Friday, March 29, 2019

प्रोग्रामिंग की भाषा में कॅरिअर

अगर आप इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी फील्ड में एंट्री करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपको सबसे पहले आईटी फील्ड की लैंग्वेज को समझना और सीखना जरूरी है। जानते हैं आईटी इंडस्ट्री में कौन-कौन सी लैंग्वेजेज डिमांड में हैं..
सी-लैंग्वेज
सी को मदर ऑफ ऑल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज भी कहा जाता है। सभी पॉपुलर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज सी से ही जन्मी हैं। एटी एंड टी बेल लैब्स में काम करने के दौरान डेनिस रिची ने 1972 में इसे डेवलप किया था। सी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली लैंग्वेज है। दुनिया के बेहतरीन कंप्यूटर आर्किटेक्चर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स सी-लैंग्वेज बेस्ड हैं। सी-लैंग्वेज में स्ट्रक्चर्ड प्रोग्रामिंग के साथ क्रॉस प्लेटफॉर्म प्रोग्रामिंग की भी कैपेबिलिटी है। इसके सोर्स कोड में कुछ बदलाव करके कई कंप्यूटर प्लेटफॉ‌र्म्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है। यही वजह है कि माइक्रोकंट्रोलर्स से लेकर सुपरकंप्यूटर्स में सी-लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है। 
एचटीएमएल/सीएसएस
एचटीएमएल को हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज कहा जाता है, यह व‌र्ल्ड वाइड वेब के किसी भी कंटेंट की स्ट्रक्चरिंग मार्कअप लैंग्वेज है और इंटरनेट की कोर टेक्नोलॉजी है। एचटीएमएल के जरिए किसी भी वेबसाइट की स्ट्रक्चरिंग की जाती है। इस लैंग्वेज के जरिए इमेजेज और ऑब्जेक्ट्स को इंटरैक्टिव डिजाइनिंग में कनवर्ट किया जाता है। वहीं, कैसकेडिंग स्टाइल शीट्स (सीएसएस) स्टाइल शीट लैंग्वेज है, जो एचटीएमएल में कोडेड किसी भी डॉक्यूमेंट की डिजाइनिंग करने में यूज होती है। आमतौर पर एचटीएमएल और एक्सएचटीएमएल में कोडेड वेब पेजेज को सीएसएस एप्लीकेशन के जरिए ही स्टाइल किया जाता है। इसके अलावा यह किसी भी तरह के एक्सटेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज (एक्सएमएल), स्केलेबल वेक्टर ग्राफिक्स (एसवीजी) और एक्सएमएल यूजर इंटरफेस लैंग्वेज (एक्सयूएल) डॉक्यूमेंट्स में यूज की जाती है। टैबलेट्स, स्मार्टफोंस और क्लाउड होस्टेड सर्विसेज की डिमांड बढ़ने से इसकी काफी डिमांड है। 
पीएचपी
हाइपरटेक्स्ट प्री-प्रोसेसर यानी पीएचपी सर्वर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जिसका यूज वेब डेवलपमेंट के साथ आम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी होता है। ओपन सोर्स होने की वजह से पीएचपी आज 24 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स और 20 लाख वेब सर्वर्स में इस्तेमाल हो रहा है। कैहाइ-स्पीड स्क्रिप्टिंग और ऑगमेंटेड कंपाइलिंग कोड प्लग-इंस जैसी खासियतों के चलते इसे लैंग्वेजेज का फ्यूचर भी कहा जा रहा है। फेसबुक, विकीपीडिया और वर्डप्रेस जैसी हाई-प्रोफाइल साइट्स की पॉपुलरिटी के पीछे पीएचपी का ही हाथ है। 
जावा स्क्रिप्ट
जावा स्क्रिप्ट असल में ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जो जावा का हल्का वर्जन है। इसे क्लाइंट-साइड लैंग्वेज भी कहा जाता है, क्योंकि ईजी कमांड्स, ईजी कोड्स होने की वजह से यह क्लाइंट-साइड वेब ब्राउजर में इस्तेमाल की जाती है। आज जावा स्क्रिप्ट का इस्तेमाल वेब पेजेज में फॉ‌र्म्स ऑथेंटिकेशन, ब्राउजर डिटेक्शन और डिजाइन इंप्रूव करने में किया जा रहा है। आपके फेवरेट ब्राउजर क्रोम एक्सटेंशंस, एपल का सफारी एक्सटेंशंस, अडोब एक्रोबैट रीडर और अडोब क्रिएटिव सूट जैसी एप्लीकेशंस जावा स्क्रिप्ट कोडिंग के बिना अधूरी हैं। 
