युनिवर्सिटी के अंतर्गत आनेवाले कई कॉलेजों के से कर सकते हैं. आपको बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस कोर्स की अवधि 4 साल है. जबकि मुंबई यूनिवर्सिटी में इस कोर्स की अवधि 3 साल है. बीएमएस के बाद करियर ऑप्शन बीएमएस कोर्स करने से न सिर्फ आपको बैचलर की डिग्री मिलती है बल्कि इससे आपको मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक्सपर्ट बनने में भी मदद मिलती है. इस कोर्स के बाद छात्र सरकारी नौकरी के लिए कॉम्पटिटिव एग्ज़ाम की तैयारी भी कर सकते हैं इसके साथ ही बैंकिंग और फाइननेंस के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं. इसके अलावा कई मल्टीनेशनल कंपनियों में आप प्रोडक्शन मैनेजर, एचआर मैनेजर, मार्केटिंग मैनेजर, इंफोर्मेशन सिस्टम मैनेजर, रिसर्च एक डेवलपमेंट मैनेजर और बिजनेस कंसल्टेंट के रुप में अपना करियर बना सकते हैं. BMS में कैरियर - इस क्षेत्र में मिलनेवाला पैकेज बीएमएस करने के बाद मैनेजमेंट के क्षेत्र में आप इंटर्नशिप के ज़रिए नौकरी की शुरूआत कर सकते हैं. हालांकि इस क्षेत्र में मिलनेवाली सैलरी कंपनी और काम के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. जहां तक शुरूआती सैलरी की बात है तो करीब 15 हज़ार से 20 हज़ार तक हो सकती है जबकि कुछ कंपनियां इससे ज्यादा सैलरी देती हैं. इस क्षेत्र में जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ेगा आपकी कमाई में भी इज़ाफा होने लगेगा. अगर आप मैनेजमेंट में अपना भविष्य तलाश रहे हैं तो फिर बीएमएस कोर्स करके अपने भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं. 

Friday, May 25, 2018

केमिस्‍ट्री में करियर

हम बहुत सी ऐसी चीजें लेते हैं, जो केमिकल प्रोसेस के जरिए बनी होती हैं। दवाई हो या कॉस्मेटिक्स सभी केमिकल प्रक्रिया के जरिए ही अपना स्वरूप पाते हैं। साइंस की एक प्रमुख ब्रांच होने के चलते केमिस्ट्री एक तरफ  भौतिकी तो दूसरी तरफ  बायोलॉजी को लेते हुए सभी चीजों के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। वैसे केमिस्ट्री के जरिये जब आप तमाम प्रयोग कर कुछ नए तत्त्व बनाते हैं तो यह प्रक्रिया बहुत ही रोमांचकारी होती है। इस फील्ड में काम करने पर आपको पॉलिमर साइंस, फूड प्रोसेसिंग, एनवायरन्मेंट मानिटरिंग, बायो टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में करियर निर्माण का मौका मिलता है। साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में करियर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परंपरागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
वेतनमान
केमिस्ट्री के क्षेत्र प्राइवेट सेक्टर में 20 से 30 हजार तक आरंभिक पैकेज मिलता है। निजी क्षेत्र में आपकी सैलरी आपके अनुभव और कार्यक्षमता पर निर्भर करती है। सरकारी क्षेत्र में 30 हजार से लेकर 50 हजार तक आरंभिक सैलरी मिल जाती है।
प्रमुख संस्थान
* हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला (हिप्र)
* राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धर्मशाला, हिप्र
* राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर, हिप्र
* यूनिवर्सिटी ऑफ  मुंबई, मुंबई
* दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
* सेंट जेवियर्स कालेज, मुंबई
* कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ  साइंस एंड टेक्नोलॉजी, केरल
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
* लोयोला कालेज, चेन्नई
केमिस्ट्री के विभिन्न कोर्स
वर्तमान में केमिस्ट्री की कई ब्रांच चलाई जा रही हैं, जिसमें विभिन्न करियर ऑप्शन चुना जा सकता है। प्योर केमिस्ट्री में पीजी कर सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर व लैब में जा सकते हैं। वहीं फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, एनेलिटिकल केमिस्ट्री में पीजी कर रिसर्च, इंडस्ट्रीज, लैबोरेटरी रिसर्च, ऑयल इंडस्ट्री, गैस इंडस्ट्री, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री,  ओएनजीसी और जीएसई तक में केमिस्ट्री के एप्लिकेंट नियुक्त हो सकते हैं। केमिकल की जांच करने के लिए ज्यादातर इंडस्ट्रीज अब एक केमिस्ट को जरूर नियुक्त करती है। इससे अब केमिस्ट्री का स्कोप काफी बढ़ गया है। करियर आप के कोर्स पर निर्भर है।
क्या है रसायन विज्ञान
यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रक्रया के दौरान इसमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा (साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी, बीएससी (ऑनर्स) डिग्री कोर्स चुन सकते हैं।
केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन
आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनआर्गेनिक केमिस्ट्री, हाइड्रो केमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पोलिमर केमिस्ट्री, बायो केमिस्ट्री, मेडिकल बायो केमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
इन क्षेत्रों में बढ़ रही मांग
ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैंपस प्लेसमेंट आयोजित कर रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रही है और इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्ज की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद को बढि़या पैकेज मिल रहा है।
लाइफ  स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ  स्टाइल प्रोडक्ट्स जिनमें कॉस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशंस केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
ह्यूमन हैल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पालिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है। मनुष्य की सेहत से जुड़ा एक व्यापक क्षेत्र रसायन विज्ञान को कवर करता है। हैल्थ के लिए नए-नए उत्पादों को जांचने का जिम्मा रसायनविद का ही होता है। आजकल मनुष्य सेहत के प्रति वैसे भी सजग हो गया है, तो रसायन विज्ञान में करियर की बेहतर संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। इस क्षेत्र में कुशल होने के बाद कमाई के अवसर कम नहीं हैं।
अवसर यहां भी
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रोडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटीरियल टेक्नोलॉजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रोडक्शन आफिसर और सेफ्टी हैल्थ एंड एन्वायरनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मेन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मेयूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मेन्यूफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।
केंद्रीय विज्ञान भी है रसायन विज्ञान
रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान भी कहते हैं। इसकी वजह यह है कि यह दूसरे विज्ञानों जैसे खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, जीव विज्ञान और भू-विज्ञान को जोड़ता है।
अध्यापन भी है बेहतर विकल्प
अगर आपने केमिस्ट्री से पीजी व नेट का एग्जाम क्वालिफाई कर लिया है तो आपके पास कई यूनिवर्सिटीज व कालेजेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के मौके हैं। अध्यापन के क्षेत्र में भी केमिस्ट्री में अपार संभावनाएं हैं। अध्यापन के जरिए आप इस क्षेत्र में बेहतर साइंटिस्ट तैयार कर सकते हैं।
व्यापक क्षेत्र
रसायन विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा दूसरे विज्ञानों के समन्वय से प्रतिदिन विस्तृत होता जा रहा है। परिणाम स्वरूप आज हम भौतिक एवं रसायन भौतिकी, जीव रसायन, शरीर क्रिया रसायन, सामान्य रसायन, कृषि रसायन आदि अनेक नवीन उपांगों का इस विज्ञान में अध्ययन करते हैं। विज्ञान का दायरा बढ़ता जा रहा है, तो इसके साथ रसायन विज्ञान का भी विस्तार हुआ है।
रसायन विज्ञान की शाखाएं
रसायन विज्ञान की कई शाखाएं हैं, जिन्हें पदार्थों के अध्ययन के आधार पर बांटा गया है। रसायन विज्ञान की शाखाओं में कार्बनिक रसायन, अकार्बनिक रसायन, जैव रसायन, भौतिक रसायन और विश्लेषणात्मक रसायन आदि प्रमुख हैं। कार्बनिक रसायन में कार्बनिक पदार्थों, अकार्बनिक रसायन में अकार्बिनक पदार्थों, जैव रसायन में सूक्ष्म जीवों में उपस्थित पदार्थों, भौतिक रसायन में पदार्थ की बनावट, संघटन और उसमें सन्निहित ऊर्जा और विश्लेषणात्मक रसायन में नमूने के विश्लेषण का अध्ययन किया जाता हैताकि उसकी बनावट और संरचना का पता चल सके।
रसायन विज्ञान और हमारा जीवन
मानव जीवन को समुन्नत करने के लिए रसायन विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है। मानव जाति के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रसायन विज्ञान का विकास अनिवार्य है। यह तभी संभव होगा, जब आमजन इस विज्ञान के प्रति आकर्षित होगा। इस विज्ञान का विवेकपूर्ण प्रयोग करना ही समय की मांग है। संपूर्ण ब्रह्मांड रसायनों का विशाल भंडार है। जिधर भी हमारी नजर जाती है, हमें विविध आकार-प्रकार की वस्तुएं नजर आती हैं। समूचा संसार ही रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला है। रसायन विज्ञान को जीवनोपयोगी विज्ञान की संज्ञा भी दी गई है।

