Sunday, September 30, 2018

भौतिकी से संवारें करियर

भौतिकी में प्राकृत जगत और उसकी भीतरी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है…
यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखाएं या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण का नियम है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्य समुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी ऊर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं।
भौतिक विज्ञान की शाखाएं
भौतिक विज्ञान का विस्तृत अध्ययन करने के लिए इसे विभिन्न शाखाओं में विभाजित किया गया है। इसमें कुछ मुख्य शाखाएं हैं- यांत्रिकी, ऊष्मा, ध्वनि, प्रकाश, चुंबकत्व, विद्युत, आधुनिक भौतिकी, परमाणु भौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, विकिरण भौतिकी, ऊर्जा भौतिकी, ठोस अवस्था भौतिकी आदि।
करियर क्षेत्र
*  मैन्यूफेक्चरिंग इंडस्ट्री
*  एजुकेशन
*  रिसर्च
*  इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन
*  डिफेंस
* एटॉमिक रिसर्च आर्गेनाइजेशंस
*  न्यूक्लियर इंस्टॉलेशंस
*  कंस्ट्रक्शन फ र्म्स
*  एविएशन इंडस्ट्री
प्रमुख शिक्षण संस्थान
*  हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला, हिमाचल प्रदेश
*  सेंट्रल युनिवर्सिटी धर्मशाला, हिप्र
*  सेंट जेवियर्स कालेज, मुंबई
*  प्रेजिडेंसी कालेज, कोलकाता
*  लॉयला कॉलेज, चेन्नई
*  कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
*  राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट कालेज धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)
*  राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट कालेज बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)
*  जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू
*  जेएल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली
*  फिजिक्स के कोसेर्ज
ग्रेजुएशन स्तर पर
*  बीएसी ऑनर्स
*  बीएसी इन अप्लाइड फिजिक्स
*  बीएसी इन फिजिकल साइंस
*  मेकेनिकल इंजीनियरिंग
*  इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स आदि
ग्रेजुएशन के बाद
*  एमएसी इन फिजिक्स
*  एमएसी इन मेडिकल फिजिक्स
*  एमफिल इन फिजिक्स और एमफिल इन अप्लाइड फिजिक्स
*  पीएचडी एन फिजिक्स और पीएचडी इन न्यूक्लियर फिजिक्स
वेतनमान
भौतिकी के क्षेत्र में वेतनमान इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने किस स्तर का जॉब ज्वाइन किया है। अगर आप सरकारी क्षेत्र में अध्यापन के क्षेत्र में लगे हैं, तो आरंभिक आय 30 से 40 हजार से शुरू होगी।शोध के क्षेत्र में काफी अच्छा पैकेज मिलता है।
क्या है भौतिकी
‘भौतिक विज्ञान’ विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों तथा द्रव्य से उसकी अन्योन्य क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। सतत वैज्ञानिक अध्ययनों से अब यह साबित हो चुका है कि ब्रह्मांड द्रव्य और ऊर्जा से मिलकर बना है तथा वह प्रत्येक वस्तु जो स्थान घेरती है, द्रव्य कहलाती है। कुर्सी, लोटा, बाल्टी आदि वस्तुएं क्रमशः लकड़ी, पीतल, लोहे की बनी होती है, द्रव्य कहलाती है। इनमें भार होता है और स्थान घेरती हैं। वायु, जिसे हम न तो देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं, किन्तु यह स्थान घेरती है और इसमें भार होता है, उनमें द्रव्यमान होता है। किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को द्रव्यमान जबकि किसी वस्तु पर पृथ्वी के लगाने वाले आकर्षण बल को भार कहते हैं।
भौतिकी एवं मानवता
आज का मानव प्रगतिशील है। वह दिन- प्रतिदन विकास के नए-नए स्रोतों की ओर अग्रसर है। इन सभी विकास आयामों में भौतिकी का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। आंखों में नजर के चश्मे, कैलकुलेटर आदि भौतिकी की ही देन हैं। अन्य जीवनोपयोगी महत्त्वपूर्ण आविष्कार जैसे रेडियो, रंगीन टेलीविजन,विद्युत इंजन, टेलीफोन,कृत्रिम उपग्रह, रंगीन फोटोग्राफी, सिनेमा, मौसम की पूर्व में ही भविष्यवाणी, सौर चूल्हा, सौर बैटरी, चंद्रमा व मंगल ग्रह की यात्रा, लेसर किरणों द्वारा कैंसर का उपचार,कम्प्यूटर रोबोट आदि ने निश्चित रूप से मानव को विकास के शिखर पर पहुंचा दिया है। दूरसंचार के क्षेत्र में भी भौतिकी ने नई क्रांति ला दी है। आप्टिकल फाइबर व लेजर किरणों के उपयोग से हजारों व्यक्ति एक लाइन पर, एक साथ बात कर सकेंगे। होलोग्राफी के सिद्धान्त के उपयोग से अब त्रिविम चित्रों का प्रक्षेपण भी संभव साबित हुआ है।
भौतिकी का हो सदुपयोग
भौतिकी के रचनात्मक स्वरूप के साथ-साथ अब इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी हो रहा है। भौतिकी की सहायता से मानव ने परमाणु बम, हाइड्रोजन बम, न्यूट्रॉन बम आदि घातक हथियार बना लिए हैं। जिनकी सहायता से वह मानवता को मिटा सकता है। अतः सभी वैज्ञानिकों का यही प्रथम प्रयास होना चाहिए कि भौतिकी का प्रयोग केवल मानव जाति को सुखी बनाने में ही किया जाए, उसको नष्ट करने में नहीं।
शैक्षणिक योग्यता
भौतिकी में करियर बनाने के लिए कम से कम शैक्षणिक योग्यता दस जमा दो में भौतिकी का विषय अवश्य होना चाहिए। उसके बाद भौतिकी के क्षेत्र में बीएससी, एमएससी और पीएचडी तक की डिग्री हासिल की जा सकती है।
महत्त्व और विकास
बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नेचुरल फिलॉसफी या प्राकृ तिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु 1870 ई. के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीर-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्त्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीव भौतिकी, भू-भौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि।
क्या हों व्यक्तिगत गुण
साइंस का पार्ट होने के अलावा फिजिक्स काफी गंभीर सब्जेक्ट है। इसलिए वैसे स्टूडेंट्स को ही इसमें अपना करियर ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए जो हमेशा कुछ नया करना चाहते हैं। इसके अलावा मैथ्स पर पकड़ बहुत जरूरी है क्योंकि बिना मैथ्स शायद ही फिजिक्स की कल्पना की जा सकती हो। कोई चीज जैसी है वैसी ही क्यों है? यानी हमेशा आउट ऑफ  दि बॉक्स थिंकिंग और दिमाग को खुला रखने की कसरत कुछ ऐसी बातें हैं जो फिजिक्स पढ़ने वालों के लिए जरूरी हैं।
फैक्ट्स बिना फिजिक्स नहीं
फिजिक्स को अगर कोई चीज सबसे खास बनाती है तो वह है फैक्ट्स। बिना फैक्ट्स के यहां कुछ नहीं है। अगर आप कुछ भी नया देते हैं या नया करते हैं तो उससे जुड़ा फैक्ट भी आपको देना होगा। मतलब यह कि आर्ट्स जहां सब्जेक्टिविटी पर चलता है वहीं साइंस और फिजिक्स फैक्ट पर।
जिज्ञासा का समाधान है फिजिक्स
पानी पर कोई चीज कैसे तैरती है या आसमान का रंग नीला क्यों होता है? कोई चीज ऊपर से नीचे ही क्यों गिरती है या फिर बस या गाड़ी के अचानक रुकने पर हमें झटका क्यों लगता है?
इन सब सवालों का जवाब है फिजिक्स के पास। अगर आप भी कभी अनसुलझे रहे इन सवालों की तरह दूसरी चीजों की गुत्थी सुलझाना चाहते हैं तो फिजिक्स आपका इंतजार कर रही है।
अनेकों आप्शन
दिमाग की बत्ती अगर हर छोटी-बड़ी चीज के बारे में जानने के लिए जल उठती हो और मैथ्स के समीकरणों का अच्छा ज्ञान हो तो फिजिक्स बतौर करियर एक हॉट सब्जेक्ट है। इसमें आपको कई ऑप्शन भी मिलेंगे। मसलन आप प्रोफेसर या टीचर बनकर दूसरों की ग्रेविटी बढ़ा सकते हैं तो रिसर्चर बनकर ब्रह्मांड और देश-दुनिया के अनसुलझे रहस्यों की गुत्थी सुलझा सकते हैं। इसमें इंडस्ट्री के फील्ड में भी काफी मौके हैं जिनमें ऑटोमोबाइल्स,कम्युनिकेशन आदि शामिल हैं।