पायथन
बेहद ईजी कोड्स होने की वजह से कोई भी इसे बेहद आसानी से सीख सकता है। इसका इस्तेमाल वेबसाइट्स और मोबाइल एप्स की स्क्रिप्ट राइटिंग में काफी किया जाता है। पायथन और थर्ड पार्टी टूल्स की मदद से किसी भी प्रोग्राम को कंपाइल किया जा सकता है। इंस्टाग्राम, पिनटेरेस्ट, गूगल और याहू समेत कई वेब एप्लीकेशंस और इंटरनेट प्लेटफॉ‌र्म्स हैं, जहां पायथन का बखूबी इस्तेमाल हो रहा है। 
एसक्यूएल
स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज यानी एसक्यूएल अपनी ओपन सोर्स होने की खासियतों के चलते डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम में सबसे ज्यादा यूज की जा रही है, जिससे डाटाबेस को मल्टी-यूजर एक्सेस देना संभव हो पाया है। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को अमेरिकन नेशनल स्टैंड‌र्ड्स इंस्टीट्यूट (एएनएसआइ) और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंड‌र्ड्स (आउएसओ) ने 1980 में 
डेवलप किया था। आज एसक्यूएल का इस्तेमाल डाटा इंसर्ट, क्वेरी, अपडेट एंड डिलीट, मोडिफिकेशन और डाटा एक्सेस कंट्रोल में किया जा रहा है।
विजुअल बेसिक
माइक्रोसॉफ्ट के डॉट नेट फ्रेमवर्क में विजुअल बेसिक का इस्तेमाल होता है और डॉट नेट फ्रेमवर्क के बिना माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विजुअल बेसिक माइक्रोसॉफ्ट के डॉट नेट फ्रेमवर्क की रीढ़ की हड्डी है। 1991 में माइक्रोसॉफ्ट ने इस इरादे के साथ इसे डेवलप किया था, ताकि डेवलपर्स आसानी से इसे सीख सकें और इस्तेमाल कर सकें। इसकी मदद से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआइ) एप्लीकेशंस, डाटाबेस एक्सेस, रिमोट डाटा ऑब्जेक्ट्स और एक्टिवएक्स कंट्रोल्स को डेवलप किया जा सकता है। 
5
जावा
जावा लैंग्वेज को 1990 में सन माइक्रोसिस्टम्स के जैम्स गॉस्लिंग ने डेवलप किया था। जावा पूरी तरह से ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। आज एमपी3 प्लेयर से लेकर बड़ी से बड़ी एप्लीकेशन जावा के बिना अधूरी है। जावा को दोबारा कंपाइल किए बिना ही एप्लीकेशन डेवलपर्स प्रोग्राम को किसी दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी आसानी से चला सकते हैं यानी राइट वंस, रन एनीव्हेयर। इन दिनों जावा का इस्तेमाल एंटरप्राइजेज सॉफ्टवेयर, वेब बेस्ड कंटेंट, गेम्स, मोबाइल एप्स और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में बखूबी किया जा रहा है। 
सी++
मल्टी-पैराडाइम स्पैनिंग लैंग्वेज होने के चलते इसमें हाइ-लेवल और लो-लेवल लैंग्वेज, दोनों के फीचर हैं। सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को व्यापक बनाने के लिए 1979 में इसे शुरू किया गया था। सिस्टम्स सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, सर्वर व क्लाइंट एप्लीकेशंस और एंटरटेनमेंट सॉफ्टवेयर्स जैसे वीडियो गेम्स की लोकप्रियता के पीछे इस लैंग्वेज का अहम योगदान है। फायरफॉक्स, विनएंप और अडोबी के कई प्रोग्राम्स इस लैंग्वेज में ही लिखे गए हैं। 
ऑब्जेक्टिव-सी
ऑब्जेक्टिव-सी को ब्रैड कॉक्स और टॉम लव की कंपनी स्टेपस्टोन ने 1980 की शुरुआत में डेवलप किया था। यह ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिग लैंग्वेज है, जिसका इस्तेमाल सी लैंग्वेज के सपोर्ट में किया जाता है। इस लैंग्वेज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एपल आइओएस और मैक ओएस एक्स में हो रहा है।

Monday, March 25, 2019

कमा लो बूंद-बूंद पानी

प्रकृति को बचाने की मुहिम के परिणामस्वरूप ग्रीन जॉब्स का एक बड़ा मार्केट खड़ा हो रहा है, जहां पे-पैकेज भी अच्छा है। इसमें भी वॉटर कंजर्वेशन का फील्ड इंटेलिजेंट यूथ में काफी पसंद किया जा रहा है....