Wednesday, May 23, 2018

कमर्शियल पायलट में करियर

कमर्शियल पायलट का काम बेशक रोमांचकारी है, पर यह बेहद जिम्मेदारी और समझदारी की मांग भी करता है। यदि आप इस जिम्मेदारी को उठाने का साहस खुद में पाते हैं तो एविएशन क्षेत्र का यह महत्वपूर्ण काम आपको एक अच्छा करियर बनाने का अवसर प्रदान कर सकता है। कैसे, बता रहे हैं वेदव्रत काम्बोज
एविएशन सेक्टर में हाल की तमाम उठा-पटक के बावजूद भारत में यह क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है। यदि इस विकास को आंकड़ों में आंका जाए तो यह सेक्टर 25 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है। नई-पुरानी लगभग सभी एयरलाइंस जहाजों के नए बेड़े बनाने में जुटी हैं। इसके अलावा देश के बड़े उद्योगपतियों का निजी विमान रखने की ओर रुझान बढ़ रहा है। जब इंडस्ट्री विकास करेगी और विमानों की संख्या में इजाफा होगा तो कमर्शियल पायलटों की मांग भी बढ़ेगी। फिलहाल भारत में कमर्शियल पायलट मांग के हिसाब से काफी कम हैं। परिणामस्वरूप उपलब्ध पायलटों को ऊंचे से ऊंचे वेतन पर रखा जा रहा है। अगर आपने 12वीं साइंस (फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथमेटिक्स) से की हुई है या करने जा रहे हैं तो आपके लिए यहां अच्छे अवसर हैं।
एक कमर्शियल पायलट का काम हालांकि काफी रोमांच से भरा होता है, लेकिन इसमें जिम्मेदाराना सोच और समझदारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रोमांच इस रूप में कि पायलट को देश-विदेश में घूमने का अवसर मिलता है, उसकी जीवनशैली काफी आकर्षक होती है, वेतन और भत्ते भरपूर होते हैं और जिम्मेदारी इस रूप में कि उसे रोजाना जटिल मशीनों से जूझना पड़ता है, सैकड़ों यात्रियों की सुरक्षित यात्रा का दबाव रहता है, आकाश में उड़ते समय सामने आने वाले तमाम खतरों से जूझना होता है। पर विमान की सफल लैंडिंग गर्व और सम्मान का अनुभव कराती है।
एक कमर्शियल पायलट सभी तरह के एयरक्राफ्ट जैसे विशाल पैसेंजर जेट, कार्गो और चार्टर्ड विमान उड़ाता है। विमान का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है पायलट। उसका काम बेहद विशेषज्ञतापूर्ण होता है। उसमें एयर नेविगेशन का ज्ञान, मौसम संबंधी रिपोर्टो की व्याख्या, इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल कंट्रोल को हैंडल करने की दक्षता, विभिन्न हवाई अड्डों के कंट्रोल टावरों से संपर्क और विपरीत परिस्थितियों में विमान का नेतृत्व करने का सामथ्र्य होना चाहिए। विमान का कैप्टन क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट और ग्राउंड स्टाफ, केबिन क्रू, यात्रियों, कैटरिंग स्टाफ, विमान इंजीनियरों, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और अन्य एजेंसीज से सामन्जस्य बना कर रखता है।
पायलट बनने की यात्रा
कमर्शियल पायलट का स्थान कॉकपिट में होता है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उसे पहले स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल), फिर प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल) और इसके बाद कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) प्राप्त करना होता है। इसके बाद ही वह व्यावसायिक रूप से पायलट के रूप में कार्य कर सकता है। इस स्तर तक पहुंचने से पहले कुछ योग्यताओं का होना जरूरी है।
योग्यता
स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल)