Thursday, September 27, 2018

: लैइजर मैनेजमेंट में करियर

आमतौर पर लैइजर का अर्थ आराम से लगाया जाता है। जब इसके साथ मैनेजमेंट जुड़ जाता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि सारा प्रबंधन आराम से किया जाए। वास्तव में यह प्रबंधन का ऐसा क्षेत्र है, जो ग्राहकों के आराम और मनोरंजन का ख्याल रखता है। इसलिए इसमें इवेंट मैनेजमेंट, रिसॉर्ट मैनेजमेंट, रेस्टॉरेंट मैनेजमेंट, डिस्क जोकिइंग जैसे करियर शामिल हैं। जिस तरह आम आदमी की क्रयशक्ति बढ़ी है और वह सप्ताहांत और छुट्टियाँ बिताने के नए-नए साधन ढूँढने लगा है, ऐसे में उसकी सुख-सुविधा का प्रबंध करने वाले लैइजर मैनेजमेंट में अवसर और राय दोनों खासे बढ़े हैं।

कठिन काम लेकिन अच्छे दाम
लैइजर मैनेजमेंट से जुड़े प्रोफेशनल्स को रोजाना उसी तरह भागदौड़ करते हुए काम करवाना पड़ता है, जैसे कि शादी के समय दुल्हन का पिता व्यवस्थाएँ जुटाता है। उन्हें लोगों को खुश करने तथा आराम पहुँचाने के नए-नए तरीकों की खोज करते रहना होता है। उन्हें कंट्री क्लब या रिसॉर्ट का प्रबंधन देखना होता है अथवा मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन उनके दैनिक कार्य का हिस्सा होता है। इसमें प्लानिंग से लेकर एक्जीक्यूशन और पोस्ट इवेंट कार्य भी शामिल होते हैं। इस काम में पैसा भी अच्छा है। लैइजर से करियर आरंभ करने वाले कई लोग तो इतने पारंगत हो जाते हैं कि वे स्वयं अपना व्यवसाय आरंभ कर सेवा प्रदान कर खासी आय अर्जित करने लगते हैं।

आमतौर पर लैइजर का अर्थ आराम से लगाया जाता है। जब इसके साथ मैनेजमेंट जुड़ जाता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता कि सारा प्रबंधन आराम से किया जाए। वास्तव में यह प्रबंधन का ऐसा क्षेत्र है, जो ग्राहकों के आराम और मनोरंजन का ख्याल रखता है। इसलिए इसमें इवेंट मैनेजमेंट, रिसॉर्ट मैनेजमेंट, रेस्टॉरेंट मैनेजमेंट, डिस्क जोकिइंग जैसे करियर शामिल हैं। जिस तरह आम आदमी की क्रयशक्ति बढ़ी है और वह सप्ताहांत और छुट्टियाँ बिताने के नए-नए साधन ढूँढने लगा है, ऐसे में उसकी सुख-सुविधा का प्रबंध करने वाले लैइजर मैनेजमेंट में अवसर और राय दोनों खासे बढ़े हैं।

ब्रॉड रेंज है लैइजर मैनेजमेंट की
लैइजर मैनेजमेंट को एक ब्रॉड रेंज वाले करियर के रूप में लिया जाएगा, क्योंकि इसमें बहुत सारे उद्योग जुड़े हुए हैं। इसमें केवल आमोद-प्रमोद की गतिविधियाँ ही शामिल नहीं हैं बल्कि इवेंट मैनेजमेंट, रिसॉर्ट मैनेजमेंट, एम्यूजमेंट मैनेजमेंट जैसे नए-नए क्षेत्र भी शामिल हैं। टू टीयर शहरों में पनपती मॉल संस्कृति ने इसे पैर फैलाने का भरपूर अवसर प्रदान किया है।

क्या होता है लैइजर मैनेजमेंट में?
मूल रूप से लैइजर मैनेजमेंट में लोगों के आराम अथवा फुर्सत के समय का प्रबंधन करना शामिल है जिसमें कंट्री क्लब तथा रिसॉर्ट अथवा यहाँ तक कि जिम्नेशियम का प्रबंधन तक शामिल है। इसके अंतर्गत हॉलीडे पैकेजेस की डिजाइनिंग तथा ट्रेकिंग या राफ्टिंग एक्सरसंस अथवा एडवेंचर गेम्स के अन्य रूप के साथ-साथ फैशन शो या प्रदर्शनी, प्रॉडक्ट लांचिंग और सोशल फंक्शन भी आते हैं, जो इन दिनों एक हॉट करियर के रूप में माने जाते हैं।

लैइजर मैनेजमेंट में प्राइवेट पार्टियों, रोड शो, एक्जीबिशंस, कॉन्फ्रेंस, प्रमोशनल कैम्पेन, कांसर्ट्‌स, अवॉर्ड, नाइट्स जैसे आयोजन भी शामिल हैं। इसमें लाइव इवेंट्स की प्लानिंग से लेकर ऑर्गेनाइजेशन तथा एक्जीक्यूशन जैसे कार्य होते हैं, जो प्रॉडक्ट या ब्रांड लांचिंग से लेकर एक्जीबिशन, सेमिनार, प्रेस कॉन्फ्रेंस और यहाँ तक कि वर्कशॉप्स के आयोजन पर आधारित होते हैं। लैइजर मैनेजमेंट में अक्सर होटल मैनेजमेंट के कुछ पहलू भी जुड़े होते हैं, क्योंकि कई इवेंट तथा लैइजर एक्टीविटियों में खाना तथा ड्रिंक्स भी सर्व किया जाता है तथा गेस्ट्स को ठहराने की व्यवस्था भी करनी होती है।

इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स होटलों द्वारा ऑफर की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का प्रबंधन तथा संचालन करते हैं। इसके अंतर्गत होटल में आयोजित इवेंट के मैनेजमेंट से लेकर उसके प्रमोशन से लेकर पब्लिसिटी का दायित्व भी लैइजर मैनेजरों पर ही होता है। लैइजर मैनेजर ही मीनू तय करता है, स्टाफ का सुपरविजन करता है तथा ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने का कार्य भी करता है।

खूब बढ़ रही है माँग
इन दिनों बड़े शहरों के बाहरी हिस्सों में विभिन्ना क्लब, रिसॉर्ट, जिम तेजी से निर्मित हो रहे हैं, जहाँ समृद्ध परिवार से लेकर आम आदमी अपने मित्रों तथा परिवारों के साथ अपने अवकाश को मौज-मस्ती के साथ बिताना चाहता है। वह इस काम पर पैसा भी खूब खर्च करता है और सुविधा भी अच्छी चाहता है। उसके इस काम में लैइजर सहयोग प्रदान करता है।

आज शहर के बाहर निर्मित रिसॉर्ट या क्लब सारी सुविधाओं तथा साधनों से सुसज्ज्ति हैं। वहाँ नए साल की पार्टियों, संगीत की महफिलों आदि का अपने सदस्यों के लिए आयोजन होता रहता है। लोग तनाव को दूर करने के लिए रोजमर्रा की जिंदगी से दूर यहाँ आकर सुकून की तलाश करते हैं और इस व्यवसाय से अच्छी आय को देखते हुए इस पर निवेश भी खूब बढ़ रहा है और करियर निर्माण के अवसर भी खूब मिल रहे हैं।

कौन-सा पाठ्यक्रम होगा उपयोगी
इस समय हमारे यहाँ लैइजर मैनेजमेंट के नाम से कोई विशेष पाठ्यक्रम संचालित नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे कोई डिग्री या डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध नहीं हैं, जो लैइजर मैनेमजेंट या इंटरटेनमेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में प्रवेश की सुनिश्चितता प्रदान करते हों। लेकिन पब्लिक रिलेशंस, एडवरटाइजिंग, मॉस कम्युनिकेशंस, सेल्स एंड मार्केटिंग, होटल मैनेजमेंट अथवा बिजनेस मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम निश्चित रूप से मदद प्रदान करते हैं।

विदेशों में लैइजर मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं जिसे देखते हुए कुछ निजी संस्थानों ने हमारे यह भी लैइजर मैनेजमेंट में प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया है। यदि आप चुनौती लेने के लिए तैयार हैं और आपको कठिन कार्य करने में दिलचस्पी है और आप कल्पनाशीलता, पहल करने के साथ-साथ अच्छी आयोजन क्षमता रखते हैं तो आपके लिए लैइजर मैनेजमेंट का क्षेत्र उस उर्वरा भूमि जैसा है, जो भरपूर आय और सेलिब्रिटियों के बीच रहने का अवसर प्रदान करता है।

प्रमुख संस्थान
हमारे यहाँ सभी आईआईएम तथा प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में एमबीए का कोर्स संचालित किया जाता है। लैइजर मैनेजमेंट का क्षेत्र चुनने वालों के लिए निम्नलिखित संस्थानों द्वारा संचालित विभिन्न प्रबंधन कार्यक्रम उपयोगी हो सकते हैं :

जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई
एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च
वेलिंगकर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई
टाइम स्कूल ऑफ मैनेजमेंट दरियागंज, नई दिल्ली
लाला लाजपतराय इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई

Tuesday, September 25, 2018

केमोइन्फॉर्मेटिक में करियर

विज्ञान में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के समावेश से कई ऐसे क्षेत्र सामने आए हैंजिनमें हाल के दिनों में करियर की अच्छी संभावनाएं देखी गई हैं। खासकर बायोटेक्नोलॉजीबायोइंजीनियरिंगबायोइन्फॉर्मेटिक आदि ऐसे क्षेत्र हैंजिनमें देश में ही नहींबल्कि देश के बाहर भी करियर के अच्छे स्कोप हैं। अब इसमें एक और नया नाम जुड़ गया है केमोइन्फॉर्मेटिक्स का। यदि आप विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नए की तलाश में हैंतो केमोइन्फॉर्मेटिक्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

क्या है केमोइन्फॉर्मेटिक?
केमिकल डाटा को कम्प्यूटर की सहायता से एक्सेस या चेंज करने का काम होता है केमोइन्फॉर्मेटिक्स में। पहले यही कार्य ढेर सारे बुकजर्नल्स और पिरिडियोकल्स की सहायता से किए जाते थे। जाहिर है यह बेहद जटिल और समय खपाऊ काम रहा होगलेकिन अब इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने इस प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है।
 
केमोइन्फॉर्मेटिक्स का प्रयोग ड्रग डिस्कवरी प्रक्रिया में होता है। इसमें शोधकर्ता अलग-अलग रसायनों का जैविक प्रभाव तलाशते हैं। किस रसायन का कैसा प्रभाव होगावह कितना खतरनाक या प्रभावी हो सकता हैइसके लिए केमिकल कंपोनेंट्स का असेसमेंटरिप्लेसमेंटडिजाइन आदि जरूरी होता है। एक खास सॉफ्टवेयर पर होने वाली इस पूरी प्रक्रिया के तहत शोधकर्ता केमिकल रिएक्शंस को देख भी सकते हैं। हालांकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स का इस्तेमाल खासकर फॉर्मास्युटिकल कंपनियों में होता हैलेकिन इस खास टेक्निक का उपयोग फंक्शनल फूड बनाने के लिए न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी कर रही हैं। इससे न केवल दवा बनाने की प्रक्रिया तेज हुई हैबल्कि उसकी गुणवत्ता भी काफी एडवांस होने लगी है।
 
कितने योग्य हैं आप?
केमोइन्फॉर्मेटिक्स एक एडवांस फील्ड है और इसमें खास विषय यानी केमिस्ट्री में रुचि रखने वाले कैंडिडेट्स अधिक बेहतर कर सकते हैं। चूंकि केमोइन्फॉर्मेटिक्स में कम्प्यूटर पर ही सारे कार्य होते हैंइसलिए कम्प्यूटर की बेसिक समझ तो जरूर होनी चाहिए। यानी केमोइन्फॉर्मेटिक्स की फील्ड में आने के लिए साइंस बैकग्राउंड का होना जरूरी है।
 
स्टडी डेस्टिनेशन
इन दिनों ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में साइंस की बायोइन्फॉर्मेटिक्स शाखा के तहत ही केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई होती है। देश में कुछ खास शिक्षण संस्थान हैंजहां इस विषय की पढ़ाई एक नए डिसिप्लीन के तौर पर हो रही है। मसलनमालाबार क्रिश्चन कॉलेजकोझिकोडइंस्टीट्यूट ऑफ केमोइन्फॉर्मेटिक्स स्टडीनोएडाजामिया हमदर्द डीम्ड यूनिवर्सिटीनई दिल्लीपुणे यूनिवर्सिटी आदि। और जो विदेश से केमोइन्फॉर्मेटिक्स की पढ़ाई करना चाहते हैंतो उनके लिए भी कई विकल्प हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टरयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूकेयूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्डयूके जैसी यूनिवर्सिटी में इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
 
