Saturday, June 26, 2021

मेडिकल में करियर

मेडिसिन में कोर्सेज और उन कोर्सेज की अवधि

आमतौर पर स्टूडेंट्स 10+2 क्लास पास करने के बाद कोर मेडिकल कोर्सेज में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं. यहां उन कोर्सेज की लिस्ट दी जा रही है जो मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के लिए स्टूडेंट्स चुन सकते हैं ताकि उनके शानदार करियर का निर्माण हो सके:  

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन में अंडरग्रेजुएट कोर्स पूरा करने के बाद, मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के इच्छुक छात्र को ‘एमबीबीएस डॉक्टर’ का शानदार टाइटल मिल जाता है. एमबीबीएस बैचलर ऑफ़ मेडिसिन का संक्षिप्त रूप है. एमबीबीएस कोर्स की अवधि 5 वर्ष की होती है जिसमें डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के लिए 6 माह की ट्रेनिंग भी शामिल है.

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज

मेडिसिन की फील्ड में पोस्ट ग्रेजुएशन को एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) के तौर पर जाना जाता है. यह मेडिसिन की फील्ड में सुपर-स्पेशलाइजेशन है और इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष की है.

डॉक्टोरल कोर्सेज

एमडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, डीएम बनने के लिए छात्र हायर स्टडीज जारी रख सकते हैं. डीएम की डिग्री पीएचडी की डिग्री के समकक्ष है. डॉक्टोरल कोर्स की अवधि 3-4 वर्ष की है. यह अवधि यूनिवर्सिटी गाइडलाइन्स के अनुसार थीसिस पूरी करने के लिए लगने वाले समय पर भी निर्भर करती है.

मेडिकल कॉलेजेस में एडमिशन कैसे लें?

किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त करने के लिए पक्के इरादे और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. इस प्रोफेशन के लिए आपमें न केवल प्रोफेशनल कमिटमेंट ही होनी चाहिए बल्कि, किसी रोगी का जीवन बचाने का जज्बा भी होना चाहिए. इसलिये, यह डिग्री प्राप्त करने के लिए आपको एडमिशन प्रोसेस को पूरी तरह फ़ॉलो करना चाहिए. अब हम मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और एंट्रेंस एग्जाम्स की चर्चा करते हैं. 

एलिजिबिलिटी

अंडरग्रेजुएट कोर्स

इस अंडरग्रेजुएट कोर्स को एमबीबीएस (बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ़ सर्जरी) के नाम से जाना जाता है. 10+2 क्लास में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्र, जिन्हें 12 वीं क्लास में कम से कम 55% मार्क्स प्राप्त हुए हैं, एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

पोस्टग्रेजुएट कोर्स

एमडी (डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन) की डिग्री प्राप्त करने के लिए, छात्र के पास एमबीबीएस की डिग्री और इंटर्नशिप का अनुभव अवश्य होना चाहिए.

डॉक्टोरल कोर्स

डीएम: यह एक डॉक्टरेट डिग्री है जो यूएस की कई यूनिवर्सिटीज सफल छात्रों को प्रदान करती हैं. यह डिग्री पीएचडी के समकक्ष डिग्री है. जिन डॉक्टर्स के पास एमडी की डिग्री होती है, वे यह कोर्स कर सकते हैं.

सैलरी प्रॉस्पेक्ट्स

किसी एमबीबीएस डॉक्टर को अपने करियर की शुरुआत में लगभग 3-4 लाख सैलरी मिलती है. जैसे-जैसे उनका अनुभव और नॉलेज बढ़ते जाते हैं, डॉक्टर्स की सैलरी भी बढ़ती जाती है. कुछ वर्षों के अनुभव के बाद डॉक्टर्स को काफी बढ़िया सैलरी पैकेज मिलते हैं.

एंट्रेंस एग्जाम्स

अंडरग्रेजुएट एग्जाम्स

• एमबीबीए

• एआईपीएमटी (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/ प्री-डेंटल टेस्ट)

• एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंट्रेंस टेस्ट)

• जेआईपीएमईआर (जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट

• क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम

• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्री-मेडिकल टेस्ट (बीएचयू-पीएमटी)

• अंडरग्रेजुएट स्टडीज के लिए मणिपाल विश्वविद्यालय एडमिशन टेस्ट  

पोस्टग्रेजुएट एग्जाम्स

• एआईपीजीईई (ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

• डीयूपीजीएमटी (दिल्ली यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम)

डॉक्टोरल कोर्स एग्जाम

• एनईईटी - एसएस

• जेआईपीएमईआर डीएम

मेडिसिन में एमबीबीएस क्या है?

मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट डिग्री या फर्स्ट प्रोफेशनल डिग्री है. एमबीबीएस कोर्सेज का लक्ष्य छात्रों को मेडिसिन की फील्ड में ट्रेंड करना है. एमबीबीएस पूरी होने पर, कोई व्यक्ति पेशेंट्स के रोगों को डायग्नोस करने के बाद उन्हें मेडिसिन्स प्रिस्क्राइब करने के योग्य बन जाता है. एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ शब्द जोड़ सकता/ सकती है.

मेडिसिन कोर्स की विभिन्न स्ट्रीम्स

मेडिसिन में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्र, 5 वर्ष के इस कोर्स के दौरान, विभिन्न फ़ील्ड्स के बारे में नॉलेज प्राप्त करते हैं. कुछ स्पेशलाइजेशन्स के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

ह्यूमन एनाटोमी

यह मेडिसिन के तहत पढ़ाया जाने वाला एक बेसिक सब्जेक्ट है. यह एनाटोमी विषय से संबंधित है जिसके तहत मानव शरीर की मैक्रोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक एनाटोमी शामिल है.

बायोकेमिस्ट्री

मेडिसिन की यह ब्रांच मानव शरीर के अंदर होने वाली केमिकल प्रोसेस से संबद्ध है. इसके साथ ही यह मानव अंगों पर केमिकल प्रोसेसेस के प्रभाव को समझने पर फोकस करती है.

ऑर्थोपेडिक्स

यह स्पेशलाइजेशन आपके शरीर के हाड-पिंजर या मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम की बीमारियों और जख्मों से संबंधित है. एमबीबीएस करने वाले छात्र बाद में इस विषय में एमडी भी कर सकते हैं.