स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल) पहला चरण है। इसे हासिल करने के लिए साइंस विषयों (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथमेटिक्स) में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 पास होना जरूरी है। उम्र न्यूनतम 16 वर्ष होनी चाहिए और ऊंचाई न्यूनतम 5 फुट। आईसाइट 6/6 होनी चाहिए। यदि ये योग्यताएं आप में हैं तो आप किसी फ्लाइंग क्लब में एसपीएल के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। यह क्लब डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए), गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से मान्यताप्राप्त होना चाहिए। मान्यताप्राप्त फ्लाइंग क्लब की जानकारी के लिए आप डीजीसीए की वेबसाइट की सहायता ले सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए मेडिकल  सर्टिफिकेट, सिक्योरिटी क्लियरेंस और एक बैंक गारंटी का होना जरूरी है। एक ऑब्जेक्टिव टैस्ट होगा, जिसमें एयरक्राफ्ट, इंजिन और एयरोडायनेमिक्स की आधारभूत जानकारी की परख की जाती है। एसपीएल परीक्षा पूरे देश में आयोजित की जाती है। 23 फ्लाइंग क्लब एसपीएल जारी करते हैं। इसे करने में करीब एक लाख रुपए खर्च आता है।
प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल)
दूसरा चरण है प्राइवेट पायलट लाइसेंस। इसमें प्रैक्टिकल और थ्योरी, दोनों की परीक्षा होती है। पीपीएल की ट्रेनिंग में साठ घंटों की उड़ान शामिल है, जिसमें लगभग 15 घंटों की डय़ूल फ्लाइट है, जो फ्लाइट इंस्ट्रुक्टर के साथ करनी होती है। तकरीबन तीस घंटों की सोलो फ्लाइट्स और लगभग पांच घंटों की क्रॉस कंट्री फ्लाइट होती हैं। इसमें सफलता के बाद पीपीएल परीक्षा के योग्य मान लिया जाता है। इस परीक्षा में एयर रेगुलेशन, एविएशन मीटरोलॉजी, एयर नेविगेशन, एयरक्राफ्ट इंजन और जहाजरानी के बारे में पूछा जाता है। इस परीक्षा को पास करने की उम्र है 17 साल। शैक्षणिक योग्यता है 10+2 और एक मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है, जिसे आम्र्ड फॉर्स सेंट्रल मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट (एएफसीएमई) जारी करता है। पीपीएल के लिए दो लाख से पांच लाख के बीच खर्च आता है।
कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल)
कमर्शियल पायलट लाइसेंस पीपीएल प्राप्त करने के बाद ही हासिल किया जा सकता है। सीपीएल हासिल करने के लिए 250 घंटों की फ्लाइंग जरूरी है (इसमें साठ घंटों की पीपीएल फ्लाइंग भी शामिल है)। इसके अलावा आपको एक मेडिकल फिटनेस टैस्ट भी देना होगा, जो नई दिल्ली में होता है। एक परीक्षा भी देनी होती है, जिसमें एयर रेगुलेशन्स, एविएशन मीटरोलॉजी, एयर नेविगेशन, टेक्निकल, प्लानिंग और रेडियो तथा वायरलेस ट्रांसमिशन के रूप में कम्युनिकेशन की परीक्षा ली जाती है। सीपीएल प्राप्त करने के बाद आप ट्रेनी को-पायलट के रूप में काम कर सकते हैं। छह से आठ माह की ट्रेनिंग के बाद आप को-पायलट के रूप में काम कर सकते हैं। सीपीएल प्राप्त करने के लिए आठ लाख से पंद्रह लाख रुपए तक खर्च आ सकता है।
व्यक्तिगत गुण
यह अनुशासन, धैर्य, जिम्मेदारी, समयनिष्ठा, प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास का क्षेत्र है। यह काम कठोर मेहनत, दिमागी सतर्कता, सहनशक्ति, मुश्किल टाइम शेडय़ूल के अनुसार काम करने की शक्ति और अच्छी टीम भावना की मांग करता है। यही वजह है कि आपको हर स्थिति में मानसिक रूप से सतर्क रहना होगा। साथ ही किसी आपातकालीन स्थिति में भावनात्मक रूप से स्थिर रहने का गुण भी होना चाहिए। इन तमाम विशेषताओं के अतिरिक्त अपने काम को व्यावसायिक रूप से करने की इच्छाशक्ति के अलावा आपको शांतचित्त, विनम्र, दयालु, उत्साही और तकनीकी रूप से सशक्त होना चाहिए।
जॉब संभावनाएं
भारत में एविएशन सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन के साथ ही कमर्शियल पायलट के लिए अनेक मार्ग खुल गए हैं। वे सरकारी (एयर इंडिया) और प्राइवेट घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस (जेट एयरवेज आदि) में नौकरी की संभावनाएं तलाश सकते हैं। यहां तक कि बड़े कॉरपोरेट घरानों में जहां निजी प्रयोग के लिए विमान रखे हुए हैं, में भी मांग है। कमर्शियल पायलट लाइसेंसधारियों के लिए जॉब की शुरुआत ट्रेनी पायलट के रूप में होती है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आप पायलट या फस्र्ट ऑफिसर का पद प्राप्त कर सकते हैं। पदोन्नति फ्लाइंग के घंटों के अनुभव और विभिन्न प्रोग्राम्स को सफलतापूर्वक पूरा करने पर निर्भर करती है। इसके बाद आप कमांडर या कैप्टन का पद प्राप्त कर सकते हैं और उसके बाद सीनियर कमांडर का।
वेतन
ट्रेनी पायलट- 15,000 से 20,000
फर्स्ट ऑफिसर (जूनियर)- 1,00,000 और अधिक
फर्स्ट ऑफिसर (सीनियर)- 1,80,000 और अधिक
कमांडर- 2,50,000 और अधिक
यह हर ग्रेड में न्यूनतम वेतन है। वैसे यह पायलटों की मांग और उनकी योग्यता पर भी निर्भर करता है।
प्रमुख संस्थान
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी, सीएसएम नगर (रायबरेली)
वेबसाइट
:  www.igrua.gov.in
अहमदाबाद एविएशन एंड एरोनॉटिक्स, अहमदाबाद
वेबसाइट
www.aaa.co.in
करवर एविएशन, बारामती
वेबसाइट
www.lvpei.org
चाइम्स एविएशन एकेडमी, सागर
वेबसाइट
www.caindia.com
गुजरात फ्लाइंग क्लब, वडोदरा
वेबसाइट
www.gujaratflyingclub.com

Tuesday, May 22, 2018

फर्नीचर डिजाइनिंग में करियर

एक समय तक फर्नीचर डिजाइनिंग का काम कारपेंटर ही करते थे, लेकिन आज के दौर में यह एक अलग प्रोफेशन बन चुका है। अगर आप की भी इसमें रुचि है और आप क्रिएटिव हैं तो फर्नीचर डिजाइनर बनकर करियर संवार सकते हैं। संबंधित ट्रेनिंग हासिल कर आप किसी कंपनी में जॉब कर सकते हैं या फिर अपना कारोबार भी शुरू कर सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानिए

पर्सनल स्किल्स
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपमें क्रिएटिव और आर्टिस्टिक सेंस का मजबूत होना अति आवश्यक है, साथ ही कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होनी चाहिए। मार्केटिंग स्किल्स और बिजनेस की भी समझ अनिवार्य है। फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए मार्केट में डिजाइनिंग को लेकर क्या कुछ नया किया जा रहा है, उस ओर भी पैनी नजर रखनी होती है क्योंकि फर्नीचर डिजाइनर का काम एक बेजान लकड़ी में डिजाइन के जरिए उसे आकर्षक रूप देना होता है।

बढ़ रही है डिमांड
फर्नीचर डिजाइनिंग व्यवसाय अब केवल कारपेंटर का काम नहीं रह गया है, बल्कि इसमें कुशल डिजाइनरों की मांग व्यापक स्तर पर बढ़ी है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में बाजार में तकरीबन एक लाख फर्नीचर डिजाइनरों की मांग होगी।उल्लेखनीय है कि फर्नीचर डिजाइनिंग में पैसे कमाने के साथ-साथ अपनी कलात्मक क्षमता को अभिव्यक्त करने का मौका और सृजन की संतुष्टि का अहसास भी मिलता है।