कोर्सेज की बात
ऊपर जिन संस्थानों की चर्चा हैइनसे आप डिप्लोमा और फूल टाइम दोनों तरह के कोर्स कर सकते हैं। दो वर्षीय एमएससी कोर्स पूरा होने के बाद इन्फॉर्मेटिक्स में रिसर्च का विकल्प खुलता है। कहीं-कहीं एक वर्षीय डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा भी कराए जाते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स में एमएससी के अंतर्गत विशेष रूप से डाटा बेस प्रोग्रामिंगवेब टेक्नोलॉजीडाटा माइनिंगडाटा कलैक्शनसैंपलिंग एवं कम्प्यूटर से ड्रग डिजाइनिंग की पढ़ाई होती है। इस फील्ड के कोर्स में प्रायोगिक प्रशिक्षण और प्रबंधन संबंधी कार्य काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
 
अवसर ही अवसर
केमोइन्फॉर्मेटिक्स बेहतर दवा की खोज के लिए शोधकर्ताओं की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता हैलेकिन आप सोच रहे हैं कि केवल फॉर्मा के क्षेत्र में ही विकल्प सीमित हो जाता हैतो ऐसा नहीं है। केमिकलएग्रोकेमिकलबायोटेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियां भी बेहतर कैंडिडेट की तलाश में रहती है। इसके अलावाहॉस्पिटल्सयूनिवर्सिटी रिसर्च में भी आप मौके तलाश सकते हैं।
 
एमएससी करने के बाद आपको कई तरह के पद ऑफर हो सकते हैं। लेकिन जो फ्रेश ग्रेजुएट्स हैंउन्हें भी अच्छे पद मिल सकते हैं। वे विभिन्न कंपनियों में कम्प्यूटेशनल केमिस्टकेमिकल डाटा साइंटिस्टरेगुलेट्री अफेयर्स ऑफिसरसीनियर इन्फॉर्मेशन एनालिस्टडाटा ऑफिसरग्रेजएट आईटी ट्रेनी के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। केमोइन्फॉर्मेटिक्स से जुड़े कैंडिडेट की मांग विदेशी कंपनियों में भी खूब हैं।

Saturday, September 22, 2018

कार्पोरेट लॉ में बनाएं करियर

कानून के क्षेत्र में लोगों को अब खूब नौकरियां मिल रही हैं। देश में अदालतें बेशक कम हों लेकिन मुकद्दमों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है इसीलिए दिन-ब-दिन वकीलों की मांग भी बढ़ रही है। देश का कानून इतना व्यापक है कि स्पैशलाइजेशन की जरूरत बढ़ जाती है, बिल्कुल मैडीकल फील्ड की तरह। आप अपनी रुचि के अनुसार किसी विशेष क्षेत्र के कानून के विशेषज्ञ के रूप में पहचान बना सकते हैं। यह क्षेत्र  एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, कॉन्सटिच्यूशन लॉ, फैमिली लॉ, इंटरनैशनल लॉ, साइबर लॉ, लेबर लॉ, पेटैंट लॉ, एन्वायरनमैंट लॉ, कार्पोरेट लॉ आदि में से कुछ भी हो सकता है।

कैसे बनें कार्पोरेट लॉयर
यह लीगल फील्ड का उभरता स्वरूप है। बड़े बिजनैस हाऊसेज और सरकारी विभागों को भी कई जटिल कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है। इन्हें हल करने के लिए कार्पोरेट लॉयर्स की मांग बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इनका काम कम्पनी के संचालन में कानूनी नियमों का पालन सुनिश्चित करना कम्पनी से जुड़े मुकद्दमों की पैरवी करना, कम्पनी के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स तैयार करना आदि होता है। कार्पोरेट कम्पनियों में मिलने वाले आकर्षक वेतन के चलते युवा इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं।

कार्यक्षेत्र
समय से आगे चलने और दुनियां की भीड़ से कुछ अलग कर गुजरने की हिम्मत किसी-किसी में होती है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप बाजार की वृहत्ता में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियां एक साथ काम कर रही हैं जिनको प्राधिकृत करने के लिए सरकार ने नियमों की रचना की है। इसमें से कुछ नियम सरकार द्वारा तथा कुछ कम्पनियों द्वारा खुद ही तय किए जाते हैं। सरकारी नियमों के अलावा कम्पनियां कर्मियों, ग्राहकों या सहयोगियों के लिए अपने भी  नियम बनती हैं। ऐसे ही नियमों की गुत्थियों को समझने और उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने का भार कार्पोरेट लॉ के जानकारों का होता है। कार्पोरेट लॉ फर्म अपने ग्राहक की टैक्स प्लानिंग से लेकर, कर्मियों, सहयोगियों, शेयरधारकों यहां तक कि किरायों और समझौतों की संपूर्ण रूपरेखा बनाते हैं। कार्पोरेट लॉ फर्म किसी भी कंपनी की रीढ़ होती है, जिसके द्वारा किए गए काम से ही कंपनी की वार्षिक आमदनी और उपलब्धियों का आंकलन किया जाता है। नियमों में पारदर्शिता और स्थिरता कंपनी का भविष्य तय करती है।

कार्पोरेट लॉ का कार्यक्षेत्र
1 कम्पनी के टैक्सों का आंकलन और निष्पादन

2 नए संस्थानों के गठन की संरचना

3 लाइसैंस समझौता बनाना

4 बौद्धिक संपत्तियों को संरक्षित करना

5 शेयरधारकों के लिए नियम बनाना

6 विक्रय तथा वितरक समझौते की रूप-रेखा तैयार करना

7 ट्रेड मार्क और कॉपीराइट नियमों का निष्पादन करना

8 कर्मियों के लिए कम्पनी अधिनियमों के अनुरूप नियम बनाना

9 संयुक्त अथवा किसी भी प्रकार के उपक्रम या उद्यम की संरचना

10 नए व्यवसायों के लिए लाभ हानि की सलाह देना आदि।

कैसे मिलेगी एंट्री
ए.पी.जी. शिमला यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर प्रियंका गोयल के मुताबिक दसवीं के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू की जा सकती है। कई यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट कॉलेजों में पांच वर्षीय बी.ए. एल.एल.बी. कोर्स कराया जाता है। अगर आप ग्रैजुएट हैं, तो 3 वर्षीय एल.एल.बी. कोर्स के बाद इस क्षेत्र में करियर शुरू कर सकते हैं। एंट्रैंस एग्जाम में बैठने के लिए दसवीं में कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिएं। देश के विभिन्न ‘नैशनल लॉ स्कूल्स’ में एडमिशन ’कॉमन लॉ एडमिशन टैस्ट (सी.एल.ए.टी.) के माध्यम से होता है। अन्य संस्थान लॉ कोर्सेज के लिए अलग-अलग एंट्रैंस एग्जाम्स आयोजित करते हैं। कॉमन लॉ एडमिशन टैस्ट में आमतौर पर इंगलिश, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल रीजनिंग, मैथमैटिक्स और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अगर आप विदेश जाकर  लॉ की पढ़ाई करना चाहते हैं तो वहां एडमिशन की प्रक्रिया अलग हो सकती है।