बिजली की बचत, सोलर व विंड एनर्जी?का मैक्सिमम यूटिलाइजेशन करने वाली इमारतें बनाने वाले आर्किटेक्ट, वॉटर रीसाइकल सिस्टम लगाने वाला प्लंबर, कंपनियों में जल संरक्षण से संबंधित रिसर्च वर्क और सलाह देने वाले, ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में काम करने वाले एक्सपर्ट, पारिस्थितिकी तंत्र व जैव विविधता को कायम रखने के गुर सिखाने वाले एक्सपर्ट, प्रदूषण की मात्रा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के तरीके बताने वाले एक्सपर्ट...अपने आस-पास नजर दौड़ाइए तो ऐसे अनगिनत प्रोफेशनल्स दिख जाएंगे, जो किसी न किसी रूप में ग्रीन कैम्पेन से जुड़े हुए हैं।?
वॉटर कंर्जवेशन पर जोर
नदियों की सफाई, वर्षाजल का भंडारण, मकानों के निर्माण के साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली की स्थापना, नदियों की बाढ़ से आने वाले पानी को सूखाग्रस्त इलाकों के लिए संग्रहित करना, सीवेज जल का प्रबंधन कर खेती आदि के कार्यकलापों में इस्तेमाल आदि पर आधारित योजनाओं का क्रियान्वयन सभी देशों में किया जा रहा है। जल प्रबंधन एवं संरक्षण पर आधारित कोर्सेज अब औपचारिक तौर पर तमाम देशों में अस्तित्व में आ गए हैं। पहले परंपरागत विधियों एवं प्रणालियों से जल बर्बादी को रोकने तक ही समस्त उपाय सीमित थे। आज देश में स्कूल स्तर से लेकर यूनिवर्सिटीज में एमई और एमटेक तक के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। वॉटर साइंस, वॉटर कंजर्वेशन वॉटर मैनेजमेंट, वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर ट्रीटमेंट, वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट कई स्ट्रीम्स हैं जिन्हें चुनकर आप इस फील्ड में करियर बना सकते हैं।
वॉॅटर साइंस
हवा और जमीन पर उपलब्ध पानी और उससे जुड़े प्रॉसेस का साइंस वाटर साइंस कहलाता है। इससे जुड़े प्रोफेशनल वॉटर साइंटिस्ट कहलाते हैं।
वॉटर साइंस का स्कोप
केमिकल वॉटर साइंस : वॉटर की केमिकल क्वालिटीज की स्टडी।
इकोलॉजी : लिविंग क्रिएचर्स और वॉॅटर-साइंस साइकल के बीच इंटरकनेक्टेड प्रॉसेस की स्टडी।
हाइड्रो-जियोलॉजी : ग्राउंड वॉटर के डिस्ट्रिब्यूशन तथा मूवमेंट की स्टडी।
हाइड्रो-इन्फॉरमेटिक्स : वॉटर साइंस और वॉटर रिसोर्सेज के एप्लीकेशंस में आइटी के यूज की स्टडी।
हाइड्रो-मीटियोरोलॉजी : वॉटर एड एनर्जी के ट्रांसफर की स्टडी। पानी के आइसोटोपिक सिग्नेचर्स की स्टडी।
सरफेस वॉटर साइंस : जमीन की ऊपरी सतह के पास होने वाली हलचलों की स्टडी।
वॉटर साइंटिस्ट का काम
-हाइड्रोमीट्रिक और वाटर क्वालिटी का मेजरमेंट
-नदियों, झीलों और भूमिगत जल के जल स्तरों, नदियों के प्रवाह, वर्षा और जलवायु परिवर्तन को दर्ज करने वाले नेटवर्क का रख-रखाव।
-पानी के नमूने लेना और उनकी केमिकल एनालिसिस करना।
-आइस तथा ग्लेशियरों का अध्ययन।
-वॉॅटर क्वालिटी सहित नदी में जल प्रवाह की मॉडलिंग।
-मिट्टी और पानी के प्रभाव के साथ-साथ सभी स्तरों पर पानी की जांच करना।
-जोखिम की स्टडी सहित सूखे और बाढ़ की स्टडी।
किससे जुड़कर काम करते हैं
सरकार : पर्यावरण से संबंधित नीतियों को तैयार करना, एग्जीक्यूट करना और मैनेज करना।
अंतरराष्ट्रीय संगठन : टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आपदा राहत।
एडवाइजरी : सिविल इंजीनियरिंग, पर्यावरणीय प्रबंधन और मूल्यांकन में सेवाएं उपलब्ध कराना।
एकेडमिक ऐंड रिसर्च : नई एनालिटिक टेक्निक्स के जरिए टीचिंग ऐंड रिसर्च वर्क करना।
यूटिलिटी कम्पनियां और पब्लिक अथॉरिटीज : वॉटर सप्लाई और सीवरेज की सर्विसेज देना।
एलिजिबिलिटी
-वॉटर साइंस से रिलेटेड सब्जेक्ट में बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री को वरीयता।
-जियोलॉजी, जियो-फिजिक्स, सिविल इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री ऐंड एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट्स इनमें शामिल हैं।
