दसवीं और बारहवीं के स्तर पर साइंस और कॉमर्स के बाद छात्रों या अभिभावकों के सामने ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम शेष रह जाती है। इस स्ट्रीम को हालांकि छात्र और अभिभावक अपनी प्राथमिकता में पहले या दूसरे स्थान पर नहीं रखते, लेकिन बदलते वक्त के साथ इस स्ट्रीम से जुड़ी संभावनाओं का आकाश भी काफी विस्तृत हो गया है। इस लेख के माध्यम से छात्रों को ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम और उसमें निहित अवसरों को जानने-समझने में मदद मिलेगी।
ह्यूमेनिटीज को कुछ वर्ष पहले तक एक ऐसे स्ट्रीम के रूप में देखा जाता था, जो या तो कम बुद्धिमान लोगों के लिए है या शिक्षक बनने की इच्छा रखने वालों के लिए। लेकिन मौजूदा वक्त में यह धारणा अप्रासंगिक हो चुकी है। अब ह्यूमेनिटीज की बदौलत ऊंचे पद, बड़ी उपलब्धियां और तरक्की पाई जा सकती है। शिक्षण के अलावा इसमें सैकड़ों तरह के रोजगार उपलब्ध हैं, जो रुचिकर होने के साथ-साथ अपनी कार्य-प्रकृति में विशिष्ट भी हैं। ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम आपके सामने असीमित विकल्प रखती है। यकीन न हो, तो मानवीय गतिविधियों से जुड़े किसी भी क्षेत्र को देख लीजिए, आप हर क्षेत्र में ह्यूमेनिटीज के छात्रों को सफलता के साथ काम करता हुआ पाएंगे।
क्या है ह्यूमेनिटीज
इस स्ट्रीम के अंतर्गत मुख्य रूप से मानव समाज और उसकी मान्यताओं का अध्ययन किया जाता है। इसके जरिए यह समझने का प्रयास किया जाता है कि लोग स्वयं को कैसे कला, धर्म, साहित्य, वास्तुकला और अन्य रचनात्मक कार्यो आदि के जरिए अभिव्यक्त करते हैं? इस कार्य के लिए इस स्ट्रीम के शोधार्थी एनालिटिकल और हाइपोथिटिकल मेथड का प्रयोग करते हैं। इस स्ट्रीम को मोटे तौर पर परफॉर्मिग आर्ट्स (म्यूजिक), विजुअल आर्ट्स, रिलिजन, लॉ, एंसिएंट/ मॉडर्न लैंग्वेजेस, फिलॉस्फी, लिटरेचर, हिस्ट्री, जियोग्राफी, पॉलिटिकल साइंस, इकोनॉमिक्स, सोशियोलॉजी, साइकोलॉजी आदि विषयों में बांटा जाता है। ह्यूमेनिटीज में कुई ऐसे विषय हैं, जिनकी पढ़ाई के बाद लॉ, जर्नलिज्म, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग और कम्यूनिकेशन आदि प्रोफेशनल पाठय़क्रमों में पोस्ट ग्रेजुएशन किया जा सकता है।
इस स्ट्रीम के अंतर्गत मुख्य रूप से मानव समाज और उसकी मान्यताओं का अध्ययन किया जाता है। इसके जरिए यह समझने का प्रयास किया जाता है कि लोग स्वयं को कैसे कला, धर्म, साहित्य, वास्तुकला और अन्य रचनात्मक कार्यो आदि के जरिए अभिव्यक्त करते हैं? इस कार्य के लिए इस स्ट्रीम के शोधार्थी एनालिटिकल और हाइपोथिटिकल मेथड का प्रयोग करते हैं। इस स्ट्रीम को मोटे तौर पर परफॉर्मिग आर्ट्स (म्यूजिक), विजुअल आर्ट्स, रिलिजन, लॉ, एंसिएंट/ मॉडर्न लैंग्वेजेस, फिलॉस्फी, लिटरेचर, हिस्ट्री, जियोग्राफी, पॉलिटिकल साइंस, इकोनॉमिक्स, सोशियोलॉजी, साइकोलॉजी आदि विषयों में बांटा जाता है। ह्यूमेनिटीज में कुई ऐसे विषय हैं, जिनकी पढ़ाई के बाद लॉ, जर्नलिज्म, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग और कम्यूनिकेशन आदि प्रोफेशनल पाठय़क्रमों में पोस्ट ग्रेजुएशन किया जा सकता है।
ह्यूमेनिटीज के आम जिंदगी में महत्व को इस बात से भी आंका जा सकता है कि अब आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान भी ह्यूमेनिटीज और सोशल साइंसेज में पाठय़क्रम संचालित कर रहे हैं। आईआईटी मद्रास बारहवीं पास छात्रों के लिए ह्यूमेनिटीज में पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड एमए पाठय़क्रम संचालित करता है। इस पाठय़क्रम में दाखिले के लिए यह संस्थान एचएसईई (ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंसेज एंट्रेंस एग्जामिनेशन) नाम से हर साल एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है। इसी तरह आईआईटी गांधीनगर पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर एमए इन सोसायटी एंड कल्चर नाम से पाठय़क्रम संचालित कर रहा है। दसवीं या बारहवीं पास करने वाले काफी छात्रों के मन में एक आम-सा प्रश्न होता है कि ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम को चुनने के बाद उनके करियर का स्वरूप कैसा होगा? इस प्रश्न का