रेडियोथेरेपी

इस विषय का फोकस एरिया एक्स-रेज़, गामा रेज़, इलेक्ट्रान बीम्स या प्रोटोन्स के बारे में जानकारी देना है ताकि मानव शरीर में कैंसर सेल्स जैसे विकारों को कम या समाप्त किया जा सके.

ऑपथैल्मोलॉजी

इस सब्जेक्ट में आप आंख की रचना और उसके काम करने के तरीकों के बारे में पढ़ते हैं. इस विषय में आंखों की विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के बारे में भी काफी जानकारी दी जाती है.

अनेस्थेसियोलॉजी

अनेस्थेसियोलॉजी विषय में आपको चेतना के साथ या चेतना के बिना अर्थात होश में या बेहोश करके, पूरे शरीर या शरीर के किसी अंग में दर्द महसूस होने या न होने के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि पेशेंट्स के मेजर/ माइनर ऑपरेशन्स किये जा सकें. इसलिए, इस विषय को आपको बड़े ध्यान से पढ़ना होगा.

ह्यूमन फिजियोलॉजी

ह्यूमन फिजियोलॉजी विषय मनुष्यों पर मैकेनिकल, फिजिकल, बायोइलेक्ट्रिकल या बायोकेमिकल फंक्शन्स के प्रभाव के बारे में जानकारी देता है. 

मेडिसिन ग्रेजुएट्स को अन्य कई विषय पढ़ाए जाते हैं. एमडी जैसी हायर स्टडीज में छात्र इनमें से किसी एक विषय में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.

एमबीबीएस (मेडिसिन) डिग्री का स्कोप

चाहे वह कोई प्राइवेट या गवर्नमेंट सेक्टर हो, किसी भी एमबीबीएस डॉक्टर का विशेष महत्व होता है. बहुत बढ़िया सैलरी पैकेज मिलने के साथ ही डॉक्टर्स को अपने स्किल्स की वजह से सम्मान और विशेष पहचान मिलती है. भारत में निरंतर विकास हो रहा है और हेल्थ केयर फैसिलिटीज की तरफ खास ध्यान दिया जा रहा है. देश भर में हेलिकॉप्टर्स के जरिये दी जाने वाली ‘एयर डिस्पेंसरी’ जैसी सर्विसेज, गांव के लोगों की हेल्थ में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण प्रोग्राम्स, नेशनल न्यूट्रीशन मिशन (एनएनएम) और अन्य कई विकास कार्यों ने ऐसे डॉक्टर्स का महत्व काफी बढ़ा दिया है जो हॉस्पिटल की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम करना चाहते हैं.

इसलिये यहां उन इंडस्ट्रीज और फ़ील्ड्स की लिस्ट पेश है जिसमें कोई मेडिसिन डॉक्टर अपनी रूचि के अनुसार काम कर सकता/ सकती है.

हॉस्पिटल्स

ये वे स्थान होते हैं जहां पर सभी बीमार लोग अपने रोगों और तकलीफों का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर्स के पास आते हैं.

फार्मास्यूटिकल और मेडिकल कंपनी

रिसर्चर्स और विशेष रूप से मेडिसिन डॉक्टर्स मेडिकल कंपनियों में आपना शानदार करियर बना सकते हैं. आजकल सिप्ला, रन्बेक्सी, ग्लेक्सो स्मिथ क्लिन जैसी मशहूर और अन्य कई कंपनियां बीमारियों को रोकने या बीमारियों से बचने के लिए मेडिसिन इन्वेंट करने के लिए लाखों डॉलर्स इंवेस्ट करती हैं.

मेडिकल कॉलेजेस

मेडिसिन डॉक्टर्स टीचिंग में भी अपना करियर बना सकते हैं. इससे उन्हें उभरते हुए डॉक्टर्स के साथ अपने ज्ञान को साझा करने के काफी अच्छे अवसर मिलते हैं.

बायोटेक्नोलॉजी कंपनीज 

बायोटेक्नोलॉजी आजकल का खास ट्रेंड है जिसके तहत मेडिसिन डॉक्टर्स की मांग काफी बढ़ती जा रही है. किसी भी एक्सपेरिमेंट के सही फ़ॉर्मूले का पता लगाने के लिए और रिसर्च कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए मेडिसिन डॉक्टर्स का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

प्राइवेट प्रैक्टिस

मेडिसिन की फील्ड में कई वर्षों के अनुभव के बाद, कोई डॉक्टर अपना प्राइवेट क्लिनिक भी खोल सकता/ सकती है. आमतौर पर सही इलाज मिलने पर लोग अपना डॉक्टर बदलना पसंद नहीं करते हैं और लगातार एक ही डॉक्टर के पास जाते हैं. इसलिये, अच्छे डॉक्टर्स के क्लिनिक में पेशेंट्स की काफी भीड़ लगी रहती है.

एक मेडिसिन डॉक्टर क्या करता है?

एमबीबीएस करने के इच्छुक छात्र, जिन्हें मेडिसिन की फील्ड में महारत हासिल होती है, फिजिशियन्स के तौर पर जाने जाते हैं. फिजिशियन्स का काम रोग के कारण का पता लगाना है. इसके बाद, वे रोगी को ट्रीटमेंट कोर्स या उपयुक्त मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते हैं. वे क्लिनिकल टेस्ट्स के रिजल्ट्स की जांच करने में एक्सपर्ट होते हैं.

मेडिसिन की फील्ड में डॉक्टर बनने के लिए, किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत जरुरी है कि वह अन्य लोगों की भावनाओं को हैंडल करने और मैनेज करने के लिए जिम्मेदार रवैया अवश्य अपनाए. उनका आईक्यू और ईक्यू हाई होता है. डॉक्टर्स के लिए यह जरुरी है कि वे पेशेंट्स का इलाज करते समय पोलाइट रहें और धीरज रखें.

मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए करियर प्रॉस्पेक्ट्स

मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए मेडिकल प्रोफेशन काफी अच्छी करियर ग्रोथ ऑफर करता है. हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स के लिए मेडिकल फील्ड में रोज़गार के काफी अवसर मौजूद होते हैं. अब हम विभिन्न जॉब प्रोफाइल्स और उनसे संबद्ध सैलरी पैकेजेज की चर्चा करते हैं:

जॉब प्रोफाइल्स

• जूनियर डॉक्टर

• डॉक्टर्स

• फिजिशियन

• जूनियर सर्जन्स

• मेडिकल प्रोफेसर या लेक्चरर

• रिसर्चर

• साइंटिस्ट

भारत में टॉप मेडिकल कॉलेजेज

हेल्थकेयर हमारी अर्थव्यवस्था की समृद्धि और विकास के लिए लाइफलाइन बन चुका है. इस विकास को जारी रखने के लिए, मेडिसिन की फील्ड में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उनका समाधान तलाशने के लिए तत्पर अति कुशल डॉक्टर्स को तैयार करने में मेडिकल कॉलेज/ इंस्टिट्यूट्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

यहां टॉप 10 मेडिकल कॉलेजेज की लिस्ट दी जा रही है जहां से आप मेडिसिन में अपने रूचि के अनुसार कोई स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सकते हैं. यह लिस्ट एनआईआरएफ रैंकिंग से तैयार की गई है जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा जारी किया गया है और यह लिस्ट भारत के कॉलेजों के लिए एक विशेष मानक के तौर पर मानी जाती है.

क्रम संख्या

इंस्टिट्यूट

लोकेशन

1

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली

नई दिल्ली

2

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

चंडीगढ़

3

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज

वेल्लोर, तमिलनाडु

4

कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज

मनिपाल, कर्नाटक

5

किंग जॉर्ज’स मेडिकल यूनिवर्सिटी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

6

जवाहरलाल  इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

पुडूचेरी

7

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी

उत्तर प्रदेश

8

इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज

नई दिल्ली

9

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

10

श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट

चेन्नई


Monday, June 21, 2021

ऑर्थोपेडिक सर्जन: प्रतिष्ठा के साथ कमाई भी

 ऑर्थोपेडिक सर्जन का रुतबा किसी से भी छुपा नहीं है। यह क्षेत्र जितनी अच्छी कमाई से भरपूर है, इसमें उतनी ही मेहनत भी भरी हुई है। फ्रैक्चर, डिसलोकेशन, ऑर्थराइटिस, हड्डियों में दर्द, सूजन, ऑस्टियोपोरोसिस, बोन ट्यूमर, सेलेब्रल पाल्सी, जोडों में परेशानी, टेंडन इंजरी, मांसपेशियों में खिंचाव, स्लिप डिस्क की परेशानी जैसी कई बीमारियों का इलाज ऑर्थोपेडिक डॉक्टर करता है।

इस क्षेत्र से जुडे़ डॉंक्टर हड्डियों, ज्वाइंट, मांसपेशियों, लिगामेंट, टेंडन व नर्ब्ज के निदानों, लक्षण और इनसे जुडे़ इलाजों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं, क्योंकि यह सारे तत्व मिलकर हमारे शरीर में मसक्यूलोस्केलेटल सिस्टम का निर्माण करते हैं, इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े फिजीशियन को ऑर्थोपेडिक सर्जन कहते हैं। यहां आपका काम सिर्फ ऑपरेशन तक ही सीमित नहीं है, आपको अन्य स्वास्थ्य सेवा व्यवसायी व अन्य फिजिशियन के साथ कंसल्टेंट की तरह भी काम करना होगा। यही नहीं ऑर्थोपेडिक सर्जन की इमरजेंसी केयर में प्रसव के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका हाती है।

कार्य प्रकृति
ओपीडी कंसल्टेशन
मरीजों की शारीरिक जांच करना, उनके एक्सरे, एमआरआई आदि टैस्ट का आदेश देना व उसे जांचना।
मरीजों का ऑपरेशन करना
कई विशेष सर्जरी, जैसे ट्रॉमा सर्जरी, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन सर्जरी और ज्वाइंट के विभिन्न प्रकार के ऑथरेस्कोपिक प्रोसीजर।
सर्जरी के बाद दी जाने वाली सेवाओं की तैयारी करना और मरीजों से उनका हालचाल पूछना व निरीक्षण करना।
अस्पताल में अपने मरीजों और सर्जरी संबंधी सभी चीजों का रिकॉर्ड रखना

कैसे बनेंगे ऑर्थोपेडिक सर्जन
ऑर्थोपेडिक सर्जन बनने के लिए डिग्री और अनुभव काफी जरूरी है। छात्रों को पहले साधारण एमबीबीएस करना होगा, फिर ऑर्थोपेडिक में मास्टर डिग्री या डिप्लोमा लेना होगा। अस्पतालों में लगभग तीन साल वरिष्ठ रेजिडेंट की तरह ऑर्थोपेडिक सर्जरी की प्रेक्टिस करनी होगी।

पाठ्यक्रम
ऑर्थोपेडिक सर्जन बनने के लिए ऑर्थोपेडिक में मास्टर या पीजी डिप्लोमा डिग्री हासिल करनी होती है। इस क्षेत्र में तीन ऑर्थोपेडिक डिग्रियों को मान्यता प्राप्त है, वे हैं
1. मास्टर ऑफ सर्जरी इन ऑर्थोपेडिक्स (एमएस-ऑर्थ)
2. डिप्लोमा ऑर्थोपेडिक्स (डी-ऑर्थ)
3. डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी-ऑर्थ)

मास्टर ऑफ सर्जरी इन ऑर्थोपेडिक्स (एमएस-ऑर्थ)
एमएस-ऑर्थ तीन साल का कोर्स है, जिनमें नेशनल और स्टेट लेवल पर आयोजित प्रवेश परीक्षाओं द्वारा नामांकन होता है।
डिप्लोमा ऑर्थोपेडिक्स (डी-आर्थ) और डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी-ऑर्थ)
डिप्लोमा कोर्स दो साल का होता है। यहां भी प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही नामांकन होता है।

योग्यता
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यताप्राप्त किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री।

खूबियां जो आपमें हों
इस क्षेत्र में सफल होने के लिए अपने कार्य में पूर्ण रूप से समर्पित होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसमें किसी को शारीरिक इलाज नहीं, बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ्य भी किया जाता है, इसीलिए इसमें मेहनत और लगन काफी जरूरी है।