स्किल्स
-सहनशीलता, डिटरमिनेशन, ब्रॉडर ऑस्पेक्ट और गुड एनालिटिकल स्किल की जरूरत होती है।
-टीम में काम करने की स्किल
-इन्वेस्टिगेशन की प्रवृत्ति
वॉटर मैनेजमेंट
बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण आज पूरी दुनिया पानी की किल्लत से जूझ रही है। इसे देखते हुए वाटर मैनेजमेंट और कंजर्वेशन से जुड़े प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ रही है। आजकल हाउसिंग कॉम्प्लेक्सेज से लेकर उद्योगों आदि में ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है, जो वॉटर हार्वेेस्टिंग से लेकर जल संचयन आदि की तकनीकों को जानते हों।
कोर्स
वॉटर हार्वेस्टिंग ऐंड मैनेजमेंट नाम से यह कोर्स करीब 6 महीने का है। इसके तहत सिखाया जाता है कि बारिश के पानी को किस तरह से मापा जाए, वॉटर टेबल की क्या इंपॉर्र्टेंस है और उसे किस तरह से रिचार्ज किया जाए।
एलिजिबिलिटी
इसमें एडमिशन की मिनिमम एलिजिबिलिटी 10वीं पास है। अगर आपने इग्नू से बैचलर प्रिपरेट्री प्रोग्राम (बीपीपी) किया हुआ है, तो आप सीधे इस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।

Sunday, March 24, 2019

एकाउंटिंग में करियर

एकाउंटिंग आज के दौर में बेहद डिमांडिंग फील्ड बन गया है। उदारीकरण के दौर में देश में निजी कंपनियों के विस्तार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से सीए, आइसीडब्ल्यूए, सीएस, कंप्यूटर एकाउंटेंसी के एक्सप‌र्ट्स की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। एकाउंटिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें आपका करियर ग्राफ तेजी से बढ़ता है। वैसे तो ज्यादातर कॉमर्स के स्टूडेंट्स ही एकाउंटिंग के क्षेत्र में जाना चाहते हैं, लेकिन दूसरे स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए भी इसके रास्ते खुले हुए हैं। जानते हैं इससे संबंधित कुछ प्रमुख क्षेत्रों और उनमें एंट्री के बारे में :
सीए
सीए का मतलब है चार्टर्ड एकाउंटेंट। चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑडिटिंग, टैक्सेशन और एकाउंटिंग में स्पेशलाइजेशन रखता है। सीए प्रोफेशन निरंतर लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां तक कि छोटी कंपनियों और कारोबारियों को भी अपने आर्थिक मसलों के प्रबंधन के लिए सीए की जरूरत होती है। भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की तो अब विदेशों में भी अच्छी मांग है, खासकर पश्चिम एशिया के देशों, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में।
कंपनी अधिनियम के अनुसार भारत में किसी कंपनी में ऑडि¨टग के लिए सिर्फ चार्टर्ड एकाउंटेंट को ही रखा जा सकता है। सीए को चार्टर्ड एकाउंटेंसी का फाइनल एग्जाम पास करने के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के एसोसिएट के रूप में स्वीकार किया जाता है।
आईसीएआइ का मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, मुंबई और नई दिल्ली में हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंसी के करिकुलम में थ्योरिटिकल एजुकेशन के साथ अनिवार्य प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है।
इस प्रोग्राम को करने के लिए किसी
छात्र को बारहवीं या उसके समकक्ष एग्जाम पास होना चाहिए। ऑडिटिंग, कॉमर्शियल लॉ, एकाउंटेंसी के साथ कॉमर्स ग्रेजुएट करने वाले छात्र भी इसे कर सकते हैं। आ‌र्ट्स व
साइंस स्ट्रीम के भी स्टूडेंट भी सीए कोर्स कर सकते हैं।