कोई सीधा जवाब नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि करियर का स्वरूप काफी हद उनके द्वारा चुने गए पाठय़क्रम पर निर्भर होता है। किसी ह्यूमेनिटीज विषय में डिग्री हासिल करने के बाद आप कई क्षेत्रों में रोजगार पा सकते हैं। स्कूलों, म्यूजियमों, एडवर्टाइजिंग एजेंसियों, अखबारों, आर्ट गैलरियों, पत्रिकाओं और फिल्म स्टूडियो आदि में भी काम के मौके तलाशे जा सकते हैं। इन अवसरों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि समय के साथ ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम पर आधारित संभावनाओं का फलक और विस्तृत हुआ है। सरकारी सेवाओं में जाने की इच्छा रखने वाले छात्र ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम के साथ अपने सपने का साकार कर सकते हैं। वह कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और राज्य लोक सेवा आयोगों की प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में भी अपनी चुनौती पेश कर सकते हैं। चूंकि बैचलर डिग्री स्तर पर आर्ट्स के पाठय़क्रमों में हिस्ट्री, जियोग्राफी और सिविक्स (नागरिक शास्त्र) आदि विषय पढ़ाए जाते हैं, जो तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होते हैं।
ह्यूमेनिटीज की पढ़ाई के लिए जरूरी गुण
- किसी मुद्दे को समझने और उसका मूल्यांकन करने की क्षमता
- मानसिक और कामकाजी स्तर पर रचनात्मकता हो
- काम को व्यवस्थित करने और उन्हें तय समयसीमा में निपटाने का हुनर
- लिखित सामग्री को पढ़ने और उससे खास बिंदुओं को चुनने का कौशल हो
- बड़ी मात्रा में सूचनाओं और तथ्यों को समझने और ग्रहण करने की क्षमता
- अलग-अलग शैलियों में अच्छा लिखने का हुनर हो
- अपनी बात को प्रभावी शब्दों में स्पष्ट रूप से रखने में दक्षता हो
- शोध करने और तथ्यों के स्नोतों का मूल्यांकन करने की क्षमता हो
- चर्चाओं में भाग लेने और उनका नेतृत्व करने में रुचि हो
- निजी प्रेरणा से काम करने का जज्बा हो
- विचारों और सुझावों को व्यावहारिक रूप देने की कला हो
- निष्पक्षता और खुद में पूरा विश्वास हो
- अपनी बातों पर विचार-विमर्श को तैयार रहने का लचीलापन हो
- सांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित शोध में निष्कर्ष निकालने की क्षमता हो
- किसी मुद्दे को समझने और उसका मूल्यांकन करने की क्षमता
- मानसिक और कामकाजी स्तर पर रचनात्मकता हो
- काम को व्यवस्थित करने और उन्हें तय समयसीमा में निपटाने का हुनर
- लिखित सामग्री को पढ़ने और उससे खास बिंदुओं को चुनने का कौशल हो
- बड़ी मात्रा में सूचनाओं और तथ्यों को समझने और ग्रहण करने की क्षमता
- अलग-अलग शैलियों में अच्छा लिखने का हुनर हो
- अपनी बात को प्रभावी शब्दों में स्पष्ट रूप से रखने में दक्षता हो
- शोध करने और तथ्यों के स्नोतों का मूल्यांकन करने की क्षमता हो
- चर्चाओं में भाग लेने और उनका नेतृत्व करने में रुचि हो
- निजी प्रेरणा से काम करने का जज्बा हो
- विचारों और सुझावों को व्यावहारिक रूप देने की कला हो
- निष्पक्षता और खुद में पूरा विश्वास हो
- अपनी बातों पर विचार-विमर्श को तैयार रहने का लचीलापन हो
- सांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित शोध में निष्कर्ष निकालने की क्षमता हो
इन क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं-
- राइटिंग
- प्रोग्राम प्लानिंग
- टीचिंग
- रिसर्च
- इंटरनल कम्यूनिकेशन
- पब्लिक रिलेशन्स
- पॉलिसी रिसर्च एंड एनालिसिस
- एडमिनिस्ट्रेशन
- सोशल वर्क
- मैनेजमेंट
- इंफॉर्मेशन
- जर्नलिज्म
- आर्कियोलॉजी
- एंथ्रोपोलॉजी
- एग्रीकल्चर
- जियोग्राफी
- एनजीओ
- इंडस्ट्रियल रिलेशन
- लाइब्रेरी साइंस
- लिबरल आर्ट्स
- फिलॉस्फी
- रिसर्च असिस्टेंस
- साइकोलॉजी
- राइटिंग
- प्रोग्राम प्लानिंग
- टीचिंग
- रिसर्च
- इंटरनल कम्यूनिकेशन
- पब्लिक रिलेशन्स
- पॉलिसी रिसर्च एंड एनालिसिस
- एडमिनिस्ट्रेशन
- सोशल वर्क
- मैनेजमेंट
- इंफॉर्मेशन
- जर्नलिज्म
- आर्कियोलॉजी
- एंथ्रोपोलॉजी
- एग्रीकल्चर
- जियोग्राफी
- एनजीओ
- इंडस्ट्रियल रिलेशन
- लाइब्रेरी साइंस
- लिबरल आर्ट्स
- फिलॉस्फी
- रिसर्च असिस्टेंस
- साइकोलॉजी
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