एंट्री प्रोसेस
आमतौर पर फर्नीचर डिजाइनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है, लेकिन कुछ संस्थानों में नामांकन के लिए आवेदन करते समय उम्मीदवार का किसी भी विषय  से 12वीं पास होना आवश्यक है। कुछ समय पहले तक फर्नीचर डिजाइनिंग के विभिन्न कोर्स सामान्यत: डिजाइनिंग केमुख्य कोर्स केअंतर्गत ही कराए जाते थे लेकिन वर्तमान में कई संस्थाओं में फर्नीचर डिजाइनिंग एक स्वतंत्र स्ट्रीम के रूप में भी पढ़ाया जाने लगा है।

मेन कोर्सेस
ट्रेनिंग कोर्सेस की बात करें तो इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कई तरह के प्रोफेशनल कोर्स उपलब्ध हैं। कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग के जरिए भी फर्नीचर कला सीखी जा सकती हैै। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फर्नीचर डिजाइनिंग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक साल की होती है, जबकि डिप्लोमा कोर्स दो साल की अवधि का होता है। फर्नीचर डिजाइनिंग केकई पाठ्यक्रमों केलिए प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के बाद दिया जाता है। इस परीक्षा में आपकी कलात्मक प्रतिभा और सोच को भी परखा जाता है। देश के प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइनिंग, अहमदाबाद में फर्नीचर डिजाइनिंग केपोस्ट ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध हैं। यहां प्रवेश केलिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इंटीरियर डिजाइनिंग के तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में भी फर्नीचर डिजाइनिंग एक महत्वपूर्ण भाग होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग के पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के बाद फर्नीचर डिजाइनिंग में अल्पकालिक विशेषज्ञता कोर्स भी किया जा सकता है

जॉब आॅप्शंस
दिनों-दिन बढ़ती मांग और स्वर्णिम भविष्य की कल्पनाओं के कारण फर्नीचर डिजाइनिंग करियर के रूप में आज युवाओं में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। किसी प्रतिष्ठित संस्थान से फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद किसी भी डिजाइनर के साथ काम किया जा सकता है। फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है या इस क्षेत्र में काम कर रही प्रतिष्ठित कंपनियों से जुड़कर काम कर सकते हैं। भारत में फर्नीचर निर्माण के क्षेत्र में कई विदेशी कंपनियाँ भी आ चुकी हैं। रचनात्मकता और नए डिजाइन के लिए कुशलता के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी जरूरत होती है इसीलिए क्षेत्र में करियर की असीम संभावनाओं को देखते हुए अनेक संस्थानों ने फर्नीचर डिजाइनिंग के कोर्स शुरू किए हैं।
आप इस क्षेत्र में कई बड़ी कंपनियों के लिए डिजाइनिंग का कार्य कर सकते हैं। कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की मदद से अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं। अगर आप अपना स्वयं का रोजगार शुरू करना चाहते हैं,तो डिग्री या डिप्लोमा के आधार पर बैंक से लोन मिल जाता है। फर्नीचर की कई बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां समय-समय पर अपने यहां नियुक्तियां निकालती हैं। इसके अलावा कई प्रशिक्षण संस्थान भी इस फील्ड के अनुभवी लोगों को रोजगार केअवसर मुहैया कराते हैं।

इनकम
फर्नीचर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अनुभव का महत्व सबसे ज्यादा है। उसी आधार पर बाजार में प्रोफेशनल की मांग बढ़ती है। इस फील्ड में अनुभव के आधार पर ही इनकम का दायरा निर्धारित होता है। आजकल फर्नीचर डिजाइनर्स के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह आप एक साथ कई कंपनियों से जुड़ सकते हैं और उनकेलिए डिजाइनिंग कर सकते हैं। प्रशिक्षुओं से कंप्यूटर स्किल्स और कंप्यूटर वर्क की उम्मीद की जाती है। इंटीरियर  डिजाइनिंग केक्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलाव ने फर्नीचर डिजाइनिंग को आज अच्छी इनकम वाला व्यवसाय बना दिया है। फर्नीचर डिजाइनर का शुरुआती वेतन दस से बीस हजार रुपए प्रतिमाह तक हो सकता है। इसकेबाद अनुभव के आधार पर वेतन बढ़ता जाता है। अगर आप स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं तो आय लाखों रुपए में हो सकती है।

प्रमुख संस्थान
एनआईडी, अहमदाबाद
गवर्नमेंट पोलीटेक्निक कॉलेज, चंडीगढ़
इंस्टीट्यूट आॅफ फर्नीचर डिजाइनिंग, पटियाला
गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज, लखनऊ
इंडियन प्लाइवुड इंडस्ट्रीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलुरु

Sunday, May 20, 2018

जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी में करियर

जियोइंफॉर्मेटिक्स के बढ़ते महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब यह सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों में बड़े निर्णयों का आधार बनने लगा है। इसकी मदद से मिलिट्री, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क प्लानिंग, एग्रीकल्चर, मीटिअरोलॉजी, ओशियनोग्राफी और मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट से संबंधित कार्य पहले की तुलना में काफी सुगम हो गए है।