करिकुलम : सीए कोर्स के तीन चरण होते हैं। पहला, कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (सीपीटी) जिसमें चार विषयों एकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड के एंट्री लेवल के टेस्ट होते हैं। दूसरे चरण में इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कॉम्पिटेंस कोर्स (आइपीसीसी) को पूरा करना होता है। यह सीए करिकुलम का पहला ऐसा चरण है जिसमें एकाउंटेंसी प्रोफेशन के कोर एवं अलायड सब्जेक्ट्स के केवल वर्किग नॉलेज को कवर किया जाता है। तीसरा चरण सीए फाइनल कहा जाता है, जिसके तहत फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, स्ट्रेटेजिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट, एडवांस मैनेजमेंट एकाउंटिंग, एडवांस ऑडिटिंग जैसे विषयों के एडवांस एप्लीकेशन नॉलेज को कवर किया जाता है।
आर्टिकलशिप : आइपीसीसी के ग्रुप को पास करने के बाद किसी अनुभवी सीए के पास तीन साल की अवधि के लिए आर्टिकलशिप करनी होती है। इस दौरान स्टाइपेंड भी मिलता है।
सीएस
सीएस का मतलब है कंपनी सेक्रेटरीशिप। कंपनी सेक्रेटरी ऐसा प्रोफेशनल कोर्स है, जिसका प्रबंधन द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) द्वारा किया जाता है। कंपनी अधिनियम के अनुसार जिन कंपनियों की चुकता पूंजी 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, उन्हें कंपनी सेक्रेटरी रखना जरूरी होता है।
कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए किसी कैंडिडेट को अब फाउंडेशन कोर्स, एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम और प्रोफेशनल कोर्स पास करना होता है जिन्हें पहले फाउंडेशन एग्जामिनेशन कहा जाता था। इंस्टीट्यूट एक इंटरमीडिएट और फाइनल एग्जाम आयोजित करता है और बाद में कैंडिडेट्स को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग करनी पड़ती है। इसके बाद वह कंपनी सेक्रेटरी की सदस्यता के योग्य माना जाता है।
इस प्रोग्राम को करने के लिए कैंडिडेट को बारहवीं या समकक्ष एग्जाम पास होना चाहिए। आइसीडब्ल्यूएआइ या आइसीएआइ का फाइनल एग्जाम पास करने वाले ग्रेजुएट भी इस प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं।
आइसीडब्ल्यूए
आइसीडब्ल्यूए के तहत कॉस्ट और व‌र्क्स एकाउंटेंसी का कार्य आता है। यह प्रोग्राम इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट ऐंड व‌र्क्स एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीडब्ल्यूएआइ) द्वारा संचालित किया जाता है। कॉस्ट ऐंड वर्क एकाउंटेंट किसी कंपनी की बिजनेस पॉलिसी तैयार करते हैं और पुराने एवं मौजूदा वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर किसी प्रोजेक्ट के लिए अनुमान जाहिर करते हैं।
यह कोर्स करने के लिए छात्र की उम्र कम से कम 17 वर्ष होनी चाहिए और उसे केंद्र या राज्य सरकार के मान्यताप्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास होना चाहिए।
कंप्यूटर एकाउंटेंसी
कंप्यूटर एकाउंटेंसी नए जमाने का एकाउंटिंग कोर्स है। खास बात यह है कि इस कोर्स को करने के लिए कॉमर्स का बैकग्राउंड होना कतई जरूरी नहीं है। दिल्ली के पूसा रोड स्थित आइसीए के डायरेक्टर अनुपम के अनुसार बारहवीं या ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद सीआइए प्लस का एडवांस कोर्स करके एकाउंटेंट के रूप में जॉब आसानी से पाई जा सकती है। दरअसल, आजकल ऑफिसेज में एकाउंटिंग पहले जैसे बहीखाते और लेजर के द्वारा नहीं होता, बल्कि एडवांस कंप्यूटर्स और सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है। कंप्यूटराइज्ड एकाउंटिंग असल में आइटी आधारित कोर्स है। आप महज 10 महीने का कोर्स करके ही एकाउंटेंसी के मास्टर बन सकते हैं। कंप्यूटर एकाउंटेंसी के तहत मुख्यत: बिजनेस एकाउंटिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन, एडवांस एकाउंट्स, एडवांस एमएस एक्सेल, टैक्सेज, आइएफआरएस, फाइनेंशियल मैनेजमेंट, इनकम टैक्स प्लानिंग आदि की प्रैक्टिकल और जॉब ओरिएंटेड ट्रेनिंग दी जाती है