प्रमुख संस्थान
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
www.aiims.edu
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बीएचयू वाराणसी
www.imsbhu.nic.in
क्रिस्टिन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, सीएमसीएच वैल्लोर
www.cmch-vellore.edu
आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, एएफएमसी पुणे
www.afmc.nic.in
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, बैंगलुरू
www.manipal.edu
जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी www.jipmer.edu


Friday, June 18, 2021

इवेंट मैनेजमेंट में अवसर

 युवाओं को ग्लैमर इंडस्ट्री हमेशा से आकर्षित करती रही है। इसमें रोजगार के विकल्प भी काफी बढ़ गए हैं। इवेंट मैनेजमेंट भी चकाचौंध से जुड़ा एक ऐसा ही रोजगार है जो हाल के दिनों में युवाओं द्वारा काफी पसंद किया जाने लगा है। करीब एक दशक पूर्व शुरू हुए इस उद्योग में वार्षिक कई सौ फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। खास बात है कि इस करियर में किसी बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती है, जबकि यहां काम करने वालों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने के मौके मिलते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उपयुक्त प्रतिभा हो तो किसी भी विषय के छात्र इस फील्ड में सफल करियर बना सकते हैं। हर दिन कोई न कोई उत्सव आयोजित किया जाता है। घर में शादी-ब्याह हो या बाहर चुनाव, क्रिकेट जगत में आईपीएल हो या कालेज में सालाना उत्सव, इन सबकी तैयारी के लिए न तो लोगों के पास इतना वक्त होता है और न ही आदमी कि वे समय रहते काम पूरा कर लें। ऐसे में इस तरह के आयोजनों का जिम्मा खास तरह के लोगों को या ऐसे लोगों को दिया जाता है जो इससे जुड़े रहे हों, इस क्षेत्र में खासा अनुभव रखते हो, आयोजन कराने का जिम्मा लेने वाला इसके एवज में अच्छी-खासी रकम वसूलता है। यह काम अब प्रोफेशन के रूप में तबदील हो गया है। इसके लिए कंपनियां बन गई हैं, जहां प्रशिक्षित लोगों की टीम काम करती है। 


क्या करते हैं इवेंट मैनेजर 
इवेंट मैनेजमेंट से जुड़े लोग किसी व्यावसायिक या सामाजिक समारोह को आयोजित करते हैं। इसमें मुख्य रूप से फैशन शो, संगीत समारोह, शादी समारोह, थीम पार्टी, प्रदर्शनी, कारपोरेट सेमिनार, प्रोडक्ट लांचिंग, प्रीमियर के प्रोग्राम आते है। इवेंट मैनेजर क्लाइंट या कंपनी के बजट को ध्यान में रखकर प्रोग्राम का आयोजन करते हैं, होटल या हॉल बुक करने, साज-सज्जा,एंटरटेनमेंट, लंच-डिनर के लिए खास तरह के मेन्यू को तैयार करवाने, गेस्ट के स्वागत तक की व्यवस्था इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप में शामिल लोगों को करनी होती है।

कोर्स से कार्य तक 
इवेंट मैनेजमेंट में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके तहत कारपोरेट इवेंट एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट इनोवेशन, मार्केटिंग, प्रोमोशन जैसे कई तरह के कोर्स हैं। दाखिला लेने वाले छात्रों से पहले पूछा जाता है कि वे किस क्षेत्र में रुचि रखते हैं। इस क्षेत्र में आने से पहले आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आपको अंग्रेजी और हिंदी, दोनों भाषा का अच्छी तरह ज्ञान हो। क्योंकि किसी भी इवेंट में देश-विदेश की भाषाओं के मेहमान आते हैं, उनसे बातचीत के लिए अंग्रेजी एक जरिया बनती है। कारपोरेट इवेंट का काम आमतौर पर बड़े-बड़े होटलों से जुड़ा है। होटलों में दो कंपनियों के बीच व्यापार समझौता और फिर इस खुशी में पार्टी और मनोरंजन जैसी चीजें भी शामिल होती हैं। मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी न हो, यह जिम्मा कारपोरेट इवेंट मैनेजर को निभाना होता है। एंटरटेनमेंट के तहत कहीं सीरियल, तो कहीं फिल्म रिलीज की जाती है। इस काम को एंटरटेनमेंट इवेंट मैनेजर को बखूबी सफल बनाना होता है।

योग्यता 
इस क्षेत्र में करियर तलाशने वालों को 12वीं के बाद ही इस कार्य में अपने को कुशल बनाना चाहिए। पहले इसके लिए ट्रेनिंग या कोर्स की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन अब स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स कराया जा रहा है। पीजी डिप्लोमा करने के लिए किसी भी विषय से आपको स्नातक होना चाहिए।

इवेंट मैनेजमेंट के कोर्स 
BBA in Event Management (तीन साल की बैचलर डिग्री)
MBA in Event Management (BBA के बाद दो साल की डिग्री )
Diploma in Event Management (एक साल)
Post Graduate Diploma in Event Management (एक साल)
Event Management Certificate course (छह माह)
Exhibition Management Certificate course (छह माह)
Fashion Event Management Certificate course (छह माह)

संभावनाओं की भरमार 
इवेंट मैनेजमेंट में उज्ज्वल भविष्य की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। दरअसल यह काम कुछ हद तक जनसंपर्क एजेंसियों से काफी मेल खाता है। बड़ी उत्पादक कंपनियां अपने नए उत्पाद को बाजार में उतारने से पहले कारपोरेट जगत में अपनी पहचान बनाने या किसी उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए कई तरह के इवेंट करवाती रहती हैं। बजट के अनुसार सारे कार्यक्रम इवेंट मैनेजमेंट से जुड़े लोगों का ही काम होता है। इसमें तडक़-भडक़ वाले कार्यक्रमों का भव्य आयोजन मुख्य कार्य है। किसी कार्यक्रम के अधिक से अधिक टिकट बेचने, उसे लोकप्रिय बनाने, लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापनों को आकर्षक बनाने की रूपरेखा भी अकसर इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां ही तैयार करती हैं। वैसे मौजूदा समय में औद्योगिक घरानों के घरेलू समारोह, शादी, जन्मदिन, वर्षगांठ के बड़े पैमाने पर आयोजन की जिम्मेदारी भी इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को ही सौंपी जाने लगी है।