त आपके शहर, घर और पसंदीदा जगहों की सेटेलाइट तस्वीरों की हो या फिर उस जीपीएस तकनीक की, जिसकी मदद से आप कोई पता तलाशते हैं, किसी अनजाने क्षेत्र में जाने के लिए आसान रास्ता ढूंढ़ते हैं या कोई नजदीकी होटल खोजते हैं। कुछ साल पहले तक कोरी कल्पना लगने वाली ये तकनीकें अब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं। यह सब संभव हुआ है जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी के कारण।
क्या है यह तकनीक
जीआईएस या जियोमेटिक्स एक नई वैज्ञानिक अवधारणा है, जिसका इस्तेमाल जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन साइंस या जियोस्पेशल इंफॉर्मेशन स्टडीज में होता है। अकादमिक रूप से यह जियोइंफॉर्मेटिक्स विषय की एक शाखा है। इस विषय के सिद्धांतों को आधार बनाकर तैयार की गई तकनीकों को जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी कहा जाता है। इस तकनीक की मदद से सभी तरह की भौगोलिक सूचनाओं को इकट्ठा करके उनका संग्रहण, विश्लेषण और प्रबंधन किया जा सकता है। इस कार्य में जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और रिमोट सेंसिंग का प्रयोग किया जाता है।
भारत में जियोमेटिक्स का क्षेत्र अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन एक उद्योग के रूप में यह तेजी से विस्तार कर रहा है। इसको अपने  कामकाज के लिए बड़े पैमाने पर स्पेशल डाटा (आकाशीय आंकड़ों) की जरूरत होती है। मगर शुरुआती दौर में होने की वजह से इस उद्योग में कुशल पेशेवरों की कमी बनी हुई है। इस कारण यहां रोजगार और तरक्की की दृष्टि से काफी संभावनाएं हैं।  
जियोइंफॉर्मेटिक्स शब्द जियोग्राफी और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से मिलकर बना है। इस तकनीक का लाभ परिवहन, रक्षा, विनिर्माण और संचार सहित सैकड़ों क्षेत्रों में लिया जा रहा है। अर्बन प्लानिंग, लैंड यूज मैनेजमेंट, इन-कार नेविगेशन सिस्टम, वचरुअल ग्लोब, पब्लिक हेल्थ, इंवायरन्मेंटल मॉडलिंग एंड एनालिसिस, मिलिट्री, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क प्लानिंग एंड मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, मीटिअरोलॉजी, ओशियनोग्राफी एंड एटमॉस्फेयर मॉडलिंग, बिजनेस लोकेशन प्लानिंग, आर्किटेक्चर, आर्कियोलॉजिकल रिकंस्ट्रक्शन, टेलीकम्यूनिकेशंस, क्रिमिनोलॉजी एंड क्राइम सिमुलेशन, एविएशन और मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट आदि से संबंधित कार्यो में जियोइंफॉर्मेटिक्स काफी मददगार साबित हो रहा है।
क्लाइमेट चेंज स्टडीज, टेलीकम्यूनिकेशंस, डिजास्टर मैनेजमेंट और उसकी तैयारियों में इस तकनीक से विशेष मदद मिलती है। इसी तरह बिजनेस लोकेशन प्लानिंग, आर्किटेक्चर और आर्कियोलॉजिकल रिकंस्ट्रक्शन में इस तकनीक को अपनाए जाने के बाद काम की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है। जियोग्राफी और  अर्थ साइंस के विशेषज्ञों और शोधार्थियों को भी इस तकनीक से सटीक अध्ययन में काफी मदद मिली है।
जियोइंफॉर्मेटिक्स के बढ़ते महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब यह सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों में बड़े निर्णयों का आधार भी बनने लगा है। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, पर्यावरण एजेंसियां, सरकार, शोध-शिक्षण संस्थान, सर्वेक्षण और मानचित्रीकरण संगठन अपने कामकाजी फैसलों में इस तकनीक से प्राप्त आकंड़ों को वरीयता देते हैं। कई सरकारी और  गैर-सरकारी संगठनों ने अपने दैनिक कार्यो का प्रबंधन करने के लिए भी स्पेशल डाटा का उपयोग शुरू कर दिया है।
संभावनाएं
जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी में कई तरह के रोजगार उपलब्ध हैं। साथ ही नए-नए अवसर भी इस क्षेत्र में पैदा हो रहे हैं। एनालिस्ट, काटरेग्राफर, सर्वेयर, प्लानर, एरियल फोटोग्राफर और मैपिंग टेक्निशियन आदि रोजगार के कुछ प्रमुख विकल्प हैं, जिन्हें जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रहे छात्र चुन सकते हैं।
प्रमुख रोजगार क्षेत्र और कार्य
’आईटी : जीआईएस प्रोग्रामर और जीआईएस डेवलपर
’इंवायरन्मेंट : इंवायरन्मेंटल प्लानिंग एंड मैनेजमेंट
’गवर्नमेंट (स्टेट एंड सेंट्रल) : को-ऑर्डिनेटर, साइंटिस्ट, रिसर्च एसोसिएट और जीआईएस एग्जिक्यूटिव
’जियोलॉजी : जियोलॉजिकल एंड जियोमॉफरेलॉजिक मैपिंग, टरेन एंड कडैस्ट्रल मैपिंग और माइनिंग
’डिजास्टर मैनेजमेंट : आकलन और राहत कार्यक्रमों में 
’एग्रीकल्चर : फसलों का रकबा जानने और नुकसान का आकलन करने में
’मिलिट्री : युद्ध की योजना बनाने और युद्ध के बाद के प्रभावों का अनुमान लगाने में
’अर्बन : टाउन प्लानिंग, मॉनिटरिंग सर्फेस वाटर और टार्गेटिंग ग्राउंड वाटर
’एजुकेशनल इंस्टीटय़ूट : लेक्चरर, रीडर, साइंटिफिक ऑफिसर और प्रोफेसर
जियोइंफॉर्मेटिक्स कंपनियों में मिलेंगे ये पद
’जीआईएस मैनेजर
’जीआईएस इंजीनियर
’जीआईएस एनालिस्ट/ कंसल्टेंट
’जीआईएस बिजनेस कंसल्टेंट
’जीआईएस प्रोग्रामर
’जीआईएस एग्जिक्यूटिव
उपलब्ध पाठय़क्रम 
’बीटेक इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
’एमएससी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
’एमएससी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग
’एमटेक जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड सर्वेइंग टेक्नोलॉजी
’पीजी डिप्लोमा इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
योग्यता 
जियोइंफॉर्मेटिक्स एक खास क्षेत्र है, जो विषय की बेहतर समझ और गहरी जानकारी की अपेक्षा रखता है। इस क्षेत्र में बतौर छात्र प्रवेश करने के लिए विज्ञान पृष्ठभूमि का होना जरूरी है। जियोग्राफी, जियोलॉजी, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, आईटी और कंप्यूटर साइंस में से किसी एक विषय में बैचलर डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग विषय के एमएससी या एमटेक पाठय़क्रम में दाखिला ले सकते हैं। इसके बाद पीएचडी करने का भी विकल्प रहता है। इन विषयों में शार्ट टर्म डिप्लोमा, सर्टििफकेट और पीजी डिप्लोमा पाठय़क्रम भी उपलब्ध हैं। इस विषय के पाठय़क्रमों में प्रोजेक्शन सिस्टम से संबंधित तकनीकों, एनोटेशन डाइमेंशन एंड प्लॉटिंग, डाटाबेस मैनेजमेंट, 3 डी विजुअलाइजेशन, थिमेटिक मैपिंग, रिमोट सेंसिंग प्लेटफॉर्म, वेब मैपिंग, फोटोग्रामेट्री, काटरेग्राफी, जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम्स और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के बारे में जानकारी दी जाती है।
संबंधित संस्थान 
’    इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून
’    इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, कानपुर और रुड़की
’    बिरला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची, कोलकाता, जयपुर
’    नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, हैदराबाद
’    इसरो, बेंगलुरु
’    जवाहरलाल नेहरू टेक्निकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
’    सिंबायोसिस इंस्टीटय़ूट ऑफ जियोइंफॉर्मेटिक्स
जरूरी गुण
’    जटिल मामलों को सुलझाने का कौशल
’    विश्लेषण करने का हुनर
’    समस्याओं को भांपने और उनका हल तलाशने की काबिलियत
’    अपने विषय से गहरा लगाव
’    नए उपायों को तलाशने का उत्साह
’    रचनात्मकता और सीखने की ललक
’    लिखित व मौखिक रूप में भाषा पर गहरी पकड़
’    नई चीजों को जानने और सीखने में रुचि
’    अपने विषय क्षेत्र की गहरी जानकारी और उसमें हो रहे बदलावों का ज्ञान