प्रमुख लॉ संस्थान
1 नैशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बैंगलूर

2 डा. राम मनोहर लोहिया नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ

3 एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश

4 नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची

5 नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर

Wednesday, September 19, 2018

सॉइल साइंस में कॅरिअर

शिक्षण से लेकर रिसर्च और मिट्टी के संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे कई अवसर कॅरिअर विकल्प के रूप में सॉइल साइंटिस्ट के लिए उपलब्ध हैं। एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल अपने सभी रिसर्च संस्थानों के साथ मृदा वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके अलावा सॉइल साइंटिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्वविद्यालयों, कृषि सहकारी समितियों, खाद निर्माताओं और रिसर्च संस्थानों के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। 

एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में मृदा एक अहम तत्व है। मृदा विज्ञान में मिट्टी का अध्ययन एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में किया जाता है। इसके अंतर्गत मृदा निर्माण, मृदा का वर्गीकरण, मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों और उर्वरकता का अध्ययन किया जाता है। बीते सालों में फसल उत्पादन, वन उत्पाद और कटाव नियंत्रण में मिट्टी के महत्व को देखते हुए मृदा विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के ढेरों अवसरों का सृजन हुआ है। अब देश भर में बड़ी संख्या में सॉइल टेस्टिंग व रिसर्च लैबोरेट्रीज स्थापित हो रही हैं। इनमें से हरेक को प्रशिक्षित पेशेवरों की जरूरत होती है, जो मिट्टी के मापदंडों का मूल्यांकन कर सकें ताकि उसकी गुणवत्ता को सुधारा जा सके। ऐसे में यह क्षेत्र रोजगार के अवसरों से भरपूर है।

क्या करते हैं सॉइल साइंटिस्ट


सॉइल साइंटिस्ट या मृदा वैज्ञानिक का प्राथमिक काम फसल की बेहतरीन उपज के लिए मृदा का विश्लेषण करना है। मृदा वैज्ञानिक मृदा प्रदूषण का विश्लेषण भी करते हैं, जो उर्वरकों और औद्योगिक अपशिष्ट से उत्पन्न होता है। इन अपशिष्टों को उत्पादक मृदा में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त तरीके और तकनीकियां भी वे विकसित करते हैं। इन पेशेवरों के वर्क प्रोफाइल में बायोमास प्रॉडक्शन के लिए तकनीकियों का इस्तेमाल शामिल है। वनस्पति पोषण, वृद्धि व पर्यावरण गुणवत्ता के लिए भी वे काम करते हैं। उर्वरकों का उपयोग सुझाने में भी मृदा वैज्ञानिक की भूमिका अहम होती है। सॉइल साइंस प्रोफेशनल मृदा प्रबंधन पर मार्गदर्शन करते हैं। चूंकि मृदा वैज्ञानिक रिसर्चर, डवलपर और एडवाइजर होते हैं, इसलिए वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल बेहतरीन मृदा प्रबंधन के लिए करते हैं। मिट्टी की उर्वरकता और पानी के सही इस्तेमाल के लिए वे सलाह देते हैं। मिट्टी के अधिकतम सही उपयोग के लिए भी मृदा वैज्ञानिक जिम्मेदार होते हैं। मृदा क्षरण को वे रोकते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मिट्टी की उर्वरकता बरकरार और बेहतर रहे। मृदा वैज्ञानिक फील्ड के साथ-साथ लैबोरेट्री में काम करते हैं। वे डेटा बैंक, सिम्युलेशन मॉडल्स और कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं।

क्या पढ़ना होगा


अध्ययन के मुख्य क्षेत्रों में सॉइल केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, फिजिक्स, पेडोलॉजी, मिनरोलॉजी, बायोलॉजी, फर्टिलिटी, प्रदूषण, पोषण, बायोफर्टिलाइजर, अपशिष्ट उपयोगिता, सॉइल हेल्थ एनालिसिस शामिल हैं। छात्र सॉइल साइंस में बैचलर या मास्टर डिग्री ले सकते हैं। साथ ही वे सॉइल फॉर्मेशन (वह प्रक्रिया जिससे मिट्टी बनती है।), सॉइल क्लासिफिकेशन (गुणों के अनुसार मिट्टी का वर्गीकरण), सॉइल सर्वे (मिट्टी के प्रकारों का प्रतिचित्रण), सॉइल मिनरोलॉजी (मिट्टी की बनावट), सॉइल बायोलॉजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स (मिट्टी के जैविक, रसायनिक व भौतिक गुण), मृदा उर्वरकता (मृदा में कितने पोषक तत्व है), मृदा क्षय जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।

कॅरिअर के विकल्प


शिक्षण से लेकर रिसर्च और संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे कई अवसर कॅरिअर विकल्प के रूप में मृदा वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध हैं। कृषि, वॉटर रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट्स, सॉइल एंड फर्टिलाइजर टेस्टिंग लैबोरेट्रीज, ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग, आर्कियोलॉजी, मृदा उत्पादकता, लैंडस्केप डवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में मृदा वैज्ञानिकों की खासी मांग है। क्रॉप एडवाइजर से लेकर संरक्षणकर्ता बनने तक सॉइल साइंस यानी मृदा विज्ञान में अनगिनत अवसर हैं। पर्यावरण और एग्रो-कंसल्टिंग फर्म्स में इस क्षेत्र के पेशेवरों की प्रबंधकीय और एग्जीक्यूटिव पदों पर खासी जरूरत है। ऐसा चलन न केवल भारत, बल्कि विदेशों में है। इस फील्ड में रिसर्च आपको आईसीएआर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंचता सकती है। इतना ही नहीं फसल उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आने वाले सालों में अधिक रोजगार उत्पन्न होगा।

अवसर


एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल अपने सभी रिसर्च संस्थानों के साथ मृदा वैज्ञानिक की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके अलावा मृदा वैज्ञानिक डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्वविद्यालयों, कृषि सहकारी समितियों, खाद निर्माताओं और रिसर्च संस्थानों के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। मृदा वैज्ञानिक अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। वे एनालिस्ट या मृदा सर्वेक्षक और डवलपमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम कर सकते हैं। वे अपने सेवाएं एग्रीकल्चरल इंडस्ट्री, डवलपमेंट, कॉपरेटिव, कॉमर्शिलय बैंक के कृषि विभागों को दे सकते हैं।

यहां से करें कोर्स


इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूसा
http://www.iari.res.in/

तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर
http://www.tnau.ac.in/

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
http://www.pau.edu/

यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, कोलकाता
http://www.caluniv.ac.in/