ग्लैमर से गठजोड़ 
इवेंट मैनेजमेंट का करियर एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ग्लैमर सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस फील्ड में आने वाले युवा का ज्यादातर समय सार्वजनिक समारोहों में ही गुजरता है। चाहे कोई फैशन शो हो, कोई फिल्म लांचिंग का मौका हो, इवेंट मैनेजर की वहां पर खास भूमिका होती है। यानी की इवेंट मैनेजमेंट के करियर में बोरडम के लिए कोई स्पेस नहीं है। इस वजह से भी युवाओं में इस करियर के लिए काफी क्रेज है।

असीमित आमदनी 
फ्रेशर्स आसानी से कम से कम 10000 रुपए प्रति माह कमा सकते हैं। और यदि किसी बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई, तो 15000 रुपए या इससे ज्यादा भी मिल सकते हैं। अनुभव प्राप्त करने के बाद इवेंट मैनेजर के पद पर पहुंच सकते हैं, तब एक महीने में ही एक लाख रुपए तक भी कमाए जा सकते हैं। यदि अपनी कंपनी खोल ली जाए, तो अच्छी कमाई के साथ अपना भविष्य तो बना ही सकते हैं साथ ही दूसरों का भी भविष्य बुलंद कर सकते हैं। सच तो यह है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें वेतन और कमाई की कोई सीमा नहीं है।

प्रमुख संस्थान 
एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, नई दिल्ली
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई
इवेंट मैनेजमेंट डिवेलपमेंट इंस्टीट्यूट, मुंबई
नेशनल इंस्टीट्यूट फार मीडिया स्टडीज, अहमदाबाद
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
कालेज ऑफ इवेंट एंड मैनेजमेंट, पुणे
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई
नेशनल एकेडमी ऑफ इवेंट मैनेजमेंट एंड डिवेलपमेंट जयपुर
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इवेंट एंड मार्केटिंग, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, मुंबई

Tuesday, April 27, 2021

जूलॉजी ग्रेजुएट्स

 साइंस के हरेक फील्ड की अपनी कॅरिअर संभावनाएं हैं। आपको सिर्फ अपना रुझान पहचानना होगा और काम का क्षेत्र चुनना होगा। जूलॉजी भी एक ऐसा विषय है, जो बेहतरीन कॅरिअर के अवसर उपलब्ध करवाता है, साथ ही प्रकृति से जुड़ने व उसके संरक्षण में अहम भूमिका निभाने का मौका देता है। जंतुओं के अध्ययन से जुड़े इस विषय में पढ़ाई व रिसर्च के लिए अच्छा स्कोप है। पीजी स्तर पर आप बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंफॉर्मेटिक्स, मेडिसिन, फार्मेसी, वेटरिनरी साइंस, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, इन्वारॅनमेंटल साइंस, फॉरेस्ट्री, मरीन स्टडीज, ह्यूमन जेनेटिक्स, वाइल्ड लाइफ साइंस, सेरिकल्चर टेक्नोलॉजी, फायटोमेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल फिशरीज, मरीन बायोलॉजी, ओशनोग्राफी, एनाटॉमी, एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, कोस्टल एक्वाकल्चर में से कोई एक विकल्प चुनकर बेहतर कॅरिअर की राह पकड़ सकते हैं।

कैसे करें पढ़ाई


जूलॉजी एक विस्तृत विषय है, जो प्रकृति की गोद में पलने वाले जीव जगत के सभी पहलुओं की पड़ताल करता है। यह जीव-जंतुओं के उद्भव और विकास की प्रक्रिया, उनकी संरचना, व्यवहार, क्रिया-कलापों और मानव के लाभ के लिए उनके विभिन्न उपयोगों का अध्ययन करता है। भारत की लगभग सभी यूनिवर्सिटीज जूलॉजी में बीएससी, एमएससी और रिसर्च डिग्री ऑफर करती हैं जहां प्रवेश के लिए मेरिट को आधार बनाया जाता है। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस रिसर्च एंड एजुकेशन, एनसीबीएस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा देनी पड़ती है। वर्तमान में आईआईटी भी माइक्रोबायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक ऑफर कर रहे हैं जिसके लिए 12वीं में बायोलॉजी और मैथ्स के साथ एंट्रेंस एग्जाम देना आवश्यक है।

काम के अवसर


एक मल्टीडिसिप्लीनरी विषय की वजह से जूलॉजी नौकरी के लिए कई मौके देता है। इस विषय के साथ आप इन क्षेत्रों में रोजगार हासिल कर सकते हैं।

सरकारी सेवा
जूलॉजी में स्नातक के साथ इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज एग्जाम दे सकते हैं जो आपको बेहतर कॅरिअर के साथ वन्य प्राणियों के संरक्षण का अवसर भी प्रदान करता है। इसके अलावा पीजी या एम.फिल के साथ जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, देहरादून या द इंडियन काउंसिल फॉर फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन में वैज्ञानिक पद पर काम करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

प्राणी संरक्षण
पर्यावरण में बदलाव और मानव हस्तक्षेप के चलते पूरी दुनिया में जीव प्रजातियां तेजी से विलुप्त होती जा रही हैं जिन्हें बचाने के लिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन जैसे वैश्विक संगठनों के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारें भी जूलॉजी विशेषज्ञों की मदद लेती हैं। प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटना या पशुओं के प्राकृतिक आवास नष्ट होने की स्थिति में एनिमल रीहैबिलिटेटर्स की सेवाएं ली जाती हैं। इनका काम जानवरों की देखभाल, बीमार जंतुओं का इलाज और ठीक होने पर उन्हें दोबारा प्राकृतिक परिवेश में छोड़ना होता है।

मेडिकल
जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी या पैरासाइट बायोलॉजी जैसी शाखाओं के छात्रों के लिए मेडिकल फॉरेंसिक विभाग, टेस्टिंग लैब और मेडिकल रिसर्च में विकल्पों की कोई कमी नहीं है। इसके अलावा आप मानव और पशुओं के लिए दवा निर्माण करने वाली कंपनियों के साथ जुड़कर भी अपने कॅरिअर को ऊंचाइयां दे सकते हैं।