Saturday, May 19, 2018

न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में करियर

भारत-अमेरिकी न्यूक्लियर डील के बाद देश में न्यूक्लियर एनर्जी (परमाणु ऊर्जा) के उत्पादन में अत्यधिक बढ़ोतरी की संभावनाएँ देश-विदेश के इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही हैं। फिलहाल देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में परमाणु रिएक्टरों के जरिए मात्र तीन प्रतिशत विद्युत ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।
बायोफ्यूल की लगातार घटती मात्रा और देश में बढ़ती ऊर्जा की माँग देखते हुए ऊर्जा उत्पादन पर बल देना सरकार की प्राथमिकता बन गया है। इसी सोच के तहत वर्ष 2050 तक परमाणु रिएक्टरों के माध्यम से कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा उत्पादित करने की दीर्घकालिक योजना तैयार की गई है। इसी क्रम में वर्ष 2020 तक बीस हजार मेगावाट विद्युत का अतिरिक्त उत्पादन परमाणु ऊर्जा स्रोतों से किया जाएगा।
जाहिर है, ऐसे परमाणु रिएक्टरों के निर्माण कार्य से लेकर इनके संचालन और रख-रखाव तक में ट्रेंड न्यूक्लियर प्रोफेशनल की बड़े पैमाने पर आवश्यकता पड़ेगी। इस प्रकार के कोर्स देश के चुनींदा संस्थानों में फिलहाल उपलब्ध हैं लेकिन समय की मांग देखते हुए यह कहा जा सकता है कि न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र के संस्थान भी इस प्रकार के कोर्सेज की शुरुआत बड़े स्तर पर करने की सोच सकते हैं।
यह कतई जरूरी नहीं कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए न्यूक्लियर साइंस से संबंधित युवाओं के लिए ही अवसर होंगे बल्कि एनर्जी इंजीनियर, न्यूक्लियर फिजिक्स, सिविल इंजीनियर, मेकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों के अलावा भी तमाम ऐसे संबंधित प्रोफेशनलों की आवश्यकता आने वाले दिनों में होगी। सही मायने में देखा जाए तो एनर्जी इंजीनियरिंग अपने आप में अंतर्विषयक धारा है जिसमें इंजीनियरिंग की विविध शाखाओं का ज्ञान समाया हुआ देखा जा सकता है। यही कारण है कि सभी इंजीनियरिंग शाखाओं के युवाओं की जरूरत दिन-प्रतिदिन इस क्षेत्र में बढ़ेगी।

ऊर्जा मंत्रालय के अनुमान को अगर रेखांकित किया जाए तो आगामी पांच वर्षों में भारत को इस क्षेत्र पर लगभग पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश करना होगा तभी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति कर पानी संभव होगी। इसमें विद्युत उत्पादन के विभिन्न स्रोतों जल, थर्मल तथा वायु से तैयार होने वाली विद्युत के अलावा परमाणु भट्टियों से निर्मित विद्युत की भी भागीदारी होगी। अमेरिका के साथ हुई परमाणु संधि के बाद ऐसे रिएक्टरों की स्थापना बड़ी संख्या में होने की संभावना है।
न सिर्फ देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां (एलएंडटी) बल्कि विश्व की तमाम अन्य बड़ी न्यूक्लियर रिएक्टर सप्लायर कंपनियां (जीई हिटैची, वेस्टिंग हाउस इत्यादि) भी इस ओर नजर गड़ाए बैठी हैं। यह कारोबार जैसा कि उल्लेख किया गया है कि कई लाख करोड़ रुपए के बराबर आने वाले दशकों में होने जा रहा है। इसके अलावा अभी सामरिक क्षेत्र में न्यूक्लियर एनर्जी के इस्तेमाल के विभिन्न विकल्पों की भी बात करें तो समूचे परिदृश्य का अंदाजा और वृहद् रूप में मिल सकता है।

जहां तक न्यूक्लियर इंजीनियरों के कार्यकलापों का प्रश्न है तो उनके ऊपर न्यूक्लियर पावर प्लांट की डिजाइनिंग, निर्माण तथा ऑपरेशन का लगभग संपूर्ण दायित्व होता है। जिसका सफलतापूर्वक संचालन, वे अन्य टेक्नीशियन और विशेषज्ञों की मदद से करते हैं। इनके लिए नौकरी के अवसर मेटेरियल इंजीनियरिंग के कार्यकलापों, एमआरआई उपकरण निर्माता कंपनियों, संबंधित उपकरण उत्पादक कंपनियों के अलावा अध्यापन और शोध में भी देश-विदेश में व्यापक पैमाने पर हो सकते हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान, कृषि क्षेत्र, आयुर्विज्ञान तथा अन्य क्षेत्रों में भी ये अपने करियर निर्माण के बारे में सोच सकते हैं।

किस प्रकार की योग्यता जरूरी

विज्ञान की दृढ़ पृष्ठभूमि के साथ भौतिकी एवं गणित में गहन दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए यह तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र निस्संदेह सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। विदेशी विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएट अथवा पोस्ट ग्रेजुएट स्कॉलरों को हाथोहाथ लिया जाता है। अमूमन स्कॉलरशिप मिलना ऐसे युवाओं के लिए मुश्किल नहीं होता।

संस्‍थान:

इंडि‍यन इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी, कानपुर
इंडि‍यन इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
साहा इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ न्‍यूक्‍लि‍यर फि‍जि‍क्‍स कोलकाता