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
http://www.bhu.ac.in/

Sunday, September 16, 2018

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में करियर

एविएशन का नाम आते ही आसमान में उड़ने का मन करता है लेकिन यदि आप बनाना चाहते हो हो एविएशन में अपना करियर तो आप कहाँ पर अपनी लाइफ बना सकते हो। एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में हो रहे लगातार विस्तार से रोजगार के अवसरों में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में बहुत से अवसर हैं कई लोग सोचते हैं केवल पायलट या एयर होस्टेस तक ही एविएशन में जॉब सीमित हैं,  लेकिन ऐसा कतई नही है क्योंकि इनके इलावा भी आप एविएशन में अपना करियर बना सकते हो। इसी लाइन में में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर (AME) भी बहुत अच्छा विकल्प है।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की कार्य प्रकृति कैसी है उसका क्या काम होता है: किसी भी जहाज की तकनीकी जिम्मेदारी एएमई के ऊपर होती है। हर उड़ान के पहले एएमई जहाज का पूरी तरह से निरीक्षण करता है और सर्टिफिकेट जारी करता है कि जहाज उड़ान भरने को तैयार है। इस काम के लिए उसके पास पूरी तकनीकी टीम होती है। कोई भी विमान एएमई के फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना उड़ान नहीं भर सकता। गौरतलब है कि एक हवाईजहाज के पीछे करीब 15-20 इंजीनियर काम करते हैं। इसी से इनकी जरूरत का अनुमान लगाया जा सकता है।
कैसे बन सकते हो आप एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बन सकते हो: जैसे की पायलट बनने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है वैसे ही एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता है। यह लाइसेंस डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन द्वारा प्रदान किया जाता है। कोई भी संस्थान, जो इससे संबंधित कोर्स कराता है, उसे भारत सरकार के विमानन मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले डीजीसीए से इसके लिए अनुमति लेनी होती है। जो इंस्टिट्यूट इससे मान्यता प्राप्त हैं उनसे भी आप ये लाइसेंस हासिल कर सकते हैं।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर बनने के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता की आवश्कयता होनी चाहिए: जो विद्यार्थी इस कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स विषयों की पढ़ाई जरूरी है। पीसीएम से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग से संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। कोर्स के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग और वैमानिकी की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
एविएशन सेक्टर में कहाँ मिलेंगे अवसर: ऐसे तकनीकी प्रोफेशनल्स के लिए देश-विदेश में सभी जगह मौके हैं। एयर इंडिया, इंडिगो, इंडियन एयरलाइन्स, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट, गो एयर जैसे एयरलाइंस में तो मौके मिलते ही हैं, इसके अलावा देश के तमाम हवाईअड्डों और सरकारी उड्डयन विभागों में भी रोजगार के बेहतरीन अवसर उपलब्ध होते हैं। भारत में ही करीब 450 कंपनियां हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करती हैं। एएमई का शुरुआती वेतन 20-30 हजार हो सकता है, जिसमें अनुभव और विशेष शिक्षा के साथ बढ़ोतरी होती जाती है। इसके साथ-2 आप विदेशी या प्राइवेट कंपनियो जो प्राइवेट एयरक्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराती उनमे भी आप अपना करियर चुन सकते हो
देश में कौन कौनसे मुख्य संस्थान हैं जहाँ पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के लिए कोर्स किया जा सकता है: जो संस्थान संबंधित कोर्स कराने का इच्छुक होता है, उसको डीजीसीए से मान्यता लेनी होती है। ऐसे कुछ प्रमुख संस्थान हैं-
  • जेआरएन इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
  • भारत इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, पटना एयरपोर्ट, पटना
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स साइंस, कोलकाता
  • एकेडमी ऑफ एविएशन इंजीनियरिंग, बेंगलुरु
  • आंध्र प्रदेश एविएशन एकेडमी, हैदराबाद

Saturday, September 15, 2018

इम्यूनोलॉजी में पीएचडी

 हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए इसके अंदर सक्रिय प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यून सिस्टम से जुड़ी बारीकियों का अध्ययन करने में रूचि रखने वाले कर सकते हैं, इम्यूनोलॉजी में पीएचडी के लिए आवेदन। बॉयोलॉजी के इस परिष्कृत क्षेत्र में शोध के लिए नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी ने आवेदन मंगवाए हैं। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी नई दिल्ली में जेएनयू कैंपस के पास ही स्थित है। इसके रिसर्च प्रोग्राम में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आवेदन ऑनलाइन है। अंतिम तिथि 31 दिसंबर है।
रिसर्च के विकल्प
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी ने जिन एरियाज में रिसर्च के लिए पीएचडी के प्रस्ताव मंगवाए हैं, वे इस प्रकार हैं- इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी, जेनेटिक्स मॉलिक्यूलर एंड सेलुलर बायोलॉजी, केमिकल, स्ट्रेक्चरल एंड कंप्यूटेशनल बायोलॉजी, रीप्रोडक्शन एंड डेवलपमेंट। रिसर्च के ये सभी एरियाज इंटरडिसीप्लीनरी एरियाज हैं। रूचि होने पर आप अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
क्या है योग्यता
आवेदक ने साइंस की ब्रांच में एमएससी या एमटेक या एमबीबीएस या एमवीएससी या एमफार्म या समकक्ष कोर्स किया हो। बारहवीं और ग्रेजुएशन में उसके कम से कम 60 फीसदी अंक हों। मास्टर डिग्री में उसे कम से कम 55 फीसदी अंक मिले हों। फाइनल ईयर के छात्र भी इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कैसे होगा चयन
चयन के लिए कुल दो माध्यम निर्धारित हैं-
1. प्रवेश परीक्षा- यह नई दिल्ली, हैदराबाद, पुणे और कोलकाता में होगी। 2. दिसंबर में होने वाली जेजीईईबीआईएलएस के स्कोर के जरिए। इन आवेदकों को अलग से आवेदन करना होगा।
कैसे करें आवेदन
आवेदन के लिए www.nii.res.in पर जाएं, ऑनलाइन आवेदन करें। आवेदन शुल्क जनरल/ ओबीसी/ शावि के लिए 500 रूपए है। एससी/एसटी के लिए 250 रूपए है। आवेदन 1 नवंबर से 31 दिसंबर तक कर सकते हैं।