अकादमिक क्षेत्र
जूलॉजी में ग्रेजुएशन के बाद बीएड के साथ स्कूल और कोचिंग संस्थानों में पढ़ा सकते हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढाने के लिए आपको एमएससी के साथ नेट पास करना होगा।

रिसर्च
जूलॉजी में शोध की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। देश और दुनिया की तमाम श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज और अनुसंधान संस्थान जूलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च को महत्व दे रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े वैश्विक संगठनों में भी जूलॉजी के रिसर्चर्स की मांग है। साथ ही कॉस्मेटिक्स, फार्मेसी और एनिमल प्रॉडक्ट्स से जुड़ी कंपनियों में रिसर्च फेलो के तौर पर अच्छा वेतन हासिल कर सकते हैं।

एनिमल हसबैंड्री
भारत में एनिमल हसबैंड्री से जुड़े सभी क्षेत्रों में रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। इनमें मछलीपालन, पोल्ट्री, रेशम उत्पादन और कृषि पशुओं के प्रजनन व रख-रखाव से जुड़े काम शामिल हैं।

जू कीपिंग
जीव-जंतुओं से लगाव रखने वाले जूलॉजी छात्रों के लिए जू कीपिंग एक उम्दा विकल्प है। इनका काम प्राणी संग्रहालय (जू) और एक्वेरियम का रख-रखाव और जानवरों की सही तरीके से देखभाल करना है।

वाइल्डलाइफ एजुकेटर/गाइड
ये वनों में आने वाले पर्यटकों को जानवरों के विषय में जानकारी देने का काम करते हैं।

एनिमल बिहेवियरिस्ट
एनिमल बिहेवियरिस्ट का काम जानवरों के व्यवहार का अध्ययन करना होता है। ये लोग जानवरों के साथ काम करने वाले लोगों को भी प्रशिक्षण देते हैं जिससे वे जानवरों के साथ अच्छे से घुलमिल सकें और उन्हें समझ सकें।

एजुटेनमेंट
लोगों को जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए मीडिया का प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं तो एजुटेनमेंट या एजुकेशनल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री आपके लिए श्रेष्ठ विकल्प है जहां आप डिसक्वरी और नेशनल ज्योग्राफिक जैसे चैनलों के लिए डॉक्यूमेंट्री प्रॉडक्शन, कंटेंट रिसर्च, स्क्रिप्ट राइटिंग, फिल्म मेकिंग, एक्सपर्ट सपोर्ट जैसे काम कर सकते हैं।

यहां से करें कोर्स
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, हैदराबाद
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर
जवाहर लाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी, नई दिल्ली

Sunday, April 25, 2021

ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनकर करें दूसरों की सेवा

ऑपरेशन थियेटर में मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर की एक बड़ी टीम मौजूद होती है। लेकिन डॉक्टर्स की यह टीम तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकती, जब तक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट वहां पर मौजूद न हो। ऐनेस्थियोलॉजिस्ट के काम की शुरूआत तो ऑपरेशन से पहले ही शुरू हो जाती है। दरअसल, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट मरीज को सही तरह से एनेस्थीसिया देता है ताकि बिना किसी दर्द से मरीज का इलाज हो सके। यह काम देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन वास्तव में यह काफी कठिन होता है। एक छोटी सी चूक से मरीज के अंग प्रभावित हो सकते हैं और यही कारण है कि अलग से ऐनेस्थियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। आप भी अगर मेडिकल क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं तो बतौर ऐनेस्थियोलॉजिस्ट ऐसा कर सकते हैं−

क्या होता है काम

एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट का मुख्य काम मरीज को एनेस्थीसिया यानी बेहोश करने वाली दवाई ठीक तरह से देना होता है। उसे इस बात का ध्यान रखना होता है कि मरीज को एनेस्थीसिया देते समय उसे किसी तरह का दर्द न हो, साथ ही वह ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया भी बिना दर्द के पूरी कर ले और उस दौरान उसके सभी अंग ठीक तरह से काम करे। इतना ही नहीं, एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सर्जरी से पहले, उस दौरान व बाद में मरीज की ब्रीदिंग, हार्टरेट आदि की मॉनिटरिंग भी करता है।


स्किल्स

चूंकि एक ऐनेस्थियोलॉजिस्ट को टीम के साथ मिलकर काम करना होता है, इसलिए आपको बतौर टीमवर्क काम करना आना चाहिए। इसके अतिरिक्त आपको अपने कार्य की सटीक जानकारी होनी चाहिए। आपकी एक छोटी सी भूल मरीज के जीवन पर भी भारी पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त आपको हमेशा खुद को अपडेट रखने के लिए सेमिनार आदि भी जरूर अटेंड करने चाहिए।

योग्यता

अगर आप ऐनेस्थियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं तो आपके पास 12वीं में साइंस विषय के साथ मैथ्स या बॉयोलॉजी का होना अनिवार्य है। इसके बाद आप एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद ऐनेस्थियोलॉजी में एमडी कर सकते हैं।

संभावनाएं

एक प्रोफेशनल ऐनेस्थियोलॉजिस्ट सरकारी व निजी अस्पतालों से लेकर हेल्थ क्लीनिक, ग्रामीण हेल्थ केयर सेंटर आदि में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल शिक्षण संस्थानों में भी बतौर लेक्चरर भी आप काम कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफरदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बिहार

एसवीएस मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश

अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, केरल

आरजी कार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकाता

Wednesday, April 14, 2021

एस्ट्रोनॉमी में बनाएं अपना कॅरियर

 आसमान में लाखों जगमगाते एवं टिमटिमाते तारों को निहारना दिमाग को सुकून से भर देता है। इन्हें देखने पर मन में यही आता है कि अगली रात में पुन: आने का वायदा कर जगमगाते हुए ये सितारे आखिर कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं?  हालांकि,  इसी तरह के कई अन्य सवालों जैसे उल्कावृष्टि, ग्रहों की गति एवं इन पर जीवन जैसे रहस्यों से ओत-प्रोत बातें सोचकर व्यक्ति खामोश रह जाता है। एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) या खगोल विज्ञान वह करियर है, जो इन सभी रहस्यों, सवालों एवं गुत्थियों को सुलझाता है। अगर आप ब्रह्मांड (Universe) के रहस्यों से दो-चार होकर अंतरिक्ष को छूना चाहते हैं तो यह करियर आपके लिए बेहतर है। वैसे भी कल्पना चावला (Kalpana Chawla), राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) तथा सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) जैसे प्रतिभावान एस्ट्रोनॉट (Astronaut) के कारण आज यह करियर युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।


एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) क्या है

एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) वह विज्ञान है, जो पृथ्वी के वातावरण से परे अंतरिक्ष (Space) से संबंधित है। यह ब्रह्मांड में उपस्थित खगोलीय पिंडों (Celestial Bodies) की गति, प्रकृति और संघटन का शास्त्र है। साथ ही इनके इतिहास और संभावित विकास हेतु प्रतिपादित नियमों का अध्ययन भी है। यह एस्ट्रोलॉजी (Astrology) या ज्योतिष विज्ञान जिसमें सूर्य, चंद्र और विभिन्न ग्रहों द्वारा व्यक्ति के चरित्र, व्यक्तित्व एवं भविष्य पर पडने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है, से पूरी तरह से अलग शास्त्र है। अत्याधुनिक तकनीक एवं गैजेट्स के प्रयोग ने हालांकि एस्ट्रोनॉमी को एक विशिष्ट विधा बना दिया है, परंतु वास्तव में यह बहुत ही पुरानी विधा है। प्राचीन काल से ही मानव ग्रहों (Human Planet) एवं अंतरिक्ष पिंडों (Space Bodies) का अध्ययन करता रहा है, जिनमें आर्यभट्ट (Aryabhatta), भास्कराचार्य (Bhaskaracharya), गैलीलियो (Galileo) और आइजक न्यूटन (Isaac Newton) जैसे महान गणितज्ञों एवं खगोलशास्त्रियों (Astronomers) का महत्वपूर्ण योगदान है। एस्ट्रोनॉमी में अंतरिक्ष पिंडों के बारे में जानकारी संग्रह करने के बाद उपलब्ध आंकडों से तुलना कर निष्कर्ष निकाला जाता है तथा पुराने सिद्घांतों को संशोधित कर नए नियम प्रतिपादित किए जाते हैं।


शैक्षिक योग्यता  (Educational Qualification)

यदि आप भी अंतरिक्ष की रहस्यमय और रोमांचक दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, तो एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) का कोर्स कर सकते हैं। फिजिक्स या मैथमेटिक्स से स्नातक पास स्टूडेंट्स थ्योरेटिकल एस्ट्रोनॉमी (Theoretical Astronomy) के कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। इंस्ट्रूमेंटेशन/ एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी में प्रवेश के लिए बीई (बैचलर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक/ इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन) की डिग्री जरूरी है। यदि आप पीएचडी कोर्स (फिजिक्स, थ्योरेटिकल व ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी, एटमॉस्फेरिक ऐंड स्पेस साइंस आदि) में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो ज्वाइंट एंट्रेंस स्क्रीनिंग टेस्ट-जेईएसटी (Joint Entrance Screening Test) से गुजरना होगा। इस एग्जाम में बैठने के लिए फिजिक्स में मास्टर डिग्री या फिर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जरूरी है। यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे (University of Pune) में स्पेस साइंस में एमएससी कोर्स उपलब्ध है। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) और कालीकट यूनिवर्सिटी (University of Calicut) से एस्ट्रोनॉमी में एमएससी कोर्स कर सकते हैं।


एस्ट्रोनॉमी के प्रकार (Type of Astronomy)

एस्ट्रोनॉमी में वैज्ञानिक तरीकों से तारे (Stars), ग्रह (Planets), धूमकेतु (Comets) आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही पृथ्वी (Earth) के वायुमंडल के बाहर किस तरह की गतिविधियां हो रही हैं, यह भी जानने की कोशिश की जाती है। इसकी कई ब्रांचेज हैं..


एस्ट्रोकेमिस्ट्री (Astrochemistry): इसमें केमिकल कॉम्पोजिशन (Chemical Composition) के बारे में अध्ययन किया जाता है। साथ ही विशेषज्ञ स्पेस में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व के बारे में गहन अध्ययन कर जानकारियां एकत्र करते हैं।


एस्ट्रोमैटेरोलॉजी (Astro Meteorology): एस्ट्रोनॉमी के इस हिस्से में खगोलीय चीजों की स्थिति और गति के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। साथ ही, यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि खगोलीय चीजों का पृथ्वी के वायुमंडल पर किस तरह का प्रभाव पडता है। यदि आप वायुमंडल पर पडने वाले खगोलीय प्रभाव को ठीक से समझ गये और इस विद्या का डीप अध्ययन कर लिया तो आपकी डिमांड का ग्राफ बढ जाएगा।


एस्ट्रोफिजिक्स  (Astrophysics): इसके अंतर्गत खगोलीय चीजों की फिजिकल प्रॉपर्टी के बारे में अध्ययन किया जाता है। खगोलीय फिजिकल प्रॉपर्टी को समझना इतना आसान नहीं होता, जितना लोग समझते हैं। इसे समझने में अध्ययन कर रहे स्टूडेंटस को सालों गुजर जाते हैं।


एस्ट्रोजिओलॉजी  (Astrogeology): इसके तहत ग्रहों की संरचना और कॉम्पोजिशन के बारे स्टडी की जाती है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ आप तभी बन सकेंगे जब ग्रहों की तह में जाकर गहन अध्ययन करेंगे। एकाग्रचित होकर की गयी सिस्टमेटिक पढाई ही ग्रहों के फार्मूलों के करीब ले जाएगी। इसे समझने के लिए सोलर सिस्टम, प्लेनेट, स्टार, सेटेलाइट आदि का डीप अध्ययन जरूरी है।

एस्ट्रोबायोलॉजी  (Astrobiology): पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर भी जीवन है? इस बात की पडताल एस्ट्रोबायोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है। एस्ट्रोबायोलॉजी के जानकार ही वायुमंडल के बाहर जीवन होने के रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं, इसके पीछे छुपी होती है उनकी वर्षो की तपस्या।