Wednesday, May 16, 2018

साइबर लॉ एक्सपर्ट इंटरनेट के डिटेक्टिव

आज शायद ही कोई स्टूडेंट या प्रोफेशनल हो, जिसका ई-मेल एकाउंट या सोशल वेबसाइटï्स पर कोई प्रोफाइल न हो। इंटरनेट पर समय बिताने या काम करने वाले लोगों की संख्या भी दिनों-दिन बढ़ रही है। अब तो मोबाइल और स्मार्टफोन यूजर्स भी इसमें शामिल हो गए हैं। हालांकि इसके साथ साइबर क्राइम का खतरा भी बढ़ रहा है। पर्सनल एकाउंट की हैकिंग से लेकर वायरस के प्रसार, स्टॉकिंग, साइबर वॉर, साइबर टेररिज्म, साइबर फ्रॉड जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। साइबर रिलेटेड केसेज बढ़ रहे हैं। अगर आप आइटी के साथ-साथ लॉ में भी इंट्रेस्ट रखते हैं, तो साइबर लॉ फील्ड में लुक्रेटिव करियर बना सकते हैं।
क्या है साइबर लॉ?
डिजिटल इंफॉर्मेशन एवं कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी ने एक नए कानूनी कार्यक्षेत्र को जन्म दिया है, जिसे साइबर लॉ कहते हैं। साइबर लॉ के तहत इंटरनेट और साइबर स्पेस से जुड़े मामले सुलझाए जाते हैं। इसके एक्सपर्ट छोटे-बड़े साइबर क्राइम की रोकथाम के अलावा उसकी जांच में सहायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर
पेटेंट, नेट बैंकिंग से जुड़े कानूनी मामले भी यही देखते हैं।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
साइबर लॉ एक्सपर्ट बनने के लिए आपके पास लॉ की डिग्री या मास्टर्स होना आवश्यक है। वैसे, कोई भी लॉयर, आइटी प्रोफेशनल, आइटी सिक्योरिटी पर्सनल, मैनेजमेंट प्रोफेशनल साइबर लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री या डिप्लोमा करके साइबर लॉ एक्सपर्ट बन सकता है। देश में आज ऐसे कई कॉलेज या इंस्टीट्यूट्स हैं, जहां से आप साइबर लॉ में शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कोर्स कर सकते हैं। आप चाहें तो ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते हैं।
टेक्निकल स्किल्स
साइबर लॉ एक नया और तेजी से उभरता हुआ फील्ड है, इसलिए जो लोग इसमें करियर बनाने का इरादा रखते हैं, उन्हें हर संभव मेहनत के लिए तैयार रहना होगा। एक सफल साइबर लॉ एक्सपर्ट होने के लिए आइटी की गहरी जानकारी और दिलचस्पी होने के साथ-साथ साइबर स्पेस की बेहतर समझ होना जरूरी है। साथ ही, साइबर लॉ से जुड़े प्रॉब्लम्स की एनालिसिस और उन्हें सॉल्व करने की क्षमता हो। इसलिए आपको वर्चुअल वल्र्ड की तमाम तकनीकी जटिलताओं का अहसास होना जरूरी है। इसके अलावा, जिनके पास इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, कॉमर्शियल और सिविल लॉ की स्पेशलाइजेशन होगी और जो समय-समय पर खुद को एडवांस टेक्नोलॉजी से अपडेट करते रहेंगे, उन्हें करियर ग्रोथ में मदद मिलेगी।
करियर स्कोप
इंडिया के अलावा पूरी दुनिया में साइबर लॉ एक्सपट्र्स के लिए काफी स्कोप है। आज कंपनीज अपने डाटा को डिजिटली स्टोर कर रही हैं। दूसरी ओर ई-बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ई-टिकटिंग और ई-गवर्नेंस आदि की लोकप्रियता बढ़ रही है। ऐसे में साइबर अपराध और विवाद भी बढ़ रहे हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए निजी आइटी, कंप्यूटर या इंटरनेट बेस्ड कंपनीज से लेकर सरकारी एजेंसीज साइबर लॉ एक्सपट्र्स को हायर कर रही हैं। एक साइबर लॉयर किसी लॉ फर्म, पुलिस डिपार्टमेंट, बैंक, टेक्नोलॉजी फर्म या कॉरपोरेट ऑर्गेनाइजेशन में साइबर कंसल्टेंट, रिसर्च असिस्टेंट या एडवाइजर के रूप में काम कर सकता है।
सैलरी पैकेज
साइबर लॉ एक्सपर्ट का सैलेरी पैकेज उसके एक्सपीरियंस और एक्सपर्टीज पर निर्भर करता है। फ्रेशर को शुरुआत में 10 से 25 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि अनुभवी साइबर लॉ एक्सपर्ट महीने में 50 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है। किसी रिप्यूटेड फर्म को ज्वाइन करते हैं, तो उससे सही करियर ग्रोथ मिलती है।
प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
-एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, मुंबई
-इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली
-एनएएलएसएआर, हैदराबाद
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद,
-एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
एक्सपर्टीज के साथ बढ़ाएं कदम
साइबर स्पेस को संचालित करने वाले कानून को साइबर लॉ कहते हैं। सभी इंटरनेट यूजर्स इस कानून के दायरे में आते हैं। इस तरह साइबर लॉ एक टेक्नो-लीगल फील्ड है, जिसमें टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कानून की जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस तरह पूरी एक्सपर्टीज के साथ आप साइबर लिटिगेशन में सुनहरा करियर बना सकते हैं। मार्केट में डिमांड को देखते हुए एक्सपट्र्स की कमी भी है, जिससे यह और ज्यादा लुक्रेटिव करियर च्वाइस बन सकता है।

Monday, May 14, 2018

मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी

लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एेसी प्रक्रिया है, जिसमें जानकारी, गुड्स और अन्य संसाधनों को शुरुआत से लेकर सप्लाई तक कस्टमर की जरूरतों के अनुसार मैनेज किया जाता है। अन्य शब्दों मंे कहें, तो यह खरीद, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और मटीरियल के डिस्ट्रीब्यूशन को मैनेज करना है। सप्लाई चेन मैनेजमेंट इसका ही एक हिस्सा है, जिसमें इंवेंट्री, ट्रांसपोर्टेशन, वेयरहाउसिंग, मटीरियल हैंडलिंग और पैकेजिंग भी शामिल है। घर, ऑफिस अौर फैक्टरी में होने वाले मटीरियल की सप्लाई की जिम्मेदारी लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी की होती है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स में तेजी के कारण लॉजिस्टिक्स मार्केट के 2020 तक सालाना 12.17 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है। भारत फिलहाल लॉजिस्टिक्स में जीडीपी का 14.4 फीसदी खर्च करता है, जो विकसित देशों में हाेने वाले 8 फीसदी खर्च से कहीं ज्यादा है। नेशनल स्किल डेवलपमेंट की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत के लॉजिस्टिक्स मार्केट में 1.7 करोड़ एम्प्लाॅई काम कर रहे हैं और 2022 तक 1.11 करोड़ अतिरिक्त एम्प्लॉई की आवश्यकता होगी।
देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट मार्केट के 2020 तक 13.35 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। देश के फ्रेट ट्रांसपोर्ट में लगभग 60 फीसदी हिस्सा रोड फ्रेट का है और 2020 तक इसके 15 फीसदी की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। लॉजिस्टिक्स कई प्रकार का हो सकता है जैसे प्रोडक्शन, बिज़नेस और प्रोफेशनल लॉजिस्टिक्स।
अधिकतर कोर्स पीजी स्तर के
लॉजिस्टिक मैनेजमेंट के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके लिए पार्ट टाइम, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और पीजी डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश लिया जा सकता है। किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री करने वाले छात्र इसमें प्रवेश ले सकते हैं। प्रमुख कोर्स में पीजी डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट, एमबीए इन लॉजिस्टिक एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन लॉजिस्टिक्स एंड पोर्ट मैनेजमेंट और एग्जीक्यूटिव पीजी डिप्लोमा इन बिज़नेस लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट एंड एससीएम शामिल हैं। शीर्ष संस्थानों में प्रवेश कैट, मैट, ज़ैट जैसी परीक्षाओं के स्कोर के आधार पर मिलता है। एग्जीक्यूटिव कोर्स में प्रवेश के लिए एक्सपीरियंस जरूरी है।
सभी तरह की कंपनियों में अवसर
छोटी और बड़ी सभी तरह की कम्पनियों में लॉजिस्टिक्स मैनेजर की जरूरत होती है। कई संस्थाएं विश्वभर में लॉजिस्टिक मैनेजर की नियुक्ति करती हैं। यह कम्पनियां मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, इलेक्ट्रिसिटी सप्लायर, लोकल गवर्नमेंट से लेकर आर्मी और चैरिटी संस्थाएं भी हो सकती हैं। रिटेल, क्लियरिंग एंड फाॅरवर्डिंग कंपनी, कूरियर एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट एंटरप्राइजेस में कॅरिअर की बेहतर संभावनाएं होती हैं। इसमें कस्टमर सर्विस मैनेजर, लॉजिस्टिक मैनेजर, मटीरियल मैनेजर, पर्चेस मैनेजर और इंवेंट्री कंट्रोल मैनेजर के पदों पर जॉब की जा सकती है।
कमाई
इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज आमतौर पर अच्छे होते हैं। फ्रेशर को क्वालिफिकेशन और संस्थान के आधार पर प्रति माह 12 हजार से 20 हजार रुपए तक मिलने की संभावना होती है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 35 हजार से 50 हजार रुपए प्रति माह का सैलरी पैकेज मिल सकता है।