Tuesday, September 11, 2018

न्यूट्रिशनिस्ट में करियर

संतुलित डाइट के महत्व से तो हर कोई वाकिफ है लेकिन अपनी उम्र, शारीरिक क्षमता, कार्य की प्रकृति और दैनिक रुटीन के हिसाब से डाइट कैसी होनी चाहिए, इसको लेकर अध‍िकांश लोग भ्रमित रहते हैं। सही डाइट से जुड़ी हमारी शंकाएं दूर करते हैं डायटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट। अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ रोमांचक करियर चाहते हैं, तो यह फील्ड आपके लिए बढ़िया है। 
लोगों की बदली जीवनशैली और खानपान की खराब आदतों का सबसे ज्यादा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसीलिए हाल के दिनों में लोगों के बीच बैलेंस्ड डाइट को लेकर जागरूकता बढ़ी है। हालांकि बैलेंस्ड डाइट व्यक्ति विशेष की अपनी जरूरतों पर आधारित होती है, इसीलिए इसे लेकर लोगों में अक्सर भ्रम भी रहता है। इसी भ्रम को दूर करके फूड न्यूट्रिएंट्स के हिसाब से हमें सुझाव देते हैं डायटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट। अगर आपको भी फूड साइंस और न्यूट्रिशन में रुचि है, तो आप इसमें करियर प्लान कर सकते हैं।
क्या है न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स?
यह फूड साइंस से जुड़ा एक ऐसा कोर्स है, जिसमें फूड न्यूट्रिएंट्स के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसी के आधार पर बड़े स्तर पर लोगों में न्यूट्रिशन से जुड़ी समस्याओं को पहचानकर उन्हें दूर करने के लिए सामाजिक और तकनीक के स्तर पर समाधान तलाशे जाते हैं। यही नहीं, सरकारी इकाइयों और स्वास्थ्य से जुड़े संस्थानों को भी इन्हीं के अनुसार स्वास्थ्य नीति में बदलाव के सुझाव दिए जाते हैं।
कौन-से कोर्स?
इस फील्ड में करियर प्लान करने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे विषय लेकर पढ़ने वाले विद्यार्थी होम साइंस व फूड साइंस एंड प्रॉसेसिंग में बीएससी, फूड साइंस एंड माइक्रोबायोलॉजी, न्यूट्रिशन, न्यूट्रिशन एंड फूड साइंस और न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स में बीएससी ऑनर्स कर सकते हैं। इसके अलावा डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन में डिप्लोमा और फूड साइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में डिप्लोमा भी किया जा सकता है। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद आप इन्हीं विषयों में एमएससी कर सकते हैं। इस फील्ड में रिसर्च का भी काफी स्कोप है। हायर स्टडीज करने वाले विद्यार्थियों को इस फील्ड में मौके भी बहुत मिलते हैं। 
जरूरी स्किल्स 
अगर आपको फूड इंग्रीडिएंट्स में रुचि है और अलग-अलग पकवानों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री में मौजूद न्यूट्रिएंट्स के बारे में पढ़ना व उनके हिसाब से डाइट में परिवर्तन करना पसंद है, तो आप इस फील्ड में जरूर आएं क्योंकि इसमें आपको नियंत्रित डाइट का सही प्लान बनाने का तरीका सिखाया जाता है। बॉडी मास इंडेक्स के हिसाब से आप अपना खुद का फूड चार्ट भी डिजाइन कर सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं 
आप सरकारी क्षेत्र और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे संस्थानों में अपना करियर बना सकते हैं। अमूमन इस फील्ड में चार तरह के न्यूट्रिशनिस्ट काम करते हैं:
क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट 
ये हॉस्पिटल्स, आउटपेशेंट क्लिनिक्स और नर्सिंग होम्स में काम करते हैं। इसमें आपको रोगियों की बीमारियों
के हिसाब से उनका डाइट चार्ट प्लान करना होगा।
मैनेजमेंट न्यूट्रिशनिस्ट 
ये न्यूट्रिशनिस्ट क्लिनिकल और फूड साइंस एक्सपर्ट्स होते हैं। ये बड़े संस्थानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स का
मैनेजमेंट करते हैं। इसके अलावा इन्हें न्यूट्रिशनिस्ट्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी दी जाती है।
कम्युनिटी न्यूट्रिशनिस्ट 
ये सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों, हेल्थ एंड फिटनेस क्लब्स और डे-केयर सेंटर्स में काम करते हैं। इस क्षेत्र में किसी व्यक्ति विशेष के लिए काम न करके पूरे समुदाय पर फोकस किया जाता है।
मैनेजमेंट न्यूट्रिशनिस्ट 
ये न्यूट्रिशनिस्ट क्लिनिकल और फूड साइंस एक्सपर्ट्स होते हैं। ये बड़े संस्थानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स का
मैनेजमेंट करते हैं। इसके अलावा इन्हें न्यूट्रिशनिस्ट्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी दी जाती है।
न्यूट्रिशन एडवाइजर 
ये एक्सपर्ट्स बिना किसी संस्थान से जुडे, किसी डॉक्टर की तरह अपनी स्वतंत्र प्रैक्टिस करते हैं और लोगों को न्यूट्रिशन से जुड़ी सलाह व मार्गदर्शन देते हैं। इस तरह की फ्रीलांसिंग में भी अच्छी संभावनाएं हैं। 
प्रमुख संस्थान 
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन, हैदराबाद
- जेडी बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ होम साइंस, कोलकाता
- लेडी अर्विन कॉलेज, दिल्ली 
- एसएनडीटी विमेंस यूनिवर्सिटी, मुंबई
- ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता
- मुंबई यूनिवर्सिटी

Monday, September 10, 2018

कोरियोग्राफर में बनाए करियर

डांस सिखाना यानि कोरियोग्राफर बनना आज कल युवाओं की पसंद बन रहा है.यह एक पैसा और नाम देने वाला करियर है और फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे कोरियोग्राफर की डिमांड रात दिन बढ़ती जा रही है.लेकिन इसमें करियर बनाने की सोचने से पहले यह जान लें की कोरियोग्राफी केवल डांस करना ही नहीं है बल्कि दूसरों को नए तरह का डांस सिखाना है. इसलिए सब तरह के डांस, डांसिंग स्टेप्स और डांस को हर तरह के म्यूजिक पर डांस कर सकना ही कोरियोग्राफी है. चलिए जाने डांस मैं करियर कैसे करे कोरियोग्राफर कैसे बने.

कोरियोग्राफर कैसे बने:

कुछ लोगो को बचपन से ही डांस करने का बहुत शौक होता हैं. ऐसे लोग बचपन से डांस सीखते हैं या ऐसे भी उन् लोगो को बहुत अच्छा डांस आता. जो लोग डांस में माहिर होते हैं उन् लोगो के घर में भी बहुत सारे डांस कम्पटीशन’से  जीती हुई ट्रॉफीज होती हैं. ऐसे लोग बढ़े होकर भी अपनी डांस को कंटिन्यू रखना चाहते हैं और डांस मैं अपना करियर बनाना चाहते हैं. लेकिन जिन लोगो को यह अच्छी तरह से पता ही नहीं होता कि उन्हें डांस में करियर बनाने के लिए क्या क्या करने की ज़रूरत हैं उन् लोगो का सपना तो अधूरा ही रह जाता हैं.
लेकिन हमारा सवाल यह हैं की अगर हुनर और जज्बा हैं तो क्यों हमारा कोई भी सपना अधूरा रहे.आज हम अपने इस लेख में आप लोगो को यह बताएँगे की हम डांस मैं अपना करियर बनाने के लिए क्या क्या तरीका अपना सकते हैं.आप लोगो को बस हमारे इस लेख में दिए गए कुछ ट्रिक्स को ध्यान से पढ़ने की और फॉलो करने की ज़रूरत हैं.यकीं मानिये इन् ट्रिक्स को फॉलो करके आप लोग डांस मैं अपना करियर बनाने में कामयाब जरूर हो जायेंगे.
डांस में करियर कैसे बनाये अपने डांस को हमेशा कंटिन्यू रखे:
आपको अगर डांस करने में रूचि हैं और आप डांस मैं अपना करियर बनाना चाहते हैं तोह आप अपने डांस को कभी भी ऑफ मत रखिए.हमारा कहने का मतलब हैं की आप हो सके तो रोज या दो तीन दिन के बाद बाद अपने घर में ही डांस की प्रैक्टिस करिए.आप अगर चाहे तोह एक कमरे को लॉक करके उस कमरे में अपने डांस की प्रैक्टिस कर सकते हैं. आप अगर अपने डांस को एक दम से बंद न करके उसको कंटिन्यू रखेंगे तो आपको डांस में एक्सपीरियंस बना रहेगा और आपको डांस करने में किसी भी तरह की gilt का एहसास नहीं होगा.
स्कूल, कॉलेज etc. में हो रही डांस कॉम्पेटीशन्स में भाग ले:
अगर आप डांस मैं अपना करियर बनाने मैं इंटरेस्टेड हैं तो आप स्कूल, कॉलेज और बाकि छोटे मोटे functions में होने वाले डांस competitions में भाग लेते रहे. ऐसे छोटे मोटे competitions में भाग लेते रहने से आपकी ऐम्बर्रसमेंट वाली फीलिंग ख़तम हो जायेगी और जब आपको किसी के सामने डांस करने से ऐम्बर्रसमेंट का एहसास नहीं होगा तब आप अपने डांस को खुल के कर पाएंगे और डांस मैं अपना करियर बनाने में और डांस की दुनिया में अपनी एक जगह बनाने में कामयाब हो जायेंगे.
डांस क्लास ज्वाइन कर सकते हैं:
अगर आप डांस मैं अपना करियर बनाना चाहते हैं तोह इस के लिए आपका डांस में माहिर होना बहुत ज़रूरी हैं. और मैं अपने आप को पक्का और निपुण बनाने के लिए आप लोग एक डांस क्लास ज्वाइन कर सकते हैं. ऐसा करने से डांस के प्रति आपका जूनून और डांस मैं आपका नॉलेज दोनों की वृद्धि होगी. और तभी आप डांस के लिए परफेक्ट माने जायेंगे.
कोरियोग्राफर कैसे बने:
कोरियोग्राफर बनने के लिए ज़रूरी है की आप को डांस करने का बहुत शौक हो. इसके लिए सबसे पहले आप किसी अच्छे डांस स्कूल में प्रवेश लें और डांस के बेसिक स्टेप्स को जान लें जिससे किसी के भी सामने आप कुछ डांस कर के बता सकें. अब डांस की पढाई करनी होगी. कोरियोग्राफी को सिखाने के लिए हर जगह स्कूल या यूनिवर्सिटी नहीं है इसलिए आपको कुछ जगहों पर उपलब्ध डांस की ही संस्थाओं में प्रवेश लेना होगा. कुछ प्रमुख संस्थाएं जो कोरियोग्राफी सिखाती हैं
  • संगीत नाटक अकादमी न्यू डेल्ही,
  • नाटय इंस्टिट्यूट ऑफ़ कथाक एंड कोरियोग्राफी बंगलोरे
  • फैकल्टी ऑफ आर्ट्स इन यूनिवर्सिटी मैसोरे
  • स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स एंड म्यूजिक, इंदौर
  • कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
  • महात्मा गांधी मिशन संगीत अकादमी औरंगाबाद,
  • शिवाजी यूनिवर्सिटी कोल्हापुर
  • गर्ल्स कॉलेज इंदौर
  • फ्लेम स्कूल ऑफ़ आर्ट्स पुणे
  • बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी,
प्राइवेट इंस्टिट्यूट में भी डांस सिखएं:
जब आप गवर्नमेंट के इन इंस्टिट्यूट से डांस में डिग्री या डिप्लोमा ले लें तो यह मत समझिए कि आपकी डांस की पढाई पूरी हो गयी है.इसके बाद अप्प प्राइवेट संस्थानों से डांस की पढाई करें. कुछ प्रमुख संस्थान जो कोरियोग्राफी सिखाते हैं उनके नाम हैं थे|:
  • डांसवर्क्स परफार्मिंग आर्ट्स अकादमी, मुम्बई
  • र न्यू डेल्ही, शामक डावर इस्टिट्यूट फॉर परफार्मिंग आर्ट्स, मुम्बई
  • श्रुति संगीत विद्यालय जळगाव आदि हैं.
अब किसी मुम्बई के ग्रुप को ज्वाइन करें:
जब आप प्राइवेट इंस्टिट्यूट से भी डांस सीख लें उसके बाद आप मुम्बई के किसी डांस ग्रुप को ज्वाइन कर लें. वैसे तो डांस ग्रुप हर जगह होते हैं पर मुंबई में रहकर आप प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स से संपर्क भी कर सकते हैं इसलिए डांस में करियर बनाने के लिए मुम्बई ही सबसे सही जगह है.
जॉब में ज़्यादा से ज़्यादा सीखें:
अपने इतना सीखा है इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने आपको सबसे अच्छा कोरियोग्राफर समझने लगें. याद रखें पढाई के दौरान सीखने में और जॉब करते समय सीखने में बहुत अंतर होता है. इसलिए जब आप डांस ग्रुप ज्वाइन करें तो आप ज़्यादा से ज़्यादा अनुभव लेने की कोशिश करें.
विडियो CDs से सीखें:
आप कुछ फॉरेन कोरियोग्राफर के डांसेज की CDs खरीद लें. जब आप खाली हों तो आप डांस की CDs चलाकर उनके स्टेप्स को नोट करें और सोचें कि इस स्टेप में और क्या नया हो सकता है. यह सभी नए स्टेप जो आप बना रहे हैं उसे आप अकेले में परफॉर्म करके अपने वीडियो कैमरे में रिकॉर्ड कर लें जिससे की आप यह डांस स्टेप्स भूलेंगे नहीं और समय पर आप किसी प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को वह स्टेप्स करके दिखा सकते हैं.
प्रोड्यूसर और डायरेक्टर से संपर्क करें:
जब आपको यकीन हो जाए कि किसी गाने की कोरियोग्राफी आप कर सकते हैं और आपके पास अनेकों नए डांस स्टेप्स हैं तब आप फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर से संपर्क करें और उन्हे पहली मुलाकात में ही हु डांस स्टेप दिखाएँ की फिल्म प्रोड्यूस और डायरेक्टर्स आप से प्रभवित हुए बिना नहीं रह सके और आपको की कोरियोग्राफी करने का अवसर दें. वैसे तो अनेक फिल्म प्रोड्यूसर अच्छे’ कोरियोग्राफर की तलाश करते हैं पर कुछ बड़े बैनर जिनके साथ काम करके आप अपना भविष्य संवार सकते हैं बालाजी टेलीफिल्म्स, मुक्ता आर्ट्स, एरोस इंटरनेशनल, उत्व मोशन पीक्चर्स, भंसाली प्रोड्यूक्शन्स,यश राज प्रोड्यूक्शन्स, धर्मं प्रॉड्यूक्शन्स, विशेष फिल्म्स, राजश्री प्रोड्यूक्शन्स हैं.
क्या सैलरी होती है:
इस करियर में अनुभव के आधार पर सैलरी मिलते है. एक फ्रेशर कोरियोग्राफर के तौर पर 400 से 500 रूपए प्रति घंटा प्राप्त करता है जबकि कुछ अनुभव हो जाने पर कोरियोग्राफर को 2000 रूपए प्रति घंटे तक मिल जाते हैं.फ़िल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े अनुभवी और सफल कोरियोग्राफर एक साल में 20 लाख रूपए तक कमा लेते हैं.
आप को यह अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा की डांस में करियर कैसे बना सकते हैं या डांस में करियर बनाने के के लिए हम किन किन तरीको को अपना सकते हैं. हम तो आप लोगो से बस यही कहेंगे कि अपने इस पैशन को ऐसे ही ठंडा मत हो जाने दीजिये