संभावनाएं (Opportunities)

एस्ट्रोनॉमी का कोर्स पूरा करने के बाद विकल्पों की कमी नहीं रहती है। यदि सरकारी संस्थाओं की बात करें, तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (Indian Space Research Organisation), नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स पुणे (National Centre for Radio Astrophysics), फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद (Physical Research Laboratory), विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Center), स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरीज, स्पेस ऐप्लिकेशंस सेंटर, इंडियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बेंगलुरु, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यदि रिसर्च के क्षेत्र में कुछ वर्षो का अनुभव हासिल कर लें, तो अमेरिका की नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) जैसी संस्थाओं में नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभिन्न देशों में आयोजित सेमिनार एवं गोष्ठियों में हिस्सा लेने का भी अवसर प्राप्त होता है।


सैलरी (Salary)

शोध के दौरान जूनियर रिसर्चर (Junior Researcher) को 8 हजार एवं सीनियर रिसर्चर (Senior Researcher) को 9 हजार रूपये मिलते हैं। हॉस्टल में रहने-खाने, चिकित्सा तथा ट्रैवल की सुविधा संस्थान द्वारा दी जाती है। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार एवं कांफे्रंस में भाग लेने का भी मौका मिलता है। शोध पूरा करने के पश्चात् विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में वैज्ञानिक एवं एस्ट्रोनामर या एस्ट्रोनाट के पद पर उच्च वेतनमान के साथ अन्य उत्कृष्ट सुविधाएं भी मिलती हैं।


कहां से करें कोर्स (Course)

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीवी रमन एवेन्यू, बेंगलुरू

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स,

फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुम्बई

रेडियो एस्ट्रोनॉमी सेंटर, तमिलनाडु

उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद

मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु

पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला, पंजाब

महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम, केरला

Wednesday, March 3, 2021

केमिस्ट्री में करियर

साइंस के हरेक विषय की खासियत है कि वह अपनी अलग-अलग शाखाओं में कॅरिअर और रिसर्च के ढेरों बेहतरीन अवसर देता है। केमिस्ट्री भी ऐसा ही एक विषय है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाला यह विज्ञान नौकरी के मौकों से भरपूर है। साथ ही परम्परागत सोच रखने वालों को भी अब यह समझ आ गया है कि केमिस्ट्री प्रयोगशाला के बाहर भी ढेरों अवसर पैदा कर रही है और इंडस्ट्री आधारित बेहतरीन जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में भविष्य के लिहाज से यह एक सुरक्षित विकल्प है।
क्या पढ़ना होगा
केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा(साइंस) अच्छे अंकों से पास करने के बाद केमिकल साइंस में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम का विकल्प चुन सकते हैं या फिर केमिस्ट्री में बीएससी/बीएससी(ऑनर्स)डिग्री कोर्स चुन सकते हैं। आगे चलकर एनालिटिकल केमिस्ट्री, इनऑर्गनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोकेमिस्ट्री, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पॉलिमर केमिस्ट्री, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल बायोकेमिस्ट्री और टेक्सटाइल केमिस्ट्री में स्पेशलाइजेशन के जरिए आप एक मजबूत करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
काम और रोजगार के अवसर : लैब के बाहर और भीतर केमिस्ट्री अपने आपमें काम के अनेक अवसर समेटे हुए है-
ऊर्जा एवं पर्यावरण
रसायनों के मिश्रण या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन बदलावों ने बड़ी संख्या में रसायन तकनीशियनों की बाजार मांग पैदा कर दी है। ढेरों कंपनियां ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कैम्पस प्लेसमेंट आयोजित रही हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर लगातार पर्यावरण को नुकसान न करने वाले उत्पाद बनाने का दबाव बना हुआ है। ऐसे में संबंधित रसायनों पर लगातार रिसर्च हो रहा है अाैर इस तरह के उत्पाद बनाने वाले प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स की जरूरत बढ़ती जा रही है। खासकर रेजीन उत्पाद संबंधी क्षेत्रों में उत्कृष्ट रसायनविद् को बढ़िया पैकेज मिल रहा है।
लाइफ स्टाइल एंड रिक्रिएशन
नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ ने नए रसायनों के मिश्रण और आइडियाज के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ स्टाइल प्रॉडक्ट्स जिनमें काॅस्मेटिक्स से लेकर एनर्जी ड्रिंक्स तक शामिल हैं, ने केमिस्ट्री स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हाउस होल्ड गुड्स साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस केमिस्ट, एप्लीकेशन्स केमिस्ट और रिसर्चर जैसे पदों पर काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। 
ह्यूमन हेल्थ
रक्षा उत्पादों के बाद ड्रग एंड फार्मा इंडस्ट्री दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला उद्योग है। इसी के चलते फार्मेसी और ड्रग इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट और ड्रगिस्ट की भारी मांग मार्केट में लगातार बनी रहने वाली है। इसके अलावा मेडिसिनल केमिस्ट, एसोसिएट रिसर्चर, एनालिटिकल साइंटिस्ट और पाॅलिसी रिसर्चर जैसे पदों पर भी रसायनविदों की जरूरत रहती है।
जॉब प्रोफाइल
रसायन विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में पारंगत विशेषज्ञ एनालिटिकल केमिस्ट, शिक्षक, लैब केमिस्ट, प्रॉडक्शन केमिस्ट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजर, आर एंड डी डायरेक्टर, केमिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट, बायोमेडिकल केमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटेरियल टेक्नोलाॅजिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रॉडक्शन आॅफिसर और सेफ्टी हेल्थ एंड इन्वाइरॅनमेंट स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं। फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरिंग, केमिकल मैन्यूफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, पेंट मैन्यूफैक्चरिंग, टैक्सटाइल्स, फोरेंसिक और सिरेमिक्स जैसी इंडस्ट्रीज में पेशेवरों की मांग बनी हुई है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
>>यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई
>>दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
>>सेंट जेवियर्स काॅलेज, मुम्बई
>>कोचीन यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी, केरल
>>इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी, खड़गपुर
>>लोयोला काॅलेज, चेन्नई