Saturday, May 12, 2018

हार्डवेयर, नेटवर्किग में करियर

कम्प्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल और इंटरनेट विस्तार ने उन लोगों के लिए नौकरियों के असीमित अवसर पैदा किए हैं जिनकी रुचि कम्प्यूटर्स में है। वर्चुअल दुनिया में कम्प्यूटर की भूमिका काफी एडवांस्ड हो चुकी है, जहां अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग प्रोफेशनल्स की जरूरत है। इन्हीं कामों के बीच हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग एक ऐसा फील्ड है, जो कुशल कम्प्यूटर प्रशिक्षितों के लिए बेहतर अवसर पैदा कर रहा है।
ऐसे समझें हार्डवेयर और नेटवर्किंग को
दो या अधिक कम्प्यूटर सिस्टम्स के समूह को डेटा और इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए जोड़ने का काम कम्प्यूटर नेटवर्किंग में शामिल होता है। कम्प्यूटर हार्डवेयर रिसर्च और कम्प्यूटर नेटवर्क डेवलपमेंट कंट्रोल से जुड़े प्रोफेशनल्स को हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग इंजीनियर्स कहा जाता है। ये हार्डवेयर की मैन्यूफैक्चरिंग और इंस्टॉलेशन को डिजाइन और सुपरवाइज करने का काम भी करते हैं।
वर्तमान में नेटवर्किंग कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, बायोमेडिसिन, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन, सुपर कम्प्यूटिंग और डिफेंस के फील्ड में क्रांति ला रही है। ईथरनेट से जुड़े सेंसर्स और कंट्रोलर्स के आने के बाद कंपनियां अपने फैक्ट्री फ्लोर को एग्जीक्यूटिव ऑफिस और अन्य क्षेत्रों में बदल रही हैं। यही वजह है कि हार्डवेयर और नेटवर्किंग का क्षेत्र करियर के विकल्प के तौर पर प्रोफेशनल्स को काफी आकर्षित कर रहा है।
क्या है बेसिक योग्यता
इस फील्ड के लिए कम्प्यूटर साइंस/इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक्स/टेलीकम्यूनिकेशन में डिग्री/ डिप्लोमा और उसके बाद कम्प्यूटर हार्डवेयर का कोर्स बेसिक योग्यता है। अगर इंजीनियरिंग का बैकग्राउंड नहीं है, लेकिन कम्प्यूटर फंडामेंटल्स की अच्छी जानकारी है तो भी आप इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं।
उच्च पदों के लिए इन डिग्रियों के अलावा नियोक्ता आपसे ग्लोबल स्टैंडर्डस पर मान्य सर्टिफिकेट्स की भी मांग कर सकते हैं जैसे माइक्रोसॉफ्ट का एमसीएसई, सिस्को का सीसीएनए या सीसीएनपी या सीसीआईई, नॉवल का सीएनई, यूनिक्स एडमिन, लाइनेक्स आदि।
काम के अवसर

टेलीकम्यूनिकेशन और नेटवर्किंग में हो रही तेज ग्रोथ के कारण विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर कम्प्यूटर नेटवर्किंग की अच्छी जानकारी रखने वाले प्रोफेशनल्स की मांग जोरों पर है और वैश्विक स्तर पर यह पाया गया है कि नेटवर्किंग प्रोफेशनल्स की जितनी मांग की जा रही है आपूर्ति उससे कहीं कम है।
हार्डवेयर नेटवर्किंग प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने वाली कुछ जानी-मानी कंपनियां हैं - एसर इंडिया (प्रा) लिमिटेड, केसियो इंडिया कंपनी, माइक्रोचिप टेक्नोलॉजिज इंडिया, कोमार्को वायरलेस टेक्नोलॉजिज, ह्यूलेट पैकार्ड एंड इंटेल कॉर्पोरेशन।
यहां से करें पढ़ाई
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडैक), इंडियन स्कूल ऑफ नेटवर्किग एंड हार्डवेयर टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली जेटकिंग एप्टेक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट।

Friday, May 11, 2018

केमिस्ट्री में अवसर

साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में कॅरिअर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परम्परागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा(साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी/बीएससी(ऑनर्स)डिग्री कोर्स चुन सकते हैं। आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनऑर्गनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोकेमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पॉलिमर केमिस्ट्री, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल बायोकेमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
काम और रोजगार के अवसर :लैब के बाहर और भीतर केमिस्ट्री अपने आपमें काम के अनेक अवसर समेटे हुए है-
ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैम्पस प्लेसमेंट आयोजित रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रहा है अाैर इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद् को बढ़िया पैकेज मिल रहा है।
लाइफ स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ स्टाइल प्रॉडक्ट्स जिनमें काॅस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशन्स केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। 
ह्यूमन हेल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पाॅलिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है।जॉब प्रोफाइल
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रॉडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटेरियल टेक्नोलाॅजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रॉडक्शन आॅफिसर और सेफ्टी हेल्थ एंड इन्वाइरॅनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मैन्यूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मैन्यूफैक्चरिंग, टैक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।
यहां से कर सकते हैं कोर्स
>>यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई
>>दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
>>सेंट जेवियर्स काॅलेज, मुम्बई
>>कोचीन यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी, केरल
>>इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी, खड़गपुर
>>लोयोला काॅलेज, चेन्नई